Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - Hind dilinə tərcümə * - Tərcumənin mündəricatı

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Mənaların tərcüməsi Surə: əl-Furqan   Ayə:

सूरा अल्-फ़ुर्क़ान

تَبٰرَكَ الَّذِیْ نَزَّلَ الْفُرْقَانَ عَلٰی عَبْدِهٖ لِیَكُوْنَ لِلْعٰلَمِیْنَ نَذِیْرَا ۟ۙ
बहुत बरकत वाला है वह (अल्लाह), जिसने अपने बंदे[1] पर फ़ुरक़ान[2] उतारा, ताकि वह समस्त संसार-वासियों को सावधान करने वाला हो।
1. इससे अभिप्राय मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं, जो पूरे मानव संसार के लिए नबी बनाकर भेजे गए हैं। ह़दीस में है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया कि मुझसे पहले नबी अपनी विशेष जाति के लिए भेजे जाते थे, और मुझे सर्व साधारण लोगों की ओर नबी बनाकर भेजा गया है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 335, सह़ीह़ मुस्लिम : 521) 2. फ़ुरक़ान का अर्थ है सच और झूठ, एकेश्वरवाद और बहुदेववाद, न्याय और अन्याय के बीच अंतर करने वाला। इससे अभिप्राय क़ुरआन है।
Ərəbcə təfsirlər:
١لَّذِیْ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلَمْ یَتَّخِذْ وَلَدًا وَّلَمْ یَكُنْ لَّهٗ شَرِیْكٌ فِی الْمُلْكِ وَخَلَقَ كُلَّ شَیْءٍ فَقَدَّرَهٗ تَقْدِیْرًا ۟
(वह अस्तित्व) जिसके लिए आकाशों तथा धरती का राज्य है, तथा उसने (अपने लिए) कोई संतान नहीं बनाई, और न कभी राज्य में उसका कोई साझी रहा है। तथा उसने प्रत्येक वस्तु की उत्पत्ति की, फिर उसका उचित अंदाज़ा निर्धारित किया।
Ərəbcə təfsirlər:
وَاتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖۤ اٰلِهَةً لَّا یَخْلُقُوْنَ شَیْـًٔا وَّهُمْ یُخْلَقُوْنَ وَلَا یَمْلِكُوْنَ لِاَنْفُسِهِمْ ضَرًّا وَّلَا نَفْعًا وَّلَا یَمْلِكُوْنَ مَوْتًا وَّلَا حَیٰوةً وَّلَا نُشُوْرًا ۟
और उन्होंने उसके अतिरिक्त अनेक पूज्य बना लिए, जो किसी चीज़ को पैदा नहीं करते और वे स्वयं पैदा किए जाते हैं और न वे अधिकार रखते हैं अपने लिए किसी हानि का और न किसी लाभ का, तथा न अधिकार रखते हैं मरण का और न जीवन का और न पुनः जीवित करने का।
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ هٰذَاۤ اِلَّاۤ اِفْكُ ١فْتَرٰىهُ وَاَعَانَهٗ عَلَیْهِ قَوْمٌ اٰخَرُوْنَ ۛۚ— فَقَدْ جَآءُوْ ظُلْمًا وَّزُوْرًا ۟ۚۛ
तथा काफ़िरों ने कहा : यह[3] तो बस एक झूठ है, जिसे इसने[4] स्वयं गढ़ लिया है और इसपर अन्य लोगों ने उसकी सहायता की है। तो निःसंदेह वे घोर अन्याय और झूठ पर उतर आए हैं।
3. अर्थात क़ुरआन। 4. अर्थात मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने।
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَالُوْۤا اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ اكْتَتَبَهَا فَهِیَ تُمْلٰی عَلَیْهِ بُكْرَةً وَّاَصِیْلًا ۟
और उन्होंने कहा कि ये पहले लोगों की कहानियाँ हैं, जिन्हें उसने लिखवा लिया है। तो वही उसके सामने सुबह और शाम पढ़ी जाती हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
قُلْ اَنْزَلَهُ الَّذِیْ یَعْلَمُ السِّرَّ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— اِنَّهٗ كَانَ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟
आप कह दें : इसे उसने उतारा है, जो आकाशों तथा धरती के भेद जानता है। निःसंदेह वह हमेशा से अति क्षमाशील, अत्यंत दयावान् है।
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَالُوْا مَالِ هٰذَا الرَّسُوْلِ یَاْكُلُ الطَّعَامَ وَیَمْشِیْ فِی الْاَسْوَاقِ ؕ— لَوْلَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْهِ مَلَكٌ فَیَكُوْنَ مَعَهٗ نَذِیْرًا ۟ۙ
तथा उन्होंने कहा : इस रसूल को क्या है कि यह खाना खाता है और बाज़ारों में चलता-फिरता है? इसकी ओर कोई फ़रिश्ता क्यों नहीं उतारा गया कि वह इसके साथ सावधान करने वाला होता?
