قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - ہندی ترجمہ * - ترجمے کی لسٹ

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معانی کا ترجمہ سورت: سورۂ انبیاء   آیت:

सूरा अल्-अम्बिया

اِقْتَرَبَ لِلنَّاسِ حِسَابُهُمْ وَهُمْ فِیْ غَفْلَةٍ مُّعْرِضُوْنَ ۟ۚ
लोगों के लिए उनका हिसाब[1] बहुत निकट आ गया और वे बड़ी लापरवाही में मुँह फेरने वाले हैं।
1. अर्थात प्रलय का समय, फिर भी लोग उससे अचेत माया मोह में लिप्त हैं।
عربی تفاسیر:
مَا یَاْتِیْهِمْ مِّنْ ذِكْرٍ مِّنْ رَّبِّهِمْ مُّحْدَثٍ اِلَّا اسْتَمَعُوْهُ وَهُمْ یَلْعَبُوْنَ ۟ۙ
उनके पालनहार की ओर से उनके पास कोई नया उपदेश[2] नहीं आता, परंतु वे उसे हँसी-खेल करते हुए बड़ी कठिनाई से सुनते हैं।
2. अर्थात क़ुरआन की कोई आयत अवतरित होती है, तो उसमें चिंतन और विचार नहीं करते।
عربی تفاسیر:
لَاهِیَةً قُلُوْبُهُمْ ؕ— وَاَسَرُّوا النَّجْوَی ۖۗ— الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا ۖۗ— هَلْ هٰذَاۤ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ ۚ— اَفَتَاْتُوْنَ السِّحْرَ وَاَنْتُمْ تُبْصِرُوْنَ ۟
उनके दिल पूरी तरह ग़ाफ़िल होते हैं। और उन लोगों ने चुपके-चुपके कानाफूसी की जिन्होंने अत्याचार किया था, कि यह (नबी) तो तुम्हारे ही जैसा एक इनसान है, तो क्या तुम जादू के पास आते हो, हालाँकि तुम देख रहे हो?[3]
3. अर्थात यह कि वह तुम्हारे जैसा मनुष्य है। अतः इसका जो भी प्रभाव है, वह जादू के कारण है।
عربی تفاسیر:
قٰلَ رَبِّیْ یَعْلَمُ الْقَوْلَ فِی السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ ؗ— وَهُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
उस (रसूल) ने कहा : मेरा पालनहार आकाश और धरती की हर बात को जानता है और वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।
عربی تفاسیر:
بَلْ قَالُوْۤا اَضْغَاثُ اَحْلَامٍ بَلِ افْتَرٰىهُ بَلْ هُوَ شَاعِرٌ ۖۚ— فَلْیَاْتِنَا بِاٰیَةٍ كَمَاۤ اُرْسِلَ الْاَوَّلُوْنَ ۟
बल्कि उन्होंने (क़ुरआन के बारे में) कहा : यह[4] सपनों की उलझी हुई बातें हैं, बल्कि उसने इसे स्वयं गढ़ लिया है, बल्कि वह कवि है! अतः उसे चाहिए कि हमारे पास कोई निशानी लाए, जैसे पहले के रसूल (निशानियों के साथ) भेजे गए थे।
4. अर्थात क़ुरआन की आयतें।
عربی تفاسیر:
مَاۤ اٰمَنَتْ قَبْلَهُمْ مِّنْ قَرْیَةٍ اَهْلَكْنٰهَا ۚ— اَفَهُمْ یُؤْمِنُوْنَ ۟
इनसे पहले कोई बस्ती, जिसे हमने विनष्ट किया, ईमान[5] नहीं लाई। तो क्या ये ईमान ले आएँगे?
5. अर्थात निशानियाँ देख कर भी ईमान नहीं लाई।
عربی تفاسیر:
وَمَاۤ اَرْسَلْنَا قَبْلَكَ اِلَّا رِجَالًا نُّوْحِیْۤ اِلَیْهِمْ فَسْـَٔلُوْۤا اَهْلَ الذِّكْرِ اِنْ كُنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
और (ऐ नबी!) हमने आपसे पहले पुरुषों ही को रसूल बनाकर भेजे, जिनकी ओर हम वह़्य (प्रकाशना) करते थे। अतः तुम ज़िक्र (किताब) वालों[6] से पूछ लो, यदि तुम (स्वयं) नहीं जानते हो।
6. अर्थात पिछली आकाशीय पुस्तकों के ज्ञानियों से।
عربی تفاسیر:
وَمَا جَعَلْنٰهُمْ جَسَدًا لَّا یَاْكُلُوْنَ الطَّعَامَ وَمَا كَانُوْا خٰلِدِیْنَ ۟
तथा हमने उन्हें ऐसे शरीर (वाले) नहीं बनाए थे, जो खाना न खाते हों और न वे हमेशा रहने वाले थे।[7]
7. अर्थात उनमें मनुष्य ही की सब विशेषताएँ थीं।
عربی تفاسیر:
ثُمَّ صَدَقْنٰهُمُ الْوَعْدَ فَاَنْجَیْنٰهُمْ وَمَنْ نَّشَآءُ وَاَهْلَكْنَا الْمُسْرِفِیْنَ ۟
फिर हमने उनसे किए हुए वादे को सच कर दिखाया। तो हमने उन्हें बचा लिया और उसे भी जिसे हम चाहते थे। और हमने हद से बढ़ने वालों को नष्ट कर दिया।
عربی تفاسیر:
لَقَدْ اَنْزَلْنَاۤ اِلَیْكُمْ كِتٰبًا فِیْهِ ذِكْرُكُمْ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟۠
निःसंदेह हमने तुम्हारी ओर एक किताब (क़ुरआन) उतारी है, जिसमें तुम्हारा सम्मान है। तो क्या तुम नहीं समझते?
عربی تفاسیر:
وَكَمْ قَصَمْنَا مِنْ قَرْیَةٍ كَانَتْ ظَالِمَةً وَّاَنْشَاْنَا بَعْدَهَا قَوْمًا اٰخَرِیْنَ ۟
और हमने बहुत-सी बस्तियों को तोड़कर रख दिया, जो अत्याचारी थीं और हमने उनके बाद दूसरी जाति को पैदा कर दिया।
عربی تفاسیر:
فَلَمَّاۤ اَحَسُّوْا بَاْسَنَاۤ اِذَا هُمْ مِّنْهَا یَرْكُضُوْنَ ۟ؕ
फिर जब उन्होंने हमारे अज़ाब को देख लिया, तो वे तुरंत वहाँ से भागने लगे।
عربی تفاسیر:
لَا تَرْكُضُوْا وَارْجِعُوْۤا اِلٰی مَاۤ اُتْرِفْتُمْ فِیْهِ وَمَسٰكِنِكُمْ لَعَلَّكُمْ تُسْـَٔلُوْنَ ۟
(तो उनसे उपहास के तौर पर कहा जाएगा :) भागो नहीं, और वापस चलो उन (जगहों) की ओर जिनमें तुम्हें खुशहाली दी गई थी और अपने घरों की ओर, ताकि तुमसे पूछा जाए।[8]
8. अर्थात यह कि यातना आने पर तुम्हारी क्या दशा हुई?
