Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - Indische Übersetzung * - Übersetzungen

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Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Al-A‘râf   Vers:

सूरा अल्-आराफ़

الٓمّٓصٓ ۟ۚ
अलिफ़, लाम, मीम, साद।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
كِتٰبٌ اُنْزِلَ اِلَیْكَ فَلَا یَكُنْ فِیْ صَدْرِكَ حَرَجٌ مِّنْهُ لِتُنْذِرَ بِهٖ وَذِكْرٰی لِلْمُؤْمِنِیْنَ ۟
यह एक पुस्तक है, जो आपकी ओर उतारी गई है। अतः (ऐ नबी!) आपके सीने में इससे कोई तंगी न हो। ताकि आप इसके द्वारा (लोगों को) सावधान करें[1] और (यह) ईमान वालों के लिए उपदेश है।
1. अर्थात अल्लाह के इनकार और उसके दुष्परिणाम से।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِتَّبِعُوْا مَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكُمْ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَلَا تَتَّبِعُوْا مِنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءَ ؕ— قَلِیْلًا مَّا تَذَكَّرُوْنَ ۟
(ऐ लोगो!) जो कुछ तुम्हारे पालनहार की ओर से तुम्हारी ओर उतारा गया है, उसका अनुसरण करो और उसके सिवा दूसरे सहायकों के पीछे न चलो। तुम बहुत ही कम उपदेश ग्रहण करते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَكَمْ مِّنْ قَرْیَةٍ اَهْلَكْنٰهَا فَجَآءَهَا بَاْسُنَا بَیَاتًا اَوْ هُمْ قَآىِٕلُوْنَ ۟
कितनी ही बस्तियाँ हैं, जिन्हें हमने विनष्ट कर दिया। तो उनपर हमारा प्रकोप रातों-रात आया या जब वे दोपहर में विश्राम करने वाले थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَمَا كَانَ دَعْوٰىهُمْ اِذْ جَآءَهُمْ بَاْسُنَاۤ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوْۤا اِنَّا كُنَّا ظٰلِمِیْنَ ۟
फिर जब उनपर हमारा प्रकोप आ पड़ा, तो उनकी पुकार यह कहने के सिवा कुछ नहीं थी : निश्चय हम ही अत्याचारी[2] थे।
2. अर्थात अपनी हठधर्मी को उस समय स्वीकार किया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَنَسْـَٔلَنَّ الَّذِیْنَ اُرْسِلَ اِلَیْهِمْ وَلَنَسْـَٔلَنَّ الْمُرْسَلِیْنَ ۟ۙ
तो निश्चय हम उन लोगों से अवश्य पूछेंगे, जिनके पास रसूल भेजे गए तथा निश्चय हम रसूलों से (भी) ज़रूर[3] पूछेंगे।
3. अर्थात प्रयल के दिन उन समुदायों से प्रश्न किया जाएगा कि तुम्हारे पास रसूल आए या नहीं? वे उत्तर देंगे : आए थे। परंतु हम ही अत्याचारी थे। हमने उनकी एक न सुनी। फिर रसूलों से प्रश्न किया जाएगा कि उन्होंने अल्लाह का संदेश पहुँचाया या नहीं? तो वे कहेंगे : अवश्य हमने तेरा संदेश पहुँचा दिया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَنَقُصَّنَّ عَلَیْهِمْ بِعِلْمٍ وَّمَا كُنَّا غَآىِٕبِیْنَ ۟
फिर निश्चय हम पूरी जानकारी के साथ उनके सामने सब कुछ बयान कर देंगे और हम कहीं अनुपस्थित नहीं थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالْوَزْنُ یَوْمَىِٕذِ ١لْحَقُّ ۚ— فَمَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِیْنُهٗ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟
