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सूरा अत्-तूर

وَالطُّوْرِ ۟ۙ
क़सम है तूर[1] (पर्वत) की!
1. यह उस पर्वत का नाम है जिसपर मूसा (अलैहिस्सलाम) ने अल्लाह से वार्तालाप की थी।
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وَكِتٰبٍ مَّسْطُوْرٍ ۟ۙ
और एक पुस्तक{2] की जो लिखी हुई है!
2. इससे अभिप्राय क़ुरआन है।
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فِیْ رَقٍّ مَّنْشُوْرٍ ۟ۙ
ऐसे पन्ने में जो खुला हुआ है।
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وَّالْبَیْتِ الْمَعْمُوْرِ ۟ۙ
तथा बैतुल-मा'मूर (आबाद घर)[3] की!
3. यह आकाश में एक घर है जिसकी फ़रिश्ते सदैव परिक्रमा करते रहते हैं। कुछ व्याख्याकारों ने इसका अर्थ काबा लिया है, जो उपासकों से प्रत्येक समय आबाद रहता है। क्योंकि मा'मूर का अर्थ "आबाद" है।
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وَالسَّقْفِ الْمَرْفُوْعِ ۟ۙ
तथा ऊँची उठाई हुई छत (आकाश) की!
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وَالْبَحْرِ الْمَسْجُوْرِ ۟ۙ
और लबालब भरे हुए समुद्र [4] की!
4. (देखिए : सूरत तकवीर, आयत : 6)
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اِنَّ عَذَابَ رَبِّكَ لَوَاقِعٌ ۟ۙ
कि निश्चय आपके पालनहार की यातना अवश्चय घटित होने वाली है।
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مَّا لَهٗ مِنْ دَافِعٍ ۟ۙ
उसे कोई टालने वाला नहीं।
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یَّوْمَ تَمُوْرُ السَّمَآءُ مَوْرًا ۟
जिस दिन आकाश बुरी तरह डगमगाएगा।
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وَّتَسِیْرُ الْجِبَالُ سَیْرًا ۟ؕ
तथा पर्वत बहुत तेज़ी से चलेंगे।
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فَوَیْلٌ یَّوْمَىِٕذٍ لِّلْمُكَذِّبِیْنَ ۟ۙ
तो उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ी तबाही है।
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الَّذِیْنَ هُمْ فِیْ خَوْضٍ یَّلْعَبُوْنَ ۟ۘ
जो व्यर्थ बातों में पड़े खेल रहे हैं।
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یَوْمَ یُدَعُّوْنَ اِلٰی نَارِ جَهَنَّمَ دَعًّا ۟ؕ
जिस दिन उन्हें ज़ोर से धक्का देकर जहन्नम की आग में धकेला जाएगा।
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هٰذِهِ النَّارُ الَّتِیْ كُنْتُمْ بِهَا تُكَذِّبُوْنَ ۟
यही है वह आग, जिसे तुम झुठलाते थे।
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اَفَسِحْرٌ هٰذَاۤ اَمْ اَنْتُمْ لَا تُبْصِرُوْنَ ۟
तो क्या यह जादू है, या तुम नहीं देख रहे?
