Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Firo enndiiwo * - Tippudi firooji ɗii

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Firo maanaaji Simoore: Simoore korndolli   Aaya:

सूरा अन्-नम्ल

طٰسٓ ۫— تِلْكَ اٰیٰتُ الْقُرْاٰنِ وَكِتَابٍ مُّبِیْنٍ ۟ۙ
ता, सीन। ये क़ुरआन तथा स्पष्ट पुस्तक की आयतें हैं।
Faccirooji aarabeeji:
هُدًی وَّبُشْرٰی لِلْمُؤْمِنِیْنَ ۟ۙ
ईमानवालों के लिए मार्गदर्शन तथा शुभ-सूचना हैं।
Faccirooji aarabeeji:
الَّذِیْنَ یُقِیْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَیُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَهُمْ بِالْاٰخِرَةِ هُمْ یُوْقِنُوْنَ ۟
जो नमाज़ स्थापित करते तथा ज़कात देते हैं और वही हैं, जो आख़िरत (परलोक) पर विश्वास रखते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ زَیَّنَّا لَهُمْ اَعْمَالَهُمْ فَهُمْ یَعْمَهُوْنَ ۟ؕ
निःसंदेह जो लोग आख़िरत पर ईमान नहीं रखते, हमने उनके कर्मों को उनके लिए सुंदर बना दिया है। अतः वे भटकते फिरते है।
Faccirooji aarabeeji:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ لَهُمْ سُوْٓءُ الْعَذَابِ وَهُمْ فِی الْاٰخِرَةِ هُمُ الْاَخْسَرُوْنَ ۟
यही लोग हैं, जिनके लिए बुरी यातना है तथा आख़िरत में यही सबसे अधिक घाटा उठाने वाले हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِنَّكَ لَتُلَقَّی الْقُرْاٰنَ مِنْ لَّدُنْ حَكِیْمٍ عَلِیْمٍ ۟
और निःसंदेह आपको क़ुरर्आन एक पूर्ण हिकमत वाले, सब कुछ जानने वाले की ओर से दिया जाता है।
Faccirooji aarabeeji:
اِذْ قَالَ مُوْسٰی لِاَهْلِهٖۤ اِنِّیْۤ اٰنَسْتُ نَارًا ؕ— سَاٰتِیْكُمْ مِّنْهَا بِخَبَرٍ اَوْ اٰتِیْكُمْ بِشِهَابٍ قَبَسٍ لَّعَلَّكُمْ تَصْطَلُوْنَ ۟
जब[1] मूसा ने अपने घर वालों से कहा : निःसंदेह मैंने एक आग देखी है। मैं शीघ्र तुम्हारे पास उससे कोई समाचार लाऊँगा या तुम्हारे पास उससे सुलगाया हुआ अंगारा लेकर आऊँगा, ताकि तुम तापो।
1. यह उस समय की बात है जब मूसा (अलैहिस्सलाम) मदयन से आ रहे थे। रात्रि के समय वह मार्ग भूल गए और शीत से बचाव के लिए आग की आवश्यकता थी।
Faccirooji aarabeeji:
فَلَمَّا جَآءَهَا نُوْدِیَ اَنْ بُوْرِكَ مَنْ فِی النَّارِ وَمَنْ حَوْلَهَا ؕ— وَسُبْحٰنَ اللّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
फिर जब वह उसके पास आया, तो उसे आवाज़ दी गई : बरकत वाला है, वह जो इस आग में है तथा जो इसके आस-पास है। और अल्लाह पवित्र है, जाे सारे संसारों का पालनहार है।
Faccirooji aarabeeji:
یٰمُوْسٰۤی اِنَّهٗۤ اَنَا اللّٰهُ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟ۙ
ऐ मूसा! निःसंदेह तथ्य यह है कि मैं ही अल्लाह हूँ। जो सबपर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
وَاَلْقِ عَصَاكَ ؕ— فَلَمَّا رَاٰهَا تَهْتَزُّ كَاَنَّهَا جَآنٌّ وَّلّٰی مُدْبِرًا وَّلَمْ یُعَقِّبْ ؕ— یٰمُوْسٰی لَا تَخَفْ ۫— اِنِّیْ لَا یَخَافُ لَدَیَّ الْمُرْسَلُوْنَ ۟ۗۖ
और अपनी लाठी फेंक दे । फिर जब उसने उसे देखा कि हिल रही है, जैसे वह कोई साँप हो, तो पीठ फेरकर भागा और पीछे न मुड़ा। ऐ मूसा! डरो मत, निःसंदेह मेरे पास रसूल नहीं डरते।
Faccirooji aarabeeji:
اِلَّا مَنْ ظَلَمَ ثُمَّ بَدَّلَ حُسْنًا بَعْدَ سُوْٓءٍ فَاِنِّیْ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
परंतु जिसने अत्याचार किया, फिर बुराई के बाद उसे भलाई से बदल दिया, तो निःसंदेह मैं बहुत क्षमा करने वाला, अत्यंत दयावान् हूँ।
Faccirooji aarabeeji:
وَاَدْخِلْ یَدَكَ فِیْ جَیْبِكَ تَخْرُجْ بَیْضَآءَ مِنْ غَیْرِ سُوْٓءٍ ۫— فِیْ تِسْعِ اٰیٰتٍ اِلٰی فِرْعَوْنَ وَقَوْمِهٖ ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمًا فٰسِقِیْنَ ۟
और अपना हाथ अपने गरीबान में डाल। वह बिना किसी दोष के (चमकता हुआ) सफ़ेद निकलेगा; नौ निशानियों में से एक, फ़िरऔन तथा उसकी जाति की ओर। निःसंदेह वे अवज्ञाकारी लोग थे।
Faccirooji aarabeeji:
فَلَمَّا جَآءَتْهُمْ اٰیٰتُنَا مُبْصِرَةً قَالُوْا هٰذَا سِحْرٌ مُّبِیْنٌ ۟ۚ
फिर जब हमारी निशानियाँ उनके पास आईं जो आँखें खोलने वाली थीं, तो उन्होंने कहा : यह खुला जादू है।
Faccirooji aarabeeji:
وَجَحَدُوْا بِهَا وَاسْتَیْقَنَتْهَاۤ اَنْفُسُهُمْ ظُلْمًا وَّعُلُوًّا ؕ— فَانْظُرْ كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُفْسِدِیْنَ ۟۠
तथा उन्होंने अत्याचार एवं अभिमान के कारण उनका इनकार कर दिया। हालाँकि उनके दिलों को उनका विश्वास हो चुका था। तो देखो कि बिगाड़ पैदा करने वालों का परिणाम कैसा हुआ?
