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ترجمهٔ معانی آیه: (10) سوره: سوره احقاف
قُلْ اَرَءَیْتُمْ اِنْ كَانَ مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ وَكَفَرْتُمْ بِهٖ وَشَهِدَ شَاهِدٌ مِّنْ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ عَلٰی مِثْلِهٖ فَاٰمَنَ وَاسْتَكْبَرْتُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟۠
आप कह दें : क्या तुमने देखा? यदि यह (क़ुरआन) अल्लाह की ओर से हुआ और तुमने उसका इनकार कर दिया, जबकि बनी इसराईल में से एक गवाही देने वाले ने उस जैसे की गवाही दी।[7] फिर वह ईमान ले आया और तुम घमंड करते रहे (तो तुम्हारा क्या परिणाम होगा?)। बेशक अल्लाह ज़ालिमों को हिदायत नहीं देता।[8]
7. जैसे इसराईली विद्वान अब्दुल्लाह बिन सलाम ने इसी क़ुरआन जैसी बात के तौरात में होने की गवाही दी कि तौरात में मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के नबी होने का वर्णन है। और वह आप पर ईमान भी लाए। (सह़ीह़ बुख़ारी : 3813, सह़ीह़ मुस्लिम : 2484) 8. अर्थात अत्याचारियों को उनके अत्याचार के कारण कुपथ ही में रहने देता है, ज़बरदस्ती किसी को सीधी राह पर नहीं चलाता।
تفسیرهای عربی:
 
ترجمهٔ معانی آیه: (10) سوره: سوره احقاف
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ترجمهٔ معانی قرآن کریم به هندی. ترجمهٔ عزیر الحق عمری.

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