Traduction des sens du Noble Coran - Traduction en Hindi * - Lexique des traductions

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Traduction des sens Sourate: MOUHAMMAD   Verset:

सूरा मुह़म्मद

اَلَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ اَضَلَّ اَعْمَالَهُمْ ۟
जिन लोगों ने कुफ़्र किया और अल्लाह के मार्ग से रोका, उस (अल्लाह) ने उनके कर्मों को नष्ट कर दिया।
Les exégèses en arabe:
وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَاٰمَنُوْا بِمَا نُزِّلَ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّهُوَ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّهِمْ ۙ— كَفَّرَ عَنْهُمْ سَیِّاٰتِهِمْ وَاَصْلَحَ بَالَهُمْ ۟
तथा जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और उस पर ईमान लाए जो मुहम्मद पर उतारा गया और वही उनके रब की ओर से सत्य है, उसने उनसे उनके बुरे कर्मों को दूर कर दिया और उनके हाल को ठीक कर दिया।
Les exégèses en arabe:
ذٰلِكَ بِاَنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوا اتَّبَعُوا الْبَاطِلَ وَاَنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّبَعُوا الْحَقَّ مِنْ رَّبِّهِمْ ؕ— كَذٰلِكَ یَضْرِبُ اللّٰهُ لِلنَّاسِ اَمْثَالَهُمْ ۟
यह इसलिए कि निःसंदेह जिन लोगों ने कुफ़्र किया, उन्होंने असत्य का अनुसरण किया और निःसंदेह जो लोग ईमान लाए, उन्होंने अपने पालनहार की ओर से (आये हुए) सत्य का अनुसरण किया। इसी प्रकार अल्लाह लोगों के लिए उनकी मिसालें बयान करता है।[1]
1. यह सूरत बद्र के युद्ध से पहले उतरी। जिसमें मक्का के काफ़िरों के आक्रमण से अपने धर्म और प्राण तथा मान-मर्यादा की रक्षा के लिए युद्ध करने की प्रेरणा तथा साहस और आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।
Les exégèses en arabe:
فَاِذَا لَقِیْتُمُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فَضَرْبَ الرِّقَابِ ؕ— حَتّٰۤی اِذَاۤ اَثْخَنْتُمُوْهُمْ فَشُدُّوا الْوَثَاقَ ۙ— فَاِمَّا مَنًّا بَعْدُ وَاِمَّا فِدَآءً حَتّٰی تَضَعَ الْحَرْبُ اَوْزَارَهَا— ذٰلِكَ ۛؕ— وَلَوْ یَشَآءُ اللّٰهُ لَانْتَصَرَ مِنْهُمْ ۙ— وَلٰكِنْ لِّیَبْلُوَاۡ بَعْضَكُمْ بِبَعْضٍ ؕ— وَالَّذِیْنَ قُتِلُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ فَلَنْ یُّضِلَّ اَعْمَالَهُمْ ۟
अतः जब तुम काफ़िरों से मुठभेड़ करो, तो गरदनें मारना है, यहाँ तक कि जब उन्हें अच्छी तरह से क़त्ल कर चुको, तो (उन्हें) कसकर बाँध लो। फिर बाद में या तो उपकार करना है और या छुड़ौती लेना। यहाँ तक कि युद्ध अपने हथियार रख दे।[2] यही (अल्लाह का आदेश) है। और यदि अल्लाह चाहे, तो अवश्य उनसे बदला ले। किंतु (यह आदेश इसलिए दिया) ताकि तुममें से कुछ की कुछ के साथ परीक्षा ले। और जो लोग अल्लाह की राह में मारे गए, तो वह (अल्लाह) उनके कर्मों को कदापि व्यर्थ नहीं करेगा।
2. इस्लाम से पहले युद्ध के बंदियों को दास बना लिया जाता था, किंतु इस्लाम उन्हें उपकार करके या छुड़ौती लेकर मुक्त करने का आदेश देता है। इस आयत में यह संकेत हैं कि इस्लाम जिहाद की अनुमति दूसरों के आक्रमण से रक्षा के लिए देता है।
Les exégèses en arabe:
سَیَهْدِیْهِمْ وَیُصْلِحُ بَالَهُمْ ۟ۚ
वह उनका मार्गदर्शन करेगा और उनकी स्थिति सुधार देगा।
Les exégèses en arabe:
وَیُدْخِلُهُمُ الْجَنَّةَ عَرَّفَهَا لَهُمْ ۟
और उन्हें उस जन्नत में दाखिल करेगा, जिससे वह उन्हें परिचित करा चुका है।
