Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Firo enndiiwo * - Tippudi firooji ɗii

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Firo maanaaji Simoore: Simoore manaango (rigaango)   Aaya:

सूरा अर्-रअ़्द

الٓمّٓرٰ ۫— تِلْكَ اٰیٰتُ الْكِتٰبِ ؕ— وَالَّذِیْۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ مِنْ رَّبِّكَ الْحَقُّ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ रा॰। ये पूर्ण पुस्तक (क़ुरआन) की आयतें हैं। और जो कुछ (ऐ नबी!) आपपर, आपके पालनहार की ओर से उतारा गया है, सर्वथा सत्य है। परंतु अधिकतर लोग ईमान (विश्वास) नहीं लाते।
Faccirooji aarabeeji:
اَللّٰهُ الَّذِیْ رَفَعَ السَّمٰوٰتِ بِغَیْرِ عَمَدٍ تَرَوْنَهَا ثُمَّ اسْتَوٰی عَلَی الْعَرْشِ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ ؕ— كُلٌّ یَّجْرِیْ لِاَجَلٍ مُّسَمًّی ؕ— یُدَبِّرُ الْاَمْرَ یُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ لَعَلَّكُمْ بِلِقَآءِ رَبِّكُمْ تُوْقِنُوْنَ ۟
अल्लाह वह है, जिसने आकाशों को बिना स्तंभों के ऊँचा किया, जिन्हें तुम देखते हो। फिर वह अर्श (सिंहासन) पर बुलंद हुआ। तथा सूरज और चाँद को वशीभूत किया। प्रत्येक एक नियत समय के लिए चल रहा है। वह हर काम की व्यवस्था करता है। वह निशानियों को विस्तार से बयान करता है, ताकि तुम अपने पालनहार से मिलने का विश्वास कर लो।
Faccirooji aarabeeji:
وَهُوَ الَّذِیْ مَدَّ الْاَرْضَ وَجَعَلَ فِیْهَا رَوَاسِیَ وَاَنْهٰرًا ؕ— وَمِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ جَعَلَ فِیْهَا زَوْجَیْنِ اثْنَیْنِ یُغْشِی الَّیْلَ النَّهَارَ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّتَفَكَّرُوْنَ ۟
तथा वही है, जिसने धरती को फैलाया और उसमें पर्वत और नदियाँ बनाईं और प्रत्येक फल के दो-दो प्रकार बनाए। वह रात को दिन पर उढ़ा देता है। निःसंदेह इसमें उन लोगों के लिए निश्चय बहुत-सी निशानियाँ हैं, जो सोच-विचार करते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَفِی الْاَرْضِ قِطَعٌ مُّتَجٰوِرٰتٌ وَّجَنّٰتٌ مِّنْ اَعْنَابٍ وَّزَرْعٌ وَّنَخِیْلٌ صِنْوَانٌ وَّغَیْرُ صِنْوَانٍ یُّسْقٰی بِمَآءٍ وَّاحِدٍ ۫— وَنُفَضِّلُ بَعْضَهَا عَلٰی بَعْضٍ فِی الْاُكُلِ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّعْقِلُوْنَ ۟
और धरती में आपस में मिले हुए विभिन्न खंड हैं, तथा अंगूरों के बाग़, खेती और खजूर के पेड़ हैं, कई तनों वाले और एक तने वाले, जो एक ही जल से सींचे जाते हैं, और हम उनमें से कुछ को स्वाद आदि में कुछ से बढ़ा देते हैं। निःसंदेह इसमें उन लोगों के लिए निश्चय बहुत-सी निशानियाँ हैं, जो सूझ-बूझ रखते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِنْ تَعْجَبْ فَعَجَبٌ قَوْلُهُمْ ءَاِذَا كُنَّا تُرٰبًا ءَاِنَّا لَفِیْ خَلْقٍ جَدِیْدٍ ؕ۬— اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ الْاَغْلٰلُ فِیْۤ اَعْنَاقِهِمْ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
तथा यदि आप आश्चर्य करते हैं, तो उनका यह कहना[1] बुत आश्चर्यपूर्ण है कि क्या जब हम मिट्टी हो जाएँगे, तो क्या वास्तव में हम निश्चय एक नया जीवन पाएँगे। यही लोग हैं जिन्होंने अपने पालनहार के साथ कुफ़्र किया, तथा यही हैं जिनकी गर्दनों में तौक़ होंगे और यही नरक वाले हैं, वे उसमें सदैव रहने वाले हैं।
1. क्योंकि कि वे जानते हैं कि बीज धरती में सड़ कर मिल जाता है, फिर उससे पौधा उगता है।
Faccirooji aarabeeji:
وَیَسْتَعْجِلُوْنَكَ بِالسَّیِّئَةِ قَبْلَ الْحَسَنَةِ وَقَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهِمُ الْمَثُلٰتُ ؕ— وَاِنَّ رَبَّكَ لَذُوْ مَغْفِرَةٍ لِّلنَّاسِ عَلٰی ظُلْمِهِمْ ۚ— وَاِنَّ رَبَّكَ لَشَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
और वे आपसे भलाई (रहमत) से पहले बुराई (यातना) को जल्दी माँगते हैं। जबकि इनसे पहले कई शिक्षाप्रद यातनाएँ गुज़र चुकी हैं। और निःसंदेह आपका पालनहार निश्चय लोगों को उनके अत्याचार के बावजूद बहुत क्षमा करने वाला है। तथा निःसंदेह आपका पालनहार निश्चय कड़ी यातना देने वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
وَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَوْلَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْهِ اٰیَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ ؕ— اِنَّمَاۤ اَنْتَ مُنْذِرٌ وَّلِكُلِّ قَوْمٍ هَادٍ ۟۠
तथा जो काफ़िर हो गए, वे कहते हैं : उसपर उसके पालनहार की ओर से कोई निशानी क्यों नहीं उतारी गई?[2] आप तो केवल एक डराने वाले हैं। तथा प्रत्येक जाति के लिए एक मार्गदर्शक है।
2. जिससे स्पष्ट हो जाता कि आप अल्लाह के रसूल हैं।
Faccirooji aarabeeji:
اَللّٰهُ یَعْلَمُ مَا تَحْمِلُ كُلُّ اُ وَمَا تَغِیْضُ الْاَرْحَامُ وَمَا تَزْدَادُ ؕ— وَكُلُّ شَیْءٍ عِنْدَهٗ بِمِقْدَارٍ ۟
अल्लाह जानता है जो हर मादा (अपने पेट में) उठाए हुए है तथा जो कुछ गर्भाशय कम करते हैं और जो ज़्यादा[3] करते हैं। और प्रत्येक चीज़ उसके यहाँ एक अनुमान से है।
3. इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा : ग़ैब (परोक्ष) की कुंजियाँ पाँच हैं, जिन्हें केवल अल्लाह ही जानता है : कल की बात अल्लाह ही जानता है, और गर्भाशय जो कमी करते हैं उसे अल्लाह ही जानता है। वर्षा कब होगी उसे अल्लाह ही जानता है। और कोई प्राणी नहीं जानता कि वह किस धरती पर मरेगा। और न अल्लाह के सिवा कोई यह जानता है कि प्रलय कब आएगी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4697)
Faccirooji aarabeeji:
عٰلِمُ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ الْكَبِیْرُ الْمُتَعَالِ ۟
वह परोक्ष और प्रत्यक्ष को जानने वाला, बहुत बड़ा, अत्यंत ऊँचा है।
Faccirooji aarabeeji:
سَوَآءٌ مِّنْكُمْ مَّنْ اَسَرَّ الْقَوْلَ وَمَنْ جَهَرَ بِهٖ وَمَنْ هُوَ مُسْتَخْفٍ بِالَّیْلِ وَسَارِبٌ بِالنَّهَارِ ۟
तुममें से जो चुपके से बात करे और जो ऊँची आवाज़ में बोले तथा जो रात के अंधेरे में छिपा हुआ है और जो दिन के उजाले में चलने वाला है, (उसके लिए) बराबर है।
Faccirooji aarabeeji:
لَهٗ مُعَقِّبٰتٌ مِّنْ بَیْنِ یَدَیْهِ وَمِنْ خَلْفِهٖ یَحْفَظُوْنَهٗ مِنْ اَمْرِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُغَیِّرُ مَا بِقَوْمٍ حَتّٰی یُغَیِّرُوْا مَا بِاَنْفُسِهِمْ ؕ— وَاِذَاۤ اَرَادَ اللّٰهُ بِقَوْمٍ سُوْٓءًا فَلَا مَرَدَّ لَهٗ ۚ— وَمَا لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ مِنْ وَّالٍ ۟
उसके लिए उसके आगे और उसके पीछे बारी-बारी आने वाले कई पहरेदार (फरिश्ते) हैं, जो अल्लाह के आदेश से उसकी रक्षा करते हैं। निःसंदेह अल्लाह किसी जाति की दशा नहीं बदलता, जब तक वे स्वयं अपनी दशा न बदल लें। तथा जब अल्लाह किसी जाति के साथ बुराई का निश्चय कर ले, तो उसे हटाने का कोई उपाय नहीं, और उसके अलावा उनका कोई सहायक नहीं।
Faccirooji aarabeeji:
هُوَ الَّذِیْ یُرِیْكُمُ الْبَرْقَ خَوْفًا وَّطَمَعًا وَّیُنْشِئُ السَّحَابَ الثِّقَالَ ۟ۚ
वही है जो तुम्हें डराने और आशा[4] दिलाने के लिए बिजली दिखाता है और भारी बादल पैदा करता है।