Ərəbcə təfsirlər:
اَوْ یُلْقٰۤی اِلَیْهِ كَنْزٌ اَوْ تَكُوْنُ لَهٗ جَنَّةٌ یَّاْكُلُ مِنْهَا ؕ— وَقَالَ الظّٰلِمُوْنَ اِنْ تَتَّبِعُوْنَ اِلَّا رَجُلًا مَّسْحُوْرًا ۟
अथवा उसकी ओर कोई खज़ाना उतार दिया जाता अथवा उसका कोई बाग़ होता, जिसमें से वह खाता? तथा अत्याचारियों ने कहा : तुम तो बस एक जादू किए हुए व्यक्ति का अनुसरण कर रहे हो।
Ərəbcə təfsirlər:
اُنْظُرْ كَیْفَ ضَرَبُوْا لَكَ الْاَمْثَالَ فَضَلُّوْا فَلَا یَسْتَطِیْعُوْنَ سَبِیْلًا ۟۠
देखिए कि उन्होंने आपके लिए कैसे उदाहरण दिए हैं? अतः वे गुमराह हो गए। (अब) वे कोई रास्ता नहीं पा सकते।
Ərəbcə təfsirlər:
تَبٰرَكَ الَّذِیْۤ اِنْ شَآءَ جَعَلَ لَكَ خَیْرًا مِّنْ ذٰلِكَ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ۙ— وَیَجْعَلْ لَّكَ قُصُوْرًا ۟
बहुत बरकत वाला है वह (अल्लाह) कि यदि चाहे, तो आपके लिए इससे उत्तम[5] ऐसे बाग़ बना दे, जिनके नीचे से नहरें प्रवाहित हों और आपके लिए कई भवन बना दे।
5. अर्थात उनके विचार से उत्तम।
Ərəbcə təfsirlər:
بَلْ كَذَّبُوْا بِالسَّاعَةِ وَاَعْتَدْنَا لِمَنْ كَذَّبَ بِالسَّاعَةِ سَعِیْرًا ۟ۚ
बल्कि उन्होंने क़ियामत को झुठला दिया और हमने उसके लिए, जो क़ियामत को झुठलाए, एक भड़कती हुई आग तैयार कर रखी है।
Ərəbcə təfsirlər:
اِذَا رَاَتْهُمْ مِّنْ مَّكَانٍ بَعِیْدٍ سَمِعُوْا لَهَا تَغَیُّظًا وَّزَفِیْرًا ۟
जब वह (जहन्नम) उन्हें दूर स्थान से देखेगी, तो वे (क़ियामत को झुठलाने वाले) उसके रोष और गर्जन को सुनेंगे।
Ərəbcə təfsirlər:
وَاِذَاۤ اُلْقُوْا مِنْهَا مَكَانًا ضَیِّقًا مُّقَرَّنِیْنَ دَعَوْا هُنَالِكَ ثُبُوْرًا ۟ؕ
और जब वे उसके किसी तंग स्थान में जकड़े हुए फेंक दिए जाएँगे, (तो) वहाँ विनाश को पुकारेंगे।
Ərəbcə təfsirlər:
لَا تَدْعُوا الْیَوْمَ ثُبُوْرًا وَّاحِدًا وَّادْعُوْا ثُبُوْرًا كَثِیْرًا ۟
(उनसे कहा जाएगा :) आज एक विनाश को मत पुकारो, बल्कि बहुत-से विनाशों को पुकारो।[6]
6. अर्थात आज तुम्हारे लिए विनाश ही विनाश है।
Ərəbcə təfsirlər:
قُلْ اَذٰلِكَ خَیْرٌ اَمْ جَنَّةُ الْخُلْدِ الَّتِیْ وُعِدَ الْمُتَّقُوْنَ ؕ— كَانَتْ لَهُمْ جَزَآءً وَّمَصِیْرًا ۟
(ऐ नबी!) आप (उनसे) कह दें : क्या यह बेहतर है या स्थायी जन्नत, जिसका अल्लाह से डरने वालों से वादा किया गया है? वह उनके लिए बदला तथा ठिकाना होगी।
Ərəbcə təfsirlər:
لَهُمْ فِیْهَا مَا یَشَآءُوْنَ خٰلِدِیْنَ ؕ— كَانَ عَلٰی رَبِّكَ وَعْدًا مَّسْـُٔوْلًا ۟
उनके लिए उसमें वह सब होगा, जो वे चाहेंगे। वे उसमें हमेशा रहेंगे। यह आपके पालनहार के ज़िम्मे ऐसा वादा है, जो अनुरोध के योग्य है।
Ərəbcə təfsirlər:
وَیَوْمَ یَحْشُرُهُمْ وَمَا یَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ فَیَقُوْلُ ءَاَنْتُمْ اَضْلَلْتُمْ عِبَادِیْ هٰۤؤُلَآءِ اَمْ هُمْ ضَلُّوا السَّبِیْلَ ۟ؕ
तथा जिस दिन वह उन्हें और जिनको वे अल्लाह के सिवा पूजते थे, एकत्र करेगा। फिर कहेगा : क्या तुमने मेरे इन बंदों को पथभ्रष्ट किया था, अथवा वे स्वयं मार्ग से भटक गए थे?
Ərəbcə təfsirlər:
قَالُوْا سُبْحٰنَكَ مَا كَانَ یَنْۢبَغِیْ لَنَاۤ اَنْ نَّتَّخِذَ مِنْ دُوْنِكَ مِنْ اَوْلِیَآءَ وَلٰكِنْ مَّتَّعْتَهُمْ وَاٰبَآءَهُمْ حَتّٰی نَسُوا الذِّكْرَ ۚ— وَكَانُوْا قَوْمًا بُوْرًا ۟
वे कहेंगे : तू पवित्र है! हमारे योग्य नहीं था कि हम तेरे सिवा किसी तरह के संरक्षक[7] बनाते। परंतु तूने उन्हें और उनके बाप-दादों को समृद्धि प्रदान की, यहाँ तक कि वे तेरी याद को भूल गए और वे विनष्ट होने वाले लोग थे।
7. अर्थात जब हम स्वयं दूसरे को अपना संरक्षक नहीं समझे, तो फिर अपने विषय में यह कैसे कह सकते हैं कि हमें अपना रक्षक बना लो?
