Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Al-An‘âm   Vers:

सूरा अल्-अन्आम

Die Ziele der Surah:
تقرير عقيدة التوحيد والرد على ضلالات المشركين.
तौह़ीद (एकेश्वरवाद) के सिद्धांत को सिद्ध करना और बहुदेववादियों की गुमराहियों का खंडन करना।

اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَجَعَلَ الظُّلُمٰتِ وَالنُّوْرَ ؕ۬— ثُمَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْ یَعْدِلُوْنَ ۟
परम पूर्णता से विशिष्ट करना और प्रेम के साथ सर्वोच्च सद्गुणों द्वारा प्रशंसा, उस अल्लाह के लिए साबित है, जिसने बिना किसी पूर्व उदाहरण के आकाशों तथा धरती की रचना की, तथा रात और दिन की रचना की, जो एक-दूसरे के बाद आते रहते हैं। चुनाँचे उसने रात को अँधेरी और दिन को प्रकाशमान बनाया। इसके बावजूद, जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे उसके अलावा को उसके बराबर ठहराते हैं और उसे उसका साझीदार बना लेते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
هُوَ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ مِّنْ طِیْنٍ ثُمَّ قَضٰۤی اَجَلًا ؕ— وَاَجَلٌ مُّسَمًّی عِنْدَهٗ ثُمَّ اَنْتُمْ تَمْتَرُوْنَ ۟
वही महिमावान है, जिसने - ऐ लोगो! - तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, जब उसने तुम्हारे पिता आदम अलैहिस्सलाम की रचना मिट्टी से की। फिर उसने तुम्हारे इस दुनिया के जीवन में रहने के लिए एक अवधि निर्धारित की। तथा उसने एक और अवधि क़ियामत के दिन तुम्हें पुनर्जीवित करने के लिए निर्धारित की, जिसे केवल वही जानता है। फिर भी तुम उस महिमावान् के पुनर्जीवित करने की क्षमता पर संदेह करते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُوَ اللّٰهُ فِی السَّمٰوٰتِ وَفِی الْاَرْضِ ؕ— یَعْلَمُ سِرَّكُمْ وَجَهْرَكُمْ وَیَعْلَمُ مَا تَكْسِبُوْنَ ۟
आकाशों तथा धरती में वही महिमावान् सत्य पूज्य है, उससे कोई चीज़ छिपी नहीं है। वह तुम्हारे छिपे एवं खुले इरादों, बातों और कर्मों को जानता है, और वह तुम्हें उनका बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَا تَاْتِیْهِمْ مِّنْ اٰیَةٍ مِّنْ اٰیٰتِ رَبِّهِمْ اِلَّا كَانُوْا عَنْهَا مُعْرِضِیْنَ ۟
मुश्रिकों के पास उनके रब की ओर से जो भी प्रमाण आया, उन्होंने उसकी परवाह न करते हुए उसे छोड़ दिया। चुनाँचे उनके पास अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) को प्रमाणित करने वाले स्पष्ट तर्क और खुले प्रमाण आए, तथा उनके पास उसके रसूलों की सच्चाई को इंगित करने वाली निशानियाँ आईं, इसके बावजूद भी वे उनकी परवाह किए बिना उनसे विमुख हो गए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَقَدْ كَذَّبُوْا بِالْحَقِّ لَمَّا جَآءَهُمْ ؕ— فَسَوْفَ یَاْتِیْهِمْ اَنْۢبٰٓؤُا مَا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟
यदि उन्होंने उन स्पष्ट तर्कों और खुले प्रमाणों से मुँह मोड़ लिया, तो निःसंदेह वे उससे भी अधिक स्पष्ट चीज़ से मुँह मोड़ चुके हैं। क्योंकि उन्होंने उस क़ुरआन को झुठलाया है, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए। और जब वे क़ियामत के दिन यातना को देख लेंगे, तो उनकी समझ में आ जाएगा कि जिसका वे उपहास किया करते थे, वही सत्य है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَلَمْ یَرَوْا كَمْ اَهْلَكْنَا مِنْ قَبْلِهِمْ مِّنْ قَرْنٍ مَّكَّنّٰهُمْ فِی الْاَرْضِ مَا لَمْ نُمَكِّنْ لَّكُمْ وَاَرْسَلْنَا السَّمَآءَ عَلَیْهِمْ مِّدْرَارًا ۪— وَّجَعَلْنَا الْاَنْهٰرَ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهِمْ فَاَهْلَكْنٰهُمْ بِذُنُوْبِهِمْ وَاَنْشَاْنَا مِنْ بَعْدِهِمْ قَرْنًا اٰخَرِیْنَ ۟
क्या इन काफ़िरों को अत्याचारी समुदायों को नष्ट करने में अल्लाह के तरीक़े का पता नहीं?! अल्लाह ने इनसे पहले बहुत-से समुदायों को नष्ट कर दिया, जिन्हें उसने शक्ति तथा धरती पर जीवित रहने के ऐसे साधन दिए थे, जो इन काफ़िरों को नहीं दिए। तथा उनपर लगातार बारिश बरसाई और उनके लिए ऐसी नहरें प्रवाहित कीं जो उनके घरों के नीचे से बहती थीं। परंतु उन्होंने अल्लाह की अवज्ञा की, तो अल्लाह ने उनके द्वारा किए गए पापों के कारण उन्हें नष्ट कर दिया, और उनके बाद अन्य समुदायों को पैदा किया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَوْ نَزَّلْنَا عَلَیْكَ كِتٰبًا فِیْ قِرْطَاسٍ فَلَمَسُوْهُ بِاَیْدِیْهِمْ لَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ هٰذَاۤ اِلَّا سِحْرٌ مُّبِیْنٌ ۟
(ऐ रसूल!) यदि हम आपपर काग़ज़ में लिखी हुई कोई पुस्तक उतार दें और वे उसे अपनी आँखों से देख लें तथा पुस्तक को अपने हाथों से छूकर उसके बार में सुनिश्चित कर लें; तो भी वे अपने इनकार और हठ (दुराग्रह) के कारण उसपर हरगिज़ ईमान नहीं लाएँगे, और निश्चय यही कहेंगे : जो कुछ तुम लाए हो वह तो जादू के सिवा कुछ नहीं है। अतः हम उसपर कदापि ईमान नहीं लाएँगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالُوْا لَوْلَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْهِ مَلَكٌ ؕ— وَلَوْ اَنْزَلْنَا مَلَكًا لَّقُضِیَ الْاَمْرُ ثُمَّ لَا یُنْظَرُوْنَ ۟
और इन काफिरों ने कहा : यदि अल्लाह ने मुहम्मद के साथ कोई फ़रिश्ता उतारा होता, जो हमसे बात करता और गवाही देता कि वह एक रसूल हैं, तो हम अवश्य ईमान ले आते। और यदि हमने उनके चाहने के अनुसार कोई फ़रिश्ता उतारा होता, तो निश्चय हम उन्हें नष्ट कर देते यदि वे ईमान नहीं लाते, और यदि वे उतरते तो उन्हें तौबा करने का समय नहीं दिया जाता।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• شدة عناد الكافرين، وبيان إصرارهم على الكفر على الرغم من قيام الحجة عليهم بالأدلة الحسية.
• काफ़िरों का अत्यधिक हठ, तथा भौतिक प्रमाणों के साथ उनपर तर्क स्थापित हो जाने के बावजूद उनके अपने कुफ़्र पर अड़े रहने का वर्णन।

• التأمل في سنن الله تعالى في السابقين لمعرفة أسباب هلاكهم والحذر منها.
• विगत लोगों के संबंध में अल्लाह के नियमों पर विचार करना, उनके विनाश के कारणों को जानने और उनसे सावधान रहने के लिए।

• من رحمة الله بعباده أن لم ينزل لهم رسولًا من الملائكة لأنهم لا يمهلون للتوبة إذا نزل.
• अल्लाह की अपने बंदों पर यह दया है कि उसने उनके लिए फरिश्तों में से कोई रसूल नहीं उतारा, क्योंकि उसके उतरने के बाद उन्हें तौबा का अवसर नहीं दिया जाता।

وَلَوْ جَعَلْنٰهُ مَلَكًا لَّجَعَلْنٰهُ رَجُلًا وَّلَلَبَسْنَا عَلَیْهِمْ مَّا یَلْبِسُوْنَ ۟
यदि हम उनकी ओर भेजे हुए रसूल को फ़रिश्ता बनाते, तो निश्चय हम उसे मनुष्य का रूप देते, ताकि वे उसकी बात सुन सकें और उससे ग्रहण कर सकें; क्योंकि वे फ़रिश्ते के साथ ऐसा नहीं कर सकते हैं यदि वह अपने उस रूप में हो जिसपर अल्लाह ने उसे बनाया है। और यदि हम उसे किसी आदमी के रूप में बनाते, तो अवश्य उसका मामला उनके लिए संदिग्ध हो जाता।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَقَدِ اسْتُهْزِئَ بِرُسُلٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَحَاقَ بِالَّذِیْنَ سَخِرُوْا مِنْهُمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟۠
यदि ये लोग आपके साथ एक फ़रिश्ता उतारने की माँग करके उपहास करते हैं, तो निश्चय आपसे पहले कई समुदायों ने अपने रसूलों का उपहास किया था। तो उन्हें उस यातना ने घेर लिया, जिसका वे इनकार करते थे, और उससे डराए जाने पर उसका मज़ाक उड़ाते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ سِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ ثُمَّ اَنْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُكَذِّبِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन उपहास करने वाले झुठलाने वाले लोगों से कह दें : धरती में चलो-फिरो, फिर विचार करो कि अल्लाह के रसूलों को झुठलाने वालों का अंत कैसे हुआ। निश्चय उनपर अल्लाह की यातना उतरी इसके उपरांत कि वे अति शक्तिशाली और अजेय थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ لِّمَنْ مَّا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— قُلْ لِّلّٰهِ ؕ— كَتَبَ عَلٰی نَفْسِهِ الرَّحْمَةَ ؕ— لَیَجْمَعَنَّكُمْ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ لَا رَیْبَ فِیْهِ ؕ— اَلَّذِیْنَ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ فَهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) उनसे पूछिए : आकाशों तथा धरती की बादशाही और जो कुछ उन दोनों के बीच है, उसकी बादशाही किसकी है? आप कह दें : उन सब की बादशाही अल्लाह की है। उसने अपने बंदों पर अनुग्रह करते हुए अपने ऊपर दया करना लिख दिया है। इसलिए वह उन्हें यातना देने में जल्दी नहीं करता। यहाँ तक कि अगर उन्होंने तौबा नहीं की तो अल्लाह उन सभी को क़ियामत के दिन इकट्ठा करेगा, जिस दिन के बारे में कोई संदेह नहीं है। जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार कर अपने आपको घाटे में डाला, वे ईमान नहीं लाते हैं, कि ख़ुद को घाटे से बचा सकें।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَهٗ مَا سَكَنَ فِی الَّیْلِ وَالنَّهَارِ ؕ— وَهُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
रात और दिन में जो कुछ बस रहा है, सबका मालिक अकेला अल्लाह है। तथा वह उनकी बातों को सुनने वाला, उनके कर्मों को जानने वाला है और वह उन्हें उनका प्रतिफल देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اَغَیْرَ اللّٰهِ اَتَّخِذُ وَلِیًّا فَاطِرِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَهُوَ یُطْعِمُ وَلَا یُطْعَمُ ؕ— قُلْ اِنِّیْۤ اُمِرْتُ اَنْ اَكُوْنَ اَوَّلَ مَنْ اَسْلَمَ وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उन मुश्रिकों से कह दें, जो अल्लाह के साथ उसके अलावा मूर्तियों और अन्य चीज़ों की पूजा करते हैं : क्या यह बात विवेक संगत है कि मैं अल्लाह के अलावा किसी अन्य को सहायक बना लूँ, जिससे प्रेम करूँ और सहायता माँगूँ?! जबकि वह अल्लाह ही है, जिसने आकाशों और धरती को बिना किसी पूर्व उदाहरण के बनाया, चुनाँचे उससे पहले उन्हें किसी ने नहीं बनाया। तथा वही है, जो अपने बंदों में से जिसे चाहता है, जीविका प्रदान करता है। तथा उसके बंदों में से कोई भी उसे जीविका नहीं देता। क्योंकि वह अपने बंदों से बे-नियाज़ है (उसे किसी की आवश्यकता नहीं), जबकि उसके बंदे उसके ज़रूरतमंद हैं। (ऐ रसूल!) आप कह दें कि मेरे पालनहार ने मुझे आदेश दिया है कि मैं इस उम्मत में से सबसे पहले उसका आज्ञाकारी बन जाऊँ और मुझे उन लोगों में शामिल होने से रोका है, जो उसके साथ दूसरों को शरीक बनाते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنِّیْۤ اَخَافُ اِنْ عَصَیْتُ رَبِّیْ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟
(ऐ रसूल!) आप कह दें : मुझे डर है कि अगर मैं उन चीज़ों को करके जो अल्लाह ने मुझपर हराम की हैं, जैसे शिर्क इत्यादि, या उन चीज़ों को त्याग करके जिनका अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है, जैसे ईमान और आज्ञाकारिता के अन्य कार्य, अल्लाह की अवज्ञा करूँ, तो वह मुझे क़ियामत के दिन बहुत बड़ी यातना देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مَنْ یُّصْرَفْ عَنْهُ یَوْمَىِٕذٍ فَقَدْ رَحِمَهٗ ؕ— وَذٰلِكَ الْفَوْزُ الْمُبِیْنُ ۟
जिस व्यक्ति से अल्लाह क़ियामत के दिन उस यातना को दूर कर देता है, तो निश्चय वह अपने आप पर अल्लाह की दया के साथ सफल हो गया, तथा यातना से यह मुक्ति ही वह स्पष्ट सफलता है, जिसके बराबर कोई सफलता नहीं है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِنْ یَّمْسَسْكَ اللّٰهُ بِضُرٍّ فَلَا كَاشِفَ لَهٗۤ اِلَّا هُوَ ؕ— وَاِنْ یَّمْسَسْكَ بِخَیْرٍ فَهُوَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
(ऐ आदम के बेटे!) यदि अल्लाह की ओर से तुमपर कोई विपत्ति आ पड़े, तो अल्लाह के अलावा कोई भी उस विपत्ति को तुमसे टालने वाला नहीं है, और यदि उसकी ओर से तुम्हें कोई भलाई पहुँचे, तो उसके अनुग्रह को कोई हटाने वाला नहीं है। क्योंकि वह सब कुछ करने में सक्षम है, उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُوَ الْقَاهِرُ فَوْقَ عِبَادِهٖ ؕ— وَهُوَ الْحَكِیْمُ الْخَبِیْرُ ۟
वह अपने बंदों पर ग़ालिब (हावी) और उन्हें अपने अधीन रखने वाला है, हर प्रकार से उनसे ऊपर है। उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती और न कोई उसे पराजित कर सकता है। हर कोई उसके अधीन है। वह अपने बंदों के ऊपर है जैसा कि उसकी महिमा के योग्य है। वह अपनी रचना, प्रबंधन और विधान में पूर्ण हिकमत वाला, हर चीज़ की ख़बर रखने वाला है। अतः उससे कुछ भी छिपा नहीं है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• بيان حكمة الله تعالى في إرسال كل رسول من جنس من يرسل إليهم؛ ليكون أبلغ في السماع والوعي والقبول عنه.
• हर जाति की ओर उन्हीं के वर्ग से रसूल भेजने में अल्लाह की हिकमत का वर्णन; ताकि यह उसकी बात को सुनने, समझने और स्वीकार करने में अधिक परिपूर्ण एवं व्यापक हो।

• الدعوة للتأمل في أن تكرار سنن الأوّلين في العصيان قد يقابله تكرار سنن الله تعالى في العقاب.
• इस बात पर विचार करने का निमंत्रण कि अवज्ञा में पहले लोगों के चलन को दोहराने के मुक़ाबिले में सज़ा देने में अल्लाह सर्वशक्तिमान का नियम दोहराया जा सकता है।

• وجوب الخوف من المعصية ونتائجها.
• पाप और उसके परिणामों से डरने की अनिवार्यता।

• أن ما يصيب البشر من بلاء ليس له صارف إلا الله، وأن ما يصيبهم من خير فلا مانع له إلا الله، فلا رَادَّ لفضله، ولا مانع لنعمته.
• मनुष्य पर जो विपत्ति आती है, उसे अल्लाह के सिवा कोई दूर करने वाला नहीं और उन्हें जो भलाई पहुँचती है, उसे अल्लाह के सिवा कोई रोकने वाला नहीं। इस तरह न कोई अल्लाह के अनुग्रह को फेरने वाला है और न कोई उसकी नेमत को रोकने वाला है।

قُلْ اَیُّ شَیْءٍ اَكْبَرُ شَهَادَةً ؕ— قُلِ اللّٰهُ ۫— شَهِیْدٌۢ بَیْنِیْ وَبَیْنَكُمْ ۫— وَاُوْحِیَ اِلَیَّ هٰذَا الْقُرْاٰنُ لِاُنْذِرَكُمْ بِهٖ وَمَنْ بَلَغَ ؕ— اَىِٕنَّكُمْ لَتَشْهَدُوْنَ اَنَّ مَعَ اللّٰهِ اٰلِهَةً اُخْرٰی ؕ— قُلْ لَّاۤ اَشْهَدُ ۚ— قُلْ اِنَّمَا هُوَ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ وَّاِنَّنِیْ بَرِیْٓءٌ مِّمَّا تُشْرِكُوْنَ ۟ۘ
(ऐ रसूल!) आप उन मुश्रिकों से, जो आपको झुठलाते हैं, कह दें : मेरी सच्चाई की सबसे महान और सबसे बड़ी गवाही कौन-सी चीज़ है? आप कह दें कि अल्लाह मेरी सच्चाई की सबसे बड़ी गवाही और सबसे महान चीज़ है, वह मेरे और तुम्हारे बीच गवाह है, वह जानता है जो कुछ मैं तुम्हारे पास लेकर आया हूँ और तुम उसका क्या जवाब दोगे। अल्लाह ने मेरी ओर इस क़ुरआन की वह़्य की है, ताकि मैं इसके द्वारा तुम्हें डराऊँ, तथा मैं इससे उन मनुष्यों और जिन्नों को डराऊँ, जिन तक यह (क़ुरआन) पहुँचे। (ऐ मुश्रिकों!) निःसंदेह तुम मानते हो कि अल्लाह के साथ और भी पूज्य हैं। (ऐ रसूल!) आप कह दें : मैं उसकी गवाही नहीं देता, जो तुमने स्वीकारा है, क्योंकि वह असत्य है। अल्लाह तो केवल एक ही पूज्य है, जिसका कोई शरीक नहीं, तथा मैं हर उस चीज़ से बरी हूँ, जो तुम उसके साथ शरीक ठहराते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَلَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَعْرِفُوْنَهٗ كَمَا یَعْرِفُوْنَ اَبْنَآءَهُمْ ۘ— اَلَّذِیْنَ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ فَهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟۠
जिन यहूदियों को हमने तौरात दिया और जिन ईसाइयों को हमने इंजील दिया, वे पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को पूर्ण रूप से जानते हैं, जैसे वे अपने बच्चों को दूसरों के बच्चों के बीच से पहचान लेते हैं। अतः वे लोग जिन्होंने स्वयं को आग (नरक) में डालकर अपने आपको घाटे में डाला है, वे ईमान नहीं लाएँगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ كَذَّبَ بِاٰیٰتِهٖ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُفْلِحُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
जिसने अल्लाह का कोई साझी ठहराया और उसके साथ उसकी इबादत की, अथवा अल्लाह की उन आयतों को झुठलाया, जो उसने अपने रसूल पर उतारीं, उससे बड़ा अत्याचारी कोई नहीं। अल्लाह की ओर साझी की निस्बत करके और उसकी आयतों को झुठलाकर अत्याचार करने वाले लोग कभी सफल नहीं होंगे, यदि उन्होंने तौबा न की।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَیَوْمَ نَحْشُرُهُمْ جَمِیْعًا ثُمَّ نَقُوْلُ لِلَّذِیْنَ اَشْرَكُوْۤا اَیْنَ شُرَكَآؤُكُمُ الَّذِیْنَ كُنْتُمْ تَزْعُمُوْنَ ۟
और क़ियामत के दिन को याद करें, जब हम उन सबको इकट्ठा करेंगे, उनमें से किसी को भी नहीं छोड़ेंगे, फिर हम उन लोगों से जिन्होंने अल्लाह के साथ उसके अलावा की पूजा की, उन्हें फटकार लगाते हुए कहेंगे : तुम्हारे वे साझी कहाँ हैं, जिन्हें तुम झूठा दावा करते थे कि वे अल्लाह के साझी हैं?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ثُمَّ لَمْ تَكُنْ فِتْنَتُهُمْ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوْا وَاللّٰهِ رَبِّنَا مَا كُنَّا مُشْرِكِیْنَ ۟
इस परीक्षा के बाद उनका इसके सिवा कोई बहाना न होगा कि वे अपने पूज्यों से किनारा कर लेंगे और झूठ-मूठ कहेंगे : अल्लाह की क़सम! जो हमारा पालनहार है, हम दुनिया में तेरे साथ शिर्क करने वाले नहीं थे, बल्कि हम तुझपर ईमान रखने वाले, तुझे एकमात्र पूज्य मानने वाले थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اُنْظُرْ كَیْفَ كَذَبُوْا عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟
(ऐ मुहम्मद!) देखो कैसे इन लोगों ने अपने बारे में शिर्क का इनकार करके खुद से झूठ बोला, तथा ये अपने सांसारिक जीवन में अल्लाह के साथ जो साझी गढ़ा करते थे, वे इनसे ग़ायब हो गए और इन्हें असहाय छोड़ गए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّسْتَمِعُ اِلَیْكَ ۚ— وَجَعَلْنَا عَلٰی قُلُوْبِهِمْ اَكِنَّةً اَنْ یَّفْقَهُوْهُ وَفِیْۤ اٰذَانِهِمْ وَقْرًا ؕ— وَاِنْ یَّرَوْا كُلَّ اٰیَةٍ لَّا یُؤْمِنُوْا بِهَا ؕ— حَتّٰۤی اِذَا جَآءُوْكَ یُجَادِلُوْنَكَ یَقُوْلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ هٰذَاۤ اِلَّاۤ اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
ऐ रसूल! जब आप क़ुरआन पढ़ते हैं, तो मुश्रिकों में से कुछ लोग आपकी तरफ़ कान लगाकर सुनते हैं, लेकिन वे जो कुछ सुनते हैं उससे लाभ नहीं उठाते; क्योंकि हमने उनके दिलों पर, उनके हठ और उनके मुँह फेरने के कारण, परदे डाल दिए हैं, ताकि वे क़ुरआन को ना समझ सकें और हमने उनके कानों में लाभप्रद सुनवाई से बहरापन रखा है। वे चाहे कितने ही स्पष्ट प्रमाण और स्पष्ट तर्क देख लें, उनपर ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि जब वे आपके पास आते हैं, आपसे झूठ के साथ सत्य के बारे में झगड़ते हैं। वे कहते हैं : जो कुछ आप लेकर आए हैं, वह पहले लोगों की किताबों से लिया गया है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُمْ یَنْهَوْنَ عَنْهُ وَیَنْـَٔوْنَ عَنْهُ ۚ— وَاِنْ یُّهْلِكُوْنَ اِلَّاۤ اَنْفُسَهُمْ وَمَا یَشْعُرُوْنَ ۟
वे लोगों को रसूल पर ईमान लाने से मना करते हैं, और खुद भी उससे दूर रहते हैं। चुनाँचे जो व्यक्ति उससे लाभ उठाना चाहता है उसे लाभ नहीं उठाने देते और न ही वे स्वयं उससे लाभ उठाते हैं। और वे ऐसा करके केवल स्वयं को विनष्ट करते हैं। परंतु वे जानते ही नहीं कि वे जो कुछ कर रहे हैं, वह स्वयं का विनाश है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَوْ تَرٰۤی اِذْ وُقِفُوْا عَلَی النَّارِ فَقَالُوْا یٰلَیْتَنَا نُرَدُّ وَلَا نُكَذِّبَ بِاٰیٰتِ رَبِّنَا وَنَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) यदि आप देखें, जब वे क़ियामत के दिन आग पर पेश किए जाएँगे, तो वे पछताते हुए कहेंगे : ऐ काश! हम दुनिया के जीवन में लौटा दिए जाएँ और अल्लाह की आयतों को न झुठलाएँ, और हम अल्लाह पर ईमान लाने वालों में से हो जाएँ - तो आप उनकी बुरी स्थिति का आश्चर्यपूर्ण दृश्य देखेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• بيان الحكمة في إرسال النبي عليه الصلاة والسلام بالقرآن، من أجل البلاغ والبيان، وأعظم ذلك الدعوة لتوحيد الله.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को क़ुरआन के साथ भेजने की हिकमत का वर्णन, जो कि उसे पूर्ण रूप से लोगों को पहुँचाना और उसका स्पष्टीकरण एवं व्याख्या करना है, और उनमें से सबसे बड़ा अल्लाह के एकेश्वरवाद की ओर बुलाना है।

• نفي الشريك عن الله تعالى، ودحض افتراءات المشركين في هذا الخصوص.
• अल्लाह तआला से साझी का इनकार करना, और इस संबंध में बहुदेववादियों की झूठ गढ़ी हुई बातों का खंडन करना।

• بيان معرفة اليهود والنصارى للنبي عليه الصلاة والسلام، برغم جحودهم وكفرهم.
• यहूदियों और ईसाइयों के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को पहचानने का वर्णन, इसके बावजूद कि उन्होंने इनकार किया और ईमान नहीं लाए।