Faccirooji aarabeeji:
وَلَقَدْ اٰتَیْنَا دَاوٗدَ وَسُلَیْمٰنَ عِلْمًا ۚ— وَقَالَا الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْ فَضَّلَنَا عَلٰی كَثِیْرٍ مِّنْ عِبَادِهِ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
और निःसंदेह हमने दाऊद तथा सुलैमान को ज्ञान[2] प्रदान किया और उन दोनों ने कहा : सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने हमें अपने बहुत-से ईमानवाले बंदों पर श्रेष्ठता प्रदान की।
2. अर्थात विशेष ज्ञान जो नुबुव्वत का ज्ञान है, जैसे मूसा अलैहिस्सलाम को प्रदान किया और इसी प्रकार अंतिम रसूल मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को इस क़ुरआन द्वारा प्रदान किया है।
Faccirooji aarabeeji:
وَوَرِثَ سُلَیْمٰنُ دَاوٗدَ وَقَالَ یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ عُلِّمْنَا مَنْطِقَ الطَّیْرِ وَاُوْتِیْنَا مِنْ كُلِّ شَیْءٍ ؕ— اِنَّ هٰذَا لَهُوَ الْفَضْلُ الْمُبِیْنُ ۟
और सुलैमान दाऊद का उत्तराधिकारी हुआ तथा उसने कहा : ऐ लोगो! हमें पक्षियों की बोली सिखाई गई तथा हमें हर चीज़ में से हिस्सा प्रदान किया गया है। निःसंदेह यह निश्चित रूप से स्पष्ट अनुग्रह है।
Faccirooji aarabeeji:
وَحُشِرَ لِسُلَیْمٰنَ جُنُوْدُهٗ مِنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ وَالطَّیْرِ فَهُمْ یُوْزَعُوْنَ ۟
तथा सुलैमान के लिए जिन्नों तथा इनसानों और पक्षियों में से उसकी सेनाएँ इकट्ठी की गईं, फिर उन्हें अलग-अलग बांटा जाता था।
Faccirooji aarabeeji:
حَتّٰۤی اِذَاۤ اَتَوْا عَلٰی وَادِ النَّمْلِ ۙ— قَالَتْ نَمْلَةٌ یّٰۤاَیُّهَا النَّمْلُ ادْخُلُوْا مَسٰكِنَكُمْ ۚ— لَا یَحْطِمَنَّكُمْ سُلَیْمٰنُ وَجُنُوْدُهٗ ۙ— وَهُمْ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟
यहाँ तक कि जब वे चींटियों की घाटी में पहुँचे, तो एक चींटी ने कहा : ऐ चींटियो! अपने घरों में प्रवेश कर जाओ। कहीं सुलैमान और उसकी सेनाएँ तुम्हें कुचल न डालें और वे अनजान हों।
Faccirooji aarabeeji:
فَتَبَسَّمَ ضَاحِكًا مِّنْ قَوْلِهَا وَقَالَ رَبِّ اَوْزِعْنِیْۤ اَنْ اَشْكُرَ نِعْمَتَكَ الَّتِیْۤ اَنْعَمْتَ عَلَیَّ وَعَلٰی وَالِدَیَّ وَاَنْ اَعْمَلَ صَالِحًا تَرْضٰىهُ وَاَدْخِلْنِیْ بِرَحْمَتِكَ فِیْ عِبَادِكَ الصّٰلِحِیْنَ ۟
तो वह (सुलैमान) उसकी बात से हँसता हुआ मुसकुराया और उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मुझे सामर्थ्य प्रदान कर कि मैं तेरी उस ने'मत का शुक्र अदा करूँ, जो तूने मुझे तथा मेरे माता-पिता को प्रदान की है, और यह कि मैं अच्छा कार्य करूँ, जिसे तू पसंद करे और मुझे अपनी दया से अपने सदाचारी बंदों में शामिल कर ले।
Faccirooji aarabeeji:
وَتَفَقَّدَ الطَّیْرَ فَقَالَ مَا لِیَ لَاۤ اَرَی الْهُدْهُدَ ۖؗ— اَمْ كَانَ مِنَ الْغَآىِٕبِیْنَ ۟
और उसने पक्षियों का निरीक्षण किया, तो कहा : मुझे क्या है कि मैं हुदहुद को नहीं देख रहा, या वह अनुपस्थि रहने वालों में से है?
Faccirooji aarabeeji:
لَاُعَذِّبَنَّهٗ عَذَابًا شَدِیْدًا اَوْ لَاَاذْبَحَنَّهٗۤ اَوْ لَیَاْتِیَنِّیْ بِسُلْطٰنٍ مُّبِیْنٍ ۟
निश्चय ही मैं उसे बहुत कठोर दंड दूँगा, या मैं अवश्य ही उसे ज़बह कर डालूँगा, या वह अवश्य ही मेरे पास कोई स्पष्ट तर्क लेकर आएगा।
Faccirooji aarabeeji:
فَمَكَثَ غَیْرَ بَعِیْدٍ فَقَالَ اَحَطْتُّ بِمَا لَمْ تُحِطْ بِهٖ وَجِئْتُكَ مِنْ سَبَاٍ بِنَبَاٍ یَّقِیْنٍ ۟
फिर कुछ अधिक देर नहीं ठहरा कि उसने (आकर) कहा : मैं ऐसी बात से अवगत हुआ हूँ, जिससे आप अवगत नहीं हुए और मैं आपके पास 'सबा'[3] से एक पक्की ख़बर लाया हूँ।
3. सबा यमन का एक नगर है।
Faccirooji aarabeeji:
اِنِّیْ وَجَدْتُّ امْرَاَةً تَمْلِكُهُمْ وَاُوْتِیَتْ مِنْ كُلِّ شَیْءٍ وَّلَهَا عَرْشٌ عَظِیْمٌ ۟
