Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Vers: (18) Surah / Kapitel: Ad-Dukhân
اَنْ اَدُّوْۤا اِلَیَّ عِبَادَ اللّٰهِ ؕ— اِنِّیْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِیْنٌ ۟ۙ
मूसा ने फ़िरऔन और उसके लोगों से कहा : बनी इसराईल को मेरे लिए छोड़ दो। क्योंकि वे अल्लाह के बंदे हैं। तुम्हें उन्हें दास बनाने का कोई अधिकार नहीं है। मैं तुम्हारे लिए अल्लाह की ओर से एक रसूल बनाकर भेजा गया हूँ। उस बात के प्रति विश्वसनीय हूँ, जिसे उसने मुझे तुमको पहुँचाने का आदेश दिया है, मैं उसमें कुछ कमी या वृद्धि नहीं करता हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• نزول القرآن في ليلة القدر التي هي كثيرة الخيرات دلالة على عظم قدره.
• क़ुरआन का लैलतुल-क़द्र में अवतरित होना, जो कि बहुत अच्छाइयों वाली रात है, उसकी महानता को दर्शाता है।

• بعثة الرسل ونزول القرآن من مظاهر رحمة الله بعباده.
• रसूलों का भेजना और क़ुरआन का उतरना, अल्लाह की अपने बंदों पर दया के प्रतीकों में से है।

• رسالات الأنبياء تحرير للمستضعفين من قبضة المتكبرين.
• रसूलों के संदेश का उद्देश्य कमज़ोरों को अहंकारियों के चंगुल से मुक्त करना है।

 
Übersetzung der Bedeutungen Vers: (18) Surah / Kapitel: Ad-Dukhân
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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