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Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - Die Übersetzung in Hindi von Al-Mukhtasar - Eine Kurzfassung der Bedeutungen des edlen Qurans * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Yūnus   Vers:
وَلَوْ اَنَّ لِكُلِّ نَفْسٍ ظَلَمَتْ مَا فِی الْاَرْضِ لَافْتَدَتْ بِهٖ ؕ— وَاَسَرُّوا النَّدَامَةَ لَمَّا رَاَوُا الْعَذَابَ ۚ— وَقُضِیَ بَیْنَهُمْ بِالْقِسْطِ وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟
यदि अल्लाह के साथ शिर्क करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को धरती का सारा बहुमूल्य धन प्राप्त हो जाए, तो वह उसे अपने आपको अल्लाह की यातना से छुड़ाने के बदले में दे देगा, यदि उसे ऐसा करने का अवसर प्रदान किया जाए। तथा बहुदेववादी लोग जब क़ियामत के दिन यातना को देखेंगे, तो अपने अविश्वास पर पछतावे को छिपाएँगे। और अल्लाह उनके बीच न्याय के साथ फ़ैसला कर देगा और उनपर अत्याचार नहीं किया जाएगा, बल्कि उन्हें उनके कर्मों का बदला दिया जाएगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَلَاۤ اِنَّ لِلّٰهِ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— اَلَاۤ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
सुन लो! जो कुछ आकाशों में है उसका मालिक और जो कुछ धरती में है उसका मालिक केवल अल्लाह है। याद रखो! निःसंदेह काफिरों को दंडित करने का अल्लाह का वादा सच्चा है, जिसमें कोई संदेह नहीं है। परंतु अधिकांश लोग इस बात को नहीं जानते। अतः वे (इसके बारे में) संदेह करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
هُوَ یُحْیٖ وَیُمِیْتُ وَاِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟
वही पवित्र अल्लाह मरे हुए लोगों को जीवित करता है और जीवित लोगों को मौत देता है तथा क़ियामत के दिन तुम सब उसी की ओर लौटाए जाओगे। फिर वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ قَدْ جَآءَتْكُمْ مَّوْعِظَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَشِفَآءٌ لِّمَا فِی الصُّدُوْرِ ۙ۬— وَهُدًی وَّرَحْمَةٌ لِّلْمُؤْمِنِیْنَ ۟
ऐ लोगो! तुम्हारे पास क़ुरआन आ गया है, जिसमें सदुपदेश, प्रोत्साहन और डरावा है। तथा वह दिलों के अंदर मौजूद संशय और शंका की बीमारी का इलाज, और सत्य के रास्ते के लिए मार्गदर्शन है, तथा उसमें ईमान वालों के लिए दया है; क्योंकि वही उससे लाभ उठाते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ بِفَضْلِ اللّٰهِ وَبِرَحْمَتِهٖ فَبِذٰلِكَ فَلْیَفْرَحُوْا ؕ— هُوَ خَیْرٌ مِّمَّا یَجْمَعُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप लोगों से कह दें : मैं जो क़ुरआन तुम्हारे पास लेकर आया हूँ, वह अल्लाह की तरफ़ से तुमपर एक अनुकंपा और दया है। अतः अल्लाह ने इस क़ुरआन को उतारकर तुमपर जो अनुकंपा और दया की है, उसपर प्रसन्न हो, इनके सिवा किसी और बात पर नहीं। क्योंकि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जो कुछ अपने पालनहार की तरफ़ से उनके पास लेकर आए हैं, वह दुनिया की उस नश्वर सामग्री से उत्तम है, जिसे वे इकट्ठा कर रहे हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اَرَءَیْتُمْ مَّاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ لَكُمْ مِّنْ رِّزْقٍ فَجَعَلْتُمْ مِّنْهُ حَرَامًا وَّحَلٰلًا ؕ— قُلْ آٰللّٰهُ اَذِنَ لَكُمْ اَمْ عَلَی اللّٰهِ تَفْتَرُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन मुश्रिकों (बहुदेववादियों) से कह दें : मुझे इस बारे में बताओ कि अल्लाह ने जो रोज़ी उतारकर तुमपर उपकार किया है, फिर तुमने उसमें अपनी इच्छाओं से काम लेते हुए कुछ को हराम ठहरा लिया है और कुछ को हलाल। आप उनसे पूछें : क्या जिन चीज़ों को तुमने हलाल ठहराया है, उन्हें हलाल ठहराने तथा जिन चीज़ों को तुमने हराम ठहराया है, उन्हें हराम ठहराने की अल्लाह ने तुम्हें अनुमति प्रदान की है, या तुम लोग अल्लाह पर झूठ गढ़ते हो?