Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Al-Jinn   Vers:

सूरा अल्-जिन्न

Die Ziele der Surah:
إبطال دين المشركين، ببيان حال الجنّ وإيمانهم بعد سماع القرآن.
क़ुरआन सुनने के बाद जिन्नों की स्थिति और उनके ईमान लाने का वर्णन करके, बहुदेववादियों के धर्म को असत्य ठहराना।

قُلْ اُوْحِیَ اِلَیَّ اَنَّهُ اسْتَمَعَ نَفَرٌ مِّنَ الْجِنِّ فَقَالُوْۤا اِنَّا سَمِعْنَا قُرْاٰنًا عَجَبًا ۟ۙ
(ऐ रसूल) आप अपनी उम्मत से कह दें : अल्लाह ने मेरी तरफ़ यह वह़्य (प्रकाशना) की है कि जिन्नों के एक समूह ने 'नख़ला' नामी स्थान में, मेरे क़ुरआन के पाठ को सुना। उसके बाद जब वे अपनी जाति की ओर लौटकर गए, तो उनसे कहा : निःसंदेह हमने एक सुपाठ्य वाणी सुनी है, जो अपने बयान और वाक्पटुता में बड़ा मनभावन व सराहनीय है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یَّهْدِیْۤ اِلَی الرُّشْدِ فَاٰمَنَّا بِهٖ ؕ— وَلَنْ نُّشْرِكَ بِرَبِّنَاۤ اَحَدًا ۟ۙ
यह वाणी जो हमने सुनी है, आस्था (अक़ीदा), कथन और कर्म में शुद्धता (सत्य) को दिखाती है। अतः हम उसपर ईमान ले आए। तथा हम अपने उस पालनहार के साथ, जिसने यह वाणी उतारी है, कदापि किसी को साझा नहीं करेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّهٗ تَعٰلٰی جَدُّ رَبِّنَا مَا اتَّخَذَ صَاحِبَةً وَّلَا وَلَدًا ۟ۙ
और हम इस बात पर भी ईमान लाए हैं कि हमारे पालनहार ने (उसकी महिमा एवं प्रताप बहुत उच्च है) न कोई पत्नी बनाई है और न कोई संतान, जैसा कि बहुदेववादियों का कहना है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّهٗ كَانَ یَقُوْلُ سَفِیْهُنَا عَلَی اللّٰهِ شَطَطًا ۟ۙ
और यह कि इबलीस अल्लाह के संबंध में सत्य से हटी हुई बात कहा करता था कि उसकी पत्नी और संतान है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّا ظَنَنَّاۤ اَنْ لَّنْ تَقُوْلَ الْاِنْسُ وَالْجِنُّ عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا ۟ۙ
और यह कि हम समझते थे कि ये शिर्क करने वाले जिन्न और इनसान झूठ नहीं बोल रहे हैं, जब वे यह दावा कर रहे थे कि अल्लाह की पत्नी और संतान है। इसलिए अनका अनुकरण करते हुए हमने उनकी बात को सत्य मान लिया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّهٗ كَانَ رِجَالٌ مِّنَ الْاِنْسِ یَعُوْذُوْنَ بِرِجَالٍ مِّنَ الْجِنِّ فَزَادُوْهُمْ رَهَقًا ۟ۙ
जाहिलीयत के ज़माने में इनसानों में से कुछ लोग, जब किसी भयानक स्थान पर उतरते, तो जिन्नों में से कुछ लोगों की शरण लिया करते थे, चुनाँचे उनमें से एक कहता था : मैं इस वादी के प्रमुख जिन्न की शरण में आता हूँ, उसकी जाति के नासमझ जिन्नों की बुराई से।इस तरह इनसानों का जिन्नों से भय और डर बढ़ा गया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّهُمْ ظَنُّوْا كَمَا ظَنَنْتُمْ اَنْ لَّنْ یَّبْعَثَ اللّٰهُ اَحَدًا ۟ۙ
