पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - हिन्दी अनुवाद * - अनुवादहरूको सूची

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अर्थको अनुवाद सूरः: सूरतुल् मुतफ्फिफीन   श्लोक:

सूरा अल्-मुतफ़्फ़िफ़ीन

وَیْلٌ لِّلْمُطَفِّفِیْنَ ۟ۙ
विनाश है नाप-तौल में कमी करने वालों के लिए।
अरबी व्याख्याहरू:
الَّذِیْنَ اِذَا اكْتَالُوْا عَلَی النَّاسِ یَسْتَوْفُوْنَ ۟ؗۖ
वे लोग कि जब लोगों से नापकर लेते हैं, तो पूरा लेते हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
وَاِذَا كَالُوْهُمْ اَوْ وَّزَنُوْهُمْ یُخْسِرُوْنَ ۟ؕ
और जब उन्हें नापकर या तौलकर देते हैं, तो कम देते हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
اَلَا یَظُنُّ اُولٰٓىِٕكَ اَنَّهُمْ مَّبْعُوْثُوْنَ ۟ۙ
क्या वे लोग विश्वास नहीं रखते कि वे (मरने के बाद) उठाए जाने वाले हैं?
अरबी व्याख्याहरू:
لِیَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟ۙ
एक बहुत बड़े दिन के लिए।
अरबी व्याख्याहरू:
یَّوْمَ یَقُوْمُ النَّاسُ لِرَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ؕ
जिस दिन लोग सर्व संसार के पालनहार के सामने खड़े होंगे।[1]
1. (1-6) इस सूरत की प्रथम छह आयतों में इसी व्यवसायिक विश्वास घात पर पकड़ की गई है कि न्याय तो यह है कि अपने लिए अन्याय नहीं चाहते, तो दूसरों के साथ न्याय करो। और इस रोग का निवारण अल्लाह के भय तथा परलोक पर विश्वास ही से हो सकता है। क्योंकि इस स्थिति में अमानतदारी एक नीति ही नहीं, बल्कि धार्मिक कर्तव्य होगा औ इस पर स्थित रहना लाभ तथा हानि पर निर्भर नहीं रहेगा।
अरबी व्याख्याहरू:
كَلَّاۤ اِنَّ كِتٰبَ الْفُجَّارِ لَفِیْ سِجِّیْنٍ ۟ؕ
हरगिज़ नहीं, निःसंदेह दुराचारियों का कर्म-पत्र "सिज्जीन" में है।
अरबी व्याख्याहरू:
وَمَاۤ اَدْرٰىكَ مَا سِجِّیْنٌ ۟ؕ
और तुम क्या जानो कि 'सिज्जीन' क्या है?
अरबी व्याख्याहरू:
كِتٰبٌ مَّرْقُوْمٌ ۟ؕ
वह एक लिखित पुस्तक है।
अरबी व्याख्याहरू:
وَیْلٌ یَّوْمَىِٕذٍ لِّلْمُكَذِّبِیْنَ ۟ۙ
उस दिन झुठलाने वालों के लिए विनाश है।
अरबी व्याख्याहरू:
الَّذِیْنَ یُكَذِّبُوْنَ بِیَوْمِ الدِّیْنِ ۟ؕ
जो बदले के दिन को झुठलाते हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
وَمَا یُكَذِّبُ بِهٖۤ اِلَّا كُلُّ مُعْتَدٍ اَثِیْمٍ ۟ۙ
तथा उसे केवल वही झुठलाता है, जो सीमा का उल्लंघन करने वाला, बड़ा पापी है।
अरबी व्याख्याहरू:
اِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِ اٰیٰتُنَا قَالَ اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟ؕ
जब उसके सामने हमारी आयतों को पढ़ा जाता है, तो कहता है : यह पहले लोगों की कहानियाँ हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