निःसंदेह मैंने एक महिला को पाया, जो उनपर शासन कर रही है तथा उसे हर चीज़ का हिस्सा दिया गया है और उसके पास एक बड़ा सिंहासन है।
Faccirooji aarabeeji:
وَجَدْتُّهَا وَقَوْمَهَا یَسْجُدُوْنَ لِلشَّمْسِ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَزَیَّنَ لَهُمُ الشَّیْطٰنُ اَعْمَالَهُمْ فَصَدَّهُمْ عَنِ السَّبِیْلِ فَهُمْ لَا یَهْتَدُوْنَ ۟ۙ
मैंने उसे तथा उसकी जाति को अल्लाह के सिवा सूर्य को सजदा करते हुए पाया और शैतान ने उनके कामों को उनके लिए शोभित कर दिया है। चुनाँचे उन्हें सुपथ से रोक दिया है। अतः वे मार्गदर्शन नहीं पाते।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَّا یَسْجُدُوْا لِلّٰهِ الَّذِیْ یُخْرِجُ الْخَبْءَ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَیَعْلَمُ مَا تُخْفُوْنَ وَمَا تُعْلِنُوْنَ ۟
(शैतान ने उनके कामों को उनके लिए शोभित कर दिया है) ताकि वे उस अल्लाह को सजदा न करें, जो आकाशों तथा धरती में छिपी चीज़ों[4] को निकालता है तथा वह जानता है जो तुम छिपाते हो और जो प्रकट करते हो।
4. अर्थात वर्षा तथा पौधों को।
Faccirooji aarabeeji:
اَللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِیْمِ ۟
अल्लाह वह है जिसके सिवा कोई पूज्य नहीं, जो महान सिंहासन का रब है।
Faccirooji aarabeeji:
قَالَ سَنَنْظُرُ اَصَدَقْتَ اَمْ كُنْتَ مِنَ الْكٰذِبِیْنَ ۟
(सुलैमान ने) कहा : हम देखेंगे कि तूने सच कहा, या तू झूठों में से था।
Faccirooji aarabeeji:
اِذْهَبْ بِّكِتٰبِیْ هٰذَا فَاَلْقِهْ اِلَیْهِمْ ثُمَّ تَوَلَّ عَنْهُمْ فَانْظُرْ مَاذَا یَرْجِعُوْنَ ۟
मेरा यह पत्र लेकर जा और इसे उनकी ओर डाल दे। फिर उनसे अलग हटकर देख कि वे क्या जवाब देते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
قَالَتْ یٰۤاَیُّهَا الْمَلَؤُا اِنِّیْۤ اُلْقِیَ اِلَیَّ كِتٰبٌ كَرِیْمٌ ۟
उस (रानी) ने कहा : ऐ सरदारो! निःसंदेह मेरी ओर एक प्रतिष्ठित पत्र फेंका गया है।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّهٗ مِنْ سُلَیْمٰنَ وَاِنَّهٗ بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ ۟ۙ
निःसंदेह वह सुलैमान की ओर से है और निःसंदेह वह अल्लाह के नाम से है, जो अत्यंत कृपाशील, असीम दयावान् है।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَّا تَعْلُوْا عَلَیَّ وَاْتُوْنِیْ مُسْلِمِیْنَ ۟۠
यह कि मेरे मुक़ाबले में सरकशी न करो तथा आज्ञाकारी होकर मेरे पास आ जाओ।
Faccirooji aarabeeji:
قَالَتْ یٰۤاَیُّهَا الْمَلَؤُا اَفْتُوْنِیْ فِیْۤ اَمْرِیْ ۚ— مَا كُنْتُ قَاطِعَةً اَمْرًا حَتّٰی تَشْهَدُوْنِ ۟
उसने कहा : ऐ प्रमुखो! मुझे मेरे मामले में सही हल बताओ। मैं किसी मामले का फ़ैसला करने वाली नहीं, यहाँ तक तुम मेरे पास उपस्थित हो।
Faccirooji aarabeeji:
قَالُوْا نَحْنُ اُولُوْا قُوَّةٍ وَّاُولُوْا بَاْسٍ شَدِیْدٍ ۙ۬— وَّالْاَمْرُ اِلَیْكِ فَانْظُرِیْ مَاذَا تَاْمُرِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : हम बड़े पराक्रमी और प्रखर योद्धा हैं और मामला आपके हवाले है, सो देखे लें आप क्या आदेश देती हैं।
Faccirooji aarabeeji:
قَالَتْ اِنَّ الْمُلُوْكَ اِذَا دَخَلُوْا قَرْیَةً اَفْسَدُوْهَا وَجَعَلُوْۤا اَعِزَّةَ اَهْلِهَاۤ اَذِلَّةً ۚ— وَكَذٰلِكَ یَفْعَلُوْنَ ۟
उसने कहा : निःसंदेह राजा जब किसी बस्ती में प्रवेश करते हैं, तो उसे ख़राब कर देते हैं और उसके वासियों में से प्रतिष्ठित लोगों को अपमानित कर देते हैं। और इसी तरह ये करेंगे।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِنِّیْ مُرْسِلَةٌ اِلَیْهِمْ بِهَدِیَّةٍ فَنٰظِرَةٌ بِمَ یَرْجِعُ الْمُرْسَلُوْنَ ۟
और निःसंदेह मैं उनकी ओर एक उपहार भेजने वाली हूँ। फिर देखती हूँ कि दूत क्या उत्तर लेकर आते हैं?