Les exégèses en arabe:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنْ تَنْصُرُوا اللّٰهَ یَنْصُرْكُمْ وَیُثَبِّتْ اَقْدَامَكُمْ ۟
ऐ ईमान वालो! यदि तुम अल्लाह (के धर्म) की सहायता करोगे, तो वह तुम्हारी सहायता करेगा और तुम्हारे क़दम जमा देगा।
Les exégèses en arabe:
وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا فَتَعْسًا لَّهُمْ وَاَضَلَّ اَعْمَالَهُمْ ۟
और जिन लोगों ने कुफ़्र किया, तो उनके लिए विनाश है और उसने उनके कर्मों को व्यर्थ कर दिया।
Les exégèses en arabe:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَرِهُوْا مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ فَاَحْبَطَ اَعْمَالَهُمْ ۟
यह इसलिए कि उन्होंने उस चीज़ को नापसंद किया, जिसे अल्लाह ने उतारा, तो उसने उनके कर्म अकारथ कर दिए।[3]
3. इसमें इस ओर संकेत है कि बिना ईमान के अल्लाह के पास कोई सत्कर्म मान्य नहीं है।
Les exégèses en arabe:
اَفَلَمْ یَسِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَیَنْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— دَمَّرَ اللّٰهُ عَلَیْهِمْ ؗ— وَلِلْكٰفِرِیْنَ اَمْثَالُهَا ۟
तो क्या ये लोग धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ जो इनसे पहले थे? अल्लाह ने उन्हें नष्ट कर दिया और इन काफ़िरों के लिए भी इसी के समान (यातनाएँ) हैं।
Les exégèses en arabe:
ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ مَوْلَی الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَاَنَّ الْكٰفِرِیْنَ لَا مَوْلٰی لَهُمْ ۟۠
यह इसलिए कि निःसंदेह अल्लाह उन लोगों का संरक्षक है जो ईमान लाए और इसलिए कि निःसंदेह काफ़िरों का कोई संरक्षक नहीं।[4]
4. उह़ुद के युद्ध में जब काफ़िरों ने कहा कि हमारे पास उज़्ज़ा (देवी) है, और तुम्हारे पास कोई उज़्ज़ा नहीं। तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा कि उनका उत्तर देते हुए कहो : अल्लाह हमारा संरक्षक है और तुम्हारा कोई संरक्षक नहीं। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4043)
Les exégèses en arabe:
اِنَّ اللّٰهَ یُدْخِلُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ؕ— وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا یَتَمَتَّعُوْنَ وَیَاْكُلُوْنَ كَمَا تَاْكُلُ الْاَنْعَامُ وَالنَّارُ مَثْوًی لَّهُمْ ۟
निश्चय अल्लाह उन लोगों को जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, ऐसे बाग़ों में दाखिल करेगा जिनके नीचे से नहरें बहती हैं। तथा जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे फ़ायदा उठाते और खाते हैं, जैसे पशु खाते हैं और आग उनके लिए रहने की जगह है।
Les exégèses en arabe:
وَكَاَیِّنْ مِّنْ قَرْیَةٍ هِیَ اَشَدُّ قُوَّةً مِّنْ قَرْیَتِكَ الَّتِیْۤ اَخْرَجَتْكَ ۚ— اَهْلَكْنٰهُمْ فَلَا نَاصِرَ لَهُمْ ۟
तथा कितनी ही बस्तियाँ हैं, जो आपकी उस बस्ती से अधिक शक्तिशाली थीं, जिसने आपको निकाल दिया, हमने उन्हें नष्ट कर दिया, फिर कोई उनका सहायक न था।
Les exégèses en arabe:
اَفَمَنْ كَانَ عَلٰی بَیِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّهٖ كَمَنْ زُیِّنَ لَهٗ سُوْٓءُ عَمَلِهٖ وَاتَّبَعُوْۤا اَهْوَآءَهُمْ ۟
तो क्या वह व्यक्ति जो अपने रब की ओर से एक स्पष्ट तर्क पर है, उस व्यक्ति के समान है, जिसके लिए उसके बुरे कर्मों को सुंदर बना दिया गया और उसने अपनी इच्छाओं का पालन किया?
