ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߣߎ߯ߤߎ߲߫ ߝߐߘߊ   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:

सूरा नूह़

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بيان منهج الدعوة للدعاة، من خلال قصة نوح.
नूह अलैहिस्सलाम की कहानी के माध्यम से, अल्लाह की ओर बुलाने वालों के लिए अल्लाह की ओर आमंत्रित करने के तरीक़े का वर्णन।

اِنَّاۤ اَرْسَلْنَا نُوْحًا اِلٰی قَوْمِهٖۤ اَنْ اَنْذِرْ قَوْمَكَ مِنْ قَبْلِ اَنْ یَّاْتِیَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
हमने नूह (अलैहिस्सलाम) को उनकी जाति के पास लोगों को अल्लाह की ओर आमंत्रित करने के लिए भेजा, ताकि वह अपने समुदाय के लोगों को डराएँ, इससे पहले कि उनके अल्लाह के साथ शिर्क करने के कारण, उनपर दर्दनाक यातना आ जाए।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالَ یٰقَوْمِ اِنِّیْ لَكُمْ نَذِیْرٌ مُّبِیْنٌ ۟ۙ
नूह (अलैहिस्सलाम) ने अपनी जाति के लोगों से कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! मैं तुम्हें स्पष्ट रूप से उस यातना से डराने वाला हूँ, जो तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही है यदि तुमने अल्लाह से तौबा न की।
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اَنِ اعْبُدُوا اللّٰهَ وَاتَّقُوْهُ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۙ
और मेरे तुम्हें डराने की अपेक्षा यह है कि मैं तुमसे कहता हूँ : तुम केवल अल्लाह की इबादत करो और उसके साथ किसी को साझी न बनाओ, तथा उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरो और मैं तुम्हें जो कुछ आदेश देता हूँ, उसमें मेरा आज्ञापालन करो।
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یَغْفِرْ لَكُمْ مِّنْ ذُنُوْبِكُمْ وَیُؤَخِّرْكُمْ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی ؕ— اِنَّ اَجَلَ اللّٰهِ اِذَا جَآءَ لَا یُؤَخَّرُ ۘ— لَوْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
अगर तुम ऐसा करोगे, तो अल्लाह तुम्हारे उन गुनाहों को क्षमा कर देगा, जो बंदों के अधिकारों से संबंधित नहीं हैं। और तुम्हारे समुदाय की जीवन-अवधि एक निर्धारित समय तक बढ़ा देगा, जो अल्लाह के ज्ञान में है। जब तक तुम इसपर क़ायम रहोगे, धरती को आबाद रखोगे। निश्चय जब मौत आ जाती है, तो टाली नहीं जाती। अगर तुम इस तथ्य को जानते होते, तो अल्लाह पर ईमान लाने और अपने शिर्क और गुमराही से तौबा करने में अवश्य जल्दी करते।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
قَالَ رَبِّ اِنِّیْ دَعَوْتُ قَوْمِیْ لَیْلًا وَّنَهَارًا ۟ۙ
नूह (अलैहिस्सलाम) ने कहा : ऐ मेरे रब! मैं अपनी जाति के लोगों को तेरी इबादत और एकेश्वरवाद की ओर रात और दिन लगातार बुलाता रहा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَلَمْ یَزِدْهُمْ دُعَآءِیْۤ اِلَّا فِرَارًا ۟
परंतु मेरे बुलाने से उनके उस चीज़ से भागने और दूर होने ही में वृद्धि हुई, जिसकी ओर मैं उन्हें बुलाता हूँ।।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنِّیْ كُلَّمَا دَعَوْتُهُمْ لِتَغْفِرَ لَهُمْ جَعَلُوْۤا اَصَابِعَهُمْ فِیْۤ اٰذَانِهِمْ وَاسْتَغْشَوْا ثِیَابَهُمْ وَاَصَرُّوْا وَاسْتَكْبَرُوا اسْتِكْبَارًا ۟ۚ
और जब भी मैंने उन्हें उस चीज़ की ओर आमंत्रित किया, जिसमें उनके पापों की क्षमा का कारण है; जैसे कि केवल तेरी इबादत करना तथा तेरा आज्ञापालन और तेरे रसूल का आज्ञापालन करना - तो उन्होंने अपनी उँगलियों से अपने कान बंद कर लिए; ताकि उन्हें मेरी बात सुनने से रोक दें, और अपने चेहरे को अपने कपड़ों से ढँक लिए, ताकि वे मुझे न देखें, तथा अपने शिर्क पर जमे रहे, और जिसकी ओर मैं उन्हें आमंत्रित करता हूँ, उसे स्वीकार करने और उसका पालन करने से अभिमान दिखाया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ثُمَّ اِنِّیْ دَعَوْتُهُمْ جِهَارًا ۟ۙ
फिर मैंने (ऐ मेरे रब) उन्हें खुले तौर पर आमंत्रित किया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ثُمَّ اِنِّیْۤ اَعْلَنْتُ لَهُمْ وَاَسْرَرْتُ لَهُمْ اِسْرَارًا ۟ۙ
फिर मैंने उन्हें ऊँची आवाज़ में बुलाया, और गुप्त रूप से भी समझाया तथा उन्हें धीमे स्वर में भी आमंत्रित किया; मैंने उन्हें बुलाने की विविध शैली अपनाई।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
فَقُلْتُ اسْتَغْفِرُوْا رَبَّكُمْ ۫— اِنَّهٗ كَانَ غَفَّارًا ۟ۙ
तो मैंने उनसे कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! अपने पालनहार से उसके समक्ष तौबा करके क्षमा माँगो। निश्चय वह अपने तौबा करने वाले बंदों के गुनाहों को बहुत क्षमा करने वाला है।
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ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• خطر الغفلة عن الآخرة.
• आख़िरत से गफ़लत का खतरा।

