Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Tərcumənin mündəricatı


Mənaların tərcüməsi Ayə: (146) Surə: əl-Əraf
سَاَصْرِفُ عَنْ اٰیٰتِیَ الَّذِیْنَ یَتَكَبَّرُوْنَ فِی الْاَرْضِ بِغَیْرِ الْحَقِّ ؕ— وَاِنْ یَّرَوْا كُلَّ اٰیَةٍ لَّا یُؤْمِنُوْا بِهَا ۚ— وَاِنْ یَّرَوْا سَبِیْلَ الرُّشْدِ لَا یَتَّخِذُوْهُ سَبِیْلًا ۚ— وَاِنْ یَّرَوْا سَبِیْلَ الْغَیِّ یَتَّخِذُوْهُ سَبِیْلًا ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَكَانُوْا عَنْهَا غٰفِلِیْنَ ۟
मैं संसार एवं इनसान के अंदर मौजूद अपनी निशानियों से सीख ग्रहण करने और मेरी किताब की आयतों को समझने से उन लोगों को विचलित कर दूँगा, जो अल्लाह के बंदों पर और सत्य पर नाहक़ अभिमान करते हैं। और जिनका हाल यह है कि यदि वे हर प्रकार की निशानियाँ देखते हैं, तो भी उन्हें नहीं मानते हैं; क्योंकि वे उनपर आपत्ति करते और उनसे मुँह फेरते हैं, तथा इसलिए भी कि वे अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करते हैं। और यदि वे सत्य का मार्ग देखते हैं, जो अल्लाह की प्रसन्नता की ओर ले जाता है, तो वे उसका पालन नहीं करते हैं और न उसमें कोई दिलचस्पी रखते हैं। और अगर वे अल्लाह के क्रोध की ओर ले जाने वाले गुमराही के रास्ते को देखते हैं, तो उसका अनुसरण करते हैं। यह मुसीबत जो उनपर आई, केवल इस कारण आई कि उन्होंने रसूलों के लाए हुए संदेश की सच्चाई को दर्शाने वाली अल्लाह की महान निशानियों को झुठलाया, और इसलिए कि उन्होंने उनपर सोच-विचार करने से उपेक्षा की।
Ərəbcə təfsirlər:
Bu səhifədə olan ayələrdən faydalar:
• على العبد أن يكون من المُظْهِرين لإحسان الله وفضله عليه، فإن الشكر مقرون بالمزيد.
• बंदे को चाहिए कि अपने ऊपर अल्लाह के उपकार और उसके अनुग्रह को अभिव्यक्त करने वालों में से हो। क्योंकि शुक्रिया अदा करने से और अधिक मिलता है।

• على العبد الأخذ بالأحسن في الأقوال والأفعال.
• बंदे को चाहिए कि सर्वश्रेष्ठ बात एवं कार्य को अपनाए।

• يجب تلقي الشريعة بحزم وجد وعزم على الطاعة وتنفيذ ما ورد فيها من الصلاح والإصلاح ومنع الفساد والإفساد.
• शरीयत को दृढ़ता, तत्परता और पालन करने के दृढ़ संकल्प के साथ प्राप्त किया जाना चाहिए तथा उसमें वर्णित धार्मिकता और सुधार का कार्यान्वयन तथा भ्रष्टाचार और बिगाड़ को रोकने भ्रष्टाचार की रोकथाम।

• على العبد إذا أخطأ أو قصَّر في حق ربه أن يعترف بعظيم الجُرْم الذي أقدم عليه، وأنه لا ملجأ من الله في إقالة عثرته إلا إليه.
• बंदे के लिए ज़रूरी है कि जब उससे अपने रब का हक़ अदा करने में कोई ग़लती या कोताही हो जाए, तो उसे अपने द्वारा किए गए गंभीर अपराध को स्वीकार करना चाहिए और यह कि उसकी ग़लती को अल्लाह के सिवा कोई माफ़ नहीं कर सकता।

 
Mənaların tərcüməsi Ayə: (146) Surə: əl-Əraf
Surələrin mündəricatı Səhifənin rəqəmi
 
Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Tərcumənin mündəricatı

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

Bağlamaq