Ərəbcə təfsirlər:
فَقَدْ كَذَّبُوْكُمْ بِمَا تَقُوْلُوْنَ ۙ— فَمَا تَسْتَطِیْعُوْنَ صَرْفًا وَّلَا نَصْرًا ۚ— وَمَنْ یَّظْلِمْ مِّنْكُمْ نُذِقْهُ عَذَابًا كَبِیْرًا ۟
तो उन्होंने[8] तुम्हें उस बात में झुठला दिया, जो तुम कहते हो। अतः तुम न किसी तरह (यातना) हटाने की शक्ति रखते हो और न किसी मदद की। और तुममें से जो अत्याचार[9] करेगा, हम उसे बहुत बड़ी यातना चखाएँगे।
8. यह अल्लाह का कथन है, जो वह मिश्रणवादियों से कहेगा कि तुम्हारे पूज्यों ने स्वयं अपने पूज्य होने को नकार दिया। 9. अत्याचार से तात्पर्य शिर्क (मिश्रणवाद) है। (सूरत-लुक़मान, आयत : 13)
Ərəbcə təfsirlər:
وَمَاۤ اَرْسَلْنَا قَبْلَكَ مِنَ الْمُرْسَلِیْنَ اِلَّاۤ اِنَّهُمْ لَیَاْكُلُوْنَ الطَّعَامَ وَیَمْشُوْنَ فِی الْاَسْوَاقِ ؕ— وَجَعَلْنَا بَعْضَكُمْ لِبَعْضٍ فِتْنَةً ؕ— اَتَصْبِرُوْنَ ۚ— وَكَانَ رَبُّكَ بَصِیْرًا ۟۠
और हमने आपसे पहले कोई रसूल नहीं भेजे, परंतु निश्चय वे खाना खाते थे और बाज़ारों में चलते-फिरते[10] थे। तथा हमने तुममें से एक को दूसरे के लिए एक परीक्षण बनाया है। क्या तुम धैर्य रखोगे? तथा आपका पालनहार हमेशा से सब कुछ देखने[11] वाला है।
10. अर्थात वे मानव पुरुष थे। 11. आयत का भावार्थ यह है कि अल्लाह चाहता, तो पूरा संसार रसूलों का साथ देता। परंतु वह लोगों की रसूलों द्वारा तथा रसूलों की लोगों द्वारा परीक्षा लेना चाहता है कि लोग ईमान लाते हैं या नहीं और रसूल धैर्य रखते हैं या नहीं।
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَالَ الَّذِیْنَ لَا یَرْجُوْنَ لِقَآءَنَا لَوْلَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْنَا الْمَلٰٓىِٕكَةُ اَوْ نَرٰی رَبَّنَا ؕ— لَقَدِ اسْتَكْبَرُوْا فِیْۤ اَنْفُسِهِمْ وَعَتَوْ عُتُوًّا كَبِیْرًا ۟
तथा उन लोगों ने कहा जो हमसे मिलने की आशा नहीं रखते : हमपर फ़रिश्ते क्यों न उतारे गए, या हम अपने रब को देखते? नि:संदेह वे अपने दिलों में बहुत बड़े बन गए तथा बड़ी सरकशी[12] पर उतर आए।
12. अर्थात ईमान लाने के लिए अपने समक्ष फ़रिश्तों के उतरने तथा अल्लाह को देखने की माँग करके।
Ərəbcə təfsirlər:
یَوْمَ یَرَوْنَ الْمَلٰٓىِٕكَةَ لَا بُشْرٰی یَوْمَىِٕذٍ لِّلْمُجْرِمِیْنَ وَیَقُوْلُوْنَ حِجْرًا مَّحْجُوْرًا ۟
जिस दिन[13] वे फ़रिश्तों को देखेंगे, उस दिन अपराधियों के लिए कोई शुभ सूचना नहीं होगी और वे कहेंगे (काश! हमारे और उनके बीच) एक मज़बूत ओट होती।
13. अर्थात मरने के समय ( देखिए : सूरतुल-अनफ़ाल : 13), अथवा प्रलय के दिन।
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَدِمْنَاۤ اِلٰی مَا عَمِلُوْا مِنْ عَمَلٍ فَجَعَلْنٰهُ هَبَآءً مَّنْثُوْرًا ۟
और हम उसकी ओर आएँगे जो उन्होंने कोई भी कर्म किया होगा, तो उसे बिखरी हुई धूल बना देंगे।
14. अर्थात ईमान न होने के कारण उनके पुण्य के कार्य व्यर्थ कर दिए जाएँगे।
Ərəbcə təfsirlər:
اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ یَوْمَىِٕذٍ خَیْرٌ مُّسْتَقَرًّا وَّاَحْسَنُ مَقِیْلًا ۟
उस दिन जन्नत वाले ठिकाने के लिहाज़ से बेहतर और आरामगाह के लिहाज़ से कहीं अच्छे होंगे।
Ərəbcə təfsirlər:
وَیَوْمَ تَشَقَّقُ السَّمَآءُ بِالْغَمَامِ وَنُزِّلَ الْمَلٰٓىِٕكَةُ تَنْزِیْلًا ۟
और जिस दिन आकाश बादल के साथ[15] फट जाएगा और फ़रिश्ते निरंतर उतारे जाएँगे।
15. अर्थात आकाश चीरता हुआ बादल छा जाएगा और अल्लाह अपने फ़रिश्तों के साथ लोगों का ह़िसाब करने के लिए ह़श्र के मैदान में आ जाएगा। (देखिए सूरतुल-बक़रह,आयत : 210)
Ərəbcə təfsirlər:
اَلْمُلْكُ یَوْمَىِٕذِ ١لْحَقُّ لِلرَّحْمٰنِ ؕ— وَكَانَ یَوْمًا عَلَی الْكٰفِرِیْنَ عَسِیْرًا ۟