عربی تفاسیر:
قَالُوْا یٰوَیْلَنَاۤ اِنَّا كُنَّا ظٰلِمِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : हाय हमारा विनाश! निश्चय हम अत्याचारी थे।
عربی تفاسیر:
فَمَا زَالَتْ تِّلْكَ دَعْوٰىهُمْ حَتّٰی جَعَلْنٰهُمْ حَصِیْدًا خٰمِدِیْنَ ۟
तो उनकी पुकार हमेशा यही रही, यहाँ तक कि हमने उन्हें कटे हुए, बुझे हुए बना दिया।
عربی تفاسیر:
وَمَا خَلَقْنَا السَّمَآءَ وَالْاَرْضَ وَمَا بَیْنَهُمَا لٰعِبِیْنَ ۟
तथा हमने आकाश और धरती को और जो कुछ उन दोनों के बीच है, खेलते हुए नहीं बनाया।
عربی تفاسیر:
لَوْ اَرَدْنَاۤ اَنْ نَّتَّخِذَ لَهْوًا لَّاتَّخَذْنٰهُ مِنْ لَّدُنَّاۤ ۖۗ— اِنْ كُنَّا فٰعِلِیْنَ ۟
यदि हम कोई खेल बनाना चाहते, तो निश्चय उसे अपने पास से बना[9] लेते। (परंतु) हम ऐसा करने वाले नहीं हैं।
9. अर्थात इस विशाल संसार को बनाने की आवश्यक्ता न थी। इस आयत में यह बताया जा रहा है कि इस संसार को खेल नहीं बनाया गया है। यहाँ एक साधारण नियम काम कर रहा है। और वह सत्य और असत्य के बीच संघर्ष का नियम है। अर्थात यहाँ जो कुछ होता है वह सत्य की विजय और असत्य की पराजय के लिए होता है। और सत्य के आगे असत्य समाप्त हो कर रह जाता है।
عربی تفاسیر:
بَلْ نَقْذِفُ بِالْحَقِّ عَلَی الْبَاطِلِ فَیَدْمَغُهٗ فَاِذَا هُوَ زَاهِقٌ ؕ— وَلَكُمُ الْوَیْلُ مِمَّا تَصِفُوْنَ ۟
बल्कि हम सत्य को असत्य पर फेंक मारते हैं, तो वह उसका सिर कुचल देता है, तो एकाएक वह मिटने वाला होता है। और तुम्हारे लिए उसके कारण विनाश है, जो तुम बयान करते हो।
عربی تفاسیر:
وَلَهٗ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَمَنْ عِنْدَهٗ لَا یَسْتَكْبِرُوْنَ عَنْ عِبَادَتِهٖ وَلَا یَسْتَحْسِرُوْنَ ۟ۚ
और उसी का है, जो कोई आकाशों तथा धरती में है। और जो (फ़रिश्ते) उसके पास हैं, वे न उसकी इबादत से अभिमान करते हैं और न ज़रा भर थकते हैं।
عربی تفاسیر:
یُسَبِّحُوْنَ الَّیْلَ وَالنَّهَارَ لَا یَفْتُرُوْنَ ۟
वे रात-दिन (अल्लाह की) पवित्रता का गान करते हैं, दम नहीं लेते।
عربی تفاسیر:
اَمِ اتَّخَذُوْۤا اٰلِهَةً مِّنَ الْاَرْضِ هُمْ یُنْشِرُوْنَ ۟
क्या उन्होंने धरती से ऐसे पूज्य बना लिए हैं, जो मरे हुए लोगों को ज़िंदा कर सकते हैं?
عربی تفاسیر:
لَوْ كَانَ فِیْهِمَاۤ اٰلِهَةٌ اِلَّا اللّٰهُ لَفَسَدَتَا ۚ— فَسُبْحٰنَ اللّٰهِ رَبِّ الْعَرْشِ عَمَّا یَصِفُوْنَ ۟
अगर उन दोनों में अल्लाह के सिवा कोई और पूज्य होते, तो वे दोनों अवश्य बिगड़[10] जाते। अतः पवित्र है अल्लाह जो अर्श (सिंहासन) का मालिक है, उन चीज़ों से जो वे बयान करते हैं।
10. क्योंकि दोनों अपनी-अपनी शक्ति का प्रयोग करते और उनके आपस के संघर्ष के कारण इस संसार की व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाती। अतः इस संसार की व्यवस्था स्वयं बता रही है कि इसका स्वामी एक ही है। और वही अकेला पूज्य है।
عربی تفاسیر:
لَا یُسْـَٔلُ عَمَّا یَفْعَلُ وَهُمْ یُسْـَٔلُوْنَ ۟
वह जो कुछ करता है, उससे (उसके बारे में) नहीं पूछा जाता, और उनसे पूछा जाता है।
عربی تفاسیر:
اَمِ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖۤ اٰلِهَةً ؕ— قُلْ هَاتُوْا بُرْهَانَكُمْ ۚ— هٰذَا ذِكْرُ مَنْ مَّعِیَ وَذِكْرُ مَنْ قَبْلِیْ ؕ— بَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۙ— الْحَقَّ فَهُمْ مُّعْرِضُوْنَ ۟
क्या उन्होंने उसके सिवा और भी पूज्य बना लिए हैं? (ऐ नबी!) आप कह दें कि अपना प्रमाण लाओ। यह मेरे साथ वालों की किताब (क़ुरआन) है, और ये मुझसे पहले के लोगों पर उतरने वाली किताबें[11] हैं, (इनमें तुम्हारे लिए कोई प्रमाण नहीं है)। बल्कि उनमें से अधिकतर लोग सत्य का ज्ञान नहीं रखते। इसी कारण, वे मुँह फेरने वाले हैं।
11. आयत का भावार्थ यह है कि यह क़ुरआन है और ये तौरात तथा इंजील हैं। इनमें कोई प्रमाण दिखा दो कि अल्लाह के अन्य साझी और पूज्य हैं। बल्कि ये मिश्रणवादी निर्मूल बातें कर रहे हैं।
عربی تفاسیر:
وَمَاۤ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ مِنْ رَّسُوْلٍ اِلَّا نُوْحِیْۤ اِلَیْهِ اَنَّهٗ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّاۤ اَنَا فَاعْبُدُوْنِ ۟
और हमने आपसे पहले जो भी रसूल भेजा, उसकी ओर यही वह़्य (प्रकाशना) करते थे कि मेरे सिवा कोई पूज्य नहीं है। अतः मेरी ही इबादत करो।
عربی تفاسیر:
وَقَالُوا اتَّخَذَ الرَّحْمٰنُ وَلَدًا سُبْحٰنَهٗ ؕ— بَلْ عِبَادٌ مُّكْرَمُوْنَ ۟ۙ
और उन (मुश्रिकों) ने कहा कि 'रहमान' (अत्यंत दयावान्) ने कोई संतान बना रखी है। वह (इससे) पवित्र है। बल्कि वे (फ़रिश्ते)[12] सम्मानित बंदे हैं।
12. अर्थात अरब के मिश्रणवादी जिन फ़रिश्तों को अल्लाह की पुत्रियाँ कहते हैं, वास्तव में वे उसके बंदे तथा दास हैं।
عربی تفاسیر:
لَا یَسْبِقُوْنَهٗ بِالْقَوْلِ وَهُمْ بِاَمْرِهٖ یَعْمَلُوْنَ ۟
वे बात करने में उससे पहल नहीं करते और वे उसके आदेशानुसार ही काम करते हैं।
عربی تفاسیر:
یَعْلَمُ مَا بَیْنَ اَیْدِیْهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلَا یَشْفَعُوْنَ ۙ— اِلَّا لِمَنِ ارْتَضٰی وَهُمْ مِّنْ خَشْیَتِهٖ مُشْفِقُوْنَ ۟
वह जानता है, जो उनके सामने है और जो उनके पीछे है। और वे सिफ़ारिश नहीं करते, परंतु उसी के लिए जिसे वह पसंद[13] करे। तथा वे उसी के भय से डरने वाले हैं।
13. अर्थात जो एकेश्वरवादी होंगे।
عربی تفاسیر:
وَمَنْ یَّقُلْ مِنْهُمْ اِنِّیْۤ اِلٰهٌ مِّنْ دُوْنِهٖ فَذٰلِكَ نَجْزِیْهِ جَهَنَّمَ ؕ— كَذٰلِكَ نَجْزِی الظّٰلِمِیْنَ ۟۠
और उनमें से जो यह कहे कि मैं अल्लाह के सिवा पूज्य हूँ, तो यही है जिसे हम जहन्नम की सज़ा देंगे। ऐसे ही हम ज़ालिमों को सज़ा देते हैं।
عربی تفاسیر:
اَوَلَمْ یَرَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اَنَّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ كَانَتَا رَتْقًا فَفَتَقْنٰهُمَا ؕ— وَجَعَلْنَا مِنَ الْمَآءِ كُلَّ شَیْءٍ حَیٍّ ؕ— اَفَلَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
क्या जिन लोगों ने कुफ़्र किया यह नहीं देखा कि आकाश और धरती दोनों मिले हुए[14] थे, फिर हमने दोनों को अलग-अलग कर दिया, तथा हमने पानी से हर जीवित चीज़ को बनाया? तो क्या ये लोग ईमान नहीं लाते?