Faccirooji aarabeeji:
فَلَمَّا جَآءَ سُلَیْمٰنَ قَالَ اَتُمِدُّوْنَنِ بِمَالٍ ؗ— فَمَاۤ اٰتٰىنِ اللّٰهُ خَیْرٌ مِّمَّاۤ اٰتٰىكُمْ ۚ— بَلْ اَنْتُمْ بِهَدِیَّتِكُمْ تَفْرَحُوْنَ ۟
तो जब वह (दूत) सुलैमान के पास आया, तो उसने कहा : क्या तुम धन से मेरी सहायता करते हो? तो जो कुछ अल्लाह ने मुझे दिया है, वह उससे बेहतर है जो उसने तुम्हें दिया है, बल्कि तुम ही लोग अपने उपहारों पर खुश होते हो।
Faccirooji aarabeeji:
اِرْجِعْ اِلَیْهِمْ فَلَنَاْتِیَنَّهُمْ بِجُنُوْدٍ لَّا قِبَلَ لَهُمْ بِهَا وَلَنُخْرِجَنَّهُمْ مِّنْهَاۤ اَذِلَّةً وَّهُمْ صٰغِرُوْنَ ۟
उनके पास वापस जाओ, अब हम अवश्य उनके पास ऐसी सेनाएँ लेकर आएँगे, जिनका वे सामना नहीं कर सकेंगे और हम अवश्य उन्हें उस (बस्ती) से इस तरह अपमानित करके निकाल देंगे कि वे तुच्छ होंगे।
Faccirooji aarabeeji:
قَالَ یٰۤاَیُّهَا الْمَلَؤُا اَیُّكُمْ یَاْتِیْنِیْ بِعَرْشِهَا قَبْلَ اَنْ یَّاْتُوْنِیْ مُسْلِمِیْنَ ۟
(सुलैमान ने) कहा : ऐ प्रमुखो! तुममें से कौन उसका सिंहासन मेरे पास लेकर आएगा[5], इससे पहले कि वे आज्ञाकारी होकर मेरे पास आएँ।
5. जब सुलैमान ने उपहार वापस कर दिया और धमकी दी, तो रानी ने स्वयं सुलैमान (अलैहिस्सलाम) की सेवा में उपस्थित होना उचित समझा और अपने सेवकों के साथ फ़लस्तीन के लिए प्रस्थान किया, उस समय उन्होंने राज्यसदस्यों से यह बात कही।
Faccirooji aarabeeji:
قَالَ عِفْرِیْتٌ مِّنَ الْجِنِّ اَنَا اٰتِیْكَ بِهٖ قَبْلَ اَنْ تَقُوْمَ مِنْ مَّقَامِكَ ۚ— وَاِنِّیْ عَلَیْهِ لَقَوِیٌّ اَمِیْنٌ ۟
जिन्नों में से एक शक्तिशाली शरारती कहने लगा : मैं उसे आपके पास ले आऊँगा, इससे पूर्व कि आप अपने स्थान से उठें और निःसंदेह मैं इसकी निश्चय पूरी शक्ति रखने वाला, अमानतदार हूँ।
Faccirooji aarabeeji:
قَالَ الَّذِیْ عِنْدَهٗ عِلْمٌ مِّنَ الْكِتٰبِ اَنَا اٰتِیْكَ بِهٖ قَبْلَ اَنْ یَّرْتَدَّ اِلَیْكَ طَرْفُكَ ؕ— فَلَمَّا رَاٰهُ مُسْتَقِرًّا عِنْدَهٗ قَالَ هٰذَا مِنْ فَضْلِ رَبِّیْ ۫— لِیَبْلُوَنِیْۤ ءَاَشْكُرُ اَمْ اَكْفُرُ ؕ— وَمَنْ شَكَرَ فَاِنَّمَا یَشْكُرُ لِنَفْسِهٖ ۚ— وَمَنْ كَفَرَ فَاِنَّ رَبِّیْ غَنِیٌّ كَرِیْمٌ ۟
जिसके पास पुस्तक का ज्ञान था, उसने कहा : मैं उसे आपके पास इससे पहले ले आता हूँ कि आपकी पलक झपके। और जब उसने उसे अपने पास रखा हुआ देखा, तो कहा : यह मेरे पालनहार का अनुग्रह है, ताकि मेरी परीक्षा ले कि मैं शुक्र अदा करता हूँ या नाशुक्री करता हूँ। और जिसने शुक्र किया, तो वह अपने ही लिए शुक्र करता है तथा जिसने नाशुक्री की, तो निश्चय मेरा पालनहार बहुत बेनियाज़, अत्यंत उदार है।
Faccirooji aarabeeji:
قَالَ نَكِّرُوْا لَهَا عَرْشَهَا نَنْظُرْ اَتَهْتَدِیْۤ اَمْ تَكُوْنُ مِنَ الَّذِیْنَ لَا یَهْتَدُوْنَ ۟
(सुलैमान ने) कहा : उसके लिए उसके सिंहासन का रंग-रूप बदल दो। ताकि हम देखें क्या वह राह पा लेती है या उनमें से होती है, जो राह नहीं पाते।
Faccirooji aarabeeji:
فَلَمَّا جَآءَتْ قِیْلَ اَهٰكَذَا عَرْشُكِ ؕ— قَالَتْ كَاَنَّهٗ هُوَ ۚ— وَاُوْتِیْنَا الْعِلْمَ مِنْ قَبْلِهَا وَكُنَّا مُسْلِمِیْنَ ۟
फिर जब वह आई, तो उससे कहा गया : क्या तेरा सिंहासन ऐसा ही है? उसने कहा : यह तो मानो वही है, और हमें इससे पहले ज्ञान दिया गया था, और हम आज्ञाकारी थे।
Faccirooji aarabeeji:
وَصَدَّهَا مَا كَانَتْ تَّعْبُدُ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّهَا كَانَتْ مِنْ قَوْمٍ كٰفِرِیْنَ ۟
और उसे (ईमान से) उस चीज़ ने रोक रखा था, जिसकी वह अल्लाह के सिवा इबादत कर रही थी। निःसंदेह वह काफ़िर लोगों में से थी।
Faccirooji aarabeeji:
قِیْلَ لَهَا ادْخُلِی الصَّرْحَ ۚ— فَلَمَّا رَاَتْهُ حَسِبَتْهُ لُجَّةً وَّكَشَفَتْ عَنْ سَاقَیْهَا ؕ— قَالَ اِنَّهٗ صَرْحٌ مُّمَرَّدٌ مِّنْ قَوَارِیْرَ ؕ۬— قَالَتْ رَبِّ اِنِّیْ ظَلَمْتُ نَفْسِیْ وَاَسْلَمْتُ مَعَ سُلَیْمٰنَ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟۠
उससे कहा गया : इस महल में प्रवेश कर जाओ। तो जब उसने उसे देखा, तो उसे गहरा पानी समझा और अपनी दोनों पिंडलियाँ से कपड़ा उठा लिया। (सुलैमान ने) कहा : यह तो शीशे से मढ़ा हुआ चिकना महल है। उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मैंने अपने प्राण[6] पर अत्याचार किया है और (अब) मैं सुलैमान के साथ सारे संसारों के पालनहार अल्लाह के लिए आज्ञाकारिणी हो गई।
6. अर्थात अन्य की पूजा-उपासना करके।
Faccirooji aarabeeji:
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَاۤ اِلٰی ثَمُوْدَ اَخَاهُمْ صٰلِحًا اَنِ اعْبُدُوا اللّٰهَ فَاِذَا هُمْ فَرِیْقٰنِ یَخْتَصِمُوْنَ ۟
और निःसंदेह हमने समूद की ओर उनके भाई सालेह़ को भेजा कि तुम सब अल्लाह की इबादत करो, तो अचानक वे दो समूहों में बंटकर झगड़ने लगे।
Faccirooji aarabeeji:
قَالَ یٰقَوْمِ لِمَ تَسْتَعْجِلُوْنَ بِالسَّیِّئَةِ قَبْلَ الْحَسَنَةِ ۚ— لَوْلَا تَسْتَغْفِرُوْنَ اللّٰهَ لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟
(सालेह ने) कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! तुम भलाई से पहले बुराई[7] क्यों जल्दी माँगते हो? तुम अल्लाह से क्षमा क्यों नहीं माँगते, ताकि तुम पर दया की जाए?