4. अर्थात वर्षा होने की आशा।
Faccirooji aarabeeji:
وَیُسَبِّحُ الرَّعْدُ بِحَمْدِهٖ وَالْمَلٰٓىِٕكَةُ مِنْ خِیْفَتِهٖ ۚ— وَیُرْسِلُ الصَّوَاعِقَ فَیُصِیْبُ بِهَا مَنْ یَّشَآءُ وَهُمْ یُجَادِلُوْنَ فِی اللّٰهِ ۚ— وَهُوَ شَدِیْدُ الْمِحَالِ ۟ؕ
और बादल की गरज, अल्लाह की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का वर्णन करती है, और फ़रिश्ते भी उसके भय से (उसकी पवित्रता का गुणगान करते हैं)। और वह कड़कने वाली बिजलियाँ भेजता है, फिर उन्हें जिसपर चाहता है, गिरा देता है, जबकि वे अल्लाह के बारे में झगड़ रहे होते हैं, और वह बहुत शक्ति वाला है।[5]
5. अर्थात जैसे कोई प्यासा पानी की ओर हाथ फैलाकर प्रार्थना करे कि मेरे मुँह में आ जा, तो न पानी में सुनने की शक्ति है न उसके मुँह तक पहुँचने की। ऐसे ही काफ़िर, अल्लाह के सिवा जिनको पुकारते हैं, न उनमें सुनने की शक्ति है और न वे उनकी सहायता करने का सामर्थ्य रखते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
لَهٗ دَعْوَةُ الْحَقِّ ؕ— وَالَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا یَسْتَجِیْبُوْنَ لَهُمْ بِشَیْءٍ اِلَّا كَبَاسِطِ كَفَّیْهِ اِلَی الْمَآءِ لِیَبْلُغَ فَاهُ وَمَا هُوَ بِبَالِغِهٖ ؕ— وَمَا دُعَآءُ الْكٰفِرِیْنَ اِلَّا فِیْ ضَلٰلٍ ۟
उसी को पुकारना सत्य है। और जिनको वे उसके सिवा पुकारते हैं, वे उनकी प्रार्थना कुछ भी स्वीकार नहीं करते, परंतु उस व्यक्ति की तरह जो अपनी दोनों हथेलियाँ पानी की ओर फैलाने वाला है, ताकि वह उसके मुँह तक पहुँच जाए, हालाँकि वह उस तक हरगिज़ पहुँचने वाला नहीं। और काफ़िरों की पुकार पूर्णतः व्यर्थ (निष्फल) है।
Faccirooji aarabeeji:
وَلِلّٰهِ یَسْجُدُ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ طَوْعًا وَّكَرْهًا وَّظِلٰلُهُمْ بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ ۟
और आकाशों तथा धरती में जो भी है, अल्लाह ही को सजदा कर रहा है, स्वेच्छा से या अनिच्छा से और उनकी परछाइयाँ[6] भी सुबह और शाम।[7]
6. अर्थात सब उसके स्वभाविक नियम के अधीन हैं। 7. यहाँ सजदा करना चाहिए।
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ مَنْ رَّبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— قُلِ اللّٰهُ ؕ— قُلْ اَفَاتَّخَذْتُمْ مِّنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءَ لَا یَمْلِكُوْنَ لِاَنْفُسِهِمْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّا ؕ— قُلْ هَلْ یَسْتَوِی الْاَعْمٰی وَالْبَصِیْرُ ۙ۬— اَمْ هَلْ تَسْتَوِی الظُّلُمٰتُ وَالنُّوْرُ ۚ۬— اَمْ جَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَآءَ خَلَقُوْا كَخَلْقِهٖ فَتَشَابَهَ الْخَلْقُ عَلَیْهِمْ ؕ— قُلِ اللّٰهُ خَالِقُ كُلِّ شَیْءٍ وَّهُوَ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ ۟
उनसे पूछो : आकाशों तथा धरती का पालनहार कौन है? कह दो : अल्लाह। कहो : फिर क्या तुमने अल्लाह के सिवा उन्हें सहायक बना रखे हैं, जो अपने लिए न किसी लाभ का अधिकार रखते हैं और न किसी हानि का? उनसे कहो : क्या अंधा और देखने वाला बराबर होते हैं? या क्या अँधेरे और प्रकाश बराबर होते हैं?[8] या उन्होंने अल्लाह के लिए कुछ साझी बना लिए हैं, जिन्होंने उसके पैदा करने की तरह पैदा किया है, अतः पैदा करने का मामला उनपर उलझ गया है? आप कह दें : अल्लाह ही प्रत्येक चीज़ को पैदा करने वाला है[9] और वही अकेला, अत्यंत प्रभुत्वशाली है।
