قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - ہندی ترجمہ * - ترجمے کی لسٹ

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معانی کا ترجمہ سورت: سورۂ یٰس   آیت:

सूरा यासीन

یٰسٓ ۟ۚ
या, सीन।
عربی تفاسیر:
وَالْقُرْاٰنِ الْحَكِیْمِ ۟ۙ
क़सम है हिकमत वाले क़ुरआन की!
عربی تفاسیر:
اِنَّكَ لَمِنَ الْمُرْسَلِیْنَ ۟ۙ
निःसंदेह आप रसूलों में से हैं।
عربی تفاسیر:
عَلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟ؕ
सीधे रास्ते पर हैं।
عربی تفاسیر:
تَنْزِیْلَ الْعَزِیْزِ الرَّحِیْمِ ۟ۙ
(यह) प्रभुत्वशाली, अति दयावान् (अल्लाह) का उतारा हुआ है।
عربی تفاسیر:
لِتُنْذِرَ قَوْمًا مَّاۤ اُنْذِرَ اٰبَآؤُهُمْ فَهُمْ غٰفِلُوْنَ ۟
ताकि आप उस जाति[1] को डराएँ, जिनके बााप-दादा नहीं डराए गए थे। इसलिए वे ग़ाफ़िल हैं।
1. अर्थात् मक्का वासियों को, जिनके पास इसमाईल (अलैहिस्सलाम) के पश्चात् कोई नबी नहीं आया।
عربی تفاسیر:
لَقَدْ حَقَّ الْقَوْلُ عَلٰۤی اَكْثَرِهِمْ فَهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
उनमें से अधिकतर लोगों पर बात[2] सिद्ध हो चुकी है। अतः वे ईमान नहीं लाएँगे।
2. अर्थात अल्लाह की यह बात कि ''मैं जिन्नों तथा मनुष्यों से नरक को भर दूँगा।'' (देखिए : सूरतुस सजदा, आयत :13)
عربی تفاسیر:
اِنَّا جَعَلْنَا فِیْۤ اَعْنَاقِهِمْ اَغْلٰلًا فَهِیَ اِلَی الْاَذْقَانِ فَهُمْ مُّقْمَحُوْنَ ۟
तथा हमने उनकी गर्दनों में तौक़ डाल दिए हैं, जो ठुड्डियों से लगे हैं।[3] इसलिए वे सिर ऊपर किए हुए हैं।
3. इससे अभिप्राय उनका कुफ़्र पर दुराग्रह तथा ईमान न लाना है।
عربی تفاسیر:
وَجَعَلْنَا مِنْ بَیْنِ اَیْدِیْهِمْ سَدًّا وَّمِنْ خَلْفِهِمْ سَدًّا فَاَغْشَیْنٰهُمْ فَهُمْ لَا یُبْصِرُوْنَ ۟
तथा हमने उनके आगे एक आड़ बना दी है और उनके पीछे एक आड़। फिर हमने उनको ढाँक दिया है। अतः वे[4] देख ही नहीं पाते।
4. अर्थात सत्य की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं, और न उससे लाभान्वित हो रहे हैं।
عربی تفاسیر:
وَسَوَآءٌ عَلَیْهِمْ ءَاَنْذَرْتَهُمْ اَمْ لَمْ تُنْذِرْهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
और उनके लिए बराबर है, चाहे आप उन्हें डराएँ या न डराएँ, वे ईमान नहीं लाएँगे।
عربی تفاسیر:
اِنَّمَا تُنْذِرُ مَنِ اتَّبَعَ الذِّكْرَ وَخَشِیَ الرَّحْمٰنَ بِالْغَیْبِ ۚ— فَبَشِّرْهُ بِمَغْفِرَةٍ وَّاَجْرٍ كَرِیْمٍ ۟
आप तो केवल उस व्यक्ति को डरा सकते हैं, जो इस ज़िक्र (क़ुरआन) का पालन करे, तथा बिन देखे रहमान (अत्यंत दयावान् अल्लाह) से डरे। तो आप उसे क्षमा तथा सम्मानजनक बदले की शुभ सूचना दे दें।
عربی تفاسیر:
اِنَّا نَحْنُ نُحْیِ الْمَوْتٰی وَنَكْتُبُ مَا قَدَّمُوْا وَاٰثَارَهُمْ ؔؕ— وَكُلَّ شَیْءٍ اَحْصَیْنٰهُ فِیْۤ اِمَامٍ مُّبِیْنٍ ۟۠