بَلْ بَدَا لَهُمْ مَّا كَانُوْا یُخْفُوْنَ مِنْ قَبْلُ ؕ— وَلَوْ رُدُّوْا لَعَادُوْا لِمَا نُهُوْا عَنْهُ وَاِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ۟
बात ऐसी नहीं है जो उन्होंने कही है कि यदि उन्हें वापस भेज दिया जाए, तो वे अवश्य ईमान ले आएँगे, बल्कि उनके सामने वह स्पष्ट हो गया जो वे अपने कथन : (والله ربنا ما كنا مشركين) ''अल्लाह की क़सम! जो हमारा पालनहार है, हम मुश्रिक न थे।'' से छिपा रहे थे, जब उनके अंगों ने उनके खिलाफ़ गवाही दी। और यदि मान लिया जाए कि वे दुनिया में वापस लौट गए, तो निश्चय वे उसी कुफ़्र एवं शिर्क की ओर लौटेंगे, जिससे उन्हें रोका गया है और वे अपने इस वादे में झूठे हैं कि यदि वे वापस लौट गए तो ईमान लाएँगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالُوْۤا اِنْ هِیَ اِلَّا حَیَاتُنَا الدُّنْیَا وَمَا نَحْنُ بِمَبْعُوْثِیْنَ ۟
और इन बहुदेववादियों ने कहा : इस जीवन के सिवा और कोई जीवन नहीं है, जिसमें हम रहते हैं और हम हिसाब के लिए उठाए जाने वाले नहीं हैं।
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وَلَوْ تَرٰۤی اِذْ وُقِفُوْا عَلٰی رَبِّهِمْ ؕ— قَالَ اَلَیْسَ هٰذَا بِالْحَقِّ ؕ— قَالُوْا بَلٰی وَرَبِّنَا ؕ— قَالَ فَذُوْقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُوْنَ ۟۠
और (ऐ रसूल!) यदि आप उस समय देखें, जब (मरणोपरांत) पुनर्जीवन का इनकार करने वाले अपने रब के सामने खड़े किए जाएँगे, तो आप उनकी बुरी स्थिति का आश्चर्यजनक दृश्य देखेंगे, जब अल्लाह उनसे कहेगा : क्या यह पुनर्जीवन जिसे तुम झुठलाया करते थे, एक निश्चित सत्य नहीं है, जिसमें कोई शक या संदेह नहीं?! वे कहेंगे : हम अपने उस रब की क़सम खाते हैं, जिसने हमें बनाया है, कि निःसंदेह यह एक निश्चित सत्य है, जिसमें कोई संदेह नहीं। उस समय अल्लाह उनसे कहेगा : तुम इस दिन का इनकार करने के कारण यातना का स्वाद चखो; क्योंकि तुम दुनिया के जीवन में इसे झुठलाया करते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَدْ خَسِرَ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِلِقَآءِ اللّٰهِ ؕ— حَتّٰۤی اِذَا جَآءَتْهُمُ السَّاعَةُ بَغْتَةً قَالُوْا یٰحَسْرَتَنَا عَلٰی مَا فَرَّطْنَا فِیْهَا ۙ— وَهُمْ یَحْمِلُوْنَ اَوْزَارَهُمْ عَلٰی ظُهُوْرِهِمْ ؕ— اَلَا سَآءَ مَا یَزِرُوْنَ ۟
निश्चय वे लोग घाटे में रहे, जिन्होंने क़ियामत के दिन दोबारा जीवित किए जाने को झुठलाया और अल्लाह के सामने खड़े होने को असंभव समझा, यहाँ तक कि जब बिना पूर्व ज्ञान के उनके पास अचानक क़ियामत आ पहुँचेगी, तो पछतावे की तीव्रता से कहेंगे : हाय हमारा अफसोस और हमारी निराशा! कि हमने अल्लाह के पक्ष में, उसके साथ कुफ़्र करके और क़ियामत के दिन के लिए तैयारी न करके, बड़ी कोताही की। और वे अपने पापों को अपनी पीठों पर उठाए होंगे। सुन लो! बहुत बुरा है, जो वे उन पापों का बोझ उठाएँगे।
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وَمَا الْحَیٰوةُ الدُّنْیَاۤ اِلَّا لَعِبٌ وَّلَهْوٌ ؕ— وَلَلدَّارُ الْاٰخِرَةُ خَیْرٌ لِّلَّذِیْنَ یَتَّقُوْنَ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟
इस संसार का जीवन जिसके प्रति तुम्हारा झुकाव है, उस व्यक्ति के लिए खेल-कूद और धोखे के सिवा कुछ नहीं है, जो इसमें अल्लाह को प्रसन्न करने वाला काम नहीं करता है। रही बात आख़िरत के घर की, तो यह उन लोगों के लिए बेहतर है, जो अल्लाह से डरते हैं, अतएव उसके ईमान और आज्ञाकारिता के आदेश का पालन करते हैं, तथा उसके शिर्क और अवज्ञा के निषेध से बचते हैं। तो क्या (ऐ बहुदेववादियो!) तुम इस बात को नहीं समझते?! ताकि तुम ईमान लाओ और अच्छे कर्म करो।
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قَدْ نَعْلَمُ اِنَّهٗ لَیَحْزُنُكَ الَّذِیْ یَقُوْلُوْنَ فَاِنَّهُمْ لَا یُكَذِّبُوْنَكَ وَلٰكِنَّ الظّٰلِمِیْنَ بِاٰیٰتِ اللّٰهِ یَجْحَدُوْنَ ۟
हम जानते हैं कि (ऐ रसूल!) आपको इस बात से बड़ा दुख होता है कि वे ज़ाहिरी तौर पर आपको झुठलाते हैं। इसलिए आप जान लें कि वे आपको अपने दिल से नहीं झुठलाते; क्योंकि वे आपकी सच्चाई तथा अमानत-दारी को जानते हैं। लेकिन वे अत्याचारी लोग हैं, जो बाह्य रूप से आपकी आज्ञा का खंडन करते हैं, जबकि वे अपने दिल में उसपर विश्वास करते हैं।
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وَلَقَدْ كُذِّبَتْ رُسُلٌ مِّنْ قَبْلِكَ فَصَبَرُوْا عَلٰی مَا كُذِّبُوْا وَاُوْذُوْا حَتّٰۤی اَتٰىهُمْ نَصْرُنَا ۚ— وَلَا مُبَدِّلَ لِكَلِمٰتِ اللّٰهِ ۚ— وَلَقَدْ جَآءَكَ مِنْ نَّبَاۡ الْمُرْسَلِیْنَ ۟
आप यह न समझें कि यह इनकार केवल उसी चीज़ के साथ खास है, जो आप लाए हैं। बल्कि तथ्य यह है कि आपसे पहले भी कई रसूलों को झुठलाया गया तथा उनकी क़ौम के लोगों ने उन्हें कष्ट पहुँचाया। तो उन्होंने उसका सामना, अल्लाह की ओर बुलाने और उसके रास्ते में जिहाद करने पर सब्र के साथ किया, यहाँ तक कि उनके पास अल्लाह की ओर से सहायता आ पहुँची। तथा अल्लाह ने जो विजय लिख दिया है और अपने रसूलों से उसका वादा किया है, उसे कोई बदलने वाला नहीं। और (ऐ रसूल!) आपके पास आपसे पहले रसूलों के समाचार आ चुके हैं और जिस चीज़ का उन्हें उनकी जातियों की ओर से सामना हुआ और जो अल्लाह ने उन्हें उनके दुश्मनों पर उनको विनष्ट करके विजय प्रदान किया।
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وَاِنْ كَانَ كَبُرَ عَلَیْكَ اِعْرَاضُهُمْ فَاِنِ اسْتَطَعْتَ اَنْ تَبْتَغِیَ نَفَقًا فِی الْاَرْضِ اَوْ سُلَّمًا فِی السَّمَآءِ فَتَاْتِیَهُمْ بِاٰیَةٍ ؕ— وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ لَجَمَعَهُمْ عَلَی الْهُدٰی فَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْجٰهِلِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उनके पास जो सत्य लाए हैं, यदि उससे उनका मुँह फेरना और झुठलाना आपके लिए कठिन प्रतीत हो रहा है, तो यदि आप धरती में कोई सुरंग अथवा आकाश की ओर कोई सीढ़ी तलाश करने में सक्षम हो जाएँ, फिर आप उनके पास उसके अलावा कोई तर्क और प्रमाण ले आएँ, जिसके साथ हमने आपका समर्थन किया है, तो ले आएँ। और यदि अल्लाह उन्हें उस मार्गदर्शन पर एकत्र करना चाहता, जो आप लेकर आए हैं, तो उन्हें अवश्य एकत्र कर देता। लेकिन उसने किसी व्यापक हिकमत के कारण ऐसा नहीं चाहा। इसलिए आप इस तथ्य से अनजान मत बनें, कि इस बात पर अफ़सोस करते-करते आपकी जान जाती रहे कि वे ईमान नहीं लाए।
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• من عدل الله تعالى أنه يجمع العابد والمعبود والتابع والمتبوع في عَرَصات القيامة ليشهد بعضهم على بعض.
• यह अल्लाह के न्याय में से है कि वह क़ियामत के मैदान में उपासक और उपास्य, अनुसरणकर्ता तथा जिसका अनुसरण किया गया है, सबको इकट्ठा करेगा, ताकि वे एक-दूसरे के विरुद्ध गवाही दें।

• ليس كل من يسمع القرآن ينتفع به، فربما يوجد حائل مثل ختم القلب أو الصَّمَم عن الانتفاع أو غير ذلك.
• हर कोई जो क़ुरआन सुनता है, वह उससे लाभान्वित नहीं होता है, क्योंकि लाभान्वित होने में कोई चीज़ बाधित हो सकती है, जैसे कि दिल पर मुहर लगा दिया जाना या लाभ उठाने से बहरापन, या कुछ और।

• بيان أن المشركين وإن كانوا يكذبون في الظاهر فهم يستيقنون في دواخلهم بصدق النبي عليه الصلاة والسلام.
• इस बात का वर्णन कि मुश्रिक, भले ही ज़ाहिरी तौर पर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को झुठलाते थे, परंतु वे अपने दिलों में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सच्चाई के प्रति आश्वस्त थे।

• تسلية النبي عليه الصلاة والسلام ومواساته بإعلامه أن هذا التكذيب لم يقع له وحده، بل هي طريقة المشركين في معاملة الرسل السابقين.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह बताकर सांत्वना देना कि यह इनकार अकेले उनके साथ नहीं हुआ है। बल्कि, पिछले रसूलों के साथ व्यवहार करने में बहुदेववादियों का यही तरीक़ा रहा है।

اِنَّمَا یَسْتَجِیْبُ الَّذِیْنَ یَسْمَعُوْنَ ؔؕ— وَالْمَوْتٰی یَبْعَثُهُمُ اللّٰهُ ثُمَّ اِلَیْهِ یُرْجَعُوْنَ ۟
आपकी लाई बातों को स्वीकार करते हुए केवल वही आपको उत्तर देंगे, जो लोग बात को सुनते और समझते हैं, और काफिर लोग तो मरे हुए हैं जिनका उनसे कोई लेना-देना नहीं है। क्योंकि उनके दिल मर चुके हैं। और मरे हुओं को अल्लाह क़ियामत के दिन पुनर्जीवित करके उठाएगा, फिर वे उसी अकेले की ओर लौटाए जाएँगे, ताकि वह उन्हें उनके किए का बदला दे।
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وَقَالُوْا لَوْلَا نُزِّلَ عَلَیْهِ اٰیَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ ؕ— قُلْ اِنَّ اللّٰهَ قَادِرٌ عَلٰۤی اَنْ یُّنَزِّلَ اٰیَةً وَّلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
और मुश्रिकों ने हठ दिखाते हुए और ईमान लाने में टाल-मटोल करते हुए कहा : मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर कोई चमत्कारी निशानी क्यों नहीं उतारी गई, जो उसके पालनहार की ओर से उस चीज़ में उसकी सच्चाई का प्रमाण होती, जो वह लेकर आए हैं? (ऐ रसूल!) आप कह दें : अल्लाह तआला ऐसी निशानी उतारने में सक्षम है जैसा कि वे चाहते हैं, लेकिन निशानी उतारने की माँग करने वाले इन बहुदेववादियों में से अधिकांश लोग यह नहीं जानते हैं कि निशानियों का उतारना अल्लाह की अपनी हिकमत के अनुसार होता है, न कि उनके माँग करने के अनुसार। क्योंकि यदि अल्लाह ने निशानियों को उतार दिया, फिर वे ईमान न लाए, तो अल्लाह उन्हें अवश्य विनष्ट कर देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَا مِنْ دَآبَّةٍ فِی الْاَرْضِ وَلَا طٰٓىِٕرٍ یَّطِیْرُ بِجَنَاحَیْهِ اِلَّاۤ اُمَمٌ اَمْثَالُكُمْ ؕ— مَا فَرَّطْنَا فِی الْكِتٰبِ مِنْ شَیْءٍ ثُمَّ اِلٰی رَبِّهِمْ یُحْشَرُوْنَ ۟
धरती के ऊपर चलने वाला न कोई जानवर है और न आकाश में उड़ने वाला कोई पक्षी है, परंतु सब सृष्टि और जीविका में (ऐ आदम की संतान!) तुम्हारी तरह जातियाँ हैं। हमने 'लौहे महफूज़' में कुछ भी नहीं छोड़ा परंतु उसे साबित (अंकित) कर दिया, और सबका ज्ञान अल्लाह के पास है। फिर क़ियामत के दिन वे अपने रब के पास ही फ़ैसले के लिए एकत्र किए जाएँगे, तो वह हर एक को वह प्रतिफल देगा जिसका वह हक़दार है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا صُمٌّ وَّبُكْمٌ فِی الظُّلُمٰتِ ؕ— مَنْ یَّشَاِ اللّٰهُ یُضْلِلْهُ ؕ— وَمَنْ یَّشَاْ یَجْعَلْهُ عَلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟
जिन लोगों ने हमारी आयतों (निशानियों) को झुठलाया, वे उन बहरों के समान हैं जो सुनते नहीं, और गूँगों के समान हैं जो बोलते नहीं, इसके उपरांत वे अँधेरों में पड़े हुए हैं, उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता। तो जिसकी ऐसी दशा है, वह मार्गदर्शन कैसे प्राप्त कर सकता है?! अल्लाह लोगों में से जिसे पथभ्रष्ट करना चाहता है, उसे पथभ्रष्ट कर देता है, और जिसे मार्गदर्शन प्रदान करना चाहता है, उसका मार्गदर्शन करते हुए उसे सीधे मार्ग पर लगा देता है, जिसमें कोई टेढ़ापन नहीं होता।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اَرَءَیْتَكُمْ اِنْ اَتٰىكُمْ عَذَابُ اللّٰهِ اَوْ اَتَتْكُمُ السَّاعَةُ اَغَیْرَ اللّٰهِ تَدْعُوْنَ ۚ— اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन मुश्रिकों से कह दें : मुझे बताओ यदि तुम्हारे पास अल्लाह की ओर से कोई यातना आ जाए अथवा तुमपर वह क़ियामत आ जाए, जिसका तुमसे वादा किया गया है कि वह आने वाली है; तो क्या उस समय तुम अल्लाह के सिवा किसी और को पुकारोगे, ताकि वह तुमपर आने वाली विपत्ति और संकट को दूर करे? (बताओ) यदि तुम इस दावे में सच्चे हो कि तुम्हारे पूज्य लाभ पहुँचाते हैं या नुकसान को दूर करते हैं?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
بَلْ اِیَّاهُ تَدْعُوْنَ فَیَكْشِفُ مَا تَدْعُوْنَ اِلَیْهِ اِنْ شَآءَ وَتَنْسَوْنَ مَا تُشْرِكُوْنَ ۟۠
सच तो यह है कि उस समय तुम उस अल्लाह के अलावा किसी और को नहीं पुकारोगे, जिसने तुम्हें पैदा किया है, फिर यदि वह चाहेगा तो तुम से विपत्ति को दूर कर देगा और तुम्हारी हानि को हटा देगा। क्योंकि वही उसका ज़िम्मेदार और उसे करने में सक्षम है। रही बात तुम्हारे उन पूज्यों की, जिन्हें तुमने अल्लाह के साथ साझी बनाया है, तो तुम उन्हें छोड़ दोगे; क्योंकि तुम्हें मालूम है कि उनसे न कोई लाभ होता है और न ही हानि।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَاۤ اِلٰۤی اُمَمٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَاَخَذْنٰهُمْ بِالْبَاْسَآءِ وَالضَّرَّآءِ لَعَلَّهُمْ یَتَضَرَّعُوْنَ ۟
और हमने (ऐ रसूल!) आपसे पहले कई समुदायों की ओर रसूल भेजे, लेकिन उन्होंने उन्हें झुठला दिया और वे जो कुछ उनके पास लेकर आए थे उससे मुँह फेर लिया, तो हमने उन्हें ग़रीबी जैसी कठिनाइयों के साथ, तथा बीमारी जैसी उनके शरीर को नुक़सान पहुँचाने वाली चीज़ों के साथ दंडित किया, ताकि वे अपने पालनहार के प्रति समर्पित हो जाएँ और उसके लिए विनम्र हो जाएँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَوْلَاۤ اِذْ جَآءَهُمْ بَاْسُنَا تَضَرَّعُوْا وَلٰكِنْ قَسَتْ قُلُوْبُهُمْ وَزَیَّنَ لَهُمُ الشَّیْطٰنُ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
यदि उनपर हमारी विपत्ति आने के समय, वे अल्लाह के प्रति विनम्र हो जाते और उसके अधीन हो जाते, ताकि वह उन पर से विपत्ति को दूर कर दे, तो हम अवश्य उनपर दया करते, परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया, बल्कि उनके दिल कठोर हो गए। चुनाँचे उन्होंने न सीख प्राप्त की और न उपदेश ग्रहण किया, तथा शैतान ने उनके लिए उसे सुशोभित कर दिया, जो कुफ्र तथा पाप वे किया करते थे। इसलिए वे उसी पर बने रहे जिसपर वे क़ायम थे।
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فَلَمَّا نَسُوْا مَا ذُكِّرُوْا بِهٖ فَتَحْنَا عَلَیْهِمْ اَبْوَابَ كُلِّ شَیْءٍ ؕ— حَتّٰۤی اِذَا فَرِحُوْا بِمَاۤ اُوْتُوْۤا اَخَذْنٰهُمْ بَغْتَةً فَاِذَا هُمْ مُّبْلِسُوْنَ ۟
जब उन्होंने गंभीर गरीबी तथा बीमारी के द्वारा उपदेश किए जाने को छोड़ दिया और अल्लाह के आदेशों के अनुसार काम नहीं किया, तो हमने उन्हें ढील देते हुए उनके लिए रोज़ी के द्वार खोल दिए, ग़रीबी के बाद उन्हें समृद्ध कर दिया और बीमारी के बाद उनके शरीर को स्वस्थ कर दिया, यहाँ तक कि जब वे अहंकार से ग्रस्त हो गए और उन्हें जो सुख-सुविधा प्राप्त था उसपर मगन हो गए, उनपर अचानक हमारी यातना आ गई, तो सहसा वे चकित और उस चीज़ से निराश थे, जिसकी वे आशा करते थे।
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• تشبيه الكفار بالموتى؛ لأن الحياة الحقيقية هي حياة القلب بقَبوله الحق واتباعه طريق الهداية.
• काफ़िरों की तुलना मुर्दों से करना; क्योंकि वास्तविक जीवन तो हृदय का जीवन है, जो सत्य को स्वीकार करने और हिदायत के मार्ग पर चलने से प्राप्त होता है।

• من حكمة الله تعالى في الابتلاء: إنزال البلاء على المخالفين من أجل تليين قلوبهم وردِّهم إلى ربهم.
• परीक्षा (आज़माइश) में डालने की अल्लाह की एक हिकमत : उल्लंघन करने वालों को विपत्ति से ग्रस्त करके उनके दिलों को नरम करना और उन्हें अपने पालनहार की ओर लौटाना है।

• وجود النعم والأموال بأيدي أهل الضلال لا يدل على محبة الله لهم، وإنما هو استدراج وابتلاء لهم ولغيرهم.
• पथभ्रष्ट लोगों के हाथों में नेमतों और धन की उपस्थिति, उनके लिए अल्लाह के प्रेम को नहीं दर्शाती है, बल्कि यह एक प्रलोभन तथा उनके और दूसरों के लिए परीक्षण है।

فَقُطِعَ دَابِرُ الْقَوْمِ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا ؕ— وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
काफिरों का पूरी तरह से सर्वनाश करके उनकी जड़ काट दी गई, और अल्लाह के रसूलों को विजय प्राप्त हुआ। और हर प्रकार का आभार और प्रशंसा अकेले अल्लाह के लिए है, जो सारे संसारों का रब है कि उसने अपने शत्रुओं का नाश किया और अपने दोस्तों की सहायता की।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اَرَءَیْتُمْ اِنْ اَخَذَ اللّٰهُ سَمْعَكُمْ وَاَبْصَارَكُمْ وَخَتَمَ عَلٰی قُلُوْبِكُمْ مَّنْ اِلٰهٌ غَیْرُ اللّٰهِ یَاْتِیْكُمْ بِهٖ ؕ— اُنْظُرْ كَیْفَ نُصَرِّفُ الْاٰیٰتِ ثُمَّ هُمْ یَصْدِفُوْنَ ۟
ऐ रसूल! आप इन मुश्रिकों से कह दें : मुझे बताओ कि यदि अल्लाह तुमसे सुनने की शक्ति छीनकर तुम्हें बहरा कर दे, तुम्हारी दृष्टि छीनकर तुम्हें अंधा कर दे, और तुम्हारे दिलों पर मुहर लगा दे, फिर तुम कुछ भी न समझ सको; तो कौन-सा सत्य पूज्य है, जो तुम्हें ये खोई हुई चीज़ें वापस ला दे? ऐ रसूल! ग़ौर करें कि कैसे हम इन्हें विभिन्न प्रकार के प्रमाण दिखलाते हैं, फिर ये उनसे मुँह मोड़ लेते हैं!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اَرَءَیْتَكُمْ اِنْ اَتٰىكُمْ عَذَابُ اللّٰهِ بَغْتَةً اَوْ جَهْرَةً هَلْ یُهْلَكُ اِلَّا الْقَوْمُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इनसे कह दें : मुझे बताओ कि यदि तुमपर अल्लाह की यातना तुम्हें उसका एहसास हुए बिना अचानक आ जाए, अथवा वह तुमपर खुल्लम-खुल्ला सबके देखते हुए आ जाए, तो उस यातना के शिकार केवल वही लोग होंगे, जो अल्लाह के साथ कुफ़्र करके तथा उसके रसूलों को झुठलाकर अपने ऊपर अत्याचार करने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَا نُرْسِلُ الْمُرْسَلِیْنَ اِلَّا مُبَشِّرِیْنَ وَمُنْذِرِیْنَ ۚ— فَمَنْ اٰمَنَ وَاَصْلَحَ فَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟
हम अपने रसूलों में से जिन्हें भेजते हैं, उन्हें केवल इसलिए भेजते हैं कि वे ईमान और आज्ञाकारिता वालों को उस स्थायी नेमत की शुभ सूचना दें, जो न कभी ख़त्म होगी और न बाधित होगी, एवं काफिरों तथा पापियों को हमारी कठोर यातना से डराएँ। फिर जो व्यक्ति रसूलों पर ईमान लाए और अपने कर्मों को ठीक कर ले, तो उनपर उस बारे में कोई भय नहीं, जो आख़िरत में उन्हें प्राप्त होगा और न ही वे उसपर दुखी एवं शोकग्रस्त होंगे, जो सांसारिक सुखों में से उनसे छूट गया है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا یَمَسُّهُمُ الْعَذَابُ بِمَا كَانُوْا یَفْسُقُوْنَ ۟
और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया, वे अल्लाह की आज्ञाकारिता से निकल जाने के कारण यातना से पीड़ित होंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ لَّاۤ اَقُوْلُ لَكُمْ عِنْدِیْ خَزَآىِٕنُ اللّٰهِ وَلَاۤ اَعْلَمُ الْغَیْبَ وَلَاۤ اَقُوْلُ لَكُمْ اِنِّیْ مَلَكٌ ۚ— اِنْ اَتَّبِعُ اِلَّا مَا یُوْحٰۤی اِلَیَّ ؕ— قُلْ هَلْ یَسْتَوِی الْاَعْمٰی وَالْبَصِیْرُ ؕ— اَفَلَا تَتَفَكَّرُوْنَ ۟۠
(ऐ रसूल!) आप इन मुश्रिकों से कह दें : मैं तुमसे नहीं कहता : मेरे पास अल्लाह की रोज़ी के ख़ज़ाने हैं, इसलिए मैं उन्हें अपनी इच्छानुसार ख़र्च करता हूँ। और न ही मैं तुमसे यह कहता हूँ : मुझे ग़ैब का ज्ञान है, सिवाय उस वह़्य के जिससे अल्लाह ने मुझे सूचित किया है। और न मैं तुमसे यह कहता हूँ : मैं फ़रिश्तों में से एक फ़रिश्ता हूँ। क्योंकि मैं अल्लाह का रसूल हूँ। मैं केवल उसी का अनुसरण करता हूँ, जो मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) की जाती है। मैं उसका दावा नहीं करता, जिसका मुझे अधिकार नहीं। (ऐ रसूल!) उनसे कह दें : क्या वह काफ़िर जिसकी अन्तर्दृष्टि सत्य से अंधी हो गई है, और वह मोमिन जिसने सत्य को देखा और उसपर ईमान लाया, क्या दोनों बराबर हो सकते हैं? तो क्या (ऐ मुश्रिको!) तुम अपनी बुद्धियों से अपने चारों ओर फैली हुई निशानियों पर ग़ौर नहीं करते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَنْذِرْ بِهِ الَّذِیْنَ یَخَافُوْنَ اَنْ یُّحْشَرُوْۤا اِلٰی رَبِّهِمْ لَیْسَ لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ وَلِیٌّ وَّلَا شَفِیْعٌ لَّعَلَّهُمْ یَتَّقُوْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) इस क़ुरआन के द्वारा उन लोगों को डराएँ, जो इस बात का भय रखते हैं कि वे क़ियामत के दिन अपने रब के पास एकत्र किए जाएँगे, उनके लिए अल्लाह के अलावा कोई संरक्षक नहीं होगा जो उन्हें लाभ पहुँचाए, और न कोई सिफारिश करने वाला होगा, जो उनसे हानि को दूर कर सके। ताकि वे अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरें। क्योंकि यही लोगो हैं, जो क़ुरआन से लाभान्वित होते हैं।
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وَلَا تَطْرُدِ الَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَدٰوةِ وَالْعَشِیِّ یُرِیْدُوْنَ وَجْهَهٗ ؕ— مَا عَلَیْكَ مِنْ حِسَابِهِمْ مِّنْ شَیْءٍ وَّمَا مِنْ حِسَابِكَ عَلَیْهِمْ مِّنْ شَیْءٍ فَتَطْرُدَهُمْ فَتَكُوْنَ مِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उन ग़रीब मुसलमानों को अपनी सभा से दूर न करें, जो दिन की शुरुआत और उसके अंत में हमेशा अल्लाह की उपासना में लगे रहते हैं, उसी के लिए उपासना को विशिष्ट करने वाले होते हैं। आप प्रमुख बहुदेववादियों को लुभाने के लिए उन्हें दूर मत करें। इन ग़रीबों के हिसाब में से आपपर कुछ भी नहीं है। बल्कि उनका हिसाब उनके रब के पास है। तथा आपके हिसाब में से उनपर भी कुछ नहीं है। यदि आपने उन्हें अपनी सभा से दूर किया, तो आप अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करने वालों में से होंगे।
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• الأنبياء بشر، ليس لهم من خصائص الربوبية شيء البتة، ومهمَّتهم التبليغ، فهم لا يملكون تصرفًا في الكون، فلا يعلمون الغيب، ولا يملكون خزائن رزق ونحو ذلك.
• संदेष्टा मनुष्य होते हैं। उनके पास ईश्वरत्व की कोई विशेषता बिल्कुल नहीं होती। उनका मिशन केवल अल्लाह का संदेश पहुँचाना होता है। उनका ब्रह्मांड पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। चुनाँचे वे ग़ैब (अदृश्य) को नहीं जानते और न ही वे रोज़ी के खज़ानों आदि के मालिक होते हैं।

