Fassarar Ma'anonin Alqura'ni - Fassara a Yaren Hindu * - Teburin Bayani kan wasu Fassarori

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Fassarar Ma'anoni Sura: Suratu Al'roum   Aya:

सूरा अर्-रूम

الٓمّٓ ۟ۚ
अलिफ़, लाम, मीम।
Tafsiran larabci:
غُلِبَتِ الرُّوْمُ ۟ۙ
रूमी पराजित हो गए।
Tafsiran larabci:
فِیْۤ اَدْنَی الْاَرْضِ وَهُمْ مِّنْ بَعْدِ غَلَبِهِمْ سَیَغْلِبُوْنَ ۟ۙ
निकटतम क्षेत्र में। और वे अपनी पराजय के बाद जल्द ही विजयी हो जाएँगे!
Tafsiran larabci:
فِیْ بِضْعِ سِنِیْنَ ؕ۬— لِلّٰهِ الْاَمْرُ مِنْ قَبْلُ وَمِنْ بَعْدُ ؕ— وَیَوْمَىِٕذٍ یَّفْرَحُ الْمُؤْمِنُوْنَ ۟ۙ
कुछ वर्षों में। सारा मामला अल्लाह के अधिकार में है, पहले भी और बाद में भी। और उस दिन ईमान वाले प्रसन्न होंगे।
Tafsiran larabci:
بِنَصْرِ اللّٰهِ ؕ— یَنْصُرُ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟ۙ
अल्लाह की सहायता से। वह जिसकी चाहता है, सहायता करता है। वह सब पर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान है।
Tafsiran larabci:
وَعْدَ اللّٰهِ ؕ— لَا یُخْلِفُ اللّٰهُ وَعْدَهٗ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
यह अल्लाह का वादा है। अल्लाह अपने वादे[1] के विरुद्ध नहीं करता। परंतु अधिकतर लोग नहीं जानते।
1. इन आयतों के अंदर दो भविष्यवाणियाँ की गई हैं। जो क़ुरआन शरीफ़ तथा स्वयं नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के सत्य होने का ऐतिहासिक प्रमाण हैं। यह वह युग था जब नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और मक्का के क़ुरैश के बीच युद्ध आरंभ हो गया था। रूम के राजा क़ैसर को उस समय, ईरान के राजा किस्रा ने पराजित कर दिया था। जिससे मक्का वासी प्रसन्न थे। क्योंकि वह अग्नि के पुजारी थे। और रूमी ईसाई अकाशीय धर्म के अनुयायी थे। और कह रहे थे कि हम मिश्रणवादी भी इसी प्रकार मुसलमानों को पराजित कर देंगे जिस प्रकार रूमियों को ईरानियों ने पराजित किया। इसी पर यह दो भविष्यवाणी की गई कि रूमी कुछ वर्षों में फिर विजयी हो जाएँगे और यह भविष्यवाणी इसके साथ पूरी होगी कि मुसलमान भी उसी समय विजय होकर प्रसन्न हो रहे होंगे। और ऐसा ही हुआ कि 9 वर्ष के भीतर रूमियों ने ईरानियों को पराजित कर दिया।
Tafsiran larabci:
یَعْلَمُوْنَ ظَاهِرًا مِّنَ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۖۚ— وَهُمْ عَنِ الْاٰخِرَةِ هُمْ غٰفِلُوْنَ ۟
वे केवल दुनिया के जीवन के कुछ बाहरी स्वरूप[2] को जानते हैं, और वे आख़िरत से बिलकुल गाफ़िल हैं।
2. अर्थात सुख-सुविधा और आनंद को। और वे इससे अचेत हैं कि एक और जीवन भी है जिसमें कर्मों के परिणाम सामने आएँगे। बल्कि यही देखा जाता है कि कभी एक जाति उन्नति कर लेने के पश्चात् असफल हो जाती है।
Tafsiran larabci:
اَوَلَمْ یَتَفَكَّرُوْا فِیْۤ اَنْفُسِهِمْ ۫— مَا خَلَقَ اللّٰهُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَیْنَهُمَاۤ اِلَّا بِالْحَقِّ وَاَجَلٍ مُّسَمًّی ؕ— وَاِنَّ كَثِیْرًا مِّنَ النَّاسِ بِلِقَآئِ رَبِّهِمْ لَكٰفِرُوْنَ ۟
क्या उन लोगों ने अपने दिलों में विचार नहीं किया कि अल्लाह ने आकाशों और धरती को और उन दोनों के बीच मौजूद सारी चीज़ों[3] को सत्य के साथ और एक निश्चित अवधि के लिए ही पैदा किया है?! और निःसंदेह बहुत-से लोग अपने पालनहार से मिलने का इनकार करते हैं।
3. संसार की व्यवस्था बता रही है कि यह अकारण नहीं, बल्कि इसका कुछ अभिप्राय है।
Tafsiran larabci:
اَوَلَمْ یَسِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَیَنْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— كَانُوْۤا اَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةً وَّاَثَارُوا الْاَرْضَ وَعَمَرُوْهَاۤ اَكْثَرَ مِمَّا عَمَرُوْهَا وَجَآءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ ؕ— فَمَا كَانَ اللّٰهُ لِیَظْلِمَهُمْ وَلٰكِنْ كَانُوْۤا اَنْفُسَهُمْ یَظْلِمُوْنَ ۟ؕ
और क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते उन लोगों का परिणाम कैसा हुआ, जो उनसे पहले थे? वे उनसे अधिक शक्तिशाली थे और उन्होंने धरती को जोता-बोया और उसे आबाद किया उससे अधिक जितना उन्होंने उसे आबाद किया था, और उनके पास उनके रसूल खुली निशानियाँ लेकर आए। तो अल्लाह ऐसा न था कि उनपर अत्याचार करे, लेकिन वे स्वयं अपने ऊपर अत्याचार करते थे।
Tafsiran larabci:
ثُمَّ كَانَ عَاقِبَةَ الَّذِیْنَ اَسَآءُوا السُّوْٓاٰۤی اَنْ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِ اللّٰهِ وَكَانُوْا بِهَا یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟۠
फिर जिन लोगों ने बुराई की, उनका बहुत ही बुरा अंत हुआ, इसलिए कि उन्होंने अल्लाह की आयतों को झुठलाया और वे उनका उपहास करते थे।
Tafsiran larabci:
اَللّٰهُ یَبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ یُعِیْدُهٗ ثُمَّ اِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟
अल्लाह ही सृष्टि का आरंभ करता है। फिर वही उसे दोबारा पैदा करेगा। फिर तुम उसी की ओर लौटाए[4] जाओगे।
4. अर्थात प्रलय के दिन अपने सांसारिक अच्छे-बुरे कामों का प्रतिकार पाने के लिए।
Tafsiran larabci:
وَیَوْمَ تَقُوْمُ السَّاعَةُ یُبْلِسُ الْمُجْرِمُوْنَ ۟
और जिस दिन क़ियामत क़ायम होगी, अपराधी निराश[5] हो जाएँगे।
5. अर्थात अपनी मुक्ति से और चकित होकर रह जएँगे।
Tafsiran larabci:
وَلَمْ یَكُنْ لَّهُمْ مِّنْ شُرَكَآىِٕهِمْ شُفَعٰٓؤُا وَكَانُوْا بِشُرَكَآىِٕهِمْ كٰفِرِیْنَ ۟
और उनके लिए उनके साझियों में से कोई सिफ़ारिश करने वाले नहीं होंगे और वे अपने साझियों का इनकार करने वाले[6] होंगे।
6. क्योंकि वे देख लेंगे कि उन्हें सिफ़ारिश करने का कोई अधिकार नहीं होगा। (देखिए : सूरतुल अन्आम, आयत : 23)
Tafsiran larabci:
وَیَوْمَ تَقُوْمُ السَّاعَةُ یَوْمَىِٕذٍ یَّتَفَرَّقُوْنَ ۟
और जिस दिन क़ियामत क़ायम होगी, उस दिन वे अलग-अलग हो जाएँगे।
Tafsiran larabci:
فَاَمَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصَّلِحٰتِ فَهُمْ فِیْ رَوْضَةٍ یُّحْبَرُوْنَ ۟
फिर जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कार्य किए, वे जन्नत में प्रसन्नमय रखे जाएँगे।
Tafsiran larabci:
وَاَمَّا الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَلِقَآئِ الْاٰخِرَةِ فَاُولٰٓىِٕكَ فِی الْعَذَابِ مُحْضَرُوْنَ ۟
और जिन लोगों ने कुफ़्र किया और हमारी आयतों और आख़िरत की मुलाक़ात को झुठलाया, वे यातना में उपस्थित किए जाएँगे।
Tafsiran larabci:
فَسُبْحٰنَ اللّٰهِ حِیْنَ تُمْسُوْنَ وَحِیْنَ تُصْبِحُوْنَ ۟
अतः तुम अल्लाह की पवित्रता का वर्णन करो,जब तुम शाम करते हो और जब सुबह करते हो।
Tafsiran larabci:
وَلَهُ الْحَمْدُ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَعَشِیًّا وَّحِیْنَ تُظْهِرُوْنَ ۟
तथा उसी के लिए सब प्रशंसा है आकाशों एवं धरती में, और तीसरे पहर तथा जब तुम ज़ुहर के समय में प्रवेश करते हो।
Tafsiran larabci:
یُخْرِجُ الْحَیَّ مِنَ الْمَیِّتِ وَیُخْرِجُ الْمَیِّتَ مِنَ الْحَیِّ وَیُحْیِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ؕ— وَكَذٰلِكَ تُخْرَجُوْنَ ۟۠
