क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - हिंदी अनुवाद * - अनुवादों की सूची

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अर्थों का अनुवाद आयत: (36) सूरा: सूरा अर्-रअ़्द
وَالَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَفْرَحُوْنَ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ وَمِنَ الْاَحْزَابِ مَنْ یُّنْكِرُ بَعْضَهٗ ؕ— قُلْ اِنَّمَاۤ اُمِرْتُ اَنْ اَعْبُدَ اللّٰهَ وَلَاۤ اُشْرِكَ بِهٖ ؕ— اِلَیْهِ اَدْعُوْا وَاِلَیْهِ مَاٰبِ ۟
और जिन्हें हमने पुस्तक दी है, वे उस (क़ुरआन) से प्रसन्न होते हैं[17], जो आपकी ओर उतारा गया है। और कुछ समूह ऐसे हैं, जो उसकी कुछ बातों का इनकार करते[18] हैं। आप कह दें कि मुझे तो यही आदेश दिया गया है कि मैं अल्लाह की इबादत करूँ और उसके साथ किसी को साझी न बनाऊँ। मैं उसी की ओर बुलाता हूँ और उसी की ओर मेरा लौटना है।[19]
17. अर्थात वे यहूदी, ईसाई और मूर्तिपूजक जो इस्लाम लाए। 18. अर्थात जो अब तक मुसलान नहीं हुए। 19. अर्थात कोई ईमान लाए या न लाए, मैं तो कदापि किसी को उसका साझी नहीं बना सकता।
अरबी तफ़सीरें:
 
अर्थों का अनुवाद आयत: (36) सूरा: सूरा अर्-रअ़्द
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पवित्र क़ुरआन के अर्थों का हिन्दी अनुवाद, अनुवादक : अज़ीज़ुल हक़ उमरी

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