• اهتمام الداعية بأتباعه وخاصة أولئك الضعفاء الذين لا يبتغون سوى الحق، فعليه أن يقرِّبهم، ولا يقبل أن يبعدهم إرضاء للكفار.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाले को चाहिए कि अपने अनुयायियों का ख़याल रखे, खासकर उन कमज़ोर लोगों का जो केवल सत्य की इच्छा रखते हैं। इसलिए उसे चाहिए कि उन्हें अपने क़रीब लाए, और काफ़िरों को खुश करने के लिए उन्हें दूर रखना स्वीकार न करे।

• إشارة الآية إلى أهمية العبادات التي تقع أول النهار وآخره.
• इस आयत में दिन की शुरुआत और उसके अंत में होने वाली इबादतों के महत्व की ओर संकेत है।

وَكَذٰلِكَ فَتَنَّا بَعْضَهُمْ بِبَعْضٍ لِّیَقُوْلُوْۤا اَهٰۤؤُلَآءِ مَنَّ اللّٰهُ عَلَیْهِمْ مِّنْ بَیْنِنَا ؕ— اَلَیْسَ اللّٰهُ بِاَعْلَمَ بِالشّٰكِرِیْنَ ۟
और इसी तरह हमने उनमें से कुछ का कुछ के साथ परीक्षण किया। चुनाँचे हमने उन्हें सांसारिक सुख-सुविधाओं में भिन्न-भिन्न कर दिया। हमने इसके द्वारा उनका परीक्षण किया ताकि धनवान काफ़िर, ग़रीब ईमान वालों से कहें : क्या यही ग़रीब लोग हैं, जिनपर अल्लाह ने हमारे बीच से मार्गदर्शन प्रदान किया है?! यदि ईमान अच्छा काम होता, तो वे इसमें हमसे पहल नहीं कर पाते, क्योंकि हम पहल करने वाले लोग हैं। क्या अल्लाह उन लोगों के बारे में अधिक जानने वाला नहीं है जो उसकी नेमतों के लिए आभारी हैं, इसलिए वह उन्हें ईमान का सामर्थ्य प्रदान करता है, तथा उनकी नाशुक्री करने वालों के बारे में अधिक जानने वाला नहीं है, इसलिए वह उन्हें विफल कर देता है, चुनाँचे वे ईमान नहीं लाते?! क्यों नहीं, निःसंदेह अल्लाह उन्हें सबसे अधिक जानने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذَا جَآءَكَ الَّذِیْنَ یُؤْمِنُوْنَ بِاٰیٰتِنَا فَقُلْ سَلٰمٌ عَلَیْكُمْ كَتَبَ رَبُّكُمْ عَلٰی نَفْسِهِ الرَّحْمَةَ ۙ— اَنَّهٗ مَنْ عَمِلَ مِنْكُمْ سُوْٓءًا بِجَهَالَةٍ ثُمَّ تَابَ مِنْ بَعْدِهٖ وَاَصْلَحَ ۙ— فَاَنَّهٗ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
जब (ऐ रसूल!) आपके पास वे लोग आएँ, जो हमारी उन आयतों पर ईमान रखते हैं, जो आपके लाए हुए संदेश की सच्चाई की गवाही देती हैं, तो उनके सम्मान में उन्हें सलाम कहें और उन्हें अल्लाह की दया की विशालता की खुशख़बरी दें। क्योंकि अल्लाह ने अपने अनुग्रह से दया करना अपने ऊपर अनिवार्य कर लिया है। अतः तुममें से जो कोई भी अज्ञानता और मूर्खता की स्थिति में पाप कर बैठे, फिर वह उसे करने के बाद तौबा कर ले और अपने कर्मों को सुधार ले, तो निश्चय अल्लाह उसके किए हुए पाप को क्षमा कर देगा। क्योंकि अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को क्षमा करने वाला, तथा उनपर दया करने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَكَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ وَلِتَسْتَبِیْنَ سَبِیْلُ الْمُجْرِمِیْنَ ۟۠
जिस प्रकार हमने आपके लिए वे बातें स्पष्ट कीं, जिनका उल्लेख किया गया, उसी तरह हम असत्यवादियों के खिलाफ़ अपने प्रमाणों और तर्कों को स्पष्ट रूप से वर्णन करते हैं, तथा अपराधियों के मार्ग और उनके दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए; ताकि उससे बचा जा सके और सावधान रहा जाए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنِّیْ نُهِیْتُ اَنْ اَعْبُدَ الَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— قُلْ لَّاۤ اَتَّبِعُ اَهْوَآءَكُمْ ۙ— قَدْ ضَلَلْتُ اِذًا وَّمَاۤ اَنَا مِنَ الْمُهْتَدِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप कह दें : अल्लाह ने मुझे उनकी इबादत करने से मना कर दिया है जिनकी तुम अल्लाह के अलावा पूजा करते हो। (ऐ रसूल!) आप कह दें : मैं अल्लाह के अलावा किसी और की पूजा करने में तुम्हारी इच्छाओं का पालन नहीं करता। क्योंकि अगर मैं इस बारे में तुम्हारी इच्छाओं का पालन करू, तो मैं सत्य के मार्ग से भटका हुआ हूँगा, मैं उसकी ओर मार्गदर्शन नहीं पा सकूँगा। और यही हर उस व्यक्ति का मामला है, जो अल्लाह की ओर से किसी प्रमाण के बिना अपनी इच्छा का पालन करता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنِّیْ عَلٰی بَیِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّیْ وَكَذَّبْتُمْ بِهٖ ؕ— مَا عِنْدِیْ مَا تَسْتَعْجِلُوْنَ بِهٖ ؕ— اِنِ الْحُكْمُ اِلَّا لِلّٰهِ ؕ— یَقُصُّ الْحَقَّ وَهُوَ خَیْرُ الْفٰصِلِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन मुश्रिकों से कह दें : मैं अपने रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण पर क़ायम हूँ, न कि मन की इच्छा पर। और तुमने इस प्रमाण को झुठला दिया है। मेरे पास वह यातना नहीं है, जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे हो और न ही चमत्कारी निशानियाँ जो तुमने माँगी हैं। बल्कि वह केवल अल्लाह के हाथ में है। क्योंकि निर्णय करना (जिसमें वह भी शामिल है जिसकी तुमने माँग की है) केवल अल्लाह का अधिकार है। वह सत्य कहता है और उसके द्वारा फैसला करता है। और वह महिमावान सबसे अच्छा है, जिसने सत्यवादियों और असत्यवादियों को खोलकर बयान किया और उनके बीच अंतर स्पष्ट किया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ لَّوْ اَنَّ عِنْدِیْ مَا تَسْتَعْجِلُوْنَ بِهٖ لَقُضِیَ الْاَمْرُ بَیْنِیْ وَبَیْنَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِالظّٰلِمِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : यदि मेरे पास और मेरे अधिकार में वह यातना होती जिसके लिए तुम जल्दी कर रहे हो, तो मैं उसे तुमपर अवश्य उतार देता। और उस समय मेरे और तुम्हारे बीच मामले का फैसला कर दिया जाता। (लेकिन मामला अल्लाह के अधिकार में है) और अल्लाह अत्याचारियों को अधिक जानता है कि वह उन्हें कितनी मोहलत देगा और कब उन्हें दंडित करेगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَعِنْدَهٗ مَفَاتِحُ الْغَیْبِ لَا یَعْلَمُهَاۤ اِلَّا هُوَ ؕ— وَیَعْلَمُ مَا فِی الْبَرِّ وَالْبَحْرِ ؕ— وَمَا تَسْقُطُ مِنْ وَّرَقَةٍ اِلَّا یَعْلَمُهَا وَلَا حَبَّةٍ فِیْ ظُلُمٰتِ الْاَرْضِ وَلَا رَطْبٍ وَّلَا یَابِسٍ اِلَّا فِیْ كِتٰبٍ مُّبِیْنٍ ۟
केवल अल्लाह ही के पास ग़ैब (परोक्ष) के खज़ाने हैं, जिन्हें उसके अलावा कोई और नहीं जानता। भूमि पर जो भी मख़्लूक़ात जैसे जानवर, पौधे और निर्जीव चीज़ें हैं, वह उन्हें जानता है, तथा वह जानता है जो कुछ समुद्र में जानवर, पौधे और निर्जीव चीज़ें हैं। तथा न कहीं कोई पत्ता गिरता है, और न ज़मीन में छिपा हुआ कोई दाना है, और न कोई गीली चीज़ है और न कोई सूखी चीज़, परंतु वह एक स्पष्ट पुस्तक अर्थात् 'लौह़े महफ़ूज़' में अंकित (संरक्षित) है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• الله تعالى يجعل العباد بعضهم فتنة لبعض، فتتفاوت درجاتهم في الرزق وفي الكفر والإيمان، والكفر والإيمان ليس منوطًا بسعة الرزق وضيقه.
• अल्लाह तआला बंदों को एक दूसरे के लिए एक परीक्षण बना देता है। इसलिए रोज़ी में तथा कुफ्र एवं ईमान में उनके स्तर भिन्न होते हैं। हालाँकि ईमान और कुफ्र रोज़ी के विस्तार और उसकी संकीर्णता के साथ जुड़े हुए नहीं हैं।

• من أخلاق الداعية طلاقة الوجه وإلقاء التحية والتبسط والسرور بأصحابه.
• अल्लाह के मार्ग की ओर बुलाने वाले व्यक्ति के शिष्टाचार में से अपने साथियों के साथ हँसमुख होना, सलाम करना और उनसे मिलकर प्रसन्न होना है।

• على الداعية اجتناب الأهواء في عقيدته ومنهجه وسلوكه.
• अल्लाह के मार्ग की ओर बुलाने वाले व्यक्ति को अपने ऐतिक़ाद, दृष्टिकोण और व्यवहार में इच्छाओं के पीछे चलने से बचना चाहिए।

• إثبات تفرد الله عز وجل بعلم الغيب وحده لا شريك له، وسعة علمه في ذلك، وأنه لا يفوته شيء ولا يعزب عنه من مخلوقاته شيء إلا وهو مثبت مدوَّن عنده سبحانه بأدق تفاصيله.
• इस बात को साबित करना कि ग़ैब (परोक्ष) का ज्ञान केवल अल्लाह सर्वशक्तिमान के साथ विशिष्ट है, जो अकेला है, उसका कोई साझी नहीं। तथा उसमें उसका ज्ञान बहुत विस्तृत है। उससे कोई चीज़ छूटती नहीं है और न उसकी मख़्लूक़ात में से कोई चीज़ उससे ग़ायब होती है, परंतु वह उस महिमावान के पास सबसे सटीक विवरण के साथ लिखी हुई है।

وَهُوَ الَّذِیْ یَتَوَفّٰىكُمْ بِالَّیْلِ وَیَعْلَمُ مَا جَرَحْتُمْ بِالنَّهَارِ ثُمَّ یَبْعَثُكُمْ فِیْهِ لِیُقْضٰۤی اَجَلٌ مُّسَمًّی ۚ— ثُمَّ اِلَیْهِ مَرْجِعُكُمْ ثُمَّ یُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟۠
अल्लाह ही है जो सोते समय तुम्हारी आत्माओं को अस्थायी रूप से क़ब्ज़ कर लेता है, और वह जानता है कि तुमने दिन के दौरान अपनी सक्रियता के समय क्या कमाया है। फिर वह सोते समय तुम्हारी आत्माओं को क़ब्ज़ करने के बाद दिन में तुम्हें उठा देता है ताकि तुम अपने काम कर सको, यहाँ तक कि अल्लाह के यहाँ तुम्हारे जीवन की निर्धारित अवधि समाप्त हो जाएगी। फिर क़ियामत के दिन पुनः जीवित किए जाने के उपरांत तुम्हें उसी अकेले की ओर लौटना है। फिर वह तुम्हें बताएगा जो कुछ तुम अपने दुनिया के जीवन में किया करते थे और तुम्हें उसका बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُوَ الْقَاهِرُ فَوْقَ عِبَادِهٖ وَیُرْسِلُ عَلَیْكُمْ حَفَظَةً ؕ— حَتّٰۤی اِذَا جَآءَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ تَوَفَّتْهُ رُسُلُنَا وَهُمْ لَا یُفَرِّطُوْنَ ۟
अल्लाह अपने बंदों पर ग़ालिब (हावी); उन्हें अपने अधीन रखने वाला है, हर प्रकार से उनसे ऊपर है। हर चीज़ उसके अधीनस्थ है। वह अपनी महिमा के योग्य अपने बंदों के ऊपर है। और (ऐ लोगो!) वह तुमपर सम्मानित फरिश्तों को भेजता है, जो तुम्हारे कामों को गिनकर रखते हैं यहाँ तक कि तुममें से किसी की अवधि, मृत्यु के फरिश्ते और उसके सहायकों द्वारा उसकी रूह़ क़ब्ज़ कर लेने के साथ समाप्त हो जाएगी। और वे उस काम में कोताही नहीं करते हैं जो उन्हें करने का आदेश दिया गया है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ثُمَّ رُدُّوْۤا اِلَی اللّٰهِ مَوْلٰىهُمُ الْحَقِّ ؕ— اَلَا لَهُ الْحُكْمُ ۫— وَهُوَ اَسْرَعُ الْحٰسِبِیْنَ ۟
फिर वे सभी लोग जिनके प्राण निकाल लिए गए हैं, अपने वास्तविक स्वामी अल्लाह की ओर लौटाए जाएँगे, ताकि वह उन्हें उनके कर्मों का बदला दे। उनके बीच उसी का प्रभावी फैसला और न्यायपूर्ण निर्णय है, और वही सबसे तेज़ी से तुम्हें गिनने वाला और तुम्हारे कर्मों का हिसाब रखने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ مَنْ یُّنَجِّیْكُمْ مِّنْ ظُلُمٰتِ الْبَرِّ وَالْبَحْرِ تَدْعُوْنَهٗ تَضَرُّعًا وَّخُفْیَةً ۚ— لَىِٕنْ اَنْجٰىنَا مِنْ هٰذِهٖ لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन मुश्रिकों से पूछें : तुम्हें थल और समुद्र के अँधेरों में मिलने वाले खतरों से कौन बचाता और छुटकारा देता है? तुम उसी अकेले को गिड़गिड़ाते हुए विनयपूर्वक गुप्त रूप से तथा खुले तौर पर पुकारते हो : यदि हमारा पालनहार हमें इन विपत्तियों से छुटकारा प्रदान कर दे, तो हम अवश्य अपने ऊपर उसकी नेमतों के लिए आभार प्रकट करते हुए उसके सिवा किसी और की पूजा नहीं करेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلِ اللّٰهُ یُنَجِّیْكُمْ مِّنْهَا وَمِنْ كُلِّ كَرْبٍ ثُمَّ اَنْتُمْ تُشْرِكُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) इनसे कह दें : अल्लाह ही है जो तुम्हें उससे बचाता है, तथा तुम्हें हर संकट से छुटकारा देता है। फिर तुम उसके उपरांत (भी) समृद्धि के समय उसके साथ दूसरों को साझी बनाते हो। तो जो तुम कर रहे हो उससे बड़ा अत्याचार (अन्याय) क्या है?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ هُوَ الْقَادِرُ عَلٰۤی اَنْ یَّبْعَثَ عَلَیْكُمْ عَذَابًا مِّنْ فَوْقِكُمْ اَوْ مِنْ تَحْتِ اَرْجُلِكُمْ اَوْ یَلْبِسَكُمْ شِیَعًا وَّیُذِیْقَ بَعْضَكُمْ بَاْسَ بَعْضٍ ؕ— اُنْظُرْ كَیْفَ نُصَرِّفُ الْاٰیٰتِ لَعَلَّهُمْ یَفْقَهُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इनसे कह दें : अल्लाह ही इस बात का सामर्थ्य रखता है कि तुमपर ऐसी यातना भेज दे, जो पत्थर, वज्र और बाढ़ की तरह तुम्हारे पास तुम्हारे ऊपर से आए, या वह तुम्हारे पास तुम्हारे नीचे से आए जैसे भूकंप और धरती में धंसना, या वह तुम्हारे दिलों में द्वन्द्व (असहमति) पैदा कर दे, तो तुममें से हर व्यक्ति अपनी इच्छा का पालन करने लगे, फिर तुम एक-दूसरे से लड़ने लगो। (ऐ पैग़ंबर!) ग़ौर कीजिए कैसे हम उनके लिए प्रमाणों और सबूतों में विविधता लाते हैं और उन्हें स्पष्ट करते हैं ताकि वे समझ सकें कि जो कुछ आप लाए हैं, वह सच है और जो उनके पास है वह झूठा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَكَذَّبَ بِهٖ قَوْمُكَ وَهُوَ الْحَقُّ ؕ— قُلْ لَّسْتُ عَلَیْكُمْ بِوَكِیْلٍ ۟ؕ
आपकी जाति ने इस क़ुरआन को झुठला दिया, हालाँकि वह सत्य है जिसके अल्लाह की ओर से होने में कोई संदेह नहीं। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : मुझे तुम्हारी निगरानी रखने का काम नहीं सौंपा गया है। मैं तो केवल तुम्हें एक कठोर यातना से पहले डराने वाला हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لِكُلِّ نَبَاٍ مُّسْتَقَرٌّ ؗ— وَّسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ۟
हर सूचना का एक समय है, जिसमें वह स्थिर हो जाता है और एक अंत है, जहाँ वह समाप्त हो जाता है, और इसी में से तुम्हारे अंजाम और परिणाम की सूचना है। इसलिए जब तुम क़ियामत के दिन उठाए जाओगे, तुम्हें उसका पता चल जाएगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذَا رَاَیْتَ الَّذِیْنَ یَخُوْضُوْنَ فِیْۤ اٰیٰتِنَا فَاَعْرِضْ عَنْهُمْ حَتّٰی یَخُوْضُوْا فِیْ حَدِیْثٍ غَیْرِهٖ ؕ— وَاِمَّا یُنْسِیَنَّكَ الشَّیْطٰنُ فَلَا تَقْعُدْ بَعْدَ الذِّكْرٰی مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ ۟
जब (ऐ रसूल!) आप मुश्रिकों को देखें कि वे हमारी आयतों के विषय में व्यंग्य और उपहास के साथ बात करते हैं, तो आप उनसे दूर रहें यहाँ तक कि वे हमारी आयतों के उपहास और व्यंग्य से मुक्त बातचीत में लग जाएँ। यदि शैतान आपको भुला दे और आप उनके साथ बैठ जाएँ, फिर आपको याद आ जाए, तो उनकी सभा को छोड़ दें और इन ज़्यादती करने वालों के साथ न बैठें।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• إثبات أن النومَ موتٌ، وأن الأرواح تُقْبض فيه، ثم تُرَد عند الاستيقاظ.
• यह साबित करना कि नींद मृत्यु है, और यह कि उसमें आत्माएँ निकाल ली जाती हैं, फिर जागने पर लौटा दी जाती हैं।

• الاستدلال على استحقاق الله تعالى للألوهية بدليل الفطرة، فإن أهل الكفر يؤمنون بالله تعالى ويرجعون لفطرتهم عند الاضطرار والوقوع في المهالك، فيسألون الله تعالى وحده.
• फितरत (प्रकृति) के प्रमाण के साथ अल्लाह के उलूहियत (एकमात्र पूज्य होने) का हक़दार होने पर तर्क स्थापित करना। क्योंकि काफिर लोग अल्लाह पर ईमान रखते हैं और मजबूर होने तथा संकटों में पड़ने पर अपनी फितरत की ओर लौट आते हैं। इसलिए वे केवल सर्वशक्तिमान अल्लाह ही से प्रश्न करते हैं।

• إلزام المشركين بمقتضى سلوكهم، وإقامة الدليل على انقلاب فطرتهم، بكونهم يستغيثون بالله وحده في البحر عند الشدة، ويشركون به حين يسلمهم وينجيهم إلى البر.
• मुश्रिकों को उनके व्यवहार के अनुसार बाध्य करना, और उनकी फ़ितरत (प्रकृति) के उलट होने का प्रमाण स्थापित करना, क्योंकि वे समुद्र में संकट में घिरने पर केवल अल्लाह से मदद माँगते हैं, परंतु जब अल्लाह उन्हें बचा लेता है और सुरक्षित थल पर पहुँचा देता है, तो उसके साथ शिर्क करने लगते हैं।

• عدم جواز الجلوس في مجالس أهل الباطل واللغو، ومفارقتُهم، وعدم العودة لهم إلا في حال إقلاعهم عن ذلك.
• झूठ और बेकार की बातें करने वालों की सभा में बैठने की अवैधता, तथा उनसे अलग हो जाना चाहिए और जब तक वे उसे छोड़ न दें, तब तक उनके पास नहीं लौटना चाहिए।

