ترجمهٔ معانی قرآن کریم - ترجمه ى هندى * - لیست ترجمه ها

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ترجمهٔ معانی سوره: سوره تغابن   آیه:

सूरा अत्-तग़ाबुन

یُسَبِّحُ لِلّٰهِ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ۚ— لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ ؗ— وَهُوَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
अल्लाह की पवित्रता का वर्णन करती है प्रत्येक चीज़, जो आकाशों में है तथा जो धरती में है। उसी का राज्य है और उसी की सब प्रशंसा है तथा वह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।
تفسیرهای عربی:
هُوَ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ فَمِنْكُمْ كَافِرٌ وَّمِنْكُمْ مُّؤْمِنٌ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
वही है जिसने तुम्हें पैदा किया। फिर तुममें से कोई काफ़िर है और तुममें से कोई ईमान वाला है। तथा तुम जो कुछ भी करते हो, अल्लाह उसे खूब देखने वाला है।[1]
1. देखने का अर्थ कर्मों के अनुसार बदला देना है।
تفسیرهای عربی:
خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّ وَصَوَّرَكُمْ فَاَحْسَنَ صُوَرَكُمْ ۚ— وَاِلَیْهِ الْمَصِیْرُ ۟
उसने आकाशों तथा धरती को सत्य के साथ पैदा किया। तथा उसने तुम्हारे रूप बनाए, तो तुम्हारे रूप अच्छे बनाए। और उसी की ओर लौटकर जाना है।[2]
2. अर्थात प्रलय के दिन कर्मों का प्रतिफल पाने के लिए।
تفسیرهای عربی:
یَعْلَمُ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَیَعْلَمُ مَا تُسِرُّوْنَ وَمَا تُعْلِنُوْنَ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌۢ بِذَاتِ الصُّدُوْرِ ۟
वह जानता है जो कुछ आकाशों और धरती में है। तथा वह जानता है जो कुछ तुम छिपाते हो और जो कुछ तुम प्रकट करते हो। और अल्लाह दिलों के भेद को भली-भाँति जानने वाला है।
تفسیرهای عربی:
اَلَمْ یَاْتِكُمْ نَبَؤُا الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَبْلُ ؗ— فَذَاقُوْا وَبَالَ اَمْرِهِمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
क्या तुम्हारे पास उन लोगों की खबर नहीं आई, जिन्होंने इससे पहले कुफ़्र किया। फिर उन्होंने अपने कर्म का दुष्परिणाम चखा? और उनके लिए दुःखदायी यातना है।[3]
3. अर्थात परलोक में नरक की यातना।
تفسیرهای عربی:
ذٰلِكَ بِاَنَّهٗ كَانَتْ تَّاْتِیْهِمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ فَقَالُوْۤا اَبَشَرٌ یَّهْدُوْنَنَا ؗ— فَكَفَرُوْا وَتَوَلَّوْا وَّاسْتَغْنَی اللّٰهُ ؕ— وَاللّٰهُ غَنِیٌّ حَمِیْدٌ ۟
यह इस कारण कि उनके पास उनके रसूल खुली निशानियाँ लेकर आते थे। तो उन्होंने कहा : क्या मनुष्य हमें मार्गदर्शन[4] करेंगे? चुनाँचे उन्होंने इनकार किया और मुँह फेर लिया। और अल्लाह ने परवाह न की तथा अल्लाह बेनियाज़, सर्व प्रशंसित है।
4. अर्थात रसूल मनुष्य कैसे हो सकता है। यह कितनी विचित्र बात है कि पत्थर की मूर्तियों को तो पूज्य बना लिया जाए, इसी प्रकार मनुष्य को अल्लाह का अवतार और पुत्र बना लिया जाए, पर यदि रसूल सत्य ले कर आए तो उसे न माना जाए। इसका अर्थ यह हुआ कि मनुष्य कुपथ करे तो यह मान्य है, और यदि वह सीधी राह दिखाए तो मान्य नहीं।
