Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Ghâfir   Vers:

सूरा ग़ाफ़िर

Die Ziele der Surah:
بيان حال المجادلين في آيات الله، والرد عليهم.
अल्लाह की आयतों (निशानियों) के बारे में झगड़ने वालों की स्थिति का वर्णन और उनका उत्तर (खंडन)।

حٰمٓ ۟ۚ
(ह़ा, मीम) सूरतुल-बक़रा की शुरुआत में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
تَنْزِیْلُ الْكِتٰبِ مِنَ اللّٰهِ الْعَزِیْزِ الْعَلِیْمِ ۟ۙ
क़ुरआन का अवतरण उस अल्लाह की ओर से है, जो सब पर प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता, वह अपने बंदों के हितों काे भली- भाँति जानने वाला है, यह उसके रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतरा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
غَافِرِ الذَّنْۢبِ وَقَابِلِ التَّوْبِ شَدِیْدِ الْعِقَابِ ذِی الطَّوْلِ ؕ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— اِلَیْهِ الْمَصِیْرُ ۟
जो पापियो के पापों को क्षमा करने वाला है, अपने तौबा करने वाले बंदों की तौबा कबूल करने वाला है, तौबा न करने वालों को कड़ी सज़ा देने वाला है, उपकार और अनुग्रह करने वाला है। उसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं। केवल उसी की ओर क़ियामत के दिन सारी मख़लूकों को लौटकर जाना है, जिन्हें वह उनके कर्म अनुसार बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مَا یُجَادِلُ فِیْۤ اٰیٰتِ اللّٰهِ اِلَّا الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فَلَا یَغْرُرْكَ تَقَلُّبُهُمْ فِی الْبِلَادِ ۟
अल्लाह की आयतों के बारे में, जो उसके एकत्व और उसके रसूलों की सच्चाई प्रस्तुत करती हैं, केवल वही लोग झगड़ते हैं, जो अपनी विवेकहीनता के कारण अल्लाह का इनकार कर बैठे हैं। अतः, आप उनपर ग़म न करें। क्योंकि उन्हें मोहलत ढील देने और धोखे में पड़ने के लिए दी गई है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوْحٍ وَّالْاَحْزَابُ مِنْ بَعْدِهِمْ ۪— وَهَمَّتْ كُلُّ اُمَّةٍ بِرَسُوْلِهِمْ لِیَاْخُذُوْهُ وَجٰدَلُوْا بِالْبَاطِلِ لِیُدْحِضُوْا بِهِ الْحَقَّ فَاَخَذْتُهُمْ ۫— فَكَیْفَ كَانَ عِقَابِ ۟
इनसे पहले नूह (अलैहिस्सलाम) की जाति ने झुठलाया। तथा उनके बाद भी बहुत-से समुदायों ने झुठलाया। चुनांचे आद समुदाय, समूद समुदाय, लूत अलैहिस्सलाम की जाति और मदयन वालों तथा फ़िरऔन ने झुठलाया। और हर समुदाय के लोगों ने अपने रसूल को पकड़कर मार डालने का इरादा किया। तथा उन्होंने अपने असत्य के ज़रिए सत्य का सफाया करने के लिए बहस की। जिसके नतीजे में हमने इन सारे समुदायों की गिरफ़्त कर ली। अब ज़रा ग़ौर करो कि उनके हक में मेरी यातना कैसी रही। क्योंकि उन्हें जो सज़ा दी गई थी, वह बड़ी सख़्त थी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَكَذٰلِكَ حَقَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ عَلَی الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اَنَّهُمْ اَصْحٰبُ النَّارِ ۟
और जिस तरह अल्लाह ने उन झुठलाने वाली जातियों के विनाश का निर्णय लिया, उसी तरह (ऐ रसूल) आपके पालनहार की बात काफ़िरों पर अनिवार्य हो गई कि वे जहन्नम वाले लोग हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَلَّذِیْنَ یَحْمِلُوْنَ الْعَرْشَ وَمَنْ حَوْلَهٗ یُسَبِّحُوْنَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَیُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَیَسْتَغْفِرُوْنَ لِلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ۚ— رَبَّنَا وَسِعْتَ كُلَّ شَیْءٍ رَّحْمَةً وَّعِلْمًا فَاغْفِرْ لِلَّذِیْنَ تَابُوْا وَاتَّبَعُوْا سَبِیْلَكَ وَقِهِمْ عَذَابَ الْجَحِیْمِ ۟
वह फ़रिश्ते जो (ऐ रसूल) आपके पालनहार के अर्श को उठाए हुए हैं, और जो अर्श के चारों ओर हैं, सब अल्लाह की उन चीज़ों से पाकी बयान करते हैं, जो उसके लायक नहीं हैं, और उसपर विश्वास रखते हैं और अल्लाह पर ईमान रखने वालों के हक में माफ़ी की दुआ करते रहते हैं। कहते हैंः ऐ हमारे पालनहार! तेरे ज्ञान तथा तेरी दया ने प्रत्येक चीज़ को घेर रखा है। अतः, उन लोगों को माफ़ कर दे, जो अपने गुनाहों से तौबा कर चुके हैं और तेरे धर्म का पालन कर रहे हैं, तथा उन्हें जहन्नम की आग से सुरक्षित रख।
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Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• الجمع بين الترغيب في رحمة الله، والترهيب من شدة عقابه: مسلك حسن.
• अल्लाह की रहमत व दया की तरगीब तथा उसकी सख्त यातना से डराना, दोनों बातें एक साथ हों तो बेहतर है।

• الثناء على الله بتوحيده والتسبيح بحمده أدب من آداب الدعاء.
• अल्लाह के एकत्व के साथ उसकी तारीफ़ करना तथा उसकी प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता बयान करना, दुआ के आदाब में से है।

• كرامة المؤمن عند الله؛ حيث سخر له الملائكة يستغفرون له.
• अल्लाह के निकट मोमिन के सम्मान का उल्लेख कि उसने फ़रिश्ते नियुक्त कर रखे हैं, जो मोमिन के लिए क्षमा माँगते रहते हैं।