• عبادة الله وتقواه سبب لغفران الذنوب.
• अल्लाह की इबादत और उसका भय पापों की क्षमा का एक कारण है।

• الاستمرار في الدعوة وتنويع أساليبها حق واجب على الدعاة.
• अल्लाह की ओर बुलाने के कार्य को जारी रखना और उसके तरीक़ों में विविधता लाना अल्लाह की ओर बुलाने वालों का अनिवार्य दायित्व है।

یُّرْسِلِ السَّمَآءَ عَلَیْكُمْ مِّدْرَارًا ۟ۙ
अगर तुमने ऐसा किया, तो जब भी तुम्हें आवश्यकता होगी, अल्लाह तुम पर लगातार बारिश बरसाएगा। इसलिए तुम सूखे से पीड़ित नहीं होगे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَّیُمْدِدْكُمْ بِاَمْوَالٍ وَّبَنِیْنَ وَیَجْعَلْ لَّكُمْ جَنّٰتٍ وَّیَجْعَلْ لَّكُمْ اَنْهٰرًا ۟ؕ
और तुम्हें अधिक संख्या में धन एवं संतान प्रदान करेगा, और फल खाने को बाग़ देगा, और तुम्हारे लिए नहरें बहा देगा, जिनका पानी तुम खुद पियोगे तथा अपने जानवरों और अपने खेतों को सैराब करोगे।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
مَا لَكُمْ لَا تَرْجُوْنَ لِلّٰهِ وَقَارًا ۟ۚ
(ऐ मेरी जाति के लोगो) तुम्हें क्या हो गया है कि जब तुम धड़ल्ले से अल्लाह की अवज्ञा करते हो, तो तुम्हें उसकी महानता से डर नहीं लगता?!
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وَقَدْ خَلَقَكُمْ اَطْوَارًا ۟
जबकि उसन तुम्हें चरण के बाद चरण नुत्फ़ा (वीर्य की बूँद), फिर जमे हुए रक्त, फिर मांस के टुकड़े से पैदा किया है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَلَمْ تَرَوْا كَیْفَ خَلَقَ اللّٰهُ سَبْعَ سَمٰوٰتٍ طِبَاقًا ۟ۙ
क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने किस प्रकार ऊपर-तले सात आसमान बनाए?!
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَّجَعَلَ الْقَمَرَ فِیْهِنَّ نُوْرًا وَّجَعَلَ الشَّمْسَ سِرَاجًا ۟
और उसने चाँद को उनमें से निचले आकाश में धरती वालों के लिए प्रकाश और सूरज को प्रकाश करने वाला बनाया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاللّٰهُ اَنْۢبَتَكُمْ مِّنَ الْاَرْضِ نَبَاتًا ۟ۙ
और अल्लाह ने तुम्हें धरती से पैदा किया, क्योंकि तुम्हारे पिता आदम (अलैहिस्सलाम) को मिट्टी से बनाया। फिर वह (धरती) तुम्हारे लिए जो कुछ उगाती है, उससे तुम भोजन प्राप्त करते हो।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ثُمَّ یُعِیْدُكُمْ فِیْهَا وَیُخْرِجُكُمْ اِخْرَاجًا ۟
फिर वह तुम्हें तुम्हारी मृत्यु के बाद उसी में वापस ले जाएगा, फिर वह तुम्हें पुनर्जीवित करके उठाने के लिए उससे बाहर निकालेगा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاللّٰهُ جَعَلَ لَكُمُ الْاَرْضَ بِسَاطًا ۟ۙ
और अल्लाह ने तुम्हारे लिए धरती को समतल बनाया, जो निवास के लिए तैयार है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
لِّتَسْلُكُوْا مِنْهَا سُبُلًا فِجَاجًا ۟۠
इस आशा में कि तुम हलाल कमाई की खोज में उसके विस्तृत रास्तों पर चलो।
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قَالَ نُوْحٌ رَّبِّ اِنَّهُمْ عَصَوْنِیْ وَاتَّبَعُوْا مَنْ لَّمْ یَزِدْهُ مَالُهٗ وَوَلَدُهٗۤ اِلَّا خَسَارًا ۟ۚ
नूह (अलैहिस्सलाम) ने कहा : ऐ मेरे रब! मेरी जाति के लोगों ने उस चीज़ में मेरी अवज्ञा की, जो मैंने उन्हें तेरे एकेश्वरवाद (तौहीद) और अकेले तेरी इबादत करने का आदेश दिया। और उनमें से निचले स्तर के लोगों ने अपने सरदारों का अनुसरण किया, जिन्हें तू ने धन और संतान की नेमत प्रदान की है। परन्तु तू ने उन्हें जो कुछ प्रदान किया, उसने उन्हें गुमराही के अलावा किसी चीज़ में नहीं बढ़ाया।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمَكَرُوْا مَكْرًا كُبَّارًا ۟ۚ