8. अँधेरे से अभिप्राय कुफ़्र के अँधेरे, तथा प्रकाश से अभिप्राय ईमान का प्रकाश है। 9. आयत का भावार्थ यह है कि जिसने इस विश्व की प्रत्येक वस्तु की उत्पत्ति की है, वही वास्तविक पूज्य है। और जो स्वयं उत्पत्ति हो वह पूज्य नहीं हो सकता। इस तथ्य को क़ुरआन पाक की और भी कई आयतों में प्रस्तुत किया गया है।
Faccirooji aarabeeji:
اَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً فَسَالَتْ اَوْدِیَةٌ بِقَدَرِهَا فَاحْتَمَلَ السَّیْلُ زَبَدًا رَّابِیًا ؕ— وَمِمَّا یُوْقِدُوْنَ عَلَیْهِ فِی النَّارِ ابْتِغَآءَ حِلْیَةٍ اَوْ مَتَاعٍ زَبَدٌ مِّثْلُهٗ ؕ— كَذٰلِكَ یَضْرِبُ اللّٰهُ الْحَقَّ وَالْبَاطِلَ ؕ۬— فَاَمَّا الزَّبَدُ فَیَذْهَبُ جُفَآءً ۚ— وَاَمَّا مَا یَنْفَعُ النَّاسَ فَیَمْكُثُ فِی الْاَرْضِ ؕ— كَذٰلِكَ یَضْرِبُ اللّٰهُ الْاَمْثَالَ ۟ؕ
उसने आकाश से कुछ पानी उतारा, तो कई नाले अपनी-अपनी समाई के अनुसार बह निकले। फिर (पानी के) रेले ने उभरा हुआ झाग उठा लिया। और जिस चीज़ को वे कोई आभूषण अथवा सामान बनाने के लिए आग में तपाते हैं, उससे भी ऐसा ही झाग उभरता है। इसी प्रकार, अल्लाह सत्य तथा असत्य का उदाहरण प्रस्तुत करता है। फिर जो झाग है, वह सूखकर नष्ट हो जाता है और जो चीज़ लोगों को लाभ पहुँचाती है, वह धरती में रह जाती है। इसी प्रकार, अल्लाह उदाहरण प्रस्तुत करता है।[10]
10. इस उदाहरण में सत्य और असत्य के बीच संघर्ष को दिखाया गया है कि वह़्य द्वारा जो सत्य उतारा गया है, वह वर्षा के समान है। और जो उससे लाभ प्राप्त करते हैं, वह नालों के समान हैं। और सत्य के विरोधी सैलाब के झाग के समान हैं, जो कुछ देर के लिए उभरता है फिर विलय है जाता है। दूसरे उदाहरण में सत्य को सोने और चाँदी के समान बताया गया है जिसे पिघलाने से मैल उभरती है, फिर मैल उड़ती है। इसी प्रकार असत्य विलय हो जाता है और केवल सत्य रह जाता है।
Faccirooji aarabeeji:
لِلَّذِیْنَ اسْتَجَابُوْا لِرَبِّهِمُ الْحُسْنٰی ؔؕ— وَالَّذِیْنَ لَمْ یَسْتَجِیْبُوْا لَهٗ لَوْ اَنَّ لَهُمْ مَّا فِی الْاَرْضِ جَمِیْعًا وَّمِثْلَهٗ مَعَهٗ لَافْتَدَوْا بِهٖ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ سُوْٓءُ الْحِسَابِ ۙ۬— وَمَاْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ؕ— وَبِئْسَ الْمِهَادُ ۟۠
जिन लोगों ने अपने पालनहार की बात स्वीकार कर ली, उन्हीं के लिए भलाई है। और जिन्होंने उसकी बात स्वीकार न की, यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो धरती में हैं और उसके साथ उतना और भी हो, तो वे अवश्य उसे (अल्लाह के दंड से) छुड़ौती में दे दें। यही लोग हैं जिनके लिए बुरा हिसाब है तथा उनका ठिकाना नरक है और वह बुरा ठिकाना है।
Faccirooji aarabeeji:
اَفَمَنْ یَّعْلَمُ اَنَّمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ مِنْ رَّبِّكَ الْحَقُّ كَمَنْ هُوَ اَعْمٰی ؕ— اِنَّمَا یَتَذَكَّرُ اُولُوا الْاَلْبَابِ ۟ۙ
फिर क्या वह व्यक्ति जो जानता है कि जो कुछ आपके पालनहार की ओर से आपपर उतारा गया है, वही सत्य है, उस व्यक्ति के समान है, जो अंधा है? उपदेश तो बुद्धि और समझ वाले ही स्वीकार करते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
الَّذِیْنَ یُوْفُوْنَ بِعَهْدِ اللّٰهِ وَلَا یَنْقُضُوْنَ الْمِیْثَاقَ ۟ۙ
जो अल्लाह के साथ की हुई प्रतिज्ञा[11] को पूरा करते हैं और दृढ़ प्रतिज्ञा को नहीं तोड़ते।
11. भाष्य के लिए देखिए : सूरतुल-आराफ़, आयत : 172
Faccirooji aarabeeji:
وَالَّذِیْنَ یَصِلُوْنَ مَاۤ اَمَرَ اللّٰهُ بِهٖۤ اَنْ یُّوْصَلَ وَیَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ وَیَخَافُوْنَ سُوْٓءَ الْحِسَابِ ۟ؕ
