Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Vers: (116) Surah / Kapitel: Al -I-‘Imrân
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَنْ تُغْنِیَ عَنْهُمْ اَمْوَالُهُمْ وَلَاۤ اَوْلَادُهُمْ مِّنَ اللّٰهِ شَیْـًٔا ؕ— وَاُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
निःसंदेह जिन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल का इनकार किया, उनके धन और उनकी संतान अल्लाह के मुक़ाबले में उनके कुछ भी काम नहीं आएंगे। वे न उनसे उसके अज़ाब को दूर करेंगे और न उनके लिए उसकी दया को लाएंगे। बल्कि उनकी पीड़ा और खेद में वृद्धि कर देंगे। तथा वही लोग नरक वाले हैं जो उसमें हमेशा रहेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• نَهْي المؤمنين عن موالاة الكافرين وجَعْلهم أَخِلّاء وأصفياء يُفْضَى إليهم بأحوال المؤمنين وأسرارهم.
• ईमान वालों को काफ़िरों से दोस्ती रखने और उन्हें जिगरी दोस्त बनाकर मुसलमानों की स्थितियों और उनके रहस्यों से अवगत कराने की मनाही।

• من صور عداوة الكافرين للمؤمنين فرحهم بما يصيب المؤمنين من بلاء ونقص، وغيظهم إن أصابهم خير.
• काफिरों की, मोमिनों के साथ शत्रुता के उदाहरणों में से एक यह है कि वे मोमिनों के संकट और घाटा से पीड़ित होने पर खुश होते हैं, और अगर उन्हें कोई भलाई पहुँचती है तो उसपर गुस्सा होते हैं।

• الوقاية من كيد الكفار ومكرهم تكون بالصبر وعدم إظهار الخوف، ثم تقوى الله والأخذ بأسباب القوة والنصر.
• काफिरों के छल और उनकी चाल से बचाव, धैर्य रखने और भय प्रकट न करने, फिर अल्लाह से डरते रहने तथा शक्ति और विजय के कारणों को अपनाने से संभव है।

 
Übersetzung der Bedeutungen Vers: (116) Surah / Kapitel: Al -I-‘Imrân
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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