वह जीवित को मृत से निकालता[7] है तथा मृत को जीवित से निकालता है और धरती को उसके मृत हो जाने के बाद जीवित करता है। और इसी प्रकार, तुम (भी) निकाले जाओगे।
7. यहाँ से यह बताया जा रहा है कि परलोक में सब को पुनः जीवित किया जाना संभव है और उसका प्रमाण दिया जा रहा है। इसी के साथ यह भी बताया जा रहा है कि इस ब्रह्मांड का स्वामी और व्यवस्थापक अल्लाह ही है, अतः पूज्य भी केवल वही है।
Tafsiran larabci:
وَمِنْ اٰیٰتِهٖۤ اَنْ خَلَقَكُمْ مِّنْ تُرَابٍ ثُمَّ اِذَاۤ اَنْتُمْ بَشَرٌ تَنْتَشِرُوْنَ ۟
और उसकी निशानियों में से है कि उसने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर एकाएक तुम मनुष्य हो, जो फैल रहे हो।
Tafsiran larabci:
وَمِنْ اٰیٰتِهٖۤ اَنْ خَلَقَ لَكُمْ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ اَزْوَاجًا لِّتَسْكُنُوْۤا اِلَیْهَا وَجَعَلَ بَیْنَكُمْ مَّوَدَّةً وَّرَحْمَةً ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّتَفَكَّرُوْنَ ۟
तथा उसकी निशानियों में से है कि उसने तुम्हारे लिए तुम्ही में से जोड़े पैदा किए, ताकि तुम उनके पास शांति प्राप्त करो। तथा उसने तुम्हारे बीच प्रेम और दया रख दी। निःसंदेह इसमें उन लोगों के लिए बहुत-सी निशाननियाँ हैं, जो सोच-विचार करते हैं।
Tafsiran larabci:
وَمِنْ اٰیٰتِهٖ خَلْقُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَاخْتِلَافُ اَلْسِنَتِكُمْ وَاَلْوَانِكُمْ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّلْعٰلِمِیْنَ ۟
तथा उसकी निशानियों में से आकाशों और धरती को पैदा करना तथा तुम्हारी भाषाओं और तुम्हारे रंगों का अलग-अलग होना है। निःसंदेह इसमें ज्ञान रखने वालों के लिए निश्चय बहुत-सी निशानियाँ[8] है।
8. क़ुरआन ने यह कहकर कि भाषाओं और वर्ग-वर्ण का भेद अल्लाह की रचना की निशानियाँ हैं, उस भेद-भाव को सदा के लिए समाप्त कर दिया, जो पक्षपात, आपसी बैर और र्गव का आधार बनते हैं। और संसार की शांति को भंग करने का कारण होते हैं। (देखिए : सूरतुल ह़ुजुरात, आयत : 13) यदि आज भी इस्लाम की इस शिक्षा को अपना लिया जाए तो संसार शांति का गहवारा बन सकता है।
Tafsiran larabci:
وَمِنْ اٰیٰتِهٖ مَنَامُكُمْ بِالَّیْلِ وَالنَّهَارِ وَابْتِغَآؤُكُمْ مِّنْ فَضْلِهٖ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّسْمَعُوْنَ ۟
तथा उसकी निशानियों में से तुम्हारा रात और दिन को सोना और तुम्हारा उसके अनुग्रह को तलाश करना है। निःसंदेह इसमें उन लोगों के लिए निश्चय बहुत-सी निशानियाँ हैं, जो सुनते हैं।
Tafsiran larabci:
وَمِنْ اٰیٰتِهٖ یُرِیْكُمُ الْبَرْقَ خَوْفًا وَّطَمَعًا وَّیُنَزِّلُ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً فَیُحْیٖ بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّعْقِلُوْنَ ۟
और उसकी निशानियों में से (यह भी) है कि वह तुम्हें भय और आशा के लिए बिजली दिखाता है और आकाश से पानी उतारता है, फिर उसके द्वारा धरती को उसके मृत हो जाने के बाद जीवित कर देता है। निःसंदेह इसमें उन लोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं, जो समझते हैं।
Tafsiran larabci:
وَمِنْ اٰیٰتِهٖۤ اَنْ تَقُوْمَ السَّمَآءُ وَالْاَرْضُ بِاَمْرِهٖ ؕ— ثُمَّ اِذَا دَعَاكُمْ دَعْوَةً ۖۗ— مِّنَ الْاَرْضِ اِذَاۤ اَنْتُمْ تَخْرُجُوْنَ ۟
और उसकी निशानियों में से है कि आकाश तथा धरती उसके आदेश से स्थापित हैं। फिर जब वह तुम्हें धरती में से एक ही बार पुकारेगा, तो सहसा तुम (बाहर) निकल आओगे।
Tafsiran larabci:
وَلَهٗ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— كُلٌّ لَّهٗ قٰنِتُوْنَ ۟