Les exégèses en arabe:
مَثَلُ الْجَنَّةِ الَّتِیْ وُعِدَ الْمُتَّقُوْنَ ؕ— فِیْهَاۤ اَنْهٰرٌ مِّنْ مَّآءٍ غَیْرِ اٰسِنٍ ۚ— وَاَنْهٰرٌ مِّنْ لَّبَنٍ لَّمْ یَتَغَیَّرْ طَعْمُهٗ ۚ— وَاَنْهٰرٌ مِّنْ خَمْرٍ لَّذَّةٍ لِّلشّٰرِبِیْنَ ۚ۬— وَاَنْهٰرٌ مِّنْ عَسَلٍ مُّصَفًّی ؕ— وَلَهُمْ فِیْهَا مِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ وَمَغْفِرَةٌ مِّنْ رَّبِّهِمْ ؕ— كَمَنْ هُوَ خَالِدٌ فِی النَّارِ وَسُقُوْا مَآءً حَمِیْمًا فَقَطَّعَ اَمْعَآءَهُمْ ۟
उस जन्नत की विशेषता, जिसका वादा परहेज़गारों से किया गया है, यह है कि उसमें कई नहरें ऐसे पानी की हैं जो खराब होने वाला नहीं, और कई नहरें दूध की हैं जिनका स्वाद नहीं बदला, और कई नहरें शराब की हैं जो पीने वालों के लिए स्वादिष्ट है, और कई नहरें ख़ूब साफ़ किए हुए शहद की हैं। और उनके लिए उसमें हर प्रकार के फल और उनके पालनहार की ओर से बड़ी क्षमा है। (क्या ये परहेज़गार) उनके समान हैं, जो सदैव आग (जहन्नम) में रहने वाले हैं तथा जिन्हें खौलता हुआ पानी पिलाया जाएगा, जो उनकी आँतों के टुकड़े-टुकड़े कर देगा?
Les exégèses en arabe:
وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّسْتَمِعُ اِلَیْكَ ۚ— حَتّٰۤی اِذَا خَرَجُوْا مِنْ عِنْدِكَ قَالُوْا لِلَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ مَاذَا قَالَ اٰنِفًا ۫— اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ طَبَعَ اللّٰهُ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ وَاتَّبَعُوْۤا اَهْوَآءَهُمْ ۟
तथा उनमें से कुछ लोग ऐसे हैं, जो आपकी ओर कान लगाते हैं, यहाँ तक कि जब वे आपके पास से निकलते हैं, तो उन लोगों से जिन्हें ज्ञान प्रदान किया गया है, कहते हैं कि उसने अभी क्या[5] कहा? यही लोग हैं, जिनके दिलों पर अल्लाह ने मुहर लगा दी और उन्होंने अपनी इच्छाओं का पालन किया।
5. यह कुछ मुनाफ़िक़ों की दशा का वर्णन है जिनको आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की बातें समझ में नहीं आती थीं। क्योंकि वे आप की बातें दिल लगा कर नहीं सुनते थे। तथा आपकी बातों का इस प्रकार उपहास करते थे।
Les exégèses en arabe:
وَالَّذِیْنَ اهْتَدَوْا زَادَهُمْ هُدًی وَّاٰتٰىهُمْ تَقْوٰىهُمْ ۟
और वे लोगों जिन्होंने मार्गदर्शन अपनाया, उसने उन्हें हिदायत में बढ़ा दिया और उन्हें उनका तक़वा प्रदान किया।
Les exégèses en arabe:
فَهَلْ یَنْظُرُوْنَ اِلَّا السَّاعَةَ اَنْ تَاْتِیَهُمْ بَغْتَةً ۚ— فَقَدْ جَآءَ اَشْرَاطُهَا ۚ— فَاَنّٰی لَهُمْ اِذَا جَآءَتْهُمْ ذِكْرٰىهُمْ ۟
तो वे किस चीज़ का इंतज़ार कर रहे हैं सिवाय क़ियामत के कि वह उनपर अचानक आ जाए? तो निश्चय उसकी निशानियाँ[6] आ चुकी हैं, फिर जब वह उनके पास आ जाएगी, तो उनके लिए नसीहत ग्रहण करना कैसे संभव होगा?