तथा उस दिन (कर्मों का) वज़न न्याय के साथ होगा। फिर जिसके पलड़े भारी हो गए, तो वही लोग सफल होने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَنْ خَفَّتْ مَوَازِیْنُهٗ فَاُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ بِمَا كَانُوْا بِاٰیٰتِنَا یَظْلِمُوْنَ ۟
और जिसके पलड़े हल्के हो गए, तो यही वे लोग हैं जिन्होंने अपने आपको घाटे में डाला, क्योंकि वे हमारी आयतों के साथ अन्याय करते थे।[4]
4. भावार्थ यह है कि यह अल्लाह का नियम है कि प्रत्येक व्यक्ति तथा समुदाय को उनके कर्मानुसार फल मिलेगा। और कर्मों की तौल के लिये अल्लाह ने नाप निर्धारित कर दी है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَقَدْ مَكَّنّٰكُمْ فِی الْاَرْضِ وَجَعَلْنَا لَكُمْ فِیْهَا مَعَایِشَ ؕ— قَلِیْلًا مَّا تَشْكُرُوْنَ ۟۠
तथा निःसंदेह हमने तुम्हें धरती में बसा दिया और उसमें तुम्हारे लिए जीवन के संसाधन बनाए। तुम बहुत कम शुक्र करते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَقَدْ خَلَقْنٰكُمْ ثُمَّ صَوَّرْنٰكُمْ ثُمَّ قُلْنَا لِلْمَلٰٓىِٕكَةِ اسْجُدُوْا لِاٰدَمَ ۖۗ— فَسَجَدُوْۤا اِلَّاۤ اِبْلِیْسَ ؕ— لَمْ یَكُنْ مِّنَ السّٰجِدِیْنَ ۟
और निःसंदेह हमने तुम्हें पैदा किया[5], फिर तुम्हारा रूप बनाया, फिर फ़रिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो। तो उन्होंने सजदा किया, सिवाय इबलीस के। वह सदजा करने वालों में से न हुआ।
5. अर्थात मूल पुरुष आदम को अस्तित्व दिया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ مَا مَنَعَكَ اَلَّا تَسْجُدَ اِذْ اَمَرْتُكَ ؕ— قَالَ اَنَا خَیْرٌ مِّنْهُ ۚ— خَلَقْتَنِیْ مِنْ نَّارٍ وَّخَلَقْتَهٗ مِنْ طِیْنٍ ۟
(अल्लाह ने) कहा : जब मैंने तुझे आदेश दिया था तो तुझे किस बात ने सजदा करने से रोका? उसने कहा : मैं उससे अच्छा हूँ। तूने मुझे आग से पैदा किया है और तूने उसे मिट्टी से बनाया है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ فَاهْبِطْ مِنْهَا فَمَا یَكُوْنُ لَكَ اَنْ تَتَكَبَّرَ فِیْهَا فَاخْرُجْ اِنَّكَ مِنَ الصّٰغِرِیْنَ ۟
(अल्लाह ने) कहा : फिर इस (जन्नत) से उतर जा। क्योंकि तेरे लिए यह न होगा कि तू इसमें घमंड करे। सो निकल जा। निश्चय ही तू अपमानित होने वालों में से है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ اَنْظِرْنِیْۤ اِلٰی یَوْمِ یُبْعَثُوْنَ ۟
(इबलीस ने) कहा : मुझे उस दिन तक मोहलत दे, जब वे उठाए जाएँगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ اِنَّكَ مِنَ الْمُنْظَرِیْنَ ۟
(अल्लाह ने) कहा : निःसंदेह तू मोहलत दिए जाने वालों में से है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ فَبِمَاۤ اَغْوَیْتَنِیْ لَاَقْعُدَنَّ لَهُمْ صِرَاطَكَ الْمُسْتَقِیْمَ ۟ۙ
उसने कहा : फिर इस कारण कि तूने मुझे गुमराह किया है, मैं निश्चय उनके लिए तेरे सीधे मार्ग पर अवश्य बैठूँगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ثُمَّ لَاٰتِیَنَّهُمْ مِّنْ بَیْنِ اَیْدِیْهِمْ وَمِنْ خَلْفِهِمْ وَعَنْ اَیْمَانِهِمْ وَعَنْ شَمَآىِٕلِهِمْ ؕ— وَلَا تَجِدُ اَكْثَرَهُمْ شٰكِرِیْنَ ۟
