Përkthimi i kuptimeve të Kuranit Fisnik - Përkthimi indisht * - Përmbajtja e përkthimeve

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Përkthimi i kuptimeve Surja: Suretu El Bejjine   Ajeti:

सूरा अल्-बय्यिना

لَمْ یَكُنِ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ وَالْمُشْرِكِیْنَ مُنْفَكِّیْنَ حَتّٰی تَاْتِیَهُمُ الْبَیِّنَةُ ۟ۙ
किताब वालों और मुश्रिकों में से जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे (कुफ़्र से) बाज़ आने वाले नहीं थे, यहाँ तक कि उनके पास खुला प्रमाण आ जाए।
Tefsiret në gjuhën arabe:
رَسُوْلٌ مِّنَ اللّٰهِ یَتْلُوْا صُحُفًا مُّطَهَّرَةً ۟ۙ
अल्लाह की ओर से एक रसूल, जो पवित्र ग्रंथ पढ़कर सुनाता है।
Tefsiret në gjuhën arabe:
فِیْهَا كُتُبٌ قَیِّمَةٌ ۟ؕ
जिनमें सच्ची ख़बरें और ठीक आदेश अंकित हैं।[1]
1. (1-3) इस सूरत में सर्व प्रथम यह बताया गया है कि इस पुस्तक के साथ एक रसूल (ईशदूत) भेजना क्यों आवश्यक था। इसका कारण यह है कि मानव संसार के आदि शास्त्र धारी (यहूद तथा ईसाई) हों या मिश्रणवादी, अधर्म की ऐसी स्थिति में फँसे हुए थे कि एक नबी के बिना उनका इस स्थिति से निकलना संभव नहीं था। इसलिए इस चीज़ की आवश्यकता आई कि एक रसूल भेजा जाए, जो स्वयं अपनी रिसालत (दूतत्व) का ज्वलंत प्रमाण हो। और सबके सामने अल्लाह की किताब को उसके सह़ीह़ रूप में प्रस्तुत करे जो असत्य के मिश्रण से पवित्र हो जिससे आदि धर्म शास्त्रों को लिप्त कर दिया गया है।
Tefsiret në gjuhën arabe:
وَمَا تَفَرَّقَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ اِلَّا مِنْ بَعْدِ مَا جَآءَتْهُمُ الْبَیِّنَةُ ۟ؕ
और जिन्हें किताब दी गई थी, वे अपने पास स्पष्ट प्रमाण आ जाने के बाद ही अलग-अलग हुए।[2]
2. इसके बाद आदि धर्म शास्त्रों के अनुयायियों के कुटमार्ग का विवरण दिया गया है कि इसका कारण यह नहीं था कि अल्लाह ने उनको मार्ग दर्शन नहीं दिया। बल्कि वे अपने धर्म ग्रंथो में मन माना परिवर्तन करके स्वयं कुटमार्ग का कारण बन गए।
Tefsiret në gjuhën arabe:
وَمَاۤ اُمِرُوْۤا اِلَّا لِیَعْبُدُوا اللّٰهَ مُخْلِصِیْنَ لَهُ الدِّیْنَ ۙ۬— حُنَفَآءَ وَیُقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَیُؤْتُوا الزَّكٰوةَ وَذٰلِكَ دِیْنُ الْقَیِّمَةِ ۟ؕ
हालाँकि उन्हें केवल यही आदेश दिया गया था कि वे अल्लाह के लिए धर्म को विशुद्ध करते हुए, एकाग्र होकर, उसकी उपासना करें, तथा नमाज़ अदा करें और ज़कात दें और यही सीधा धर्म है।
Tefsiret në gjuhën arabe:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ وَالْمُشْرِكِیْنَ فِیْ نَارِ جَهَنَّمَ خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ هُمْ شَرُّ الْبَرِیَّةِ ۟ؕ
निःसंदेह किताब वालों और मुश्रिकों में से जो लोग काफ़िर हो गए, वे सदा जहन्नम की आग में रहने वाले हैं, वही लोग सबसे बुरे प्राणी हैं।
Tefsiret në gjuhën arabe:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ ۙ— اُولٰٓىِٕكَ هُمْ خَیْرُ الْبَرِیَّةِ ۟ؕ
निःसंदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने सत्कर्म किए, वही लोग सबसे अच्छे प्राणी हैं।
Tefsiret në gjuhën arabe:
جَزَآؤُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ جَنّٰتُ عَدْنٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اَبَدًا ؕ— رَضِیَ اللّٰهُ عَنْهُمْ وَرَضُوْا عَنْهُ ؕ— ذٰلِكَ لِمَنْ خَشِیَ رَبَّهٗ ۟۠
उनका बदला उनके पालनहार के पास सदा रहने वाले बाग़ हैं, जिनके नीचे से नहरें बहती हैं। वे उनमें सदैव रहने वाले हैं। अल्लाह उनसे प्रसन्न हुआ और वे अल्लाह से प्रसन्न हुए। यह उसके लिए है, जो अपने पालनहार से डर गया।[3]
3. (6-8) इन आयतों में साफ़-साफ़ कह दिया गया है कि जो अह्ले किताब और मूर्तियों के पुजारी इस रसूल को मानने से इनकार करेंगे, वे बहुत बुरे हैं। और उनका स्थान नरक है। उसी में वे सदा रहेंगे। और जो संसार में अल्लाह से डरते हुए जीवन निर्वाह करेंगे तथा विश्वास के साथ सदाचार करेंगे, तो वे सदा के स्वर्ग में रहेंगे। अल्लाह उनसे प्रसन्न हो गया, और वे अल्लाह से प्रसन्न हो गए।
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