رَبَّنَا وَاَدْخِلْهُمْ جَنّٰتِ عَدْنِ ١لَّتِیْ وَعَدْتَّهُمْ وَمَنْ صَلَحَ مِنْ اٰبَآىِٕهِمْ وَاَزْوَاجِهِمْ وَذُرِّیّٰتِهِمْ ؕ— اِنَّكَ اَنْتَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟ۙ
और फ़रिश्ते कहते हैंः ऐ हमारे पालनहार! और ईमान वालों को उन स्थायी स्वर्गों में दाखिल कर, जिनमें दाखिल करने का तूने उन्हें वचन दिया है। तथा उनके बाप दादाओं, उनकी पत्नियों और उनकी संतानों में से जो सत्कर्म किए हैं, उन्हें भी उनके अंदर दाखिल होने का सौभाग्य प्रदान कर। निश्चय ही तू प्रभुत्वशाली है, तुझपर कोई गालिब नहीं आ सकता। तू अपने प्रबंध तथा निर्णय में हिकमत वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقِهِمُ السَّیِّاٰتِ ؕ— وَمَنْ تَقِ السَّیِّاٰتِ یَوْمَىِٕذٍ فَقَدْ رَحِمْتَهٗ ؕ— وَذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِیْمُ ۟۠
तथा उन्हें उनके कर्मों की बुराइयों (दुष्परिणाम) से सुरक्षित रख, इसलिए उन्हें उनके कारण यातना में न डाल। और जिसे तूने क़ियामत के दिन उसके बुरे कामों की सज़ा से बचा लिया, तो निश्चय तूने उसपर दया की। और यह यातना से बचाव और जन्नत में दाखिल करने की कृपा ही बड़ी सफलता है, जिसका मुकाबला कोई सफलता नहीं कर सकती।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا یُنَادَوْنَ لَمَقْتُ اللّٰهِ اَكْبَرُ مِنْ مَّقْتِكُمْ اَنْفُسَكُمْ اِذْ تُدْعَوْنَ اِلَی الْاِیْمَانِ فَتَكْفُرُوْنَ ۟
निश्चय जिन लोगों ने अल्लाह एवं उसके रसूलों का इनकार किया, उन्हें क़ियामत के दिन, जब वे जहन्नम में प्रवेश कर रहे होंगे तथा स्वयं पर बिगड़ रहे होंगे और खुद को कोस रहे हैं, पुकारकर कहा जाएगाः निश्चित रूप से आज जितना क्रोधित तुम अपने आप पर हो, उससे कहीं अधिक क्रोधित अल्लाह उस समय तुम्हारे ऊपर था, जब तुम्हें दुनिया में अल्लाह पर ईमान लाने को कहा जाता था और तुम उसका इनकार कर देते थे और उसके साथ बहुत-से पूज्य बना लेते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالُوْا رَبَّنَاۤ اَمَتَّنَا اثْنَتَیْنِ وَاَحْیَیْتَنَا اثْنَتَیْنِ فَاعْتَرَفْنَا بِذُنُوْبِنَا فَهَلْ اِلٰی خُرُوْجٍ مِّنْ سَبِیْلٍ ۟
तो काफ़िर, उस समय अपने गुनाहों का इकरार करते हुए कहेंगे, जब उन्हें इक़रार और तौबा से कोई लाभ न होगाः ऐ हमारे पालनहार! तूने हमें दो बार मारा; एक बार जब हम कुछ न थे, तो तूने हमें अस्तित्व प्रदान किया, और फ़िर इसके पश्चात मौत दी। और दो बार जीवन प्रदान किय; एक बार अनस्तित्व से अस्तित्व प्रदान करके तथा दूसरी बार हिसाब-किताब के लिए जीवित करके। अब हम अपने पापों काे स्वीकार कर चुके हैं, जो हमने किए थे। तो क्या जहन्नम से निकलने का कोई रास्ता है, ताकि सांसारिक जीवन की ओर लौटकर अपने कर्मों को सुधार लें और तू हमसे राज़ी हो जाए?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ذٰلِكُمْ بِاَنَّهٗۤ اِذَا دُعِیَ اللّٰهُ وَحْدَهٗ كَفَرْتُمْ ۚ— وَاِنْ یُّشْرَكْ بِهٖ تُؤْمِنُوْا ؕ— فَالْحُكْمُ لِلّٰهِ الْعَلِیِّ الْكَبِیْرِ ۟
यह यातना जिसके साथ तुम प्रताड़ित किए गए हो, वह इसलिए है कि जब अकेले अल्लाह को पुकारा जाता था और उसके साथ किसी को साझी नहीं ठहराया जाता था, तो तुम उसका इनकार कर देते थे और उसके लिए साझी ठहराते थे। और जब अल्लाह के साथ किसी साझी की पूजा की जाती थी, तो तुम मान लेते थे। अतः आज निर्णय अकेले अल्लाह के हाथ में है, जो अपने अस्तित्व, नियति और प्रभुत्व में सबसे ऊंचा, बड़ा महान है जिससे हर चीज़ छोटी है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
هُوَ الَّذِیْ یُرِیْكُمْ اٰیٰتِهٖ وَیُنَزِّلُ لَكُمْ مِّنَ السَّمَآءِ رِزْقًا ؕ— وَمَا یَتَذَكَّرُ اِلَّا مَنْ یُّنِیْبُ ۟
अल्लाह वही हस्ती है, जो तुम्हें आकाशों तथा स्वंय तुम्हारे वजूद के अंदर अपनी निशानियाँ दिखाती है, ताकि तुम उसकी शक्ति एवं उसके एकत्व से परिचित हो सको। और वही आकाश से वर्षा उतारता है, ताकि उससे पौधे और खेतियाँ उग सकें, जिनसे तुम्हें रोज़ी प्राप्त होती है। और अल्लाह की निशानियों से वही लोग शिक्षा ग्रहण करते हैं, जो उसके आगे तौबा करके और साफ़ मन से हाज़िर होते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَادْعُوا اللّٰهَ مُخْلِصِیْنَ لَهُ الدِّیْنَ وَلَوْ كَرِهَ الْكٰفِرُوْنَ ۟
तो (ऐ मोमिनो) तुम अल्लाह को पुकारे, खालिस उसी की इबादत करते हुए, उसी से दुआ करते हुए तथा किसी को उसका साझी बनाने से बचते हुए, यद्यपि काफ़िरों को तुम्हारा यह रवैया बुरा लगे और वे इससे क्रोधित हों।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
رَفِیْعُ الدَّرَجٰتِ ذُو الْعَرْشِ ۚ— یُلْقِی الرُّوْحَ مِنْ اَمْرِهٖ عَلٰی مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖ لِیُنْذِرَ یَوْمَ التَّلَاقِ ۟ۙ
वह इस बात के लायक है कि केवल उसी से दुआ की जाए और उसी की बंदगी की जाए। क्योंकि वह उच्च श्रेणियों वाला और तमाम मखलूक़ से अलग है। वही महान अर्श का मालिक है। वह अपने जिन बंदों पर चाहता है, वह्य उतार देता है, ताकि वे खुद भी जीवित हों और अन्य लोगों को भी जीवित करें और लोगों को क़ियामत के दिन से डराएँ, जब पहले एवं बाद के सब लोग आपस में मिलेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یَوْمَ هُمْ بَارِزُوْنَ ۚ۬— لَا یَخْفٰی عَلَی اللّٰهِ مِنْهُمْ شَیْءٌ ؕ— لِمَنِ الْمُلْكُ الْیَوْمَ ؕ— لِلّٰهِ الْوَاحِدِ الْقَهَّارِ ۟
जिस दिन सारे लोग निकलकर एक ही स्थान में एकत्र होंगे। उनकी कोई बात अल्लाह से छिपी नहीं होगी। न उनके व्यक्तित्व से संबंधित, न उनके कर्मों से संबंधित और न उनके प्रतिफ़ल से संबंधित। वह पूछेगाः "कहो आज किसका राज्य है? अब तो बस एक ही उत्तर है; राज्य उस अल्लाह का है, जो अपने व्यक्तिव्त में, विशेषताओं में तथा कर्मों में एक है। जो ऐसा सर्वशक्तिमान है कि उसने प्रत्येक चीज़ को अपने क़ाबू में रखा है और हर चीज़ उसके आगे झुकने पर मजबूर है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
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• مَحَلُّ قبول التوبة الحياة الدنيا.
• तौबा क़बूल होने का स्थान दुिनिया का जीवन है।

• نفع الموعظة خاص بالمنيبين إلى ربهم.
• उपदेश सिर्फ़ उसी के लिए लाभदायक है, जो अपने पालनहार की आेर बार-बार लौटने वाला और उसके सामने तौबा करने वाला हो।

• استقامة المؤمن لا تؤثر فيها مواقف الكفار الرافضة لدينه.
• एक सच्चा मोमिन यदि सीधे रास्ते पर डटा हुआ हो, तो उसपर, उसके धर्म का इनकार करने वाले काफ़िरों के रुख-रवैये का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

• خضوع الجبابرة والظلمة من الملوك لله يوم القيامة.
• क़ियामत के दिन ब़ड़े से बड़े ज़ालिम और शक्तिशाली राजा भी अल्लाह के सम्मुख झुके हुए होंगे।

اَلْیَوْمَ تُجْزٰی كُلُّ نَفْسٍ بِمَا كَسَبَتْ ؕ— لَا ظُلْمَ الْیَوْمَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ سَرِیْعُ الْحِسَابِ ۟
आज प्रत्येक प्राणी को उसके कर्मों का प्रतिकार दिया जाएगा। यदि कर्म अच्छे होंगे, तो बदला अच्छा और कर्म बुरे होंगे, तो बदला बुरा। आज किसी पर अत्याचार नही होगा। क्योंकि निर्णय करने वाला अल्लाह है, जो न्याय करने वाला है। अवश्य अल्लाह अपने बंदों का शघ्र ही हिसाब लेने वाला है, क्योंकि वह उन्हें भली-भाँति जानता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَنْذِرْهُمْ یَوْمَ الْاٰزِفَةِ اِذِ الْقُلُوْبُ لَدَی الْحَنَاجِرِ كٰظِمِیْنَ ؕ۬— مَا لِلظّٰلِمِیْنَ مِنْ حَمِیْمٍ وَّلَا شَفِیْعٍ یُّطَاعُ ۟ؕ
(ऐ रसूल!) आप उन्हें क़ियामत के दिन से डराएँ। वह क़ियामत, जो निकट है। क्योंकि वह आने वाली है और हर आने वाली चीज़ निकट होती है। उस दिन स्थिति इतनी भयावह होगी कि लोगों के दिल उनके मुँह को आ रहे होंगे। सब लोग ख़ामोश खड़े होंगे। केवल वही बात करेगा, जिसे 'अति दयावान्' ने बात करने की अनुमति दी होगी। तथा शिर्क एवं गुनाहों के द्वारा ख़ुद पर अत्याचार करने वालों के लिए न कोई मित्र होगा, न निकटवर्ती, और न ही कोई ऐसा सिफ़ारिशी होगा, जिसकी बात मानी जाए, यदि मान लिया जाए कि वह सिफ़ारिश करे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یَعْلَمُ خَآىِٕنَةَ الْاَعْیُنِ وَمَا تُخْفِی الصُّدُوْرُ ۟
अल्लाह आँखों के किसी चीज़ को चुपके से देख लेने को जानता है तथा उसे भी जानता है, जो दिलों में छिपा होता है। इस तरह की कोई चीज़ उससे छिप नहीं सकती।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاللّٰهُ یَقْضِیْ بِالْحَقِّ ؕ— وَالَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا یَقْضُوْنَ بِشَیْءٍ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ هُوَ السَّمِیْعُ الْبَصِیْرُ ۟۠
और अल्लाह न्याय के साथ निर्णय करेगा। अतः किसी पर, उसके अच्छे कर्मों को घटाकर और बुरे कर्मों को बढ़ाकर अत्याचार नहीं करेगा। और मुश्रिक लोग जिन्हें अल्लाह को छोड़कर पूजते हैं, वे कोई फ़ैसला नहीं कर सकते, क्योंकि वे किसी चीज़ के मालिक नहीं हैं। निश्चय अल्लाह अपने बंदों की बातों को सुनने वाला तथा उनकी नीयतों एवं कर्मों को देखने वाला है। और वह उन्हें उनका प्रतिफल भी देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوَلَمْ یَسِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَیَنْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِیْنَ كَانُوْا مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— كَانُوْا هُمْ اَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةً وَّاٰثَارًا فِی الْاَرْضِ فَاَخَذَهُمُ اللّٰهُ بِذُنُوْبِهِمْ ؕ— وَمَا كَانَ لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ وَّاقٍ ۟
क्या ये बहुदेववादी धरती में चले-फ़िरे नहीं, ताकि ग़ौर करते कि इनसे पहले झुठलाने वाली जातियों का अंजाम कैसा रहा। अवश्य उनका अंत बहुत बुरा था। वे लोग इनसे अधिक ताकतवर थे, तथा धरती में ऐसे-ऐसे महल तैयार किए हुए थे, जो इनसे संभव नहीं हुए। फिर भी अल्लाह ने उनके पापों के कारण उनका विनाश कर दिया और कोई उन्हें अल्लाह की यातना से बचा न सका।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَانَتْ تَّاْتِیْهِمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ فَكَفَرُوْا فَاَخَذَهُمُ اللّٰهُ ؕ— اِنَّهٗ قَوِیٌّ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
यह यातना उन्हें इसलिए झेलनी पड़ी कि उनके पास अल्लाह के रसूल खुली निशानियाँ तथा शानदार तर्क लेकर आते रहे ,परन्तु उन्हेंने अल्लाह के साथ कुफ़्र किया तथा उसके रसूलों को झठलाया। तो अल्लाह ने उनकी शक्ति एवं कुव्वत के बावजूद उन्हें विनष्ट कर दिया। यक़ीनन अल्लाह उन लोगों को जिन्होंने कुफ़्र किया और उसके रसूलों को झुठलाया, कठोर सज़ा देने वाला, शक्तिशाली है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مُوْسٰی بِاٰیٰتِنَا وَسُلْطٰنٍ مُّبِیْنٍ ۟ۙ
और हमने मूसा को अपनी खुली निशानियों (चमत्कारों) तथा सुदृढ़ प्रमाण के साथ भेजा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِلٰی فِرْعَوْنَ وَهَامٰنَ وَقَارُوْنَ فَقَالُوْا سٰحِرٌ كَذَّابٌ ۟
फ़िरऔन और उसके मंत्री हामान तथा क़ारून की ओर मूसा को भेजा। तो उन्होंने कहा कि मूसा जादुगर है तथा रसूल होने के दावे में झूठा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَمَّا جَآءَهُمْ بِالْحَقِّ مِنْ عِنْدِنَا قَالُوا اقْتُلُوْۤا اَبْنَآءَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ وَاسْتَحْیُوْا نِسَآءَهُمْ ؕ— وَمَا كَیْدُ الْكٰفِرِیْنَ اِلَّا فِیْ ضَلٰلٍ ۟
जब मूसा उनके पास अपनी सच्चाई के प्रमाण लेकर आए, तो फ़िरऔन ने कहा : "जो लोग उसपर ईमान लाए हैं, उनके बेटों को मार डालो तथा उनकी स्त्रियों को अपमान के तौर पर बाक़ी रहने दो।" काफ़िरों की, मोमिनों की संख्या कम करने वाली चाल तो ख़त्म होने वाली और बेअसर होने वाली थी ही।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
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• التذكير بيوم القيامة من أعظم الروادع عن المعاصي.
• क़ियामत के दिन की याद दिलाना पापों से रोकने के लिए सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।