كَلَّا بَلْ ٚ— رَانَ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ مَّا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟
हरगिज़ नहीं, बल्कि जो कुछ वे कमाते थे, वह ज़ंग बनकर उनके दिलों पर छा गया है।
अरबी व्याख्याहरू:
كَلَّاۤ اِنَّهُمْ عَنْ رَّبِّهِمْ یَوْمَىِٕذٍ لَّمَحْجُوْبُوْنَ ۟ؕ
हरगिज़ नहीं, निश्चय वे उस दिन अपने पालनहार (के दर्शन) से रोक दिए जाएँगे।
अरबी व्याख्याहरू:
ثُمَّ اِنَّهُمْ لَصَالُوا الْجَحِیْمِ ۟ؕ
फिर निःसंदेह वे अवश्य जहन्नम में प्रवेश करने वाले हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
ثُمَّ یُقَالُ هٰذَا الَّذِیْ كُنْتُمْ بِهٖ تُكَذِّبُوْنَ ۟ؕ
फिर कहा जाएगा : यही है, जिसे तुम झुठलाया करते थे।[2]
2. (7-17) इन आयतों में कुकर्मियों के दुष्परिणाम का विवरण दिया गया है। तथा यह बताया गया है कि उनके कुकर्म पहले ही से अपराध पत्रों में अंकित किए जा रहे हैं। तथा वे परलोक में कड़ी यातना का सामना करेंगे। और नरक में झोंक दिए जाएँगे। "सिज्जीन" से अभिप्राय, एक जगह है जहाँ पर काफ़िरों, अत्याचारियों और मुश्रिकों के कुकर्म पत्र तथा प्राण एकत्र किए जाते हैं। दिलों का लोहमल, पापों की कालिमा को कहा गया है। पाप अंतरात्मा को अंधकार बना देते हैं, तो सत्य को स्वीकार करने की स्वभाविक योग्यता खो देते हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
كَلَّاۤ اِنَّ كِتٰبَ الْاَبْرَارِ لَفِیْ عِلِّیِّیْنَ ۟ؕ
हरगिज़ नहीं, निःसंदेह नेक लोगों का कर्म-पत्र निश्चय "इल्लिय्यीन" में है।
अरबी व्याख्याहरू:
وَمَاۤ اَدْرٰىكَ مَا عِلِّیُّوْنَ ۟ؕ
और तुम क्या जानो कि 'इल्लिय्यीन' क्या है?
अरबी व्याख्याहरू:
كِتٰبٌ مَّرْقُوْمٌ ۟ۙ
वह एक लिखित पुस्तक है।
अरबी व्याख्याहरू:
یَّشْهَدُهُ الْمُقَرَّبُوْنَ ۟ؕ
जिसके पास समीपवर्ती (फरिश्ते) उपस्थित रहते हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
اِنَّ الْاَبْرَارَ لَفِیْ نَعِیْمٍ ۟ۙ
निःसंदेह नेक लोग बड़ी नेमत (आनंद) में होंगे।
अरबी व्याख्याहरू:
عَلَی الْاَرَآىِٕكِ یَنْظُرُوْنَ ۟ۙ
तख़्तों पर (बैठे) देख रहे होंगे।
अरबी व्याख्याहरू:
تَعْرِفُ فِیْ وُجُوْهِهِمْ نَضْرَةَ النَّعِیْمِ ۟ۚ
तुम उनके चेहरों पर नेमत की ताज़गी का आभास करोगे।
अरबी व्याख्याहरू:
یُسْقَوْنَ مِنْ رَّحِیْقٍ مَّخْتُوْمٍ ۟ۙ
उन्हें मुहर लगी शुद्ध शराब पिलाई जाएगी।
अरबी व्याख्याहरू:
خِتٰمُهٗ مِسْكٌ ؕ— وَفِیْ ذٰلِكَ فَلْیَتَنَافَسِ الْمُتَنٰفِسُوْنَ ۟ؕ
उसकी मुहर कस्तूरी की होगी। अतः प्रतिस्पर्धा करने वालों को इसी (की प्राप्ति) के लिए प्रतिस्पर्धा करना चाहिए।
अरबी व्याख्याहरू:
وَمِزَاجُهٗ مِنْ تَسْنِیْمٍ ۟ۙ
उसमें 'तसनीम' की मिलावट होगी।
अरबी व्याख्याहरू:
عَیْنًا یَّشْرَبُ بِهَا الْمُقَرَّبُوْنَ ۟ؕ
