Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Vers: (35) Surah / Kapitel: Al-Hijr
وَّاِنَّ عَلَیْكَ اللَّعْنَةَ اِلٰی یَوْمِ الدِّیْنِ ۟
और निश्चय ही क़ियामत के दिन तक तुझपर धिक्कार और मेरी दया से दूरी है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• في الآيات دليل على تزاور المتقين واجتماعهم وحسن أدبهم فيما بينهم، في كون كل منهم مقابلًا للآخر لا مستدبرًا له.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि सदाचारी लोग (जन्नत में) एक-दूसरे का दर्शन करने जाएँगे, आपस में मिलेंगे और यह शिष्टाचार बरतेंगे कि एक-दूसरे के आमने-सामने होकर बैठेंगे। कोई किसी की ओर पीठ नहीं करेगा।

• ينبغي للعبد أن يكون قلبه دائمًا بين الخوف والرجاء، والرغبة والرهبة.
• बंदे को चाहिए कि उसका दिल हमेशा भय और आशा तथा चाहत और डर के बीच रहे।

• سجد الملائكة لآدم كلهم أجمعون سجود تحية وتكريم إلا إبليس رفض وأبى.
• सभी फ़रिश्तों ने आदम अलैहिस्सलाम को अभिवादन और सम्मान के तौर पर सजदा किया, किंतु इबलीस ने इनकार कर दिया।

• لا سلطان لإبليس على الذين هداهم الله واجتباهم واصطفاهم في أن يلقيهم في ذنب يمنعهم عفو الله.
• इबलीस उन लोगों को, जिन्हें अल्लाह ने सत्य मार्ग दिखाया और चुन लिया, ऐसे पाप में नहीं डाल सकता, जो क्षमा योग्य न हो।

 
Übersetzung der Bedeutungen Vers: (35) Surah / Kapitel: Al-Hijr
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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