6. आयत में कहा गया है कि प्रलय के लक्षण आ चुके हैं। और उनमें सब से बड़ा लक्षण आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का आगमन है। जैसा कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कथन है कि आपने फरमाया : "मेरा आगमन तथा प्रलय इन दो उंग्लियों के समान है।" (सह़ीह़ बुख़ारी 4936) अर्थात बहुत समीप है। जिसका अर्थ यह है कि जिस प्रकार दो उंग्लियों के बीच कोई तीसरी उंगली नहीं, इसी प्रकार मेरे और प्रलय के बीच कोई नबी नहीं। मेरे आगमन के पश्चात् अब प्रलय ही आएगी।
Les exégèses en arabe:
فَاعْلَمْ اَنَّهٗ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَاسْتَغْفِرْ لِذَنْۢبِكَ وَلِلْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ ؕ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ مُتَقَلَّبَكُمْ وَمَثْوٰىكُمْ ۟۠
अतः जान लें कि निःसंदेह तथ्य यह है कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, तथा अपने पापों के लिए क्षमा[7] माँगें और ईमान वाले पुरुषों और ईमान वाली स्त्रियों के लिए भी, और अल्लाह तुम्हारे चलने-फिरने और तुम्हारे ठहरने को जानता है।
7. आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : मैं दिन में सत्तर बार से अधिक अल्लाह से क्षमा माँगता तथा तौबा करता हूँ। (बुख़ारी : 6307) और फरमाया : लोगो! अल्लाह से क्षमा माँगो। मैं दिन में सौ बार क्षमा माँगता हूँ। (सह़ीह़ मुस्लिम : 2702)
Les exégèses en arabe:
وَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَوْلَا نُزِّلَتْ سُوْرَةٌ ۚ— فَاِذَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ مُّحْكَمَةٌ وَّذُكِرَ فِیْهَا الْقِتَالُ ۙ— رَاَیْتَ الَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ یَّنْظُرُوْنَ اِلَیْكَ نَظَرَ الْمَغْشِیِّ عَلَیْهِ مِنَ الْمَوْتِ ؕ— فَاَوْلٰى لَهُمْ ۟ۚ
तथा जो लोग ईमान लाए, वे कहते हैं कि कोई सूरत क्यों नहीं उतारी गई (जिसमें युद्ध का उल्लेख हो)? फिर जब कोई मोहकम (दृढ़) सूरत उतारी जाती है और उसमें युद्ध का उल्लेख होता है, तो आप उन लोगों को देखेंगे जिनके दिलों में बीमारी है, वे आपकी ओर इस तरह देखेंगे, जैसे वह आदमी देखता है, जिसपर मौत की बेहोशी छा गई हो। तो उनके लिए उत्तम है।
Les exégèses en arabe:
طَاعَةٌ وَّقَوْلٌ مَّعْرُوْفٌ ۫— فَاِذَا عَزَمَ الْاَمْرُ ۫— فَلَوْ صَدَقُوا اللّٰهَ لَكَانَ خَیْرًا لَّهُمْ ۟ۚ
आज्ञा का पालन करना और अच्छी बात कहना, फिर जब आज्ञा आवश्यक हो जाए, तो यदि वे अल्लाह के प्रति सच्चे रहें, तो निश्चय ही यह उनके लिए बेहतर है।
Les exégèses en arabe:
فَهَلْ عَسَیْتُمْ اِنْ تَوَلَّیْتُمْ اَنْ تُفْسِدُوْا فِی الْاَرْضِ وَتُقَطِّعُوْۤا اَرْحَامَكُمْ ۟
फिर निश्चय तुम निकट हो, यदि तुम मुँह फेर लो[8], कि तुम धरती में बिगाड़ पैदा करो और अपने संबंधों को पूरी तरह से काट दो।