7. अर्थात ईमान लाने के बजाय इनकार क्यों कर रहे हो?
Faccirooji aarabeeji:
قَالُوا اطَّیَّرْنَا بِكَ وَبِمَنْ مَّعَكَ ؕ— قَالَ طٰٓىِٕرُكُمْ عِنْدَ اللّٰهِ بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ تُفْتَنُوْنَ ۟
उन्होंने कहा : हमने तुमपर तथा तुम्हारे साथियों पर अपशकुन पाया है। (सालेह़ ने) कहा : तुम्हारा अपशकुन अल्लाह के पास[8] है, बल्कि तुम ऐसे लोग हो जिनकी परीक्षा ली जा रही है।
8. अर्थात तुमपर जो अकाल पड़ा है, वह अल्लाह की ओर से है जिसे तुम्हारे कुकर्मों के कारण अल्लाह ने तुम्हारे भाग्य में लिख दिया है। और यह अशुभ मेरे कारण नहीं बल्कि तुम्हारे कुफ़्र के कारण है। (फ़त्ह़ुल क़दीर)
Faccirooji aarabeeji:
وَكَانَ فِی الْمَدِیْنَةِ تِسْعَةُ رَهْطٍ یُّفْسِدُوْنَ فِی الْاَرْضِ وَلَا یُصْلِحُوْنَ ۟
और उस नगर में नौ (9) लोग थे, जो धरती में उत्पात मचाते थे और सुधार नहीं करते थे।
Faccirooji aarabeeji:
قَالُوْا تَقَاسَمُوْا بِاللّٰهِ لَنُبَیِّتَنَّهٗ وَاَهْلَهٗ ثُمَّ لَنَقُوْلَنَّ لِوَلِیِّهٖ مَا شَهِدْنَا مَهْلِكَ اَهْلِهٖ وَاِنَّا لَصٰدِقُوْنَ ۟
उन्होंने कहा : आपस में अल्लाह की क़सम खाओ कि हम अवश्य ही उसपर और उसके परिवार पर रात में हमला करेंगे, फिर हम अवश्य ही उसके वारिस (उत्तराधिकारी) से कह देंगे : हम उसके परिवार की मृत्यु के समय मौजूद नहीं थे। और निःसंदेह हम अवश्य सच्चे हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَمَكَرُوْا مَكْرًا وَّمَكَرْنَا مَكْرًا وَّهُمْ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟
और उन्होंने एक चाल चली और हमने भी एक चाल चली और वे सोचते तक न थे।
Faccirooji aarabeeji:
فَانْظُرْ كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ مَكْرِهِمْ ۙ— اَنَّا دَمَّرْنٰهُمْ وَقَوْمَهُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟
तो देखो उनकी चाल का परिणाम कैसा हुआ कि निःसंदेह हमने उन्हें और उनकी क़ौम, सबको विनष्ट कर दिया।
Faccirooji aarabeeji:
فَتِلْكَ بُیُوْتُهُمْ خَاوِیَةً بِمَا ظَلَمُوْا ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً لِّقَوْمٍ یَّعْلَمُوْنَ ۟
तो ये हैं उनके घर, उनके ज़ुल्म के कारण गिर हुए। निःसंदेह इसमें उन लोगों के लिए निश्चय एक निशानी है, जो ज्ञान रखते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَاَنْجَیْنَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَكَانُوْا یَتَّقُوْنَ ۟
तथा हमने उन लोगों को बचा लिया, जो ईमान लाए और डरते रहे थे।
Faccirooji aarabeeji:
وَلُوْطًا اِذْ قَالَ لِقَوْمِهٖۤ اَتَاْتُوْنَ الْفَاحِشَةَ وَاَنْتُمْ تُبْصِرُوْنَ ۟
तथा (हमने) लूत को (भेजा), जब उसने अपनी जाति के लोगों से कहा : क्या तुम अश्लील काम करते हो, जबकि तुम देखते हो?[9]
9. (देखिए : सूरतुल-आराफ़ : 84, और सूरत हूद : 82-83)। इस्लाम में स्त्री से भी अस्वभाविक संभोग वर्जित है। (सुनन नसाई ह़दीस संख्या : 8985, और सुनन इब्ने माजा ह़दीस संख्या : 1924)
Faccirooji aarabeeji:
اَىِٕنَّكُمْ لَتَاْتُوْنَ الرِّجَالَ شَهْوَةً مِّنْ دُوْنِ النِّسَآءِ ؕ— بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ تَجْهَلُوْنَ ۟
क्या तुम सचमुच स्त्रियों को छोड़कर वासनावश पुरुषों के पास आते हो? बल्कि तुम बड़े ही नासमझ लोग हो।
Faccirooji aarabeeji:
فَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهٖۤ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوْۤا اَخْرِجُوْۤا اٰلَ لُوْطٍ مِّنْ قَرْیَتِكُمْ ۚ— اِنَّهُمْ اُنَاسٌ یَّتَطَهَّرُوْنَ ۟
तो उसकी जाति के लोगों का उत्तर इसके सिवा कुछ न था कि उन्होंने कहा : लूत के घरवालों को अपनी बस्ती से निकाल दो। निःसंदेह ये ऐसे लोग हैं जो बड़े पाक-साफ़ बनते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
فَاَنْجَیْنٰهُ وَاَهْلَهٗۤ اِلَّا امْرَاَتَهٗ ؗ— قَدَّرْنٰهَا مِنَ الْغٰبِرِیْنَ ۟
तो हमने उसे तथा उसके घरवालों को बचा लिया, सिवाय उसकी बीवी के। हमने उसे पीछे रह जाने वालों में तय कर दिया था।
Faccirooji aarabeeji:
وَاَمْطَرْنَا عَلَیْهِمْ مَّطَرًا ۚ— فَسَآءَ مَطَرُ الْمُنْذَرِیْنَ ۟۠
और हमने उनपर भारी वर्षा बरसाई। तो बुरी बारिश थी उन लोगों के लिए जो डराए गए थे।
Faccirooji aarabeeji:
قُلِ الْحَمْدُ لِلّٰهِ وَسَلٰمٌ عَلٰی عِبَادِهِ الَّذِیْنَ اصْطَفٰی ؕ— ءٰٓاللّٰهُ خَیْرٌ اَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
आप कह दें: सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है और सलाम है उसके उन बंदों पर, जिन्हें उसने चुन लिया। क्या अल्लाह बेहतर है, या वे जिन्हें ये साझी ठहराते हैं?
