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Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - Die Übersetzung in Hindi von Al-Mukhtasar - Eine Kurzfassung der Bedeutungen des edlen Qurans * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Fāṭir   Vers:
هُوَ الَّذِیْ جَعَلَكُمْ خَلٰٓىِٕفَ فِی الْاَرْضِ ؕ— فَمَنْ كَفَرَ فَعَلَیْهِ كُفْرُهٗ ؕ— وَلَا یَزِیْدُ الْكٰفِرِیْنَ كُفْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ اِلَّا مَقْتًا ۚ— وَلَا یَزِیْدُ الْكٰفِرِیْنَ كُفْرُهُمْ اِلَّا خَسَارًا ۟
वही (अल्लाह) है जिसने तुम्हें (ऐ लोगो) धरती पर एक-दूसरे का उत्तराधिकारी बनाया है, ताकि वह तुम्हारा परीक्षण करे कि तुम कैसे कार्य करते हो। फिर जिसने अल्लाह के साथ और रसूलों के लाए हुए संदेश के साथ कुफ़्र किया, तो उसके कुफ़्र का पाप और उसकी सज़ा उसी को भुगतनी होगी। उसके कुफ़्र से उसके पालनहार को कोई हानि नहीं पहुँचेगी। और काफिरों को उनका कुफ़्र उनके पालनहार के निकट सख्त घृणा और नाराज़गी ही में बढ़ाएगा। तथा काफिरों को उनका कुफ़्र उनके घाटे ही में वृद्धि करेगा। क्योंकि उनके ईमान लाने की स्थिति में अल्लाह ने उनके लिए जो कुछ जन्नत में तैयार किया था, उसे वे खो देंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اَرَءَیْتُمْ شُرَكَآءَكُمُ الَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— اَرُوْنِیْ مَاذَا خَلَقُوْا مِنَ الْاَرْضِ اَمْ لَهُمْ شِرْكٌ فِی السَّمٰوٰتِ ۚ— اَمْ اٰتَیْنٰهُمْ كِتٰبًا فَهُمْ عَلٰی بَیِّنَتٍ مِّنْهُ ۚ— بَلْ اِنْ یَّعِدُ الظّٰلِمُوْنَ بَعْضُهُمْ بَعْضًا اِلَّا غُرُوْرًا ۟
(ऐ रसूल) आप इन मुश्रिकों से कह दें : तुम मुझे अपने उन साझियों के संबंध में बताओ, जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पूजते हो, उन्होंने धरती की कौन-सी चीज़ पैदा की है? क्या उन्होंने उसके पहाड़ बनाए? क्या उन्होंने उसकी नदियाँ बनाईं? क्या उन्होंने उसके जानवर बनाए? या वे आकाशों की रचना में अल्लाह के साथ भागीदार हैं? या हमने उन्हें कोई पुस्तक प्रदान की है, जिसमें उनके अपने साझियों की पूजा की वैधता के लिए कोई तर्क है? इनमें से कुछ भी नहीं है। बल्कि सच्चाई यह है कि कुफ़्र एवं पापों के द्वारा स्वयं पर अत्याचार करने वाले, एक-दुसरे को केवल धोखे की बातों का वादा देते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ اللّٰهَ یُمْسِكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ اَنْ تَزُوْلَا ۚ۬— وَلَىِٕنْ زَالَتَاۤ اِنْ اَمْسَكَهُمَا مِنْ اَحَدٍ مِّنْ بَعْدِهٖ ؕ— اِنَّهٗ كَانَ حَلِیْمًا غَفُوْرًا ۟
निःसंदेह अल्लाह सर्वशक्तिमान ही ने आकाशों तथा धरती को थामे हुए उन्हें हटने से रोकने वाला है। और यदि वे दोनों (मान लिया जाए कि) हट जाएँ, तो उस महिमावान के पश्चात कोई भी उन्हें हटने से नहीं रोक सकता। निःसंदेह वह अत्यंत सहनशील है, जो जल्दी किसी को सज़ा नहीं देता। अपने बंदों में से तौबा करने वालों के पापों को बड़ा क्षमा करने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَقْسَمُوْا بِاللّٰهِ جَهْدَ اَیْمَانِهِمْ لَىِٕنْ جَآءَهُمْ نَذِیْرٌ لَّیَكُوْنُنَّ اَهْدٰی مِنْ اِحْدَی الْاُمَمِ ۚ— فَلَمَّا جَآءَهُمْ نَذِیْرٌ مَّا زَادَهُمْ اِلَّا نُفُوْرَا ۟ۙ