14. अर्थात अपनी उत्पत्ति के आरंभ में।
عربی تفاسیر:
وَجَعَلْنَا فِی الْاَرْضِ رَوَاسِیَ اَنْ تَمِیْدَ بِهِمْ وَجَعَلْنَا فِیْهَا فِجَاجًا سُبُلًا لَّعَلَّهُمْ یَهْتَدُوْنَ ۟
और हमने धरती में पर्वत बना दिए, ताकि वह उनके साथ हिलने-डुलने[15] न लगे और उसमें चौड़े रास्ते बना दिए, ताकि वे मार्ग पाएँ।
15. अर्थात ये पर्वत न होते तो धरती सदा हिलती रहती।
عربی تفاسیر:
وَجَعَلْنَا السَّمَآءَ سَقْفًا مَّحْفُوْظًا ۖۚ— وَّهُمْ عَنْ اٰیٰتِهَا مُعْرِضُوْنَ ۟
और हमने आकाश को एक संरक्षित छत बनाया। और वे उसकी निशानियों से मुँह फेरने वाले हैं।
عربی تفاسیر:
وَهُوَ الَّذِیْ خَلَقَ الَّیْلَ وَالنَّهَارَ وَالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ ؕ— كُلٌّ فِیْ فَلَكٍ یَّسْبَحُوْنَ ۟
और वही है, जिसने रात और दिन, तथा सूरज और चाँद बनाए। सब एक-एक कक्षा में तैर रहे हैं।[16]
16. क़ुरआन अपनी शिक्षा में संसार की व्यवस्था से एक ही पूज्य होने का प्रमाण प्रस्तुत करता है। यहाँ भी आयत : 30 से 33 तक एक अल्लाह के पूज्य होने का प्रमाण प्रस्तुत किया गया है।
عربی تفاسیر:
وَمَا جَعَلْنَا لِبَشَرٍ مِّنْ قَبْلِكَ الْخُلْدَ ؕ— اَفَاۡىِٕنْ مِّتَّ فَهُمُ الْخٰلِدُوْنَ ۟
और (ऐ नबी!) हमने आपसे पहले किसी मनुष्य के लिए अमरता नहीं रखी। फिर क्या अगर आप मर[17] गए, तो ये सदैव रहने वाले हैं?
17. जब मनुष्य किसी का विरोधी बन जाता है, तो उसके मरण की कामना करता है। यही दशा मक्का के काफ़िरों की भी थी। वे आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मरण की कामना कर रहे थे। फिर यह कहा गया है कि संसार के प्रत्येक जीव को मरना है। यह कोई बड़ी बात नहीं, बड़ी बात तो यह है कि अल्लाह इस संसार में सबके कर्मों की परीक्षा कर रहा है और फिर सबको अपने कर्मों का फल भी परलोक में मिलना है, तो कौन इस परीक्षा में सफल होता है?
عربی تفاسیر:
كُلُّ نَفْسٍ ذَآىِٕقَةُ الْمَوْتِ ؕ— وَنَبْلُوْكُمْ بِالشَّرِّ وَالْخَیْرِ فِتْنَةً ؕ— وَاِلَیْنَا تُرْجَعُوْنَ ۟
हर जीव को मौत का स्वाद चखना है। और हम अच्छी तथा बुरी परिस्थितियों से तुम्हारी परीक्षा करते हैं तथा तुम हमारी ही ओर लौटाए जाओगे।
عربی تفاسیر:
وَاِذَا رَاٰكَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ یَّتَّخِذُوْنَكَ اِلَّا هُزُوًا ؕ— اَهٰذَا الَّذِیْ یَذْكُرُ اٰلِهَتَكُمْ ۚ— وَهُمْ بِذِكْرِ الرَّحْمٰنِ هُمْ كٰفِرُوْنَ ۟
तथा जब काफ़िर आपको देखते हैं, तो आपको उपहास बना लेते हैं। (वे कहते हैं :) क्या यही है, जो तुम्हारे पूज्यों की चर्चा करता है? जबकि वे स्वयं 'रहमान' (अत्यंत दयावान्) के ज़िक्र[18] का इनकार करने वाले हैं।
18. अर्थात अल्लाह को नहीं मानते।
عربی تفاسیر:
خُلِقَ الْاِنْسَانُ مِنْ عَجَلٍ ؕ— سَاُورِیْكُمْ اٰیٰتِیْ فَلَا تَسْتَعْجِلُوْنِ ۟
इनसान जन्मजात जल्दबाज़ है। मैं शीघ्र तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाऊँगा। अतः तुम मुझसे जल्दी की माँग न करो।
عربی تفاسیر:
وَیَقُوْلُوْنَ مَتٰی هٰذَا الْوَعْدُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
तथा वे कहते हैं : यह वादा[19] कब पूरा होगा, यदि तुम सच्चे हो?