फिर मैं उनके पास उनके आगे से, उनके पीछे से, उनके दाएँ से और उनके बाएँ से आऊँगा। और तू उनमें से अधिकतर लोगों को शुक्र करने वाला नहीं पाएगा।[6]
6. शैतान ने अपना विचार सच कर दिखाया और अधिकतर लोग उसके जाल में फंस कर शिर्क जैसे महा पाप में पड़ गए। (देखिए : सूरत सबा, आयत : 20)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ اخْرُجْ مِنْهَا مَذْءُوْمًا مَّدْحُوْرًا ؕ— لَمَنْ تَبِعَكَ مِنْهُمْ لَاَمْلَـَٔنَّ جَهَنَّمَ مِنْكُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟
(अल्लाह ने) कहा : यहाँ से निंदित धिक्कारा हुआ निकल जा। निःसंदेह उनमें से जो तेरे पीछे चलेगा, मैं निश्चय ही तुम सब से नरक को अवश्य भर दूँगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَیٰۤاٰدَمُ اسْكُنْ اَنْتَ وَزَوْجُكَ الْجَنَّةَ فَكُلَا مِنْ حَیْثُ شِئْتُمَا وَلَا تَقْرَبَا هٰذِهِ الشَّجَرَةَ فَتَكُوْنَا مِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
और ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी इस जन्नत में रहो। अतः दोनों जहाँ से चाहो, खाओ और इस पेड़ के पास मत जाना कि दोनों अत्याचारियों में से हो जाओगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَوَسْوَسَ لَهُمَا الشَّیْطٰنُ لِیُبْدِیَ لَهُمَا مَا وٗرِیَ عَنْهُمَا مِنْ سَوْاٰتِهِمَا وَقَالَ مَا نَهٰىكُمَا رَبُّكُمَا عَنْ هٰذِهِ الشَّجَرَةِ اِلَّاۤ اَنْ تَكُوْنَا مَلَكَیْنِ اَوْ تَكُوْنَا مِنَ الْخٰلِدِیْنَ ۟
फिर शैतान ने उन दोनों के हृदय में वसवसा डाला। ताकि उनके लिए प्रकट कर दे जो कुछ उनके गुप्तांगों में से उनसे छिपाया गया था, और उसने कहा : तुम दोनों के पालनहार ने तुम्हें इस पेड़ से केवल इसलिए मना किया है कि कहीं तुम दोनों फ़रिश्ते न बन जाओ, अथवा हमेशा रहने वालों में से न हो जाओ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَاسَمَهُمَاۤ اِنِّیْ لَكُمَا لَمِنَ النّٰصِحِیْنَ ۟ۙ
तथा उसने उन दोनों से क़सम खाकर कहा : निःसंदेह मैं तुम दोनों का निश्चित रूप से हितैषी हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَدَلّٰىهُمَا بِغُرُوْرٍ ۚ— فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَةَ بَدَتْ لَهُمَا سَوْاٰتُهُمَا وَطَفِقَا یَخْصِفٰنِ عَلَیْهِمَا مِنْ وَّرَقِ الْجَنَّةِ ؕ— وَنَادٰىهُمَا رَبُّهُمَاۤ اَلَمْ اَنْهَكُمَا عَنْ تِلْكُمَا الشَّجَرَةِ وَاَقُلْ لَّكُمَاۤ اِنَّ الشَّیْطٰنَ لَكُمَا عَدُوٌّ مُّبِیْنٌ ۟
चुनाँचे उसने उन दोनों को धोखे से नीचे उतार लिया। फिर जब उन दोनों ने उस वृक्ष को चखा, तो उनके लिए उनके गुप्तांग प्रकट हो गए और दोनों अपने आपपर जन्नत के पत्ते चिपकाने लगे। और उन दोनों को उनके पालनहार ने आवाज़ दी : क्या मैंने तुम दोनों को इस वृक्ष से रोका नहीं था और तुम दोनों से नहीं कहा था कि निःसंदेह शैतान तुम दोनों का खुला शत्रु है?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَا رَبَّنَا ظَلَمْنَاۤ اَنْفُسَنَا ٚ— وَاِنْ لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الْخٰسِرِیْنَ ۟