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَا ظَنُّ الَّذِیْنَ یَفْتَرُوْنَ عَلَی اللّٰهِ الْكَذِبَ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَی النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَشْكُرُوْنَ ۟۠
जो लोग अल्लाह पर झूठ गढ़ते हैं, वे क्या सोचते हैं कि क़ियामत के दिन उनके साथ क्या कुछ होने वाला है?! क्या वे यह समझते है कि उन्हें क्षमा कर दिया जाएगा?! यह बहुत दूर की बात है। वास्तव में अल्लाह लोगों पर बड़ा कृपालु है कि उन्हें मोहलत देता है और उन्हें दंड देने में जल्दी नहीं करता। परंतु उनमें से अधिकांश लोग अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों का इनकार करने वाले हैं। अतः वे उनके प्रति आभारी नहीं होते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَا تَكُوْنُ فِیْ شَاْنٍ وَّمَا تَتْلُوْا مِنْهُ مِنْ قُرْاٰنٍ وَّلَا تَعْمَلُوْنَ مِنْ عَمَلٍ اِلَّا كُنَّا عَلَیْكُمْ شُهُوْدًا اِذْ تُفِیْضُوْنَ فِیْهِ ؕ— وَمَا یَعْزُبُ عَنْ رَّبِّكَ مِنْ مِّثْقَالِ ذَرَّةٍ فِی الْاَرْضِ وَلَا فِی السَّمَآءِ وَلَاۤ اَصْغَرَ مِنْ ذٰلِكَ وَلَاۤ اَكْبَرَ اِلَّا فِیْ كِتٰبٍ مُّبِیْنٍ ۟
(ऐ रसूल!) आप जिस कार्य में भी होते हैं और क़ुरआन में से जो कुछ भी पढ़ते हैं, तथा (ऐ मोमिनों!) तुम जो काम भी करते हो, हम तुम्हें जानते हुए देख रहे होते हैं और तुम्हें सुन रहे होते हैं, जब तुम कार्य करना शुरू करते हो। तुम्हारे पालनहार के ज्ञान से आकाश या धरती में कणभर भी कोई चीज़ ग़ायब नहीं होती। तथा इससे कम वज़न या इससे अधिक वज़न की कोई चीज़ नहीं है, परंतु वह एक स्पष्ट पुस्तक में दर्ज है, जो न कोई छोटी बात छोड़ती है और न बड़ी, बल्कि सबको अपने अंदर समाहित कर रखा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• عظم ما ينتظر المشركين بالله من عذاب، حتى إنهم يتمنون دفعه بكل ما في الأرض، ولن يُقْبلَ منهم.
• उस यातना की भयंकरता, जो अल्लाह के साथ शिर्क करने वालों की प्रतीक्षा कर रही है, यहाँ तक कि वे धरती पर मौजूद सभी चीज़ों के द्वारा उसे हटाने की कामना करेंगे, परंतु वह उनसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।

• القرآن شفاء للمؤمنين من أمراض الشهوات وأمراض الشبهات بما فيه من الهدايات والدلائل العقلية والنقلية.
• क़ुरआन ईमान वालों के लिए उसमें मौजूद मार्गदर्शन और बौद्धिक एवं धार्मिक प्रमाणों से वासनाओं और संदेहों के रोगों का उपचार है।

• ينبغي للمؤمن أن يفرح بنعمة الإسلام والإيمان دون غيرهما من حطام الدنيا.
• मोमिन को चाहिए कि वह सांसारिक सामग्रियों के बजाय इस्लाम और ईमान की नेमत पर प्रसन्न हो।

• دقة مراقبة الله لعباده وأعمالهم وخواطرهم ونياتهم.
• अल्लाह अपने बंदों तथा उनके कर्मों, विचारों और इरादों का सूक्ष्म निरीक्षण करता है।

 
Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Yūnus
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Vom Tafsirzentrum für Quranwissenschaften herausgegeben.

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