Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Vers: (43) Surah / Kapitel: Ar-Ra‘d
وَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَسْتَ مُرْسَلًا ؕ— قُلْ كَفٰی بِاللّٰهِ شَهِیْدًا بَیْنِیْ وَبَیْنَكُمْ ۙ— وَمَنْ عِنْدَهٗ عِلْمُ الْكِتٰبِ ۟۠
जिन लोगों ने कुफ़्र की नीति अपनाई, वे कहते हैं : (ऐ मुहम्मद!) आप अल्लाह द्वारा भेजे नहीं गए हैं। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : मेरे और तुम्हारे बीच, इस बात पर अल्लाह गवाह के रूप में काफ़ी है कि मैं अपने पालनहार की ओर से तुम्हारी तरफ़ रसूल बनाकर भेजा गया हूँ, तथा उनकी भी गवाही काफ़ी है, जिनके पास आकाशीय ग्रंथों का ज्ञान है, जिनमें मेरी विशेषताएँ वर्णित हैं। और जिसकी सत्यता का साक्षी अल्लाह है, उसे किसी के झुठलाने से कोई नुकसान नहीं पहुँचता।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• أن المقصد من إنزال القرآن هو الهداية بإخراج الناس من ظلمات الباطل إلى نور الحق.
• क़ुरआन उतारने का उद्देश्य लोगों को असत्य के अंधेरों से सत्य के उजाले की ओर निकालकर मार्गदर्शन करना है।

• إرسال الرسل يكون بلسان أقوامهم ولغتهم؛ لأنه أبلغ في الفهم عنهم، فيكون أدعى للقبول والامتثال.
• रसूलों को उनके समुदायों की भाषा और ज़बान में भेजा जाता है। क्योंकि इससे उनकी बात अधिक समझी जा सकती है। इसलिए स्वीकृति और अनुपालन की संभावना अधिक रहती है।

• وظيفة الرسل تتلخص في إرشاد الناس وقيادتهم للخروج من الظلمات إلى النور.
• रसूलों के मिशन का सार लोगों का मार्गदर्शन करना और उन्हें अंधेरे से प्रकाश की ओर लो जाना है।

 
Übersetzung der Bedeutungen Vers: (43) Surah / Kapitel: Ar-Ra‘d
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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