وَمَا عَلَی الَّذِیْنَ یَتَّقُوْنَ مِنْ حِسَابِهِمْ مِّنْ شَیْءٍ وَّلٰكِنْ ذِكْرٰی لَعَلَّهُمْ یَتَّقُوْنَ ۟
जो लोग अल्लाह के आदेशों का पालन करने और उसके निषेधों से बचने के द्वारा उससे डरते हैं, उनके ज़िम्मे इन अत्याचारियों के हिसाब में से कोई चीज़ नहीं है। बल्कि उनकी ज़िम्मेदारी केवल उन्हें उन बुराइयों से रोकना है जो वे करते हैं, ताकि उनके हृदय में अल्लाह का डर पैदा हो जाए, फिर वे अल्लाह के आदेशों का पालन करें और उसके निषेधों से बचें।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَذَرِ الَّذِیْنَ اتَّخَذُوْا دِیْنَهُمْ لَعِبًا وَّلَهْوًا وَّغَرَّتْهُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا وَذَكِّرْ بِهٖۤ اَنْ تُبْسَلَ نَفْسٌ بِمَا كَسَبَتْ ۖۗ— لَیْسَ لَهَا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلِیٌّ وَّلَا شَفِیْعٌ ۚ— وَاِنْ تَعْدِلْ كُلَّ عَدْلٍ لَّا یُؤْخَذْ مِنْهَا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ اُبْسِلُوْا بِمَا كَسَبُوْا ۚ— لَهُمْ شَرَابٌ مِّنْ حَمِیْمٍ وَّعَذَابٌ اَلِیْمٌ بِمَا كَانُوْا یَكْفُرُوْنَ ۟۠
और ऐ रसूल! इन मुश्रिकों को छोड़ दें, जिन्होंने अपने धर्म को खेल-कूद और मनोरंजन बना लिया कि वे उसका मज़ाक उड़ाते और उपहास करते हैं, और इस दुनिया के जीवन ने उन्हें अपने नश्वर सुखों के साथ धोखे में डाल रखा है। (ऐ नबी!) क़ुरआन के साथ लोगों को उपदेश दें ताकि कोई भी प्राणी अपनी कमाई हुई बुराइयों के कारण विनाश की ओर न जाए, उसके लिए मदद माँगने के लिए अल्लाह के अलावा कोई सहयोगी न हो, और क़ियामत के दिन उससे अल्लाह की यातना को रोकने के लिए कोई सिफ़ारिश करने वाला न हो। तथा यदि वह कोई भी छुड़ौती देकर अल्लाह की यातना से छुटकारा लेना चाहे, तो वह उससे स्वीकार नहीं की जाएगी। यही लोग हैं, जो अपने पापों के कारण अपने आपके विनाश के हवाले कर दिए गए। उन्हें क़ियामत के दिन उनके कुफ़्र के कारण अत्यंत गरम पेय पिलाया जाएगा और दर्दनाक यातना दी जाएगी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اَنَدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا یَنْفَعُنَا وَلَا یَضُرُّنَا وَنُرَدُّ عَلٰۤی اَعْقَابِنَا بَعْدَ اِذْ هَدٰىنَا اللّٰهُ كَالَّذِی اسْتَهْوَتْهُ الشَّیٰطِیْنُ فِی الْاَرْضِ حَیْرَانَ ۪— لَهٗۤ اَصْحٰبٌ یَّدْعُوْنَهٗۤ اِلَی الْهُدَی ائْتِنَا ؕ— قُلْ اِنَّ هُدَی اللّٰهِ هُوَ الْهُدٰی ؕ— وَاُمِرْنَا لِنُسْلِمَ لِرَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
ऐ रसूल! आप इन मुश्रिकों से कह दें : क्या हम अल्लाह को छोड़कर ऐसी मूर्तियों की पूजा करने लगें, जो न किसी लाभ की मालिक हैं, कि हमें लाभ पहुँचाए और न किसी नुक़सान की मालिक हैं, कि हमें नुक़सान पहुँचा सकें। और हम ईमान से फिर जाएँ इसके बाद कि अल्लाह ने हमें उसका सामर्थ्य प्रदान किया है। फिर हम उस व्यक्ति के समान हो जाएँ, जिसे शैतानों ने पथभ्रष्ट करके चकित छोड़ दिया, उसे कोई रास्ता नहीं मिल रहा, तथा सीधे मार्ग पर उसके कुछ साथी हैं जो उसे सत्य की ओर बुलाते हैं, परंतु वह उनके बुलावे को स्वीकार करने से इनकार करता है। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : अल्लाह का मार्गदर्शन ही सच्चा मार्गदर्शन है, और अल्लाह ने हमें आदेश दिया है कि हम उसके आगे झुक जाएँ, उसी को एकमात्र पूज्य मानें और उसी अकेले की इबादत करें, क्योंकि वही सारे संसारों का रब है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَنْ اَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَاتَّقُوْهُ ؕ— وَهُوَ الَّذِیْۤ اِلَیْهِ تُحْشَرُوْنَ ۟
उसने हमें सबसे उत्तम तरीक़े से नमाज़ स्थापित करने का आदेश दिया है, तथा उसने हमें अल्लाह के आदेशों का पालन करते हुए और उसके निषेधों से बचते हुए तक़वा अपनाने का आदेश दिया है, क्योंकि वही अकेला है जिसकी ओर क़ियामत के दिन सारे बंदे एकत्र किए जाएँगे, ताकि वह उन्हें उनके कर्मों का बदला दे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُوَ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّ ؕ— وَیَوْمَ یَقُوْلُ كُنْ فَیَكُوْنُ ؕ۬— قَوْلُهُ الْحَقُّ ؕ— وَلَهُ الْمُلْكُ یَوْمَ یُنْفَخُ فِی الصُّوْرِ ؕ— عٰلِمُ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ ؕ— وَهُوَ الْحَكِیْمُ الْخَبِیْرُ ۟
उसी महिमावान ने आकाशों तथा धरती को सत्य के साथ पैदा किया, (तथा उस दिन को याद करो) जिस दिन अल्लाह किसी वस्तु से कहेगा 'हो जा', तो वह हो जाएगी। जब वह क़ियामत के दिन कहेगा : उठ खड़े हो, तो सबके सब उठ खड़े होंगे। उसकी बात सत्य है, जो अनिवार्य रूप से होकर रहेगी और क़ियामत के दिन अकेले उसी महिमावान का राज्य होगा, जब इसराफील नरसिंघा में दूसरी बार फूँकेंगे। वह परोक्ष तथा प्रत्यक्ष का ज्ञानी है और वह अपनी रचना तथा प्रबंधन में हिकमत वाला है, हर चीज़ की ख़बर रखने वाला है, जिससे कोई भी चीज़ छिपी नहीं है। अतः उसके लिए, चीजों के अंदरूनी हिस्से उनके प्रत्यक्ष हिस्सों के समान हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• الداعية إلى الله تعالى ليس مسؤولًا عن محاسبة أحد، بل هو مسؤول عن التبليغ والتذكير.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाला केवल अल्लाह के संदेश को पहुँचाने तथा स्मरण कराने का ज़िम्मेदार है, किसी का हिसाब लेने का ज़िम्मेदार नहीं है।

• الوعظ من أعظم وسائل إيقاظ الغافلين والمستكبرين.
• उपदेश करना, लापरवाहों और अहंकारियों को जगाने का सबसे बड़ा साधन है।

• من دلائل التوحيد: أن من لا يملك نفعًا ولا ضرًّا ولا تصرفًا، هو بالضرورة لا يستحق أن يكون إلهًا معبودًا.
• तौहीद (एकेश्वरवाद) के प्रमाणों में से एक यह है कि : जो कोई लाभ, या हानि, या हेरफेर करने का अधिकार न रखता हो, वह आवश्यक रूप से पूज्य होने के योग्य नहीं है।

وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهِیْمُ لِاَبِیْهِ اٰزَرَ اَتَتَّخِذُ اَصْنَامًا اٰلِهَةً ۚ— اِنِّیْۤ اَرٰىكَ وَقَوْمَكَ فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
और (ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब इबराहीम अलैहिस्सलाम ने अपने मुश्रिक पिता आज़र से कहा : ऐ मेरे पिता जी! क्या आप मूर्तियों को पूज्य बनाकर अल्लाह के अलावा उनकी पूजा करते हैं?! मैं आपको और आपकी जाति के लोगों को, जो मूर्तियों की पूजा करने वाले हैं, तुम्हारे अल्लाह के अलावा की पूजा करने के कारण सत्य के मार्ग से खुली गुमराही और भ्रम में देखता हूँ। क्योंकि वही महिमावान अकेला सत्य पूज्य है और उसके सिवा दूसरे असत्य पूज्य हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَكَذٰلِكَ نُرِیْۤ اِبْرٰهِیْمَ مَلَكُوْتَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلِیَكُوْنَ مِنَ الْمُوْقِنِیْنَ ۟
जिस प्रकार हमने उन्हें उनके पिता तथा उनकी जाति की पथभ्रष्टता दिखाई, वैसे ही हम उन्हें आकाशों और धरती का विशाल राज्य दिखाते हैं; ताकि वह उस विशाल राज्य से अल्लाह की एकता और उसी अकेले के एकमात्र इबादत के योग्य होने पर प्रमाण प्रस्तुत करें; ताकि उन्हें परिपूर्ण विश्वास हो जाए कि अल्लाह एक है, उसका कोई साझी नहीं, और यह कि वह हर चीज़ करने में सक्षम है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَمَّا جَنَّ عَلَیْهِ الَّیْلُ رَاٰ كَوْكَبًا ۚ— قَالَ هٰذَا رَبِّیْ ۚ— فَلَمَّاۤ اَفَلَ قَالَ لَاۤ اُحِبُّ الْاٰفِلِیْنَ ۟
जब उनपर रात अंधेरी हो गई, तो उन्होंने एक तारा देखा। कहने लगे : यह मेरा रब है। फिर जब तारा ग़ायब हो गया, तो उन्होंने कहा : मैं ग़ायब होने वाले को पसंद नहीं करता। क्योंकि सच्चा पूज्य मौजूद रहने वाला होता है, ग़ायब नहीं होता।
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فَلَمَّا رَاَ الْقَمَرَ بَازِغًا قَالَ هٰذَا رَبِّیْ ۚ— فَلَمَّاۤ اَفَلَ قَالَ لَىِٕنْ لَّمْ یَهْدِنِیْ رَبِّیْ لَاَكُوْنَنَّ مِنَ الْقَوْمِ الضَّآلِّیْنَ ۟
जब उन्होंने चाँद को उगते देखा, तो कहा : यह मेरा रब है। फिर जब वह ग़ायब हो गया, तो उन्होंने कहा : यदि अल्लाह ने मुझे अपने एकेश्वरवाद और एकमात्र अपनी इबादत की तौफीक़ न दी, तो निश्चय मैं उन लोगों में से हो जाऊँगा, जो उसके सत्य धर्म से दूर हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَمَّا رَاَ الشَّمْسَ بَازِغَةً قَالَ هٰذَا رَبِّیْ هٰذَاۤ اَكْبَرُ ۚ— فَلَمَّاۤ اَفَلَتْ قَالَ یٰقَوْمِ اِنِّیْ بَرِیْٓءٌ مِّمَّا تُشْرِكُوْنَ ۟
जब उन्होंने सूरज को उगते हुए देखा, तो कहा : यह उगने वाला (सूरज) मेरा रब है। यह उगने वाला, तारे और चाँद से बड़ा है। लेकिन जब वह भी ग़ायब हो गया, तो कहने लगे : ऐ मेरी जाति के लोगो! मैं उससे बरी हूँ, जो तुम अल्लाह के साथ शरीक ठहराते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنِّیْ وَجَّهْتُ وَجْهِیَ لِلَّذِیْ فَطَرَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ حَنِیْفًا وَّمَاۤ اَنَا مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟ۚ
मैंने अपने धर्म (धार्मिकता) को उस अस्तित्व के लिए विशुद्ध कर दिया, जिसने बिना किसी पूर्व उदाहरण के आकाशों तथा धरती की रचना की है, शिर्क से विमुख होकर शुद्ध एकेश्वरवाद की ओर रुख करते हुए, तथा मैं उन बहुदेववादियों में से नहीं हूँ, जो अल्लाह के साथ उसके अलावा की पूजा करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَحَآجَّهٗ قَوْمُهٗ ؕ— قَالَ اَتُحَآجُّوْٓنِّیْ فِی اللّٰهِ وَقَدْ هَدٰىنِ ؕ— وَلَاۤ اَخَافُ مَا تُشْرِكُوْنَ بِهٖۤ اِلَّاۤ اَنْ یَّشَآءَ رَبِّیْ شَیْـًٔا ؕ— وَسِعَ رَبِّیْ كُلَّ شَیْءٍ عِلْمًا ؕ— اَفَلَا تَتَذَكَّرُوْنَ ۟
और उनकी मुश्रिक जाति ने अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) के बारे में उनके साथ झगड़ा किया और उन्हें अपनी मूर्तियों से डराया, तो इबराहीम अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : क्या तुम मुझसे अल्लाह के एकेश्वरवाद और एकमात्र उसी की इबादत करने के बारे में झगड़ते हो, हालाँकि मेरे पालनहार ने मुझे इसकी तौफ़ीक़ दी है, तथा मैं तुम्हारी मूर्तियों से नहीं डरता, क्योंकि वे न किसी हानि की मालिक हैं कि मुझे हानि पहुँचा सकें और न किसी लाभ की मालिक हैं कि मुझे लाभ पहुँचा सकें, सिवाय इसके कि अल्लाह चाहे। क्योंकि अल्लाह जो चाहे वह होकर रहने वाला है। और अल्लाह के हर चीज़ को जानने के साथ, धरती पर या आकाश में कुछ भी उससे छिपा नहीं है। तो क्या (ऐ मेरी जाति के लोगो!) तुम यह नहीं सोचते कि तुम अल्लाह के साथ कुफ़्र और शिर्क में पड़े हो, कि तुम अकेले अल्लाह पर ईमान ले आओ?!
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وَكَیْفَ اَخَافُ مَاۤ اَشْرَكْتُمْ وَلَا تَخَافُوْنَ اَنَّكُمْ اَشْرَكْتُمْ بِاللّٰهِ مَا لَمْ یُنَزِّلْ بِهٖ عَلَیْكُمْ سُلْطٰنًا ؕ— فَاَیُّ الْفَرِیْقَیْنِ اَحَقُّ بِالْاَمْنِ ۚ— اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟ۘ
मैं उन मूर्तियों से कैसे डर सकता हूँ, जिनकी तुम अल्लाह के अलावा पूजा करते हो, जबकि तुम्हें अल्लाह के साथ शिर्क करते हुए डर नहीं लगता, जब तुम बिना किसी प्रमाण के अल्लाह के साथ उन चीज़ों को साझी बनाते हो जिन्हें उसने पैदा किया है?! तो दोनों दलों अर्थात् : एकेश्वरवादियों के दल और बहुदेववादियों के दल में से : कौन-सा दल शांति और सुरक्षा के अधिक योग्य है? यदि तुम उनमें से अधिक योग्य को जानते हो, तो उसका अनुसरण करो। और उनमें से अधिक योग्य - बिना किसी संदेह के - एकेश्वरवादी मोमिनों का दल है।
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• الاستدلال على الربوبية بالنظر في المخلوقات منهج قرآني.
• सृष्टियों पर विचार करके, अल्लाह के रब होने पर तर्क स्थापित करना एक क़ुरआनी तरीक़ा है।

• الدلائل العقلية الصريحة توصل إلى ربوبية الله.
• स्पष्ट तर्कसिद्ध साक्ष्य अल्लाह के ईश्वरत्व (को स्वीकारने) की ओर ले जाते हैं।

اَلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَلَمْ یَلْبِسُوْۤا اِیْمَانَهُمْ بِظُلْمٍ اُولٰٓىِٕكَ لَهُمُ الْاَمْنُ وَهُمْ مُّهْتَدُوْنَ ۟۠
जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए तथा उसके बनाए हुए नियमों का पालन किया, और अपने ईमान के साथ शिर्क की मिलावट नहीं की, वही लोग सफल हैं, उन्हें उनके पालनहार ने हिदायत के मार्ग पर चलने की तौफ़ीक दी है।
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وَتِلْكَ حُجَّتُنَاۤ اٰتَیْنٰهَاۤ اِبْرٰهِیْمَ عَلٰی قَوْمِهٖ ؕ— نَرْفَعُ دَرَجٰتٍ مَّنْ نَّشَآءُ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ حَكِیْمٌ عَلِیْمٌ ۟
यह तर्क, अर्थात् अल्लाह का कथन : ( ... فَأَيُّ الْفَرِيقَيْنِ أَحَقُّ بِالْأَمْنِ) ''तो दोनों पक्षों में से कौन सुरक्षा के अधिक योग्य है।'', जिसके द्वारा इबराहीम ने अपनी जाति को पराजित किया, यहाँ तक कि उनका तर्क समाप्त हो गया, यही हमारा तर्क है, जिसकी हमने उन्हें अपनी जाति के साथ बहस करने के लिए तौफ़ीक़ दी और उन्हें वह प्रदान किया। हम दुनिया तथा आख़िरत में अपने बंदों में से जिसे चाहते हैं, पदों में ऊँचा कर देते हैं। (ऐ रसूल!) आपका पालनहार अपनी रचना और प्रबंधन में पूर्ण हिकमत वाला, अपने बंदों को जानने वाला है।
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وَوَهَبْنَا لَهٗۤ اِسْحٰقَ وَیَعْقُوْبَ ؕ— كُلًّا هَدَیْنَا ۚ— وَنُوْحًا هَدَیْنَا مِنْ قَبْلُ وَمِنْ ذُرِّیَّتِهٖ دَاوٗدَ وَسُلَیْمٰنَ وَاَیُّوْبَ وَیُوْسُفَ وَمُوْسٰی وَهٰرُوْنَ ؕ— وَكَذٰلِكَ نَجْزِی الْمُحْسِنِیْنَ ۟ۙ
हमने इबराहीम को बेटे के रूप में इसहाक़ तथा पोते के रूप में याक़ूब प्रदान किए और उन दोनों में से हर एक को सीधा मार्ग दिखाया, तथा हमने उनसे पहले नूह़ को हिदयात की तौफ़ीक़ दी और नूह के वंश में से दाऊद और उनके पुत्र सुलैमान, अय्यूब, यूसुफ़, मूसा तथा उनके भाई हारून अलैहिमुस्सलाम को भी सीधे मार्ग पर चलने की तौफीक़ दी। और जिस प्रकार हमने नबियों को उनके अच्छे कर्म का बदला दिया, उसी प्रकार हम अच्छे कर्म करने वालों को उनके अच्छे कर्म का बदला देते हैं।
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وَزَكَرِیَّا وَیَحْیٰی وَعِیْسٰی وَاِلْیَاسَ ؕ— كُلٌّ مِّنَ الصّٰلِحِیْنَ ۟ۙ
और इसी प्रकार हमने ज़करिया, यह़्या, ईसा बिन मरयम और इलयास अलैहिमुस्सलाम को भी सीधे मार्ग की तौफ़ीक़ दी। और ये सभी ईश्दूत सदाचारियों में से थे, जिन्हें अल्लाह ने रसूलों के रूप में चुन लिया था।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِسْمٰعِیْلَ وَالْیَسَعَ وَیُوْنُسَ وَلُوْطًا ؕ— وَكُلًّا فَضَّلْنَا عَلَی الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
और इसी प्रकार हमने इसमाईल, अल-यसअ, यूनुस तथा लूत अलैहिमुस्सलाम को तौफ़ीक़ दी, और इन सभी नबियों को, जिनमें सबसे ऊपर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं, (उनके समय के) समस्त लोगों पर श्रेष्ठता प्रदान की।
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وَمِنْ اٰبَآىِٕهِمْ وَذُرِّیّٰتِهِمْ وَاِخْوَانِهِمْ ۚ— وَاجْتَبَیْنٰهُمْ وَهَدَیْنٰهُمْ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟
हमने उनके कुछ पिताओं, उनकी कुछ संतानों तथा उनके कुछ भाइयों को अपनी इच्छा के अनुसार तौफ़ीक़ दी और उन्हें चुन लिया तथा उन्हें उस सीधे मार्ग पर चलने का सामर्थ्य प्रदान किया, जो कि अल्लाह के एकेश्वरवाद और उसकी आज्ञाकारिता का मार्ग है।
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ذٰلِكَ هُدَی اللّٰهِ یَهْدِیْ بِهٖ مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖ ؕ— وَلَوْ اَشْرَكُوْا لَحَبِطَ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
यह तौफ़ीक़ (सफलता) जो उन्हें प्राप्त हुई, यह अल्लाह की तौफ़ीक़ है। वह अपने बंदों में से जिसे चाहता है तौफ़ीक़ देता है। और यदि ये लोग अल्लाह के साथ उसके अलावा को साझी बनाते, तो उनका कार्य व्यर्थ (अमान्य) हो जाता; क्योंकि शिर्क नेक कार्य को नष्ट (अमान्य) कर देने वाला है।
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اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ وَالْحُكْمَ وَالنُّبُوَّةَ ۚ— فَاِنْ یَّكْفُرْ بِهَا هٰۤؤُلَآءِ فَقَدْ وَكَّلْنَا بِهَا قَوْمًا لَّیْسُوْا بِهَا بِكٰفِرِیْنَ ۟
ये उपर्युक्त नबी गण ही वे लोग हैं, जिन्हें हमने किताबें प्रदान कीं, उन्हें हिकमत प्रदान की तथा उन्हें नुबुव्वत (पैगंबरी) प्रदान की। यदि आपकी जाति उसका इनकार करे, जो हमने इन्हें इन तीन चीज़ों में से प्रदान किया है, तो हमने उनके लिए ऐसे लोगों को तैयार कर रखा है, जो इनका इनकार करने वाले नहीं हैं, बल्कि वे इनपर ईमान लाने वाले और मज़बूती से उनका पालन करने वाले हैं। और वे मुहाजिर एवं अनसार तथा वे लोग हैं, जो क़ियामत के दिन तक अच्छे ढंग से उनका अनुसरण करने वाले हैं।
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اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ هَدَی اللّٰهُ فَبِهُدٰىهُمُ اقْتَدِهْ ؕ— قُلْ لَّاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ اَجْرًا ؕ— اِنْ هُوَ اِلَّا ذِكْرٰی لِلْعٰلَمِیْنَ ۟۠
ये नबी गण तथा उनके साथ जिनका ज़िक्र हुआ, जैसे उनके पिता, उनके बेटे और उनके भाई, वही वास्तव में मार्गदर्शन पाने वाले हैं। इसलिए आप उनका अनुसरण करें और उन्हें अपना आदर्श बनाएँ। और (ऐ रसूल!) आप अपनी जाति से कह दें : मैं तुमसे इस क़ुरआन को पहुँचाने का कोई बदला नहीं माँगता। क्योंकि क़ुरआन मानवजाति और जिन्नों के लिए उसके द्वारा सीधे रास्ते और सही मार्ग पर मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए एक उपदेश के अलावा और कुछ नहीं है।
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• من فضائل التوحيد أنه يضمن الأمن للعبد، خاصة في الآخرة حين يفزع الناس.
• तौहीद (एकेश्वरवाद) के गुणों में से एक यह है कि वह बंदे के लिए सुरक्षा व शांति की गारंटी देती है, खासकर परलोक में जब लोग भयभीत होंगे।

• تُقَرِّر الآيات أن جميع من سبق من الأنبياء إنما بَلَّغوا دعوتهم بتوفيق الله تعالى لا بقدرتهم.
• ये आयतें प्रमाणित करती हैं कि पिछले सभी नबियों ने केवल सर्वशक्तिमान अल्लाह की मदद से अपने संदेश को पहुँचाया, न कि अपनी क्षमता से।

• الأنبياء يشتركون جميعًا في الدعوة إلى توحيد الله تعالى مع اختلاف بينهم في تفاصيل التشريع.
• सभी नबी गण अल्लाह सर्वशक्तिमान की तौहीद (एकेश्वरवाद) की ओर बुलाने में समान हैं, जबकि विधान के विवरण में उनके बीच अंतर पाया जाता है।

• الاقتداء بالأنبياء سنة محمودة، وخاصة في أصول التوحيد.
• नबियों का अनुसरण करना एक प्रशंसनीय तरीक़ा (पद्धति) है, विशेष रूप से एकेश्वरवाद के सिद्धांतों में।

وَمَا قَدَرُوا اللّٰهَ حَقَّ قَدْرِهٖۤ اِذْ قَالُوْا مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ عَلٰی بَشَرٍ مِّنْ شَیْءٍ ؕ— قُلْ مَنْ اَنْزَلَ الْكِتٰبَ الَّذِیْ جَآءَ بِهٖ مُوْسٰی نُوْرًا وَّهُدًی لِّلنَّاسِ تَجْعَلُوْنَهٗ قَرَاطِیْسَ تُبْدُوْنَهَا وَتُخْفُوْنَ كَثِیْرًا ۚ— وَعُلِّمْتُمْ مَّا لَمْ تَعْلَمُوْۤا اَنْتُمْ وَلَاۤ اٰبَآؤُكُمْ ؕ— قُلِ اللّٰهُ ۙ— ثُمَّ ذَرْهُمْ فِیْ خَوْضِهِمْ یَلْعَبُوْنَ ۟
मुश्रिकों ने अल्लाह का उसकी महिमा के योग्य सम्मान नहीं किया, जब उन्होंने अपने नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कहा कि अल्लाह ने किसी इनसान पर कोई वह़्य नहीं उतारी। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : मूसा पर तौरात किसने उतारी, जो उनकी जाति के लिए प्रकाश, मार्गदर्शन तथा निर्देश पर आधारित थी?! जिसे यहूदी पत्रों में संचय करते हैं, उनमें से वे केवल उन्हीं बातों को ज़ाहिर करते हैं, जो उनकी इच्छाओं के अनुसार होती हैं, और जो उनके विपरीत होती हैं, उन्हें छिपाते हैं, जैसे कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का वर्णन। और (ऐ अरब वासियो!) तुम्हें क़ुरआन से वे बातें सिखाई गई हैं, जो न तो तुम और न तुम्हारे पूर्वज पहले से जानते थे। (ऐ रसूल!) उनसे कह दें कि उसे अल्लाह ने उतारा है। फिर उन्हें उनकी अज्ञानता और पथभ्रष्टता में छोड़ दें, मज़ाक़ उड़ाएँ और ठट्ठा करें यहाँ तक कि उनके पास निश्चितता (अर्थात् मौत) आ जाए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهٰذَا كِتٰبٌ اَنْزَلْنٰهُ مُبٰرَكٌ مُّصَدِّقُ الَّذِیْ بَیْنَ یَدَیْهِ وَلِتُنْذِرَ اُمَّ الْقُرٰی وَمَنْ حَوْلَهَا ؕ— وَالَّذِیْنَ یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ یُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَهُمْ عَلٰی صَلَاتِهِمْ یُحَافِظُوْنَ ۟
यह क़ुरआन एक पुस्तक है, जिसे हमने (ऐ नबी!) आपपर उतारा है। यह एक बरकत वाली किताब है, जो अपने से पूर्व उरतने वाली आसमानी किताबों की पुष्टि करने वाली है। ताकि आप इसके साथ मक्का के लोगों और धरती के पूर्व और पश्चिम के सभी लोगों को सचेत करें ताकि उन्हें मार्गदर्शन प्राप्त हो। तथा जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते हैं, वे इस क़ुरआन पर ईमान लाते हैं, उसकी शिक्षाओं पर अमल करते हैं और अपनी नमाज़ की, उसके अरकान (स्तंभों), फ़राइज़ (दायित्वों) और मुसतह़ब्बात (वांछनीय चीज़ों) को शरीयत द्वारा निर्धारित समय पर स्थापित करके, रक्षा करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ قَالَ اُوْحِیَ اِلَیَّ وَلَمْ یُوْحَ اِلَیْهِ شَیْءٌ وَّمَنْ قَالَ سَاُنْزِلُ مِثْلَ مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ ؕ— وَلَوْ تَرٰۤی اِذِ الظّٰلِمُوْنَ فِیْ غَمَرٰتِ الْمَوْتِ وَالْمَلٰٓىِٕكَةُ بَاسِطُوْۤا اَیْدِیْهِمْ ۚ— اَخْرِجُوْۤا اَنْفُسَكُمْ ؕ— اَلْیَوْمَ تُجْزَوْنَ عَذَابَ الْهُوْنِ بِمَا كُنْتُمْ تَقُوْلُوْنَ عَلَی اللّٰهِ غَیْرَ الْحَقِّ وَكُنْتُمْ عَنْ اٰیٰتِهٖ تَسْتَكْبِرُوْنَ ۟
उससे बड़ा अत्याचारी कोई नहीं, जिसने यह कहते हुए अल्लाह के विरुद्ध झूठ गढ़ा कि : अल्लाह ने किसी मनुष्य पर कोई चीज़ नहीं उतारी। या उसने झूठ कहा : अल्लाह ने उसकी ओर वह़्य की है, जबकि अल्लाह ने उसकी ओर कोई वह़्य नहीं भेजी। या उसने यह कहा : अल्लाह ने जो क़ुरआन उतारा है, मैं भी वैसा ही उतार दूँगा। और काश! (ऐ रसूल!) आप उस समय को देखें, जब ये अत्याचारी लोग मौत की पीड़ा से ग्रस्त होते हैं और फ़रिश्ते प्रताड़ना और मार-पीट के साथ उनकी ओर हाथ बढ़ाए होते हैं, उन्हें डाँटते हुए कहते हैं : अपने प्राण निकालो, क्योंकि हम उन्हें क़ब्ज़ करने वाले हैं। आज के दिन तुम्हें ऐसी यातना दी जाएगी, जो तुम्हें अपमानित और तिरस्कृत कर देगी। इसका कारण यह है कि तुम नुबुव्वत, वह़्य और अल्लाह की उतारी हुई किताब की तरह उतारने का दावा करके अल्लाह पर झूठ गढ़ते थे, तथा इस कारण कि तुम अल्लाह की आयतों पर ईमान लाने से अहंकार करते थे। (ऐ नबी!) यदि आप यह दृश्य देखें, तो आपको एक भयानक चीज़ दिखाई देगी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَقَدْ جِئْتُمُوْنَا فُرَادٰی كَمَا خَلَقْنٰكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍ وَّتَرَكْتُمْ مَّا خَوَّلْنٰكُمْ وَرَآءَ ظُهُوْرِكُمْ ۚ— وَمَا نَرٰی مَعَكُمْ شُفَعَآءَكُمُ الَّذِیْنَ زَعَمْتُمْ اَنَّهُمْ فِیْكُمْ شُرَكٰٓؤُا ؕ— لَقَدْ تَّقَطَّعَ بَیْنَكُمْ وَضَلَّ عَنْكُمْ مَّا كُنْتُمْ تَزْعُمُوْنَ ۟۠
(मरने के बाद) दोबारा उठाए जाने के दिन उनसे कहा जाएगा : आज के दिन तुम हमारे पास अकेले आए हो, न तो तुम्हारे पास धन है और न ही सरदारी। जैसे हमने तुम्हें पहली बार नंगे पाँव, नंगे शरीर और खतनारहित पैदा किया था। और जो कुछ हमने तुम्हें दिया था, वह तुमने अपनी इच्छा के विरुद्ध संसार में छोड़ दिया। और हम आज तुम्हारे साथ तुम्हारे उन पूज्यों को नहीं देखते हैं, जिन्हें तुमने अपने लिए मध्यस्थ (सिफारिशी) होने का दावा किया था, तथा तुमने दावा किया था कि वे इबादत के योग्य होने में अल्लाह के साझी हैं। निश्चय तुम्हारे बीच का संबंध टूट गया, तथा जो कुछ तुम उनकी सिफारिश का दावा करते थे और यह कि वे अल्लाह के साझी हैं, वह (भ्रम) तुमसे दूर हो गया।
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• إنزال الكتب على الأنبياء هو سُنَّة الله في المرسلين، والنبي عليه الصلاة والسلام واحد منهم.
• नबियों पर पुस्तकें उतारना पैग़ंबरों के बारे में अल्लाह का तरीक़ा रहा है, और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उनमें से एक हैं।