और वे जो उस चीज़ को जोड़ते हैं, जिसके जोड़ने का अल्लाह ने आदेश दिया है और अपने पालनहार का भय रखते हैं तथा बुरे हिसाब से डरते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَالَّذِیْنَ صَبَرُوا ابْتِغَآءَ وَجْهِ رَبِّهِمْ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاَنْفَقُوْا مِمَّا رَزَقْنٰهُمْ سِرًّا وَّعَلَانِیَةً وَّیَدْرَءُوْنَ بِالْحَسَنَةِ السَّیِّئَةَ اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ عُقْبَی الدَّارِ ۟ۙ
तथा वे जिन्होंने अपने पालनहार का चेहरा चाहने के लिए धैर्य से काम लिया, और नमाज़ का आयोजन किया तथा हमने उन्हें जो कुछ प्रदान किया है, उसमें से छिपे और खुले ख़र्च किया, तथा भलाई के द्वारा बुराई को दूर करते हैं, यही लोग हैं जिनके लिए आख़िरत के घर का अच्छा परिणाम है।
Faccirooji aarabeeji:
جَنّٰتُ عَدْنٍ یَّدْخُلُوْنَهَا وَمَنْ صَلَحَ مِنْ اٰبَآىِٕهِمْ وَاَزْوَاجِهِمْ وَذُرِّیّٰتِهِمْ وَالْمَلٰٓىِٕكَةُ یَدْخُلُوْنَ عَلَیْهِمْ مِّنْ كُلِّ بَابٍ ۟ۚ
सदैव रहने के बाग़, जिनमें वे प्रवेश करेंगे और उनके बाप-दादा और उनकी पत्नियों और उनकी संतानों में से जो नेक हुए (वे भी प्रवेश करेंगे)। तथा फ़रिश्ते प्रत्येक द्वार से उनके पास आएँगे।
Faccirooji aarabeeji:
سَلٰمٌ عَلَیْكُمْ بِمَا صَبَرْتُمْ فَنِعْمَ عُقْبَی الدَّارِ ۟ؕ
(वे कहेंगे :) सलाम (शांति) हो तुमपर उसके बदले जो तुमने धैर्य किया। तो क्या ही अच्छा है इस घर (आखिरत) का परिणाम!
Faccirooji aarabeeji:
وَالَّذِیْنَ یَنْقُضُوْنَ عَهْدَ اللّٰهِ مِنْ بَعْدِ مِیْثَاقِهٖ وَیَقْطَعُوْنَ مَاۤ اَمَرَ اللّٰهُ بِهٖۤ اَنْ یُّوْصَلَ وَیُفْسِدُوْنَ فِی الْاَرْضِ ۙ— اُولٰٓىِٕكَ لَهُمُ اللَّعْنَةُ وَلَهُمْ سُوْٓءُ الدَّارِ ۟
और जो लोग अल्लाह की प्रतिज्ञा को उसे दृढ़ करने के बाद तोड़ देते हैं और उस चीज़ को काट देते हैं, जिसे अल्लाह ने जोड़ने[12] का आदेश दिया है और धरती में बिगाड़ पैदा करते हैं, यही लोगो हैं जिनके लिए लानत (धिक्कार) है और उन्हीं के लिए (आख़िरत का) बुरा घर है।
12. ह़दीस में आया है कि जो व्यक्ति यह चाहता हो कि उसकी जीविका अधिक, और आयु लंबी हो, तो वह अपने संबंधो को जोड़े। (सह़ीह़ बुख़ारी : 2067, सह़ीह़ मुस्लिम : 2557)
Faccirooji aarabeeji:
اَللّٰهُ یَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ یَّشَآءُ وَیَقْدِرُ ؕ— وَفَرِحُوْا بِالْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ؕ— وَمَا الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا فِی الْاٰخِرَةِ اِلَّا مَتَاعٌ ۟۠
और अल्लाह जिसके लिए चाहता है, जीविका विस्तृत कर देता है और (जिसके लिए चाहता है) तंग कर देता है। और वे (काफ़िर) सांसारिक जीवन पर प्रसन्न हो गए। हालाँकि सांसारिक जीवन आख़िरत के मुक़ाबले में थोड़े-से सामान के सिवा कुछ नहीं है।
Faccirooji aarabeeji:
وَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَوْلَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْهِ اٰیَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ ؕ— قُلْ اِنَّ اللّٰهَ یُضِلُّ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْۤ اِلَیْهِ مَنْ اَنَابَ ۟ۖۚ
और जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे कहते हैं : इसपर इसके पालनहार की ओर से कोई निशानी क्यों नहीं उतारी गई? (ऐ नबी!) आप कह दें : निःसंदेह अल्लाह जिसे चाहता है, पथभ्रष्ट कर देता है। और अपनी ओर उसे राह दिखाता है, जो उसकी ओर ध्यानमग्न हो।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَتَطْمَىِٕنُّ قُلُوْبُهُمْ بِذِكْرِ اللّٰهِ ؕ— اَلَا بِذِكْرِ اللّٰهِ تَطْمَىِٕنُّ الْقُلُوْبُ ۟ؕ