और आकाशों और धरती में जो भी है, उसी का है। सब उसी के आज्ञाकारी हैं।
Tafsiran larabci:
وَهُوَ الَّذِیْ یَبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ یُعِیْدُهٗ وَهُوَ اَهْوَنُ عَلَیْهِ ؕ— وَلَهُ الْمَثَلُ الْاَعْلٰى فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۚ— وَهُوَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟۠
तथा वही है, जो उत्पत्ति का आरंभ करता है। फिर वही उसे पुनः पैदा करेगा। और यह उसके लिए अधिक सरल है। तथा आकाशों और धरती में सर्वोच्च गुण उसी का है। और वही प्रभुत्वशाली, हिकमत वाला है।
Tafsiran larabci:
ضَرَبَ لَكُمْ مَّثَلًا مِّنْ اَنْفُسِكُمْ ؕ— هَلْ لَّكُمْ مِّنْ مَّا مَلَكَتْ اَیْمَانُكُمْ مِّنْ شُرَكَآءَ فِیْ مَا رَزَقْنٰكُمْ فَاَنْتُمْ فِیْهِ سَوَآءٌ تَخَافُوْنَهُمْ كَخِیْفَتِكُمْ اَنْفُسَكُمْ ؕ— كَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّعْقِلُوْنَ ۟
उसने तुम्हारे लिए स्वयं तुम्हीं में से एक उदाहरण पेश किया है। हमने जो रोज़ी तुम्हें प्रदान की है, क्या उसमें तुम्हारे[9] दासों में से तुम्हारा कोई साझी है कि तुम उसमें समान हो, उनसे वैसे ही डरते हो, जैसे एक-दूसरे से डरते हो? इसी प्रकार हम उन लोगों के लिए आयतें खोल-खोलकर वर्णन करते हैं, जो समझ रखते हैं।
9. परलोक और एकेश्वरवाद के तर्कों का वर्णन करने के पश्चात् इस आयत में शुद्ध एकेश्वरवाद के प्रमाण प्रस्तुत किए जा रहे हैं कि जब तुम स्वयं अपने दासों को अपनी जीविका में साझी नहीं बना सकते, तो जिस अल्लाह ने सबको बनाया है उसकी उपासना में दूसरों को कैसे साझी बनाते हो?
Tafsiran larabci:
بَلِ اتَّبَعَ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْۤا اَهْوَآءَهُمْ بِغَیْرِ عِلْمٍ ۚ— فَمَنْ یَّهْدِیْ مَنْ اَضَلَّ اللّٰهُ ؕ— وَمَا لَهُمْ مِّنْ نّٰصِرِیْنَ ۟
बल्कि वे लोग जिन्होंने अत्याचार किया बिना किसी ज्ञान के अपनी इच्छाओं के पीछे चल पड़े।फिर उसे कौन मार्ग पर लाए, जिसे अल्लाह ने गुमराह कर दिया हो। और उनके लिए कोई सहायक नहीं है।
Tafsiran larabci:
فَاَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّیْنِ حَنِیْفًا ؕ— فِطْرَتَ اللّٰهِ الَّتِیْ فَطَرَ النَّاسَ عَلَیْهَا ؕ— لَا تَبْدِیْلَ لِخَلْقِ اللّٰهِ ؕ— ذٰلِكَ الدِّیْنُ الْقَیِّمُ ۙۗ— وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟ۗۙ
तो (ऐ नबी!) आप एकाग्र होकर अपने चेहरे को इस धर्म की ओर स्थापित करें। उस फ़ितरत पर जमे रहें, जिसपर[10] अल्लाह ने लोगों को पैदा किया है। अल्लाह की रचना में कोई बदलाव नहीं हो सकता। यही सीधा धर्म है, लेकिन अधिकतर लोग नहीं जानते।[11]
10. एक ह़दीस में कुछ इस प्रकार आया है कि प्रत्येक शिशु प्रकृति (अर्थात इस्लाम) पर जन्म लेता है। परंतु उसके माँ-बाप उसे यहूदी या ईसाई या मजूसी बना देते हैं। (देखिए : सह़ीह़ मुस्लिम : 2656) और यदि उसके माता पिता हिन्दु अथवा बुद्ध या और कुछ हैं, तो वे अपने शिशु को अपने धर्म के रंग में रंग देते हैं। आयत का भावार्थ यह है कि स्वभाविक धर्म इस्लाम और तौह़ीद को न बदलो, बल्कि सह़ीह पालन-पोषण द्वारा अपने शिशु को इसी स्वभाविक धर्म इस्लाम की शिक्षा दो। 11. इसीलिए वे इस्लाम और तौह़ीद को नहीं पहचानते।
Tafsiran larabci:
مُنِیْبِیْنَ اِلَیْهِ وَاتَّقُوْهُ وَاَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَلَا تَكُوْنُوْا مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟ۙ
उसी (अल्लाह) की ओर पलटते हुए, और उससे डरो तथा नमाज़ क़ायम करो और मुश्रिकों में से न हो जाओ।
Tafsiran larabci:
مِنَ الَّذِیْنَ فَرَّقُوْا دِیْنَهُمْ وَكَانُوْا شِیَعًا ؕ— كُلُّ حِزْبٍ بِمَا لَدَیْهِمْ فَرِحُوْنَ ۟
उन लोगों में से जिन्होंने अपने धर्म को टुकड़े-टुकड़े कर दिया, और कई गिरोह हो गए। प्रत्येक गिरोह उसी[12] पर खुश है, जो उसके पास है।
12. वह समझता है कि मैं ही सत्य पर हूँ और उन्हें तथ्य की कोई चिंता नहीं।
Tafsiran larabci:
وَاِذَا مَسَّ النَّاسَ ضُرٌّ دَعَوْا رَبَّهُمْ مُّنِیْبِیْنَ اِلَیْهِ ثُمَّ اِذَاۤ اَذَاقَهُمْ مِّنْهُ رَحْمَةً اِذَا فَرِیْقٌ مِّنْهُمْ بِرَبِّهِمْ یُشْرِكُوْنَ ۟ۙ
और जब लोगों को कोई कष्ट पहुँचता है, तो वे अपने पालनहार को, उसकी ओर लौटते हुए पुकारते हैं। फिर जब वह उन्हें अपनी ओर से कोई दया चखाता है, तो सहसा उनमें से एक समूह अपने पालनहार के साथ शिर्क करने लगता है।
Tafsiran larabci:
لِیَكْفُرُوْا بِمَاۤ اٰتَیْنٰهُمْ ؕ— فَتَمَتَّعُوْا ۥ— فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ۟
ताकि वे उसके प्रति कृतघ्नता दिखाएँ, जो हमने उन्हें प्रदान किया है। तो तुम लाभ उठा लो, शीघ्र ही तुम्हें पता चल जाएगा।
Tafsiran larabci:
اَمْ اَنْزَلْنَا عَلَیْهِمْ سُلْطٰنًا فَهُوَ یَتَكَلَّمُ بِمَا كَانُوْا بِهٖ یُشْرِكُوْنَ ۟
क्या हमने उनपर कोई प्रमाण उतारा है कि वह उस चीज़ को (उचित) बताता है, जिसे वे अल्लाह के साथ साझी ठहराया[13] करते थे।
13. यह प्रश्न नकारात्मक है अर्थात उनके पास इसका कोई प्रमाण नहीं है।
Tafsiran larabci:
وَاِذَاۤ اَذَقْنَا النَّاسَ رَحْمَةً فَرِحُوْا بِهَا ؕ— وَاِنْ تُصِبْهُمْ سَیِّئَةٌ بِمَا قَدَّمَتْ اَیْدِیْهِمْ اِذَا هُمْ یَقْنَطُوْنَ ۟
और जब हम लोगों को कोई दया चखाते हैं, तो वे उससे प्रसन्न हो जाते हैं, और अगर उन्हें उनकी करतूतों के कारण कोई विपत्ति पहुँचती है, तो वे सहसा निराश हो जाते हैं।
Tafsiran larabci:
اَوَلَمْ یَرَوْا اَنَّ اللّٰهَ یَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ یَّشَآءُ وَیَقْدِرُ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟
क्या उन्होंने नहीं देखा कि अल्लाह जिसके लिए चाहता है, रोज़ी विस्तृत कर देता है, और जिसके लिए चाहता है, तंग कर देता है? निःसंदेह इसमें उन लोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं, जो ईमान रखते हैं।
Tafsiran larabci:
فَاٰتِ ذَا الْقُرْبٰى حَقَّهٗ وَالْمِسْكِیْنَ وَابْنَ السَّبِیْلِ ؕ— ذٰلِكَ خَیْرٌ لِّلَّذِیْنَ یُرِیْدُوْنَ وَجْهَ اللّٰهِ ؗ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟
अतः रिश्तेदार को उसका हक़ दो, तथा निर्धन और यात्री को (भी)। यह उन लोगों के लिए बेहतर है, जो अल्लाह का चेहरा चाहते हैं और वही सफल होने वाले हैं।
Tafsiran larabci:
وَمَاۤ اٰتَیْتُمْ مِّنْ رِّبًا لِّیَرْبُوَاۡ فِیْۤ اَمْوَالِ النَّاسِ فَلَا یَرْبُوْا عِنْدَ اللّٰهِ ۚ— وَمَاۤ اٰتَیْتُمْ مِّنْ زَكٰوةٍ تُرِیْدُوْنَ وَجْهَ اللّٰهِ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُضْعِفُوْنَ ۟
और तुम ब्याज पर जो (उधार) देते हो, ताकि वह लोगों के धनों में मिलकर अधिक[14] हो जाए, तो वह अल्लाह के यहाँ अधिक नहीं होता। तथा तुम अल्लाह का चेहरा चाहते हुए जो कुछ ज़कात से देते हो, तो वही लोग कई गुना बढ़ाने वाले हैं।
14. इस आयत में सामाजिक अधिकारों की ओर ध्यान दिलाया गया है कि जब सब कुछ अल्लाह ही का दिया हुआ है, तो तुम्हें अल्लाह की प्रसन्नता के लिए सबका अधिकार देना चाहिए। ह़दीस में है कि जो व्याज खाता-खिलाता है और उसे लिखता तथा उसपर गवाही देता है उस पर नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने धिक्कार किया है।