• أعظم الناس كذبًا وفرية هو الذي يكذب على الله تعالى، فينسب أو ينفي ويثبت في حق الله تعالى أمرًا ليس عليه دليل صحيح.
• सबसे बड़ा झूठा और आरोपक वह व्यक्ति है, जो अल्लाह के बारे में झूठ बोलता है। चुनाँचे वह अल्लाह की ओर कोई ऐसी बात मनसूब करता, या उसके संबंध में कोई ऐसी बात साबित करता या इनकार करता है, जिसका कोई सही प्रमाण नहीं है।

• كل أحد يبعث يوم القيامة فردًا متجردًا عن المناصب والألقاب، فقيرًا، ويحاسب وحده.
• क़ियामत के दिन प्रत्येक व्यक्ति अकेला, पदों और उपाधियों से रहित, एक ग़रीब आदमी की तरह उठाया जाएगा, और अकेले ही उसका हिसाब लिया जाएगा।

اِنَّ اللّٰهَ فَالِقُ الْحَبِّ وَالنَّوٰی ؕ— یُخْرِجُ الْحَیَّ مِنَ الْمَیِّتِ وَمُخْرِجُ الْمَیِّتِ مِنَ الْحَیِّ ؕ— ذٰلِكُمُ اللّٰهُ فَاَنّٰی تُؤْفَكُوْنَ ۟
निःसंदेह केवल अल्लाह ही है जो दाने को फाड़ता है, तो उससे फसलें निकलती हैं, तथा गुठली को फाड़ता है, तो उससे पेड़ निकलते हैं, जैसे खजूर के पेड़,अंगूर आदि। वह सजीव को निर्जीव से निकालता है; जैसे मनुष्य और बाकी जानदार को वीर्य से निकालता है। तथा निर्जीव को सजीव से निकालता है; जैसे वीर्य को मनुष्य से तथा अंडे को मुर्गी से निकालता है। यह सब जो करता है, वही अल्लाह है जिसने तुम्हें पैदा किया है। फिर (ऐ मुश्रिको!) तुम सत्य से कैसे फेर दिए जाते हो, जबकि तुम अल्लाह की अद्भुत रचना का मुशाहदा करते हो?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَالِقُ الْاِصْبَاحِ ۚ— وَجَعَلَ الَّیْلَ سَكَنًا وَّالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ حُسْبَانًا ؕ— ذٰلِكَ تَقْدِیْرُ الْعَزِیْزِ الْعَلِیْمِ ۟
वही महिमावान और सर्वशक्तिमान (अल्लाह) है, जो रात के अंधेरे से सुबह के प्रकाश को फाड़ निकालता है, और वही है जिसने रात को लोगों के आराम करने का स्थान बनाया जिसमें वे आजीविका की तलाश में गतिविधि से स्थिर हो जाते हैं; ताकि वे दिन में उसकी खोज में अपनी थकान से आराम करें। तथा वही है जिसने सूरज और चाँद को एक पूर्वनिर्धारित गणना के अनुसार चलाया। यह उल्लिखित अद्भुत रचना उस प्रभुत्वशाली अस्तित्व का निर्धारित किया हुआ है, जिसे कोई पराजित नहीं कर सकता, वह अपनी रचना के बारे में और उनके हितों को जानने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُوَ الَّذِیْ جَعَلَ لَكُمُ النُّجُوْمَ لِتَهْتَدُوْا بِهَا فِیْ ظُلُمٰتِ الْبَرِّ وَالْبَحْرِ ؕ— قَدْ فَصَّلْنَا الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّعْلَمُوْنَ ۟
वही महिमावान और सर्वशक्तिमान (अल्लाह) है, जिसने (ऐ आदम की संतान!) तुम्हारे लिए आकाश में तारे बनाए, ताकि तुम अपनी यात्राओं में मार्ग पा सको यदि थल और समुद्र में तुमपर रास्ता संदिग्ध हो जाए। निश्चय हमने अपनी क्षमता को दर्शाने वाले प्रमाणों और सबूतों को उन लोगों के लिए स्पष्ट कर दिए हैं, जो उनपर विचार करते हैं, फिर उनसे लाभ उठाते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُوَ الَّذِیْۤ اَنْشَاَكُمْ مِّنْ نَّفْسٍ وَّاحِدَةٍ فَمُسْتَقَرٌّ وَّمُسْتَوْدَعٌ ؕ— قَدْ فَصَّلْنَا الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّفْقَهُوْنَ ۟
वही महिमावान और सर्वशक्तिमान (अल्लाह) है, जिसने तुम्हें एक आत्मा से पैदा किया जो तुम्हारे पिता आदम की आत्मा है। क्योंकि उसने तुम्हारी रचना का आरंभ तुम्हारे पिता आदम को मिट्टी से पैदा करके किया, फिर उनसे तुम्हें पैदा किया। तथा तुम्हारे लिए ठहरने का स्थान बनाया, जैसे तुम्हारी माँओं के गर्भ और तुम्हारे सौंपे जाने की जगह बनाई, जैसे तुम्हारे बापों की पीठ। हमने आयतों (निशानियों) को उन लोगों के लिए स्पष्ट कर दिया है जो अल्लाह की वाणी को समझते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُوَ الَّذِیْۤ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً ۚ— فَاَخْرَجْنَا بِهٖ نَبَاتَ كُلِّ شَیْءٍ فَاَخْرَجْنَا مِنْهُ خَضِرًا نُّخْرِجُ مِنْهُ حَبًّا مُّتَرَاكِبًا ۚ— وَمِنَ النَّخْلِ مِنْ طَلْعِهَا قِنْوَانٌ دَانِیَةٌ ۙ— وَّجَنّٰتٍ مِّنْ اَعْنَابٍ وَّالزَّیْتُوْنَ وَالرُّمَّانَ مُشْتَبِهًا وَّغَیْرَ مُتَشَابِهٍ ؕ— اُنْظُرُوْۤا اِلٰی ثَمَرِهٖۤ اِذَاۤ اَثْمَرَ وَیَنْعِهٖ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكُمْ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟
वही महिमावान और सर्वशक्तिमान (अल्लाह) है, जिसने आकाश से बारिश का पानी उतारा, तो हमने उसके द्वारा हर प्रकार के पौधे उगाए। फिर हमने पौधे से फसल तथा हरे-भरे वृक्ष निकाले, जिसमें से हम तह-ब-तह चढ़े हुए दाने निकालते हैं, जैसे कि बालियों में होता है। तथा खजूर के गाभे से निकलने वाले उसके गुच्छे पास ही होते हैं, जिन्हें खड़ा हुआ और बैठा हुआ व्यक्ति तोड़ सकता है। और हमने अंगूर के बाग़ निकाले, तथा ज़ैतून और अनार निकाले, जिनके पत्ते एक जैसे और फल भिन्न-भिन्न होते हैं। (ऐ लोगो!) उसके फल को देखो, जब वह पहली बार प्रकट होता है, और जब वह पकता है। निःसंदेह इसमें अल्लाह पर ईमान रखने वाले लोगों के लिए अल्लाह की शक्ति के स्पष्ट प्रमाण हैं। क्योंकि वही लोग इन प्रमाणों और सबूतों से लाभ उठाते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَآءَ الْجِنَّ وَخَلَقَهُمْ وَخَرَقُوْا لَهٗ بَنِیْنَ وَبَنٰتٍ بِغَیْرِ عِلْمٍ ؕ— سُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰی عَمَّا یَصِفُوْنَ ۟۠
मुश्रिकों ने जिन्नों को इबादत में अल्लाह का साझीदार बना लिया, जब उन्होंने यह मान लिया कि वे लाभ और हानि पहुँचाते हैं। जबकि अल्लाह ही ने उन्हें बनाया है, उसके अलावा किसी और ने उन्हें नहीं बनाया। इसलिए वही इस बात का अधिक योग्य है कि उसकी इबादत की जाए। तथा उन्होंने (अल्लाह के लिए) बेटे गढ़ लिए, जैसा कि यहूदियों ने उज़ैर के साथ और ईसाइयों ने ईसा के साथ किया। और बेटियाँ गढ़ लीं, जैसा कि मुश्रिकों ने फरिश्तों के साथ किया। अल्लाह तआला उससे बहुत पवित्र और सर्वोच्च है, जो झूठे लोग उसके बारे में वर्णन करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
بَدِیْعُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— اَنّٰی یَكُوْنُ لَهٗ وَلَدٌ وَّلَمْ تَكُنْ لَّهٗ صَاحِبَةٌ ؕ— وَخَلَقَ كُلَّ شَیْءٍ ۚ— وَهُوَ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟
वही महिमावान और सर्वशक्तिमान आकाशों तथा धरती को बिना किसी पूर्व उदाहरण के बनाने वाला है। उसकी संतान कैसे होगी, जबकि उसकी कोई पत्नी ही नहीं?! तथा उसी ने सब कुछ पैदा किया है और वह हर चीज़ का ज्ञान रखने वाला है, कोई चीज़ उससे छिपी नहीं है।
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• الاستدلال ببرهان الخلق والرزق (تخليق النبات ونموه وتحول شكله وحجمه ونزول المطر) وببرهان الحركة (حركة الأفلاك وانتظام سيرها وانضباطها)؛ وكلاهما ظاهر مشاهَد - على انفراد الله سبحانه وتعالى بالربوبية واستحقاق الألوهية.
• पैदा करने और रोज़ी प्रदान करने के प्रमाण (पौधे को पैदा करना, उसका बढ़ना, उसके रूप तथा आकार का बदलना, बारिश का बरसना) तथा गति के प्रमाण (खगोलीय पिंडों की गति, उनकी नियमितता और अनुशासन); और ये दोनों स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं - इनके द्वारा अल्लाह के अकेले रब होने और एकमात्र इबादत के हक़दार होने पर तर्क स्थापित करना।

• بيان ضلال وسخف عقول المشركين في عبادتهم للجن.
• जिन्नों की पूजा करने में मुश्रिकों की पथभ्रष्टता और मूर्खता का वर्णन।

ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْ ۚ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— خَالِقُ كُلِّ شَیْءٍ فَاعْبُدُوْهُ ۚ— وَهُوَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ وَّكِیْلٌ ۟
(ऐ लोगो!) यह अल्लाह, जो इन गुणों से विशेषित हैं, वही तुम्हारा रब है। अतः उसके अलावा तुम्हारा कोई रब नहीं, और न ही उसके अलावा कोई सच्चा पूज्य है। तथा वही हर चीज़ का अविष्कारक है। इसलिए केवल उसी की इबादत करो। क्योंकि वही इबादत के योग्य है और वह हर चीज़ का संरक्षक है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لَا تُدْرِكُهُ الْاَبْصَارُ ؗ— وَهُوَ یُدْرِكُ الْاَبْصَارَ ۚ— وَهُوَ اللَّطِیْفُ الْخَبِیْرُ ۟
उसे निगाहें नहीं पातीं, परंतु वह महिमावान सब निगाहों को पाता है और उन्हें घेरे हुए है। तथा वह अपने नेक बंदों के प्रति दयालु, उनकी ख़बर रखने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَدْ جَآءَكُمْ بَصَآىِٕرُ مِنْ رَّبِّكُمْ ۚ— فَمَنْ اَبْصَرَ فَلِنَفْسِهٖ ۚ— وَمَنْ عَمِیَ فَعَلَیْهَا ؕ— وَمَاۤ اَنَا عَلَیْكُمْ بِحَفِیْظٍ ۟
(ऐ लोगो!) तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से स्पष्ट तर्क और खुले प्रमाण आ चुके हैं। तो जिसने उन्हें समझा और मान लिया, तो उसका लाभ उसी को मिलेगा, और जो उनसे अंधा बन गया, न उन्हें समझा और न उन्हें स्वीकार किया, तो उसका नुकसान उसी तक सीमित है। और मैं तुमपर कोई निगरानी करने वाला नहीं हूँ कि तुम्हारे कार्यों की गणना करूँ। मैं तो केवल अपने रब की ओर से एक रसूल हूँ, और वही तुम्हारा निरीक्षक है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَكَذٰلِكَ نُصَرِّفُ الْاٰیٰتِ وَلِیَقُوْلُوْا دَرَسْتَ وَلِنُبَیِّنَهٗ لِقَوْمٍ یَّعْلَمُوْنَ ۟
जिस तरह हमने अल्लाह की शक्ति के प्रमाणों और दलीलों को विविध तरीक़े से बयान किया है, उसी तरह हम वादे, धमकी तथा उपदेश से संबंधित आयतों में विविधता लाते हैं। तथा मुश्रिक लोग कहेंगे कि यह कोई वह़्य नहीं हैं, बल्कि तुमने इसे अपने से पहले किताब वाले लोगों से पढ़ा है। और ताकि हम मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की उम्मत में से ईमान वालों के लिए इन आयतों में विविधता लाकर लोगों के लिए सत्य को स्पष्ट कर दें। क्योंकि वही लोग हैं जो सत्य को स्वीकार करते हैं और उसका पालन करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِتَّبِعْ مَاۤ اُوْحِیَ اِلَیْكَ مِنْ رَّبِّكَ ۚ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— وَاَعْرِضْ عَنِ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उस सत्य का पालन करें, जो आपका पालनहार आपकी ओर वह़्य करता है। क्योंकि उस महिमावान के अलावा कोई सत्य पूज्य नहीं। तथा आप काफ़िरों और उनके हठ पर ध्यान न दें। क्योंकि उनका मामला अल्लाह के हवाले है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ مَاۤ اَشْرَكُوْا ؕ— وَمَا جَعَلْنٰكَ عَلَیْهِمْ حَفِیْظًا ۚ— وَمَاۤ اَنْتَ عَلَیْهِمْ بِوَكِیْلٍ ۟
यदि अल्लाह की इच्छा होती कि वे उसके साथ किसी को साझी न बनाएँ, तो वे उसके साथ किसी को भी साझी न बनाते। तथा (ऐ रसूल!) हमने आपको उनपर निरीक्षक नहीं बनाया कि आप उनके कार्यों की गणना करें, तथा आप उनके प्रभारी नहीं हैं। आप तो केवल एक रसूल हैं और आपका दायित्व केवल अल्लाह के संदेश को पहुँचा देना है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَا تَسُبُّوا الَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ فَیَسُبُّوا اللّٰهَ عَدْوًا بِغَیْرِ عِلْمٍ ؕ— كَذٰلِكَ زَیَّنَّا لِكُلِّ اُمَّةٍ عَمَلَهُمْ ۪— ثُمَّ اِلٰی رَبِّهِمْ مَّرْجِعُهُمْ فَیُنَبِّئُهُمْ بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
ऐ मोमिनो! उन मूर्तियों को बुरा न कहो, जिन्हें बहुदेववादी अल्लाह के साथ पूजते हैं। भले ही वे सबसे तुच्छ तथा बुरा कहे जाने के सबसे योग्य हों। ताकि ऐसा न हो कि बहुदेववादी अल्लाह के प्रति सीमा से आगे बढ़ते हुए (मर्यादा का उल्लंघन करते हुए) और उस चीज़ से अज्ञानता के कारण जो उस महिमावान के योग्य है, उसे बुरा कहने लगें। जिस तरह इन लोगों के लिए उनकी पथभ्रष्टता को सुशोभित कर दिया गया है, उसी तरह हमने हर जाति के लिए उसके कर्म को सुशोभित कर दिया, चाहे वह अच्छा हो या बुरा। चुनाँचे उन्होंने वही किया, जिसे हमने उनके लिए सुंदर बना दिया था। फिर क़ियामत के दिन उन्हें अपने रब ही की ओर लौटकर जाना है। तो वह उन्हें बताएगा जो कुछ वे दुनिया में किया करते थे और उन्हें उसका बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَقْسَمُوْا بِاللّٰهِ جَهْدَ اَیْمَانِهِمْ لَىِٕنْ جَآءَتْهُمْ اٰیَةٌ لَّیُؤْمِنُنَّ بِهَا ؕ— قُلْ اِنَّمَا الْاٰیٰتُ عِنْدَ اللّٰهِ وَمَا یُشْعِرُكُمْ ۙ— اَنَّهَاۤ اِذَا جَآءَتْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
बहुदेववादियों ने अपनी सबसे मज़बूत शपथ लेते हुए अल्लाह की क़सम खाई : निःसंदेह यदि मुहम्मद उनके पास उन निशानियों में से कोई निशानी लेकर आए, जिनका उन्होंने सुझाव दिया है, तो वे अवश्य ही उसपर ईमान ले आएँगे। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : निशानियाँ मेरे पास नहीं हैं कि मैं उन्हें उतार दूँ। बल्कि वे अल्लाह के पास हैं, वह जब चाहे उन्हें उतारता है। और (ऐ मोमिनो!) तुम्हें क्या मालूम कि जब ये निशानियाँ उनके प्रस्ताव के अनुसार आ जाएँ, वे उनपर ईमान नहीं लाएँगे? बल्कि वे अपने हठ और इनकार पर बने रहेंगे; क्योंकि वे मार्गदर्शन नहीं चाहते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَنُقَلِّبُ اَفْـِٕدَتَهُمْ وَاَبْصَارَهُمْ كَمَا لَمْ یُؤْمِنُوْا بِهٖۤ اَوَّلَ مَرَّةٍ وَّنَذَرُهُمْ فِیْ طُغْیَانِهِمْ یَعْمَهُوْنَ ۟۠
हम उनके दिलों और उनकी आँखों को, उनके तथा सच्चाई के मार्ग पर चलने के बीच रुकावट डालकर फेर देंगे, जैसे हम उनके हठ के कारण पहली बार उनके और क़ुरआन पर ईमान लाने के बीच रुकावट बन गए थे। तथा हम उन्हें उनकी गुमराही और अपने रब के विरुद्ध सरकशी (विद्रोह) में भ्रमित भटकता छोड़ देंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
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• تنزيه الله تعالى عن الظلم الذي ترسِّخُه عقيدة (الجَبْر)، وبيان أن كفر العباد وشركهم أمر يحدث باختيارهم.
• अल्लाह तआला को उस अन्याय से पवित्र ठहराना, जो ''जब्र'' के सिद्धांत द्वारा स्थापित किया जाता है, तथा इस बात का वर्णन कि बंदा कुफ्र एवं शिर्क के रास्ते पर अपनी इच्छा से चलता है।

• ليس بمقدور نبي من الأنبياء أن يأتي بآية من عند نفسه، أو متى شاء، بل ذلك أمر مردود لله تعالى، فهو القادر وحده على ذلك، وهو الحكيم الذي يُقَدِّر نوع الآية ووقت إظهارها.
• किसी नबी के वश में नहीं है कि वह अपनी ओर से, या जब चाहे कोई निशानी ले आए। बल्कि यह मामला अल्लाह की ओर लौटता है। क्योंकि वही अकेला इसकी शक्ति रखने वाला है। तथा वह हिकमत वाला है, जो निशानी के प्रकार और उसे प्रकट करने के समय का अनुमान लगाता है।

• النهي عن سب آلهة المشركين حذرًا من مفسدة أكبر وهي التعدي بالسب على جناب رب العالمين.
• बहुदेववादियों के बुतों को बुरा कहने से निषेध एक बड़ी बुराई से बचने के लिए किया गया है, और वह सारे संसारों के पालनहार (अल्लाह) को बुरा कहना है।

• قد يحول الله سبحانه وتعالى بين العبد والهداية، ويُصرِّف بصره وقلبه على غير الطاعة؛ عقوبة له على اختياره الكفر.
• कभी-कभी अल्लाह, बंदे तथा सीधे मार्ग के बीच रुकावट बन जाता है और उसे उसके कुफ़्र के मार्ग को अपनाने पर सज़ा देते हुए, उसकी आँखों और हृदय को अनाज्ञाकारिता की ओर फेर देता है।