और यह कि इनसानों ने भी तुम्हारी तरह यही सोचा था कि अल्लाह किसी को उसकी मृत्यु के बाद हिसाब और प्रतिफल के लिए कभी पुनर्जीवित नहीं करेगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّا لَمَسْنَا السَّمَآءَ فَوَجَدْنٰهَا مُلِئَتْ حَرَسًا شَدِیْدًا وَّشُهُبًا ۟ۙ
और यह कि हमने आकाश की सूचना प्राप्त करने का प्रयास किया, तो पाया कि आकाश में फ़रिश्तों का बड़ा सख़्त पहरा बिठा दिया गया है, जो इस बात की पहरेदारी कर रहे हैं कि कोई चोरी-छिपे कुछ सुन न सके, जो हम किया करते थे। तथा उसे उल्काओं (अंगारों) से भर दिया गया है, जिनसे आकाश के निकट जाने वाले को मार भगाया जाता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّا كُنَّا نَقْعُدُ مِنْهَا مَقَاعِدَ لِلسَّمْعِ ؕ— فَمَنْ یَّسْتَمِعِ الْاٰنَ یَجِدْ لَهٗ شِهَابًا رَّصَدًا ۟ۙ
हम पहले आकाश में कुछ स्थानों पर बैठा करते थे, जहाँ से हम फ़रिश्तों के बीच आदान-प्रदान होने वाली बातों को सुनते थे, फिर उन्हें धरती में मौजूद काहिनों को बता दिया करते थे। लेकिन (अब) मामला बदल गया है। अब, हम में से जो सुनने का प्रयास करता है, वह अपने लिए एक जलती हुई आग को तैयार पाता है। जब वह निकट जाता है, तो वह उसपर छोड़ दी जाती है, जो उसे जला देती है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّا لَا نَدْرِیْۤ اَشَرٌّ اُرِیْدَ بِمَنْ فِی الْاَرْضِ اَمْ اَرَادَ بِهِمْ رَبُّهُمْ رَشَدًا ۟ۙ
हम नहीं जानते कि इस सख़्त पहरेदारी का कारण क्या है; क्या धरती के लोगों के लिए बुराई का इरादा किया गया है, या अल्लाह ने उनके लिए किसी भलाई का इरादा किया है।क्योंकि हमें आकाश की सूचना प्राप्त नहीं हो रही है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّا مِنَّا الصّٰلِحُوْنَ وَمِنَّا دُوْنَ ذٰلِكَ ؕ— كُنَّا طَرَآىِٕقَ قِدَدًا ۟ۙ
हम जिन्नों के बीच कुछ लोग अल्लाह से डरने वाले, सदाचारी हैं, तथा हमारे बीच कुछ लोग ऐसे हैं, जो काफ़िर और अवज्ञाकारी हैं। हम अलग-अलग वर्गों और विभिन्न विचारों वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّا ظَنَنَّاۤ اَنْ لَّنْ نُّعْجِزَ اللّٰهَ فِی الْاَرْضِ وَلَنْ نُّعْجِزَهٗ هَرَبًا ۟ۙ
हमें विश्वास हो गया है कि अगर अल्लाह हमसे कुछ चाहता है, तो हम उसके क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते और न ही हम उससे भागकर निकल सकते हैं, क्योंकि उसने हमें घेर रखा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّا لَمَّا سَمِعْنَا الْهُدٰۤی اٰمَنَّا بِهٖ ؕ— فَمَنْ یُّؤْمِنْ بِرَبِّهٖ فَلَا یَخَافُ بَخْسًا وَّلَا رَهَقًا ۟ۙ
जब हमने वह क़ुरआन सुना, जो सबसे सही रास्ते का मार्गदर्शन करता है, तो हम उसपर ईमान ले आए। अतः जो कोई अपने पालनहार पर ईमान लाएगा, उसे न अपनी नेकियों में कमी किए जाने का भय होगा और न उसके पिछले पापों में वृद्धि का।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• تأثير القرآن البالغ فيمَنْ يستمع إليه بقلب سليم.
• सच्चे दिल से क़ुरआन सुनने वाले पर, उसका व्यापक प्रभाव।