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اِصْلَوْهَا فَاصْبِرُوْۤا اَوْ لَا تَصْبِرُوْا ۚ— سَوَآءٌ عَلَیْكُمْ ؕ— اِنَّمَا تُجْزَوْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
इसमें प्रवेश कर जाओ। फिर सब्र करो या सब्र न करो, तुम्हारे लिए बराबर है। तुम्हें केवल उसी का बदला दिया जाएगा, जो तुम किया करते थे।
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اِنَّ الْمُتَّقِیْنَ فِیْ جَنّٰتٍ وَّنَعِیْمٍ ۟ۙ
निःसंदेह डरने वाले लोग बागों और बड़ी नेमत में हैं।
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فٰكِهِیْنَ بِمَاۤ اٰتٰىهُمْ رَبُّهُمْ ۚ— وَوَقٰىهُمْ رَبُّهُمْ عَذَابَ الْجَحِیْمِ ۟
उसका आनंद लेने वाले हैं जो उनके रब ने उन्हें दिया और उनके रब ने उन्हें दहकती हुई आग की यातना से बचा लिया।
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كُلُوْا وَاشْرَبُوْا هَنِیْٓـًٔا بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟ۙ
मज़े से खाओ और पियो, उसके बदले जो तुम किया करते थे।
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مُتَّكِـِٕیْنَ عَلٰی سُرُرٍ مَّصْفُوْفَةٍ ۚ— وَزَوَّجْنٰهُمْ بِحُوْرٍ عِیْنٍ ۟
पंक्तिबद्ध तख़्तों पर तकिया लगाए हुए होंगे और हमने उनका विवाह गोरे बदन, काली आँखों वाली औरतों से कर दिया, जो बड़ी-बड़ी आँखों वाली हैं।
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وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَاتَّبَعَتْهُمْ ذُرِّیَّتُهُمْ بِاِیْمَانٍ اَلْحَقْنَا بِهِمْ ذُرِّیَّتَهُمْ وَمَاۤ اَلَتْنٰهُمْ مِّنْ عَمَلِهِمْ مِّنْ شَیْءٍ ؕ— كُلُّ امْرِىۢ بِمَا كَسَبَ رَهِیْنٌ ۟
और जो लोग ईमान लाए और उनकी संतान ने ईमान के साथ उनका अनुसरण किया, हम उनकी संतान को उनके साथ मिला देंगे तथा उनके कर्मों में उनसे कुछ भी कम न करेंगे। प्रत्येक व्यक्ति उसके बदले में जो उसने कमाया, गिरवी[5] रखा हुआ है।
5. अर्थात जो जैसा करेगा, वैसा भोगेगा।
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وَاَمْدَدْنٰهُمْ بِفَاكِهَةٍ وَّلَحْمٍ مِّمَّا یَشْتَهُوْنَ ۟
तथा हम उन्हें और अधिक फल और मांस देंगे उसमें से जो वे चाहेंगे।
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یَتَنَازَعُوْنَ فِیْهَا كَاْسًا لَّا لَغْوٌ فِیْهَا وَلَا تَاْثِیْمٌ ۟
वे उसमें एक-दूसरे से मदिरा का प्याला लेंगे, जिसमें न कोई व्यर्थ बात होगी और न गुनाह में डालना।
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وَیَطُوْفُ عَلَیْهِمْ غِلْمَانٌ لَّهُمْ كَاَنَّهُمْ لُؤْلُؤٌ مَّكْنُوْنٌ ۟
तथा उनके आस-पास चक्कर लगाते रहेंगे उन्हीं के बच्चे, जैसे वे छुपाए हुए मोती हों।
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وَاَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلٰی بَعْضٍ یَّتَسَآءَلُوْنَ ۟
और वे एक-दूसरे की ओर मुतवज्जह होकर आपस में सवाल करेंगे।
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قَالُوْۤا اِنَّا كُنَّا قَبْلُ فِیْۤ اَهْلِنَا مُشْفِقِیْنَ ۟
वे कहेंगे : निःसंदेह हम इससे पहले[6] अपने घरवालों में डरने वाले थे।
6. अर्थात संसार में अल्लाह की यातना से।
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فَمَنَّ اللّٰهُ عَلَیْنَا وَوَقٰىنَا عَذَابَ السَّمُوْمِ ۟
तो अल्लाह ने हमपर उपकार किया और हमें विषैली लू की यातना से बचा लिया।
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اِنَّا كُنَّا مِنْ قَبْلُ نَدْعُوْهُ ؕ— اِنَّهٗ هُوَ الْبَرُّ الرَّحِیْمُ ۟۠
