Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Vers: (1) Surah / Kapitel: Al-Mumtahanah

सूरा अल्-मुम्तह़िना

Die Ziele der Surah:
تحذير المؤمنين من تولي الكافرين.
मोमिनों को काफ़िरों को दोस्त बनाने से सावधान करना।

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوْا عَدُوِّیْ وَعَدُوَّكُمْ اَوْلِیَآءَ تُلْقُوْنَ اِلَیْهِمْ بِالْمَوَدَّةِ وَقَدْ كَفَرُوْا بِمَا جَآءَكُمْ مِّنَ الْحَقِّ ۚ— یُخْرِجُوْنَ الرَّسُوْلَ وَاِیَّاكُمْ اَنْ تُؤْمِنُوْا بِاللّٰهِ رَبِّكُمْ ؕ— اِنْ كُنْتُمْ خَرَجْتُمْ جِهَادًا فِیْ سَبِیْلِیْ وَابْتِغَآءَ مَرْضَاتِیْ تُسِرُّوْنَ اِلَیْهِمْ بِالْمَوَدَّةِ ۖۗ— وَاَنَا اَعْلَمُ بِمَاۤ اَخْفَیْتُمْ وَمَاۤ اَعْلَنْتُمْ ؕ— وَمَنْ یَّفْعَلْهُ مِنْكُمْ فَقَدْ ضَلَّ سَوَآءَ السَّبِیْلِ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! मेरे दुश्मनों और अपने दुश्मनों को दोस्त न बनाओ कि उनसे मित्रता रखो और उनके प्रति प्रेम दिखाओं, जबकि उन्होंने उस धर्म का इनकार किया है, जो तुम्हारे नबी के द्वारा तुम्हारे पास आया है। वे रसूल को उनके घर से निकालते हैं तथा तुम्हें भी मक्का में तुम्हारे घरों से निकालते हैं। वे तुम्हारे बारे में रिश्ते-नाते का तनिक भी ख़याल नहीं करते। ऐसा केवल इस कारण करते हैं कि तुम अपने पालनहार अल्लाह पर ईमान ले आए हो। यदि तुम मेरे रास्ते में जिहाद के लिए और मेरी प्रसन्नता तलाश करने के लिए निकले हो, तो ऐसा न करो। तुम उनके प्रति स्नेह के तौर पर उन्हें गुप्त रूप से मुसलमानों की सूचनाएँ प्रदान करते हो, जबकि मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि तुमने उसमें से क्या छुपाया है और क्या प्रकट किया है। मुझसे उसमें से या किसी और चीज़ में से कुछ भी छिपा नहीं है। और जो कोई भी काफिरों के प्रति दोस्ती और स्नेह का व्यवहार करेगा, तो वह सीधे रास्ते से हट गया, सत्य मार्ग से भटक गया और यथार्थ से अलग हो गया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• تسريب أخبار أهل الإسلام إلى الكفار كبيرة من الكبائر.
• काफ़िरों को मुसलमानों की गुप्त सूचनाएँ लीक करना एक बड़ा पाप है।

• عداوة الكفار عداوة مُتَأصِّلة لا تؤثر فيها موالاتهم.
• काफ़िरों की दुश्मनी एक अंतर्निहित दुश्मनी है, जिसे उनसे दोस्ती प्रभावित नहीं करती है।

• استغفار إبراهيم لأبيه لوعده له بذلك، فلما نهاه الله عن ذلك لموته على الكفر ترك الاستغفار له.
• इबराहीम अलैहिस्सलाम ने अपने पिता के लिए क्षमा इसलिए माँगी थी, क्योंकि उन्होंने अपने पिता से इसका वादा किया था। फिर जब उसकी कुफ़्र पर मृत्यु के कारण अल्लाह ने उन्हें इससे मना कर दिया, तो उन्होंने उसके लिए माफी मांगना छोड़ दिया।

 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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