تفسیرهای عربی:
زَعَمَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اَنْ لَّنْ یُّبْعَثُوْا ؕ— قُلْ بَلٰی وَرَبِّیْ لَتُبْعَثُنَّ ثُمَّ لَتُنَبَّؤُنَّ بِمَا عَمِلْتُمْ ؕ— وَذٰلِكَ عَلَی اللّٰهِ یَسِیْرٌ ۟
काफ़िरों ने समझ रखा है कि वे कदापि पुनर्जीवित नहीं किए जाएँगे। आप कह दें : क्यों नहीं? मेरे पालनहार की क़सम! निश्चय तुम अवश्य पुनर्जीवित किए जाओगे। फिर निश्चय तुम्हें अवश्य बताया जाएगा कि तुमने (संसार में) क्या किया है तथा यह अल्लाह के लिए अति सरल है।
تفسیرهای عربی:
فَاٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَالنُّوْرِ الَّذِیْۤ اَنْزَلْنَا ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرٌ ۟
अतः तुम ईमान लाओ अल्लाह तथा उसके रसूल[5] पर एवं उस नूर (प्रकाश)[6] पर, जिसे हमने उतारा है। तथा अल्लाह, जो तुम करते हो, उससे भली-भाँति अवगत है।
5. इससे अभिप्राय अंतिम रसूल मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हैं। 6. प्रकाश से अभिप्राय अंतिम ईश-वाणी क़ुरआन है।
تفسیرهای عربی:
یَوْمَ یَجْمَعُكُمْ لِیَوْمِ الْجَمْعِ ذٰلِكَ یَوْمُ التَّغَابُنِ ؕ— وَمَنْ یُّؤْمِنْ بِاللّٰهِ وَیَعْمَلْ صَالِحًا یُّكَفِّرْ عَنْهُ سَیِّاٰتِهٖ وَیُدْخِلْهُ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اَبَدًا ؕ— ذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِیْمُ ۟
जिस दिन वह तुम्हें, एकत्र होने के दिन एकत्रित करेगा, वही दिन है हार जीत का। और जो अल्लाह पर ईमान लाए और सत्कर्म करे, अल्लाह उसकी बुराइयों को उससे दूर कर देगा और उसे ऐसी जन्नतों में दाख़िल करेगा, जिनके नीचे से नहरें बहतीं होंगी। वे वहाँ हमेशा रहेंगे। यही बड़ी सफलता है।
تفسیرهای عربی:
وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَاۤ اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟۠
और जिन लोगों ने कुफ़्र किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही जहन्नम वाले हैं, जो उसमें हमेशा रहने वाले हैं। तथा वह बुरा ठिकाना है।
تفسیرهای عربی:
مَاۤ اَصَابَ مِنْ مُّصِیْبَةٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— وَمَنْ یُّؤْمِنْ بِاللّٰهِ یَهْدِ قَلْبَهٗ ؕ— وَاللّٰهُ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟
कोई भी विपत्ति नहीं पहुँची परंतु अल्लाह की अनुमति से। तथा जो अल्लाह पर ईमान[7] लाए, वह उसके दिल को मार्गदर्शन प्रदान करता[8] है। तथा अल्लाह प्रत्येक वस्तु को भली-भाँति जानने वाला है।
7. अर्थ यह है कि जो व्यक्ति आपदा को यह समझ कर सहन करता है कि अल्लाह ने यही उस के भाग्य में लिखा है। 8. ह़दीस में है कि ईमान वाले की दशा विभिन्न होती है। और उसकी दशा उत्तम ही होती है। जब उसे सुख मिले, तो कृतज्ञ होता है। और दुख हो, तो सहन करता है। और यह उसके लिए उत्तम है। (मुस्लिम :
2999)
تفسیرهای عربی:
وَاَطِیْعُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوا الرَّسُوْلَ ۚ— فَاِنْ تَوَلَّیْتُمْ فَاِنَّمَا عَلٰی رَسُوْلِنَا الْبَلٰغُ الْمُبِیْنُ ۟
तथा अल्लाह का आज्ञापालन करो और रसूल का आज्ञापालन करो। फिर यदि तुम विमुख हुए, तो हमारे रसूल का दायित्व केवल स्पष्ट रूप से पहुँचा देना है।
تفسیرهای عربی:
اَللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— وَعَلَی اللّٰهِ فَلْیَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ۟
अल्लाह वह है, जिसके सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं है। अतः, ईमान वालों को अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए।
تفسیرهای عربی:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنَّ مِنْ اَزْوَاجِكُمْ وَاَوْلَادِكُمْ عَدُوًّا لَّكُمْ فَاحْذَرُوْهُمْ ۚ— وَاِنْ تَعْفُوْا وَتَصْفَحُوْا وَتَغْفِرُوْا فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
ऐ ईमान वालो! निःसंदेह तुम्हारी पत्नियों और तुम्हारी संतान में से कुछ तुम्हारे शत्रु[9] हैं। अतः उनसे सावधान रहो। और यदि तुम माफ़ करो तथा दरगुज़र करो और क्षमा कर दो, तो निःसंदेह अल्लाह अति क्षमाशील, अत्यंत दयावान् है।
9. अर्थात जो तुम्हें सत्कर्म एवं अल्लाह के आज्ञापालन से रोकते हों, फिर भी उनका सुधार करने और क्षमा करने का निर्देश दिया गया है।
تفسیرهای عربی:
اِنَّمَاۤ اَمْوَالُكُمْ وَاَوْلَادُكُمْ فِتْنَةٌ ؕ— وَاللّٰهُ عِنْدَهٗۤ اَجْرٌ عَظِیْمٌ ۟
निःसंदेह तुम्हारे धन और तुम्हारी संतान एक परीक्षा हैं तथा अल्लाह ही के पास बड़ा प्रतिफल[10] है।
10. भावार्थ यह है कि धन और संतान के मोह में अल्लाह की अवज्ञा न करो।
تفسیرهای عربی:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ مَا اسْتَطَعْتُمْ وَاسْمَعُوْا وَاَطِیْعُوْا وَاَنْفِقُوْا خَیْرًا لِّاَنْفُسِكُمْ ؕ— وَمَنْ یُّوْقَ شُحَّ نَفْسِهٖ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟
अतः अल्लाह से डरते रहो, जितना तुमसे हो सके, तथा सुनो और आज्ञापालन करो और खर्च करो। यह तुम्हारे लिए उत्तम है। तथा जो अपने मन की कंजूसी (लालच) से बचा लिया जाए, तो वही लोग सफल होने वाले हैं।
تفسیرهای عربی:
اِنْ تُقْرِضُوا اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا یُّضٰعِفْهُ لَكُمْ وَیَغْفِرْ لَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ شَكُوْرٌ حَلِیْمٌ ۟ۙ
यदि तुम अल्लाह को उत्तम ऋण[11] दोगो, तो वह उसे तुम्हारे लिए कई गुना कर देगा और तुम्हें क्षमा कर देगा और अल्लाह बड़ा गुणग्राही, अपार सहनशील है।
11. ऋण से अभिप्राय अल्लाह की राह में दान करना है।
تفسیرهای عربی:
عٰلِمُ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟۠
वह हर परोक्ष और प्रत्यक्ष को जानने वाला, सब पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
تفسیرهای عربی:
 
ترجمهٔ معانی سوره: سوره تغابن
فهرست سوره ها شماره صفحه
 
ترجمهٔ معانی قرآن کریم - ترجمه ى هندى - لیست ترجمه ها

ترجمهٔ معانی قرآن کریم به هندی. ترجمهٔ عزیر الحق عمری.

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