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ترجمة معاني سورة: القلم   آية:

سورة القلم - सूरा अल्-क़लम

نٓ وَالْقَلَمِ وَمَا یَسْطُرُوْنَ ۟ۙ
नून। क़सम है क़लम की तथा उसकी[1] जो वे लिखते हैं।
1. अर्थात क़ुरआन की। जिसे उतरने के साथ ही नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) लेखकों से लिखवाते थे। जैसे ही कोई सूरत या आयत उतरती, लेखक क़लम तथा चमड़ों और झिल्लियों के साथ उपस्थित हो जाते थे, ताकि पूरे संसार के मनुष्यों को क़ुरआन अपने वास्तविक रूप में पहुँच सके। और सदा के लिए सुरक्षित हो जाए। क्योंकि अब आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पश्चात् कोई नबी और कोई पुस्तक नहीं आएगी। और प्रलय तक के लिए अब पूरे संसार के नबी आप ही हैं। और उनके मार्गदर्शन के लिए क़ुरआन ही एकमात्र धर्म पुस्तक है। इसी लिए इसे सुरक्षित कर दिया गया है। और यह विशेषता किसी भी आकाशीय ग्रंथ को प्राप्त नहीं है। इस लिए अब मोक्ष के लिए अंतिम नबी तथा अंतिम धर्म ग्रंथ क़ुरआन पर ईमान लाना अनिवार्य है।
التفاسير العربية:
مَاۤ اَنْتَ بِنِعْمَةِ رَبِّكَ بِمَجْنُوْنٍ ۟ۚ
आप, अपने रब के अनुग्रह से हरगिज़ दीवाना नहीं हैं।
التفاسير العربية:
وَاِنَّ لَكَ لَاَجْرًا غَیْرَ مَمْنُوْنٍ ۟ۚ
तथा निःसंदेह आपके लिए निश्चय ऐसा प्रतिफल है जो निर्बाध है।
التفاسير العربية:
وَاِنَّكَ لَعَلٰی خُلُقٍ عَظِیْمٍ ۟
तथा निःसंदेह निश्चय आप एक महान चरित्र पर हैं।
التفاسير العربية:
فَسَتُبْصِرُ وَیُبْصِرُوْنَ ۟ۙ
अतः शीघ्र ही आप देख लेंगे तथा वे भी देख लेंगे।
التفاسير العربية:
بِاَیِّىكُمُ الْمَفْتُوْنُ ۟
कि तुममें से कौन पागलपन से ग्रसित है।
التفاسير العربية:
اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ بِمَنْ ضَلَّ عَنْ سَبِیْلِهٖ ۪— وَهُوَ اَعْلَمُ بِالْمُهْتَدِیْنَ ۟
निःसंदेह आपका पालनहार ही उसे अधिक जानता है, जो उसकी राह से भटक गया तथा वही अधिक जानता है उन्हें, जो सीधे मार्ग पर हैं।
التفاسير العربية:
فَلَا تُطِعِ الْمُكَذِّبِیْنَ ۟
अतः आप झुठलाने वालों की बात न मानें।
التفاسير العربية:
وَدُّوْا لَوْ تُدْهِنُ فَیُدْهِنُوْنَ ۟
वे चाहते हैं काश! आप नरमी करें, तो वे भी नरमी[2] करें।
2. जब काफ़िर, इस्लाम के प्रभाव को रोकने में असफल हो गए, तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को धमकी और लालच देने के पश्चात्, कुछ लो और कुछ दो की नीति पर आ गए। इस लिए कहा गया कि आप उनकी बातों में न आएँ और परिणाम की प्रतीक्षा करें।
التفاسير العربية:
وَلَا تُطِعْ كُلَّ حَلَّافٍ مَّهِیْنٍ ۟ۙ
और आप किसी बहुत क़समें खाने वाले, हीन व्यक्ति की बात न मानें।[3]
3. इन आयतों में किसी विशेष काफ़िर की दशा का वर्णन नहीं, बल्कि काफ़िरों के प्रमुखों के नैतिक पतन तथा कुविचारों और दुराचारों को बताया गया है, जो लोगों को इस्लाम के विरुद्ध उकसा रहे थे। तो फिर क्या इनकी बात मानी जा सकती है?