और उनके प्रमुख लोगों ने उनके निचले स्तर के लोगों को नूह़ अलैहिस्सलाम के विरुद्ध भड़काकर बहुत बड़ी चाल चली।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَقَالُوْا لَا تَذَرُنَّ اٰلِهَتَكُمْ وَلَا تَذَرُنَّ وَدًّا وَّلَا سُوَاعًا ۙ۬— وَّلَا یَغُوْثَ وَیَعُوْقَ وَنَسْرًا ۟ۚ
और उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा : अपने देवताओं की पूजा का त्याग मत करो। तथा अपनी मूर्तियों; वद्द, सुवाअ, यग़ूस, यऊक़ और नस्र की पूजा को मत छोड़ो।
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وَقَدْ اَضَلُّوْا كَثِیْرًا ۚ۬— وَلَا تَزِدِ الظّٰلِمِیْنَ اِلَّا ضَلٰلًا ۟
और उन्होंने अपनी इन मूर्तियों के द्वारा बहुत-से लोगों को गुमराह किया है। तथा (ऐ मेरे रब!) कुफ़्र और पापों पर अटल रहकर अपने ऊपर अत्याचार करने वालों की सत्य से पथभ्रष्टता ही में वृद्धि कर।
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مِمَّا خَطِیْٓـٰٔتِهِمْ اُغْرِقُوْا فَاُدْخِلُوْا نَارًا ۙ۬— فَلَمْ یَجِدُوْا لَهُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَنْصَارًا ۟
अपने पापों के कारण जो उन्होंने किए थे, वे इस दुनिया में बाढ़ में डुबो दिए गए और अपनी मृत्यु के तुरंत बाद आग में डाल दिए गए। तो (उस समय) उन्हें डूबने और आग से बचाने के लिए, अल्लाह के सिवा कोई मदद करने वाले नहीं मिले।
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وَقَالَ نُوْحٌ رَّبِّ لَا تَذَرْ عَلَی الْاَرْضِ مِنَ الْكٰفِرِیْنَ دَیَّارًا ۟
जब अल्लाह ने नूह अलैहिस्सलाम को बताया कि उनकी जाति के जो लोग ईमान ला चुके हैं, उनके सिवा अब कोई ईमान नहीं लाएगा, तो उन्होंने कहा : ऐ मेरे रब! धरती पर काफ़िरों में से किसी चलने-फिरने वाले को न छोड़।
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اِنَّكَ اِنْ تَذَرْهُمْ یُضِلُّوْا عِبَادَكَ وَلَا یَلِدُوْۤا اِلَّا فَاجِرًا كَفَّارًا ۟
निश्चय (ऐ हमारे पालनहार) अगर तू उन्हें छोड़ देगा और मोहलत देगा, तो वे तेरे मोमिन बंदों को गुमराह करेंगे, और वे केवल ऐसे दुराचारी को जन्म देंगे, जो तेरी बात नहीं मानेगा, और सख़्त काफ़िर को (जन्म देंगे), जो तेरी नेमतों पर तेरा आभारी नहीं होगा।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
رَبِّ اغْفِرْ لِیْ وَلِوَالِدَیَّ وَلِمَنْ دَخَلَ بَیْتِیَ مُؤْمِنًا وَّلِلْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ ؕ— وَلَا تَزِدِ الظّٰلِمِیْنَ اِلَّا تَبَارًا ۟۠
ऐ मेरे पालनहार! मेरे पापों को क्षमा कर दे, और मेरे माता-पिता को क्षमा कर दे, और मेरे घर में मोमिन बन कर दाख़िल होने वाले को क्षमा कर दे, और ईमान वाले पुरुषों और ईमान वाली स्त्रियों को भी क्षमा कर दे। तथा कुफ़्र और पापों के द्वारा अपने ऊपर अत्याचार करने वालों को विनाश और हानि ही में बढ़ा।
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ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• الاستغفار سبب لنزول المطر وكثرة الأموال والأولاد.
• अल्लाह से गुनाहों की क्षमा माँगना, बारिश के उरने तथा धन और संतान की बहुतायत का कारण है।

• دور الأكابر في إضلال الأصاغر ظاهر مُشَاهَد.
• छोटे लोगों को गुमराह करने में बड़ों की भूमिका स्पष्ट और दर्शनीय है।

• الذنوب سبب للهلاك في الدنيا، والعذاب في الآخرة.
• पाप, दुनिया में विनाश और आख़िरत में यातना का कारण है।

 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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