क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - हिंदी अनुवाद * - अनुवादों की सूची

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अर्थों का अनुवाद आयत: (15) सूरा: सूरा अल्-इस्रा
مَنِ اهْتَدٰی فَاِنَّمَا یَهْتَدِیْ لِنَفْسِهٖ ۚ— وَمَنْ ضَلَّ فَاِنَّمَا یَضِلُّ عَلَیْهَا ؕ— وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِّزْرَ اُخْرٰی ؕ— وَمَا كُنَّا مُعَذِّبِیْنَ حَتّٰی نَبْعَثَ رَسُوْلًا ۟
जो मार्गदर्शन पा गया, तो वह अपने ही लिए मार्गदर्शन पाता है, और जो गुमराह हुआ, तो वह अपने आप ही पर गुमराह होता है। तथा कोई बोझ उठाने वाला दूसरे का बोझ नहीं उठाएगा।[9] और हम (किसी को) यातना नहीं देते, जब तक कि कोई रसूल न भेज दें।[10]
9. आयत का भावार्थ यह है कि जो सदाचार करता है, वह किसी पर उपकार नहीं करता। बल्कि उसका लाभ उसी को मिलना है। और जो दुराचार करता है, उसका दंड भी उसी को भोगना है। 10. ताकि वे यह बहाना न कर सकें कि हमने सीधी राह को जाना ही नहीं था।
अरबी तफ़सीरें:
 
अर्थों का अनुवाद आयत: (15) सूरा: सूरा अल्-इस्रा
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पवित्र क़ुरआन के अर्थों का हिन्दी अनुवाद, अनुवादक : अज़ीज़ुल हक़ उमरी

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