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Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - Qurani Kərimin müxtəsər tərfsiri - kitabının Hind dilinə tərcüməsi. * - Tərcumənin mündəricatı


Mənaların tərcüməsi Surə: əl-Ənkəbut   Ayə:
وَلَا تُجَادِلُوْۤا اَهْلَ الْكِتٰبِ اِلَّا بِالَّتِیْ هِیَ اَحْسَنُ ؗ— اِلَّا الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا مِنْهُمْ وَقُوْلُوْۤا اٰمَنَّا بِالَّذِیْۤ اُنْزِلَ اِلَیْنَا وَاُنْزِلَ اِلَیْكُمْ وَاِلٰهُنَا وَاِلٰهُكُمْ وَاحِدٌ وَّنَحْنُ لَهٗ مُسْلِمُوْنَ ۟
(ऐ ईमान वालो!) तुम यहूदियों और ईसाइयों के साथ सबसे अच्छे एवं आदर्श तरीक़े से ही संवाद और वाद-विवाद करो, और वह उपदेश और स्पष्ट तर्कों के साथ इस्लाम की ओर बुलाना है। परंतु उनमें से जिन लोगों ने हठ और अहंकार के साथ अन्याय किया और तुम्हारे ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा कर दी, तो तुम उनसे लड़ाई करो, यहाँ तक कि वे इस्लाम ग्रहण कर लें या अपमानित होकर 'जिज़्या' अदा करें। तथा यहूदियों एवं ईसाइयों से कहो : हम उस क़ुरआन पर ईमान रखते हैं, जो अल्लाह ने हमारी ओर उतारा है, तथा हम उस तौरात एवं इंजील पर भी ईमान रखते हैं, जो तुम्हारी ओर उतारे गए हैं। तथा हमारा और तुम्हारा पूज्य एक ही है, जिसकी पूज्यता, परमेश्वरत्व और पूर्णता में उसका कोई साझीदार नहीं है। और हम अकेले उसी के प्रति आज्ञाकारी और विनम्र हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
وَكَذٰلِكَ اَنْزَلْنَاۤ اِلَیْكَ الْكِتٰبَ ؕ— فَالَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یُؤْمِنُوْنَ بِهٖ ۚ— وَمِنْ هٰۤؤُلَآءِ مَنْ یُّؤْمِنُ بِهٖ ؕ— وَمَا یَجْحَدُ بِاٰیٰتِنَاۤ اِلَّا الْكٰفِرُوْنَ ۟
जिस तरह हमने आपसे पहले के नबियों पर किताबें उतारी थीं, उसी तरह हमने आप पर क़ुरआन उतारा है। तो तौरात पढ़ने वालों में से कुछ लोग (जैसे कि अब्दुल्लाह बिन सलाम) इसपर ईमान रखते हैं; क्योंकि वे अपनी किताबों में आपका विवरण पाते हैं। तथा इन मुश्रिकों में से भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो इसपर ईमान रखते हैं। और हमारी आयतों का इनकार केवल वही काफ़िर करते हैं, जो सत्य के स्पष्ट होने के बावजूद उसके इनकार के रास्ते पर चलने के आदी हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
وَمَا كُنْتَ تَتْلُوْا مِنْ قَبْلِهٖ مِنْ كِتٰبٍ وَّلَا تَخُطُّهٗ بِیَمِیْنِكَ اِذًا لَّارْتَابَ الْمُبْطِلُوْنَ ۟
और (ऐ रसूल) आप क़ुरआन से पहले न कोई किताब पढ़ेते थे और न अपने दाहिने हाथ से कुछ लिखते थे। क्योंकि आप 'उम्मी' (अनपढ़) हैं, लिखना और पढ़ना नहीं जानते हैं।और अगर आप पढ़ना और लिखना जानते होते, तो अज्ञानी लोग आपकी नुबुव्वत के बारे में अवश्य संदेह करते और यह तर्क देते कि आप पिछली किताबों की बातें लिखा करते थे।
Ərəbcə təfsirlər:
بَلْ هُوَ اٰیٰتٌۢ بَیِّنٰتٌ فِیْ صُدُوْرِ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ ؕ— وَمَا یَجْحَدُ بِاٰیٰتِنَاۤ اِلَّا الظّٰلِمُوْنَ ۟