19. अर्थात हमारे न मानने पर यातना आने की धमकी।
عربی تفاسیر:
لَوْ یَعْلَمُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا حِیْنَ لَا یَكُفُّوْنَ عَنْ وُّجُوْهِهِمُ النَّارَ وَلَا عَنْ ظُهُوْرِهِمْ وَلَا هُمْ یُنْصَرُوْنَ ۟
यदि ये काफ़िर लोग उस समय को जान लें, जब वे न अपने चेहरों से आग को रोक सकेंगे और न अपनी पीठों से और न उनकी सहायता की जाएगी। (तो यातना के लिए जल्दी न मचाएँ)।
عربی تفاسیر:
بَلْ تَاْتِیْهِمْ بَغْتَةً فَتَبْهَتُهُمْ فَلَا یَسْتَطِیْعُوْنَ رَدَّهَا وَلَا هُمْ یُنْظَرُوْنَ ۟
बल्कि वह उनपर अचानक आएगी, तो उन्हें आश्चर्यचकित कर देगी। फिर वे न उसे फेर सकेंगे और न उन्हें मोहलत दी जाएगी।
عربی تفاسیر:
وَلَقَدِ اسْتُهْزِئَ بِرُسُلٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَحَاقَ بِالَّذِیْنَ سَخِرُوْا مِنْهُمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟۠
निःसंदेह आपसे पहले कई रसूलों का मज़ाक़ उड़ाया गया, तो उनमें से जिन लोगों ने मज़ाक उड़ाया, उन्हें उसी चीज़[20] ने घेर लिया, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते थे।
20. अर्थात यातना ने।
عربی تفاسیر:
قُلْ مَنْ یَّكْلَؤُكُمْ بِالَّیْلِ وَالنَّهَارِ مِنَ الرَّحْمٰنِ ؕ— بَلْ هُمْ عَنْ ذِكْرِ رَبِّهِمْ مُّعْرِضُوْنَ ۟
आप पूछिए कि कौन है जो रात और दिन में 'रहमान' से[21] तुम्हारी रक्षा करता है? बल्कि वे अपने पालनहार की याद से मुँह फेरने वाले हैं।
21. अर्थात उसकी यातना से।
عربی تفاسیر:
اَمْ لَهُمْ اٰلِهَةٌ تَمْنَعُهُمْ مِّنْ دُوْنِنَا ؕ— لَا یَسْتَطِیْعُوْنَ نَصْرَ اَنْفُسِهِمْ وَلَا هُمْ مِّنَّا یُصْحَبُوْنَ ۟
क्या उनके कुछ पूज्य हैं, जो उन्हें हमारी यातना से बचाते हैं? वे न तो खुद अपनी सहायता कर सकते हैं और न हमारी यातना से उन्हें बचाया जाता है।
عربی تفاسیر:
بَلْ مَتَّعْنَا هٰۤؤُلَآءِ وَاٰبَآءَهُمْ حَتّٰی طَالَ عَلَیْهِمُ الْعُمُرُ ؕ— اَفَلَا یَرَوْنَ اَنَّا نَاْتِی الْاَرْضَ نَنْقُصُهَا مِنْ اَطْرَافِهَا ؕ— اَفَهُمُ الْغٰلِبُوْنَ ۟
बल्कि हमने इन (काफ़िरों) को और इनके बाप-दादों को जीवन की सुख-सुविधाएँ प्रदान कीं, यहाँ तक कि उनपर लंबा समय बीत गया। तो क्या वे देखते नहीं कि हम धरती को उसके किनारों से कम करते आ रहे हैं? तो क्या वही प्रभावी रहने वाले हैं?[22]
22.अर्थ यह है कि वे मक्का के काफ़िर सुख-सुविधा मंद रहने के कारण अल्लाह से विमुख हो गए हैं, और सोचते हैं कि उनपर यातना नहीं आएगी और वही विजयी होंगे। जबकि दशा यह है कि उनके अधिकार का क्षेत्र कम होता जा रहा है और इस्लाम बराबर फैलता जा रहा है। फिर भी वे इस भ्रम में हैं कि वे प्रभुत्व प्राप्त कर लेंगे।
عربی تفاسیر:
قُلْ اِنَّمَاۤ اُنْذِرُكُمْ بِالْوَحْیِ ۖؗ— وَلَا یَسْمَعُ الصُّمُّ الدُّعَآءَ اِذَا مَا یُنْذَرُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दें कि मैं तो तुम्हें केवल वह़्य के साथ डराता हूँ। और बहरे पुकार को नहीं सुनते, जब कभी डराए जाते हैं।
عربی تفاسیر:
وَلَىِٕنْ مَّسَّتْهُمْ نَفْحَةٌ مِّنْ عَذَابِ رَبِّكَ لَیَقُوْلُنَّ یٰوَیْلَنَاۤ اِنَّا كُنَّا ظٰلِمِیْنَ ۟
और निश्चय यदि उन्हें आपके पालनहार की तनिक यातना भी छू जाए, तो अवश्य पुकार उठेंगे : हाय हमारा विनाश! निश्चय हम ही अत्याचारी[23] थे।
23. अर्थात अपने पापों को स्वीकार कर लेंगे।
عربی تفاسیر:
وَنَضَعُ الْمَوَازِیْنَ الْقِسْطَ لِیَوْمِ الْقِیٰمَةِ فَلَا تُظْلَمُ نَفْسٌ شَیْـًٔا ؕ— وَاِنْ كَانَ مِثْقَالَ حَبَّةٍ مِّنْ خَرْدَلٍ اَتَیْنَا بِهَا ؕ— وَكَفٰی بِنَا حٰسِبِیْنَ ۟
और हम क़ियामत के दिन न्याय के तराज़ू[24] रखेंगे। फिर किसी पर कुछ भी ज़ुल्म नहीं किया जाएगा। और अगर राई के एक दाने के बराबर (भी किसी का) कर्म होगा, तो हम उसे ले आएँगे। और हम हिसाब लेने वाले काफ़ी हैं।
24. अर्थात कर्मों को तौलने और ह़िसाब करने के लिए, ताकि प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मानुसार बदला दिया जाए।
عربی تفاسیر:
وَلَقَدْ اٰتَیْنَا مُوْسٰی وَهٰرُوْنَ الْفُرْقَانَ وَضِیَآءً وَّذِكْرًا لِّلْمُتَّقِیْنَ ۟ۙ
और निःसंदेह हमने मूसा तथा हारून को सत्य एवं असत्य के बीच अंतर करने वाली चीज़, तथा प्रकाश और तक़्वा वालों के लिए उपदेश प्रदान किया।
عربی تفاسیر:
الَّذِیْنَ یَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَیْبِ وَهُمْ مِّنَ السَّاعَةِ مُشْفِقُوْنَ ۟
जो अपने पालनहार से बिन देखे डरते हैं और वे क़ियामत से भयभीत रहने वाले हैं।
عربی تفاسیر:
وَهٰذَا ذِكْرٌ مُّبٰرَكٌ اَنْزَلْنٰهُ ؕ— اَفَاَنْتُمْ لَهٗ مُنْكِرُوْنَ ۟۠
और यह (क़ुरआन) एक बरकत वाला उपदेश है, जिसे हमने उतारा है। तो क्या तुम इसके इनकारी हो?
عربی تفاسیر:
وَلَقَدْ اٰتَیْنَاۤ اِبْرٰهِیْمَ رُشْدَهٗ مِنْ قَبْلُ وَكُنَّا بِهٖ عٰلِمِیْنَ ۟ۚ
और निःसंदेह हमने इससे पहले इबराहीम को उसकी समझ-बूझ प्रदान की थी और हम उससे भली-भाँति अवगत थे।
عربی تفاسیر:
اِذْ قَالَ لِاَبِیْهِ وَقَوْمِهٖ مَا هٰذِهِ التَّمَاثِیْلُ الَّتِیْۤ اَنْتُمْ لَهَا عٰكِفُوْنَ ۟
जब उसने अपने बाप तथा अपनी जाति से कहा : ये प्रतिमाएँ (मूर्तियाँ) क्या हैं, जिनकी पूजा में तुम लगे हुए हो?
عربی تفاسیر:
قَالُوْا وَجَدْنَاۤ اٰبَآءَنَا لَهَا عٰبِدِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : हमने अपने बाप-दादा को इन्हीं की पूजा करने वाला पाया है।
عربی تفاسیر:
قَالَ لَقَدْ كُنْتُمْ اَنْتُمْ وَاٰبَآؤُكُمْ فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
उस (इबराहीम) ने कहा : निश्चय तुम और तुम्हारे बाप-दादा खुली गुमराही में रहे हो।
عربی تفاسیر:
قَالُوْۤا اَجِئْتَنَا بِالْحَقِّ اَمْ اَنْتَ مِنَ اللّٰعِبِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : क्या तुम हमारे पास सत्य लाए हो या (हमसे) दिल-लगी कर रहे हो?
عربی تفاسیر:
قَالَ بَلْ رَّبُّكُمْ رَبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ الَّذِیْ فَطَرَهُنَّ ۖؗ— وَاَنَا عَلٰی ذٰلِكُمْ مِّنَ الشّٰهِدِیْنَ ۟
उसने कहा : बल्कि तुम्हारा पालनहार आकाशों तथा धरती का पालनहार है, जिसने उन्हें पैदा किया है और मैं इसकी गवाही देने वालों में से हूँ।
عربی تفاسیر:
وَتَاللّٰهِ لَاَكِیْدَنَّ اَصْنَامَكُمْ بَعْدَ اَنْ تُوَلُّوْا مُدْبِرِیْنَ ۟
और अल्लाह की क़सम! मैं अवश्य ही तुम्हारी मूर्तियों का गुप्त उपाय करूँगा, इसके बाद कि तुम पीठ फेरकर चले जाओगे।
عربی تفاسیر:
فَجَعَلَهُمْ جُذٰذًا اِلَّا كَبِیْرًا لَّهُمْ لَعَلَّهُمْ اِلَیْهِ یَرْجِعُوْنَ ۟
फिर उसने उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर दिया, सिवाय उनके एक बड़े के, ताकि वे उसकी ओर लौटें।
عربی تفاسیر:
قَالُوْا مَنْ فَعَلَ هٰذَا بِاٰلِهَتِنَاۤ اِنَّهٗ لَمِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : हमारे पूज्यों के साथ यह किसने किया है? निःसंदेह वह निश्चय अत्याचारियों में से है!