दोनों ने कहा : ऐ हमारे पालनहार! हमने अपने आपपर अत्याचार किया है। और यदि तूने हमें क्षमा न किया तथा हमपर दया न की, तो निश्चय हम अवश्य घाटा उठाने वालों में से हो जाएँगे।[7]
7. अर्थात आदम तथा ह़व्वा ने अपने पाप के लिए अल्लाह से क्षमा माँग ली। शैतान के समान अभिमान नहीं किया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ اهْبِطُوْا بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ ۚ— وَلَكُمْ فِی الْاَرْضِ مُسْتَقَرٌّ وَّمَتَاعٌ اِلٰی حِیْنٍ ۟
(अल्लाह ने) कहा : उतर जाओ। तुम एक-दूसरे के शत्रु हो और तुम्हारे लिए धरती में एक अवधि तक रहने का स्थान और कुछ जीवन-सामग्री है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ فِیْهَا تَحْیَوْنَ وَفِیْهَا تَمُوْتُوْنَ وَمِنْهَا تُخْرَجُوْنَ ۟۠
उसने कहा : तुम उसी में जीवित रहोगे और उसी में मरोगे और उसी से निकाले जाओगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ قَدْ اَنْزَلْنَا عَلَیْكُمْ لِبَاسًا یُّوَارِیْ سَوْاٰتِكُمْ وَرِیْشًا ؕ— وَلِبَاسُ التَّقْوٰی ۙ— ذٰلِكَ خَیْرٌ ؕ— ذٰلِكَ مِنْ اٰیٰتِ اللّٰهِ لَعَلَّهُمْ یَذَّكَّرُوْنَ ۟
ऐ आदम की संतान! निश्चय हमने तुमपर वस्त्र उतारा है, जो तुम्हारे गुप्तांगों को छिपाता है और शोभा भी है। और तक़वा (अल्लाह की आज्ञाकारिता) का वस्त्र सबसे अच्छा है। यह अल्लाह की निशानियों में से है, ताकि वे उपदेश ग्रहण करें।[8]
8. तथा उसके आज्ञाकारी एवं कृतज्ञ बनें।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ لَا یَفْتِنَنَّكُمُ الشَّیْطٰنُ كَمَاۤ اَخْرَجَ اَبَوَیْكُمْ مِّنَ الْجَنَّةِ یَنْزِعُ عَنْهُمَا لِبَاسَهُمَا لِیُرِیَهُمَا سَوْاٰتِهِمَا ؕ— اِنَّهٗ یَرٰىكُمْ هُوَ وَقَبِیْلُهٗ مِنْ حَیْثُ لَا تَرَوْنَهُمْ ؕ— اِنَّا جَعَلْنَا الشَّیٰطِیْنَ اَوْلِیَآءَ لِلَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
ऐ आदम की संतान! ऐसा न हो कि शैतान तुम्हें लुभाए, जैसे उसने तुम्हारे माता-पिता को जन्नत से निकाल दिया; वह दोनों के वस्त्र उतारता था, ताकि दोनों को उनके गुप्तांग दिखाए। निःसंदेह वह तथा उसकी जाति, तुम्हें वहाँ से देखते हैं, जहाँ से तुम उन्हें नहीं देखते। निःसंदेह हमने शैतानों को उन लोगों का मित्र बनाया है, जो ईमान नहीं रखते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذَا فَعَلُوْا فَاحِشَةً قَالُوْا وَجَدْنَا عَلَیْهَاۤ اٰبَآءَنَا وَاللّٰهُ اَمَرَنَا بِهَا ؕ— قُلْ اِنَّ اللّٰهَ لَا یَاْمُرُ بِالْفَحْشَآءِ ؕ— اَتَقُوْلُوْنَ عَلَی اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
तथा जब वे कोई निर्लज्जता का काम करते हैं, तो कहते हैं कि हमने अपने पूर्वजों को कि इसी (रीति) पर पाया तथा अल्लाह ने हमें इसका आदेश दिया है। (ऐ नबी!) आप उनसे कह दें : निःसंदेह अल्लाह निर्लज्जता का आदेश नहीं देता। क्या तुम अल्लाह पर ऐसी बात का आरोप धरते हो, जो तुम नहीं जानते?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اَمَرَ رَبِّیْ بِالْقِسْطِ ۫— وَاَقِیْمُوْا وُجُوْهَكُمْ عِنْدَ كُلِّ مَسْجِدٍ وَّادْعُوْهُ مُخْلِصِیْنَ لَهُ الدِّیْنَ ؕ۬— كَمَا بَدَاَكُمْ تَعُوْدُوْنَ ۟ؕ