निःसंदेह हम ही मुर्दों को जीवित करेंगे। तथा हम उनके कर्मों और उनके पद्चिह्नों[5] को लिख रहे हैं। तथा प्रत्येक वस्तु को हमने स्पष्ट पुस्तक में दर्ज कर रखा है।
5. अर्थात पुण्य अथवा पाप करने के लिए आते-जाते जो उन के पद्चिह्न धरती पर बने हैं, उन्हें भी लिख रखा है। इसी में उनके अच्छे-बुरे वे कर्म भी आते हैं, जो उन्होंने किए हैं और जिनका उनके पश्चात् अनुसरण किया जा रहा है।
عربی تفاسیر:
وَاضْرِبْ لَهُمْ مَّثَلًا اَصْحٰبَ الْقَرْیَةِ ۘ— اِذْ جَآءَهَا الْمُرْسَلُوْنَ ۟ۚ
तथा आप उन्हें[6] बस्ती वालों का एक उदाहरण दीजिए। जब वहाँ (अल्लाह के) भेजे हुए रसूल आए।
6. अर्थात् अपने आमंत्रण के विरोधियों को।
عربی تفاسیر:
اِذْ اَرْسَلْنَاۤ اِلَیْهِمُ اثْنَیْنِ فَكَذَّبُوْهُمَا فَعَزَّزْنَا بِثَالِثٍ فَقَالُوْۤا اِنَّاۤ اِلَیْكُمْ مُّرْسَلُوْنَ ۟
जब हमने उनकी ओर दो (रसूलों को) भेजा। तो उन्होंने उन दोनों को झुठला दिया। तब हमने तीसरे के द्वारा शक्ति पहुँचाई। तो तीनों ने कहा : निःसंदेह हम तुम्हारी ओर भेजे गए हैं।
عربی تفاسیر:
قَالُوْا مَاۤ اَنْتُمْ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا ۙ— وَمَاۤ اَنْزَلَ الرَّحْمٰنُ مِنْ شَیْءٍ ۙ— اِنْ اَنْتُمْ اِلَّا تَكْذِبُوْنَ ۟
उन्होंने कहा : तुम सब तो हमारे ही जैसे मनुष्य[7] हो, और अत्यंत दयावान् (अल्लाह) ने कुछ भी नहीं उतारा है। तुम तो बस झूठ बोल रहे हो।
7. प्राचीन युग से मुश्रिकों तथा कुपथों ने अल्लाह के रसूलों को इसी कारण नहीं माना कि एक मनुष्य अल्लाह का रसूल कैसे हो सकता है? यह तो खाता-पीता तथा बाज़ारों में चलता-फिरता है। (देखिए : सूरतुल-फ़ुर्क़ान, आयत : 7-20, सूरतुल-अंबिया, आयत : 3,7,8, सूरतुल-मूमिनून, आयत : 24, 33-34, सूरत इबराहीम, आयत : 10-11, सूरतुल-इसरा, आयत : 94-95, और सूरतुत्-तग़ाबुन, आयत : 6)
عربی تفاسیر:
قَالُوْا رَبُّنَا یَعْلَمُ اِنَّاۤ اِلَیْكُمْ لَمُرْسَلُوْنَ ۟
उन रसूलों ने कहा : हमारा पालनहार जानता है कि हम निश्चय ही तुम्हारी ओर रसूल बनाकर भेजे गए हैं।
عربی تفاسیر:
وَمَا عَلَیْنَاۤ اِلَّا الْبَلٰغُ الْمُبِیْنُ ۟
तथा हमारा दायित्व खुले तौर पर संदेश पहुँचा देने के सिवा और कुछ नहीं है।
عربی تفاسیر:
قَالُوْۤا اِنَّا تَطَیَّرْنَا بِكُمْ ۚ— لَىِٕنْ لَّمْ تَنْتَهُوْا لَنَرْجُمَنَّكُمْ وَلَیَمَسَّنَّكُمْ مِّنَّا عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
उन लोगों ने कहा : हम तुम्हें अशुभ (मनहूस) समझते हैं। यदि तुम बाज़ नहीं आए, तो हम तुम्हें निश्चित रूप से पथराव करके मार डालेंगे और तुम्हें अवश्य ही हमारी ओर से दुःखदायी यातना पहुँचेगी।
عربی تفاسیر:
قَالُوْا طَآىِٕرُكُمْ مَّعَكُمْ ؕ— اَىِٕنْ ذُكِّرْتُمْ ؕ— بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ مُّسْرِفُوْنَ ۟
उन लोगों ने कहा : तुम्हारा अपशकुन तुम्हारे ही साथ है। क्या इसलिए कि तुम्हें उपदेश दिया गया? बल्कि तुम उल्लंघनकारी लोग हो।