8. अर्थात अल्लाह तथा रसूल की आज्ञा का पालन करने से। इस आयत में संकेत है कि धरती में उपद्रव, तथा रक्तपात का कारण अल्लाह तथा उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की आज्ञा से विमुख होने का परिणाम है। ह़दीस में है कि जो रिश्ते (संबंध) को जोड़ेगा, तो अल्लाह उसको (अपनी दया से) जोड़ेगा। और जो तोड़ेगा, तो उसे (अपनी दया से) दूर करेगा। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4820)
Les exégèses en arabe:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ لَعَنَهُمُ اللّٰهُ فَاَصَمَّهُمْ وَاَعْمٰۤی اَبْصَارَهُمْ ۟
यही वे लोग हैं, जिन्हें अल्लाह ने अपनी दया से दूर कर दिया। अतः उन्हें बहरा बना दिया और उनकी आँखें अंधी कर दीं।[9]
9. अतः वे न तो सत्य को देख सकते हैं और न ही सुन सकते हैं।
Les exégèses en arabe:
اَفَلَا یَتَدَبَّرُوْنَ الْقُرْاٰنَ اَمْ عَلٰی قُلُوْبٍ اَقْفَالُهَا ۟
तो क्या वे क़ुरआन में सोच-विचार नहीं करते या उनके दिलों पर ताले लगे हैं?
Les exégèses en arabe:
اِنَّ الَّذِیْنَ ارْتَدُّوْا عَلٰۤی اَدْبَارِهِمْ مِّنْ بَعْدِ مَا تَبَیَّنَ لَهُمُ الْهُدَی ۙ— الشَّیْطٰنُ سَوَّلَ لَهُمْ ؕ— وَاَمْلٰی لَهُمْ ۟
निःसंदेह जो लोग अपनी पीठों के बल फिर गए, इसके बाद कि उनके लिए सीधा रास्ता स्पष्ट हो गया, शैतान ने उनके लिए (उनके कार्य को) सुशोभित कर दिया और उन्हें लंबी आशा दिलाई।
Les exégèses en arabe:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَالُوْا لِلَّذِیْنَ كَرِهُوْا مَا نَزَّلَ اللّٰهُ سَنُطِیْعُكُمْ فِیْ بَعْضِ الْاَمْرِ ۚ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ اِسْرَارَهُمْ ۟
यह इसलिए कि उन्होंने, उन लोगों से जिन्होंने उसे नापसंद किया जो अल्लाह ने उतारा है, कहा कि हम कुछ मामलों में तुम्हारी बात मानेंगे और अल्लाह उनके छिपाने को जानता है।
Les exégèses en arabe:
فَكَیْفَ اِذَا تَوَفَّتْهُمُ الْمَلٰٓىِٕكَةُ یَضْرِبُوْنَ وُجُوْهَهُمْ وَاَدْبَارَهُمْ ۟
तो क्या हाल होगा जब फ़रिश्ते उनके प्राण निकालेंगे, उनके चेहरों और उनकी पीठों पर मारते होंगे।
Les exégèses en arabe:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمُ اتَّبَعُوْا مَاۤ اَسْخَطَ اللّٰهَ وَكَرِهُوْا رِضْوَانَهٗ فَاَحْبَطَ اَعْمَالَهُمْ ۟۠
यह इस कारण कि निःसंदेह उन्होंने उसका अनुसरण किया जिसने अल्लाह को क्रोधित कर दिया और उसकी प्रसन्नता को बुरा जाना, तो उसने उनके कर्मों को नष्ट कर दिया।[10]
10. आयत में उनके दुष्परिणाम की ओर संकेत है जो इस्लाम के साथ उसके विरोधी नियमों और विधानों को मानते हैं और युद्ध के समय काफ़िरों का साथ देते हैं।
Les exégèses en arabe:
اَمْ حَسِبَ الَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ اَنْ لَّنْ یُّخْرِجَ اللّٰهُ اَضْغَانَهُمْ ۟