وَلَوْ اَنَّنَا نَزَّلْنَاۤ اِلَیْهِمُ الْمَلٰٓىِٕكَةَ وَكَلَّمَهُمُ الْمَوْتٰی وَحَشَرْنَا عَلَیْهِمْ كُلَّ شَیْءٍ قُبُلًا مَّا كَانُوْا لِیُؤْمِنُوْۤا اِلَّاۤ اَنْ یَّشَآءَ اللّٰهُ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ یَجْهَلُوْنَ ۟
यदि हम उन्हें जवाब देते हुए उनकी प्रस्तावित चीज़ को ले आते, चुनाँचे हम उनके पास फ़रिश्ते उतार देते और वे उन्हें अपनी आँखों से देख लेते, तथा मरे हुए लोग उनसे बातें करते और आप जो कुछ लेकर आए हैं उसमें उन्हें आपकी सच्चाई की ख़बर देते, एवं हम उनके लिए वह सब कुछ इकट्ठा कर देते, जो उन्होंने सुझाव दिया था, जिन्हें वे आमने-सामने देख लेते; तो भी वे उस चीज़ पर ईमान न लाते जो आप लेकर आए हैं, परंतु यह कि अल्लाह उनमें से जिसे मार्गदर्शन दिखाना चाहे। लेकिन उनमें से अधिकतर लोग इस बात से अनजान हैं। इसलिए वे अल्लाह का सहारा नहीं लेते ताकि वह उन्हें मार्गदर्शन का सामर्थ्य प्रदान करे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَكَذٰلِكَ جَعَلْنَا لِكُلِّ نَبِیٍّ عَدُوًّا شَیٰطِیْنَ الْاِنْسِ وَالْجِنِّ یُوْحِیْ بَعْضُهُمْ اِلٰی بَعْضٍ زُخْرُفَ الْقَوْلِ غُرُوْرًا ؕ— وَلَوْ شَآءَ رَبُّكَ مَا فَعَلُوْهُ فَذَرْهُمْ وَمَا یَفْتَرُوْنَ ۟
जिस प्रकार हमने इन बहुदेववादियों की शत्रुता के साथ आपकी परीक्षा ली, उसी प्रकार हमने आपसे पहले के हर नबी की परीक्षा ली। चुनाँचे हमने उनमें से प्रत्येक नबी के लिए सरकश मनुष्यों में से कुछ दुश्मन एवं सरकश जिन्नों में से कुछ दुश्मन बना दिए, जो एक-दूसरे के दिल में बुरी बातें डालते हैं, चुनाँचे वे उन्हें धोखा देने के लिए उनके लिए झूठ को सुशोभित करके प्रस्तुत करते हैं। और यदि अल्लाह चाहता कि वे ऐसा न करें, तो वे ऐसा नहीं करते। लेकिन अल्लाह ने परीक्षण के तौर पर उनके लिए ऐसा चाहा था। अतः आप उन्हें और जो कुछ वे कुफ़्र और झूठ गढ़ते हैं, उसे छोड़ दें और उनकी परवाह न करें।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلِتَصْغٰۤی اِلَیْهِ اَفْـِٕدَةُ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ وَلِیَرْضَوْهُ وَلِیَقْتَرِفُوْا مَا هُمْ مُّقْتَرِفُوْنَ ۟
और ताकि उन लोगों के दिल जो आख़िरत पर ईमान नहीं रखते उस (बुरी) बात की ओर झुक जाएँ, जो वे एक-दूसरे के दिलों में डालते हैं, और ताकि वे लोग उसे अपने लिए स्वीकार कर लें और उसे अपने लिए पसंद कर लें, और ताकि वे भी वही अवज्ञा और पाप करने लग जाएँ, जो ये लोग करने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَفَغَیْرَ اللّٰهِ اَبْتَغِیْ حَكَمًا وَّهُوَ الَّذِیْۤ اَنْزَلَ اِلَیْكُمُ الْكِتٰبَ مُفَصَّلًا ؕ— وَالَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَعْلَمُوْنَ اَنَّهٗ مُنَزَّلٌ مِّنْ رَّبِّكَ بِالْحَقِّ فَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُمْتَرِیْنَ ۟
ऐ रसूल! आप इन बहुदेववादियों से, जो अल्लाह के साथ उसके अलावा को पूजते हैं, कह दें : क्या यह तर्कसंगत है कि मैं अपने और तुम्हारे बीच अल्लाह के अलावा किसी अन्य को न्यायकर्ता स्वीकार करूं? जबकि अल्लाह ही है, जिसने तुम्हारे ऊपर क़ुरआन को अवतरित किया है जो हर चीज़ को पूर्ण रूप से स्पष्ट करने वाला है। तथा यहूदी लोग जिन्हें हमने तौरात दी और ईसाई लोग जिन्हें हमने इंजील प्रदान की, इस तथ्य को जानते हैं कि क़ुरआन आपपर सत्य के साथ उतारा गया है। क्योंकि उन्होंने अपनी पुस्तकों में इसके प्रमाण पाए हैं। अतः आप उसपर शक करने वालों में से न बनें, जो हमने आपकी ओर वह़्य की है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَتَمَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ صِدْقًا وَّعَدْلًا ؕ— لَا مُبَدِّلَ لِكَلِمٰتِهٖ ۚ— وَهُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
क़ुरआन बातों और ख़बरों में सत्य की पराकाष्ठा को पहुँचा हुआ है। उसकी बातों को कोई बदलने वाला नहीं। वह अपने बंदों की बातों को सुनने वाला, उन्हें जानने वाला है। इसलिए उनमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है, और वह उन लोगों को बदला देगा जो उसकी बातों को बदलने की चेष्टा करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِنْ تُطِعْ اَكْثَرَ مَنْ فِی الْاَرْضِ یُضِلُّوْكَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— اِنْ یَّتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنْ هُمْ اِلَّا یَخْرُصُوْنَ ۟
यदि मान लिया जाए कि (ऐ रसूल!) आपने पृथ्वी पर रहने वाले अधिकांश लोगों का पालन किया, तो वे आपको अल्लाह के धर्म से गुमराह कर देंगे। क्योंकि यह अल्लाह की सुन्नत (परंपरा) रही है कि सत्य कम लोगों के पास होता है। जबकि अधिकांश लोग केवल अनुमान का पालन करते हैं जिसका कोई आधार नहीं होता। क्योंकि उन्हें यह गुमान था कि उनके पूज्य उन्हें अल्लाह के निकट कर देते हैं। हालाँकि वे इसके बारे में झूठ बोलते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ مَنْ یَّضِلُّ عَنْ سَبِیْلِهٖ ۚ— وَهُوَ اَعْلَمُ بِالْمُهْتَدِیْنَ ۟
निःसंदेह (ऐ रसूल!) आपका पालनहार उसे सबसे अधिक जानता है जो उसके मार्ग से भटक जाता है, तथा वह उन लोगों को भी सबसे अधिक जानने वाला है जो उसके मार्ग पर निर्देशित हैं, उनमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَكُلُوْا مِمَّا ذُكِرَ اسْمُ اللّٰهِ عَلَیْهِ اِنْ كُنْتُمْ بِاٰیٰتِهٖ مُؤْمِنِیْنَ ۟
तो (ऐ लोगो!) उस पशु में से खाओ, जिसपर ज़बह़ करते समय अल्लाह का नाम लिया गया है, यदि तुम वास्तव में उसके स्पष्ट प्रमाणों पर ईमान रखने वाले हो।
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• يجب أن يكون الهدف الأعظم للعبد اتباع الحق، ويطلبه بالطرق التي بيَّنها الله، ويعمل بذلك، ويرجو عَوْن ربه في اتباعه، ولا يتكل على نفسه وحوله وقوته.
• बंदे का सबसे बड़ा उद्देश्य यह होना चाहिए कि वह सत्य का अनुसरण करे, उसे उन तरीक़ों से खोजे जो अल्लाह ने स्पष्ट किए हैं, उसके अनुसार कार्य करे और उसके अनुसरण में अपने पालनहार की मदद की आशा रखे, तथा उसे खुद पर और अपनी शक्ति एवं सामर्थ्य पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

• من إنصاف القرآن للقلة المؤمنة العالمة إسناده الجهل والضلال إلى أكثر الخلق.
• अल्प संख्यक ज्ञानी मुसलमानों के साथ क़ुरआन के न्याय का एक पहलू यह है कि उसने अज्ञानता और पथभ्रष्टता की निस्बत अधिकांश सृष्टि की ओर की है।

• من سنّته تعالى في الخلق ظهور أعداء من الإنس والجنّ للأنبياء وأتباعهم؛ لأنّ الحقّ يعرف بضدّه من الباطل.
• सृष्टि में अल्लाह का तरीक़ा रहा है कि वह नबियों तथा उनके अनुयायियों के लिए जिन्न तथा मानव जाति में से कुछ शत्रु खड़े कर देता है, क्योंकि सत्य को असत्य से उसके विपरीत द्वारा ही पहचाना जाता है।

• القرآن صادق في أخباره، عادل في أحكامه،لا يُعْثَر في أخباره على ما يخالف الواقع، ولا في أحكامه على ما يخالف الحق.
• क़ुरआन अपनी ख़बरों में सच्चा और अपने नियमों में न्यायसंगत है। उसकी खबरों में ऐसा कुछ भी नहीं पाया जाता, जो वास्तविकता के विपरीत हो और न ही उसके नियमों में कुछ ऐसा है, जो सत्य के विरुद्ध हो।

وَمَا لَكُمْ اَلَّا تَاْكُلُوْا مِمَّا ذُكِرَ اسْمُ اللّٰهِ عَلَیْهِ وَقَدْ فَصَّلَ لَكُمْ مَّا حَرَّمَ عَلَیْكُمْ اِلَّا مَا اضْطُرِرْتُمْ اِلَیْهِ ؕ— وَاِنَّ كَثِیْرًا لَّیُضِلُّوْنَ بِاَهْوَآىِٕهِمْ بِغَیْرِ عِلْمٍ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ بِالْمُعْتَدِیْنَ ۟
(ऐ ईमान वालो!) अल्लाह के नाम पर ज़बह किए हुए जानवर को खाने से तुम्हें कौन-सी चीज़ रोकती है, जबकि अल्लाह ने तुम्हारे लिए वे चीज़ें स्पष्ट रूप से बयान कर दी हैं, जो उसने तुमपर हराम की हैं। अतः तुम्हारे लिए उन्हें छोड़ देना अनिवार्य है, यह और बात है कि ज़रूरत तुम्हें उन्हें खाने पर मजबूर कर दे। क्योंकि ज़रूरत निषिद्ध चीज़ को अनुमेय कर देती है। निःसंदेह बहुत-से बहुदेववादी अज्ञानतावश अपने भ्रष्ट विचारों के कारण अपने अनुयायियों को सत्य से दूर रखते हैं। क्योंकि वे उस चीज़ को वैध ठहराते हैं, जो अल्लाह ने उनपर हराम की है, जैसे मृत जानवर आदि, और उस चीज़ को हराम ठहराते हैं, जो अल्लाह ने उनके लिए हलाल की है, जैसे बह़ीरा, वसीला और ह़ामी इत्यादि। निःसंदेह आपका रब (ऐ रसूल!) उन लोगों को अधिक जानता है, जो अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हैं और वह उन्हें अपनी सीमाओं का उल्लंघन करने का बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَذَرُوْا ظَاهِرَ الْاِثْمِ وَبَاطِنَهٗ ؕ— اِنَّ الَّذِیْنَ یَكْسِبُوْنَ الْاِثْمَ سَیُجْزَوْنَ بِمَا كَانُوْا یَقْتَرِفُوْنَ ۟
(ऐ लोगो!) प्रत्यक्ष रूप से और गुप्त रूप से पाप करना छोड़ दो। निःसंदेह जो लोग गुप्त रूप से या खुले रूप से पाप करते हैं, शीघ्र ही अल्लाह उन्हें उनके किए हुए पाप का बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَا تَاْكُلُوْا مِمَّا لَمْ یُذْكَرِ اسْمُ اللّٰهِ عَلَیْهِ وَاِنَّهٗ لَفِسْقٌ ؕ— وَاِنَّ الشَّیٰطِیْنَ لَیُوْحُوْنَ اِلٰۤی اَوْلِیٰٓـِٕهِمْ لِیُجَادِلُوْكُمْ ۚ— وَاِنْ اَطَعْتُمُوْهُمْ اِنَّكُمْ لَمُشْرِكُوْنَ ۟۠
(ऐ मुसलमानो!) उस जानवर का मांस न खाओ, जिसपर अल्लाह का नाम नहीं लिया गया है, चाहे उसपर अल्लाह के सिवा किसी और का नाम लिया गया है या नहीं। क्योंकि उसमें से खाना निश्चित रूप से अल्लाह की आज्ञाकारिता से निकलकर उसकी अवज्ञा में प्रस्थान है। निःसंदेह शैतान अपने दोस्तों के मन में संशय डालते रहते हैं, ताकि वे तुमसे मृत मांस खाने के बारे में बहस करें। और यदि (ऐ मुसलमानो!) तुमने - मृत मांस को अनुमेय करने हेतु - उनके डाले जाने वाले संदेहों को स्वीकार कर लिया, तो तुम और वे बहुदेववाद में समान हैं।
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اَوَمَنْ كَانَ مَیْتًا فَاَحْیَیْنٰهُ وَجَعَلْنَا لَهٗ نُوْرًا یَّمْشِیْ بِهٖ فِی النَّاسِ كَمَنْ مَّثَلُهٗ فِی الظُّلُمٰتِ لَیْسَ بِخَارِجٍ مِّنْهَا ؕ— كَذٰلِكَ زُیِّنَ لِلْكٰفِرِیْنَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
क्या वह व्यक्ति, जो अल्लाह के उसे हिदायत देने से पहले मुर्दा था (क्योंकि वह कुफ़्र, अज्ञानता और पापों में लिप्त था), फिर हमने उसको ईमान, ज्ञान और आज्ञाकारिता का मार्गदर्शन प्रदान करके जीवित किया : उस आदमी के बराबर है, जो कुफ़्र, अज्ञानता और पापों के अंधेरों में पड़ा है जिनसे वह बाहर नहीं निकल सकता, उसके लिए सारे रास्ते भ्रमित और अंधेरे हो गए हैं?! जिस प्रकार इन मुश्रिकों के लिए उनका शिर्क पर क़ायम रहना तथा मृत जानवर का मांस खाना और झूठ के साथ बहस करना सुंदर बना दिया गया है, उसी प्रकार काफिरों के लिए उन पापों को सुंदर बना दिया गया है, जो वे किया करते थे, ताकि क़ियामत के दिन उन्हें उनके बदले में दर्दनाक यातना दी जाए।
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وَكَذٰلِكَ جَعَلْنَا فِیْ كُلِّ قَرْیَةٍ اَكٰبِرَ مُجْرِمِیْهَا لِیَمْكُرُوْا فِیْهَا ؕ— وَمَا یَمْكُرُوْنَ اِلَّا بِاَنْفُسِهِمْ وَمَا یَشْعُرُوْنَ ۟
जिस प्रकार मक्का में हुआ कि बहुदेववादियों के प्रमुखों ने अल्लाह के रास्ते से रोकने का काम किया, उसी तरह हमने हर बस्ती में सरदार और महापुरुष बनाए, जो शैतान के मार्ग की ओर बुलाने तथा रसूलों और उनके अनुयायियों से लड़ने की खातिर अपनी चालें चलते हैं। हालाँकि तथ्य यह है कि उनकी चालें खुद उन्हीं पर लौट आती हैं, लेकिन वे अपनी अज्ञानता और इच्छाओं का अनुसरण करने के कारण इसे महसूस नहीं करते हैं।
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وَاِذَا جَآءَتْهُمْ اٰیَةٌ قَالُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ حَتّٰی نُؤْتٰی مِثْلَ مَاۤ اُوْتِیَ رُسُلُ اللّٰهِ ؔۘؕ— اَللّٰهُ اَعْلَمُ حَیْثُ یَجْعَلُ رِسَالَتَهٗ ؕ— سَیُصِیْبُ الَّذِیْنَ اَجْرَمُوْا صَغَارٌ عِنْدَ اللّٰهِ وَعَذَابٌ شَدِیْدٌۢ بِمَا كَانُوْا یَمْكُرُوْنَ ۟
जब काफ़िरों के प्रमुखों के पास अल्लाह द्वारा उसके नबी पर उतारी हुई निशानियों में से कोई निशानी आती है, तो वे कहते हैं : हम कदापि ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि अल्लाह हमें भी उसी जैसा प्रदान कर दे, जो उसने निबयों को नुबुव्वत तथा रिसालत प्रदान की है। तो अल्लाह ने उन्हें उत्तर दिया कि वह उसे अधिक जानने वाला है जो रिसालत (पैग़ंबरी) के लिए योग्य है और उसके बोझ को उठा सकता है। इसलिए वह उसे नुबुव्वत तथा रिसालत के लिए विशिष्ट कर लेता है। शीघ्र ही इन सरकशों को उनके सत्य से अभिमान के कारण अपमान और तिरस्कार, तथा उनकी चालबाज़ी (छल) के कारण कड़ी यातना का सामना करना पड़ेगा।
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• الأصل في الأشياء والأطعمة الإباحة، وأنه إذا لم يرد الشرع بتحريم شيء منها فإنه باق على الإباحة.
• चीजों और खाद्य पदार्थों के संबंध में मूल सिद्धांत यह है कि वे अनुमेय हैं, और यदि शरीयत ने उनमें से किसी चीज़ को निषिद्ध नहीं ठहराया है, तो वह अनुमेय ही रहती है।

• كل من تكلم في الدين بما لا يعلمه، أو دعا الناس إلى شيء لا يعلم أنه حق أو باطل، فهو معتدٍ ظالم لنفسه وللناس، وكذلك كل من أفتى وليس هو بكفء للإفتاء.
• जो भी आदमी धर्म के बारे में बिना ज्ञान के बोलता है, अथवा लोगों को ऐसी चीज़ की ओर बुलाता है, जिसे वह नहीं जानता कि वह सत्य है या असत्य, तो वह सीमा का उल्लंघन करने वाला तथा अपने आपपर और लोगों पर अत्याचार करने वाला है। इसी तरह हर वह व्यक्ति भी है, जो फ़तवा देता है, हालाँकि वह फ़तवा देने के योग्य नहीं है।

• منفعة المؤمن ليست مقتصرة على نفسه، بل مُتَعدِّية لغيره من الناس.
• मोमिन का लाभ केवल स्वयं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अन्य लोगों तक भी पहुँचता है।

فَمَنْ یُّرِدِ اللّٰهُ اَنْ یَّهْدِیَهٗ یَشْرَحْ صَدْرَهٗ لِلْاِسْلَامِ ۚ— وَمَنْ یُّرِدْ اَنْ یُّضِلَّهٗ یَجْعَلْ صَدْرَهٗ ضَیِّقًا حَرَجًا كَاَنَّمَا یَصَّعَّدُ فِی السَّمَآءِ ؕ— كَذٰلِكَ یَجْعَلُ اللّٰهُ الرِّجْسَ عَلَی الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
जिस व्यक्ति को अल्लाह हिदायत के मार्ग पर ले जाना चाहता है, उसके सीने को खोल देता है तथा उसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए तैयार कर देता है। और जिसे वह विफल करना चाहता है और उसे हिदायत की तौफ़ीक़ नहीं देना चाहता, उसके सीने को सच्चाई को स्वीकार करने से बहुत संकीर्ण कर देता है, ताकि उसके हृदय में सत्य का प्रवेश असंभव हो जाए। जिस तरह कि उसका आसमान की ओर चढ़ना असंभव है और वह स्वयं ऐसा करने में असमर्थ है। तथा जैसे अल्लाह ने पथभ्रष्ट व्यक्ति की स्थिति को इस तरह की गंभीर संकट की स्थिति बना दी है, उसी तरह वह उन लोगों को यातना से ग्रस्त करता है, जो उसपर ईमान नहीं लाते।
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وَهٰذَا صِرَاطُ رَبِّكَ مُسْتَقِیْمًا ؕ— قَدْ فَصَّلْنَا الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّذَّكَّرُوْنَ ۟
यह धर्म जो हमने (ऐ रसूल!) आपके लिए निर्धारित किया है, अल्लाह का वह सीधा मार्ग है, जिसमें कोई टेढ़ापन नहीं। हमने उसके लिए निशानियाँ स्पष्ट कर दी हैं, जिसके पास समझ-बूझ है जिसके द्वारा वह अल्लाह के बारे में समझ सकता है।
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لَهُمْ دَارُ السَّلٰمِ عِنْدَ رَبِّهِمْ وَهُوَ وَلِیُّهُمْ بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
उनके लिए एक घर है, जिसमें वे हर नुक़सान से सुरक्षित रहेंगे। यह घर जन्नत है। तथा अल्लाह उनका सहायक और समर्थक है, उनके उन अच्छे कामों के बदले जो वे किया करते थे।
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وَیَوْمَ یَحْشُرُهُمْ جَمِیْعًا ۚ— یٰمَعْشَرَ الْجِنِّ قَدِ اسْتَكْثَرْتُمْ مِّنَ الْاِنْسِ ۚ— وَقَالَ اَوْلِیٰٓؤُهُمْ مِّنَ الْاِنْسِ رَبَّنَا اسْتَمْتَعَ بَعْضُنَا بِبَعْضٍ وَّبَلَغْنَاۤ اَجَلَنَا الَّذِیْۤ اَجَّلْتَ لَنَا ؕ— قَالَ النَّارُ مَثْوٰىكُمْ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اِلَّا مَا شَآءَ اللّٰهُ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ حَكِیْمٌ عَلِیْمٌ ۟
और (ऐ रसूल!) याद करें, जिस दिन अल्लाह मानव जाति और जिन्नों को इकट्ठा करेगा, फिर अल्लाह कहेगा : ऐ जिन्नों के समूह! तुमने इनसानों को खूब गुमराह किया तथा उन्हें अल्लाह के मार्ग से रोक दिया। इसपर इनसानों में से उनके अनुयायी अपने रब को जवाब देते हुए कहेंगे : ऐ हमारे रब! हममें से प्रत्येक ने अपने साथी से लाभ उठाया है। चुनाँचे जिन्न ने इनसान की आज्ञाकारिता का लाभ उठाया, और इनसान ने अपनी इच्छाओं की पूर्ति का लाभ उठाया। और हम उस अवधि तक पहुँच गए, जो तूने हमारे लिए नियत कर रखी थी। तो अब यह क़ियामत का दिन है। अल्लाह कहेगा : आग ही तुम्हारा ठिकाना है, जिसमें तुम हमेशा रहोगे, सिवाय उसके जो अल्लाह चाहे, जो कि उनके क़ब्रों से उठने से लेकर उनके अपने गंतव्य जहन्नम की ओर जाने के बीच की अवधि है। यही वह अवधि है, जिसको अल्लाह ने उनके हमेशा जहन्नम में रहने से अलग किया है। निश्चय ही आपका रब (ऐ रसूल!) अपनी तक़दीर तथा प्रबंधन में पूर्ण हिकमत वाला, अपने बंदों और उनमें से उन लोगों के बारे में सब कुछ जानने वाला है जो यातना के योग्य हैं।
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وَكَذٰلِكَ نُوَلِّیْ بَعْضَ الظّٰلِمِیْنَ بَعْضًا بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟۠
जिस प्रकार हमने सरकश जिन्नों को कुछ इनसानों का दोस्त बना दिया और उन्हें उनपर हावी कर दिया, ताकि वे उन्हें पथभ्रष्ट करते रहें, उसी प्रकार हम प्रत्येक अत्याचारी को एक अत्याचारी का दोस्त बना देते हैं, जो उसे बुराई करने पर उभारता और उसके लिए प्रेरित करता है, तथा उसे भलाई से नफरत दिलाता और उसके प्रति उसमें अरुचि पैदा करता है। यह दरअसल उन पापों के प्रतिफल के रूप में है, जो वे कमाया करते थे।
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یٰمَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ اَلَمْ یَاْتِكُمْ رُسُلٌ مِّنْكُمْ یَقُصُّوْنَ عَلَیْكُمْ اٰیٰتِیْ وَیُنْذِرُوْنَكُمْ لِقَآءَ یَوْمِكُمْ هٰذَا ؕ— قَالُوْا شَهِدْنَا عَلٰۤی اَنْفُسِنَا وَغَرَّتْهُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا وَشَهِدُوْا عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ اَنَّهُمْ كَانُوْا كٰفِرِیْنَ ۟
हम क़ियामत के दिन उनसे कहेंगे : ऐ इनसानों और जिन्नों के समूह! क्या तुम्हारे पास तुम्हारे ही वर्ग (मानव जाति) से रसूल नहीं आए, जो तुम्हें वह पढ़कर सुनाते हों जो अल्लाह ने उनपर अवतरित किया है, और तुम्हें इस दिन के भेंट अर्थात् क़ियामत के दिन से डराते हों? वे कहेंगे : बिलकुल आए थे। आज हम अपने विरुद्ध इक़रार करते हैं कि तेरे रसूलों ने हमें संदेश पहुँचा दिया, तथा हम इस दिन के भेंट का भी इक़रार करते हैं। परंतु हमने तेरे रसूलों को झुठला दिया था तथा इस दिन के भेंट के बारे में उनकी बात को अस्वीकार कर दिया था। दरअसल, इस दुनिया के जीवन ने उन्हें अपने अलंकरण, शोभा और क्षणभंगुर आनंद के साथ धोखा दिया, तथा वे स्वयं ही स्वीकार करेंगे कि वे दुनिया में अल्लाह तथा उसके रसूलों का इनकार करने वाले थे। हालाँकि इस स्वीकारोक्ति और ईमान से उन्हें कुछ भी लाभ नहीं होगा, क्योंकि उसका समय समाप्त हो चुका।
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• سُنَّة الله في الضلال والهداية أنهما من عنده تعالى، أي بخلقه وإيجاده، وهما من فعل العبد باختياره بعد مشيئة الله.
• गुमराही तथा हिदायत के बारे में अल्लाह की सुन्नत (नियम) यह है कि वे दोनों अल्लाह की ओर से हैं, अर्थात् अल्लाह ने उन्हें अस्तित्व प्रदान किया है। जबकि अल्लाह की इच्छा के बाद, बंदे ने उन्हें अपनी इच्छा से किया है।

• ولاية الله للمؤمنين بحسب أعمالهم الصالحة، فكلما زادت أعمالهم الصالحة زادت ولايته لهم والعكس.
• मोमिनों के लिए अल्लाह की संरक्षकता उनके अच्छे कर्मों के अनुसार होती है। अतः उनके अच्छे कर्मों में जितना अधिक वृद्धि होती है, उतनी ही उनके लिए उसकी संरक्षकता में बढ़ोतरी होती है, और इसके विपरीत स्थिति में विपरीत परिणाम आता है।

• من سُنَّة الله أن يولي كل ظالم ظالمًا مثله، يدفعه إلى الشر ويحثه عليه، ويزهِّده في الخير وينفِّره عنه.
• अल्लाह का नियम है कि वह हर अत्याचारी को उसी जैसे अत्याचारी का दोस्त बना देता है, जो उसे बुराई की ओर ले जाता है और उसे उसके लिए प्रेरित करता है, तथा उसे भलाई करने से रोकता एवं उससे दूर करता है।