• إحاطة علم الله بأعمال عباده؛ خَفِيَّة كانت أم ظاهرة.
• अल्लाह का ज्ञान उसके बंदों के खुले तथा छिपे सभी कर्मों को घेरे हुए है।

• الأمر بالسير في الأرض للاتعاظ بحال المشركين الذين أهلكوا.
• धरती में चलने-फिरने का आदेश, ताकि उन मुश्रिकों के अंजाम से शिक्षा ग्रहण किया जाए, जो हलाक हो चुके हैं।

وَقَالَ فِرْعَوْنُ ذَرُوْنِیْۤ اَقْتُلْ مُوْسٰی وَلْیَدْعُ رَبَّهٗ ۚؕ— اِنِّیْۤ اَخَافُ اَنْ یُّبَدِّلَ دِیْنَكُمْ اَوْ اَنْ یُّظْهِرَ فِی الْاَرْضِ الْفَسَادَ ۟
और फ़िरऔन ने कहा : मुझे मूसा को दंड के तौर पर क़त्ल करने दो। उसे भी चाहिए कि अपने बचाव के लिए अपने पालनहार को पुकारे। मुझे उसके अपने रब को पुकारने की कोई परवाह नहीं है। मुझे इस बात का डर है कि वह तुम्हारे धर्म को बदल देगा या धरती में क़त्ल एवं बिगाड़ के जरिए उपद्रव मचाएगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَ مُوْسٰۤی اِنِّیْ عُذْتُ بِرَبِّیْ وَرَبِّكُمْ مِّنْ كُلِّ مُتَكَبِّرٍ لَّا یُؤْمِنُ بِیَوْمِ الْحِسَابِ ۟۠
मुसा अलैहिस्सलाम को जब फ़िरऔन की धमकी का पता चला, तो बोलेः मैंने अपने तथा तुम्हारे पालनहार की शरण ली है, प्रत्येक ऐसे व्यक्ति से, जो सत्य से तथा उसे मानने से अहंकार दिखाता हो, वह क़ियामत के दिन तथा उसके हिसाब और सज़ा पर विश्वास नहीं रखता।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَ رَجُلٌ مُّؤْمِنٌ ۖۗ— مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ یَكْتُمُ اِیْمَانَهٗۤ اَتَقْتُلُوْنَ رَجُلًا اَنْ یَّقُوْلَ رَبِّیَ اللّٰهُ وَقَدْ جَآءَكُمْ بِالْبَیِّنٰتِ مِنْ رَّبِّكُمْ ؕ— وَاِنْ یَّكُ كَاذِبًا فَعَلَیْهِ كَذِبُهٗ ۚ— وَاِنْ یَّكُ صَادِقًا یُّصِبْكُمْ بَعْضُ الَّذِیْ یَعِدُكُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یَهْدِیْ مَنْ هُوَ مُسْرِفٌ كَذَّابٌ ۟
और फ़िरऔन के घराने के एक मोमिन व्यक्ति ने, जो लोगों से अपना ईमान छिपाया हुआ था, मूसा अलैहिस्सलाम के कत्ल के फ़ैसले को नकारते हुए कहा : क्या तुम एक ऐसे व्यक्ति को कत्ल करना चाहते हो, जिसका अपराध केवल यह है कि वह कहता है कि मेरा रब अल्लाह है, हालाँकि वह ऐसे खुले प्रमाण और सबूत लेकर आया है, जो उसके अल्लाह के रसूल होने के दावे की पुष्टि करते हैं? और यदि मान भी लिया जाए कि वह झूठा है, तो इस झूठ का नुकसान उसी को होगा। और यदि वह अपने दावे में सच्चा है, तो वह जिस यातना की धमकी दे रहा है, उसका कुछ भाग तुम्हें पहुँचकर रहेगा। वास्तव में, अल्लाह उसे मार्गदर्शन नहीं देता, जो उसकी सीमाओं का उल्लंघन करता हो तथा उसपर एवं उसके रसूल पर झूठा लांछन लगाता हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یٰقَوْمِ لَكُمُ الْمُلْكُ الْیَوْمَ ظٰهِرِیْنَ فِی الْاَرْضِ ؗ— فَمَنْ یَّنْصُرُنَا مِنْ بَاْسِ اللّٰهِ اِنْ جَآءَنَا ؕ— قَالَ فِرْعَوْنُ مَاۤ اُرِیْكُمْ اِلَّا مَاۤ اَرٰی وَمَاۤ اَهْدِیْكُمْ اِلَّا سَبِیْلَ الرَّشَادِ ۟
ऐ मेरी जाति के लोगो! आज मिस्र में तुम्हारा राज्य है, और इस धरती में तुम प्रभावशाली हो। लेकिन अगर मूसा अलैहिस्सलाम को मारने के कारण हमपर अल्लाह की यातना आ जाए, तो उससे बचाने में कौन हमारी मदद करेगा? फ़िरऔन ने कहा : मेरी राय ही सही राय है, तथा मेरा फ़ैसला है सही फ़ैसला है, और मेरी राय है कि बुराई एवं बिगाड़ को रोकने के लिए मूसा को मार दिया जाए। और मैं तुम्हें सीधी एवं सही राह ही दिखाता हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَ الَّذِیْۤ اٰمَنَ یٰقَوْمِ اِنِّیْۤ اَخَافُ عَلَیْكُمْ مِّثْلَ یَوْمِ الْاَحْزَابِ ۟ۙ
और उस व्यक्ति ने, जो ईमान लाया था, अपनी जाति को नसीहत करते हुए कहा : यदि तुम मुसा को नाहक़ मार देते हो, तो मुझे डर है कि तुमपर भी उसी प्रकार की यातना आ जाए, जिस प्रकार की यातना उन लोगों पर आई थी, जिन्होंने अपने रसूलों के विरुद्ध हुड़दंग की थी और अल्लाह ने उन्हें हलाक कर दिया था।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مِثْلَ دَاْبِ قَوْمِ نُوْحٍ وَّعَادٍ وَّثَمُوْدَ وَالَّذِیْنَ مِنْ بَعْدِهِمْ ؕ— وَمَا اللّٰهُ یُرِیْدُ ظُلْمًا لِّلْعِبَادِ ۟
उन समुदायों के जैसे हाल से, जिन्होंने कुफ़्र किया और रसूलों को झुठलाया, जैसे नूह अलैहिस्सलाम की जाति, आद और समूद समुदायों और उनके बाद आने वाली जातियों के हाल से। क्योंकि अल्लाह ने उन्हें उनके रसूलों का इनकार करने और उनको झुठलाने के कारण हलाक कर दिया था। और अल्लाह बंदों के साथ अत्याचार नहीं चाहता। वह उन्हें यातना केवल उनके गुनाहों के बदले में देता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَیٰقَوْمِ اِنِّیْۤ اَخَافُ عَلَیْكُمْ یَوْمَ التَّنَادِ ۟ۙ
ऐ मेरी जाति के लोगो! मुझे तुम्हारे विषय में क़ियामत के दिन का भय है, जिस दिन लोग, एक-दूसरे को, रिश्तों-नातों और पद-प्रतिष्ठाओं के आधार पर पुकारेंगे, यह समझकर कि इस भयावह परिस्थिति में शायद इससे कुछ लाभ हो जाए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یَوْمَ تُوَلُّوْنَ مُدْبِرِیْنَ ۚ— مَا لَكُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ عَاصِمٍ ۚ— وَمَنْ یُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ هَادٍ ۟
जिस दिन तुम जहन्नम के भय से पीठ फेरकर भागोगे। कोई तुम्हें अल्लाह की यातना से बचा न सकेगा। और जिसे अल्लाह अकेला छोड़ दे और ईमान लाने का सामर्थ्य न दे, उसे कोई हिदायत नहीं दे सकता। क्योंकि सही राह पर चलने का सामर्थ्य केवल अल्लाह ही प्रदान करता है।
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• لجوء المؤمن إلى ربه ليحميه من كيد أعدائه.
• मोमिन दुश्मनों की चाल से बचने के लिए अपने पालनहार के शरण में आता है।

