Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Vers: (4) Surah / Kapitel: Al-Isrâ’
وَقَضَیْنَاۤ اِلٰی بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ فِی الْكِتٰبِ لَتُفْسِدُنَّ فِی الْاَرْضِ مَرَّتَیْنِ وَلَتَعْلُنَّ عُلُوًّا كَبِیْرًا ۟
और हमने बनी इसराईल को तौरात में बता दिया था कि वे अनिवार्य रूप से पाप एवं घमंड के ज़रिए दो बार धरती में उत्पात मचाएँगे तथा अत्याचार और अतिक्रमण के साथ लोगों पर अपनी उच्चता सिद्ध करने का प्रयास करेंगे और इसमें सीमा को पार कर जाएँगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• في قوله: ﴿الْمَسْجِدِ الْأَقْصَا﴾: إشارة لدخوله في حكم الإسلام؛ لأن المسجد موطن عبادةِ المسلمين.
• अल्लाह के फ़रमान : {الْمَسْجِدِ الْأَقْصَا} (मस्जिदे अक़्सा) में इस बात का संकेत है कि वह इस्लाम के हुक्म में दाखिल है, क्योंकि मस्जिद मुसलमानों की इबादत का स्थान है।

• بيان فضيلة الشكر، والاقتداء بالشاكرين من الأنبياء والمرسلين.
• आभार प्रकट करने की फ़ज़ीलत तथा आभार प्रकट करने वाले नबियों एवं रसूलों का अनुसरण करने का वर्णन।

• من حكمة الله وسُنَّته أن يبعث على المفسدين من يمنعهم من الفساد؛ لتتحقق حكمة الله في الإصلاح.
• अल्लाह की हिकमत और उसका परंपरागत नियम है कि वह बिगाड़ पैदा करने वालों पर ऐसे लोगों को भेजता है, जो उन्हें बिगाड़ पैदा करने से रोकते हैं, ताकि सुधार से संबंधित अल्लाह की हिकमत साकार हो।

• التحذير لهذه الأمة من العمل بالمعاصي؛ لئلا يصيبهم ما أصاب بني إسرائيل، فسُنَّة الله واحدة لا تتبدل ولا تتحول.
• इस उम्मत के लोगों को गुनाह करने से सावधान करना, ताकि उन्हें भी उस विपत्ति का सामना न करना पड़े, जिससे बनी इसराईल ग्रस्त हुए थे। क्योंकि अल्लाह का नियम सबके लिए एकसमान है, जो बदलता और परिवर्तित नहीं होता है।

 
Übersetzung der Bedeutungen Vers: (4) Surah / Kapitel: Al-Isrâ’
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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