التفاسير العربية:
هَمَّازٍ مَّشَّآءٍ بِنَمِیْمٍ ۟ۙ
जो बहुत ग़ीबत करने वाला, चुग़ली में बहुत दौड़-धूप करने वाला है।
التفاسير العربية:
مَّنَّاعٍ لِّلْخَیْرِ مُعْتَدٍ اَثِیْمٍ ۟ۙ
भलाई को बहुत रोकने वाला, हद से बढ़ने वाला, घोर पापी है।
التفاسير العربية:
عُتُلٍّۢ بَعْدَ ذٰلِكَ زَنِیْمٍ ۟ۙ
क्रूर है, इसके उपरांत हरामज़ादा (वर्णसंकर) है।
التفاسير العربية:
اَنْ كَانَ ذَا مَالٍ وَّبَنِیْنَ ۟ؕ
इस कारण कि वह धन और बेटों वाला है।
التفاسير العربية:
اِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِ اٰیٰتُنَا قَالَ اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है : यह पहले लोगों की (कल्पित) कहानियाँ हैं।
التفاسير العربية:
سَنَسِمُهٗ عَلَی الْخُرْطُوْمِ ۟
शीघ्र ही हम उसकी थूथन[4] पर दाग़ लगाएँगे।
4. अर्थात नाक पर जिसे वह घमंड से ऊँची रखना चाहता है। और दाग़ लगाने का अर्थ अपमानित करना है।
التفاسير العربية:
اِنَّا بَلَوْنٰهُمْ كَمَا بَلَوْنَاۤ اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ ۚ— اِذْ اَقْسَمُوْا لَیَصْرِمُنَّهَا مُصْبِحِیْنَ ۟ۙ
निःसंदेह हमने उन्हें परीक्षा में डाला[5] है, जिस प्रकार बाग़ वालों को परीक्षा में डाला था, जब उन्होंने क़सम खाई कि भोर होते ही उसके फल अवश्य तोड़ लेंगे।
5. अर्थात मक्का वालों को। इस लिए यदि वे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर ईमान लाएँगे, तो उनपर सफलता की राह खुलेगी। अन्यथा संसार और परलोक दोनों की यातना के भागी होंगे।
التفاسير العربية:
وَلَا یَسْتَثْنُوْنَ ۟
और वे 'इन शा अल्लाह' नहीं कह रहे थे।
التفاسير العربية:
فَطَافَ عَلَیْهَا طَآىِٕفٌ مِّنْ رَّبِّكَ وَهُمْ نَآىِٕمُوْنَ ۟
तो आपके पालनहार की ओर से उस (बाग़) पर एक यातना फिर गई, जबकि वे सोए हुए थे।
التفاسير العربية:
فَاَصْبَحَتْ كَالصَّرِیْمِ ۟ۙ
तो वह अंधेरी रात जैसा (काला) हो गया।
التفاسير العربية:
فَتَنَادَوْا مُصْبِحِیْنَ ۟ۙ
फिर उन्होंने भोर होते ही एक-दूसरे को पुकारा :
التفاسير العربية:
اَنِ اغْدُوْا عَلٰی حَرْثِكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰرِمِیْنَ ۟
कि अपने खेत पर सवेरे ही जा पहुँचो, यदि तुम फल तोड़ने वाले हो।
التفاسير العربية:
فَانْطَلَقُوْا وَهُمْ یَتَخَافَتُوْنَ ۟ۙ
चुनाँचे वे आपस में चुपके-चुपके बातें करते हुए चल दिए।
التفاسير العربية:
اَنْ لَّا یَدْخُلَنَّهَا الْیَوْمَ عَلَیْكُمْ مِّسْكِیْنٌ ۟ۙ
कि आज उस (बाग़) में तुम्हारे पास कोई निर्धन[6] हरगिज़ न आने पाए।
6. ताकि उन्हें कुछ दान न करना पड़े।
التفاسير العربية:
وَّغَدَوْا عَلٰی حَرْدٍ قٰدِرِیْنَ ۟
और वे सुबह-सुबह (यह सोचकर) निकले कि वे (निर्धनों को) रोकने में सक्षम हैं।
التفاسير العربية:
فَلَمَّا رَاَوْهَا قَالُوْۤا اِنَّا لَضَآلُّوْنَ ۟ۙ
फिर जब उन्होंने उसे देखा, तो कहा : निःसंदेह हम निश्चय रास्ता भूल गए हैं।
التفاسير العربية:
بَلْ نَحْنُ مَحْرُوْمُوْنَ ۟
बल्कि हम वंचित[7] कर दिए गए हैं।
7. पहले तो सोचा कि राह भूल गए हैं। किंतु फिर देखा कि बाग़ तो उन्हीं का है तो कहा कि यह तो ऐसा उजाड़ हो गया है कि अब कुछ तोड़ने के लिए रह ही नहीं गया है। वास्तव में, यह हमारा दुर्भाग्य है।
التفاسير العربية:
قَالَ اَوْسَطُهُمْ اَلَمْ اَقُلْ لَّكُمْ لَوْلَا تُسَبِّحُوْنَ ۟
उनमें से बेहतर ने कहा : क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि तुम (अल्लाह की) पवित्रता का वर्णन क्यों नहीं करते?
التفاسير العربية:
قَالُوْا سُبْحٰنَ رَبِّنَاۤ اِنَّا كُنَّا ظٰلِمِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : हमारा रब पवित्र है। निःसंदेह हम ही अत्याचारी थे।
التفاسير العربية:
فَاَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلٰی بَعْضٍ یَّتَلَاوَمُوْنَ ۟
फिर वे आपस में एक दूसरे को दोष देने लगे।
التفاسير العربية:
قَالُوْا یٰوَیْلَنَاۤ اِنَّا كُنَّا طٰغِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : हाय हमारा विनाश! निश्चय हम ही सीमा का उल्लंघन करने वाले थे।
التفاسير العربية:
عَسٰی رَبُّنَاۤ اَنْ یُّبْدِلَنَا خَیْرًا مِّنْهَاۤ اِنَّاۤ اِلٰی رَبِّنَا رٰغِبُوْنَ ۟
आशा है कि हमारा पालनहार हमें बदले में इस (बाग़) से बेहतर प्रदान करेगा। निश्चय हम अपने पालनहार ही की ओर इच्छा रखने वाले हैं।
التفاسير العربية:
كَذٰلِكَ الْعَذَابُ ؕ— وَلَعَذَابُ الْاٰخِرَةِ اَكْبَرُ ۘ— لَوْ كَانُوْا یَعْلَمُوْنَ ۟۠
इसी तरह होती है यातना, और आख़िरत की यातना तो इससे भी बड़ी है। काश वे जानते होते!
التفاسير العربية:
اِنَّ لِلْمُتَّقِیْنَ عِنْدَ رَبِّهِمْ جَنّٰتِ النَّعِیْمِ ۟
निःसंदेह डरने वालों के लिए उनके पालनहार के पास नेमत के बाग़ हैं।
التفاسير العربية:
اَفَنَجْعَلُ الْمُسْلِمِیْنَ كَالْمُجْرِمِیْنَ ۟ؕ
तो क्या हम आज्ञाकारियों[8] को अपराध करने वालों की तरह कर देंगे?
8. मक्का के प्रमुख कहते थे कि यदि प्रलय हुई, तो वहाँ भी हमें यही सांसारिक सुख-सुविधा प्राप्त होगी। जिसका इस आयत में खंडन किया जा रहा है। अभिप्राय यह है कि अल्लाह के यहाँ देर है, परंतु अँधेर नहीं है।
التفاسير العربية:
مَا لَكُمْ ۫— كَیْفَ تَحْكُمُوْنَ ۟ۚ
तुम्हें क्या हुआ, तुम कैसे फ़ैसले करते हो?