• جواز كتم الإيمان للمصلحة الراجحة أو لدرء المفسدة.
• किसी अधिक महत्वपूर्ण हित की रक्षा अथवा नुकसान से बचने के लिए ईमान को छिपाने का सबूत।

• تقديم النصح للناس من صفات أهل الإيمان.
• लोगों को नसीहत करना ईमान वालों की विशेषता है।

وَلَقَدْ جَآءَكُمْ یُوْسُفُ مِنْ قَبْلُ بِالْبَیِّنٰتِ فَمَا زِلْتُمْ فِیْ شَكٍّ مِّمَّا جَآءَكُمْ بِهٖ ؕ— حَتّٰۤی اِذَا هَلَكَ قُلْتُمْ لَنْ یَّبْعَثَ اللّٰهُ مِنْ بَعْدِهٖ رَسُوْلًا ؕ— كَذٰلِكَ یُضِلُّ اللّٰهُ مَنْ هُوَ مُسْرِفٌ مُّرْتَابُ ۟ۚۖ
और मूसा (अलैहिस्सलाम) से पहले यूसुफ़ (अलैहिस्सलाम) तुम्हारे पास अल्लाह के एक होने के स्पष्ट प्रमाण लेकर आए। किन्तु तुम उनके लाए हुए संदेश के बारे में संदेह में पड़े रहे और उन्हें झुठलाते रहे। यहाँ तक कि जब वे मर गए, तो तुम्हारे संदेह एवं शक में और वृद्धि हो गई और तुमने कह दिया कि अल्लाह उनके बाद कोई रसूल हरगिज़ नहीं भेजेगा! जैसे तुम यहाँ सत्य से भटक गए, वैसे ही अल्लाह हर उस आदमी को राह से भटका देता है, जो उसकी सीमाओं का उल्लंघन करता हो, उसके एक होने पर संदेह करता हो।
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١لَّذِیْنَ یُجَادِلُوْنَ فِیْۤ اٰیٰتِ اللّٰهِ بِغَیْرِ سُلْطٰنٍ اَتٰىهُمْ ؕ— كَبُرَ مَقْتًا عِنْدَ اللّٰهِ وَعِنْدَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ؕ— كَذٰلِكَ یَطْبَعُ اللّٰهُ عَلٰی كُلِّ قَلْبِ مُتَكَبِّرٍ جَبَّارٍ ۟
जो अल्लाह की आयतों को, बिना किसी प्रमाण के, जो उनके पास आया हो, ग़लत साबित करने के लिए बहस व तकरार करते हैं। उनकी यह बहस व तकरार अल्लाह के यहाँ तथा उसपर एवं उसके रसूलों पर ईमान रखने वालों के यहाँ, बड़े क्रोध का कारण है। जिस तरह अल्लाह ने हमारी आयतों को ग़लत साबित करने के लिए बहस व तकरार करने वालों के दिलों पर मुहर लगा दी है, उसी तरह प्रत्येक उस व्यक्ति के दिल पर मुहर लगा देगा, जो सत्य से अभिमान करता हो, अत्याचारी हो। अतः न वह सही मार्ग पा सकेगा, न भलाई को पहुँच सकेगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَ فِرْعَوْنُ یٰهَامٰنُ ابْنِ لِیْ صَرْحًا لَّعَلِّیْۤ اَبْلُغُ الْاَسْبَابَ ۟ۙ
फ़िरऔन ने अपने मंत्री हामान से कहा : मेरे लिए एक उच्च भवन बनाओ। संभवतः मैं मार्गों तक पहुँच सकूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَسْبَابَ السَّمٰوٰتِ فَاَطَّلِعَ اِلٰۤی اِلٰهِ مُوْسٰی وَاِنِّیْ لَاَظُنُّهٗ كَاذِبًا ؕ— وَكَذٰلِكَ زُیِّنَ لِفِرْعَوْنَ سُوْٓءُ عَمَلِهٖ وَصُدَّ عَنِ السَّبِیْلِ ؕ— وَمَا كَیْدُ فِرْعَوْنَ اِلَّا فِیْ تَبَابٍ ۟۠
"ताकि मैं आकाशों के मार्गों तक पहुँच सकूँ, जो आकाशों की ओर ले जाने वाले हों अौर मूसा के पूज्य (उपास्य) को देख लूँ, जिसके बारे उसका कहना है कि वही सत्य पूज्य है। निश्चय मैं मूसा को अपने दावे में झूठा समझता हूँ।" इस तरह, फ़िरऔन के लिए उसके बुरे कर्म को सुंदर बना दिया गया। यही कारण है कि उसने हामान को उक्त आदेश दिया। उसे सत्य मार्ग से हटाकर असत्य मार्ग पर लगा दिया गया था। और फ़िरऔन की (अपने ग़लत पंथ को बढ़ावा देने और मूसा अलैहिस्सलाम के लाए हुए सत्य को दबाने की) चाल को विनष्ट होना ही था। क्योंकि अंततः वह अपने कोशिश में असफल रहा और ऐसे दुर्भाग्य तक जा पहुँचा, जो कभी उसका पीछा नहीं छोड़ेगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَ الَّذِیْۤ اٰمَنَ یٰقَوْمِ اتَّبِعُوْنِ اَهْدِكُمْ سَبِیْلَ الرَّشَادِ ۟ۚ
और फ़िरऔन के परिवार के उस व्यक्ति ने अपनी जाति के लोगों को नसीहत करते हुए और उन्हें सही रास्ता दिखाते हुए कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! मेरी बात मान लो। मैं तुम्हें सच्ची एवं सीधी राह बता रहा हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یٰقَوْمِ اِنَّمَا هٰذِهِ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا مَتَاعٌ ؗ— وَّاِنَّ الْاٰخِرَةَ هِیَ دَارُ الْقَرَارِ ۟
ऐ मेरी जाति के लोगो! यह सांसारिक जीवन तो केवल दुनिया की सुख-सुविधाओं से क्षणिक लाभ उठाने का एक अवसर है। अतः, तुम दुनिया की नाशवान् वस्तुओं के धोखे में न पड़ो। और आख़िरत का घर, अपनी कभी ख़त्म न होने वाली और हमेशा बाकी रहने वाली नेमतों समेत, हमेशा रहने की जगह है। इसलिए अल्लाह की आज्ञा का पालन करके, आखिरत के लिए काम किए जाओ और सांसारिक जीवन में मग्न होकर आख़िरत की तैयारी से गाफ़िल न हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مَنْ عَمِلَ سَیِّئَةً فَلَا یُجْزٰۤی اِلَّا مِثْلَهَا ۚ— وَمَنْ عَمِلَ صَالِحًا مِّنْ ذَكَرٍ اَوْ اُ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَاُولٰٓىِٕكَ یَدْخُلُوْنَ الْجَنَّةَ یُرْزَقُوْنَ فِیْهَا بِغَیْرِ حِسَابٍ ۟
जिसने बुरा काम किया, उसे उसकेे कर्म के जैसी ही सज़ा दी जाएगी। उसे उसके कर्म से अधिक सज़ा नहीं दी जाएगी। और जो अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए अच्छा काम करेगा, वह नर हो अथवा नारी, तथा वह अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान रखने वाला भी हो, तो इन अच्छी विशेषताओं से परिपूर्ण लोग ही क़ियामत के दिन जन्नत में प्रवेश करेंगे। वहाँ अल्लाह उन्हें जन्नत के अनगिनत फलों और अपार नेमतों से लाभान्वित होने का अवसर देगा, जो कभी समाप्त नहीं होंगी।
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Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• الجدال لإبطال الحق وإحقاق الباطل خصلة ذميمة، وهي من صفات أهل الضلال.
• सत्य को ग़लत साबित करने और असत्य को सही ठहराने के लिए बहस व तकरार करना एक बुरी आदत है, जो गुमराह लोगों की विशेषता है।