ذٰلِكَ اَنْ لَّمْ یَكُنْ رَّبُّكَ مُهْلِكَ الْقُرٰی بِظُلْمٍ وَّاَهْلُهَا غٰفِلُوْنَ ۟
इनसानों तथा जिन्नों की ओर रसूल भेजकर इसलिए हुज्जत तमाम कर दी गई, ताकि किसी को उसके गुनाह की सज़ा इस हाल में न दी जाए कि उसकी ओर कोई रसूल न भेजा गया हो और उसके पास धर्म का संदेश न पहुँचा हो। अतः हमने किसी समुदाय को उसके पास रसूल भेजने के बाद ही दंडित किया।
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وَلِكُلٍّ دَرَجٰتٌ مِّمَّا عَمِلُوْا ؕ— وَمَا رَبُّكَ بِغَافِلٍ عَمَّا یَعْمَلُوْنَ ۟
उनमें से प्रत्येक के लिए अपने कर्मों के अनुसार दरजे हैं। अतः थोड़ी-बहुत बुराई करने वाला और अधिक बुराई करने वाला, दोनों बराबर नहीं हो सकते तथा अनुसरण करने वाला और जिसका अनुसरण किया गया है, दोनों बराबर नहीं हो सकते। जैसे कि सभी अच्छे कार्य करने वालों का बदला बराबर नहीं हो सकता। तथा आपका पालनहार उससे अनजान नहीं है जो कुछ वे कर रहे थे, बल्कि वह उसके बारे में जानता है, उससे कुछ भी छिपा नहीं है, और वह उन्हें उनके कार्यों का बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَرَبُّكَ الْغَنِیُّ ذُو الرَّحْمَةِ ؕ— اِنْ یَّشَاْ یُذْهِبْكُمْ وَیَسْتَخْلِفْ مِنْ بَعْدِكُمْ مَّا یَشَآءُ كَمَاۤ اَنْشَاَكُمْ مِّنْ ذُرِّیَّةِ قَوْمٍ اٰخَرِیْنَ ۟ؕ
और (ऐ रसूल!) आपका रब अपने बंदों से बेनियाज़ है। उसे न उनकी आवश्यकता है, न उनकी इबादत की, और न ही उनके इनकार से उसे कोई नुक़सान होता है। वह उनसे अपनी इस बेनियाज़ी के बावजूद, उनपर दया करता है। यदि वह (ऐ अवज्ञाकारी बंदो!) तुम्हें नष्ट करना चाहे, तो अपनी यातना भेजकर तुम्हें जड़ से उखाड़ फेंके और तुम्हें विनष्ट करने के बाद अपनी इच्छा के अनुसार ऐसे लोगों को ले आए, जो उसपर ईमान रखें और उसकी आज्ञा मानें। जैसा कि उसने तुम्हें अन्य लोगों के वंश से पैदा किया जो तुमसे पहले थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ مَا تُوْعَدُوْنَ لَاٰتٍ ۙ— وَّمَاۤ اَنْتُمْ بِمُعْجِزِیْنَ ۟
(ऐ काफ़िरो!) तुमसे जिस पुनर्जीवन, दोबारा उठाए जाने, हिसाब-किताब और सज़ा का वादा किया जा रहा है, वह अनिवार्य रूप से आने वाला है और तुम अपने पालनहार की पकड़ से भागकर नहीं निकल सकते। क्योंकि वह तुम्हारे माथे की लट को पकड़े हुए है और तुम्हें अपनी यातना से दंडित करने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ یٰقَوْمِ اعْمَلُوْا عَلٰی مَكَانَتِكُمْ اِنِّیْ عَامِلٌ ۚ— فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ۙ— مَنْ تَكُوْنُ لَهٗ عَاقِبَةُ الدَّارِ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُفْلِحُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप कह दीजिए : ऐ मेरे समुदाय के लोगो! अपने मार्ग पर और जिस कुफ़्र तथा पथभ्रष्टता में पड़े हो, उस पर अडिग रहो। मैंने स्पष्ट रूप से संदेश पहुँचाकर तुमपर हुज्जत तमाम कर दी और प्रमाण स्थापित कर दिया। अतः मुझे तुम्हारे कुफ़्र तथा पथभ्रष्टता की कोई परवाह नहीं है। बल्कि मैं जिस सत्य पर क़ायम हूँ उसपर अडिग रहूँगा। फिर तुम्हें शीघ्र ही मालूम हो जाएगा कि किसे दुनिया में विजय प्राप्त होती है, कौन धरती का वारिस होता है तथा किसे आख़िरत की खुशियाँ प्राप्त होती हैं। निश्चित रूप से बहुदेववादियों को न तो इस दुनिया में सफलता प्राप्त होगी, और न ही आख़िरत में। बल्कि उनका परिणाम घाटा एवं नुक़सान है, भले ही उन्होंने इस दुनिया में जो कुछ आनंद लिया हो, उसका आनंद लिया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ مِمَّا ذَرَاَ مِنَ الْحَرْثِ وَالْاَنْعَامِ نَصِیْبًا فَقَالُوْا هٰذَا لِلّٰهِ بِزَعْمِهِمْ وَهٰذَا لِشُرَكَآىِٕنَا ۚ— فَمَا كَانَ لِشُرَكَآىِٕهِمْ فَلَا یَصِلُ اِلَی اللّٰهِ ۚ— وَمَا كَانَ لِلّٰهِ فَهُوَ یَصِلُ اِلٰی شُرَكَآىِٕهِمْ ؕ— سَآءَ مَا یَحْكُمُوْنَ ۟
अल्लाह के साथ शिर्क करने वालों ने यह तरीक़ा निकाला कि अल्लाह की पैदा की हुई फसलों और मवेशियों में से उसके लिए एक हिस्सा निर्धारित कर दिया और यह दावा किया कि वह (हिस्सा) अल्लाह का है, और दूसरा हिस्सा उनकी मूर्तियों और थानों के लिए है। फिर उन्होंने जो हिस्सा अपने साझियों के लिए आवंटित किया है, वह उन मसरफ़ों तक नहीं पहुँचता, जिनमें ख़र्च करना अल्लाह ने धर्मसंगत बनाया है, जैसे ग़रीब और मिसकीन लोग। तथा उन्होंने जो हिस्सा अल्लाह के लिए निर्धारित किया है, वह उनके साझियों यानी मूर्तियों को पहुँच जाता है, वह उनके हितों में खर्च किया जा सकता है। उनका यह निर्णय और विभाजन बहुत बुरा है।
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وَكَذٰلِكَ زَیَّنَ لِكَثِیْرٍ مِّنَ الْمُشْرِكِیْنَ قَتْلَ اَوْلَادِهِمْ شُرَكَآؤُهُمْ لِیُرْدُوْهُمْ وَلِیَلْبِسُوْا عَلَیْهِمْ دِیْنَهُمْ ؕ— وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ مَا فَعَلُوْهُ فَذَرْهُمْ وَمَا یَفْتَرُوْنَ ۟
जिस तरह शैतान ने बहुदेववादियों के लिए इस अन्यायपूर्ण निर्णय को सुंदर बना दिया है, उसी तरह बहुत-से बहुदेववादियों के लिए उनके साझी शैतानों ने यह सुशोभित किया है कि वे गरीबी के डर से अपने बच्चों की हत्या कर दें; ताकि वह उनसे उस आत्मा की हत्या कराकर उन्हें नष्ट कर दे, जिसकी नाहक़ हत्या करना अल्लाह ने निषिद्ध ठहराया है, और ताकि वह उनपर उनके धर्म को गड्डमड्ड कर दे, फिर वे यह न जान सकें कि क्या वैध है और क्या अवैध। और यदि अल्लाह चाहता कि वे ऐसा न करें, तो वे ऐसा नहीं करते, परंतु अल्लाह ने अपनी व्यापक हिकमत के तहत ऐसा ही चाहा। अतः (ऐ रसूल!) आप इन बहुदेववादियों तथा अल्लाह पर इनके मिथ्यारोपण को छोड़ दें। क्योंकि इससे आपको कोई नुक़सान नहीं होगा, और उनका मामला अल्लाह को सौंप दें।
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• تفاوت مراتب الخلق في أعمال المعاصي والطاعات يوجب تفاوت مراتبهم في درجات العقاب والثواب.
• जिस तरह गुनाह और नेकी के कामों में लोगों के अलग-अलग स्तर होते हैं, उसी तरह सज़ा और सवाब में भी उनके अलग-अलग स्तर होंगे।

• اتباع الشيطان موجب لانحراف الفطرة حتى تصل لاستحسان القبيح مثل قتل الأولاد ومساواة أصنامهم بالله سبحانه وتعالى.
• शैतान के अनुसरण से इनसान की फितरत बिगड़ जाती है। यहाँ तक कि उसे बुरी चीज़ें भी अच्छी लगने लगती हैं, जैसे संतान की हत्या करना और मूर्तियों को अल्लाह का समकक्ष मान लेना।

وَقَالُوْا هٰذِهٖۤ اَنْعَامٌ وَّحَرْثٌ حِجْرٌ ۖۗ— لَّا یَطْعَمُهَاۤ اِلَّا مَنْ نَّشَآءُ بِزَعْمِهِمْ وَاَنْعَامٌ حُرِّمَتْ ظُهُوْرُهَا وَاَنْعَامٌ لَّا یَذْكُرُوْنَ اسْمَ اللّٰهِ عَلَیْهَا افْتِرَآءً عَلَیْهِ ؕ— سَیَجْزِیْهِمْ بِمَا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟
तथा बहुदेववादियों ने कहा : ये पशुधन और फसलें निषिद्ध हैं, जिनमें से केवल वही खा सकते हैं, जिन्हें वे चाहें, जैसे मूर्तियों के सेवक आदि। यह उनका अपना ख़याल और घड़ी हुई बात है। और (उन्होंने यह भी कहा कि) ये ऐसे मवेशी हैं जिनकी पीठें हराम (वर्जित) हैं; न उनकी सवारी की जाएगी और न ही उनपर बोझ लादा जाएगा। इन जानवरों से मुराद बहीरा (वह ऊँटनी जिसके पाँच बच्चे हो जाएँ और उसका कान चीरकर उसे छोड़ दिया जाए), साइबा (वह ऊँटनी जिसे मूर्तियों के लिए छोड़ दिया जाए) और हामी (वह नर ऊँट जिसकी नस्ल से दस बच्चे पैदा हो जाएँ और उसे आज़ाद कर दिया जाए) हैं। इन जानवरों को ज़बह करते समय वे अल्लाह का नाम लेने के बजाय अपनी मूर्तियों का नाम लेते थे। उन्होंने यह सब अल्लाह के विरुद्ध यह झूठ गढ़ते हुए किया कि यह उसकी ओर से है। अल्लाह शीघ्र ही उन्हें अपनी यातना से दंडित करेगा, क्योंकि वे अल्लाह पर झूठे आरोप लगाते थे।
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وَقَالُوْا مَا فِیْ بُطُوْنِ هٰذِهِ الْاَنْعَامِ خَالِصَةٌ لِّذُكُوْرِنَا وَمُحَرَّمٌ عَلٰۤی اَزْوَاجِنَا ۚ— وَاِنْ یَّكُنْ مَّیْتَةً فَهُمْ فِیْهِ شُرَكَآءُ ؕ— سَیَجْزِیْهِمْ وَصْفَهُمْ ؕ— اِنَّهٗ حَكِیْمٌ عَلِیْمٌ ۟
उन्होंने यह भी कहा कि इन 'साइबा' एवं 'बहीरा' आदि जानवरों के पेट में जो बच्चे हैं, यदि वह जीवित पैदा हुआ है, तो वह हमारे पुरुषों के लिए अनुमेय और हमारी महिलाओं के लिए निषिद्ध है, और यदि उनके पेट में जो बच्चे हैं मृत पैदा हों, तो उसे पुरुष एवं महिला सब खा सकते हैं। शीघ्र ही अल्लाह उन्हें उनके ऐसा कहने का वह बदला देगा जिसके वे योग्य हैं। वह अपने विधान तथा अपनी सृष्टि के मामलों के प्रबंधन में पूर्ण हिकमत वाला, उनके बारे में सब कुछ जानने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَدْ خَسِرَ الَّذِیْنَ قَتَلُوْۤا اَوْلَادَهُمْ سَفَهًا بِغَیْرِ عِلْمٍ وَّحَرَّمُوْا مَا رَزَقَهُمُ اللّٰهُ افْتِرَآءً عَلَی اللّٰهِ ؕ— قَدْ ضَلُّوْا وَمَا كَانُوْا مُهْتَدِیْنَ ۟۠
वे लोग नष्ट हो गए, जिन्होंने अपनी नासमझी एवं अज्ञानता के कारण अपनी संतान की हत्या की और अल्लाह के दिए हुए जानवरों को, झूठे तौर पर अल्लाह की ओर निसबत करके हराम ठहरा लिया। निश्चय वे सीधे रास्ते से दूर हो गए और वे उस पर निर्देशित नहीं थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُوَ الَّذِیْۤ اَنْشَاَ جَنّٰتٍ مَّعْرُوْشٰتٍ وَّغَیْرَ مَعْرُوْشٰتٍ وَّالنَّخْلَ وَالزَّرْعَ مُخْتَلِفًا اُكُلُهٗ وَالزَّیْتُوْنَ وَالرُّمَّانَ مُتَشَابِهًا وَّغَیْرَ مُتَشَابِهٍ ؕ— كُلُوْا مِنْ ثَمَرِهٖۤ اِذَاۤ اَثْمَرَ وَاٰتُوْا حَقَّهٗ یَوْمَ حَصَادِهٖ ۖؗ— وَلَا تُسْرِفُوْا ؕ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الْمُسْرِفِیْنَ ۟ۙ
और अल्लाह ही है, जिसने बिना तने वाले बाग़ पैदा किए, जो धरती पर बिछे हुए होते हैं, और तनों वाले बाग़ पैदा किए, जो धरती से ऊपर उठे हुए होते हैं। तथा उसी ने खजूर के पेड़ पैदा किए। और उसी ने फसलों को पैदा किया, जिनके फल आकार एवं स्वाद में विभिन्न प्रकार के होते हैं। तथा उसी ने ज़ैतून और अनार पैदा किए, जिनके पत्ते एक जैसे होते हैं, लेकिन फलों का स्वाद अलग-अलग होता है। (ऐ लोगो!) जब वह फल दे, तो उसका फल खाओ और उसकी कटाई के दिन उसकी ज़कात अदा करो। और खाने तथा खर्च करने के मामले में शरीयत की सीमाओं का उल्लंघन न करो। क्योंकि अल्लाह उन लोगों से प्यार नहीं करता जो उनमें या उनके अलावा में उसकी सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हैं, बल्कि उनसे नफ़रत करता है। निश्चय जिसने इन सारी चीज़ों को पैदा किया, उसी ने उन्हें अपने बंदों के लिए अनुमेय किया है। अतः बहुदेववादियों को उन्हें हराम ठहराने का कोई अधिकार नहीं है।
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وَمِنَ الْاَنْعَامِ حَمُوْلَةً وَّفَرْشًا ؕ— كُلُوْا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ وَلَا تَتَّبِعُوْا خُطُوٰتِ الشَّیْطٰنِ ؕ— اِنَّهٗ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِیْنٌ ۟ۙ
उसी ने तुम्हारे लिए कुछ ऐसे जानवर पैदा किए, जो सामान लादे जाने के लिए उपयुक्त हैं, जैसे बड़े ऊँट, तथा कुछ ऐसे जानवर पैदा किए, जो उसके लिए उपयुक्त नहीं हैं, जैसे छोटे ऊँट और भेड़-बकरियाँ। (ऐ लोगो!) अल्लाह की दी हुई इन चीज़ों में से उन वस्तुओं को खाओ जो उसने तुम्हारे लिए हलाल की हैं, तथा हराम चीज़ों को हलाल करने एवं हलाल चीज़ों को हराम ठहराने के विषय में शैतान के चरणों का पालन न करो, जैसा कि बहुदेववादी करते हैं। निश्चय शैतान - ऐ लोगो! - तुम्हारा स्पष्ट दुश्मनी वाला दुश्मन है। क्योंकि वह चाहता है कि तुम इस तरह करके अल्लाह की अवज्ञा करो।
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• ذم الله المشركين بسبع صفات هي : الخسران والسفاهة وعدم العلم وتحريم ما رزقهم الله والافتراء على الله والضلال وعدم الاهتداء؛ فهذه أمور سبعة، وكل واحد منها سبب تام في حصول الذم.
• अल्लाह ने बहुदेववादियों की सात विशेषताओं के साथ निंदा की है : हानि, मूर्खता, ज्ञान की कमी, अल्लाह की दी हुई चीज़ों को हराम ठहरा लेना, अल्लाह पर झूठ बाँधना, पथभ्रष्टता और सीधे मार्ग पर न होना। ये सात चीज़ें हैं, जिनमें से प्रत्येक निंदा का एक पूर्ण कारण है।

• الأهواء سبب تحريم ما أحل الله وتحليل ما حرم الله.
• इच्छाएँ अल्लाह की हलाल की हुई चीज़ को हराम ठहराने तथा उसकी हराम की हुई चीज़ को हलाल ठहराने का कारण हैं।

• وجوب الزكاة في الزروع والثمار عند حصادها، مع جواز الأكل منها قبل إخراج زكاتها، ولا يُحْسَب من الزكاة.
• खेतियों तथा फलों पर ज़कात उनकी कटाई के समय अनिवार्य होती है। जबकि उनकी ज़कात निकालने से पहले उनमें से खाना जायज़ है और उसकी गणना ज़कात में से नहीं की जाएगी।

• التمتع بالطيبات مع عدم الإسراف ومجاوزة الحد في الأكل والإنفاق.
• फ़िज़ूलखर्ची तथा खान-पान और खर्च करने में सीमा का उल्लंघन करने से बचते हुए, अच्छी व पवित्र चीजों का आनंद लेना।

ثَمٰنِیَةَ اَزْوَاجٍ ۚ— مِنَ الضَّاْنِ اثْنَیْنِ وَمِنَ الْمَعْزِ اثْنَیْنِ ؕ— قُلْ ءٰٓالذَّكَرَیْنِ حَرَّمَ اَمِ الْاُنْثَیَیْنِ اَمَّا اشْتَمَلَتْ عَلَیْهِ اَرْحَامُ الْاُنْثَیَیْنِ ؕ— نَبِّـُٔوْنِیْ بِعِلْمٍ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟ۙ
उसने तुम्हारे लिए पशुओं के आठ प्रकार पैदा किए; भेड़ में से दो : एक नर और एक मादा, तथा बकरी में से दो। (ऐ रसूल!) बहुदेववादियों से पूछें : क्या अल्लाह ने उन दोनों में से नर को उनके नर होने के कारण हराम किया है? यदि वे जवाब दें : हाँ, तो उनसे कहें : फिर तुम मादाओं को क्यों हराम कहते हो? या कि उसने मादाओं को स्त्रीत्व के कारण हराम किया है? यदि वे कहें : हाँ, तो आप उनसे कहें : फिर तुम नरों को क्यों हराम ठहराते हो? या कि उसने दोनों मादाओं के गर्भ में जो कुछ है इस कारण हराम किया है कि वह गर्भ में है? यदि वे कहें : हाँ, तो आप उनसे कहें : तुम कभी नर को हराम ठहराकर और कभी मादा को हराम करके गर्भ में जो कुछ है उसके बीच अंतर क्यों करते हो? ऐ बहुदेववादियो! यदि तुम अपने इस दावे में सच्चे हो कि इसका निषेध अल्लाह की ओर से है, तो मुझे उस सच्चे ज्ञान के बारे में बताओ, जिसे तुम अपना आधार बनाते हो।
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وَمِنَ الْاِبِلِ اثْنَیْنِ وَمِنَ الْبَقَرِ اثْنَیْنِ ؕ— قُلْ ءٰٓالذَّكَرَیْنِ حَرَّمَ اَمِ الْاُنْثَیَیْنِ اَمَّا اشْتَمَلَتْ عَلَیْهِ اَرْحَامُ الْاُنْثَیَیْنِ ؕ— اَمْ كُنْتُمْ شُهَدَآءَ اِذْ وَصّٰىكُمُ اللّٰهُ بِهٰذَا ۚ— فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا لِّیُضِلَّ النَّاسَ بِغَیْرِ عِلْمٍ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟۠
आठ प्रकार के पशुओं में से शेष इस तरह हैं : ऊँटों के दो प्रकार और गायों के दो प्रकार। (ऐ रसूल!) बहुदेववादियों से पूछें : अल्लाह ने इनमें से जिसे हराम ठहराया है, क्या उसे नर होने के कारण या मादा होने के कारण या फिर गर्भ में होने के कारण हराम क्या है? (ऐ बहुदेववादियो!) क्या तुम (अपने दावे के अनुसार) उस समय उपस्थित थे जब अल्लाह ने तुम्हारे इन हराम ठहराए हुए जानवरों को हराम ठहराने की तुम्हें ताकीद की थी?! अतः उससे बड़ा अत्याचारी और उससे बड़ा अपराधी कोई नहीं, जिसने अल्लाह पर झूठा आरोप लगाया और उसकी ओर उस चीज़ को हराम करने का काम मनसूब किया, जिसे उसने हराम नहीं किया; उसने ऐसा इसलिए किया ताकि लोगों को बिना किसी ज्ञान के सीधे रास्ते से भटका दे। निश्चय अल्लाह उन ज़ालिमों को मार्गदर्शन की तौफ़ीक़ प्रदान नहीं करता, जो अल्लाह पर झूठा आरोप लगाते हैं।
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قُلْ لَّاۤ اَجِدُ فِیْ مَاۤ اُوْحِیَ اِلَیَّ مُحَرَّمًا عَلٰی طَاعِمٍ یَّطْعَمُهٗۤ اِلَّاۤ اَنْ یَّكُوْنَ مَیْتَةً اَوْ دَمًا مَّسْفُوْحًا اَوْ لَحْمَ خِنْزِیْرٍ فَاِنَّهٗ رِجْسٌ اَوْ فِسْقًا اُهِلَّ لِغَیْرِ اللّٰهِ بِهٖ ۚ— فَمَنِ اضْطُرَّ غَیْرَ بَاغٍ وَّلَا عَادٍ فَاِنَّ رَبَّكَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
(ऐ रसूल!) आप कह दें कि अल्लाह ने मुझपर जो वह़्य उतारी है, उसमें जिन हराम (निषिद्ध) वस्तुओं का उल्लेख है, वे केवल यह हैं : वह हलाल जानवर जो ज़बह किए बिना मर जाए, बहता खून, सूअर का मांस कि वह अशुद्ध और निषिद्ध है, वह जानवर जिसे अल्लाह के नाम के अलावा पर ज़बह किया गया हो, जैसेकि वह जानवर जिसे उनकी मूर्तियों के नाम पर ज़बह किया गया हो। परंतु जो व्यक्ति सख़्त भूख के कारण इन हराम चीज़ों मे से खाने के लिए मजबूर हो जाए, जबकि उसका उद्देश्य उन्हें खाने का आनंद लेना न हो तथा ज़रूरत से अधिक न खाए, तो इसमें उस पर कोई पाप नहीं है। निःसंदेह (ऐ रसूल!) आपका पालनहार मजबूर को क्षमा करने वाला है, यदि वह इनमें से खा ले, तथा उसपर दयालु है।
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وَعَلَی الَّذِیْنَ هَادُوْا حَرَّمْنَا كُلَّ ذِیْ ظُفُرٍ ۚ— وَمِنَ الْبَقَرِ وَالْغَنَمِ حَرَّمْنَا عَلَیْهِمْ شُحُوْمَهُمَاۤ اِلَّا مَا حَمَلَتْ ظُهُوْرُهُمَاۤ اَوِ الْحَوَایَاۤ اَوْ مَا اخْتَلَطَ بِعَظْمٍ ؕ— ذٰلِكَ جَزَیْنٰهُمْ بِبَغْیِهِمْ ۖؗ— وَاِنَّا لَصٰدِقُوْنَ ۟
और हमने यहूदियों पर उन तमाम जानवरों को हराम कर दिया था, जिनकी उंगलियाँ अलग-अलग न हों, जैसे ऊँट तथा शुतुरमुर्ग़ आदि। तथा हमने उनपर गाय और बकरी की चर्बी को भी हराम कर दिया था, सिवाय उसके जो उनकी पीठ या आँत से लगी हो, या जो हड्डियों के साथ मिश्रित हो, जैसे नितंब और पहलू की चर्बी। हमने उनके अत्याचार के बदले के तौर पर, इन चीज़ों को उनपर हराम किया था। निःसंदेह हम जो कुछ भी बताते हैं, निश्चय उसमें सच्चे हैं।
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• في الآيات دليل على إثبات المناظرة في مسائل العلم، وإثبات القول بالنظر والقياس.
• इन आयतों में ज्ञान संबंधित विषयों में मुनाज़रा (तर्क-वितर्क) का सबूत है और बात को सोच-विचार तथा क़ियास के द्वारा साबित करने का प्रमाण है।

• الوحي وما يستنبط منه هو الطريق لمعرفة الحلال والحرام.
• वह़्य और जो कुछ उससे निष्कर्ष निकाला जाता है, वही हलाल और हराम को जानने का तरीक़ा है।

• إن من الظلم أن يُقْدِم أحد على الإفتاء في الدين ما لم يكن قد غلب على ظنه أنه يفتي بالصواب الذي يرضي الله.
• किसी इनसान का धार्मिक मामलों में फतवा देना अनुचित है, जब तक कि उसका यह प्रबल गुमान न हो कि वह अल्लाह को प्रसन्न करने वाला सही फतवा दे रहा है।

• من رحمة الله بعباده الإذن لهم في تناول المحرمات عند الاضطرار.
• यह अल्लाह की अपने बंदों पर दया में से है कि उसने मजबूरी की हालत में उन्हें हराम चीज़ों को खाने की अनुमति दी है।