वे जो ईमान लाए और उनके दिलों को अल्लाह की याद से संतुष्टि मिलती है। सुन लो! अल्लाह की याद ही से दिलों को संतुष्टि मिलती है।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ طُوْبٰی لَهُمْ وَحُسْنُ مَاٰبٍ ۟
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए आनंद[13] और उत्तम ठिकाना है।
13. यहाँ "तूबा" शब्द प्रयुक्त हुआ है। इसका शाब्दिक अर्थ : सुख और संपन्नता है। कुछ भाष्यकारों ने इसे स्वर्ग का एक वृक्ष बताया है जिसका साया बड़ा आनंददायक होगा।
Faccirooji aarabeeji:
كَذٰلِكَ اَرْسَلْنٰكَ فِیْۤ اُمَّةٍ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهَاۤ اُمَمٌ لِّتَتْلُوَاۡ عَلَیْهِمُ الَّذِیْۤ اَوْحَیْنَاۤ اِلَیْكَ وَهُمْ یَكْفُرُوْنَ بِالرَّحْمٰنِ ؕ— قُلْ هُوَ رَبِّیْ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— عَلَیْهِ تَوَكَّلْتُ وَاِلَیْهِ مَتَابِ ۟
इसी प्रकार हमने आपको एक ऐसे समुदाय में रसूल बनाकर भेजा, जिससे पहले बहुत-से समुदाय गुज़र चुके हैं। ताकि आप उन्हें वह संदेश सुनाएँ, जो हमने आपकी ओर वह़्य द्वारा भेजा है। इस हाल में कि वे अत्यंत दयावान् (अल्लाह) का इनकार करते हैं। आप कह दें : वही मेरा पालनहार है। उसके सिवा कोई पूज्य नहीं है। मैंने उसी पर भरोसा किया है और उसी की ओर मुझे जाना है।
Faccirooji aarabeeji:
وَلَوْ اَنَّ قُرْاٰنًا سُیِّرَتْ بِهِ الْجِبَالُ اَوْ قُطِّعَتْ بِهِ الْاَرْضُ اَوْ كُلِّمَ بِهِ الْمَوْتٰی ؕ— بَلْ لِّلّٰهِ الْاَمْرُ جَمِیْعًا ؕ— اَفَلَمْ یَایْـَٔسِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَنْ لَّوْ یَشَآءُ اللّٰهُ لَهَدَی النَّاسَ جَمِیْعًا ؕ— وَلَا یَزَالُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا تُصِیْبُهُمْ بِمَا صَنَعُوْا قَارِعَةٌ اَوْ تَحُلُّ قَرِیْبًا مِّنْ دَارِهِمْ حَتّٰی یَاْتِیَ وَعْدُ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُخْلِفُ الْمِیْعَادَ ۟۠
और यदि निश्चय कोई ऐसा क़ुरआन होता जिसके द्वारा पहाड़ चलाए[14] जाते, या उसके द्वारा धरती खंड-खंड कर दी जाती, या उसके द्वारा मुर्दों से बात की जाती (तो भी वे ईमान नहीं लाते)। बल्कि सारे का सारा काम अल्लाह ही के अधिकार में है। तो क्या जो लोग ईमान लाए हैं, निराश नहीं हुए कि यदि अल्लाह चाहे, तो निश्चय सब के सब लोगों को सीधी राह पर कर दे! और वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, हमेशा इस हाल में रहेंगे कि उन्हें उनकी करतूतों के कारण कोई न कोई आपदा पहुँचती रहेगी, अथवा उनके घर के निकट उतरती रेहगी, यहाँ तक कि अल्लाह का वादा[15] आ जाए। निःसंदेह अल्लाह अपने वादे के विरुद्ध नहीं करता।
14. मक्का के काफ़िर आपसे यह माँग करते थे कि यदि आप नबी हैं, तो हमारे बाप-दादा को जीवित कर दें। ताकि हम उनसे बात करें। या मक्का के पर्वतों को खिसका दें। कुछ मुसलमानों के दिलों में भी यह इच्छा हुई कि ऐसा हो जाता है, तो संभव है कि वे ईमान ले आएँ। उसी पर यह आयत उतरी। (देखिए : फ़त्ह़ुल बयान, भाष्य सूरतुर-रा'द) 15. वादा से अभिप्राय प्रलय के आने का वादा है।
Faccirooji aarabeeji:
وَلَقَدِ اسْتُهْزِئَ بِرُسُلٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَاَمْلَیْتُ لِلَّذِیْنَ كَفَرُوْا ثُمَّ اَخَذْتُهُمْ ۫— فَكَیْفَ كَانَ عِقَابِ ۟
और निःसंदेह आपसे पहले भी कई रसूलों का मज़ाक उड़ाया गया, तो मैंने काफ़िरों को मोहलत दी। फिर उन्हें पकड़ लिया। तो मेरी सज़ा कैसी थी?