निःसंदेह हम इससे पहले[7] ही उसे पुकारा करते थे। निश्चय वही तो अति परोपकारी, अत्यंत दयावान् है।
7. अर्थात संसार में।
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فَذَكِّرْ فَمَاۤ اَنْتَ بِنِعْمَتِ رَبِّكَ بِكَاهِنٍ وَّلَا مَجْنُوْنٍ ۟ؕ
अतः आप नसीहत करें। क्योंकि अपने पालनहार के अनुग्रह से आप न तो काहिन हैं और न ही पागल।[8]
8. जैसाकि वे आपपर यह आरोप लगा कर हताश करना चाहते हैं।
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اَمْ یَقُوْلُوْنَ شَاعِرٌ نَّتَرَبَّصُ بِهٖ رَیْبَ الْمَنُوْنِ ۟
या वे कहते है कि यह एक कवि है जिसपर हम ज़माने की घटनाओं का इंतज़ार करते हैं?[9]
9. अर्थात क़ुरैश इस प्रतीक्षा में हैं कि संभवतः आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को मौत आ जाए, तो हमें चैन मिल जाए।
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قُلْ تَرَبَّصُوْا فَاِنِّیْ مَعَكُمْ مِّنَ الْمُتَرَبِّصِیْنَ ۟ؕ
आप कह दें कि तुम प्रतीक्षा करते रहो, मैं (भी) तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करने वालों में से हूँ।
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اَمْ تَاْمُرُهُمْ اَحْلَامُهُمْ بِهٰذَاۤ اَمْ هُمْ قَوْمٌ طَاغُوْنَ ۟ۚ
क्या उन्हें उनकी बुद्धियाँ इस बात का आदेश देती हैं, ये वे स्वयं ही सरकश लोग हैं?
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اَمْ یَقُوْلُوْنَ تَقَوَّلَهٗ ۚ— بَلْ لَّا یُؤْمِنُوْنَ ۟ۚ
या वे कहते हैं कि उसने इसे स्वयं गढ़ लिया है? बल्कि वे ईमान नहीं लाते।
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فَلْیَاْتُوْا بِحَدِیْثٍ مِّثْلِهٖۤ اِنْ كَانُوْا صٰدِقِیْنَ ۟ؕ
तो फिर वे इस (क़ुरआन) के समान एक ही बात बनाकर ले आएँ, यदि वे सच्चे हैं।
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اَمْ خُلِقُوْا مِنْ غَیْرِ شَیْءٍ اَمْ هُمُ الْخٰلِقُوْنَ ۟ؕ
या वे बिना किसी चीज़ के[10] पैदा हो गए हैं, या वे (स्वयं) पैदा करने वाले हैं?
10. जुबैर बिन मुतइम कहते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मग़्रिब की नमाज़ में सूरतुत्- तूर पढ़ रहे थे। जब इन आयतों पर पहुँचे तो मेरे दिल की दशा यह हुई कि वह उड़ जाएगा। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4854)
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اَمْ خَلَقُوا السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ ۚ— بَلْ لَّا یُوْقِنُوْنَ ۟ؕ
या उन्होंने आकाशों और धरती को पैदा किया है? बल्कि वे विश्वास ही नहीं करते।
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اَمْ عِنْدَهُمْ خَزَآىِٕنُ رَبِّكَ اَمْ هُمُ الْمُصَۜیْطِرُوْنَ ۟ؕ
या उनके पास आपके पालनहार के ख़ज़ाने हैं, या वही अधिकार चलाने वाले हैं?
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اَمْ لَهُمْ سُلَّمٌ یَّسْتَمِعُوْنَ فِیْهِ ۚ— فَلْیَاْتِ مُسْتَمِعُهُمْ بِسُلْطٰنٍ مُّبِیْنٍ ۟ؕ
या उनके पास कोई सीढ़ी है, जिसपर वे अच्छी तरह सुन[11] लेते हैं? तो उनके सुनने वाले को चाहिए कि वह कोई स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करे।
11. अर्थात आकाश की बातें। और जब उनके पास आकाश की बातें जानने का कोई साधन नहीं, तो ये लोग अल्लाह, फ़रिश्ते और धर्म की बातें किस आधार पर करते हैं?
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اَمْ لَهُ الْبَنٰتُ وَلَكُمُ الْبَنُوْنَ ۟ؕ
या उस (अल्लाह) के लिए तो बेटियाँ है और तुम्हारे लिए बेटे?