बल्कि आप पर उतरने वाला क़ुरआन स्पष्ट आयतों पर आधारित है, जो उन ईमान वाले लोगों के दिलों में सुरक्षित है, जिन्हें ज्ञान दिया गया है। और हमारी आयतों का इनकार केवल वही लोग करते हैं, जो अल्लाह के साथ कुफ़्र और शिर्क करके अपने ऊपर अत्याचार करने वाले हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَالُوْا لَوْلَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْهِ اٰیٰتٌ مِّنْ رَّبِّهٖ ؕ— قُلْ اِنَّمَا الْاٰیٰتُ عِنْدَ اللّٰهِ ؕ— وَاِنَّمَاۤ اَنَا نَذِیْرٌ مُّبِیْنٌ ۟
और मुश्रिकों ने कहा : मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उनके पालनहार की ओर से कुछ निशानियाँ (चमत्कार) क्यों नहीं उतारी गईं, जैसे कि उनसे पहले के रसूलों पर उतारी गई थीं? (ऐ रसूल!) आप इन प्रस्तावकों से कह दें : निशानियाँ तो केवल अल्लाह के हाथ में हैं, वह जब चाहे उन्हें उतारता है। उन्हें उतारना मेरा काम नहीं है। मैं तो मात्र तुम्हें, स्पष्ट रूप से, अल्लाह की यातना से डराने वाला हूँ।
Ərəbcə təfsirlər:
اَوَلَمْ یَكْفِهِمْ اَنَّاۤ اَنْزَلْنَا عَلَیْكَ الْكِتٰبَ یُتْلٰی عَلَیْهِمْ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَرَحْمَةً وَّذِكْرٰی لِقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟۠
क्या निशानियों का प्रस्ताव देने वाले इन लोगों के लिए यह काफ़ी नहीं है कि हमने (ऐ रसूल) आपपर क़ुरआन उतारा है, जो उनके सामने पढ़ा जाता है? निःसंदेह उनपर उतरने वाले क़ुरआन में उन लोगों के लिए दया और उपदेश है, जो ईमान रखते हैं। क्योंकि वही लोग क़ुरआन की शिक्षाओं से लाभान्वित होते हैं। इसलिए जो कुछ उनपर उतारा गया है, वह उनके द्वारा सुझाई गई पिछले रसूलों पर उतरने वाली निशानियों से कहीं बेहतर है।
Ərəbcə təfsirlər:
قُلْ كَفٰی بِاللّٰهِ بَیْنِیْ وَبَیْنَكُمْ شَهِیْدًا ۚ— یَعْلَمُ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا بِالْبَاطِلِ وَكَفَرُوْا بِاللّٰهِ ۙ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟
(ऐ रसूल) आप कह दें : मैं जो कुछ लेकर आया हूँ, उसमें मेरी सच्चाई पर तथा तुम्हारे उसे झुठलाने पर अल्लाह गवाह के तौर पर काफ़ी है। वह आकाशों में मौजूद सारी चीज़ों और धरती की सारी चीज़ों को जानता है। उन दोनों में से कोई चीज़ उससे छिपी नहीं है। तथा जिन लोगों ने असत्य अर्थात् अल्लाह के अलावा पूजी जाने वाली प्रत्येक चीज़ को माना और एकमात्र इबादत के हक़दार अल्लाह का इनकार किया, वही लोग घाटे में पड़ने वाले हैं, क्योंकि उन्होंने ईमान के बदले कुफ़्र को चुना है।
Ərəbcə təfsirlər:
Bu səhifədə olan ayələrdən faydalar:
• مجادلة أهل الكتاب تكون بالتي هي أحسن.
• किताब वालों से वाद-विवाद उत्तम तरीक़े से होना चाहिए।

• الإيمان بجميع الرسل والكتب دون تفريق شرط لصحة الإيمان.
• बिना किसी भेद-भाव के सभी रसूलों और किताबों पर ईमान लाना, ईमान के शुद्ध होने के लिए शर्त है।

• القرآن الكريم الآية الخالدة والحجة الدائمة على صدق النبي صلى الله عليه وسلم.
• पवित्र क़ुरआन, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सच्चाई पर स्थायी तर्क और शाश्वत निशानी है।

 
Mənaların tərcüməsi Surə: əl-Ənkəbut
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Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - Qurani Kərimin müxtəsər tərfsiri - kitabının Hind dilinə tərcüməsi. - Tərcumənin mündəricatı

Tərcümə "Quran araşdırmaları Təfsir Mərkəzi" tərəfindən yayımlanmışdır.

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