या उन लोगों ने जिनके दिलों में कोई बीमारी है, यह समझ रखा है कि अल्लाह उनके द्वेष कभी प्रकट नहीं करेगा?[11]
11. अर्थात जो द्वेष और बैर इस्लाम और मुसलमानों से रखते हैं, अल्लाह उसे अवश्य उजागर करके रहेगा।
Les exégèses en arabe:
وَلَوْ نَشَآءُ لَاَرَیْنٰكَهُمْ فَلَعَرَفْتَهُمْ بِسِیْمٰهُمْ ؕ— وَلَتَعْرِفَنَّهُمْ فِیْ لَحْنِ الْقَوْلِ ؕ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ اَعْمَالَكُمْ ۟
और (ऐ नबी!) यदि हम चाहें तो अवश्य आपको वे लोग दिखा दें, फिर निश्चय आप उन्हें उनकी निशानियों से पहचान लेंगे तथा आप उन्हें उनके बात करने के ढंग से अवश्य पहचान लेंगे। और अल्लाह तुम्हारे कामों को जानता है।
Les exégèses en arabe:
وَلَنَبْلُوَنَّكُمْ حَتّٰی نَعْلَمَ الْمُجٰهِدِیْنَ مِنْكُمْ وَالصّٰبِرِیْنَ ۙ— وَنَبْلُوَاۡ اَخْبَارَكُمْ ۟
और हम अवश्य ही तुम्हारी परीक्षा लेंगे, यहाँ तक कि हम तुममें से जिहाद करने वालों और सब्र करने वालों को जान लें और तुम्हारी परिस्थितियों को परख लें।
Les exégèses en arabe:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَشَآقُّوا الرَّسُوْلَ مِنْ بَعْدِ مَا تَبَیَّنَ لَهُمُ الْهُدٰی ۙ— لَنْ یَّضُرُّوا اللّٰهَ شَیْـًٔا ؕ— وَسَیُحْبِطُ اَعْمَالَهُمْ ۟
निःसंदेह जिन लोगों ने कुफ़्र किया और अल्लाह की राह से रोका तथा रसूल का विरोध किया, इसके पश्चात कि उनके लिए सीधा मार्ग स्पष्ट हो गया, वे कदापि अल्लाह का कोई नुक़सान नहीं करेंगे और जल्द ही वह उनके कर्मों को नष्ट कर देगा।
Les exégèses en arabe:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَطِیْعُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوا الرَّسُوْلَ وَلَا تُبْطِلُوْۤا اَعْمَالَكُمْ ۟
ऐ लोगो जो ईमान लाए हो! अल्लाह का आज्ञापालन करो और रसूल का आज्ञापालन करो[12] तथा अपने कर्मों को व्यर्थ न करो।
12. इस आयत में कहा गया है कि जिस प्रकार क़ुरआन को मानना अनिवार्य है, उसी प्रकार नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की सुन्नत (ह़दीसों) का पालन करना भी अनिवार्य है। ह़दीस में है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : मेरी उम्मत स्वर्ग में जाएगी सिवा उस व्यक्ति के जिसने इनकार किया। कहा गया कि कौन इनकार करेगा, ऐ अल्लाह के रसूल!? आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : जिसने मेरी आज्ञा का पालन किया, वह स्वर्ग में जाएगा। और जिसने मेरी अवज्ञा की, तो निश्चय उसने इनकार किया। (सह़ीह़ बुख़ारी : 7280)
Les exégèses en arabe:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ثُمَّ مَاتُوْا وَهُمْ كُفَّارٌ فَلَنْ یَّغْفِرَ اللّٰهُ لَهُمْ ۟
निःसंदेह जिन लोगों ने कुफ़्र किया और अल्लाह के मार्ग से रोका, फिर वे काफ़िर ही रहते हुए मर गए, तो अल्लाह उन्हें कभी क्षमा नहीं करेगा।