Tafsiran larabci:
اَللّٰهُ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ ثُمَّ رَزَقَكُمْ ثُمَّ یُمِیْتُكُمْ ثُمَّ یُحْیِیْكُمْ ؕ— هَلْ مِنْ شُرَكَآىِٕكُمْ مَّنْ یَّفْعَلُ مِنْ ذٰلِكُمْ مِّنْ شَیْءٍ ؕ— سُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰى عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟۠
अल्लाह वह (अस्तित्व) है, जिसने तुम्हें पैदा किया, फिर तुम्हें जीविका प्रदान की, फिर तुम्हें मृत्यु देगा, फिर तुम्हें जीवित करेगा।[15] क्या तुम्हारे साझियों में से कोई है, जो इन कामों में से कुछ भी कर सके? वह पवित्र है और सर्वोच्च है, उनके साझी बनाने से।
15. इसमें फिर एकेश्वरवाद का वर्णन तथा शिर्क का खंडन किया गया है।
Tafsiran larabci:
ظَهَرَ الْفَسَادُ فِی الْبَرِّ وَالْبَحْرِ بِمَا كَسَبَتْ اَیْدِی النَّاسِ لِیُذِیْقَهُمْ بَعْضَ الَّذِیْ عَمِلُوْا لَعَلَّهُمْ یَرْجِعُوْنَ ۟
जल और थल में लोगों के हाथों की कमाई के कारण बिगाड़ फैल गया[16] है, ताकि वह (अल्लाह) उन्हें उनके कुछ कर्मों का मज़ा चखाए, ताकि वे बाज़ आ जाएँ।
16. आयत में बताया गया है कि इस संसार में जो उपद्रव तथा अत्याचार हो रहा है यह सब शिर्क के कारण हो रहा है। जब लोगों ने एकेश्वर्वाद को छोड़कर शिर्क अपना लिया, तो अत्याचार और उपद्रव होने लगा। क्योंकि न एक अल्लाह का भय रह गया और न उसके नियमों का पालन।
Tafsiran larabci:
قُلْ سِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَانْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلُ ؕ— كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّشْرِكِیْنَ ۟
आप कह दें कि धरती में चलो-फिरो, फिर देखो कि उन लोगों का अंत कैसा रहा, जो इनसे पहले थे। उनमें अधिकतर मुश्रिक थे।
Tafsiran larabci:
فَاَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّیْنِ الْقَیِّمِ مِنْ قَبْلِ اَنْ یَّاْتِیَ یَوْمٌ لَّا مَرَدَّ لَهٗ مِنَ اللّٰهِ یَوْمَىِٕذٍ یَّصَّدَّعُوْنَ ۟
अतः आप अपना चेहरा सीधे धर्म पर स्थापित रखें, इससे पहले कि वह दिन आ जाए, जिसे अल्लाह की ओर से टलना नहीं है। उस दिन लोग अलग-अलग[17] हो जाएँगे।
17. अर्थात ईमान वाले और काफ़िर।
Tafsiran larabci:
مَنْ كَفَرَ فَعَلَیْهِ كُفْرُهٗ ۚ— وَمَنْ عَمِلَ صَالِحًا فَلِاَنْفُسِهِمْ یَمْهَدُوْنَ ۟ۙ
जिसने कुफ़्र किया, उसके कुफ़्र का नुकसान उसी पर है, और जिसने सत्कर्म किया, तो वे अपने ही लिए (आराम का) साधन जुटा रहे हैं।
Tafsiran larabci:
لِیَجْزِیَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصَّلِحٰتِ مِنْ فَضْلِهٖ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الْكٰفِرِیْنَ ۟
ताकि वह (अल्लाह) अपने अनुग्रह से उन लोगों को बदला दे, जो ईमान लाए और उन्होंने सत्कर्म किए। निःसंदेह वह काफ़िरों से प्रेम नहीं करता।
Tafsiran larabci:
وَمِنْ اٰیٰتِهٖۤ اَنْ یُّرْسِلَ الرِّیٰحَ مُبَشِّرٰتٍ وَّلِیُذِیْقَكُمْ مِّنْ رَّحْمَتِهٖ وَلِتَجْرِیَ الْفُلْكُ بِاَمْرِهٖ وَلِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
और उसकी निशानियों में से है कि वह शुभ सूचना देने वाली हवाएँ भेजता है, और ताकि तुम्हें अपनी दया (वर्षा) चखाए, और ताकि उसके आदेश से नावें चलें, और ताकि तुम उसका अनुग्रह (रोज़ी) तलाश करो, और ताकि तुम आभार प्रकट करो।
Tafsiran larabci:
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ رُسُلًا اِلٰى قَوْمِهِمْ فَجَآءُوْهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ فَانْتَقَمْنَا مِنَ الَّذِیْنَ اَجْرَمُوْا ؕ— وَكَانَ حَقًّا عَلَیْنَا نَصْرُ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
