Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Vers: (104) Surah / Kapitel: Yûnus
قُلْ یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنْ كُنْتُمْ فِیْ شَكٍّ مِّنْ دِیْنِیْ فَلَاۤ اَعْبُدُ الَّذِیْنَ تَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلٰكِنْ اَعْبُدُ اللّٰهَ الَّذِیْ یَتَوَفّٰىكُمْ ۖۚ— وَاُمِرْتُ اَنْ اَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟ۙ
(ऐ रसूल!) आप कह दें : ऐ लोगो! यदि तुम मेरे उस धर्म के विषय में संदेह में हो, जिसकी ओर मैं तुम्हें आमंत्रित करता हूँ और वह तौहीद (एकेश्वरवाद) का धर्म है, तो मैं तुम्हारे धर्म के भ्रष्ट होने के बारे में निश्चित हूँ, इसलिए मैं उसका अनुसरण नहीं करता। तथा मैं उनकी पूजा नहीं करता, जिनकी तुम अल्लाह को छोड़कर पूजा करते हो। परंतु मैं उस अल्लाह की इबादत करता हूँ, जो तुम्हें मौत देता है और उसने मुझे आदेश दिया है कि मैं उसके धर्म के प्रति निष्ठावान मोमिनों (विश्वासियों) में से रहूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• الإيمان هو السبب في رفعة صاحبه إلى الدرجات العلى والتمتع في الحياة الدنيا.
• ईमान ही ईमान वाले को ऊँचे पदों पर पहुँचाने और इस दुनिया के जीवन का आनंद लेने का कारण है।

• ليس في مقدور أحد حمل أحد على الإيمان؛ لأن هذا عائد لمشيئة الله وحده.
• कोई भी किसी को ईमान लाने पर मजबूर नहीं कर सकता; क्योंकि यह केवल अल्लाह की इच्छा पर निर्भर है।

• لا تنفع الآيات والنذر من أصر على الكفر وداوم عليه.
• जो व्यक्ति कुफ़्र (अविश्वास) पर हठ करता है और निरंतर उसी पर जमा रहता है, उसे निशानियाँ और चेतावनियाँ लाभ नहीं देतीं।

• وجوب الاستقامة على الدين الحق، والبعد كل البعد عن الشرك والأديان الباطلة.
• सत्य धर्म पर मज़बूती से जमे रहना और बहुदेववाद तथा झूठे धर्मों से पूरी तरह से दूर रहना अनिवार्य है।

 
Übersetzung der Bedeutungen Vers: (104) Surah / Kapitel: Yûnus
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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