• التكبر مانع من الهداية إلى الحق.
• अहंकार सत्य को स्वीकार करने से रोकता हैl

• إخفاق حيل الكفار ومكرهم لإبطال الحق.
• सत्य को ग़लत ठहराने के लिए काफ़िरों के षड्यंत्र और चालें हमेशा नाकाम रहती हैं।

• وجوب الاستعداد للآخرة، وعدم الانشغال عنها بالدنيا.
• आख़िरत की तैयारी करना और उसे भुलाकर दुनिया में व्यस्त न होना ज़रूरी है।

وَیٰقَوْمِ مَا لِیْۤ اَدْعُوْكُمْ اِلَی النَّجٰوةِ وَتَدْعُوْنَنِیْۤ اِلَی النَّارِ ۟ؕ
ऐ मेरी जाति के लोगो! क्या बात है कि मैं तुम्हें, अल्लाह पर ईमान और अच्छे कार्य के ज़रिए, दुनिया एवं आख़िरत की क्षति से मुक्ति प्राप्त करने की ओर बुला रहा हूँ और तुम मुझे अल्लाह के साथ कुफ़्र और उसकी अवज्ञा की ओर बुलाकर जहन्नम में दाखिल होने की ओर बुला रहे हो?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
تَدْعُوْنَنِیْ لِاَكْفُرَ بِاللّٰهِ وَاُشْرِكَ بِهٖ مَا لَیْسَ لِیْ بِهٖ عِلْمٌ ؗ— وَّاَنَا اَدْعُوْكُمْ اِلَی الْعَزِیْزِ الْغَفَّارِ ۟
तुम मुझे बातिल की आेर बुला रहे हो, ताकि मैं अल्लाह के साथ कुफ़्र करुँ, तथा उसके साथ ऐसी वस्तु की वंदना करुँ, जिसके वंदना के सही होने का मेरे पास कोई ज्ञान नहीं है। हालाँकि मैं तुम्हें उस अल्लाह पर ईमान लाने की ओर बुला रहा हुँ, जो ऐसा प्रभावशाली है कि कोई उसपर गालिब नहीं आ सकता तथा अपने बंदों को अति क्षमा करने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لَا جَرَمَ اَنَّمَا تَدْعُوْنَنِیْۤ اِلَیْهِ لَیْسَ لَهٗ دَعْوَةٌ فِی الدُّنْیَا وَلَا فِی الْاٰخِرَةِ وَاَنَّ مَرَدَّنَاۤ اِلَی اللّٰهِ وَاَنَّ الْمُسْرِفِیْنَ هُمْ اَصْحٰبُ النَّارِ ۟
सच्ची बात यह है कि तुम मुझे जिसे मानने और जिसकी इबादत करने को कहते हो, वह सचमुच इस लायक है ही नहीं कि उसे दुनिया एवं आख़िरत में पुकारा जाए, और वह पुकारने वाले की बात का जवाब भी नहीं दे सकता, और हम सभी को केवल अल्लाह के पास लौटकर जाना है, और कुफ़्र एवं गुनाह में पड़ने वाले लोग ही जहन्नमी हैं, जो क़ियामत के दिन हर हाल में उसमें दाख़िल होंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَسَتَذْكُرُوْنَ مَاۤ اَقُوْلُ لَكُمْ ؕ— وَاُفَوِّضُ اَمْرِیْۤ اِلَی اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بَصِیْرٌ بِالْعِبَادِ ۟
तो उन्होंने उसकी नसीहत को नकार दिया। फिर उसने कहा : तुम बहुत जल्द मेरी नसीहत को याद करोगे और उसे न मानने पर हाथ मलोगे। मैं अपने मामलों को अल्लाह के हवाले करता हुँ। वास्तव में, अल्लाह पर बंदों का कोई कर्म छिपा नहीं रहता।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَوَقٰىهُ اللّٰهُ سَیِّاٰتِ مَا مَكَرُوْا وَحَاقَ بِاٰلِ فِرْعَوْنَ سُوْٓءُ الْعَذَابِ ۟ۚ
अतः जब उन्होंने मूसा को मार डालने का निर्णय किया, तो अल्लाह ने उन्हें उनके षड्यंत्र से बचा लिया, और फ़िरऔनियों को डूबने की यातना ने घेर लिया। चुनांचे अल्लाह ने उसे और उसकी सारी सेनाओं को दुनिया में ही डूबोकर हलाक कर दिया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَلنَّارُ یُعْرَضُوْنَ عَلَیْهَا غُدُوًّا وَّعَشِیًّا ۚ— وَیَوْمَ تَقُوْمُ السَّاعَةُ ۫— اَدْخِلُوْۤا اٰلَ فِرْعَوْنَ اَشَدَّ الْعَذَابِ ۟
और वे, मरने के पश्चात अपनी क़ब्रों में प्रातः तथा संध्या अग्नी पर प्रस्तुत किए जाएँगे, तथा क़ियामत के दिन कहा जाएगाः फ़िरऔन के माननेवालों को कड़ी से कड़ी यातना में झोंक दो, क्योंकि वे काफ़िर , झुठलाने वाले तथा अल्लाह की राह से रोकने वाले थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذْ یَتَحَآجُّوْنَ فِی النَّارِ فَیَقُوْلُ الضُّعَفٰٓؤُا لِلَّذِیْنَ اسْتَكْبَرُوْۤا اِنَّا كُنَّا لَكُمْ تَبَعًا فَهَلْ اَنْتُمْ مُّغْنُوْنَ عَنَّا نَصِیْبًا مِّنَ النَّارِ ۟
(ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब जहन्नम में जाने के बाद अनुसरणकारी और उनके पेशवा आपस में झगड़ने लगेंगे। चुनांचे पीछे चलने वाले कमज़ोर लोग उन लोगों से कहेंगे, जो बड़े बने फिरते थे और जिनका वे अनुसरण किया करते थेः हम दुनिया में गुमराही में तुम्हारे अनुयायी थे, तो क्या तुम हमें अल्लाह की यातना के कुछ भाग से बचा सकते हो?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ الَّذِیْنَ اسْتَكْبَرُوْۤا اِنَّا كُلٌّ فِیْهَاۤ اِنَّ اللّٰهَ قَدْ حَكَمَ بَیْنَ الْعِبَادِ ۟
बड़े बनने वाले पेशवा कहेंगेः हम सभी लोग, क्या पेशवा और क्या अनुसरणकारी, जहन्नम में हैं। हम में से कोई किसी की यातना बाँटकर नहीं ले सकता। अल्लाह ने बंदों के बीच निर्णय कर दिया है और जो जिसका हक़दार था, उसे वह बदला दे दिया है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَ الَّذِیْنَ فِی النَّارِ لِخَزَنَةِ جَهَنَّمَ ادْعُوْا رَبَّكُمْ یُخَفِّفْ عَنَّا یَوْمًا مِّنَ الْعَذَابِ ۟
और जहन्नम की यातना में पड़े हुए लोग, अनुसरणकारी हों या पेशवा, आग से निकलने की उम्मीदें टूटने और दुनिया के जीवन की ओर वापसी से निराश होने के बाद, हजन्नम में नियुक्त फ़रिश्तों से कहेंगेः अपने पालनहार से प्रार्थना करो कि हमसे एक दिन के लिए ही सही, इस हमेशा की यातना को हल्का कर दे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• أهمية التوكل على الله.
• अल्लाह पर भरोसा करने का महत्व।

• نجاة الداعي إلى الحق من مكر أعدائه.
• सत्य की आेर बुलाने वाला अपने दुश्मनों की चालों से सुरक्षित रहता है।

• ثبوت عذاب البرزخ.
• बरज़ख की यातना का सबूत।

• تعلّق الكافرين بأي سبب يريحهم من النار ولو لمدة محدودة، وهذا لن يحصل أبدًا.
• काफ़िर लोग, कुछ देर के लिए ही सही, जहन्नम की यातना से बचाव के लिए हर उपाय करके देखेंगे। लेकिन ऐसा हो न सकेगा।