आप कह दें : मेरे पालनहार ने न्याय का आदेश दिया है। तथा प्रत्येक नमाज़ के समय अपने चेहरे को सीधा रखो, और उसके लिए धर्म को विशुद्ध करते हुए उसे पुकारो। जिस तरह उसने तुम्हें पहली बार पैदा किया, उसी तरह वह तुम्हें दोबारा पैदा करेगा।[9]
9. इस आयत में सत्य धर्म के तीन मूल नियम बताए गए हैं : कर्म में संतुलन, इबादत में अल्लाह की ओर ध्यान तथा धर्म में विशुद्धता तथा एक अल्लाह की इबादत करना।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَرِیْقًا هَدٰی وَفَرِیْقًا حَقَّ عَلَیْهِمُ الضَّلٰلَةُ ؕ— اِنَّهُمُ اتَّخَذُوا الشَّیٰطِیْنَ اَوْلِیَآءَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَیَحْسَبُوْنَ اَنَّهُمْ مُّهْتَدُوْنَ ۟
एक समूह का उसने मार्गदर्शन किया और एक समूह पर गुमराही सिद्ध हो गई। निःसंदेह उन्होंने अल्लाह को छोड़कर शैतानों को दोस्त बना लिया और समझते हैं कि निश्चय वे सीधे मार्ग पर हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ خُذُوْا زِیْنَتَكُمْ عِنْدَ كُلِّ مَسْجِدٍ وَّكُلُوْا وَاشْرَبُوْا وَلَا تُسْرِفُوْا ؕۚ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الْمُسْرِفِیْنَ ۟۠
ऐ आदम की संतान! प्रत्येक नमाज़ के समय अपनी शोभा धारण[10] करो। तथा खाओ और पियो और हद से आगे न बढ़ो। निःसंदेह वह हद से आगे बढ़ने वालों से प्रेम नहीं करता।
10. क़ुरैश नग्न होकर काबा की परिक्रमा करते थे। इसी पर यह आयत उतरी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ مَنْ حَرَّمَ زِیْنَةَ اللّٰهِ الَّتِیْۤ اَخْرَجَ لِعِبَادِهٖ وَالطَّیِّبٰتِ مِنَ الرِّزْقِ ؕ— قُلْ هِیَ لِلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا خَالِصَةً یَّوْمَ الْقِیٰمَةِ ؕ— كَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّعْلَمُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) कह दें : किसने अल्लाह की उस शोभा को, जिसे उसने अपने बंदों के लिए पैदा किया है तथा खाने-पीने की पवित्र चीज़ों को हराम किया है?[11] आप कह दें : ये चीज़ें सांसारिक जीवन में (भी) ईमान वालों के लिए हैं, जबकि क़ियामत के दिन केवल उन्हीं के लिए विशिष्ट[12] होंगी। इसी तरह, हम निशानियों को उन लोगों के लिए खोल-खोलकर बयान करते हैं, जो जानते हैं।
11. इस आयत में संन्यास का खंडन किया गया है कि जीवन के सुखों तथा शोभाओं से लाभान्वित होना धर्म के विरुद्ध नहीं है। इन सबसे लाभान्वित होने ही में अल्लाह की प्रसन्नता है। नग्न रहना तथा सांसारिक सुखों से वंचित हो जाना सत्धर्म नहीं है। धर्म की यह शिक्षा है कि अपनी शोभाओं से सुसज्जित होकर अल्लाह की इबादत और उपासना करो। 12. एक बार नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) से कहा : क्या तुम प्रसन्न नहीं हो कि संसार काफ़िरों के लिए है और परलोक हमारे लिए। (बुख़ारी : 2468, मुस्लिम : 1479)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنَّمَا حَرَّمَ رَبِّیَ الْفَوَاحِشَ مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَمَا بَطَنَ وَالْاِثْمَ وَالْبَغْیَ بِغَیْرِ الْحَقِّ وَاَنْ تُشْرِكُوْا بِاللّٰهِ مَا لَمْ یُنَزِّلْ بِهٖ سُلْطٰنًا وَّاَنْ تَقُوْلُوْا