उस दिन, वास्तविक राज्य 'रहमान' (अति दयावान्) का होगा और वह काफ़िरों के लिए बहुत मुश्किल दिन होगा।
Ərəbcə təfsirlər:
وَیَوْمَ یَعَضُّ الظَّالِمُ عَلٰی یَدَیْهِ یَقُوْلُ یٰلَیْتَنِی اتَّخَذْتُ مَعَ الرَّسُوْلِ سَبِیْلًا ۟
और जिस दिन अत्याचारी अपने दोनों हाथ चबाएगा। कहेगा : ऐ काश! मैंने रसूल के साथ मार्ग अपनाया होता।
Ərəbcə təfsirlər:
یٰوَیْلَتٰی لَیْتَنِیْ لَمْ اَتَّخِذْ فُلَانًا خَلِیْلًا ۟
हाय मेरा विनाश! काश मैंने अमुक व्यक्ति को मित्र न बनाया होता।
Ərəbcə təfsirlər:
لَقَدْ اَضَلَّنِیْ عَنِ الذِّكْرِ بَعْدَ اِذْ جَآءَنِیْ ؕ— وَكَانَ الشَّیْطٰنُ لِلْاِنْسَانِ خَذُوْلًا ۟
निःसंदेह उसने मुझे उपदेश (क़ुरआन) से बहका दिया, जबकि वह मेरे पास आ चुका था। और शैतान हमेशा मनुष्य को छोड़ जाने वाला है।
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَالَ الرَّسُوْلُ یٰرَبِّ اِنَّ قَوْمِی اتَّخَذُوْا هٰذَا الْقُرْاٰنَ مَهْجُوْرًا ۟
तथा रसूल[16] कहेगा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मेरी क़ौम ने इस क़ुरआन को छोड़[17] दिया था।
16. अर्थात मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम। (इब्ने कसीर) 17. अर्थात इसे मिश्रणवादियों ने न ही सुना और न माना।
Ərəbcə təfsirlər:
وَكَذٰلِكَ جَعَلْنَا لِكُلِّ نَبِیٍّ عَدُوًّا مِّنَ الْمُجْرِمِیْنَ ؕ— وَكَفٰی بِرَبِّكَ هَادِیًا وَّنَصِیْرًا ۟
और इसी तरह हमने हर नबी के लिए अपराधियों में से कोई न कोई शत्रु बना दिया और आपका पालनहार मार्गदर्शन प्रदान करने वाला तथा सहायता करने वाला काफ़ी है।
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَوْلَا نُزِّلَ عَلَیْهِ الْقُرْاٰنُ جُمْلَةً وَّاحِدَةً ۛۚ— كَذٰلِكَ ۛۚ— لِنُثَبِّتَ بِهٖ فُؤَادَكَ وَرَتَّلْنٰهُ تَرْتِیْلًا ۟
तथा कुफ़्र करने वालों ने कहा : यह क़ुरआन उसपर एक ही बार[18] क्यों नहीं उतार दिया गया? इसी प्रकार (हमने उतारा) ताकि हम इसके साथ आपके दिल को मज़बूत करें और हमने इसे ख़ूब ठहर-ठहर कर पढ़कर सुनाया है।
18. अर्थात तौरात तथा इंजील के समान एक ही बार क्यों नहीं उतारा गया, आगामी आयतों में इसका कारण बताया जा रहा है कि क़ुरआन 23 वर्ष में क्रमशः आवश्यकतानुसार क्यों उतारा गया।
Ərəbcə təfsirlər:
وَلَا یَاْتُوْنَكَ بِمَثَلٍ اِلَّا جِئْنٰكَ بِالْحَقِّ وَاَحْسَنَ تَفْسِیْرًا ۟ؕ
और (ऐ रसूल!) जब भी वे आपके पास कोई उदाहरण लाते हैं, तो हम आपके पास सत्य और उत्तम व्याख्या ले आते हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
اَلَّذِیْنَ یُحْشَرُوْنَ عَلٰی وُجُوْهِهِمْ اِلٰی جَهَنَّمَ ۙ— اُولٰٓىِٕكَ شَرٌّ مَّكَانًا وَّاَضَلُّ سَبِیْلًا ۟۠
वे लोग जो अपने चेहरों के बल जहन्नम की ओर इकट्ठे किए जाएँगे, वही ठिकाने में सबसे बुरे और मार्ग में सबसे अधिक भटके हुए हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
وَلَقَدْ اٰتَیْنَا مُوْسَی الْكِتٰبَ وَجَعَلْنَا مَعَهٗۤ اَخَاهُ هٰرُوْنَ وَزِیْرًا ۟ۚۖ
तथा निःसंदेह हमने मूसा को किताब दी और उसके साथ उसके भाई हारून को उसका सहायक बनाया।
Ərəbcə təfsirlər:
فَقُلْنَا اذْهَبَاۤ اِلَی الْقَوْمِ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا ؕ— فَدَمَّرْنٰهُمْ تَدْمِیْرًا ۟ؕ
फिर हमने कहा : तुम दोनों उन लोगों की ओर जाओ, जिन्होंने हमारी आयतों (निशानियों) को झुठला दिया। तो हमने उन्हें बुरी तरह नष्ट कर दिया।
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَوْمَ نُوْحٍ لَّمَّا كَذَّبُوا الرُّسُلَ اَغْرَقْنٰهُمْ وَجَعَلْنٰهُمْ لِلنَّاسِ اٰیَةً ؕ— وَاَعْتَدْنَا لِلظّٰلِمِیْنَ عَذَابًا اَلِیْمًا ۟ۚۙ
