Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Firo enndiiwo * - Tippudi firooji ɗii

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Firo maanaaji Simoore: Simlore ñiiwo (al-fiil)   Aaya:

सूरा अल्-फ़ील

اَلَمْ تَرَ كَیْفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِاَصْحٰبِ الْفِیْلِ ۟ؕ
क्या तुमने नहीं देखा कि तुम्हारे पालनहार ने हाथी वालों के साथ किस तरह किया?
Faccirooji aarabeeji:
اَلَمْ یَجْعَلْ كَیْدَهُمْ فِیْ تَضْلِیْلٍ ۟ۙ
क्या उसने उनकी चाल को विफल नहीं कर दिया?
Faccirooji aarabeeji:
وَّاَرْسَلَ عَلَیْهِمْ طَیْرًا اَبَابِیْلَ ۟ۙ
और उनपर झुंड के झुंड पक्षी भेजे।
Faccirooji aarabeeji:
تَرْمِیْهِمْ بِحِجَارَةٍ مِّنْ سِجِّیْلٍ ۟ۙ
जो उनपर पकी हुई मिट्टी (खंगर) की कंकड़ियाँ फेंक रहे थे।
Faccirooji aarabeeji:
فَجَعَلَهُمْ كَعَصْفٍ مَّاْكُوْلٍ ۟۠
तो उसने उन्हें खाए हुए भूसे की तरह कर दिया।[1]
1. (1-5) इस सूरत का लक्ष्य यह बताना है कि काबा को आक्रमण से बचाने के लिए तुम्हारे देवी-देवता कुछ काम न आए। क़ुरैश के प्रमुखों ने अल्लाह ही से दुआ की थी और उनपर इसका इतना प्रभाव पड़ा था कि कई वर्षों तक साधारण नागरिकों तक ने भी अल्लाह के सिवा किसी की पूजा नहीं की थी। यह बात नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पैदाइश से कुछ पहले की थी और वहाँ बहुत सारे लोग अभी जीवित थे जिन्होंने यह चित्र अपने नेत्रों से देखा था। अतः उनसे यह कहा जा रहा है कि मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जो आमंत्रण दे रहे हैं वह यही तो है कि अल्लाह के सिवाय किसी की पूजा न की जाए, और इसको दबाने का परिणाम वही हो सकता है जो हाथी वालों का हुआ। (इब्ने कसीर)
Faccirooji aarabeeji:
 
Firo maanaaji Simoore: Simlore ñiiwo (al-fiil)
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Firo Maanaaji Al-quraan tedduɗ oo e ɗemngal enndo, firi ɗum ko Asiis Al-haq Al-umri

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