عَلَی اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दें कि मेरे पालनहार ने तो केवल खुले एवं छिपे अश्लील कर्मों को तथा पाप एवं नाहक़ अत्याचार को हराम किया है, तथा इस बात को कि तुम उसे अल्लाह का साझी बनाओ, जिस (के साझी होने) का कोई प्रमाण उसने नहीं उतारा है तथा यह कि तुम अल्लाह पर ऐसी बात कहो, जो तुम नहीं जानते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلِكُلِّ اُمَّةٍ اَجَلٌ ۚ— فَاِذَا جَآءَ اَجَلُهُمْ لَا یَسْتَاْخِرُوْنَ سَاعَةً وَّلَا یَسْتَقْدِمُوْنَ ۟
प्रत्येक समुदाय का[13] एक निर्धारित समय है। फिर जब उनका नियत समय आ जाता है, तो वे एक घड़ी न पीछे होते हैं और न आगे होते हैं।
13. अर्थात काफ़िर समुदाय की यातना के लिए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ اِمَّا یَاْتِیَنَّكُمْ رُسُلٌ مِّنْكُمْ یَقُصُّوْنَ عَلَیْكُمْ اٰیٰتِیْ ۙ— فَمَنِ اتَّقٰی وَاَصْلَحَ فَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟
ऐ आदम की संतान! जब तुम्हारे पास तुम्हीं में से रसूल आएँ, जो तुम्हें मेरी आयतें सुनाएँ, तो जो कोई डरा और अपना सुधार कर लिया, तो उनके लिए न तो कोई भय होगा और न वे शोक करेंगे।[14]
14. इस आयत में मानव जाति के मार्गदर्शन के लिए समय-समय पर रसूलों के आने के बारे में सूचित किया गया है और बताय जा रहा है कि अब इसी नियमानुसार अंतिम रसूल मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आ गए हैं। अतः उनकी बात मान लो, अन्यथा इसका परिणाम स्वयं तुम्हारे सामने आ जाएगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَاسْتَكْبَرُوْا عَنْهَاۤ اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
तथा जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया और उन्हें मानने से अभिमान किया, वही लोग आग (जहन्नम) वाले हैं, वे उसमें हमेशा रहने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ كَذَّبَ بِاٰیٰتِهٖ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ یَنَالُهُمْ نَصِیْبُهُمْ مِّنَ الْكِتٰبِ ؕ— حَتّٰۤی اِذَا جَآءَتْهُمْ رُسُلُنَا یَتَوَفَّوْنَهُمْ ۙ— قَالُوْۤا اَیْنَ مَا كُنْتُمْ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— قَالُوْا ضَلُّوْا عَنَّا وَشَهِدُوْا عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ اَنَّهُمْ كَانُوْا كٰفِرِیْنَ ۟
फिर उससे बड़ा अत्याचारी कौन है, जो अल्लाह पर झूठा आरोप लगाए या उसकी आयतों को झुठलाए? ये वही लोग हैं, जिन्हें लिखे हुए में से उनका हिस्सा मिलता रहेगा। यहाँ तक कि जब उनके पास हमारे भेजे हुए (फ़रिश्ते) उनका प्राण निकालने के लिए आएँगे, तो कहेंगे : कहाँ हैं वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पुकारते थे? वे कहेंगे : वे हमसे गुम हो गए। तथा वे अपने ख़िलाफ़ गवाही देंगे कि वे वास्तव में काफ़िर थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ ادْخُلُوْا فِیْۤ اُمَمٍ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِكُمْ مِّنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ فِی النَّارِ ؕ— كُلَّمَا دَخَلَتْ اُمَّةٌ لَّعَنَتْ اُخْتَهَا ؕ— حَتّٰۤی اِذَا ادَّارَكُوْا فِیْهَا جَمِیْعًا ۙ— قَالَتْ اُخْرٰىهُمْ لِاُوْلٰىهُمْ رَبَّنَا هٰۤؤُلَآءِ اَضَلُّوْنَا فَاٰتِهِمْ عَذَابًا ضِعْفًا مِّنَ النَّارِ ؕ۬— قَالَ لِكُلٍّ ضِعْفٌ وَّلٰكِنْ لَّا تَعْلَمُوْنَ ۟
