Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Tərcumənin mündəricatı


Mənaların tərcüməsi Ayə: (67) Surə: Ali-İmran
مَا كَانَ اِبْرٰهِیْمُ یَهُوْدِیًّا وَّلَا نَصْرَانِیًّا وَّلٰكِنْ كَانَ حَنِیْفًا مُّسْلِمًا ؕ— وَمَا كَانَ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
इबराहीम अलैहिस्सलाम न यहूदी धर्म पर थे और न ही ईसाई धर्म पर। बल्कि वह असत्य धर्मों से विमुख होकर अल्लाह के आज्ञाकारी और उसे ही एकमात्र पूज्य मानने वाले थे। तथा वह उन लोगों में से कदापि नहीं थे, जो अल्लाह का साझी बनाते हैं, जैसा कि अरब के बहुदेववादियों का दावा है कि वे लोग उन्हीं के धर्म पर हैं।
Ərəbcə təfsirlər:
Bu səhifədə olan ayələrdən faydalar:
• أن الرسالات الإلهية كلها اتفقت على كلمة عدل واحدة، وهي: توحيد الله تعالى والنهي عن الشرك.
• सभी ईश्वरीय संदेश न्याय के एक शब्द पर सहमत हैं। और वह है : अल्लाह को एकमात्र पूज्य मानना और बहुदेववाद (शिर्क) का निषेध।

• أهمية العلم بالتاريخ؛ لأنه قد يكون من الحجج القوية التي تُرَدُّ بها دعوى المبطلين.
• इतिहास के ज्ञान का महत्व। क्योंकि यह उन मज़बूत तर्कों में से एक हो सकता है जिसके साथ असत्यवादियों के दावे को खारिज किया जाता है।

• أحق الناس بإبراهيم عليه السلام من كان على ملته وعقيدته، وأما مجرد دعوى الانتساب إليه مع مخالفته فلا تنفع.
• इबराहीम - अलैहिस्सलाम - के सबसे योग्य वह व्यक्ति है, जो उनके धर्म और विश्वास पर क़ायम हो। परंतु उनका विरोध करते हुए उनके साथ संबद्धता का मात्र दावा करना लाभदायक नहीं है।

• دَلَّتِ الآيات على حرص كفرة أهل الكتاب على إضلال المؤمنين من هذه الأمة حسدًا من عند أنفسهم.
• इन आयतों से पता चला कि अह्ले किताब के काफ़िर, अपनी ईर्ष्या के कारण, इस उम्मत के ईमान वालों को पथभ्रष्ट करने के लिए बड़े उत्सुक होते हैं।

 
Mənaların tərcüməsi Ayə: (67) Surə: Ali-İmran
Surələrin mündəricatı Səhifənin rəqəmi
 
Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Tərcumənin mündəricatı

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

Bağlamaq