Faccirooji aarabeeji:
اَمَّنْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَاَنْزَلَ لَكُمْ مِّنَ السَّمَآءِ مَآءً ۚ— فَاَنْۢبَتْنَا بِهٖ حَدَآىِٕقَ ذَاتَ بَهْجَةٍ ۚ— مَا كَانَ لَكُمْ اَنْ تُنْۢبِتُوْا شَجَرَهَا ؕ— ءَاِلٰهٌ مَّعَ اللّٰهِ ؕ— بَلْ هُمْ قَوْمٌ یَّعْدِلُوْنَ ۟ؕ
(क्या वे साझीदार बेहतर हैं) या वह जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया और आकाश से तुम्हारे लिए पानी उतारा, फिर हमने उसके साथ शानदार बाग़ लगाए। तुम्हारे बस में नहीं था कि उनके वृक्ष उगाते। क्या अल्लाह के साथ कोई (अन्य) पूज्य है? बल्कि ये ऐसे लोग हैं जो रास्ते से हट रहे हैं।
Faccirooji aarabeeji:
اَمَّنْ جَعَلَ الْاَرْضَ قَرَارًا وَّجَعَلَ خِلٰلَهَاۤ اَنْهٰرًا وَّجَعَلَ لَهَا رَوَاسِیَ وَجَعَلَ بَیْنَ الْبَحْرَیْنِ حَاجِزًا ؕ— ءَاِلٰهٌ مَّعَ اللّٰهِ ؕ— بَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟ؕ
(क्या वे साझीदार बेहतर हैं) या वह जिसने धरती को ठहरने का स्थान बनाया और उसके बीच नहरें बनाईं और उसके लिए पहाड़ बनाए और दो समुद्रों के बीच अवरोध बनाया? क्या अल्लाह के साथ कोई (अन्य) पूज्य है ? बल्कि उनमें से अधिकतर लोग नहीं जानते।
Faccirooji aarabeeji:
اَمَّنْ یُّجِیْبُ الْمُضْطَرَّ اِذَا دَعَاهُ وَیَكْشِفُ السُّوْٓءَ وَیَجْعَلُكُمْ خُلَفَآءَ الْاَرْضِ ؕ— ءَاِلٰهٌ مَّعَ اللّٰهِ ؕ— قَلِیْلًا مَّا تَذَكَّرُوْنَ ۟ؕ
या वह जो व्याकुल की प्रार्थना स्वीकार करता है, जब वह उसे पुकारता है और दुखों को दूर करता है और तुम्हें धरती का उत्तराधिकारी बनाता है? क्या अल्लाह के साथ कोई (अन्य) पूज्य है? तुम बहुत कम उपदेश ग्रहण करते हो।
Faccirooji aarabeeji:
اَمَّنْ یَّهْدِیْكُمْ فِیْ ظُلُمٰتِ الْبَرِّ وَالْبَحْرِ وَمَنْ یُّرْسِلُ الرِّیٰحَ بُشْرًاۢ بَیْنَ یَدَیْ رَحْمَتِهٖ ؕ— ءَاِلٰهٌ مَّعَ اللّٰهِ ؕ— تَعٰلَی اللّٰهُ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟ؕ
या वह जो थल और समुद्र के अँधेरों में तुम्हारा मार्गदर्शन करता है तथा वह जो हवाओं को अपनी दया (वर्षा) से पहले शुभ-सूचना देने के लिए भेजता है? क्या अल्लाह के साथ कोई (और) पूज्य है? बहुत उच्च है अल्लाह उससे जो वे साझी ठहराते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
اَمَّنْ یَّبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ یُعِیْدُهٗ وَمَنْ یَّرْزُقُكُمْ مِّنَ السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ ؕ— ءَاِلٰهٌ مَّعَ اللّٰهِ ؕ— قُلْ هَاتُوْا بُرْهَانَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
या वह जो सृष्टि का आरंभ करता है, फिर उसे दोहराता है, और जो तुम्हें आकाश और धरती से जीविका देता है? क्या अल्लाह के साथ कोई (और) पूज्य है? कह दीजिए : लाओ अपना प्रमाण, यदि तुम सच्चे हो।[10]
10. आयत संख्या 60 से यहाँ तक का सारांश यह है कि जब अल्लाह ही ने पूरे संसार की उत्पत्ति की है और सबकी व्यवस्था वही कर रहा है, और उसका कोई साझी नहीं, तो फिर ये झूठे पूज्य अल्लाह के साथ कहाँ से आ गए? यह तो ज्ञान और समझ में आने की बात नहीं और न इसका कोई प्रमाण है।
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ لَّا یَعْلَمُ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ الْغَیْبَ اِلَّا اللّٰهُ ؕ— وَمَا یَشْعُرُوْنَ اَیَّانَ یُبْعَثُوْنَ ۟
आप कह दें : अल्लाह के सिवा, आकाशों और धरती में जो भी है, ग़ैब (परोक्ष की बात) नहीं जानता और वे नहीं जानते कि वे कब उठाये जाएँगे।
Faccirooji aarabeeji:
بَلِ ادّٰرَكَ عِلْمُهُمْ فِی الْاٰخِرَةِ ۫— بَلْ هُمْ فِیْ شَكٍّ مِّنْهَا ۫— بَلْ هُمْ مِّنْهَا عَمُوْنَ ۟۠
बल्कि आख़िरत (परलोक) के विषय में उनका ज्ञान समाप्त हो गया है। बल्कि वे उसके बारे में संदेह में हैं। बल्कि वे उससे अंधे हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا ءَاِذَا كُنَّا تُرٰبًا وَّاٰبَآؤُنَاۤ اَىِٕنَّا لَمُخْرَجُوْنَ ۟
और उन लोगों ने कहा जिन्होंने कुफ़्र किया : क्या जब हम मिट्टी हो जाएँगे और हमारे बाप-दादा भी, तो क्या सचमुच हम अवश्य निकाले[11] जाने वाले हैं?
11. अर्थात प्रलय के दिन अपनी समाधियों से जीवित निकाले जाएँगे।
Faccirooji aarabeeji:
لَقَدْ وُعِدْنَا هٰذَا نَحْنُ وَاٰبَآؤُنَا مِنْ قَبْلُ ۙ— اِنْ هٰذَاۤ اِلَّاۤ اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
निश्चय इससे पहले हमसे यह वादा किया गया और हमारे बाप-दादा से भी, ये तो बस पहले लोगों की काल्पनिक कहानियाँ हैं।
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ سِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَانْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُجْرِمِیْنَ ۟
कह दीजिए : धरती में चलो-फिरो, फिर देखो अपराधियों का परिणाम कैसा हुआ!