और नूह़ के समुदाय को भी जब उन्होंने रसूलों को झुठलाया, तो हमने उन्हें डुबो दिया और उन्हें लोगों के लिए एक निशानी बना दिया। तथा हमने अत्याचारियों के लिए एक दुःखदायी यातना[19] तैयार कर रखी है।
19. अर्थात परलोक में नरक की यातना।
Ərəbcə təfsirlər:
وَّعَادًا وَّثَمُوْدَاۡ وَاَصْحٰبَ الرَّسِّ وَقُرُوْنًا بَیْنَ ذٰلِكَ كَثِیْرًا ۟
तथा आद और समूद और कुएँ वालों को तथा इनके बीच बहुत-से समुदायों को भी (विनष्ट कर दिया)।
Ərəbcə təfsirlər:
وَكُلًّا ضَرَبْنَا لَهُ الْاَمْثَالَ ؗ— وَكُلًّا تَبَّرْنَا تَتْبِیْرًا ۟
और प्रत्येक के लिए हमने उदाहरण पेश किए और प्रत्येक को हमने बुरी तरह नष्ट कर दिया।[20]
20. सत्य को स्वीकार न करने पर।
Ərəbcə təfsirlər:
وَلَقَدْ اَتَوْا عَلَی الْقَرْیَةِ الَّتِیْۤ اُمْطِرَتْ مَطَرَ السَّوْءِ ؕ— اَفَلَمْ یَكُوْنُوْا یَرَوْنَهَا ۚ— بَلْ كَانُوْا لَا یَرْجُوْنَ نُشُوْرًا ۟
और निश्चय ही ये लोग[21] उस बस्ती[22] पर आ चुके हैं, जिसपर बुरी वर्षा की गई। तो क्या ये लोग उसे देखा नहीं करते थे? बल्कि ये लोग पुनः जीवित करके उठाए जाने की आशा नहीं रखते थे।
21. अर्थात मक्का के मुश्रिक। 22. अर्थात लूत जाति की बस्ती पर, जिसका नाम "सदूम" था, जिसपर पत्थरों की वर्षा हुई। फिर भी शिक्षा ग्रहण नहीं की।
Ərəbcə təfsirlər:
وَاِذَا رَاَوْكَ اِنْ یَّتَّخِذُوْنَكَ اِلَّا هُزُوًا ؕ— اَهٰذَا الَّذِیْ بَعَثَ اللّٰهُ رَسُوْلًا ۟
और जब वे आपको देखते हैं, तो आपका मज़ाक़ बना लेते हैं (और कहते हैं :) क्या यही है, जिसे अल्लाह ने रसूल बनाकर भेजा है?!
Ərəbcə təfsirlər:
اِنْ كَادَ لَیُضِلُّنَا عَنْ اٰلِهَتِنَا لَوْلَاۤ اَنْ صَبَرْنَا عَلَیْهَا ؕ— وَسَوْفَ یَعْلَمُوْنَ حِیْنَ یَرَوْنَ الْعَذَابَ مَنْ اَضَلُّ سَبِیْلًا ۟
निःसंदेह यह तो क़रीब था कि हमें हमारे पूज्यों से भटका ही देता, यदि हम उनपर अडिग न रहते। और शीघ्र ही वे जान लेंगे, जब वे यातना देखेंगे, कि मार्ग से अधिक पथभ्रष्ट कौन है?
Ərəbcə təfsirlər:
اَرَءَیْتَ مَنِ اتَّخَذَ اِلٰهَهٗ هَوٰىهُ ؕ— اَفَاَنْتَ تَكُوْنُ عَلَیْهِ وَكِیْلًا ۟ۙ
क्या आपने उस व्यक्ति को देखा, जिसने अपनी इच्छा को अपना पूज्य बना लिया, तो क्या आप उसके संरक्षक[23] होंगे?
23. अर्थात उसे सुपथ दर्शा सकते हैं?
Ərəbcə təfsirlər:
اَمْ تَحْسَبُ اَنَّ اَكْثَرَهُمْ یَسْمَعُوْنَ اَوْ یَعْقِلُوْنَ ؕ— اِنْ هُمْ اِلَّا كَالْاَنْعَامِ بَلْ هُمْ اَضَلُّ سَبِیْلًا ۟۠
क्या आप समझते हैं कि उनमें से अधिकांश वास्तव में सुनते हैं या समझते हैं? वे तो चौपायों के समान हैं, बल्कि उनसे भी अधिक पथभ्रष्ट हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
اَلَمْ تَرَ اِلٰی رَبِّكَ كَیْفَ مَدَّ الظِّلَّ ۚ— وَلَوْ شَآءَ لَجَعَلَهٗ سَاكِنًا ۚ— ثُمَّ جَعَلْنَا الشَّمْسَ عَلَیْهِ دَلِیْلًا ۟ۙ
क्या आपने अपने रब को नहीं देखा कि उसने किस तरह छाया को फैला दिया? और यदि वह चाहता, तो उसे अवश्य स्थिर[24] कर देता। फिर हमने सूर्य को उसका पता[25] बताने वाला बनाया।
24. अर्थात सदा छाया ही रहती। 25. अर्थात छाया सूर्य के साथ फैलती तथा सिमटती है। और यह अल्लाह के सामर्थ्य तथा उसके एकमात्र पूज्य होने का प्रामाण है।
Ərəbcə təfsirlər:
ثُمَّ قَبَضْنٰهُ اِلَیْنَا قَبْضًا یَّسِیْرًا ۟
फिर हम उस (छाया) को अपनी ओर धीरे-धीरे समेट लेते हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
وَهُوَ الَّذِیْ جَعَلَ لَكُمُ الَّیْلَ لِبَاسًا وَّالنَّوْمَ سُبَاتًا وَّجَعَلَ النَّهَارَ نُشُوْرًا ۟
और वही है, जिसने तुम्हारे लिए रात्रि[26] को वस्त्र बनाया तथा नींद को विश्राम तथा दिन को उठ खड़े होने का समय बनाया।