عربی تفاسیر:
قَالُوْا سَمِعْنَا فَتًی یَّذْكُرُهُمْ یُقَالُ لَهٗۤ اِبْرٰهِیْمُ ۟ؕ
लोगों ने कहा : हमने एक नवयुवक को उनकी चर्चा करते हुए सुना है, जिसे इबराहीम कहा जाता है।
عربی تفاسیر:
قَالُوْا فَاْتُوْا بِهٖ عَلٰۤی اَعْیُنِ النَّاسِ لَعَلَّهُمْ یَشْهَدُوْنَ ۟
उन्होंने कहा : उसे लोगों की आँखों के सामने लाओ, ताकि वे गवाह हो जाएँ।
عربی تفاسیر:
قَالُوْۤا ءَاَنْتَ فَعَلْتَ هٰذَا بِاٰلِهَتِنَا یٰۤاِبْرٰهِیْمُ ۟ؕ
उन्होंने पूछा : ऐ इबराहीम! क्या तूने ही हमारे पूज्यों के साथ यह किया है?
عربی تفاسیر:
قَالَ بَلْ فَعَلَهٗ ۖۗ— كَبِیْرُهُمْ هٰذَا فَسْـَٔلُوْهُمْ اِنْ كَانُوْا یَنْطِقُوْنَ ۟
उसने कहा : बल्कि यह उनके इस बड़े ने किया है। अतः उन्हीं से पूछ लो, यदि वे बोलते हैं?[25]
25. यह बात इबराहीम अलैहिस्सलाम ने उन्हें उनके पूज्यों की विवशता दिखाने के लिए कही।
عربی تفاسیر:
فَرَجَعُوْۤا اِلٰۤی اَنْفُسِهِمْ فَقَالُوْۤا اِنَّكُمْ اَنْتُمُ الظّٰلِمُوْنَ ۟ۙ
फिर उन्होंने अपने मन में विचार किया और कहने लगे : निश्चय तुम खुद ही अत्याचारी हो।
عربی تفاسیر:
ثُمَّ نُكِسُوْا عَلٰی رُءُوْسِهِمْ ۚ— لَقَدْ عَلِمْتَ مَا هٰۤؤُلَآءِ یَنْطِقُوْنَ ۟
फिर वे अपने सिरों के बल औंधे कर दिए गए[26], (और बोले :) निःसंदेह तू जानता है कि ये बोलते नहीं।
26. अर्थात सत्य को स्वीकार करके उससे फिर गए और अपनी ज़िद पर लौट आए।
عربی تفاسیر:
قَالَ اَفَتَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا یَنْفَعُكُمْ شَیْـًٔا وَّلَا یَضُرُّكُمْ ۟ؕ
(इबराहीम ने) कहा : फिर क्या तुम अल्लाह को छोड़ उस चीज़ की इबादत करते हो, जो न तुम्हें कुछ लाभ पहुँचाती है और न तुम्हें हानि पहुँचाती है?
عربی تفاسیر:
اُفٍّ لَّكُمْ وَلِمَا تَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟
तुफ़ है तुमपर और उनपर जिनकी तुम अल्लाह को छोड़कर इबादत करते हो। तो क्या तुम समझते नहीं?
عربی تفاسیر:
قَالُوْا حَرِّقُوْهُ وَانْصُرُوْۤا اٰلِهَتَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ فٰعِلِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : इसे जला दो तथा अपने पूज्यों की सहायता करो, अगर तुम कुछ करने वाले हो।
عربی تفاسیر:
قُلْنَا یٰنَارُ كُوْنِیْ بَرْدًا وَّسَلٰمًا عَلٰۤی اِبْرٰهِیْمَ ۟ۙ
हमने कहा : ऐ आग! तू इबराहीम पर ठंडक और सुरक्षा सुरक्षा बन जा।
عربی تفاسیر:
وَاَرَادُوْا بِهٖ كَیْدًا فَجَعَلْنٰهُمُ الْاَخْسَرِیْنَ ۟ۚ
और उन्होंने उसके साथ एक चाल का इरादा किया, तो हमने उन्हीं को अत्यंत घाटे वाला कर दिया।
عربی تفاسیر:
وَنَجَّیْنٰهُ وَلُوْطًا اِلَی الْاَرْضِ الَّتِیْ بٰرَكْنَا فِیْهَا لِلْعٰلَمِیْنَ ۟
और हम उसे (इबराहीम को) और लूत[27] को बचाकर उस भूमि[28] की ओर ले गए, जिसमें हमने संसार वालों के लिए बरकत रखी।
27. लूत अलैहिस्सलाम इबराहीम अलैहिस्सलाम के भतीजे थे। 28. इससे अभिप्राय शाम देश है। और अर्थ यह है कि अल्लाह ने इबराहीम अलैहिस्सलाम की अग्नि से रक्षा करने के पश्चात् उन्हें शाम देश की ओर प्रस्तथान कर जाने का आदेश दिया। और वह शाम चले गए।
عربی تفاسیر:
وَوَهَبْنَا لَهٗۤ اِسْحٰقَ ؕ— وَیَعْقُوْبَ نَافِلَةً ؕ— وَكُلًّا جَعَلْنَا صٰلِحِیْنَ ۟
और हमने उन्हें इसहाक़ प्रदान किया और उसके अतिरिक्त याक़ूब भी। और हमने हर एक को नेक बनाया।
عربی تفاسیر:
وَجَعَلْنٰهُمْ اَىِٕمَّةً یَّهْدُوْنَ بِاَمْرِنَا وَاَوْحَیْنَاۤ اِلَیْهِمْ فِعْلَ الْخَیْرٰتِ وَاِقَامَ الصَّلٰوةِ وَاِیْتَآءَ الزَّكٰوةِ ۚ— وَكَانُوْا لَنَا عٰبِدِیْنَ ۟ۙ
और हमने उन्हें ऐसे अग्रणी (पेशवा) बनाया, जो हमारे आदेशानुसार (लोगों को) सही राह दिखाते थे। और हमने उनकी ओर नेक कार्य करने, नमाज़ क़ायम करने और ज़कात देने की वह़्य (प्रकाशना) की। और वे केवल हमारी इबादत करने वाले थे।
عربی تفاسیر:
وَلُوْطًا اٰتَیْنٰهُ حُكْمًا وَّعِلْمًا وَّنَجَّیْنٰهُ مِنَ الْقَرْیَةِ الَّتِیْ كَانَتْ تَّعْمَلُ الْخَبٰٓىِٕثَ ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمَ سَوْءٍ فٰسِقِیْنَ ۟ۙ
और लूत को हमने निर्णय शक्ति और ज्ञान दिया और उसे उस बस्ती से बचा लिया, जो गंदे काम किया करती थी। निश्चय वे बुरे, अवज्ञा करने वाले लोग थे।
عربی تفاسیر:
وَاَدْخَلْنٰهُ فِیْ رَحْمَتِنَا ؕ— اِنَّهٗ مِنَ الصّٰلِحِیْنَ ۟۠
और हमने उन्हें अपनी दया में दाख़िल कर लिया। निःसंदेह वह सदाचारियों में से थे।
عربی تفاسیر:
وَنُوْحًا اِذْ نَادٰی مِنْ قَبْلُ فَاسْتَجَبْنَا لَهٗ فَنَجَّیْنٰهُ وَاَهْلَهٗ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِیْمِ ۟ۚ
तथा नूह को (याद करो) जब उन्होंने इससे पहले (अल्लाह को) पुकारा, तो हमने उनकी दुआ क़बूल कर ली, फिर उन्हें और उनके घर वालों को बड़े कष्ट से बचा लिया।
عربی تفاسیر:
وَنَصَرْنٰهُ مِنَ الْقَوْمِ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمَ سَوْءٍ فَاَغْرَقْنٰهُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟
और हमने उन लोगों के विरुद्ध उनकी मदद की, जिन्होंने हमारी निशानियों को झुठलाया। निःसंदेह वे बुरे लोग थे। अतः हमने उन सभी को डुबो दिया।
عربی تفاسیر:
وَدَاوٗدَ وَسُلَیْمٰنَ اِذْ یَحْكُمٰنِ فِی الْحَرْثِ اِذْ نَفَشَتْ فِیْهِ غَنَمُ الْقَوْمِ ۚ— وَكُنَّا لِحُكْمِهِمْ شٰهِدِیْنَ ۟ۙ
तथा दाऊद और सुलैमान को (याद करो), जब वे दोनों खेत के विषय में निर्णय कर रहे थे, जब रात के समय उसमें अन्य लोगों की बकरियाँ फैल गईं थीं, और हम उनके निर्णय के समय उपस्थित थे।
عربی تفاسیر:
فَفَهَّمْنٰهَا سُلَیْمٰنَ ۚ— وَكُلًّا اٰتَیْنَا حُكْمًا وَّعِلْمًا ؗ— وَّسَخَّرْنَا مَعَ دَاوٗدَ الْجِبَالَ یُسَبِّحْنَ وَالطَّیْرَ ؕ— وَكُنَّا فٰعِلِیْنَ ۟
तो हमने वह (निर्णय) सुलैमान[29] को समझा दिया। और हमने हर एक को हुक्म (नुबुव्वत या निर्णय-शक्ति) और ज्ञान प्रदान किया। और हमने पहाड़ों को दाऊद के अधीन कर दिया, जो (अल्लाह की) पवित्रता का गान करते थे, तथा पक्षियों को भी। और हम ही (इस कार्य के) करने वाले थे।
29. ह़दीस में वर्णित है कि दो नारियों के साथ शिशु थे। भेड़िया आया और एक को ले गया, तो एक ने दूसरे से कहा कि तुम्हारे शिशु को ले गया है और निर्णय के लिए दाऊद के पास गईं। उन्होंने बड़ी के लिए निर्णय कर दिया। फिर वे सुलैमान अलैहिस्सलाम के पास आयीं, उन्होंने कहा : छुरी लाओ, मैं तुम दोनों के लिए दो भाग कर दूँ। तो छोटी ने कहा : ऐसा न करें, अल्लाह आप पर दया करे, यह उसी का शिशु है। यह सुनकर उन्होंने छोटी के पक्ष में निर्णय कर दिया। ( बुख़ारी : 3427, मुस्लिम :1720)
عربی تفاسیر:
وَعَلَّمْنٰهُ صَنْعَةَ لَبُوْسٍ لَّكُمْ لِتُحْصِنَكُمْ مِّنْ بَاْسِكُمْ ۚ— فَهَلْ اَنْتُمْ شٰكِرُوْنَ ۟
तथा हमने उन्हें (दाऊद को) तुम्हारे लिए कवच बनाना सिखाया, ताकि वह तुम्हारी लड़ाई से तुम्हारी रक्षा करे। तो क्या तुम शुक्रिया अदा करने वाले हो?
عربی تفاسیر:
وَلِسُلَیْمٰنَ الرِّیْحَ عَاصِفَةً تَجْرِیْ بِاَمْرِهٖۤ اِلَی الْاَرْضِ الَّتِیْ بٰرَكْنَا فِیْهَا ؕ— وَكُنَّا بِكُلِّ شَیْءٍ عٰلِمِیْنَ ۟
और तेज़ चलने वाली हवा को सुलैमान के अधीन कर दिया, जो उसके आदेश[30] से उस धरती की ओर चलती थी, जिसमें हमने बरकत रखी और हम हर चीज़ को जानने वाले थे।
30. अर्थात वायु उनके सिंहासन को उनके राज्य में जहाँ चाहते क्षणों में पहुँचा देती थी।
عربی تفاسیر:
وَمِنَ الشَّیٰطِیْنِ مَنْ یَّغُوْصُوْنَ لَهٗ وَیَعْمَلُوْنَ عَمَلًا دُوْنَ ذٰلِكَ ۚ— وَكُنَّا لَهُمْ حٰفِظِیْنَ ۟ۙ
और कई शैतान (उनके अधीन कर दिए गए थे), जो उनके लिए ग़ोता लगाते[31] थे तथा इसके अलावा काम (भी) करते थे। और हम ही उनके निरीक्षक[32] थे।
31. अर्थात मोतियाँ तथा जवाहिरात निकालने के लिए। 32. ताकि शैतान उनको कोई हानि न पहुँचाए।
عربی تفاسیر:
وَاَیُّوْبَ اِذْ نَادٰی رَبَّهٗۤ اَنِّیْ مَسَّنِیَ الضُّرُّ وَاَنْتَ اَرْحَمُ الرّٰحِمِیْنَ ۟ۚۖ
तथा अय्यूब (की कहानी) को (याद करो), जब उन्होंने अपने पालनहार को पुकारा कि निःसंदेह मुझे कष्ट पहुँची है और तू दया करने वालों में सबसे अधिक दयावान् है।
عربی تفاسیر:
فَاسْتَجَبْنَا لَهٗ فَكَشَفْنَا مَا بِهٖ مِنْ ضُرٍّ وَّاٰتَیْنٰهُ اَهْلَهٗ وَمِثْلَهُمْ مَّعَهُمْ رَحْمَةً مِّنْ عِنْدِنَا وَذِكْرٰی لِلْعٰبِدِیْنَ ۟
तो हमने उनकी दुआ क़बूल कर ली।[33] चुनाँचे उन्हें जो भी कष्ट था, उसे दूर कर दिया और हमने उन्हें उनके घर वाले तथा उनके साथ उनके समान (और) भी प्रदान किए। अपनी ओर से दया के रूप में और उन लोगों की याद-दहानी के लिए जो इबादत करने वाले हैं।
33. आदरणीय अय्यूब अलैहिस्सलाम की अल्लाह ने उनके धन-धान्य तथा परिवार में परीक्षा ली। वह स्वयं रोगग्रस्त हो गए। परंतु उनके धैर्य के कारण अल्लाह ने उनको फिर स्वस्थ कर दिया और धन-धान्य के साथ ही पहले से दो गुने पुत्र प्रदान किए।
عربی تفاسیر:
وَاِسْمٰعِیْلَ وَاِدْرِیْسَ وَذَا الْكِفْلِ ؕ— كُلٌّ مِّنَ الصّٰبِرِیْنَ ۟
तथा इसमाईल, इदरीस और ज़ुल किफ़्ल को (याद करो)। हर एक धैर्यवानों में से था।
عربی تفاسیر:
وَاَدْخَلْنٰهُمْ فِیْ رَحْمَتِنَا ؕ— اِنَّهُمْ مِّنَ الصّٰلِحِیْنَ ۟
और हमने उन्हें अपनी दया में दाख़िल कर लिया। निःसंदेह वे सदाचारियों में से थे।
عربی تفاسیر:
وَذَا النُّوْنِ اِذْ ذَّهَبَ مُغَاضِبًا فَظَنَّ اَنْ لَّنْ نَّقْدِرَ عَلَیْهِ فَنَادٰی فِی الظُّلُمٰتِ اَنْ لَّاۤ اِلٰهَ اِلَّاۤ اَنْتَ سُبْحٰنَكَ ۖۗ— اِنِّیْ كُنْتُ مِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟ۚۖ
तथा मछली वाले[34] (की कहानी याद करो), जब वह ग़ुस्से से भरा हुआ चला गया[35] और उसने सोचा कि हम उसे तंगी में नहीं डालेंगे। अंततः उसने अंधेरों में पुकारा कि (ऐ अल्लाह!) तेरे सिवा कोई पूज्य नहीं, तू पवित्र है। निश्चय मैं ही अत्याचारियों में हो गया।[36]