Faccirooji aarabeeji:
وَلَا تَحْزَنْ عَلَیْهِمْ وَلَا تَكُنْ فِیْ ضَیْقٍ مِّمَّا یَمْكُرُوْنَ ۟
और आप उनपर शोक न करें और न उससे किसी संकीर्णता में हों, जो वे चाल चलते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَیَقُوْلُوْنَ مَتٰی هٰذَا الْوَعْدُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
तथा वे कहते हैं : कब पूरा होगा यह वादा, यदि तुम सच्चे हो?
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ عَسٰۤی اَنْ یَّكُوْنَ رَدِفَ لَكُمْ بَعْضُ الَّذِیْ تَسْتَعْجِلُوْنَ ۟
आप कह दें : क़रीब है कि उसका कुछ भाग तुम्हारे पीछे आ पहुँचा हो, जो तुम जल्दी माँग रहे हो।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِنَّ رَبَّكَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَی النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَشْكُرُوْنَ ۟
तथा निःसंदेह आपका पालनहार निश्चय लोगों पर बड़ा अनुग्रह करने वाला है। किंतु उनमें से अधिकतर लोग शुक्र नहीं करते।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِنَّ رَبَّكَ لَیَعْلَمُ مَا تُكِنُّ صُدُوْرُهُمْ وَمَا یُعْلِنُوْنَ ۟
और निःसंदेह आपका पालनहार निश्चय जानता है जो कुछ उनके सीने छिपाते हैं और जो कुछ वे प्रकट करते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَمَا مِنْ غَآىِٕبَةٍ فِی السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ اِلَّا فِیْ كِتٰبٍ مُّبِیْنٍ ۟
और आकाश तथा धरती में कोई छिपी चीज़ नहीं, परंतु वह एक स्पष्ट किताब[12] में मौजूद है।
12. इससे तात्पर्य सुरक्षित पट्टिका (लौह़े मह़फ़ूज़) है, जिसमें सब कुछ अंकित है।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّ هٰذَا الْقُرْاٰنَ یَقُصُّ عَلٰی بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ اَكْثَرَ الَّذِیْ هُمْ فِیْهِ یَخْتَلِفُوْنَ ۟
निःसंदेह यह क़ुरआन इसराईल की संतान के सामने अधिकतर वे बातें वर्णन करता है, जिनमें वे मतभेद करते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِنَّهٗ لَهُدًی وَّرَحْمَةٌ لِّلْمُؤْمِنِیْنَ ۟
और निःसंदेह वह निश्चय ईमान वालों के लिए सर्वथा मार्गदर्शन तथा दया है।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّ رَبَّكَ یَقْضِیْ بَیْنَهُمْ بِحُكْمِهٖ ۚ— وَهُوَ الْعَزِیْزُ الْعَلِیْمُ ۟ۚ
निःसंदेह आपका पालनहार[13] उनके बीच अपने आदेश से निर्णय कर देगा तथा वही सब पर प्रभुत्वशाली, सब कुछ जानने वाला है।
13. अर्थात प्रलय के दिन। और सत्य तथा असत्य को अलग करके उसका बदला देगा।
Faccirooji aarabeeji:
فَتَوَكَّلْ عَلَی اللّٰهِ ؕ— اِنَّكَ عَلَی الْحَقِّ الْمُبِیْنِ ۟
अतः आप अल्लाह पर भरोसा करें। निश्चय आप स्पष्ट सत्य पर हैं।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّكَ لَا تُسْمِعُ الْمَوْتٰی وَلَا تُسْمِعُ الصُّمَّ الدُّعَآءَ اِذَا وَلَّوْا مُدْبِرِیْنَ ۟
निःसंदेह आप मुर्दों को नहीं सुना सकते और न बहरों को अपनी पुकार सुना सकते, जब वे पीठ फेरकर पलट जाएँ।[14]
14. अर्थात जिनकी अंतरात्मा मर चुकी हो, और जिनकी दुराग्रह ने सत्य और असत्य का अंतर समझने की क्षमता खो दी हो।
Faccirooji aarabeeji:
وَمَاۤ اَنْتَ بِهٰدِی الْعُمْیِ عَنْ ضَلٰلَتِهِمْ ؕ— اِنْ تُسْمِعُ اِلَّا مَنْ یُّؤْمِنُ بِاٰیٰتِنَا فَهُمْ مُّسْلِمُوْنَ ۟
तथा न आप कभी अंधों को उनकी गुमारही से हटाकर सीधे मार्ग पर लाने वाले हैं। आप तो बस उन्हीं को सुना सकते हैं, जो हमारी आयतों पर ईमान रखते हैं। सो वही आज्ञाकारी हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِذَا وَقَعَ الْقَوْلُ عَلَیْهِمْ اَخْرَجْنَا لَهُمْ دَآبَّةً مِّنَ الْاَرْضِ تُكَلِّمُهُمْ ۙ— اَنَّ النَّاسَ كَانُوْا بِاٰیٰتِنَا لَا یُوْقِنُوْنَ ۟۠
और जब उनपर[15] बात पूरी हो जाएगी, तो हम उनके लिए धरती से एक पशु निकालेंगे, जो उनसे बात करेगा[16] कि निश्चय लोग हमारी आयतों पर विश्वास नहीं करते थे।
15. अर्थात प्रलय होने का समय। 16. यह पशु वही है जो प्रलय के समीप होने का एक लक्षण है, जैसा कि ह़दीस में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कथन है कि प्रलय उस समय तक नहीं होगी जब तक तुम दस लक्षण न देख लो, उनमें से एक पशु का निकलना है। (देखिए : सह़ीह़ मुस्लिम, ह़दीस संख्या : 2901) आपका दूसरा कथन यह है कि सर्व प्रथम जो लक्षण होगा वह सूर्य का पश्चिम से निकलना होगा। तथा पूर्वान्ह से पहले पशु का निकलना इनमें से जो भी पहले होगा, शीघ्र ही दूसरा उस के पश्चात होगा। (देखिए : सह़ीह़ मुस्लिम, ह़दीस संख्या : 2941) और यह पशु मानव भाषा में बात करेगा जो अल्लाह के सामर्थ्य का एक चिह्न होगा।
Faccirooji aarabeeji:
وَیَوْمَ نَحْشُرُ مِنْ كُلِّ اُمَّةٍ فَوْجًا مِّمَّنْ یُّكَذِّبُ بِاٰیٰتِنَا فَهُمْ یُوْزَعُوْنَ ۟
तथा जिस दिन हम प्रत्येक समुदाय में से उन लोगों का एक गिरोह एकत्र करेंगे, जो हमारी आयतों को झुठलाया करते थे, फिर उन्हें श्रेणियों में बांटा जाएगा।
Faccirooji aarabeeji:
حَتّٰۤی اِذَا جَآءُوْ قَالَ اَكَذَّبْتُمْ بِاٰیٰتِیْ وَلَمْ تُحِیْطُوْا بِهَا عِلْمًا اَمَّاذَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
यहाँ तक कि जब वे आ जाएँगे, तो (अल्लाह) फरमाएगा : क्या तुमने मेरी आयतों को झुठला दिया, हालाँकि तुमने उनका पूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीं किया था, या क्या था जो तुम किया करते थे?