فَاِنْ كَذَّبُوْكَ فَقُلْ رَّبُّكُمْ ذُوْ رَحْمَةٍ وَّاسِعَةٍ ۚ— وَلَا یُرَدُّ بَاْسُهٗ عَنِ الْقَوْمِ الْمُجْرِمِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) यदि वे आपको झुठलाएँ और जो कुछ आप अपने रब के पास से लाए हैं, उसे न मानें, तो उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कह दें : तुम्हारा पालनहार बहुत दयालु है, और तुम्हारे प्रति उसकी दया में से उसका तुम्हें मोहलत देना और तुम्हें सज़ा देने में जल्दी न करना है। तथा उन्हें डराते हुए कह दें : जो लोग अवज्ञा और कुकर्म करते हैं, उनसे उसकी यातना टलती नहीं है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
سَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ اَشْرَكُوْا لَوْ شَآءَ اللّٰهُ مَاۤ اَشْرَكْنَا وَلَاۤ اٰبَآؤُنَا وَلَا حَرَّمْنَا مِنْ شَیْءٍ ؕ— كَذٰلِكَ كَذَّبَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ حَتّٰی ذَاقُوْا بَاْسَنَا ؕ— قُلْ هَلْ عِنْدَكُمْ مِّنْ عِلْمٍ فَتُخْرِجُوْهُ لَنَا ؕ— اِنْ تَتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنْ اَنْتُمْ اِلَّا تَخْرُصُوْنَ ۟
बहुदेववादी लोग, अल्लाह के साथ अपने साझी बनाने की वैधता पर, अल्लाह की इच्छा और उसकी तक़दीर (नियति) को प्रमाण बनाते हुए कहेंगे : यदि अल्लाह चाहता कि हम और हमारे पूर्वज अल्लाह के साथ साझी न बनाएँ, तो हम उसके साथ साझी न बनाते। और यदि अल्लाह चाहता कि हम उस चीज़ को हराम न ठहराएँ जो हमने अपने ऊपर हराम ठहराया है, तो हम उसे हराम न ठहराते। इन लोगों के अमान्य तर्क के समान ही के साथ, उन लोगों ने भी अपने रसूलों को झुठलाया जो इनसे पहले थे, उन्होंने कहा : यदि अल्लाह चाहता कि हम उन्हें न झुठलाएँ, तो हम उन्हें कभी न झुठलाते। तथा वे निरंतर इस इनकार पर बने रहे यहाँ तक कि उन्होंने हमारी उस यातना का स्वाद चख लिया जो हमने उनपर उतारी। (ऐ रसूल!) आप इन मुश्रिकों से कह दें : क्या तुम्हारे पास कोई सबूत है जो इंगित करता है कि अल्लाह तुमसे प्रसन्न है कि तुम उसके साथ साझी ठहराओ तथा उसके हराम किए हुए को हलाल ठहरा लो और उसके हलाल किए हुए को हराम ठहरा दो? क्योंकि मात्र तुमसे इसका होना, इस बात का प्रमाण नहीं है कि वह तुमसे संतुष्ट है। क्योंकि इस विषय में तुम केवल अनुमान का पालन करते हो, और अनुमान से सत्य का कुछ भी लाभ नहीं होता है, और तुम केवल झूठ बोलते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ فَلِلّٰهِ الْحُجَّةُ الْبَالِغَةُ ۚ— فَلَوْ شَآءَ لَهَدٰىكُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप मुश्रिकों से कह दें : यदि तुम्हारे पास इन कमज़ोर तर्कों के अलावा कोई तर्क नहीं है, तो (सुन लो कि) अल्लाह के पास निश्चित तर्क है जिस पर तुम्हारे द्वारा प्रस्तुत किए गए बहाने कट जाते हैं, और उसके द्वारा तुम्हारे संदेह जिनका तुम सहारा लेते हो निराकृत हो जाते हैं। अतः (ऐ बहुदेववादियो!) यदि अल्लाह तुम सभी को सत्य की तौफ़ीक़ देना चाहता, तो तुम सब को उसकी तौफ़ीक़ प्रदान कर देता।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ هَلُمَّ شُهَدَآءَكُمُ الَّذِیْنَ یَشْهَدُوْنَ اَنَّ اللّٰهَ حَرَّمَ هٰذَا ۚ— فَاِنْ شَهِدُوْا فَلَا تَشْهَدْ مَعَهُمْ ۚ— وَلَا تَتَّبِعْ اَهْوَآءَ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَالَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ وَهُمْ بِرَبِّهِمْ یَعْدِلُوْنَ ۟۠
(ऐ रसूल!) इन मुश्रिकों से, जो अल्लाह के हलाल किए हुए को हराम करते हैं और दावा करते हैं कि अल्लाह ही ने इसे हराम किया है, कह दें : तुम अपने गवाहों को प्रस्तुत करो, जो यह गवाही दें कि अल्लाह ने इन वस्तुओं को हराम किया है, जिन्हें तुमने हराम ठहरा लिया है। यदि वे बिना ज्ञान के गवाही दें कि अल्लाह ने उन्हें हराम किया है, तो (ऐ रसूल!) आप उनकी गवाही में उनको सच्चा न मानें; क्योंकि यह झूठी गवाही है। तथा आप उन लोगों की इच्छाओं का पालन न करें, जो अपनी इच्छाओं को ही निर्णायक मानते हैं। क्योंकि उन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया है जब उन्होंने उस चीज़ को हराम ठहरा दिया जिसे अल्लाह ने उनके लिए हलाल किया था। तथा आप उनका अनुसरण न करें, जो आख़िरत पर ईमान नहीं रखते और वे अपने रब के साथ साझी बनाते हैं। चुनाँचे उसके अलावा को उसके बराबर (समकक्ष) ठहराते हैं। और जिसका अपने पालनहार के साथ यह रवैया हो उसका अनुसरण कैसे किया जा सकता है?!
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قُلْ تَعَالَوْا اَتْلُ مَا حَرَّمَ رَبُّكُمْ عَلَیْكُمْ اَلَّا تُشْرِكُوْا بِهٖ شَیْـًٔا وَّبِالْوَالِدَیْنِ اِحْسَانًا ۚ— وَلَا تَقْتُلُوْۤا اَوْلَادَكُمْ مِّنْ اِمْلَاقٍ ؕ— نَحْنُ نَرْزُقُكُمْ وَاِیَّاهُمْ ۚ— وَلَا تَقْرَبُوا الْفَوَاحِشَ مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَمَا بَطَنَ ۚ— وَلَا تَقْتُلُوا النَّفْسَ الَّتِیْ حَرَّمَ اللّٰهُ اِلَّا بِالْحَقِّ ؕ— ذٰلِكُمْ وَصّٰىكُمْ بِهٖ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) लोगों से कह दें : आओ, मैं तुम्हें पढ़कर सुनाऊँ कि अल्लाह ने क्या-क्या हराम किया है। अल्लाह ने तुमपर हराम किया है कि तुम उसकी सृष्टि में से किसी वस्तु को उसके साथ साझी बनाओ, और अपने माता-पिता की अवज्ञा करो। बल्कि तुमपर अनिवार्य है कि उनके साथ अच्छा व्यवहार करो। तथा उसने तुमपर हराम किया है कि तुम गरीबी के कारण अपनी संतानों की हत्या करो, जैसे जाहिलियत के युग में लोग किया करते थे। हम ही तुम्हें जीविका प्रदान करते हैं और उन्हें भी जीविका प्रदान करते हैं। तथा उसने निर्लज्जता (दुराचार) के निकट भी जाने को हराम किया है, चाहे वह खुली हो अथवा छिपी। और यह भी हराम किया है कि तुम उस प्राणी की हत्या करो, जिसकी हत्या करना अल्लाह ने हराम किया है, सिवाय इसके कि उसका कोई उचित कारण हो, जैसे कि शादीशुदा होने के बाद व्यभिचार, और इस्लाम के बाद धर्मत्याग। अल्लाह ने तुम्हें इन उक्त बातों की ताकीद की है, ताकि तुम अल्लाह के आदेशों और निषेधों को समझो।
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• الحذر من الجرائم الموصلة لبأس الله؛ لأنه لا يُرَدُّ بأسه عن القوم المجرمين إذا أراده.
• ऐसे अपराधों से बचना चाहिए, जो अल्लाह की यातना की ओर ले जाते हैं, क्योंकि उसकी यातना अपराधियों से नहीं टाली जाती यदि वह उसका इरादा कर ले।

• الاحتجاج بالقضاء والقدر بعد أن أعطى الله تعالى كل مخلوق قُدْرة وإرادة يتمكَّن بهما من فعل ما كُلِّف به؛ ظُلْمٌ مَحْض وعناد صرف.
• जब अल्लाह ने प्रत्येक प्राणी को वह क्षमता और इच्छा प्रदान की है जिनके द्वारा वह उस चीज़ को करने में सक्षम है जिसका वह बाध्य किया गया है, तो उसके बाद कज़ा व क़द्र (नियति) को तर्क बनाना; सरासर अन्याय और सरासर हठ है।

• دَلَّتِ الآيات على أنه بحسب عقل العبد يكون قيامه بما أمر الله به.
• इन आयतों से पता चलता है कि बंदा जितनी सूझबूझ रखता है, उसी के अनुसार अल्लाह के आदेशों का पालन करता है।

• النهي عن قربان الفواحش أبلغ من النهي عن مجرد فعلها، فإنه يتناول النهي عن مقدماتها ووسائلها الموصلة إليها.
• निर्लज्जता के कर्मों के निकट भी जाने से रोकना, मात्र उन्हें करने से रोकने की तुलना में अधिक सार्थक व व्यापक है, क्योंकि यह उसकी पूर्व क्रीड़ाओं तथा उसकी ओर ले जाने वाले साधनों से भी निषेध को सम्मिलित है।

وَلَا تَقْرَبُوْا مَالَ الْیَتِیْمِ اِلَّا بِالَّتِیْ هِیَ اَحْسَنُ حَتّٰی یَبْلُغَ اَشُدَّهٗ ۚ— وَاَوْفُوا الْكَیْلَ وَالْمِیْزَانَ بِالْقِسْطِ ۚ— لَا نُكَلِّفُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَا ۚ— وَاِذَا قُلْتُمْ فَاعْدِلُوْا وَلَوْ كَانَ ذَا قُرْبٰی ۚ— وَبِعَهْدِ اللّٰهِ اَوْفُوْا ؕ— ذٰلِكُمْ وَصّٰىكُمْ بِهٖ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ ۟ۙ
तथा उसने यतीम (जिसने व्यस्क होने से पहले अपने पिता को खो दिया हो) के माल में हाथ लगाने को हराम करार दिया है, सिवाय इसके कि ऐसा कुछ किया जाए जिसमें उसके लिए बेहतरी और लाभ तथा उसके धन में वृद्धि हो। यह निषेध उस समय तक है, जब तक कि वह व्यस्क न हो जाए तथा उसके अंदर परिपक्वता महसूस न की जाए। तथा उसने तुम्हारे लिए नाप-तौल में कमी करने को भी हराम किया है। अतः तुम्हें लेने और देने में तथा खरीदने-बेचने में न्याय से काम लेना चाहिए। हम किसी प्राणी पर उसकी क्षमता से अधिक बोझ नहीं डालते। अतः नाप-तौल आदि में जिस (मा'मूली) कमी या बेशी से बचना संभव नहीं है, उसमें कोई पकड़ नहीं होगी। और उसने तुमपर, किसी रिश्तेदार या मित्र का पक्ष लेते हुए किसी समाचार या गवाही में ऐसी बात कहना हराम किया है, जो सत्य नहीं है। और यदि तुमने अल्लाह से या अल्लाह के नाम पर किसी से वादा किया हो, तो उसे तोड़ना भी तुमपर हराम है। बल्कि तुम्हारे लिए उसे पूरा करना अनिवार्य है। अल्लाह ने तुम्हें उक्त बातों का निश्चित रूप से पालन करने का आदेश दिया है, ताकि तुम अपने मामले के परिणाम को याद रखो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَنَّ هٰذَا صِرَاطِیْ مُسْتَقِیْمًا فَاتَّبِعُوْهُ ۚ— وَلَا تَتَّبِعُوا السُّبُلَ فَتَفَرَّقَ بِكُمْ عَنْ سَبِیْلِهٖ ؕ— ذٰلِكُمْ وَصّٰىكُمْ بِهٖ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ۟
तथा उसने तुम्हारे लिए गुमराही के रास्तों पर चलना हराम ठहराया है। बल्कि, तुम्हें अल्लाह के सीधे मार्ग का अनुसरण करना चाहिए, जिसमें कोई टेढ़ापन नहीं है। गुमराही के रास्ते तुम्हें अलगाव और सत्य के मार्ग से दूरी की ओर ले जाते हैं। अल्लाह के सीधे मार्ग पर चलना ही है वह तथ्य है जिसकी अल्लाह ने तुम्हें ताकीद की है; ताकि तुम अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके एवं उसकी मना की हुई बातों से दूर रहकर, डरो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ثُمَّ اٰتَیْنَا مُوْسَی الْكِتٰبَ تَمَامًا عَلَی الَّذِیْۤ اَحْسَنَ وَتَفْصِیْلًا لِّكُلِّ شَیْءٍ وَّهُدًی وَّرَحْمَةً لَّعَلَّهُمْ بِلِقَآءِ رَبِّهِمْ یُؤْمِنُوْنَ ۟۠
फिर जो कुछ उल्लेख किया गया उससे सूचित करने के बाद, हम यह बताते हैं कि हमने मूसा को, उनके अच्छे काम के लिए बदला के रूप में अनुग्रह को पूरा करने के लिए, धर्म में उनकी ज़रूरत की हर चीज़ की व्याख्या के रूप में, तथा सच्चाई के सबूत और दया के रूप में, तौरात प्रदान की, इस उम्मीद में कि वे क़ियामत के दिन अपने पालनहार से मिलने पर ईमान लाएँ, ताकि वे नेक कामों के साथ उसके लिए तैयारी करें।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهٰذَا كِتٰبٌ اَنْزَلْنٰهُ مُبٰرَكٌ فَاتَّبِعُوْهُ وَاتَّقُوْا لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟ۙ
यह क़ुरआन एक महान किताब है, जिसे हमने अवतरित किया है, बड़ी बरकत वाली है। क्योंकि इसमें धार्मिक और सांसारिक लाभों का उल्लेख है। अतः जो कुछ उसमें अवतरित हुआ है, उसका पालन करो और उसका उल्लंघन करने से सावधान रहो, इस आशा से कि तुम पर दया की जाए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَنْ تَقُوْلُوْۤا اِنَّمَاۤ اُنْزِلَ الْكِتٰبُ عَلٰی طَآىِٕفَتَیْنِ مِنْ قَبْلِنَا ۪— وَاِنْ كُنَّا عَنْ دِرَاسَتِهِمْ لَغٰفِلِیْنَ ۟ۙ
ऐसा न हो कि (ऐ अरब के बहुदेववादियो!) तुम कहो : अल्लाह ने तौरात और इंजील तो हमसे पहले यहूदियों और ईसाइयों पर उतारी थी, और उसने हमपर कोई किताब नहीं उतारी। तथा हम उनकी किताबें पढ़ना नहीं जानते। क्योंकि वे उनकी भाषा में हैं, हमारी भाषा में नहीं हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوْ تَقُوْلُوْا لَوْ اَنَّاۤ اُنْزِلَ عَلَیْنَا الْكِتٰبُ لَكُنَّاۤ اَهْدٰی مِنْهُمْ ۚ— فَقَدْ جَآءَكُمْ بَیِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَهُدًی وَّرَحْمَةٌ ۚ— فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ كَذَّبَ بِاٰیٰتِ اللّٰهِ وَصَدَفَ عَنْهَا ؕ— سَنَجْزِی الَّذِیْنَ یَصْدِفُوْنَ عَنْ اٰیٰتِنَا سُوْٓءَ الْعَذَابِ بِمَا كَانُوْا یَصْدِفُوْنَ ۟
तथा ऐसा न हो कि तुम कहो : यदि अल्लाह यहूदियों तथा ईसाइयों की तरह हमारे ऊपर भी कोई किताब उतारता, तो हम उनसे अधिक सीधे मार्ग पर चलने वाले होते!! तो अब तुम्हारे पास एक किताब आ चुकी है, जिसे अल्लाह ने तुम्हारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर तुम्हारी भाषा में अवतरित की है। यह किताब एक स्पष्ट तर्क, तथा सत्य की ओर मार्गदर्शन और उम्मत के लिए दया है। अतः तुम अनर्गल बहाने मत बनाओ और झूठे कारणों का सहारा न लो। उससे बड़ा अत्याचारी कोई नहीं, जो अल्लाह की आयतों को झुठलाए और उनसे मुँह फेर ले। शीघ्र ही हम उन लोगों को कड़ी सज़ा देंगे जो हमारी आयतों से मुँह फेर लेते हैं, उन्हें उनके मुँह मोड़ने के बदले के तौर पर जहन्नम की आग में दाखिल करके।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• لا يجوز التصرف في مال اليتيم إلّا في حدود مصلحته، ولا يُسلَّم ماله إلّا بعد بلوغه الرُّشْد.
• यतीम (अनाथ) के धन को केवल उसके हितों की सीमा के भीतर ही खर्च करना जायज़ है। तथा उसे उसका धन तब तक नहीं सौंपा जाएगा जब तक कि वह परिपक्वता को नहीं पहुंँच जाता।

• سبل الضلال كثيرة، وسبيل الله وحده هو المؤدي إلى النجاة من العذاب.
• गुमराही के मार्ग बहुत-से हैं, परंतु केवल अल्लाह का मार्ग ही यातना से मुक्ति की ओर ले जाने वाला है।

• اتباع هذا الكتاب علمًا وعملًا من أعظم أسباب نيل رحمة الله.
• ज्ञान और कर्म में इस किताब का अनुसरण करना, अल्लाह की दया प्राप्त करने के सबसे बड़े कारणों में से एक है।

هَلْ یَنْظُرُوْنَ اِلَّاۤ اَنْ تَاْتِیَهُمُ الْمَلٰٓىِٕكَةُ اَوْ یَاْتِیَ رَبُّكَ اَوْ یَاْتِیَ بَعْضُ اٰیٰتِ رَبِّكَ ؕ— یَوْمَ یَاْتِیْ بَعْضُ اٰیٰتِ رَبِّكَ لَا یَنْفَعُ نَفْسًا اِیْمَانُهَا لَمْ تَكُنْ اٰمَنَتْ مِنْ قَبْلُ اَوْ كَسَبَتْ فِیْۤ اِیْمَانِهَا خَیْرًا ؕ— قُلِ انْتَظِرُوْۤا اِنَّا مُنْتَظِرُوْنَ ۟
ये झुठलाने वाले केवल इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि मौत का फ़रिश्ता तथा उसके सहायक दुनिया में उनके प्राणों को निकालने के लिए उनके पास आ जाएँ, या आख़िरत में निर्णय के दिन आपका रब उनके बीच फैसला करने के लिए आ जाए, या क़ियामत का पता देने वाली तुम्हारे रब की कुछ निशानियाँ आ जाएँ। जिस दिन तुम्हारे रब की कोई निशानी आएगी (जैसे पश्चिम से सूरज का उगना) तो किसी काफ़िर को उसके ईमान लाने से कोई फायदा नहीं होगा, और न ही किसी मोमिन को, जिसने उससे पहले भलाई नहीं की, उसका अमल लाभ देगा। (ऐ रसूल!) आप इन झुठलाने वाले मुश्रिकों से कह दें : तुम इन चीज़ों में से एक की प्रतीक्षा करो, हम (भी) प्रतीक्षा करने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ الَّذِیْنَ فَرَّقُوْا دِیْنَهُمْ وَكَانُوْا شِیَعًا لَّسْتَ مِنْهُمْ فِیْ شَیْءٍ ؕ— اِنَّمَاۤ اَمْرُهُمْ اِلَی اللّٰهِ ثُمَّ یُنَبِّئُهُمْ بِمَا كَانُوْا یَفْعَلُوْنَ ۟
जिन यहूदियों एवं ईसाइयों ने अपने धर्म के टुकड़े-टुकड़े कर लिए, चुनाँचे उन्होंने उसमें से कुछ को अपनाया और कुछ को छोड़ दिया तथा वे अलग-अलग संप्रदाय हो गए, उनसे (ऐ रसूल!) आपका कोई संबंध नहीं है। क्योंकि वे जिस पथभ्रष्टता में पड़े हुए हैं, आप उससे बरी हैं। आपका दायित्व केवल उन्हें सचेत करना है। उनका मामला तो अल्लाह ही के हवाले है। फिर वह क़ियामत के दिन उन्हें बताएगा कि वे दुनिया में क्या कर रहे थे और उन्हें उसपर बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مَنْ جَآءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهٗ عَشْرُ اَمْثَالِهَا ۚ— وَمَنْ جَآءَ بِالسَّیِّئَةِ فَلَا یُجْزٰۤی اِلَّا مِثْلَهَا وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟
जो मोमिन क़ियामत के दिन एक नेकी के साथ आएगा, अल्लाह उसकी एक नेकी को बढ़ाकर दस नेकियाँ कर देगा, परंतु जो एक पाप के साथ आएगा, उसे उसके पाप के समान ही सज़ा दी जाएगी, उससे ज़्यादा सज़ा नहीं दी जाएगी। तथा क़ियामत के दिन उनकी नेकियों का सवाब घटाकर, या उनके गुनाहों की सज़ा बढ़ाकर उनपर कोई अत्याचार नहीं किया जाएगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنَّنِیْ هَدٰىنِیْ رَبِّیْۤ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۚ۬— دِیْنًا قِیَمًا مِّلَّةَ اِبْرٰهِیْمَ حَنِیْفًا ۚ— وَمَا كَانَ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) इन झुठलाने वाले मुश्रिकों से कह दें : मेरे रब ने मुझे एक सीधे मार्ग पर निर्देशित किया है, जो उस धर्म का मार्ग है जो दुनिया और आख़िरत के हितों पर आधारित है, और यही इबराहीम अलैहिस्सलाम का धर्म है जो सत्य की ओर झुके हुए थे और कभी भी मुश्रिकों में से नहीं थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنَّ صَلَاتِیْ وَنُسُكِیْ وَمَحْیَایَ وَمَمَاتِیْ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
(ऐ रसूल!) आप कह दें : निश्चय ही मेरी नमाज़, मेरा अल्लाह के लिए तथा उसके नाम पर जानवर ज़बह करना, मेरा जीवन तथा मेरी मृत्यु, सब कुछ केवल सारी सृष्टि के पालनहार अल्लाह के लिए है, किसी और का इसमें कोई हिस्सा नहीं है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لَا شَرِیْكَ لَهٗ ۚ— وَبِذٰلِكَ اُمِرْتُ وَاَنَا اَوَّلُ الْمُسْلِمِیْنَ ۟
उस महिमावान अल्लाह का कोई साझी नहीं और न ही उसके सिवा कोई सत्य पूज्य है। इसी बहुदेववाद से पवित्र तौहीद (एकेश्वरवाद) का अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है। तथा मैं उसके सामने आत्मसमर्पण करने वाला इस उम्मत का सबसे पहला व्यक्ति हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اَغَیْرَ اللّٰهِ اَبْغِیْ رَبًّا وَّهُوَ رَبُّ كُلِّ شَیْءٍ ؕ— وَلَا تَكْسِبُ كُلُّ نَفْسٍ اِلَّا عَلَیْهَا ۚ— وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِّزْرَ اُخْرٰی ۚ— ثُمَّ اِلٰی رَبِّكُمْ مَّرْجِعُكُمْ فَیُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ فِیْهِ تَخْتَلِفُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) इन मुश्रिकों से कह दें : क्या मैं अल्लाह के अतिरिक्त कोई अन्य पालनहार तलाश करूँ, हालाँकि वह महिमावान हर चीज़ का पालनहार है?! वही उन पूज्यों का भी पालनहार है, जिनकी तुम उसके सिवा पूजा करते हो। तथा कोई निर्दोष व्यक्ति किसी दूसरे के गुनाह का बोझ नहीं उठाएगा। फिर क़ियामत के दिन तुम सब को केवल अपने पालनहार ही के पास लौटना है। तब वह तुम्हें धर्म के उन सारे विषयों के बारे में बताएगा, जिनको ले कर तुम मतभेद किया करते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُوَ الَّذِیْ جَعَلَكُمْ خَلٰٓىِٕفَ الْاَرْضِ وَرَفَعَ بَعْضَكُمْ فَوْقَ بَعْضٍ دَرَجٰتٍ لِّیَبْلُوَكُمْ فِیْ مَاۤ اٰتٰىكُمْ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ سَرِیْعُ الْعِقَابِ ۖؗۗ— وَاِنَّهٗ لَغَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟۠
और अल्लाह ही है जिसने तुम्हें उन लोगों का उत्तराधिकारी बनाया जो धरती पर तुमसे पहले थे; ताकि तुम उसे आबाद करो। तथा उसने तुम में से कुछ को रचना और जीविका में दूसरों की अपेक्षा में ऊँचे दरजे प्रदान किए; ताकि जो कुछ उसने तुम्हें दिया है, उसमें तुम्हारी परीक्षा ले। निःसंदेह (ऐ रसूल!) आपका पालनहार बहुत शीघ्र दंड देने वाला है, क्योंकि हर आने वाली चीज़ क़रीब है। तथा वह अपने बंदों में से तौबा करने वाले को क्षमा करने वाला तथा उसपर दया करने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• أن الدين يأمر بالاجتماع والائتلاف، وينهى عن التفرق والاختلاف.
• धर्म एकता और आपसी मेल-जोल का आदेश देता है तथा विभाजन और असहमति से रोकता है।

• من تمام عدله تعالى وإحسانه أنه يجازي بالسيئة مثلها، وبالحسنة عشرة أمثالها، وهذا أقل ما يكون من التضعيف.
• यह अल्लाह के न्याय और उपकार की पूर्णता से है कि वह बुराई का बदला उसी के समान देता है, जबकि नेकी का बदला उसके दस गुना देता है, और यह बढ़ोतरी की न्यूनतम सीमा है।

• الدين الحق القَيِّم يتطَلب تسخير كل أعمال العبد واهتماماته لله عز وجل، فله وحده يتوجه العبد بصلاته وعبادته ومناسكه وذبائحه وجميع قرباته وأعماله في حياته وما أوصى به بعد وفاته.
• सच्चे धर्म की अपेक्षा यह है कि बंदा सभी कार्यों और हितों (रूचियों) को सर्वशक्तिमान अल्लाह के अधीन कर दे। अतः बंदा अपने जीवन के दौरान अपनी नमाज़, उपासना, अनुष्ठानों (कर्मकांडों), क़ुरबानियों, तथा अपने सभी निकटता के कामों और कार्यों, तथा अपनी मृत्यु के बाद की वसीयतों को केवल अल्लाह के लिए समर्पित कर दे।

 
Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Al-An‘âm
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Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Übersetzungen

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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