34. इससे अभिप्रेत यूनुस अलैहिस्सलाम हैं। उनको ''ज़ुन्नून'' और "साह़िबुल ह़ूत" कहा गया है। अर्थात मछली वाला। क्योंकि उनको अल्लाह के आदेश से एक मछली ने निगल लिया था। इसका कुछ वर्णन सूरत यूनुस में आ चुका है। और कुछ सूरतुस-साफ़्फ़ात में आ रहा है। 35. अर्थात अपनी जाति से क्रोधित होकर अल्लाह के अनुमति के बिना अपनी बस्ती से चले गए। इसी पर उन्हें पकड़ लिया गया। 36. सह़ीह़ ह़दीस में आता है कि जो भी मुसलमान इस शब्द के साथ किसी विषय में दुआ करेगा तो अल्लाह उसकी दुआ को स्वीकार करेगा। (तिर्मिज़ी : 3505)
عربی تفاسیر:
فَاسْتَجَبْنَا لَهٗ ۙ— وَنَجَّیْنٰهُ مِنَ الْغَمِّ ؕ— وَكَذٰلِكَ نُـجِی الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
तो हमने उनकी दुआ क़बूल की तथा उन्हें शोक से मुक्त कर दिया। और इसी तरह हम ईमान वालों को बचा लिया करते हैं।
عربی تفاسیر:
وَزَكَرِیَّاۤ اِذْ نَادٰی رَبَّهٗ رَبِّ لَا تَذَرْنِیْ فَرْدًا وَّاَنْتَ خَیْرُ الْوٰرِثِیْنَ ۟ۚۖ
तथा ज़करिया को (याद करो), जब उन्होंने अपने पालनहार को पुकारा : ऐ मेरे पालनहार![37] मुझे अकेला मत छोड़ और तू सब वारिसों से बेहतर है।
37. आदरणीय ज़करिय्या ने एक पुत्र के लिए प्रार्थना की, जिसका वर्णन सूरत आल-इमरान तथा सूरत-ताहा में आ चुका है।
عربی تفاسیر:
فَاسْتَجَبْنَا لَهٗ ؗ— وَوَهَبْنَا لَهٗ یَحْیٰی وَاَصْلَحْنَا لَهٗ زَوْجَهٗ ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا یُسٰرِعُوْنَ فِی الْخَیْرٰتِ وَیَدْعُوْنَنَا رَغَبًا وَّرَهَبًا ؕ— وَكَانُوْا لَنَا خٰشِعِیْنَ ۟
तो हमने उनकी दुआ क़बूल की और उन्हें यह़या प्रदान किया, और उनकी पत्नी को उनके लिए ठीक कर दिया। निःसंदेह वे नेकी के कामों में बहुत जल्दी करते थे और हमें आशा तथा भय के साथ पुकारते थे, और वे हमसे दीनतापूर्वक विनती करने वाले थे।
عربی تفاسیر:
وَالَّتِیْۤ اَحْصَنَتْ فَرْجَهَا فَنَفَخْنَا فِیْهَا مِنْ رُّوْحِنَا وَجَعَلْنٰهَا وَابْنَهَاۤ اٰیَةً لِّلْعٰلَمِیْنَ ۟
तथा उस महिला (को याद करो) जिसने अपने सतीत्व की रक्षा की, तो हमने उसमें अपनी रूह से फूँका तथा उसे और उसके पुत्र को संसार वालों के लिए एक बड़ी निशानी बना दिया।[38]
38. इससे संकेत मरयम तथा उनके पुत्र ईसा (अलैहिस्सलाम) की ओर है।
عربی تفاسیر:
اِنَّ هٰذِهٖۤ اُمَّتُكُمْ اُمَّةً وَّاحِدَةً ۖؗ— وَّاَنَا رَبُّكُمْ فَاعْبُدُوْنِ ۟
निःसंदेह यह है तुम्हारी उम्मत (धर्म) जो एक ही उम्मत (धर्म)[39] है, और मैं ही तुम्हारा पालनहार (पूज्य) हूँ। अतः मेरी इबादत करो।
39. अर्थात सब नबियों का मूल धर्म एक है। नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : मैं मरयम के पुत्र ईसा से अधिक संबंध रखता हूँ। क्योंकि सब नबी भाई-भाई हैं, उनकी माएँ अलग-अलग हैं, सबका धर्म एक है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 3443) और दूसरी ह़दीस में यह वृद्धि है कि : मेरे और उसके बीच कोई और नबी नहीं है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 3442)
عربی تفاسیر:
وَتَقَطَّعُوْۤا اَمْرَهُمْ بَیْنَهُمْ ؕ— كُلٌّ اِلَیْنَا رٰجِعُوْنَ ۟۠
और वे अपने धर्म के मामले में आपस में टुकड़े-टुकड़े हो गए। सब हमारी ही ओर लोटने वाले हैं।
عربی تفاسیر:
فَمَنْ یَّعْمَلْ مِنَ الصّٰلِحٰتِ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَا كُفْرَانَ لِسَعْیِهٖ ۚ— وَاِنَّا لَهٗ كٰتِبُوْنَ ۟
अतः जो व्यक्ति अच्छे काम करे और वह मोमिन हो, तो उसके प्रयास की उपेक्षा नहीं की जाएगी और निश्चय हम उसके लिए लिखने वाले हैं।
عربی تفاسیر:
وَحَرٰمٌ عَلٰی قَرْیَةٍ اَهْلَكْنٰهَاۤ اَنَّهُمْ لَا یَرْجِعُوْنَ ۟
तथा जिस बस्ती को हम विनष्ट[40] कर दें, उसके लिए असंभव है कि वह फिर (संसार में) लौट आए।
40. अर्थात उसके वासियों के दुराचार के कारण।
عربی تفاسیر:
حَتّٰۤی اِذَا فُتِحَتْ یَاْجُوْجُ وَمَاْجُوْجُ وَهُمْ مِّنْ كُلِّ حَدَبٍ یَّنْسِلُوْنَ ۟
यहाँ तक कि जब याजूज और माजूज[41] खोल दिए जाएँगे और वे प्रत्येक ऊँची जगह से दौड़ते हुए आएँगे।
41. याजूज तथा माजूज के विषय में देखिए : सूरतुल-कह्फ, आयत : 93 से 100 तक का अनुवाद।
عربی تفاسیر:
وَاقْتَرَبَ الْوَعْدُ الْحَقُّ فَاِذَا هِیَ شَاخِصَةٌ اَبْصَارُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ؕ— یٰوَیْلَنَا قَدْ كُنَّا فِیْ غَفْلَةٍ مِّنْ هٰذَا بَلْ كُنَّا ظٰلِمِیْنَ ۟
और सच्चा वादा[42] क़रीब आ जाएगा, तो अचानक यह होगा कि उन लोगों की आँखें खुली रह जाएँगी, जिन्होंने कुफ़्र किया। (वे कहेंगे :) हाय हमारा विनाश! निःसंदेह हम इससे ग़फ़लत में थे, बल्कि हम अत्याचारी थे।
42. सच्चा वादा से अभिप्राय प्रलय का वादा है।
عربی تفاسیر:
اِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ حَصَبُ جَهَنَّمَ ؕ— اَنْتُمْ لَهَا وٰرِدُوْنَ ۟
निःसंदेह तुम और जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते हो, नरक का ईंधन हैं। तुम उसी में दाखिल होने वाले हो।
عربی تفاسیر:
لَوْ كَانَ هٰۤؤُلَآءِ اٰلِهَةً مَّا وَرَدُوْهَا ؕ— وَكُلٌّ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
यदि ये पूज्य होते, तो उस (नरक) में प्रवेश न करते। और ये सब उसी में सदैव रहने वाले हैं।
عربی تفاسیر:
لَهُمْ فِیْهَا زَفِیْرٌ وَّهُمْ فِیْهَا لَا یَسْمَعُوْنَ ۟
उनकी साँस चढ़ी होगी (तेज़ साँसें निकलेंगी) तथा वे उसमें (कुछ) नहीं सुन सकेंगे।
عربی تفاسیر:
اِنَّ الَّذِیْنَ سَبَقَتْ لَهُمْ مِّنَّا الْحُسْنٰۤی ۙ— اُولٰٓىِٕكَ عَنْهَا مُبْعَدُوْنَ ۟ۙ
निःसंदेह वे लोग जिनके लिए हमारी ओर से पहले भलाई का निर्णय हो चुका है, वे उससे दूर रखे गए होंगे।
عربی تفاسیر:
لَا یَسْمَعُوْنَ حَسِیْسَهَا ۚ— وَهُمْ فِیْ مَا اشْتَهَتْ اَنْفُسُهُمْ خٰلِدُوْنَ ۟ۚ
वे उस (जहन्नम) की आहट भी नहीं सुनेंगे, और वे अपनी मनचाही चीज़ों में सदा रहने वाले हैं।
عربی تفاسیر:
لَا یَحْزُنُهُمُ الْفَزَعُ الْاَكْبَرُ وَتَتَلَقّٰىهُمُ الْمَلٰٓىِٕكَةُ ؕ— هٰذَا یَوْمُكُمُ الَّذِیْ كُنْتُمْ تُوْعَدُوْنَ ۟
उन्हें सबसे बड़ी घबराहट दुःखित नहीं करेगी, तथा फ़रिश्ते उनका स्वागत करेंगे (और कहेंगे :) यह है तुम्हारा वह दिन, जिसका तुम्हें वचन दिया जाता था।
عربی تفاسیر:
یَوْمَ نَطْوِی السَّمَآءَ كَطَیِّ السِّجِلِّ لِلْكُتُبِ ؕ— كَمَا بَدَاْنَاۤ اَوَّلَ خَلْقٍ نُّعِیْدُهٗ ؕ— وَعْدًا عَلَیْنَا ؕ— اِنَّا كُنَّا فٰعِلِیْنَ ۟
जिस दिन हम आकाश को पंजिका के पन्नों को लपेटने की तरह लपेट[43] देंगे। जिस तरह हमने प्रथम सृष्टि का आरंभ किया, (उसी तरह) हम उसे लौटाएँगे।[44] यह हमारे ज़िम्मे वादा है। निश्चय हम इसे पूरा करने वाले हैं।
43. (देखिए : सूरतुज़्-ज़ुमर, आयत : 67) 44. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने भाषण दिया कि लोग अल्लाह के पास बिना जूते के, नग्न तथा बिना ख़तने के एकत्र किए जाएँगे। फिर इबराहीम अलैहिस्सलाम सर्व प्रथम वस्त्र पहनाए जाएँगे। (सह़ीह़ बुख़ारी : 3349)
عربی تفاسیر:
وَلَقَدْ كَتَبْنَا فِی الزَّبُوْرِ مِنْ بَعْدِ الذِّكْرِ اَنَّ الْاَرْضَ یَرِثُهَا عِبَادِیَ الصّٰلِحُوْنَ ۟
तथा निःसंदेह हमने 'लौहे महफ़ूज़' (में लिखने) के बाद अवतरित पुस्तकों[45] में लिख दिया कि धरती के उत्तराधिकारी मेरे सदाचारी बंदे होंगे।
45. ''ज़बूर'' का अर्थ पुस्तक है, और यहाँ उससे अभिप्राय रसूलों पर अवतरित पिछली आकाशीय पुस्तकों हैं। कुछ भाष्यकारों के निकट ज़बूर से अभिप्राय वह पुस्तक है जो दाऊद अलैहिस्सलाम को प्रदान की गई।
عربی تفاسیر:
اِنَّ فِیْ هٰذَا لَبَلٰغًا لِّقَوْمٍ عٰبِدِیْنَ ۟ؕ
निःसंदेह इबादत करने वालों के लिए इसमें एक बड़ा संदेश है।
عربی تفاسیر:
وَمَاۤ اَرْسَلْنٰكَ اِلَّا رَحْمَةً لِّلْعٰلَمِیْنَ ۟
और (ऐ नबी!) हमने आपको समस्त संसार के लिए दया[46] बनाकर भेजा है।
46. अर्थात जो आपपर ईमान लाएगा, वही लोक-परलोक में अल्लाह की दया का अधिकारी होगा।
عربی تفاسیر:
قُلْ اِنَّمَا یُوْحٰۤی اِلَیَّ اَنَّمَاۤ اِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ ۚ— فَهَلْ اَنْتُمْ مُّسْلِمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप कह दें कि मेरी ओर केवल यही वह़्य की जाती है कि तुम्हारा पूज्य केवल एक ही पूज्य है। तो क्या तुम आज्ञाकारी[47] बनते हो?
47. अर्थात दया एकेश्वरवाद में है, मिश्रणवाद में नहीं।
عربی تفاسیر:
فَاِنْ تَوَلَّوْا فَقُلْ اٰذَنْتُكُمْ عَلٰی سَوَآءٍ ؕ— وَاِنْ اَدْرِیْۤ اَقَرِیْبٌ اَمْ بَعِیْدٌ مَّا تُوْعَدُوْنَ ۟
फिर अगर वे मुँह फेरें, तो (ऐ रसूल!) आप कह दें कि मैंने तुम्हें इस प्रकार सावधान[48] कर दिया है कि (हम और तुम इसकी जानकारी में) बराबर हैं। और मैं नहीं जानता कि जिस (यातना) का तुम्हें वचन दिया जा रहा है, वह क़रीब है अथवा दूर।
48. अर्थात ईमान न लाने और मिश्रणवाद के दुष्परिणाम से।
عربی تفاسیر:
اِنَّهٗ یَعْلَمُ الْجَهْرَ مِنَ الْقَوْلِ وَیَعْلَمُ مَا تَكْتُمُوْنَ ۟
निःसंदेह वह ऊँची आवाज़ से कही हुई बात को जानता है और वह भी जानता है जो तुम छिपाते हो।
عربی تفاسیر:
وَاِنْ اَدْرِیْ لَعَلَّهٗ فِتْنَةٌ لَّكُمْ وَمَتَاعٌ اِلٰی حِیْنٍ ۟
और मैं नहीं जानता शायद यह[49] तुम्हारे लिए एक परीक्षा हो और एक समय तक कुछ लाभ उठाना हो।
49. अर्थात यातना में विलंब।
عربی تفاسیر:
قٰلَ رَبِّ احْكُمْ بِالْحَقِّ ؕ— وَرَبُّنَا الرَّحْمٰنُ الْمُسْتَعَانُ عَلٰی مَا تَصِفُوْنَ ۟۠
उस (नबी) ने कहा : ऐ मेरे पालनहार! सत्य के साथ फ़ैसला कर दे। और हमारा पालनहार ही वह अत्यंत दयावान् है, जिससे उन बोतों पर सहायता माँगी जाती है, जो तुम बयान करते हो।
عربی تفاسیر:
 
معانی کا ترجمہ سورت: سورۂ انبیاء
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قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - ہندی ترجمہ - ترجمے کی لسٹ

قرآن کریم کے معانی کا ہندی زبان میں ترجمہ: مولانا عزیز الحق عمری نے کیا ہے۔

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