التفاسير العربية:
اَمْ لَكُمْ كِتٰبٌ فِیْهِ تَدْرُسُوْنَ ۟ۙ
क्या तुम्हारे पास कोई पुस्तक है, जिसमें तुम पढ़ते हो?
التفاسير العربية:
اِنَّ لَكُمْ فِیْهِ لَمَا تَخَیَّرُوْنَ ۟ۚ
(कि) निश्चय तुम्हारे लिए आख़िरत में वही होगा, जो तुम पसंद करोगे?
التفاسير العربية:
اَمْ لَكُمْ اَیْمَانٌ عَلَیْنَا بَالِغَةٌ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ ۙ— اِنَّ لَكُمْ لَمَا تَحْكُمُوْنَ ۟ۚ
या तुम्हारे लिए हमारे ऊपर क़समें हैं, जो क़ियामत के दिन तक बाक़ी रहने वाली हैं कि तुम्हारे लिए निश्चय वही होगा, जो तुम निर्णय करोगे?
التفاسير العربية:
سَلْهُمْ اَیُّهُمْ بِذٰلِكَ زَعِیْمٌ ۟ۚۛ
आप उनसे पूछिए कि उनमें से कौन इसकी ज़मानत लेता है?
التفاسير العربية:
اَمْ لَهُمْ شُرَكَآءُ ۛۚ— فَلْیَاْتُوْا بِشُرَكَآىِٕهِمْ اِنْ كَانُوْا صٰدِقِیْنَ ۟
क्या उनके कोई साझी हैं? फिर तो वे अपने साझियों को ले आएँ[9], यदि वे सच्चे हैं।
9. ताकि वे उन्हें अच्छा स्थान दिला दें।
التفاسير العربية:
یَوْمَ یُكْشَفُ عَنْ سَاقٍ وَّیُدْعَوْنَ اِلَی السُّجُوْدِ فَلَا یَسْتَطِیْعُوْنَ ۟ۙ
जिस दिन पिंडली खोल दी जाएगी और वे सजदा करने के लिए बुलाए जाएँगे, तो वे सजदा नहीं कर सकेंगे।[10]
10. ह़दीस में है कि प्रलय के दिन अल्लाह अपनी पिंडली खोलेगा, तो प्रत्येक मोमिन पुरुष तथा स्त्री सजदे में गिर जाएँगे। हाँ, वे शेष रह जाएँगे जो दिखावे और नाम के लिये (संसार में) सजदे किया करते थे। वह सजदा करना चाहेंगे, परंतु उनकी रीढ़ की हड्डी तख्त के समान बन जाएगी। जिसके कारण उनके लिए सजदा करना असंभव हो जाएगा। (बुख़ारी : 4919)
التفاسير العربية:
خَاشِعَةً اَبْصَارُهُمْ تَرْهَقُهُمْ ذِلَّةٌ ؕ— وَقَدْ كَانُوْا یُدْعَوْنَ اِلَی السُّجُوْدِ وَهُمْ سٰلِمُوْنَ ۟
उनकी आँखें झुकी होंगी, उनपर अपमान छाया होगा। हालाँकि उन्हें (संसार में) सजदे की ओर बुलाया जाता था, जबकि वे भले-चंगे थे।
التفاسير العربية:
فَذَرْنِیْ وَمَنْ یُّكَذِّبُ بِهٰذَا الْحَدِیْثِ ؕ— سَنَسْتَدْرِجُهُمْ مِّنْ حَیْثُ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟ۙ
अतः आप मुझे तथा उसको छोड़ दें, जो इस वाणी (क़ुरआन) को झुठलाता है। हम उन्हें धीरे-धीरे (यातना की ओर) इस प्रकार ले जाएँगे[11] कि वे जान भी न सकेंगे।
11. अर्थात उनके बुरे परिणाम की ओर।
التفاسير العربية:
وَاُمْلِیْ لَهُمْ ؕ— اِنَّ كَیْدِیْ مَتِیْنٌ ۟
और मैं उन्हें मोहलत (अवकाश) दूँगा।[12] निश्चय मेरा उपाय बड़ा मज़बूत है।
12. अर्थात् सांसारिक सुख-सुविधा प्रदान करूँगा ताकि वे और अधिक लापरवाह हो जाएँ। फिर अंततः वे यातना से ग्रस्त हो जाएँगे।
التفاسير العربية:
اَمْ تَسْـَٔلُهُمْ اَجْرًا فَهُمْ مِّنْ مَّغْرَمٍ مُّثْقَلُوْنَ ۟ۚ
क्या आप उनसे कोई पारिश्रमिक[13] माँगते हैं कि वे तावान के बोझ से दबे जा रहे हैं?