Faccirooji aarabeeji:
وَوَقَعَ الْقَوْلُ عَلَیْهِمْ بِمَا ظَلَمُوْا فَهُمْ لَا یَنْطِقُوْنَ ۟
और उनपर (यातना की) बात सिद्ध हो जाएगी, उसके बदले जो उन्होंने अत्याचार किया, सो वे बोल न सकेंगे।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَمْ یَرَوْا اَنَّا جَعَلْنَا الَّیْلَ لِیَسْكُنُوْا فِیْهِ وَالنَّهَارَ مُبْصِرًا ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟
क्या उन्होंने नहीं देखा कि हमने रात बनाई, ताकि वे उसमें आराम करें तथा दिन को प्रकाशमान[16] (बनाया)। निःसंदेह इसमें उन लोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं, जो ईमान लाते हैं।
16. जिसके प्रकाश में वे देखें और अपनी जीविका के लिए प्रयास करें।
Faccirooji aarabeeji:
وَیَوْمَ یُنْفَخُ فِی الصُّوْرِ فَفَزِعَ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَمَنْ فِی الْاَرْضِ اِلَّا مَنْ شَآءَ اللّٰهُ ؕ— وَكُلٌّ اَتَوْهُ دٰخِرِیْنَ ۟
और जिस दिन सूर (नरसिंघा) में फूँका[17] जाएगा, तो जो भी आकाशों में है और जो भी धरती में है, घबरा जाएगा, सिवाय उसके जिसे अल्लाह चाहे। तथा वे सब उसके पास अपमानित होकर आएँगे।
17. अर्थात प्रलय के दिन।
Faccirooji aarabeeji:
وَتَرَی الْجِبَالَ تَحْسَبُهَا جَامِدَةً وَّهِیَ تَمُرُّ مَرَّ السَّحَابِ ؕ— صُنْعَ اللّٰهِ الَّذِیْۤ اَتْقَنَ كُلَّ شَیْءٍ ؕ— اِنَّهٗ خَبِیْرٌ بِمَا تَفْعَلُوْنَ ۟
और तुम पर्वतों को देखोगे, उन्हें समझोगे कि वे जमे हुए हैं, हालाँकि वे बादलों के चलने की तरह चल रहे होंगे, उस अल्लाह की कारीगरी से जिसने हर चीज़ को मज़बूत बनाया। निःसंदेह वह उससे भली-भाँति सूचित है जो तुम करते हो।
Faccirooji aarabeeji:
مَنْ جَآءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهٗ خَیْرٌ مِّنْهَا ۚ— وَهُمْ مِّنْ فَزَعٍ یَّوْمَىِٕذٍ اٰمِنُوْنَ ۟
जो व्यक्ति नेकी[18] लेकर आएगा, तो उसके लिए उससे उत्तम प्रतिफल है और ये लोग उस दिन के भय से सुरक्षित होंगे।
18. अर्थात एक अल्लाह के प्रति आस्था तथा तदानुसार कर्म लेकर प्रलय के दिन आएगा।
Faccirooji aarabeeji:
وَمَنْ جَآءَ بِالسَّیِّئَةِ فَكُبَّتْ وُجُوْهُهُمْ فِی النَّارِ ؕ— هَلْ تُجْزَوْنَ اِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
और जो बुराई लेकर आएगा, तो उनके चेहरे आग में औंधे डाले जाएँगे। तुम उसी का बदला दिए जाओगे, जो तुम किया करते थे।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّمَاۤ اُمِرْتُ اَنْ اَعْبُدَ رَبَّ هٰذِهِ الْبَلْدَةِ الَّذِیْ حَرَّمَهَا وَلَهٗ كُلُّ شَیْءٍ ؗ— وَّاُمِرْتُ اَنْ اَكُوْنَ مِنَ الْمُسْلِمِیْنَ ۟ۙ
मुझे तो बस यही आदेश दिया गया है कि मैं इस नगर (मक्का) के पालनहार की इबादत करूँ, जिसने इसे पवित्र (सम्मानित) बनाया है तथा उसी के लिए हर चीज़ है और मुझे आदेश दिया गया है कि मैं आज्ञाकारियों में से हो जाऊँ।
Faccirooji aarabeeji:
وَاَنْ اَتْلُوَا الْقُرْاٰنَ ۚ— فَمَنِ اهْتَدٰی فَاِنَّمَا یَهْتَدِیْ لِنَفْسِهٖ ۚ— وَمَنْ ضَلَّ فَقُلْ اِنَّمَاۤ اَنَا مِنَ الْمُنْذِرِیْنَ ۟
तथा यह कि मैं क़ुरआन पढ़कर सुनाऊँ। फिर जो सीधी राह पर आया, वह अपने ही लिए राह पर आता है और जो गुमराह हुआ, तो आप कह दें कि मैं तो बस डराने वालों में से हूँ।
Faccirooji aarabeeji:
وَقُلِ الْحَمْدُ لِلّٰهِ سَیُرِیْكُمْ اٰیٰتِهٖ فَتَعْرِفُوْنَهَا ؕ— وَمَا رَبُّكَ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ۟۠
तथा आप कह दें : सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है। वह जल्द ही तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाएगा, तो तुम उन्हें पहचान लोगे[19] और तुम्हारा पालनहार उससे बेखबर नहीं है, जो कुछ तुम करते हो।
19. (देखिए : सूरत ह़ा, मीम, सजदा, आयत : 53)
Faccirooji aarabeeji:
 
Firo maanaaji Simoore: Simoore korndolli
Tippudi cimooje Tonngoode hello ngoo
 
Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Firo enndiiwo - Tippudi firooji ɗii

Firo Maanaaji Al-quraan tedduɗ oo e ɗemngal enndo, firi ɗum ko Asiis Al-haq Al-umri

Uddude