عربی تفاسیر:
وَجَآءَ مِنْ اَقْصَا الْمَدِیْنَةِ رَجُلٌ یَّسْعٰی ؗ— قَالَ یٰقَوْمِ اتَّبِعُوا الْمُرْسَلِیْنَ ۟ۙ
तथा नगर के अंतिम किनारे से एक व्यक्ति दौड़ता हुआ आया। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! रसूलों का कहा मानो।
عربی تفاسیر:
اتَّبِعُوْا مَنْ لَّا یَسْـَٔلُكُمْ اَجْرًا وَّهُمْ مُّهْتَدُوْنَ ۟
तुम उनका अनुसरण करो, जो तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगते तथा वे सीधे मार्ग पर हैं।
عربی تفاسیر:
وَمَا لِیَ لَاۤ اَعْبُدُ الَّذِیْ فَطَرَنِیْ وَاِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟
तथा मुझे क्या हुआ है कि मैं उसकी इबादत न करूँ, जिसने मुझे पैदा किया है और तुम (सब) उसी की ओर लौटाए जाओगे?[8]
8. अर्थात मैं तो उसी की इबादत करता हूँ और करता रहूँगा। और उसी की इबादत करनी भी चाहिए। क्योंकि वही इबादत किए जाने के योग्य है। उसके अतिरिक्त कोई इबादत के योग्य हो ही नहीं सकता।
عربی تفاسیر:
ءَاَتَّخِذُ مِنْ دُوْنِهٖۤ اٰلِهَةً اِنْ یُّرِدْنِ الرَّحْمٰنُ بِضُرٍّ لَّا تُغْنِ عَنِّیْ شَفَاعَتُهُمْ شَیْـًٔا وَّلَا یُنْقِذُوْنِ ۟ۚ
क्या मैं उसे छोड़कर दूसरे पूज्य बना लूँ? यदि रहमान (अत्यंत दयावान् अल्लाह) मुझे कोई हानि पहुँचाना चाहे, तो उनकी सिफ़ारिश मुझे कुछ लाभ नहीं पहुँचा सकेगी और न वे मुझे बचा सकेंगे।
عربی تفاسیر:
اِنِّیْۤ اِذًا لَّفِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
निःसंदेह मैं उस समय खुली गुमराही में हूँगा।
عربی تفاسیر:
اِنِّیْۤ اٰمَنْتُ بِرَبِّكُمْ فَاسْمَعُوْنِ ۟ؕ
निःसंदेह मैं तुम्हारे पालनहार पर ईमान ले आया। अतः मेरी बात सुनो।
عربی تفاسیر:
قِیْلَ ادْخُلِ الْجَنَّةَ ؕ— قَالَ یٰلَیْتَ قَوْمِیْ یَعْلَمُوْنَ ۟ۙ
(उससे) कहा गया : जन्नत में प्रवेश कर जा। उसने कहा : काश मेरी जाति भी जान लेती!
عربی تفاسیر:
بِمَا غَفَرَ لِیْ رَبِّیْ وَجَعَلَنِیْ مِنَ الْمُكْرَمِیْنَ ۟
कि मेरे पालनहार ने मुझे क्षमा[9] कर दिया और मुझे सम्मानित लोगों में शामिल कर दिया।
9. अर्थात एकेश्वरवाद तथा अल्लाह की आज्ञा के पालन पर धैर्य के कारण।
عربی تفاسیر:
وَمَاۤ اَنْزَلْنَا عَلٰی قَوْمِهٖ مِنْ بَعْدِهٖ مِنْ جُنْدٍ مِّنَ السَّمَآءِ وَمَا كُنَّا مُنْزِلِیْنَ ۟
तथा हमने उसके पश्चात् उसकी जाति पर आकाश से कोई सेना नहीं उतारी और न हम उतारने वाले थे।[10]
10. अर्थात यातना देने के लिए हम सेनाएँ नहीं उतारते।
عربی تفاسیر:
اِنْ كَانَتْ اِلَّا صَیْحَةً وَّاحِدَةً فَاِذَا هُمْ خٰمِدُوْنَ ۟
वह तो मात्र एक तेज़ आवाज़ (चिंघाड़) थी। फिर एकाएक वे बुझे हुए थे।[11]
11. अर्थात एक चीख़ ने उनको बुझी हुई राख के समान कर दिया। इससे ज्ञात होता है कि मनुष्य कितना निर्बल है।
عربی تفاسیر:
یٰحَسْرَةً عَلَی الْعِبَادِ ۣۚ— مَا یَاْتِیْهِمْ مِّنْ رَّسُوْلٍ اِلَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟
हाय अफसोस है[12] बंदों पर! उनके पास जो भी रसूल आता, वे उसका उपहास किया करते थे।
12. अर्थात प्रलय के दिन रसूलों का उपहास बंदों के लिए अफसोस का कारण होगा।
عربی تفاسیر:
اَلَمْ یَرَوْا كَمْ اَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِّنَ الْقُرُوْنِ اَنَّهُمْ اِلَیْهِمْ لَا یَرْجِعُوْنَ ۟
क्या उन्होंने नहीं देखा कि हमने उनसे पहले कितने ही समुदायों को विनष्ट कर दिया कि वे उनकी ओर लौटकर नहीं आएँगे।
عربی تفاسیر:
وَاِنْ كُلٌّ لَّمَّا جَمِیْعٌ لَّدَیْنَا مُحْضَرُوْنَ ۟۠
तथा वे जितने भी हैं सबके सब हमारे सामने उपस्थित किए जाएँगे।[13]
13. प्रलय के दिन ह़िसाब तथा बदले के लिए।
عربی تفاسیر:
وَاٰیَةٌ لَّهُمُ الْاَرْضُ الْمَیْتَةُ ۖۚ— اَحْیَیْنٰهَا وَاَخْرَجْنَا مِنْهَا حَبًّا فَمِنْهُ یَاْكُلُوْنَ ۟
तथा उनके[14] लिए एक बड़ी निशानी मृत भूमि है। हमने उसे जीवित किया और उससे अन्न निकाला। तो वे उसी में से खाते हैं।
14. यहाँ एकेश्वरवाद तथा आख़िरत (परलोक) के विषय का वर्णन किया जा रहा है। जो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) तथा मक्का के काफ़िरों के बीच विवाद का कारण था।
عربی تفاسیر:
وَجَعَلْنَا فِیْهَا جَنّٰتٍ مِّنْ نَّخِیْلٍ وَّاَعْنَابٍ وَّفَجَّرْنَا فِیْهَا مِنَ الْعُیُوْنِ ۟ۙ
तथा हमने उसमें खजूरों और अंगूरों के कई बाग बनाए और उनमें कई जल स्रोत प्रवाहित कर दिए।
عربی تفاسیر:
لِیَاْكُلُوْا مِنْ ثَمَرِهٖ ۙ— وَمَا عَمِلَتْهُ اَیْدِیْهِمْ ؕ— اَفَلَا یَشْكُرُوْنَ ۟
ताकि वे उसके फल खाएँ, हालाँकि उसे उनके हाथों ने नहीं बनाया है। तो क्या वे आभार प्रकट नहीं करते?
عربی تفاسیر:
سُبْحٰنَ الَّذِیْ خَلَقَ الْاَزْوَاجَ كُلَّهَا مِمَّا تُنْۢبِتُ الْاَرْضُ وَمِنْ اَنْفُسِهِمْ وَمِمَّا لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
पवित्र है वह अस्तित्व जिसने सभी जोड़े पैदा किए, उन चीज़ों के भी जिन्हें धरती उगाती है, और स्वयं उन (मनुष्यों) के अपने भी, और उनके भी जिन्हें वे नहीं जानते।
عربی تفاسیر:
وَاٰیَةٌ لَّهُمُ الَّیْلُ ۖۚ— نَسْلَخُ مِنْهُ النَّهَارَ فَاِذَا هُمْ مُّظْلِمُوْنَ ۟ۙ
तथा एक निशानी उनके लिए रात है। जिससे हम दिन को खींच लेते हैं, तो एकाएक वे अंधेरे में हो जाते हैं।
عربی تفاسیر:
وَالشَّمْسُ تَجْرِیْ لِمُسْتَقَرٍّ لَّهَا ؕ— ذٰلِكَ تَقْدِیْرُ الْعَزِیْزِ الْعَلِیْمِ ۟ؕ
तथा सूर्य अपने नियत ठिकाने की ओर चला जा रहा है। यह प्रभुत्वशाली, सब कुछ जानने वाले (अल्लाह) का निर्धारित किया हुआ है।
عربی تفاسیر:
وَالْقَمَرَ قَدَّرْنٰهُ مَنَازِلَ حَتّٰی عَادَ كَالْعُرْجُوْنِ الْقَدِیْمِ ۟
तथा चाँद की हमने मंज़िलें निर्धारित कर दी हैं। यहाँ तक कि वह फिर खजूर की पुरानी सूखी टेढ़ी टहनी के समान हो जाता है।
عربی تفاسیر:
لَا الشَّمْسُ یَنْۢبَغِیْ لَهَاۤ اَنْ تُدْرِكَ الْقَمَرَ وَلَا الَّیْلُ سَابِقُ النَّهَارِ ؕ— وَكُلٌّ فِیْ فَلَكٍ یَّسْبَحُوْنَ ۟
न तो सूर्य ही से हो सकता है कि चाँद को जा पकड़े और न रात ही दिन से पहले आने वाली है। और सब एक-एक कक्षा में तैर रहे हैं।
عربی تفاسیر:
وَاٰیَةٌ لَّهُمْ اَنَّا حَمَلْنَا ذُرِّیَّتَهُمْ فِی الْفُلْكِ الْمَشْحُوْنِ ۟ۙ
तथा उनके लिए एक निशानी (यह भी) है कि हमने उनकी नस्ल को भरी हुई नाव में सवार किया।
عربی تفاسیر:
وَخَلَقْنَا لَهُمْ مِّنْ مِّثْلِهٖ مَا یَرْكَبُوْنَ ۟
तथा हमने उनके लिए उस (नाव) जैसी कई और चीज़ें बनाईं, जिनपर वे सवार होते हैं।
عربی تفاسیر:
وَاِنْ نَّشَاْ نُغْرِقْهُمْ فَلَا صَرِیْخَ لَهُمْ وَلَا هُمْ یُنْقَذُوْنَ ۟ۙ
और यदि हम चाहें, तो उन्हें डुबो दें। फिर न कोई उनकी फ़र्याद को पहुँचने वाला हो और न वे बचाए जाएँ।
عربی تفاسیر:
اِلَّا رَحْمَةً مِّنَّا وَمَتَاعًا اِلٰی حِیْنٍ ۟
परंतु हमारी ओर से दया और एक समय तक लाभ पहुँचाने की वजह से।
عربی تفاسیر:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمُ اتَّقُوْا مَا بَیْنَ اَیْدِیْكُمْ وَمَا خَلْفَكُمْ لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟
और[15] जब उनसे कहा जाता है कि उस (यातना) से डरो, जो तुम्हारे आगे है और जो तुम्हारे पीछे है, ताकि तुमपर दया की जाए।
15. आयत संख्या 33 से यहाँ तक एकेश्वरवाद तथा परलोक के प्रमाणों, जिन्हें सभी लोग देखते तथा सुनते हैं, और जो सभी इस संसार की व्यवस्था तथा जीवन के संसाधनों से संबंधित हैं, उनका वर्णन करने के पश्चात् अब बहुदेववादियों तथा काफ़िरों की दशा और उनके आचरण का वर्णन किया जा रहा है।
عربی تفاسیر:
وَمَا تَاْتِیْهِمْ مِّنْ اٰیَةٍ مِّنْ اٰیٰتِ رَبِّهِمْ اِلَّا كَانُوْا عَنْهَا مُعْرِضِیْنَ ۟
और उनके पास उनके पालनहार की निशानियों में से कोई निशानी नहीं आती परंतु वे उससे मुँह फेरने वाले होते हैं।
عربی تفاسیر:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ اَنْفِقُوْا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ ۙ— قَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لِلَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَنُطْعِمُ مَنْ لَّوْ یَشَآءُ اللّٰهُ اَطْعَمَهٗۤ ۖۗ— اِنْ اَنْتُمْ اِلَّا فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
तथा जब उनसे कहा जाता है कि उस धन में से खर्च करो, जो अल्लाह ने तुम्हें प्रदान किया है, तो काफ़िर लोग ईमान वालों से कहते हैं : क्या हम उसे खाना खिलाएँ, जिसे यदि अल्लाह चाहता, तो खिला देता? तुम तो खुली गुमराही में हो।
عربی تفاسیر:
وَیَقُوْلُوْنَ مَتٰی هٰذَا الْوَعْدُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
तथा वे कहते हैं : यह (क़ियामत का) वादा कब पूरा होगा, यदि तुम सच्चे हो?