• الاستغاثة بالجن من الشرك بالله، ومعاقبةُ فاعله بضد مقصوده في الدنيا.
• जिन्नों से फ़रियाद करना अल्लाह के साथ शिर्क है। ऐसा करने वाले को, दुनिया में उसके उद्देश्य के विपरीत चीज़ के द्वारा दंडित किया जाता है।

• بطلان الكهانة ببعثة النبي صلى الله عليه وسلم.
• मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नबी बनाए जाने से कहानत का खंडित होना।

• من أدب المؤمن ألا يَنْسُبَ الشرّ إلى الله.
• यह एक मोमिन का शिष्टाचार है कि वह बुराई की निस्बत अल्लाह की ओर न करे।

وَّاَنَّا مِنَّا الْمُسْلِمُوْنَ وَمِنَّا الْقٰسِطُوْنَ ؕ— فَمَنْ اَسْلَمَ فَاُولٰٓىِٕكَ تَحَرَّوْا رَشَدًا ۟
और यह कि हममें से कुछ लोग अल्लाह की आज्ञा का पालन करने वाले मुसलमान हैं, तथा हममें से कुछ लोग सत्य और धार्मिकता के मार्ग से हटे हुए हैं। अतः जो आज्ञापालन और अच्छे कार्य के साथ अल्लाह का आज्ञाकारी हो गया, तो वही लोग हैं, जिन्होंने हिदायत और सत्य का मार्ग अपनाया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَمَّا الْقٰسِطُوْنَ فَكَانُوْا لِجَهَنَّمَ حَطَبًا ۟ۙ
और जहाँ तक उन लोगों की बात है, जो सत्य और धार्मिकता के मार्ग से हटे हुए हैं, तो वे लोग जहन्नम का ईंधन होंगे, जिसके द्वारा उनके जैसे इनसानों के साथ जहन्नम को भड़काया जाएगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنْ لَّوِ اسْتَقَامُوْا عَلَی الطَّرِیْقَةِ لَاَسْقَیْنٰهُمْ مَّآءً غَدَقًا ۟ۙ
जिस तरह उनकी ओर यह वह़्य की गई है कि जिन्नों के एक गिरोह ने क़ुरआन सुना, उसी तरह यह भी वह़्य की गई है कि अगर जिन्न एवं इनसान इस्लाम के रास्ते पर क़ायम रहते और उसके अनुसार कार्य करते, तो अल्लाह उन्हें भरपूर जल से सैराब करता और उन्हें विभिन्न नेमतें प्रदान करता।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لِّنَفْتِنَهُمْ فِیْهِ ؕ— وَمَنْ یُّعْرِضْ عَنْ ذِكْرِ رَبِّهٖ یَسْلُكْهُ عَذَابًا صَعَدًا ۟ۙ
ताकि हम उसमें उनका परीक्षण करें कि वे अल्लाह की नेमत का शुक्रिया अदा करते हैं या उसकी नाशुक्री करते हैं? और जो क़ुरआन से तथा उसमें मौजूद उपदेशों से मुँह फेरेगा, उसका पालनहार उसे बड़ी कठोर यातना में दाख़िल करेगा, जिसे वह सहन नहीं कर सकेगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّ الْمَسٰجِدَ لِلّٰهِ فَلَا تَدْعُوْا مَعَ اللّٰهِ اَحَدًا ۟ۙ
और यह कि मस्जिदें केवल पवित्र अल्लाह के लिए हैं, किसी और की नहीं। अतः उनके अंदर अल्लाह के साथ किसी और को न पुकारो। अन्यथा तुम यहूदियों और ईसाइयों के समान हो जाओगे उनके चर्चों और मंदिरों में।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّاَنَّهٗ لَمَّا قَامَ عَبْدُ اللّٰهِ یَدْعُوْهُ كَادُوْا یَكُوْنُوْنَ عَلَیْهِ لِبَدًا ۟ؕ۠
जब अल्लाह के बंदे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम 'नख़ला' नामी स्थान में अपने पालनहार की इबादत करने के लिए खड़े हुए, तो जिन्न आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के क़ुरआन के पाठ को सुनने के लिए इस तरह भीड़ लगाए हुए थे, जैसे एक-दूसरे पर चढ़े जा रहे हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنَّمَاۤ اَدْعُوْا رَبِّیْ وَلَاۤ اُشْرِكُ بِهٖۤ اَحَدًا ۟
(ऐ रसूल) आप इन मुश्रिकों से कह दें : मैं केवल अपने पालनहार ही को पुकारता हूँ और इबादत में उसके साथ उसके अलावा किसी को साझी नहीं बनाता, चाहे जो भी हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنِّیْ لَاۤ اَمْلِكُ لَكُمْ ضَرًّا وَّلَا رَشَدًا ۟
आप उनसे कह दें : मैं तुम्हारे लिए किसी ऐसे नुक़सान को टालने का अधिकार नहीं रखता, जिसे अल्लाह ने तुम्हारे लिए नियत कर दिया हो, और न ही मैं तुम्हें कोई ऐसा लाभ पहुँचा सकता, जिसे अल्लाह ने तुमसे रोक दिया हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنِّیْ لَنْ یُّجِیْرَنِیْ مِنَ اللّٰهِ اَحَدٌ ۙ۬— وَّلَنْ اَجِدَ مِنْ دُوْنِهٖ مُلْتَحَدًا ۟ۙ