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اَمْ تَسْـَٔلُهُمْ اَجْرًا فَهُمْ مِّنْ مَّغْرَمٍ مُّثْقَلُوْنَ ۟ؕ
या आप उनसे कोई पारिश्रमिक[12] माँगते हैं? तो वे उस तावान के बोझ से दबे जा रहे हैं।
12. अर्थात सत्धर्म के प्रचार पर।
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اَمْ عِنْدَهُمُ الْغَیْبُ فَهُمْ یَكْتُبُوْنَ ۟ؕ
या उनके पास परोक्ष (का ज्ञान) है? तो वे उसे लिखते[13] रहते हैं।
13. इसीलिए इस वह़्य (क़ुरआन) को नहीं मानते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
اَمْ یُرِیْدُوْنَ كَیْدًا ؕ— فَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا هُمُ الْمَكِیْدُوْنَ ۟ؕ
या वे कोई चाल चलना चाहते हैं? तो जिन लोगों ने इनकार किया, वही चाल में आने वाले हैं।
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اَمْ لَهُمْ اِلٰهٌ غَیْرُ اللّٰهِ ؕ— سُبْحٰنَ اللّٰهِ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
या उनका अल्लाह के सिवा कोई पूज्य है? पवित्र है अल्लाह उससे जो वे साझी ठहराते हैं।
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وَاِنْ یَّرَوْا كِسْفًا مِّنَ السَّمَآءِ سَاقِطًا یَّقُوْلُوْا سَحَابٌ مَّرْكُوْمٌ ۟
और यदि वे आकाश से कोई टुकड़ा गिरता हुआ देख लें, तो कह देंगे कि यह परत दर परत बादल है।[14]
14. अर्थात तब भी अपने कुफ़्र से नहीं रुकेंगे जब तक कि उनपर यातना न आ जाए।
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فَذَرْهُمْ حَتّٰی یُلٰقُوْا یَوْمَهُمُ الَّذِیْ فِیْهِ یُصْعَقُوْنَ ۟ۙ
अतः आप उन्हें छोड़ दें, यहाँ तक कि वे अपने उस दिन को जा मिलें, जिसमें[15] वे बेहोश किए जाएँगे।
15. अर्थात प्रलय के दिन।
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یَوْمَ لَا یُغْنِیْ عَنْهُمْ كَیْدُهُمْ شَیْـًٔا وَّلَا هُمْ یُنْصَرُوْنَ ۟ؕ
जिस दिन न तो उनकी चाल काम आएगी और न उनकी सहायता की जाएगी।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاِنَّ لِلَّذِیْنَ ظَلَمُوْا عَذَابًا دُوْنَ ذٰلِكَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
तथा निश्चय उन लोगों के लिए जिन्होंने अत्याचार किया, उस (आख़िरत) से पहले भी एक यातना[16] है। परंतु उनमें से अक्सर लोग नहीं जानते।
16. इससे संकेत सांसारिक यातनाओं की ओर है। (देखिए : सूरतुस-सजदा, आयत : 21)
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَاصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ فَاِنَّكَ بِاَعْیُنِنَا وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ حِیْنَ تَقُوْمُ ۟ۙ
और (ऐ नबी!) आप अपने पालनहार का आदेश आने तक धैर्य रखें। निःसंदेह आप हमारी आँखों के सामने हैं। तथा जब आप उठें, तो अपने रब की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता बयान करें।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَمِنَ الَّیْلِ فَسَبِّحْهُ وَاِدْبَارَ النُّجُوْمِ ۟۠
तथा रात के कुछ भाग में फिर उसकी पवित्रता का वर्णन करें और सितारों के चले जाने के बाद भी।[17]
17. रात्रि में तथा तारों के डूबने के बाद से संकेत मग़्रिब तथा इशा और फ़ज्र की नमाज़ की ओर है जिनमें ये सब नमाजें पढ़ी जाती हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߞߐ߲߬ߞߍ ߝߐߘߊ
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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߤߌ߲ߘߌߞߊ߲ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

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