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अर्थों का अनुवाद सूरा: सूरा अल्-क़ारिआ़   आयत:

सूरा अल्-क़ारिआ़

اَلْقَارِعَةُ ۟ۙ
वह खड़खड़ा देने वाली।
अरबी तफ़सीरें:
مَا الْقَارِعَةُ ۟ۚ
क्या है वह खड़खड़ा देने वाली?
अरबी तफ़सीरें:
وَمَاۤ اَدْرٰىكَ مَا الْقَارِعَةُ ۟ؕ
और तुम क्या जानो कि वह खड़खड़ा देने वाली क्या है?[1]
1. 'क़ारिअह' प्रलय ही का एक नाम है जो उसके समय की घोर दशा का चित्रण करता है। इसका शाब्दिक अर्थ द्वार खटखटाना है। जब कोई अतिथि अकस्मात रात में आता है तो उसे दरवाज़ा खटखटाने की आवश्यकता होती है। जिससे एक तो यह ज्ञात हुआ कि प्रलय अकस्मात होगी। और दूसरा यह ज्ञात हुआ कि वह कड़ी ध्वनि और भारी उथल-पुथल के साथ आएगी। इसे प्रश्नवाचक वाक्यों में दोहराना सावधान करने और उसकी गंभीरता को प्रस्तुत करने के लिए है।
अरबी तफ़सीरें:
یَوْمَ یَكُوْنُ النَّاسُ كَالْفَرَاشِ الْمَبْثُوْثِ ۟ۙ
जिस दिन लोग बिखरे हुए पतिंगों की तरह हो जाएँगे।
अरबी तफ़सीरें:
وَتَكُوْنُ الْجِبَالُ كَالْعِهْنِ الْمَنْفُوْشِ ۟ؕ
और पर्वत धुने हुए रंगीन ऊन की तरह हो जाएँगे।[2]
2. (4-5) इन दोनों आयतों में उस स्थिति को दर्शाया गया है जो उस समय लोगों और पर्वतों की होगी।
अरबी तफ़सीरें:
فَاَمَّا مَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِیْنُهٗ ۟ۙ
तो जिसके पलड़े भारी हो गए,
अरबी तफ़सीरें:
فَهُوَ فِیْ عِیْشَةٍ رَّاضِیَةٍ ۟ؕ
तो वह संतोषजनक जीवन में होगा।
अरबी तफ़सीरें:
وَاَمَّا مَنْ خَفَّتْ مَوَازِیْنُهٗ ۟ۙ
तथा जिसके पलड़े हल्के हो गए,
अरबी तफ़सीरें:
فَاُمُّهٗ هَاوِیَةٌ ۟ؕ
उसका ठिकाना 'हाविया' (गड्ढा) है।
अरबी तफ़सीरें:
وَمَاۤ اَدْرٰىكَ مَا هِیَهْ ۟ؕ
और तुम क्या जानो कि वह ('हाविया') क्या है?
अरबी तफ़सीरें:
نَارٌ حَامِیَةٌ ۟۠
वह एक बहुत गर्म आग है।[3]
3. (6-11) इन आयतों में यह बताया गया है कि प्रलय क्यों होगी? इसलिए कि इस संसार में जिसने भले बुरे कर्म किए हैं उनका प्रतिकार कर्मों के आधार पर दिया जाए, जिसका परिणाम यह होगा कि जिसने सत्य विश्वास के साथ सत्कर्म किया होगा, वह सुख का भागी होगा। और जिसने निर्मल परंपरागत रीतियों को मानकर कर्म किया होगा, वह नरक में झोंक दिया जाएगा।
अरबी तफ़सीरें:
 
अर्थों का अनुवाद सूरा: सूरा अल्-क़ारिआ़
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पवित्र क़ुरआन के अर्थों का हिन्दी अनुवाद, अनुवादक : अज़ीज़ुल हक़ उमरी

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