Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Vers: (2) Surah / Kapitel: Al -I-‘Imrân
اللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ الْحَیُّ الْقَیُّوْمُ ۟ؕ
अल्लाह वह है जिस अकेले के सिवा कोई भी वास्तविक रूप से इबादत के लायक़ नहीं है। वह जीवित है, एक पूर्ण जीवन वाला है जिसमें कोई मृत्यु या कमी नहीं है। हर चीज़ को सँभालने वाला है, जो स्वयं क़ायम है, अतः वह अपनी सारी सृष्टि से बेनियाज़ है। जबकि सभी प्राणी उसी के द्वारा क़ायम हैं, इसलिए वे अपनी सभी स्थितियों में उससे बेनियाज़ नहीं हो सकते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• أقام الله الحجة وقطع العذر عن الخلق بإرسال الرسل وإنزال الكتب التي تهدي للحق وتحذر من الباطل.
• अल्लाह ने रसूलों को भेजकर तथा सत्य का मार्गदर्शन करने वाली और असत्य से सावधान करने वाली पुस्तकें उतारकर, तर्क स्थापित कर दिया और लोगों के उज़्र (बहाने) को समाप्त कर दिया।

• كمال علم الله تعالى وإحاطته بخلقه، فلا يغيب عنه شيء في الأرض ولا في السماء، سواء كان ظاهرًا أو خفيًّا.
• अल्लाह तआला के ज्ञान की पूर्णता और उसका अपनी सारी सृष्टि से पूर्ण रूप से अवगत होना। चुनाँचे आकाश या ज़मीन में कोई भी चीज़ उससे ओझल नहीं है, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या छिपी हुई।

• من أصول أهل الإيمان الراسخين في العلم أن يفسروا ما تشابه من الآيات بما أُحْكِم منها.
• ज्ञान में दृढ़ ईमान वालों के सिद्धांतों में से एक यह है कि वे मुतशाबेह आयतों की व्याख्या मोहकम आयतों के साथ करते हैं।

• مشروعية دعاء الله تعالى وسؤاله الثبات على الحق، والرشد في الأمر، ولا سيما عند الفتن والأهواء.
• सत्य पर दृढ़ता और मामले में सही मार्गदर्शन के लिए अल्लाह से दुआ और प्रश्न करने की वैधता, विशेष रूप से फ़ित्ने (प्रलोभन) और इच्छाओं से ग्रस्त होने के समय।

 
Übersetzung der Bedeutungen Vers: (2) Surah / Kapitel: Al -I-‘Imrân
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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