Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Tərcumənin mündəricatı


Mənaların tərcüməsi Ayə: (5) Surə: İbrahim
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مُوْسٰی بِاٰیٰتِنَاۤ اَنْ اَخْرِجْ قَوْمَكَ مِنَ الظُّلُمٰتِ اِلَی النُّوْرِ ۙ۬— وَذَكِّرْهُمْ بِاَیّٰىمِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍ ۟
हमने मूसा को नबी बनाकर भेजा और उनकी सत्यता को इंगित करने वाली और उनके अपने पालनहार की ओर से भेजे हुए (रसूल) होने को दर्शाने वाली निशानियों के साथ उनका समर्थन किया। और हमने उन्हें अपनी जाति को कुफ़्र एवं अज्ञानता से ईमान और ज्ञान की ओर निकाल लाने का आदेश दिया। और हमने उन्हें उन दिनों की याद दिलाने का आदेश दिया जिनमें अल्लाह ने उनपर अनुग्रह किया था। निःसंदेह उन दिनों में अल्लाह के एकत्व, उसकी महान शक्ति और ईमान वालों पर अनुग्रह करने के स्पष्ट प्रमाण हैं। और इससे वही लोग लाभान्वित होते हैं, जो अल्लाह के आज्ञापालन पर धैर्य रखने वाले और उसकी नेमतों पर हमेशा शुक्र करने वाले हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
Bu səhifədə olan ayələrdən faydalar:
• أن المقصد من إنزال القرآن هو الهداية بإخراج الناس من ظلمات الباطل إلى نور الحق.
• क़ुरआन उतारने का उद्देश्य लोगों को असत्य के अंधेरों से सत्य के उजाले की ओर निकालकर मार्गदर्शन करना है।

• إرسال الرسل يكون بلسان أقوامهم ولغتهم؛ لأنه أبلغ في الفهم عنهم، فيكون أدعى للقبول والامتثال.
• रसूलों को उनके समुदायों की भाषा और ज़बान में भेजा जाता है। क्योंकि इससे उनकी बात अधिक समझी जा सकती है। इसलिए स्वीकृति और अनुपालन की संभावना अधिक रहती है।

• وظيفة الرسل تتلخص في إرشاد الناس وقيادتهم للخروج من الظلمات إلى النور.
• रसूलों के मिशन का सार लोगों का मार्गदर्शन करना और उन्हें अंधेरे से प्रकाश की ओर लो जाना है।

 
Mənaların tərcüməsi Ayə: (5) Surə: İbrahim
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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