عربی تفاسیر:
مَا یَنْظُرُوْنَ اِلَّا صَیْحَةً وَّاحِدَةً تَاْخُذُهُمْ وَهُمْ یَخِصِّمُوْنَ ۟
वे केवल एक चिंघाड़[16] की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो उन्हें आ पकड़ेगी, जबकि वे (आपस में) झगड़ रहे होंगे।
16. इससे अभिप्राय प्रथम सूर है जिसमें फूँकते ही अल्लाह के सिवा सब मर जाएँगे।
عربی تفاسیر:
فَلَا یَسْتَطِیْعُوْنَ تَوْصِیَةً وَّلَاۤ اِلٰۤی اَهْلِهِمْ یَرْجِعُوْنَ ۟۠
फिर वे न कोई वसीयत कर सकेंगे और न अपने परिजनों की ओर वापस आ सकेंगे।
عربی تفاسیر:
وَنُفِخَ فِی الصُّوْرِ فَاِذَا هُمْ مِّنَ الْاَجْدَاثِ اِلٰی رَبِّهِمْ یَنْسِلُوْنَ ۟
तथा सूर (नरसिंघा) में फूँक[17] मारी जाएगी, तो एकाएक वे क़ब्रों से (निकलकर) अपने पालनहार की ओर दौड़ रहे होंगे।
17. इससे अभिप्राय दूसरी बार सूर फूँकना है जिससे सभी जीवित होकर अपनी समाधियों से निकल पड़ेंगे।
عربی تفاسیر:
قَالُوْا یٰوَیْلَنَا مَنْ بَعَثَنَا مِنْ مَّرْقَدِنَا ۣٚۘ— هٰذَا مَا وَعَدَ الرَّحْمٰنُ وَصَدَقَ الْمُرْسَلُوْنَ ۟
वे कहेंगे : हाय हमारा विनाश! किसने हमें हमारी क़ब्रों से उठा दिया? यही है जो रहमान ने वादा किया था और रसूलों ने सच कहा था।
عربی تفاسیر:
اِنْ كَانَتْ اِلَّا صَیْحَةً وَّاحِدَةً فَاِذَا هُمْ جَمِیْعٌ لَّدَیْنَا مُحْضَرُوْنَ ۟
वह तो बस एक चिंघाड़ होगी, तो अचानक वे सब हमारे पास उपस्थित किए हुए होंगे।
عربی تفاسیر:
فَالْیَوْمَ لَا تُظْلَمُ نَفْسٌ شَیْـًٔا وَّلَا تُجْزَوْنَ اِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
तो आज किसी प्राणी पर कुछ भी अत्याचार नहीं किया जाएगा और तुम्हें केवल उसी का बदला दिया जाएगा, जो तुम किया करते थे।
عربی تفاسیر:
اِنَّ اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ الْیَوْمَ فِیْ شُغُلٍ فٰكِهُوْنَ ۟ۚ
निःसंदेह जन्नती लोग आज (नेमतों) का आनंद लेने में व्यस्त हैं।
عربی تفاسیر:
هُمْ وَاَزْوَاجُهُمْ فِیْ ظِلٰلٍ عَلَی الْاَرَآىِٕكِ مُتَّكِـُٔوْنَ ۟ۚ
वे तथा उनकी पत्नियाँ छायों में मस्नदों पर तकिया लगाए हुए हैं।
عربی تفاسیر:
لَهُمْ فِیْهَا فَاكِهَةٌ وَّلَهُمْ مَّا یَدَّعُوْنَ ۟ۚ
उनके लिए उसमें बहुत सारा फल है तथा उनके लिए वह कुछ है, जो वे माँग करेंगे।
عربی تفاسیر:
سَلٰمٌ ۫— قَوْلًا مِّنْ رَّبٍّ رَّحِیْمٍ ۟
सलाम हो। उस पालनहार की ओर से कहा जाएगा, जो अत्यंत दयावान् है।
عربی تفاسیر:
وَامْتَازُوا الْیَوْمَ اَیُّهَا الْمُجْرِمُوْنَ ۟
तथा ऐ अपराधियो! आज तुम अलग[18] हो जाओ।
18. अर्थात ईमान वालों से।
عربی تفاسیر:
اَلَمْ اَعْهَدْ اِلَیْكُمْ یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ اَنْ لَّا تَعْبُدُوا الشَّیْطٰنَ ۚ— اِنَّهٗ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِیْنٌ ۟ۙ
ऐ आदम की संतान! क्या मैंने तुम्हें ताकीद[19] नहीं की थी कि शैतान की उपासना न करना? निश्चय वह तुम्हारा खुला शत्रु है।
19. भाष्य के लिए देखिए : सूरतुल-आराफ़, आयत : 172.
عربی تفاسیر:
وَّاَنِ اعْبُدُوْنِیْ ؔؕ— هٰذَا صِرَاطٌ مُّسْتَقِیْمٌ ۟
तथा यह कि तुम मेरी ही इबादत करो। यही सीधा मार्ग है।
عربی تفاسیر:
وَلَقَدْ اَضَلَّ مِنْكُمْ جِبِلًّا كَثِیْرًا ؕ— اَفَلَمْ تَكُوْنُوْا تَعْقِلُوْنَ ۟
तथा उसने तुममें से बहुत-से लोगों को पथभ्रष्ट कर दिया। तो क्या तुम समझते नहीं थे?
عربی تفاسیر:
هٰذِهٖ جَهَنَّمُ الَّتِیْ كُنْتُمْ تُوْعَدُوْنَ ۟
यही वह जहन्नम है, जिसका तुमसे वादा किया जाता था।
عربی تفاسیر:
اِصْلَوْهَا الْیَوْمَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُوْنَ ۟
आज उसमें प्रवेश कर जाओ, उस कुफ़्र के बदले जो तुम किया करते थे।
عربی تفاسیر:
اَلْیَوْمَ نَخْتِمُ عَلٰۤی اَفْوَاهِهِمْ وَتُكَلِّمُنَاۤ اَیْدِیْهِمْ وَتَشْهَدُ اَرْجُلُهُمْ بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟
आज हम उनके मुँहों पर मुहर लगा देंगे और उनके हाथ हमसे बात करेंगे तथा उनके पैर उन कर्मों की गवाही देंगे, जो वे किया करते थे।[20]
20. यह उस समय होगा जब बहुदेववादी शपथ लेंगे कि वे शिर्क नहीं करते थे। देखिए : सूरतुल-अन्आम, आयत : 23.
