क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - हिंदी अनुवाद - अज़ीज़ुल हक़ उमरी

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14 : 61

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا كُوْنُوْۤا اَنْصَارَ اللّٰهِ كَمَا قَالَ عِیْسَی ابْنُ مَرْیَمَ لِلْحَوَارِیّٖنَ مَنْ اَنْصَارِیْۤ اِلَی اللّٰهِ ؕ— قَالَ الْحَوَارِیُّوْنَ نَحْنُ اَنْصَارُ اللّٰهِ فَاٰمَنَتْ طَّآىِٕفَةٌ مِّنْ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ وَكَفَرَتْ طَّآىِٕفَةٌ ۚ— فَاَیَّدْنَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا عَلٰی عَدُوِّهِمْ فَاَصْبَحُوْا ظٰهِرِیْنَ ۟۠

ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह (के धर्म) के सहायक बन जाओ, जिस तरह मरयम के पुत्र ईसा ने ह़वारियों से कहा : अल्लाह की ओर मेरे सहायक कौन हैं? ह़वारियों ने कहा : हम अल्लाह के (धर्म के) सहायक हैं। तो बनी इसराईल में से एक समूह ईमान लाया और एक समूह ने इनकार किया। फिर हमने उन लोगों का, जो ईमान लाए थे, उनके शत्रुओं के विरुद्ध समर्थन किया, तो वे हावी हो गए। info
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