26. अर्थात रात्रि का अँधेरा वस्त्र के समान सबको छिपा लेता है।
Ərəbcə təfsirlər:
وَهُوَ الَّذِیْۤ اَرْسَلَ الرِّیٰحَ بُشْرًاۢ بَیْنَ یَدَیْ رَحْمَتِهٖ ۚ— وَاَنْزَلْنَا مِنَ السَّمَآءِ مَآءً طَهُوْرًا ۟ۙ
तथा वही है जिसने हवाओं को अपनी रहमत से पहले शुभ सूचना बनाकर भेजा। और हमने आसमान से पाक करने वाला पानी उतारा।
Ərəbcə təfsirlər:
لِّنُحْیِ بِهٖ بَلْدَةً مَّیْتًا وَّنُسْقِیَهٗ مِمَّا خَلَقْنَاۤ اَنْعَامًا وَّاَنَاسِیَّ كَثِیْرًا ۟
ताकि उसके द्वारा मृत भू-भाग को जीवन प्रदान करें तथा उसे अपनी पैदा की हुई चीज़ों में से बहुत से जानवरों और मनुष्यों के पीने के लिए उपलब्ध कराएँ।
Ərəbcə təfsirlər:
وَلَقَدْ صَرَّفْنٰهُ بَیْنَهُمْ لِیَذَّكَّرُوْا ۖؗ— فَاَبٰۤی اَكْثَرُ النَّاسِ اِلَّا كُفُوْرًا ۟
निःसंदेह हमने उसे उनके दरमियान विभिन्न ढंग से वर्णन किया, ताकि वे उपदेश ग्रहण करें। परंतु अधिकतर लोगों ने इनकार और नाशुक्री ही की नीति अपनाई।
Ərəbcə təfsirlər:
وَلَوْ شِئْنَا لَبَعَثْنَا فِیْ كُلِّ قَرْیَةٍ نَّذِیْرًا ۟ؗۖ
और यदि हम चाहते, तो अवश्य प्रत्येक बस्ती में एक डराने वाला[27] भेज देते।
27. अर्थात रसूल। इसमें यह संकेत है कि मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पूरी मानवजाति के लिए अंतिम रसूल हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
فَلَا تُطِعِ الْكٰفِرِیْنَ وَجَاهِدْهُمْ بِهٖ جِهَادًا كَبِیْرًا ۟
अतः आप काफ़िरों की बात न मानें और इस (क़ुरआन) के द्वारा उनसे बड़ा जिहाद[28] करें।
28. अर्थात क़ुरआन के प्रचार-प्रसार के लिए भरपूर प्रयास करें।
Ərəbcə təfsirlər:
وَهُوَ الَّذِیْ مَرَجَ الْبَحْرَیْنِ هٰذَا عَذْبٌ فُرَاتٌ وَّهٰذَا مِلْحٌ اُجَاجٌ ۚ— وَجَعَلَ بَیْنَهُمَا بَرْزَخًا وَّحِجْرًا مَّحْجُوْرًا ۟
वही है जिसने दो सागरों को मिला दिया। यह मीठा, प्यास बुझाने वाला है और यह खारा, कड़वा है। और उसने उन दोनों के बीच एक परदा[29] और मज़बूत आड़ बना दी।
29. ताकि एक का पानी और स्वाद दूसरे में न मिले।
Ərəbcə təfsirlər:
وَهُوَ الَّذِیْ خَلَقَ مِنَ الْمَآءِ بَشَرًا فَجَعَلَهٗ نَسَبًا وَّصِهْرًا ؕ— وَكَانَ رَبُّكَ قَدِیْرًا ۟
तथा वही है, जिसने पानी (वीर्य) से एक मनुष्य को पैदा किया। फिर उसके ख़ानदानी तथा ससुरालाी संबंध बना दिए। और आपका पालनहार बड़ा ही सामर्थ्यवान् है।
Ərəbcə təfsirlər:
وَیَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا یَنْفَعُهُمْ وَلَا یَضُرُّهُمْ ؕ— وَكَانَ الْكَافِرُ عَلٰی رَبِّهٖ ظَهِیْرًا ۟
और वे अल्लाह के सिवा उस चीज़ की इबादत करते हैं, जो न उन्हें फ़ायदा पहुँचाती है और न नुक़सान पहुँचाती है और काफ़िर हमेशा अपने पालनहार के विरुद्ध मदद करने वाला है।
Ərəbcə təfsirlər:
وَمَاۤ اَرْسَلْنٰكَ اِلَّا مُبَشِّرًا وَّنَذِیْرًا ۟
तथा हमने आपको केवल शुभ-सूचना देने वाला और सावधान करने वाला बनाकर भेजा है।
Ərəbcə təfsirlər:
قُلْ مَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ اِلَّا مَنْ شَآءَ اَنْ یَّتَّخِذَ اِلٰی رَبِّهٖ سَبِیْلًا ۟
आप कह दें : मैं तुमसे इसपर[30] कोई बदला नहीं माँगता, सिवाय इसके कि जो चाहे अपने पालनहार की ओर मार्ग अपना ले।
30. अर्थात क़ुरआन पहुँचाने पर।
Ərəbcə təfsirlər:
وَتَوَكَّلْ عَلَی الْحَیِّ الَّذِیْ لَا یَمُوْتُ وَسَبِّحْ بِحَمْدِهٖ ؕ— وَكَفٰی بِهٖ بِذُنُوْبِ عِبَادِهٖ خَبِیْرَا ۟
तथा उस सदा जीवंत पर भरोसा कीजिए, जो कभी नहीं मरेगा। और उसकी प्रशंसा के साथ पवित्रता का गान कीजिए। और वह अपने बंदों के गुनाहों की पूरी ख़बर रखने वाला काफ़ी है।