قَالُوْۤا اَوَلَمْ تَكُ تَاْتِیْكُمْ رُسُلُكُمْ بِالْبَیِّنٰتِ ؕ— قَالُوْا بَلٰی ؕ— قَالُوْا فَادْعُوْا ۚ— وَمَا دُعٰٓؤُا الْكٰفِرِیْنَ اِلَّا فِیْ ضَلٰلٍ ۟۠
जहन्नम के रक्षक काफ़िरों को उत्तर देते हुए कहेंगेः "क्या तुम्हारे पास, तुम्हारे रसूल, खुले प्रमाण लेकर नहीं आते रहे?" काफ़िर कहेंगेः "क्यों नहीं? वे हमारे पास खुले प्रमाण लेकर आया तो करते थे।" तो फ़रिश्ते काफ़िरों को फटकारते हुए कहेंगेः "तो तुम ही प्रार्थना करो। हम काफ़िरों की सिफ़ारिश नहीं करते।" दरअसल, काफ़िरों की प्रार्थना व्यर्थ ही जाएगी। क्योंकि उनके कुफ़्र के कारण वह क़बूल नहीं की जाएगी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّا لَنَنْصُرُ رُسُلَنَا وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَیَوْمَ یَقُوْمُ الْاَشْهَادُ ۟ۙ
निश्चय हम अपने रसूलों की तथा उन लोगों की जो अल्लाह अौर उसके रसूलों पर ईमान लाए, सहायता करते हैं; दुनिया उनके पक्ष को मज़बूत करके, दुश्मनों के विरुद्ध समर्थन देकर, क़ियामत के दिन उन्हें जन्नत में दाखिल करके और दुनिया में उनका विरोध करने वालों को जहन्नम में दाख़िल करके। यह सब कुछ उस समय होगा, जब नबियों, फ़रिश्तों और मोमिनों ने यह गवाही दे दी होगी कि उनके पास इस्लाम का संदेश आया था और उन्होंने उसे झुठला दिया था।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یَوْمَ لَا یَنْفَعُ الظّٰلِمِیْنَ مَعْذِرَتُهُمْ وَلَهُمُ اللَّعْنَةُ وَلَهُمْ سُوْٓءُ الدَّارِ ۟
जिस दिन, कुफ़्र तथा पाप के माध्यम से अपने ऊपर अत्याचार करने वालों को, उनके अत्याचार की सफ़ाई पेश करने से, कोई लाभ नहीं होगा। और उस दिन उन्हें अल्लाह की कृपा से धुतकार दिया जाएगा और उन्हीं के लिए आख़िरत में बुरा ठिकाना होगा, जहाँ वे दुखदायी यातना का सामना करेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَقَدْ اٰتَیْنَا مُوْسَی الْهُدٰی وَاَوْرَثْنَا بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ الْكِتٰبَ ۟ۙ
और हमने मूसा (अलैहिस्सलाम) को वह ज्ञान दिया, जिसके ज़रिए बनी इसराईल सत्य का मार्ग प्राप्त करते थे। और तौरात को बनी इसराईल के हक में एक ऐसी किताब बना दी, जिसके वे नस्ल दर नस्ल वारिस बनते रहे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
هُدًی وَّذِكْرٰی لِاُولِی الْاَلْبَابِ ۟
जो सत्य का मार्ग दिखाती थी और सही समझ-बूझ रखने वालों के हक में शिक्षा सामग्री थी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَاصْبِرْ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّاسْتَغْفِرْ لِذَنْۢبِكَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ بِالْعَشِیِّ وَالْاِبْكَارِ ۟
तो (ऐ रसूल!) आप अपनी जाति के झुठलाने और कष्ट देने पर सब्र करें। निश्चय अल्लाह ने आपको सहायता एवं समर्थन का जो वचन दिया है, वह सत्य है और उसमें कोई संदेह नहीं है। तथा अपने गुनाह की क्षमा याचना करें। और दिन के शुरू एवं अंत में अपने रब की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता बयान करें।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ الَّذِیْنَ یُجَادِلُوْنَ فِیْۤ اٰیٰتِ اللّٰهِ بِغَیْرِ سُلْطٰنٍ اَتٰىهُمْ ۙ— اِنْ فِیْ صُدُوْرِهِمْ اِلَّا كِبْرٌ مَّا هُمْ بِبَالِغِیْهِ ۚ— فَاسْتَعِذْ بِاللّٰهِ ؕ— اِنَّهٗ هُوَ السَّمِیْعُ الْبَصِیْرُ ۟
जो लोग अल्लाह की आयतों के बारे में उन्हें ग़लत साबित करने के प्रयास में, बिना किसी तर्क और प्रमाण के जो अल्लाह की ओर से उनके पास आई हो, झगड़ते हैं, उन्हें इसपर केवल सत्य पर अहंकारी और अभिमानी होने की इच्छा प्रेरित करती है। लेकिन वे सत्य पर ऊँचा और बड़ा बनने की जो इच्छा रखते हैं, उस तक हरगिज़ नहीं पहुँचेंगे। अतः (ऐ रसूल!) आप अल्लाह को मज़बूती से पकड़ लें। निःसंदेह वह अपने बंदों की बातों को सुनने वाला, उनके कर्मों को देखने वाला है। उनमें से कोई चीज़ उससे नहीं छूटती है और वह उन्हें उनपर बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لَخَلْقُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ اَكْبَرُ مِنْ خَلْقِ النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
निश्चय आकाशों तथा धरती को पैदा करना, उनकी विशालता और फैलाव के कारण, इनसान को पैदा करने से अधिक बड़ा काम है। अतः, जिसने उन दो विशाल वस्तुओं को पैदा किया, वह मुर्दों को, हिसाब-किताब और अच्छा-बुरा बदला देने के लिए, क़ब्रों से ज़िंदा करके उठाने की भी शक्ति रखता है। परन्तु, अधिकतर लोग ज्ञान ही नहीं रखते। जिसके कारण इससे सीख नहीं लेते और इसे दोबारा उठाने का प्रमाण नहीं समझते। हालाँकि यह बहुत ही स्पष्ट बात है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَا یَسْتَوِی الْاَعْمٰی وَالْبَصِیْرُ ۙ۬— وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَلَا الْمُسِیْٓءُ ؕ— قَلِیْلًا مَّا تَتَذَكَّرُوْنَ ۟
तथा अंधा और आँखों वाला बराबर नहीं होते। और जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और उसके रसूलों की पुष्टि की और अच्छे कार्य किए, वे उनके बराबर नहीं हो सकते, जो बुरे अक़ीदे और गुनाह में पड़कर बदअमली की राह पर चल पड़े हों। तुम बहुत कम ही सीख प्राप्त करते हो। क्योंकि, यदी सीख प्राप्त किए होते, तो दोनों गिरोहों के बीच अंतर से अवगत होते और उन लोगों में शामिल होते, जो अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए ईमान ले आए तथा अच्छे कर्म किए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• نصر الله لرسله وللمؤمنين سُنَّة إلهية ثابتة.
• अल्लाह का अपने रसूलों तथा मोमिनों की सहायता करना एक निश्चित ईश्वरीय सुन्नत (नियम) है।

• اعتذار الظالم يوم القيامة لا ينفعه.
• क़ियामत के दिन अत्याचारी का बहाना पेश करना उसे कोई लाभ नहीं देगा।

• أهمية الصبر في مواجهة الباطل.
• असत्य का सामना करने के लिए धैर्य का महत्व।

• دلالة خلق السماوات والأرض على البعث؛ لأن من خلق ما هو عظيم قادر على إعادة الحياة إلى ما دونه.
• आकाशों तथा धरती की पैदाइश दरअसल दोबारा जीवित होकर उठने का प्रमाण है। क्योंकि जिसने बड़ी चीज़ों को पैदा किया, वह छोटी चीज़ों में दोबारा जान डाल ही सकता है।