और इन झुठलाने वाले काफ़िरों ने दृढ़ और पक्की सौगंध खाई कि : यदि उनके पास अल्लाह की ओर से कोई सचेतकर्ता, उन्हें अल्लाह की यातना से डराने के लिए आया, तो वे यहूदियों, ईसाइयों और अन्य लोगों की तुलना में अधिक सीधे मार्ग पर जमे रहने और सत्य का पालन करने वाले हो जाएँगे। फिर जब मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उनके पास अपने पालनहार की ओर से रसूल बनकर, उन्हें अल्लाह की यातना से डराने के लिए आ गए, तो उनके आने से वे और भी सत्य से दूर हो गए और असत्य से चिमट गए। चुनाँचे उन्होंने जिस बात की पक्की क़समें खाई थीं कि वे अपने से पहले गुज़रे हुए लोगों से अधिक सीधे रास्ते पर चलने वाले हो जाएँगे, उसे पूरा नहीं किया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
١سْتِكْبَارًا فِی الْاَرْضِ وَمَكْرَ السَّیِّئ ؕ— وَلَا یَحِیْقُ الْمَكْرُ السَّیِّئُ اِلَّا بِاَهْلِهٖ ؕ— فَهَلْ یَنْظُرُوْنَ اِلَّا سُنَّتَ الْاَوَّلِیْنَ ۚ— فَلَنْ تَجِدَ لِسُنَّتِ اللّٰهِ تَبْدِیْلًا ۚ۬— وَلَنْ تَجِدَ لِسُنَّتِ اللّٰهِ تَحْوِیْلًا ۟
उनका अल्लाह की क़सम खाकर वह बात कहना, जो उन्होंने कही थी, अच्छे इरादे और सही उद्देश्य से नहीं था। बल्कि धरती में अभिमान करने और लोगों को धोखा देने के लिए था। और सच्चाई यह है कि बुरी चाल, स्वयं चाल चलने वाले ही को घेरती है। तो क्या ये बुरी चाल चलने वाले अभिमानी लोग अल्लाह की अटल (नियमित) परंपरा की प्रतीक्षा कर रहे हैं; और वह यह कि उन्हें भी उसी तरह विनष्ट कर दिया जाए, जिस तरह उनके पूर्वजों को विनष्ट कर दिया गया था?! क्योंकि आप घमंडियों को विनष्ट करने की अल्लाह की परंपरा में कभी इस तरह का बदलाव नहीं पाएँगे कि वह विनाश उनपर न उतरे, तथा न तो इस प्रकार का परिवर्तन (कभी पाएँगे) कि वह विनाश उनके अलावा किसी अन्य पर उतर जाए। इसलिए कि यह अल्लाह की एक अटल (नियमित) परंपरा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوَلَمْ یَسِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَیَنْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ وَكَانُوْۤا اَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةً ؕ— وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِیُعْجِزَهٗ مِنْ شَیْءٍ فِی السَّمٰوٰتِ وَلَا فِی الْاَرْضِ ؕ— اِنَّهٗ كَانَ عَلِیْمًا قَدِیْرًا ۟
क्या क़ुरैश में से आपको झुठलाने वाले लोग, धरती में नहीं चले-फिरे कि वे इस बात पर चिंतन करते कि उनसे पहले के समुदायों में से (रसूलों को) झुठलाने वालों का अंत कैसा रहा? क्या उनका अंत बहुत बुरा नहीं हुआ था क्योंकि अल्लाह ने उन्हें विनष्ट कर दिया था, हालाँकि वे क़ुरैश से अधिक शक्तिशाली थे?! आकाशों तथा धरती की कोई चीज़ अल्लाह की पहुँच से बाहर नहीं है। वह इन झुठलाने वालों की करतूतों से भली-भाँति अवगत है। उनके कार्यों में से कोई चीज़ न उससे ओझल होती है और न छूटती है। वह जब चाहे, उन्हें विनष्ट करने में सामर्थ्यवान है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• الكفر سبب لمقت الله، وطريق للخسارة والشقاء.
• कुफ़्र अल्लाह के क्रोध का कारण तथा घाटा और दुर्भाग्य का मार्ग है।

• المشركون لا دليل لهم على شركهم من عقل ولا نقل.
• मुश्रिकों के पास उनके शिर्क का कोई प्रमाण नहीं है, न विवेक से और न शरीयत से।

• تدمير الظالم في تدبيره عاجلًا أو آجلًا.
• अत्याचारी का विनाश देर या सवेर उसके प्रबंधन (उपाय) ही में है।

 
Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Fāṭir
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Vom Tafsirzentrum für Quranwissenschaften herausgegeben.

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