13. अर्थात धर्म के प्रचार पर।
التفاسير العربية:
اَمْ عِنْدَهُمُ الْغَیْبُ فَهُمْ یَكْتُبُوْنَ ۟
अथवा उनके पास परोक्ष (का ज्ञान) है, तो वे लिख[14] रहे हैं?
14. या ''लौह़े मह़फ़ूज़'' (सुरक्षित पुस्तक) उनके अधिकार में है इस लिए आपका आज्ञा पालन नहीं करते और उसी से ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं?
التفاسير العربية:
فَاصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ وَلَا تَكُنْ كَصَاحِبِ الْحُوْتِ ۘ— اِذْ نَادٰی وَهُوَ مَكْظُوْمٌ ۟ؕ
अतः अपने पालनहार के निर्णय तक धैर्य रखें और मछली वाले के समान[15] न हो जाएँ, जब उसने (अल्लाह को) पुकारा, इस हाल में कि वह शोक से भरा हुआ था।
15. इससे अभिप्राय यूनुस (अलैहिस्सलाम) हैं, जिनको मछली ने निगल लिया था। (देखिए : सूरतुस-साफ़्फ़ात, आयत : 139)
التفاسير العربية:
لَوْلَاۤ اَنْ تَدٰرَكَهٗ نِعْمَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ لَنُبِذَ بِالْعَرَآءِ وَهُوَ مَذْمُوْمٌ ۟
और यदि उसके पालनहार की अनुकंपा ने उसे संभाल न लिया होता, तो निश्चय वह चटियल मैदान में इस दशा में फेंक दिया जाता कि वह निंदित होता।
التفاسير العربية:
فَاجْتَبٰىهُ رَبُّهٗ فَجَعَلَهٗ مِنَ الصّٰلِحِیْنَ ۟
फिर उसके पालनहार ने उसे चुन लिया और उसे सदाचारियों में से बना दिया।
التفاسير العربية:
وَاِنْ یَّكَادُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَیُزْلِقُوْنَكَ بِاَبْصَارِهِمْ لَمَّا سَمِعُوا الذِّكْرَ وَیَقُوْلُوْنَ اِنَّهٗ لَمَجْنُوْنٌ ۟ۘ
और वे लोग जिन्होंने इनकार किया, निश्चय क़रीब हैं कि वे अपनी निगाहों से (घूर घूरकर) आपको अवश्य ही फिसला देंगे, जब वे क़ुरआन को सुनते हैं और कहते हैं कि यह अवश्य ही दीवाना है।
التفاسير العربية:
وَمَا هُوَ اِلَّا ذِكْرٌ لِّلْعٰلَمِیْنَ ۟۠
हालाँकि वह सर्व संसार के लिए मात्र एक उपदेश[16] है।
16. इसमें यह बताया गया है कि क़ुरआन केवल अरबों के लिए नहीं, संसार के सभी देशों और जातियों की शिक्षा के लिए उतरा है।
التفاسير العربية:
 
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ترجمة معاني القرآن الكريم إلى اللغة الهندية، ترجمها عزيز الحق العمري.

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