निश्चय हमने आपसे पहले कई रसूल उनकी जातियों की ओर भेजे। तो वे उनके पास खुली निशानियाँ लेकर आए। फिर हमने उन लोगों से बदला लिया, जिन्होंने अपराध किया। और हमपर ईमान वालों की सहायता[18] करना अनिवार्य था।
18. आयत में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) तथा आपके अनुयायियों को सांत्वना दी जा रही है।
Tafsiran larabci:
اَللّٰهُ الَّذِیْ یُرْسِلُ الرِّیٰحَ فَتُثِیْرُ سَحَابًا فَیَبْسُطُهٗ فِی السَّمَآءِ كَیْفَ یَشَآءُ وَیَجْعَلُهٗ كِسَفًا فَتَرَی الْوَدْقَ یَخْرُجُ مِنْ خِلٰلِهٖ ۚ— فَاِذَاۤ اَصَابَ بِهٖ مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖۤ اِذَا هُمْ یَسْتَبْشِرُوْنَ ۟
अल्लाह ही है, जो हवाओं को भेजता है। तो वे बादल उठाती हैं। फिर वह उसे जैसे चाहता है, आकाश में फैला देता है, और उसे टुकड़े-टुकड़े कर देता है। तो तुम वर्षा की बूँदों को उसके बीच से निकलते देखते हो। फिर जब वह उसे अपने बंदों में से जिसपर चाहता है, बरसाता है, तो सहसा वे बहुत खुश हो जाते हैं।
Tafsiran larabci:
وَاِنْ كَانُوْا مِنْ قَبْلِ اَنْ یُّنَزَّلَ عَلَیْهِمْ مِّنْ قَبْلِهٖ لَمُبْلِسِیْنَ ۟
हालाँकि निश्चय वे इससे पहले, उसके उनपर बरसाए जाने से पहले बहुत निराश थे।
Tafsiran larabci:
فَانْظُرْ اِلٰۤی اٰثٰرِ رَحْمَتِ اللّٰهِ كَیْفَ یُحْیِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ؕ— اِنَّ ذٰلِكَ لَمُحْیِ الْمَوْتٰى ۚ— وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
तो आप अल्लाह की दया के संकेतों को देखें कि वह किस तरह धरती को उसके मृत हो जाने के पश्चात् जीवित करता है! निःसंदेह वही निश्चय मुर्दों को जीवित करने वाला है और वह हर चीज़ में पूरी तरह सक्षम है।
Tafsiran larabci:
وَلَىِٕنْ اَرْسَلْنَا رِیْحًا فَرَاَوْهُ مُصْفَرًّا لَّظَلُّوْا مِنْ بَعْدِهٖ یَكْفُرُوْنَ ۟
और निश्चय अगर हम कोई वायु भेजे, फिर वे उस (खेती) को पीली पड़ी हुई देखें, तो वे इसके बाद अवश्य नाशुक्री करने लगेंगे।
Tafsiran larabci:
فَاِنَّكَ لَا تُسْمِعُ الْمَوْتٰى وَلَا تُسْمِعُ الصُّمَّ الدُّعَآءَ اِذَا وَلَّوْا مُدْبِرِیْنَ ۟
निःसंदेह आप मुर्दों[19] को नहीं सुना सकते और न बहरों को (अपनी) पुकार सुना सकते हैं, जब वे पीठ फेरकर लौट जाएँ।
19. अर्थात जिनकी अंतरात्मा मर चुकी हो और सत्य सुनने के लिए तैयार न हों।
Tafsiran larabci:
وَمَاۤ اَنْتَ بِهٰدِ الْعُمْیِ عَنْ ضَلٰلَتِهِمْ ؕ— اِنْ تُسْمِعُ اِلَّا مَنْ یُّؤْمِنُ بِاٰیٰتِنَا فَهُمْ مُّسْلِمُوْنَ ۟۠
तथा आप अंधों को उनकी गुमारही से हटाकर सीधे मार्ग पर नहीं ला सकते। आप तो केवल उन्हीं को सुना सकते हैं, जो हमारी आयतों पर ईमान रखते हैं। तो वही आज्ञाकारी हैं।
Tafsiran larabci:
اَللّٰهُ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ مِّنْ ضُؔعْفٍ ثُمَّ جَعَلَ مِنْ بَعْدِ ضُؔعْفٍ قُوَّةً ثُمَّ جَعَلَ مِنْ بَعْدِ قُوَّةٍ ضُؔعْفًا وَّشَیْبَةً ؕ— یَخْلُقُ مَا یَشَآءُ ۚ— وَهُوَ الْعَلِیْمُ الْقَدِیْرُ ۟
अल्लाह वह है, जिसने तुम्हें कमज़ोरी (की स्थिति) से पैदा, फिर (बचपन की) कमज़ोरी के बाद शक्ति प्रदान की, फिर शक्ति के बाद कमज़ोरी और बुढ़ापा[20] बना दिया। वह जो चाहता है, पैदा करता है। और वही सब कुछ जानने वाला, हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।
20. अर्थात एक व्यक्ति जन्म से मरण तक अल्लाह के सामर्थ्य के अधीन रहता है, फिर उसकी उपासना में उसके अधीन होने और उसके पुनः पैदा कर देने के सामर्थ्य को अस्वीकार क्यों करते है?