Faccirooji aarabeeji:
اَفَمَنْ هُوَ قَآىِٕمٌ عَلٰی كُلِّ نَفْسٍ بِمَا كَسَبَتْ ۚ— وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَآءَ ؕ— قُلْ سَمُّوْهُمْ ؕ— اَمْ تُنَبِّـُٔوْنَهٗ بِمَا لَا یَعْلَمُ فِی الْاَرْضِ اَمْ بِظَاهِرٍ مِّنَ الْقَوْلِ ؕ— بَلْ زُیِّنَ لِلَّذِیْنَ كَفَرُوْا مَكْرُهُمْ وَصُدُّوْا عَنِ السَّبِیْلِ ؕ— وَمَنْ یُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ هَادٍ ۟
तो क्या वह जो प्रत्येक प्राणी के कार्यों का संरक्षक है (वह उपासना के अधिक योग्य है या ये मूर्तियाँ?) और उन्होंने अल्लाह के कुछ साझी बना लिए हैं। आप कहिए कि उनके नाम बताओ। या क्या तुम उसे उस चीज़ की सूचना देते हो, जिसे वह धरती में नहीं जानता, या केवल ऊपर ही ऊपर[16] बातें कर रहे हो? बल्कि उन लोगों के लिए जिन्होंने कुफ़्र किया, उनका छल सुंदर बना दिया गया और वे सीधे रास्ते से रोक दिए गए। और जिसे अल्लाह पथभ्रष्ट कर दे, फिर उसे कोई राह दिखाने वाला नहीं।
16. अर्थात निर्मूल और निराधार।
Faccirooji aarabeeji:
لَهُمْ عَذَابٌ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَلَعَذَابُ الْاٰخِرَةِ اَشَقُّ ۚ— وَمَا لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ وَّاقٍ ۟
उनके लिए एक यातना सांसारिक जीवन में है और निश्चय आख़िरत की यातना अधिक कड़ी है। और उन्हें अल्लाह से कोई भी बचाने वाला नहीं।
Faccirooji aarabeeji:
مَثَلُ الْجَنَّةِ الَّتِیْ وُعِدَ الْمُتَّقُوْنَ ؕ— تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ؕ— اُكُلُهَا دَآىِٕمٌ وَّظِلُّهَا ؕ— تِلْكَ عُقْبَی الَّذِیْنَ اتَّقَوْا ۖۗ— وَّعُقْبَی الْكٰفِرِیْنَ النَّارُ ۟
उस जन्नत की विशेषता, जिसका अल्लाह से डरने वालों (मुत्तक़ियों) से वादा किया गया है, यह है कि उसके नीचे से नहरें बह रही हैं, उसका फल हमेशा रहने वाला है और उसकी छाया भी। यह उन लोगों का परिणाम है, जो अल्लाह से डरते रहे। और काफ़िरों का परिणाम आग (जहन्नम) है।
Faccirooji aarabeeji:
وَالَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَفْرَحُوْنَ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ وَمِنَ الْاَحْزَابِ مَنْ یُّنْكِرُ بَعْضَهٗ ؕ— قُلْ اِنَّمَاۤ اُمِرْتُ اَنْ اَعْبُدَ اللّٰهَ وَلَاۤ اُشْرِكَ بِهٖ ؕ— اِلَیْهِ اَدْعُوْا وَاِلَیْهِ مَاٰبِ ۟
और जिन्हें हमने पुस्तक दी है, वे उस (क़ुरआन) से प्रसन्न होते हैं[17], जो आपकी ओर उतारा गया है। और कुछ समूह ऐसे हैं, जो उसकी कुछ बातों का इनकार करते[18] हैं। आप कह दें कि मुझे तो यही आदेश दिया गया है कि मैं अल्लाह की इबादत करूँ और उसके साथ किसी को साझी न बनाऊँ। मैं उसी की ओर बुलाता हूँ और उसी की ओर मेरा लौटना है।[19]
17. अर्थात वे यहूदी, ईसाई और मूर्तिपूजक जो इस्लाम लाए। 18. अर्थात जो अब तक मुसलान नहीं हुए। 19. अर्थात कोई ईमान लाए या न लाए, मैं तो कदापि किसी को उसका साझी नहीं बना सकता।
Faccirooji aarabeeji:
وَكَذٰلِكَ اَنْزَلْنٰهُ حُكْمًا عَرَبِیًّا ؕ— وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَآءَهُمْ بَعْدَ مَا جَآءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ— مَا لَكَ مِنَ اللّٰهِ مِنْ وَّلِیٍّ وَّلَا وَاقٍ ۟۠
और इसी प्रकार, हमने इसे अरबी (भाषा का) फरमान बनाकर उतारा है।[20] और यदि आपने अपने पास ज्ञान आ जाने के बाद उन लोगों की इच्छाओं का अनुसरण किया, तो अल्लाह के मुक़ाबले में आपका न कोई सहायक होगा और न कोई बचाने वाला।
20. ताकि वे बहाना न करें कि हम क़ुरआन को समझ नहीं सके, इसलिए कि सारे नबियों पर जो पुस्तकें उतरीं, वे उन्हीं की भाषाओं में थीं।