اِنَّ السَّاعَةَ لَاٰتِیَةٌ لَّا رَیْبَ فِیْهَا ؗ— وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
निश्चय ही वह क़ियामत, जिसमें अल्लाह मुर्दों को हिसाब-किताब तथा प्रतिकार के लिए जीवित करके उठाएगा, आने वाली है। उसमें कोई शंका या संदेह नहीं। परन्तु, अधिकतर लोग उसके आने पर ईमान (विश्वास) नहीं रखते। इसी कारण उसके लिए तैयारी नहीं करते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَ رَبُّكُمُ ادْعُوْنِیْۤ اَسْتَجِبْ لَكُمْ ؕ— اِنَّ الَّذِیْنَ یَسْتَكْبِرُوْنَ عَنْ عِبَادَتِیْ سَیَدْخُلُوْنَ جَهَنَّمَ دٰخِرِیْنَ ۟۠
और (ऐ लोगो) तुम्हारे पालनहार ने कहा है कि केवल मेरी ही वंदना करो और मुझ ही से माँगो। मैं तुम्हारी पुकार का जवाब दूँगा और तुम्हें क्षमा कर दूँगा तथा तुम पर दया करुँगा। अवश्य जो लोग अकेले मेरी इबादत (प्रार्थना) से अभिमान करेंगे, वे क़ियामत के दिन अपमानित एवं ज़लील होकर जहन्नम में दाख़िल होंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَللّٰهُ الَّذِیْ جَعَلَ لَكُمُ الَّیْلَ لِتَسْكُنُوْا فِیْهِ وَالنَّهَارَ مُبْصِرًا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَی النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَشْكُرُوْنَ ۟
अल्लाह ही ने तुम्हारे लिए रात्रि को अंधकारमय बनाया, ताकि तुम उसमें विश्राम कर सको, तथा दिन को प्रकाशमान बनाया, ताकि उसमें काम कर सको। निश्चय अल्लाह लोगों पर बड़ा अनुग्रहशील है कि उन्हें अपनी प्रकट एवं गुप्त नेमतों से नवाज़ा। किन्तु, अधिकतर लोग उसकी नेमतों का शुक्र अदा नहीं करते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْ خَالِقُ كُلِّ شَیْءٍ ۘ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؗ— فَاَنّٰی تُؤْفَكُوْنَ ۟
यही अल्लाह, जिसने अपनी नेमतों के साथ तुमपर उपकार किया है, वही हर चीज़ का पैदा करने वाला है। अतः उसके अलावा कोई दूसरा पैदा करने वाला नहीं है, और उसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं। फिर तुम उसकी इबादत छोड़कर उसके अलावा ऐसी चीज़ की इबादत की ओर कैसे फिरे जाते हो, जो किसी लाभ या हानि का मालिक नहीं है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
كَذٰلِكَ یُؤْفَكُ الَّذِیْنَ كَانُوْا بِاٰیٰتِ اللّٰهِ یَجْحَدُوْنَ ۟
जिस प्रकार यह लोग एक अल्लाह पर ईमान तथा केवल उसी की इबादत से फेर दिए गए, उसी प्रकार वह लोग भी हर युग तथा हर स्थान में बहकाए जाएँगे, जो अल्लाह के एकत्व की निशानियों का इनकार करेंगे। फिर वे सत्य मार्ग तक पहुँच नहीं पाएँगे और उन्हें सही रास्ते पर चलने की शक्ति भी नहीं दी जाएगी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَللّٰهُ الَّذِیْ جَعَلَ لَكُمُ الْاَرْضَ قَرَارًا وَّالسَّمَآءَ بِنَآءً وَّصَوَّرَكُمْ فَاَحْسَنَ صُوَرَكُمْ وَرَزَقَكُمْ مِّنَ الطَّیِّبٰتِ ؕ— ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْ ۖۚ— فَتَبٰرَكَ اللّٰهُ رَبُّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
अल्लाह ही है, जिसने धरती को (ऐ लोगो!) तुम्हारे रहने योग्य बनाया और तुम्हारे ऊपर आसमान को मज़बूत संरचना वाला बनाया, जो गिरने से सुरक्षित है। और उसने तुम्हें तुम्हारी माताओं के गर्भ में चित्रित किया, तो तुम्हारे अच्छे रूप बनाए। तथा तुम्हें हलाल और अच्छी चीज़ों से जीविका प्रदान की। जिस अस्तित्व ने तुम्हें इन नेमतों से अनुगृहीत किया है, वही अल्लाह तुम्हारा पालनहार है। अतः सभी प्राणियों का पालनहार अल्लाह बहुत बरकत वाला है। इसलिए उस महिमावान के सिवा उनका कोई पालनहार नहीं है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
هُوَ الْحَیُّ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ فَادْعُوْهُ مُخْلِصِیْنَ لَهُ الدِّیْنَ ؕ— اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
वह जीवित है, जो मरेगा नहीं। उसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं। अतः, उसी को, उसकी प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए, पुकारो; इबादत के रूप में भी और फ़रियाद के तौर भी। उसके साथ किसी मखलूक़ को शरीक न करो। सारी प्रशंसा उस अल्लाह की है, जो सारी सृष्टियों का पालनहार है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنِّیْ نُهِیْتُ اَنْ اَعْبُدَ الَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ لَمَّا جَآءَنِیَ الْبَیِّنٰتُ مِنْ رَّبِّیْ ؗ— وَاُمِرْتُ اَنْ اُسْلِمَ لِرَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
(ऐ रसूल) आप कह देंः निश्चय मुझे मेरे अल्लाह ने इस बात से मना किया है कि उन मूर्तियों की वंदना करूँ, जिनकी वंदना में तुम लगे हो, जो न नुकसान पहुँचा सकती हैं न लाभ, जबकि मेरे पास इस बात के प्रमाण आ चुके हैं कि उनकी वंदना ग़लत है। और अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है कि मैं इबादत के माध्यम से केवल उसीके आगे झुकूँ, क्योंकि वही सारी सृष्टियों का पालनहार है। उनका उसके सिवा कोई पालनहार नहीं है।
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Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• دخول الدعاء في مفهوم العبادة التي لا تصرف إلا إلى الله؛ لأن الدعاء هو عين العبادة.
• दुआ इबादत में दाख़िल है, जिसे अल्लाह के सिवा किसी और के लिए नहीं किया जा सकता। क्योंकि दुआ ही असल इबादत है।

• نعم الله تقتضي من العباد الشكر.
• अल्लाह की नेमतों का तक़ाज़ा है कि बंदे उनका शुक्र अदा करें।

• ثبوت صفة الحياة لله.
• अल्लाह के जीवित होने का सबूत।

• أهمية الإخلاص في العمل.
• कर्म में इख़लास का महत्व।

هُوَ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ مِّنْ تُرَابٍ ثُمَّ مِنْ نُّطْفَةٍ ثُمَّ مِنْ عَلَقَةٍ ثُمَّ یُخْرِجُكُمْ طِفْلًا ثُمَّ لِتَبْلُغُوْۤا اَشُدَّكُمْ ثُمَّ لِتَكُوْنُوْا شُیُوْخًا ۚ— وَمِنْكُمْ مَّنْ یُّتَوَفّٰی مِنْ قَبْلُ وَلِتَبْلُغُوْۤا اَجَلًا مُّسَمًّی وَّلَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ۟
वही है, जिसने तुमहारे बाप आदम (अलैहिस्सलाम) को मिट्टी से पैदा किया। फ़िर उसके पश्चात तम्हें वीर्य से पैदा किया। फ़िर वीर्य के बाद जमे हुए रक्त से। फिर वह तुम्हें तुम्हारी माओं के गर्भाशयों से शिशु बनाकर निकालता है। फिर तुम्हें बड़े करता है, ताकि तुम शारीरिक रूप से मज़बूती की आयु तक पहुँच जाओ। फिर तुम बूढ़े हो जाओ। और तुममें से कोई तो इससे पहले ही मर जाता है। यह इसलिए होता है, ताकि तुम उस आयु तक पहुँच जाओ, जो अल्लाह के ज्ञान में निर्धारित है, न तुम उसे घटा सकते हो न बढ़ा सकते हो। और ताकि तुम इन प्रमाणों और दलीलों से अल्लाह की शक्ति और उसके एकत्व का पता लगा सको।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
هُوَ الَّذِیْ یُحْیٖ وَیُمِیْتُ ۚ— فَاِذَا قَضٰۤی اَمْرًا فَاِنَّمَا یَقُوْلُ لَهٗ كُنْ فَیَكُوْنُ ۟۠
वही अल्लाह है जिसके हाथ में जीवित करने की शक्ति है, और उसीके हाथ में मारने की शक्ति है। अतः जब किसी कार्य का निर्णय करता है, तो उसके लिए कहता है कि 'हो जा' और वह हो जाता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَلَمْ تَرَ اِلَی الَّذِیْنَ یُجَادِلُوْنَ فِیْۤ اٰیٰتِ اللّٰهِ ؕ— اَنّٰی یُصْرَفُوْنَ ۟ۙۛ
(ऐ रसूल) क्या आपने उन लोगों को नहीं देखा, जो अल्लाह की स्पष्ट आयतों के बारे में, उन्हें झुठलाने के उद्देश्य से, झगड़ते हैं, ताकि उनके हाल पर आश्चर्य करें, जो सत्य के स्पष्ट होने के बावजूद उससे मुँह मोड़े हुए हैं?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِالْكِتٰبِ وَبِمَاۤ اَرْسَلْنَا بِهٖ رُسُلَنَا ۛ۫— فَسَوْفَ یَعْلَمُوْنَ ۟ۙ
जिन्होंने क़ुरआन को तथा उस सत्य को झुठला दिया, जिसके साथ हमने अपने रसूलों को भेजा था, तो शीघ्र ही इन झुठलाने वालों को अपने झुठलाने का परिणाम पता चल जाएगा और वे अपने बुरे अंत को देख लेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِذِ الْاَغْلٰلُ فِیْۤ اَعْنَاقِهِمْ وَالسَّلٰسِلُ ؕ— یُسْحَبُوْنَ ۟ۙ
उन्हें इसके परिणाम का ज्ञान उस समय होगा, जब तौक़ उनकी गरदनों में होंगे तथा बेड़ियाँ उनके पैरों में होंगी। यातना के फ़रिश्ते उन्हें घसीटकर ले जा रहे होंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فِی الْحَمِیْمِ ۙ۬— ثُمَّ فِی النَّارِ یُسْجَرُوْنَ ۟ۚ
उन्हें सख़्त गर्म और खौलते पानी में घसीटा जाएगा। फ़िर आग में, जलने के लिए डाल दिया जाएगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ثُمَّ قِیْلَ لَهُمْ اَیْنَ مَا كُنْتُمْ تُشْرِكُوْنَ ۟ۙ
उन्हें डाँट पिलाते हुए कहा जाएगाः कहाँ हैं तुम्हारे वह तथाकथित पुज्य, जन्हें तुम अल्लाह का साझी बनाकर उनकी वंदना करते थे?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— قَالُوْا ضَلُّوْا عَنَّا بَلْ لَّمْ نَكُنْ نَّدْعُوْا مِنْ قَبْلُ شَیْـًٔا ؕ— كَذٰلِكَ یُضِلُّ اللّٰهُ الْكٰفِرِیْنَ ۟
अल्लाह के सिवा तुम्हारी वह मूर्तियाँ, जो न कोई लाभ पहुँचा सकती हैं, न कोई हानि? काफ़िर कहेंगेः "वे हम से खो गए हैं। अतः वे हमें नज़र नहीं आ रहे। बल्कि, हम सांसार में किसी ऐसी वस्तु की वंदना नहीं करते थे, जो सही मायने में वंदनीय हो।" इसी प्रकार, अल्लाह काफ़िरों को, प्रत्येक युग तथा प्रत्येक स्थान में सत्य से गुमराह कर देता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ذٰلِكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَفْرَحُوْنَ فِی الْاَرْضِ بِغَیْرِ الْحَقِّ وَبِمَا كُنْتُمْ تَمْرَحُوْنَ ۟ۚ
और उनसे कहा जाएगा कि जो यातना तुम झेल रहे हो, उसका कारण तुम्हारा अपना शिर्क की दुनिया में मग्न रहना और इताराना है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اُدْخُلُوْۤا اَبْوَابَ جَهَنَّمَ خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ۚ— فَبِئْسَ مَثْوَی الْمُتَكَبِّرِیْنَ ۟
तो जहन्नम के द्वारों में प्रवेश कर जाओ। उसमें सदावासी रहोगे। अतः क्या ही बुरा है सत्य से अभिमान करने वालों का ठिकाना!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَاصْبِرْ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ ۚ— فَاِمَّا نُرِیَنَّكَ بَعْضَ الَّذِیْ نَعِدُهُمْ اَوْ نَتَوَفَّیَنَّكَ فَاِلَیْنَا یُرْجَعُوْنَ ۟
(ऐ रसूल) आप अपनी जाति के आत्याचार एवं झुठलाने पर धैर्य रखें। अल्लाह का यह वचन कि वह आपकी सहायता करेगा सत्य है, इसमें कोई संदेह नहीं। अगर हम आपको, आपके जीवनकाल ही में उस यातना का कुछ भाग दिखा दें, जिसका वचन हम उन्हें दे रहे हैं, जैसा कि बद्र के दिन हुआ, या उससे पहले ही आपको उठा लें, हर हाल में उन्हें हमारी ओर लौटकर आना है और हम उन्हें उनके कर्मों का बदला भी देंगे तथा जहन्नम में दाख़िल करेंगे, जहाँ उन्हें हमेशा रहना पड़ेगा।
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• التدرج في الخلق سُنَّة إلهية يتعلم منها الناس التدرج في حياتهم.
• मानव की रचना चरण दर चरण करना एक ईश्वरीय नियम है, जिससे लोग अपने जीवन में किसी कार्य को चरणबद्ध तरीक़े से करना सीखते हैं।