Les exégèses en arabe:
فَلَا تَهِنُوْا وَتَدْعُوْۤا اِلَی السَّلْمِ ۖۗ— وَاَنْتُمُ الْاَعْلَوْنَ ۖۗ— وَاللّٰهُ مَعَكُمْ وَلَنْ یَّتِرَكُمْ اَعْمَالَكُمْ ۟
अतः निर्बल न बनो और न सुलह[13] के लिए बुलाओ और तुम ही सर्वोच्च हो और अल्लाह तुम्हारे साथ है और वह कभी भी तुम्हारे कामों को तुमसे कम न करेगा।
13. आयत का अर्थ यह नहीं कि इस्लाम संधि का विरोधी है। इसका अर्थ यह है कि ऐसी दशा में शत्रु से संधि न करो कि वह तुम्हें निर्बल समझने लगे। बल्कि अपनी शक्ति का लोहा मनवाने के पश्चात संधि करो। ताकि वह तुम्हें निर्बल समझ कर जैसे चाहें संधि के लिये बाध्य न कर लें।
Les exégèses en arabe:
اِنَّمَا الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا لَعِبٌ وَّلَهْوٌ ؕ— وَاِنْ تُؤْمِنُوْا وَتَتَّقُوْا یُؤْتِكُمْ اُجُوْرَكُمْ وَلَا یَسْـَٔلْكُمْ اَمْوَالَكُمْ ۟
सांसारिक जीवन तो केवल एक खेल और तमाशा है और यदि तुम ईमान लाओ और (अल्लाह से) डरते रहो, तो वह तुम्हें तुम्हारा प्रतिफल प्रदान करेगा और तुमसे तुम्हारा (सारा) धन नहीं माँगेगा।
Les exégèses en arabe:
اِنْ یَّسْـَٔلْكُمُوْهَا فَیُحْفِكُمْ تَبْخَلُوْا وَیُخْرِجْ اَضْغَانَكُمْ ۟
यदि वह तुमसे उनकी माँग करे और तुमपर ज़ोर देकर माँगे, तो तुम कंजूसी करोगे और वह तुम्हारे द्वेष को प्रकट कर देगा।[14]
14. अर्थात तुम्हारा पूरा धन माँगे, तो यह स्वाभाविक है कि तुम कंजूसी करके दोषी बन जाओगे। इसलिए इस्लाम ने केवल ज़कात अनिवार्य की है। जो कुल धन का ढाई प्रतिशत है।
Les exégèses en arabe:
هٰۤاَنْتُمْ هٰۤؤُلَآءِ تُدْعَوْنَ لِتُنْفِقُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ۚ— فَمِنْكُمْ مَّنْ یَّبْخَلُ ۚ— وَمَنْ یَّبْخَلْ فَاِنَّمَا یَبْخَلُ عَنْ نَّفْسِهٖ ؕ— وَاللّٰهُ الْغَنِیُّ وَاَنْتُمُ الْفُقَرَآءُ ۚ— وَاِنْ تَتَوَلَّوْا یَسْتَبْدِلْ قَوْمًا غَیْرَكُمْ ۙ— ثُمَّ لَا یَكُوْنُوْۤا اَمْثَالَكُمْ ۟۠
सुनो! तुम वे लोग हो कि अल्लाह की राह में खर्च करने के लिए बुलाए जाते हो, तो तुममें से कुछ लोग कंजूसी करते हैं। हालाँकि जो कंजूसी करता है, वह अपने आप ही से कंजूसी[15] करता है। और अल्लाह तो बेनियाज़ है, और तुम ही मोहताज हो। और यदि तुम फिर जाओगे, तो वह तुम्हारे स्थान पर तुम्हारे सिवा और लोगों को ले आएगा, फिर वे तुम्हारे जैसे नहीं होंगे।[16]
15. अर्थात कंजूसी करके अपने ही को हानि पहुँचाता है। 16. तो कंजूस नहीं होंगे। (देखिए : सूरतुल-माइदा, आयत : 54)
Les exégèses en arabe:
 
Traduction des sens Sourate: MOUHAMMAD
Lexique des sourates Numéro de la page
 
Traduction des sens du Noble Coran - Traduction en Hindi - Lexique des traductions

ترجمة معاني القرآن الكريم إلى اللغة الهندية، ترجمها عزيز الحق العمري.

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