वह एक स्रोत है, जिससे समीपवर्ती लोग पिएँगे।[3]
3. (18-28) इन आयतों में बताया गया है कि सदाचारियों के कर्म ऊँचे पत्रों में अंकित किए जा रहे हैं जो फ़रिश्तों के पास सुरक्षित हैं। और वे स्वर्ग में सुख के साथ रहेंगे। "इल्लिय्यीन" से अभिप्राय, जन्नत में एक जगह है। जहाँ पर नेक लोगों के कर्म पत्र तथा प्राण एकत्र किए जाते हैं। वहाँ पर समीपवर्ती फ़रिश्ते उपस्थित रहते हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
اِنَّ الَّذِیْنَ اَجْرَمُوْا كَانُوْا مِنَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا یَضْحَكُوْنَ ۟ؗۖ
निःसंदेह जो लोग अपराधी हैं, वे (दुनिया में) ईमान लाने वालों पर हँसा करते थे।
अरबी व्याख्याहरू:
وَاِذَا مَرُّوْا بِهِمْ یَتَغَامَزُوْنَ ۟ؗۖ
और जब वे उनके पास से गुज़रते, तो आपस में आँखों से इशारे किया करते थे।
अरबी व्याख्याहरू:
وَاِذَا انْقَلَبُوْۤا اِلٰۤی اَهْلِهِمُ انْقَلَبُوْا فَكِهِیْنَ ۟ؗۖ
और जब अपने घर वालों की ओर लौटते, तो (मोमिनों के परिहास का) आनंद लेते हुए लौटते थे।
अरबी व्याख्याहरू:
وَاِذَا رَاَوْهُمْ قَالُوْۤا اِنَّ هٰۤؤُلَآءِ لَضَآلُّوْنَ ۟ۙ
और जब वे उन (मोमिनों) को देखते, तो कहते थे : निःसंदेह ये लोग निश्चय भटके हुए हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
وَمَاۤ اُرْسِلُوْا عَلَیْهِمْ حٰفِظِیْنَ ۟ؕ
हालाँकि वे उनपर निरीक्षक बनाकर नहीं भेजे गए थे।
अरबी व्याख्याहरू:
فَالْیَوْمَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مِنَ الْكُفَّارِ یَضْحَكُوْنَ ۟ۙ
तो आज वे लोग जो ईमान लाए, काफ़िरों पर हँस रहे हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
عَلَی الْاَرَآىِٕكِ ۙ— یَنْظُرُوْنَ ۟ؕ
तख़्तों पर बैठे देख रहे हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
هَلْ ثُوِّبَ الْكُفَّارُ مَا كَانُوْا یَفْعَلُوْنَ ۟۠
क्या काफ़िरों को उसका बदला मिल गया, जो वे किया करते थे?[4]
4. (29-36) इन आयतों में बताया गया है कि परलोक में कर्मों का फल दिया जाएगा, तो सांसारिक परिस्थितियाँ बदल जाएँगी। संसार में तो सब के लिए अल्लाह की दया है, परंतु न्याय के दिन जो अपने सुख सुविधा पर गर्व करते थे और जिन निर्धन मुसलमानों को देखकर आँखें मारते थे, वहाँ पर वही उनके दुष्परिणाम को देख कर प्रसन्न होंगे। अंतिम आयत में विश्वासहीनों के दुष्परिणाम को उनका कर्म कहा गया है। जिसमें यह संकेत है कि अच्छा फल और कुफल स्वयं इमसान के अपने कर्मों का स्वभाविक प्रभाव होगा।
अरबी व्याख्याहरू:
 
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पवित्र कुर्आनको अर्थको हिन्दी भाषामा अनुवाद, अनुवादक : अजीजुल हक्क अल् उमरी ।

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