आप उनसे कह दें : अगर मैं अल्लाह की अवज्ञा करूँ, तो उसकी पकड़ से मुझे कोई नहीं बचा सकेगा और न मुझे उसके अलावा कोई शरण लेने का स्थान मिल सकेगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِلَّا بَلٰغًا مِّنَ اللّٰهِ وَرِسٰلٰتِهٖ ؕ— وَمَنْ یَّعْصِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَاِنَّ لَهٗ نَارَ جَهَنَّمَ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اَبَدًا ۟ؕ
लेकिन जो कुछ मेरे अधिकार में है, वह यह है कि अल्लाह ने मुझे जो कुछ तुम्हें पहुँचाने का आदेश दिया है, वह तुम्हें पहुँचा दूँ, और उसका संदेश जिसके साथ उसने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। और जो अल्लाह तथा उसके रसूल की अवज्ञा करेगा, उसका अंजाम जहन्नम में प्रवेश है, जहाँ वह हमेशा रहेगा, उससे वह कभी भी नहीं निकलेगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
حَتّٰۤی اِذَا رَاَوْا مَا یُوْعَدُوْنَ فَسَیَعْلَمُوْنَ مَنْ اَضْعَفُ نَاصِرًا وَّاَقَلُّ عَدَدًا ۟
काफ़िर लोग अपने कुफ़्र के मार्ग ही पर चलते रहेंगे, यहाँ तक कि जब क़ियामत के दिन अपनी आँखों से उस यातना को देख लेंगे, जिसका उनसे दुनिया में वादा किया जाता था, तो उस समय वे जान लेंगे कि सबसे कमज़ोर समर्थक वाला कौन है, और उन्हें पता चल जाएगा कि सबसे कम सहायक वाला कौन है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنْ اَدْرِیْۤ اَقَرِیْبٌ مَّا تُوْعَدُوْنَ اَمْ یَجْعَلُ لَهٗ رَبِّیْۤ اَمَدًا ۟
(ऐ रसूल) इन दोबारा जीवित होकर उठने का इनकार करने वाले मुश्रिकों से कह दें : मैं नहीं जानता कि वह यातना जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है, निकट है या उसकी कोई अवधि निर्धारित है, जिसे अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
عٰلِمُ الْغَیْبِ فَلَا یُظْهِرُ عَلٰی غَیْبِهٖۤ اَحَدًا ۟ۙ
वही पवित्र अल्लाह ग़ैब (परोक्ष) की सभी बातों को जानने वाला है। उससे ग़ैब की कोई बात छिपा नहीं है। चुनाँचे वह अपनी ग़ैब की बातों से किसी को सूचित नहीं करता। बल्कि वह उसके ज्ञान तक सीमित रहता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِلَّا مَنِ ارْتَضٰی مِنْ رَّسُوْلٍ فَاِنَّهٗ یَسْلُكُ مِنْ بَیْنِ یَدَیْهِ وَمِنْ خَلْفِهٖ رَصَدًا ۟ۙ
सिवाय उस रसूल के, जिसे अल्लाह सर्वशक्तिमान पसंद कर ले। तो वह उसे जिस चीज़ से चाहता है, सूचित कर देता है, तथा वह उस रसूल के आगे और उसके पीछे फ़रिश्तों का पहरा लगा देता है, जो उसकी रक्षा करते हैं, ताकि उस रसूल के अलावा कोई और उससे अवगत न हो सके।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لِّیَعْلَمَ اَنْ قَدْ اَبْلَغُوْا رِسٰلٰتِ رَبِّهِمْ وَاَحَاطَ بِمَا لَدَیْهِمْ وَاَحْصٰی كُلَّ شَیْءٍ عَدَدًا ۟۠
आशा है कि रसूल जान ले कि उसके पहले के रसूलों ने अपने पालनहार के संदेशों को पहुँचा दिया था, जिनके पहुँचाने का अल्लाह ने उन्हें आदेश दिया था क्योंकि अल्लाह ने उन्हें (भी) अपने देखभाल से घेर रखा था। तथा अल्लाह ने, जो कुछ फ़रिश्तों और रसूलों के पास है, अपने ज्ञान से घेर रखा है। इसलिए उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। और उसने हर चीज़ की संख्या गिन रखी है। अतः उससे कोई चीज़ छिपी नहीं है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• الجَوْر سبب في دخول النار.
• अत्याचार जहन्नम में जाने का एक कारण हैl

• أهمية الاستقامة في تحصيل المقاصد الحسنة.
• अच्छे उद्देश्यों को प्राप्त करने में सत्य मार्ग पर दृढ़ता का महत्व।

• حُفِظ الوحي من عبث الشياطين.
• वह़्य को शैतानों के खिलवाड़ से संरक्षित किया गया है।

 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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