Faccirooji aarabeeji:
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا رُسُلًا مِّنْ قَبْلِكَ وَجَعَلْنَا لَهُمْ اَزْوَاجًا وَّذُرِّیَّةً ؕ— وَمَا كَانَ لِرَسُوْلٍ اَنْ یَّاْتِیَ بِاٰیَةٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— لِكُلِّ اَجَلٍ كِتَابٌ ۟
और निश्चय हमने आपसे पहले कई रसूल भेजे और उनके लिए बीवियाँ और बच्चे[21] बनाए। और किसी रसूल के लिए संभव नहीं था कि वह अल्लाह की अनुमति के बिना कोई निशानी ले आता। हर समय के लिए एक लेख्य है।[22]
21. अर्थात वे मनुष्य थे, नूर या फ़रिश्ते नहीं। 22. अर्थात अल्लाह का वादा अपने समय पर पूरा होकर रहेगा। उसमें देर-सवेर नहीं होगी।
Faccirooji aarabeeji:
یَمْحُوا اللّٰهُ مَا یَشَآءُ وَیُثْبِتُ ۖۚ— وَعِنْدَهٗۤ اُمُّ الْكِتٰبِ ۟
अल्लाह जो चाहता है, मिटा देता है और बाक़ी रखता है। और उसी के पास मूल किताब[23] है।
23. अर्थात "लौह़े मह़फ़ूज़" जिसमें सब कुछ अंकित है।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِنْ مَّا نُرِیَنَّكَ بَعْضَ الَّذِیْ نَعِدُهُمْ اَوْ نَتَوَفَّیَنَّكَ فَاِنَّمَا عَلَیْكَ الْبَلٰغُ وَعَلَیْنَا الْحِسَابُ ۟
और यदि हम वस्तुतः (ऐ नबी!) आपको उसमें से कुछ दिखा दें, जिसका हम उन (काफ़िरों) से वादा करते हैं या वास्तव में आपको उठा लें, तो आपका काम केवल उपदेश पहुँचा देना है और हमारे ज़िम्मे हिसाब लेना है।
Faccirooji aarabeeji:
اَوَلَمْ یَرَوْا اَنَّا نَاْتِی الْاَرْضَ نَنْقُصُهَا مِنْ اَطْرَافِهَا ؕ— وَاللّٰهُ یَحْكُمُ لَا مُعَقِّبَ لِحُكْمِهٖ ؕ— وَهُوَ سَرِیْعُ الْحِسَابِ ۟
क्या उन्होंने नहीं देखा कि हम धरती को, उसके किनारों से कम करते[24] जा रहे हैं। और अल्लाह ही फ़ैसला करता है। उसके फ़ैसले को कोई लौटाने वाला नहीं। और वह शीघ्र हिसाब लेने वाला है।
24. अर्थात मुसलमानों की विजय द्वारा काफ़िरों के देश में कमी करते जा रहे हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَقَدْ مَكَرَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَلِلّٰهِ الْمَكْرُ جَمِیْعًا ؕ— یَعْلَمُ مَا تَكْسِبُ كُلُّ نَفْسٍ ؕ— وَسَیَعْلَمُ الْكُفّٰرُ لِمَنْ عُقْبَی الدَّارِ ۟
तथा निःसंदहे उन लोगों ने (भी) उपाय किए, जो इनसे पहले थे, किंतु वास्तविक योजना तो पूरी की पूरी अल्लाह के हाथ में है। वह जानता है जो कुछ प्रत्येक प्राणी कर रहा है। और काफ़िरों को शीघ्र ही पता चल जाएगा कि उस घर का अच्छा परिणाम किसके लिए है?
Faccirooji aarabeeji:
وَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَسْتَ مُرْسَلًا ؕ— قُلْ كَفٰی بِاللّٰهِ شَهِیْدًا بَیْنِیْ وَبَیْنَكُمْ ۙ— وَمَنْ عِنْدَهٗ عِلْمُ الْكِتٰبِ ۟۠
और वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, कहते हैं : आप किसी तरह रसूल नहीं हैं। आप कह दें : मेरे और तुम्हारे बीच अल्लाह ही गवाह पर्याप्त है, तथा वह व्यक्ति भी जिसके पास किताब का ज्ञान है।[25]
25. अर्थात वे अह्ले किताब (यहूदी और ईसाई) जिनको अपनी पुस्तकों से नबी मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आने की शुभ सूचना का ज्ञान हुआ, तो वे इस्लाम ले आए, जैसे अब्दुल्लाह बिन सलाम तथा नजाशी (ह़ब्शा देश का राजा), और तमीम दारी इत्यादि। और वे आपके रसूल होने की गवाही देते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
 
Firo maanaaji Simoore: Simoore manaango (rigaango)
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Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Firo enndiiwo - Tippudi firooji ɗii

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