Tafsiran larabci:
وَیَوْمَ تَقُوْمُ السَّاعَةُ یُقْسِمُ الْمُجْرِمُوْنَ ۙ۬— مَا لَبِثُوْا غَیْرَ سَاعَةٍ ؕ— كَذٰلِكَ كَانُوْا یُؤْفَكُوْنَ ۟
और जिस दिन क़ियामत क़ायम होगी, अपराधी क़समें खाएँगें कि वे घड़ी भर[21] से अधिक नहीं ठहरे। इसी तरह वे बहकाए जाते थे।
21. अर्थात संसार में।
Tafsiran larabci:
وَقَالَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ وَالْاِیْمَانَ لَقَدْ لَبِثْتُمْ فِیْ كِتٰبِ اللّٰهِ اِلٰى یَوْمِ الْبَعْثِ ؗ— فَهٰذَا یَوْمُ الْبَعْثِ وَلٰكِنَّكُمْ كُنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
तथा जिन लोगों को ज्ञान और ईमान दिया गया, वे कहेंगे कि तुम अल्लाह के लेख के अनुसार उठाए जाने के दिन तक ठहरे रहे। तो यह उठाए जाने का दिन है। लेकिन तुम नहीं जानते थे।
Tafsiran larabci:
فَیَوْمَىِٕذٍ لَّا یَنْفَعُ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا مَعْذِرَتُهُمْ وَلَا هُمْ یُسْتَعْتَبُوْنَ ۟
तो उस दिन, अत्याचारियों को उनका बहाना लाभ न देगा और न उनसे अल्लाह को खुश करने के लिए कहा जाएगा।
Tafsiran larabci:
وَلَقَدْ ضَرَبْنَا لِلنَّاسِ فِیْ هٰذَا الْقُرْاٰنِ مِنْ كُلِّ مَثَلٍ ؕ— وَلَىِٕنْ جِئْتَهُمْ بِاٰیَةٍ لَّیَقُوْلَنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ اَنْتُمْ اِلَّا مُبْطِلُوْنَ ۟
और निःसंदेह हमने इस क़ुरआन में लोगों के लिए हर तरह के उदाहरण बयान किए हैं और यदि आप उनके पास कोई निशानी लाएँ, तो निश्चय कुफ़्र करने वाले अवश्य कहेंगे कि तुम तो केवल मिथ्यावादी हो।
Tafsiran larabci:
كَذٰلِكَ یَطْبَعُ اللّٰهُ عَلٰى قُلُوْبِ الَّذِیْنَ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
इसी प्रकार, अल्लाह उन लोगों के दिलों पर मुहर लगा देता है, जो नहीं जानते।
Tafsiran larabci:
فَاصْبِرْ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّلَا یَسْتَخِفَّنَّكَ الَّذِیْنَ لَا یُوْقِنُوْنَ ۟۠
तो आप धैर्य से काम लें। निःसंदेह अल्लाह का वचन सत्य है और वे लोग आपको[22] कदापि हल्का (अधीर) न कर दें, जो यक़ीन नहीं रखते।
22. अंतिम आयत में आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को धैर्य तथा साहस रखने का आदेश दिया गया है। और अल्लाह ने जो विजय देने तथा सहायता करने का वचन दिया है, उसके पूरा होने और निराश न होने के लिए कहा जा रहा है।
Tafsiran larabci:
 
Fassarar Ma'anoni Sura: Suratu Al'roum
Teburin Jerin Sunayen Surori Lambar shafi
 
Fassarar Ma'anonin Alqura'ni - Fassara a Yaren Hindu - Teburin Bayani kan wasu Fassarori

ترجمة معاني القرآن الكريم إلى اللغة الهندية، ترجمها عزيز الحق العمري.

Rufewa