عربی تفاسیر:
وَلَوْ نَشَآءُ لَطَمَسْنَا عَلٰۤی اَعْیُنِهِمْ فَاسْتَبَقُوا الصِّرَاطَ فَاَنّٰی یُبْصِرُوْنَ ۟
और यदि हम चाहें, तो निश्चय उनकी आँखें मिटा दें। फिर वे रास्ते की ओर दौड़ें, तो कैसे देखेंगे?
عربی تفاسیر:
وَلَوْ نَشَآءُ لَمَسَخْنٰهُمْ عَلٰی مَكَانَتِهِمْ فَمَا اسْتَطَاعُوْا مُضِیًّا وَّلَا یَرْجِعُوْنَ ۟۠
और यदि हम चाहें, तो उनके स्थान ही पर उनके रूप को परिवर्तित कर दें, फिर वे न आगे जा सकें और न पीछे लौट सकें।
عربی تفاسیر:
وَمَنْ نُّعَمِّرْهُ نُنَكِّسْهُ فِی الْخَلْقِ ؕ— اَفَلَا یَعْقِلُوْنَ ۟
तथा जिसे हम दीर्घायु प्रदान करते हैं, उसे उसकी संरचना में उल्टा[21] फेर देते हैं। तो क्या ये नहीं समझते?
21. अर्थात वह शिशु की तरह़ निर्बल तथा निर्बोध हो जाता है।
عربی تفاسیر:
وَمَا عَلَّمْنٰهُ الشِّعْرَ وَمَا یَنْۢبَغِیْ لَهٗ ؕ— اِنْ هُوَ اِلَّا ذِكْرٌ وَّقُرْاٰنٌ مُّبِیْنٌ ۟ۙ
और हमने न उन्हें शे'र (काव्य)[22] सिखाया है और न वह उनके योग्य है। वह तो सर्वथा उपदेश तथा स्पष्ट क़ुरआन के सिवा कुछ नहीं।
22. मक्का के मूर्तिपूजक नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के संबंध में कई प्रकार की बातें कहते थे जिनमें यह बात भी थी कि आप कवि हैं। अल्लाह ने इस आयत में इसी का खंडन किया है।
عربی تفاسیر:
لِّیُنْذِرَ مَنْ كَانَ حَیًّا وَّیَحِقَّ الْقَوْلُ عَلَی الْكٰفِرِیْنَ ۟
ताकि वह उसे डराए, जो जीवित हो[23] तथा काफ़िरों पर (यातना की) बात सिद्ध हो जाए।
23. जीवित होने का अर्थ अंतरात्मा का जीवित होना और सत्य को समझने के योग्य होना है।
عربی تفاسیر:
اَوَلَمْ یَرَوْا اَنَّا خَلَقْنَا لَهُمْ مِّمَّا عَمِلَتْ اَیْدِیْنَاۤ اَنْعَامًا فَهُمْ لَهَا مٰلِكُوْنَ ۟
क्या उन्होंने नहीं देखा कि हमने अपने हाथों से बनाई हुई चीज़ों में से उनके लिए चौपाए पैदा किए, तो वे उनके मालिक हैं?
عربی تفاسیر:
وَذَلَّلْنٰهَا لَهُمْ فَمِنْهَا رَكُوْبُهُمْ وَمِنْهَا یَاْكُلُوْنَ ۟
तथा हमने उन्हें उनके वश में कर दिया, तो उनमें से कुछ उनकी सवारी हैं और उनमें से कुछ को वे खाते हैं।
عربی تفاسیر:
وَلَهُمْ فِیْهَا مَنَافِعُ وَمَشَارِبُ ؕ— اَفَلَا یَشْكُرُوْنَ ۟
तथा उनके लिए उन (चौपायों) में कई लाभ और पीने की चीज़ें हैं। तो क्या (फिर भी) वे आभार प्रकट नहीं करते?