Ərəbcə təfsirlər:
١لَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَیْنَهُمَا فِیْ سِتَّةِ اَیَّامٍ ثُمَّ اسْتَوٰی عَلَی الْعَرْشِ ۛۚ— اَلرَّحْمٰنُ فَسْـَٔلْ بِهٖ خَبِیْرًا ۟
जिसने आकाशों तथा धरती को और जो कुछ उनके बीच है, छह दिनों में पैदा किया, फिर अर्श (सिंहासन) पर बुलंद हुआ। (वह) बहुत दयालु है। अतः उसके बारे में किसी पूर्ण जानकार से पूछिए।
Ərəbcə təfsirlər:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمُ اسْجُدُوْا لِلرَّحْمٰنِ ۚ— قَالُوْا وَمَا الرَّحْمٰنُ ۗ— اَنَسْجُدُ لِمَا تَاْمُرُنَا وَزَادَهُمْ نُفُوْرًا ۟
और जब उनसे कहा जाता है कि 'रह़मान' (अत्यंत दयावान्) को सजदा करो, तो कहते हैं कि 'रह़मान' क्या है? क्या हम उसे सजदा करें, जिसके लिए तू हमें आदेश देता है? और यह बात उन्हें बिदकने में और बढ़ा देती है।
Ərəbcə təfsirlər:
تَبٰرَكَ الَّذِیْ جَعَلَ فِی السَّمَآءِ بُرُوْجًا وَّجَعَلَ فِیْهَا سِرٰجًا وَّقَمَرًا مُّنِیْرًا ۟
बहुत बरकत वाला है वह, जिसने आकाश में बुर्ज (नक्षत्र) बनाए तथा उसमें एक चिराग़ (सूर्य) और एक रोशनी देने वाला चाँद बनाया।
Ərəbcə təfsirlər:
وَهُوَ الَّذِیْ جَعَلَ الَّیْلَ وَالنَّهَارَ خِلْفَةً لِّمَنْ اَرَادَ اَنْ یَّذَّكَّرَ اَوْ اَرَادَ شُكُوْرًا ۟
और वही है जिसने रात तथा दिन को एक-दूसरे के पीछे आने वाला बनाया, उसके लिए जो उपदेश ग्रहण करना चाहे, या शुक्र करना चाहे।
Ərəbcə təfsirlər:
وَعِبَادُ الرَّحْمٰنِ الَّذِیْنَ یَمْشُوْنَ عَلَی الْاَرْضِ هَوْنًا وَّاِذَا خَاطَبَهُمُ الْجٰهِلُوْنَ قَالُوْا سَلٰمًا ۟
और 'रह़मान' के बंदे वे हैं, जो धरती पर विनम्रता[31] से चलते हैं और जब जाहिल (अक्खड़) लोग उनसे बात करते हैं, तो कहते हैं सलाम है।[32]
31. अर्थात घमंड से अकड़कर नहीं चलते। 32. अर्थात उनसे उलझते नहीं।
Ərəbcə təfsirlər:
وَالَّذِیْنَ یَبِیْتُوْنَ لِرَبِّهِمْ سُجَّدًا وَّقِیَامًا ۟
और जो अपने पालनहार के लिए सजदा करते हुए तथा खड़े होकर[33] रात गुज़ारते हैं।
33. अर्थात अल्लाह की इबादत करते हुए।
Ərəbcə təfsirlər:
وَالَّذِیْنَ یَقُوْلُوْنَ رَبَّنَا اصْرِفْ عَنَّا عَذَابَ جَهَنَّمَ ۖۗ— اِنَّ عَذَابَهَا كَانَ غَرَامًا ۟ۗۖ
तथा जो कहते हैं कि ऐ हमारे पालनहार! हमसे जहन्नम की यातना को हटा दे। निःसंदेह उसकी यातना चिमट जाने वाली है।
Ərəbcə təfsirlər:
اِنَّهَا سَآءَتْ مُسْتَقَرًّا وَّمُقَامًا ۟
निःसंदेह वह बुरी ठहरने की जगह और निवास की जगह है।
Ərəbcə təfsirlər:
وَالَّذِیْنَ اِذَاۤ اَنْفَقُوْا لَمْ یُسْرِفُوْا وَلَمْ یَقْتُرُوْا وَكَانَ بَیْنَ ذٰلِكَ قَوَامًا ۟
तथा वे लोग कि जब खर्च करते हैं, तो न फ़िज़ूल-खर्ची करते है और न ख़र्च करने में तंगी करते हैं, और (उनका ख़र्च) इसके बीच में मध्यम होता है।
Ərəbcə təfsirlər:
وَالَّذِیْنَ لَا یَدْعُوْنَ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ وَلَا یَقْتُلُوْنَ النَّفْسَ الَّتِیْ حَرَّمَ اللّٰهُ اِلَّا بِالْحَقِّ وَلَا یَزْنُوْنَ ۚؕ— وَمَنْ یَّفْعَلْ ذٰلِكَ یَلْقَ اَثَامًا ۟ۙ
और जो अल्लाह के साथ किसी दूसरे पूज्य[34] को नहीं पुकारते, और न उस प्राण को क़त्ल करते हैं, जिसे अल्लाह ने ह़राम ठहराया है परंतु हक़ के साथ और न व्यभिचार करते हैं। और जो ऐसा करेगा, वह पाप का भागी बनेगा।
34. अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि मैंने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रश्न किया कि कौन सा पाप सबसे बड़ा है? फरमाया : यह कि तुम अल्लाह का साझी बनाओ जब कि उसने तुम्हें पैदा किया है। मैंने कहा : फिर कौन सा? फरमाया : अपनी संतान को इस भय से मार दो कि वह तुम्हारे साथ खाएगी। मैंने कहा : फिर कौन सा? फरमाया : अपने पड़ोसी की पत्नी से व्यभिचार करना। यह आयत इसी पर उतरी। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 4761)