• قبح الفرح بالباطل.
• असत्य पर इताराना बुरा है।

• أهمية الصبر في حياة الناس، وبخاصة الدعاة منهم.
• लोगों के जीवन में धैर्य का महत्व, विशेष कर जब वे अल्लाह की ओर बुलाने वाले हों।

وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا رُسُلًا مِّنْ قَبْلِكَ مِنْهُمْ مَّنْ قَصَصْنَا عَلَیْكَ وَمِنْهُمْ مَّنْ لَّمْ نَقْصُصْ عَلَیْكَ ؕ— وَمَا كَانَ لِرَسُوْلٍ اَنْ یَّاْتِیَ بِاٰیَةٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ۚ— فَاِذَا جَآءَ اَمْرُ اللّٰهِ قُضِیَ بِالْحَقِّ وَخَسِرَ هُنَالِكَ الْمُبْطِلُوْنَ ۟۠
और हमने (ऐ रसूल!) आपसे पूर्व बहुत-से रसूलों को उनके समुदायों की ओर भेजा। पर उन्होंने रसूलों को झुठलाया और उन्हें कष्ट पहुँचाया। लेकिन उन्होंने उनके झुठलाने और कष्ट पहुँचाने पर धैर्य से काम लिया। इन रसूलों में से कुछ के समाचार तो हमने आपको बता दिए और उनमें से कुछ के समाचार हमने आपको नहीं बताए। तथा किसी रसूल के वश में यह नहीं है कि वह अपने पालनहार की ओर से उसकी इच्छा के बिना अपनी जाति के पास कोई चमत्कार ले आए। अतः काफ़िरों का अपने रसूलों को निशानियाँ (चमत्कार) लाने का सुझाव देना अन्याय है। फिर जब रसूलों और उनकी जातियों के बीच निर्णय करने का अल्लाह का आदेश आ गया, तो उनके बीच न्याय के साथ निर्णय कर दिया गया। चुनाँचे काफ़िरों को विनष्ट कर दिया गया और रसूलों को बचा लिया गया। और - बंदों के बीच निर्णय किए जाने की उस स्थिति में - झूठे लोगों ने, अपने कुफ़्र के कारण खुद को विनाश में डालकर, अपना घाटा कर लिया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَللّٰهُ الَّذِیْ جَعَلَ لَكُمُ الْاَنْعَامَ لِتَرْكَبُوْا مِنْهَا وَمِنْهَا تَاْكُلُوْنَ ۟ؗ
अल्लाह ही है, जिसने तुम्हारे लिए ऊँट, गाय तथा बकरियाँ पैदा कीं, ताकि उनमें कुछ पर तुम सवारी करो और कुछ के मांस खाओ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَكُمْ فِیْهَا مَنَافِعُ وَلِتَبْلُغُوْا عَلَیْهَا حَاجَةً فِیْ صُدُوْرِكُمْ وَعَلَیْهَا وَعَلَی الْفُلْكِ تُحْمَلُوْنَ ۟ؕ
तथा तुम्हारे लिए इन प्राणियों में अनेक प्रकार के लाभ हैं, जो प्रत्येक युग में नवीनीकृत होते रहते हैं, तथा उनके माध्यम से तुम्हारे मन की वे आवश्यकताएँ पूरी होती हैं, जो तुम चाहते हो, जिनमें से सबसे प्रमुख भूमि और समुद्र में एक जगह से दूसरी जगह जाना है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَیُرِیْكُمْ اٰیٰتِهٖ ۖۗ— فَاَیَّ اٰیٰتِ اللّٰهِ تُنْكِرُوْنَ ۟
वह पवित्र हस्ती तुम्हें अपनी क्षमता तथा एकत्व के प्रमाण दिखाता रहता है, तो तुम उसकी कौन-कौन-सी निशानियों से नज़र बचाकर चलोगे, जब तुम्हारे सामने उनका अल्लाह की निशानी होना स्पष्ट हो जाए?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَفَلَمْ یَسِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَیَنْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— كَانُوْۤا اَكْثَرَ مِنْهُمْ وَاَشَدَّ قُوَّةً وَّاٰثَارًا فِی الْاَرْضِ فَمَاۤ اَغْنٰی عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟
तो क्या ये झुठलाने वाले लोग धरती में चले-फिरे नहीं, ताकि देख लेते कि उनसे पहले झुठलाने वाली जातियों का परिणाम कैसा रहा और उससे सीख प्राप्त करते? उनसे पहले के लोग ज़्यादा धन वाले तथा ज़्यादा शक्तिशाली थे और वे धरती में अधिक चिह्न भी छोड़ गए हैं। परंतु, उनकी यह शक्ति, जिसे प्राप्त करने में वे लगे रहते थे, उस समय कुछ काम न आई, जब अल्लाह की विनाशकारी यातना आ गई।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَمَّا جَآءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ فَرِحُوْا بِمَا عِنْدَهُمْ مِّنَ الْعِلْمِ وَحَاقَ بِهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟
फिर जब उनके पास उनके रसूल खुली निशानियाँ लेकर आए, तो उन्होंने झुठला दिया और उसी ज्ञान से चिमटे रहने पर संतुष्ट हो गए, जो उनके पास था और जो रसूलों की शिक्षा के विपरीत था। चुनांचे उनपर वही यातना उतर आई, जिससे उनके रसूल उन्हें सावधान करते, तो वे उसका मज़ाक़ उड़ाने लगते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَمَّا رَاَوْا بَاْسَنَا قَالُوْۤا اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَحْدَهٗ وَكَفَرْنَا بِمَا كُنَّا بِهٖ مُشْرِكِیْنَ ۟
फ़िर जब उन्होंने हमारी यातना देख ली, तो उस समय इक़रार करने लगे, जब इकरार से कुछ लाभ होने वाला न था। बोलेः हम केवल एक अल्लाह पर ईमान लाए तथा उसके सिवा जिन बुतों एवं साझियें की वंदना करते थे, उनका इनकार कर दिया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَمْ یَكُ یَنْفَعُهُمْ اِیْمَانُهُمْ لَمَّا رَاَوْا بَاْسَنَا ؕ— سُنَّتَ اللّٰهِ الَّتِیْ قَدْ خَلَتْ فِیْ عِبَادِهٖ ۚ— وَخَسِرَ هُنَالِكَ الْكٰفِرُوْنَ ۟۠
तो हमारी यातना को उतरते हुए देखकर ईमान लाना, उनके लिए लाभदायक न हो सका। यही अल्लाह की रीति है, जो उसके बंदों के बारे में चली आ रही है कि यातना देख लेने के बाद ईमान लाने से उन्हें कुछ लाभ नहीं होने वाला। और काफ़िरों ने अपने आप को विनाश के स्थान में लाकर क्षतिग्रस्त किया , इसलिए कि उन्होंने अल्लाह के साथ कुफ़्र किया तथा यातना देखने से पूर्व क्षमा याचना नहीं की।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• لله رسل غير الذين ذكرهم الله في القرآن الكريم نؤمن بهم إجمالًا.
• पवित्र क़ुरआन में जिन नबियों का वर्णन आया है, उनके सिवा भी अल्लाह के बहुत-से रसूल हैं, जिनपर सामूहिक रूप से हमारा ईमान है।

• من نعم الله تبيينه الآيات الدالة على توحيده.
• एकेश्वरवाद को प्रमाणित करने वाली निशानियों को खोल-खोलकर बयान करना भी अल्लाह का एक उपकार है।

• خطر الفرح بالباطل وسوء عاقبته على صاحبه.
• असत्य पर ईतराने का नुकसान और उसका बुरा परिणाम।

• بطلان الإيمان عند معاينة العذاب المهلك.
• विनाश करने वाली यातना देखकर ईमान लाने का लाभकारी न होना।

 
Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Ghâfir
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Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Übersetzungen

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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