عربی تفاسیر:
وَاتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اٰلِهَةً لَّعَلَّهُمْ یُنْصَرُوْنَ ۟ؕ
और उन्होंने अल्लाह के सिवा कई पूज्य बना लिए, ताकि उनकी सहायता की जाए।
عربی تفاسیر:
لَا یَسْتَطِیْعُوْنَ نَصْرَهُمْ وَهُمْ لَهُمْ جُنْدٌ مُّحْضَرُوْنَ ۟
वे उनकी सहायता करने का सामर्थ्य नहीं रखते, तथा ये उनकी सेना हैं, जो उपस्थित[24] किए हुए हैं।
24. अर्थात वे अपने पूज्यों सहित नरक में झोंक दिए जाएँगे।
عربی تفاسیر:
فَلَا یَحْزُنْكَ قَوْلُهُمْ ۘ— اِنَّا نَعْلَمُ مَا یُسِرُّوْنَ وَمَا یُعْلِنُوْنَ ۟
अतः उनकी बात आपको शोकग्रस्त न करे। निःसंदेह हम जानते हैं जो वे छिपाते हैं और जो वे प्रकट करते हैं।
عربی تفاسیر:
اَوَلَمْ یَرَ الْاِنْسَانُ اَنَّا خَلَقْنٰهُ مِنْ نُّطْفَةٍ فَاِذَا هُوَ خَصِیْمٌ مُّبِیْنٌ ۟
क्या मनुष्य ने नहीं देखा कि हमने उसे वीर्य से पैदा किया? फिर अचानक वह खुला झगड़ालू बन बैठा।
عربی تفاسیر:
وَضَرَبَ لَنَا مَثَلًا وَّنَسِیَ خَلْقَهٗ ؕ— قَالَ مَنْ یُّحْیِ الْعِظَامَ وَهِیَ رَمِیْمٌ ۟
और उसने हमारे लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया, और अपनी रचना को भूल गया। उसने कहा : इन अस्थियों को कौन जीवित करेगा, जबकि वे जीर्ण-शीर्ण हो चुकी होंगी?
عربی تفاسیر:
قُلْ یُحْیِیْهَا الَّذِیْۤ اَنْشَاَهَاۤ اَوَّلَ مَرَّةٍ ؕ— وَهُوَ بِكُلِّ خَلْقٍ عَلِیْمُ ۟ۙ
आप कह दें : उन्हें वही (अल्लाह) जीवित करेगा, जिसने उन्हें प्रथम बार पैदा किया और वह प्रत्येक उत्पत्ति को भली-भाँति जानने वाला है।
عربی تفاسیر:
١لَّذِیْ جَعَلَ لَكُمْ مِّنَ الشَّجَرِ الْاَخْضَرِ نَارًا فَاِذَاۤ اَنْتُمْ مِّنْهُ تُوْقِدُوْنَ ۟
वह जिसने तुम्हारे लिए हरे वृक्ष से आग पैदा कर दी, फिर तुम उससे आग[25] सुलगाते हो।
25. भावार्थ यह है कि जो अल्लाह जल से हरे वृक्ष पैदा करता है फिर उसे सुखा देता है जिससे तुम आग सुलगाते हो, तो क्या वह इसी प्रकार तुम्हारे मरने-गलने के पश्चात् फिर तुम्हें जीवित नहीं कर सकता?
عربی تفاسیر:
اَوَلَیْسَ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِقٰدِرٍ عَلٰۤی اَنْ یَّخْلُقَ مِثْلَهُمْ ؔؕ— بَلٰی ۗ— وَهُوَ الْخَلّٰقُ الْعَلِیْمُ ۟
तथा क्या वह (अल्लाह) जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया, इस बात का सामर्थ्य नहीं रखता कि उन जैसे और पैदा कर दे? क्यों नहीं, और वही सब कुछ पैदा करने वाला, सब कुछ जानने वाला है?
عربی تفاسیر:
اِنَّمَاۤ اَمْرُهٗۤ اِذَاۤ اَرَادَ شَیْـًٔا اَنْ یَّقُوْلَ لَهٗ كُنْ فَیَكُوْنُ ۟
उसका आदेश, जब वह किसी चीज़ का इरादा करता है, तो केवल यह होता है कि उससे कहता है "हो जा", तो वह हो जाती है।
عربی تفاسیر:
فَسُبْحٰنَ الَّذِیْ بِیَدِهٖ مَلَكُوْتُ كُلِّ شَیْءٍ وَّاِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟۠
अतः पवित्र है वह (अल्लाह), जिसके हाथ में प्रत्येक चीज़ का राज्य (पूर्ण अधिकार) है और तुम सब उसी की ओर लौटाए[26] जाओगे।
26. प्रलय के दिन अपने कर्मों का बदला प्राप्त करने के लिए।
عربی تفاسیر:
 
معانی کا ترجمہ سورت: سورۂ یٰس
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قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - ہندی ترجمہ - ترجمے کی لسٹ

قرآن کریم کے معانی کا ہندی زبان میں ترجمہ: مولانا عزیز الحق عمری نے کیا ہے۔

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