Ərəbcə təfsirlər:
یُّضٰعَفْ لَهُ الْعَذَابُ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ وَیَخْلُدْ فِیْهٖ مُهَانًا ۟ۗۖ
क़ियामत के दिन उसकी यातना दुगुनी कर दी जाएगी और वह अपमानित[35] होकर उसमें हमेशा रहेगा।
35. इब्ने अब्बास ने कहा : जब यह आयत उतरी, तो मक्का वासियों ने कहा : हमने अल्लाह का साझी बनाया है और अवैध जान भी मारी है तथा व्यभिचार भी किया है। तो अल्लाह ने यह आयत उतारी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4765)
Ərəbcə təfsirlər:
اِلَّا مَنْ تَابَ وَاٰمَنَ وَعَمِلَ عَمَلًا صَالِحًا فَاُولٰٓىِٕكَ یُبَدِّلُ اللّٰهُ سَیِّاٰتِهِمْ حَسَنٰتٍ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟
परंतु जिसने तौबा कर ली और ईमान ले आया और अच्छे काम किए, तो ये लोग हैं जिनके बुरे कामों को अल्लाह नेकियों में बदल देगा और अल्लाह हमेशा बहुत बख़्शने वाला, अत्यंत दयावान् है।
Ərəbcə təfsirlər:
وَمَنْ تَابَ وَعَمِلَ صَالِحًا فَاِنَّهٗ یَتُوْبُ اِلَی اللّٰهِ مَتَابًا ۟
और जो तौबा कर ले और नेक काम करे, तो निश्चय ही वह अल्लाह की ओर सच्चे तौर पर पलटता है।
Ərəbcə təfsirlər:
وَالَّذِیْنَ لَا یَشْهَدُوْنَ الزُّوْرَ ۙ— وَاِذَا مَرُّوْا بِاللَّغْوِ مَرُّوْا كِرَامًا ۟
तथा जो झूठ में भाग नहीं लेते और जब व्यर्थ के काम के पास से गुज़रते हैं, तो सज्जन बनकर गुज़र जाते हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
وَالَّذِیْنَ اِذَا ذُكِّرُوْا بِاٰیٰتِ رَبِّهِمْ لَمْ یَخِرُّوْا عَلَیْهَا صُمًّا وَّعُمْیَانًا ۟
और वे लोग कि जब उन्हें उनके पालनहार की आयतों के साथ नसीहत की जाए, तो उनपर बहरे तथा अंधे होकर[36] नहीं गिरते।
36. अर्थात आयतों में सोच-विचार करते हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
وَالَّذِیْنَ یَقُوْلُوْنَ رَبَّنَا هَبْ لَنَا مِنْ اَزْوَاجِنَا وَذُرِّیّٰتِنَا قُرَّةَ اَعْیُنٍ وَّاجْعَلْنَا لِلْمُتَّقِیْنَ اِمَامًا ۟
तथा जो कहते हैं : ऐ हमारे पालनहार! हमें हमारी पत्नियों तथा संतानों से आँखों की ठंडक प्रदान कर और हमें परहेज़गारों का 'इमाम' बना दे।
Ərəbcə təfsirlər:
اُولٰٓىِٕكَ یُجْزَوْنَ الْغُرْفَةَ بِمَا صَبَرُوْا وَیُلَقَّوْنَ فِیْهَا تَحِیَّةً وَّسَلٰمًا ۟ۙ
यही वे लोग हैं, जिन्हें उनके धैर्य के बदले में उच्च भवन दिया जाएगा और उसमें जीवन की प्रार्थना और अभिवादन के साथ उनका स्वागत किया जाएगा।
Ərəbcə təfsirlər:
خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ؕ— حَسُنَتْ مُسْتَقَرًّا وَّمُقَامًا ۟
वे उसमें हमेशा रहने वाले हैं। वह ठहरने और रहने का अच्छा स्थान है!
Ərəbcə təfsirlər:
قُلْ مَا یَعْبَؤُا بِكُمْ رَبِّیْ لَوْلَا دُعَآؤُكُمْ ۚ— فَقَدْ كَذَّبْتُمْ فَسَوْفَ یَكُوْنُ لِزَامًا ۟۠
(ऐ नबी!) कह दें : मेरे पालनहार को तुम्हारी कोई परवाह नहीं, यदि तुम (उसे) न पुकारो।[37] क्योंकि निश्चय ही तुमने झुठलाया है, तो शीघ्र (उसका परिणाम) आ जाएगा।
37. अर्थात उससे प्रार्थना तथा उसकी इबादत न करो।
Ərəbcə təfsirlər:
 
Mənaların tərcüməsi Surə: əl-Furqan
Surələrin mündəricatı Səhifənin rəqəmi
 
Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - Hind dilinə tərcümə - Tərcumənin mündəricatı

Qurani Kərimin Hind dilinə mənaca tərcüməsi. Tərcüməçi: Əzizul Haqq Əl-Öməri.

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