Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Vers: (90) Surah / Kapitel: Al-Isrâ’
وَقَالُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ لَكَ حَتّٰی تَفْجُرَ لَنَا مِنَ الْاَرْضِ یَنْۢبُوْعًا ۟ۙ
मुश्रिकों ने कहा : हम तुमपर कदापि ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि तुम हमारे लिए मक्का की धरती से एक बहता हुआ चश्मा निकाल दो, जो कभी न सूखे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• بيَّن الله للناس في القرآن من كل ما يُعْتَبر به من المواعظ والعبر والأوامر والنواهي والقصص؛ رجاء أن يؤمنوا.
• अल्लाह ने क़ुरआन में लोगों के लिए सभी उपदेशों, पाठों, आदेशों, निषेधों और कहानियों को स्पष्ट रूप से बयान कर दिया है, ताकि वे ईमान ले आएँ।

• القرآن كلام الله وآية النبي الخالدة، ولن يقدر أحد على المجيء بمثله.
• क़ुरआन अल्लाह की वाणी और नबी का शाश्वत चमत्कार (निशानी) है। और कोई भी इसके समान लाने में कभी सक्षम नहीं होगा।

• من رحمة الله بعباده أن أرسل إليهم بشرًا منهم، فإنهم لا يطيقون التلقي من الملائكة.
• यह अल्लाह की अपने बंदों पर दया है कि उसने उनकी ओर उन्हीं में से एक मनुष्य को रसूल बनाकर भेजा। क्योंकि वे फरिश्तों से संदेश ग्रहण नहीं कर सकते।

• من شهادة الله لرسوله ما أيده به من الآيات، ونَصْرُه على من عاداه وناوأه.
• अपने रसूल के लिए अल्लाह की गवाही में से उसका निशानियों के द्वारा आपका समर्थन करना, तथा आपसे दुश्मनी रखने वालों और आपका विरोध करने वालों पर आपको विजय प्रदान करना है।

 
Übersetzung der Bedeutungen Vers: (90) Surah / Kapitel: Al-Isrâ’
Suren/ Kapiteln Liste Nummer der Seite
 
Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Übersetzungen

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

Schließen