वह कहेगा : उन समूहों के साथ जो जिन्नों और इनसानों में से तुमसे पहले गुज़र चुके हैं, आग में प्रवेश कर जाओ। जब भी कोई समूह प्रवेश करेगा, तो अपने साथ वाले समूह को लानत करेगा। यहाँ तक कि जब उसमें सभी एकत्र हो जाएँगे, तो उनमें से बाद में आने वाले लोग पहले आने वाले लोगों के बारे में कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! इन लोगों ने हमें गुमराह किया था। अतः इन्हें आग की दुगनी यातना दे! अल्लाह कहेगा : सभी के लिए दुगनी यातना है, परंतु तुम नहीं जानते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَتْ اُوْلٰىهُمْ لِاُخْرٰىهُمْ فَمَا كَانَ لَكُمْ عَلَیْنَا مِنْ فَضْلٍ فَذُوْقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْسِبُوْنَ ۟۠
तथा उनमें से पहला समूह अपने बाद के समूह से कहेगा : फिर तुम्हें हमपर कोई श्रेष्ठता[15] नहीं है। अतः जो कुछ तुम कमाया करते थे उसके बदले में यातना का स्वाद चखो।
15. और हम और तुम यातना में बराबर हैं। आयत में इस तथ्य की ओर संकेत है कि कोई समुदाय कुपथ होता है तो वह स्वयं कुपथ नहीं होता, वह दूसरों को भी अपने कुचरित्र से कुपथ करता है। अतः सभी दुगनी यातना के अधिकारी हुए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَاسْتَكْبَرُوْا عَنْهَا لَا تُفَتَّحُ لَهُمْ اَبْوَابُ السَّمَآءِ وَلَا یَدْخُلُوْنَ الْجَنَّةَ حَتّٰی یَلِجَ الْجَمَلُ فِیْ سَمِّ الْخِیَاطِ ؕ— وَكَذٰلِكَ نَجْزِی الْمُجْرِمِیْنَ ۟
निःसंदेह जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया और उन्हें स्वीकार करने से अहंकार किया, उनके लिए न आकाश के द्वार खोले जाएँगे और न वे जन्नत में प्रवेश करेंगे, यहाँ तक[16] कि ऊँट सुई के नाके में प्रवेश कर जाए और हम अपराधियों को इसी प्रकार बदला देते हैं।
16. अर्थात उनका स्वर्ग में प्रवेश असंभव है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لَهُمْ مِّنْ جَهَنَّمَ مِهَادٌ وَّمِنْ فَوْقِهِمْ غَوَاشٍ ؕ— وَكَذٰلِكَ نَجْزِی الظّٰلِمِیْنَ ۟
उनके लिए जहन्नम ही का बिछौना और उनके ऊपर का ओढ़ना होगा और हम अत्याचारियों को इसी तरह बदला[17] देते हैं।
17. अर्थात उनके कुकर्मों तथा अत्याचारों का।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَا نُكَلِّفُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَاۤ ؗ— اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने नेक काम किए, हम किसी पर उसके सामर्थ्य से बढ़कर भार नहीं डालते, वही लोग जन्नत वाले हैं, वे उसमें हमेशा रहने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَنَزَعْنَا مَا فِیْ صُدُوْرِهِمْ مِّنْ غِلٍّ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهِمُ الْاَنْهٰرُ ۚ— وَقَالُوا الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْ هَدٰىنَا لِهٰذَا ۫— وَمَا كُنَّا لِنَهْتَدِیَ لَوْلَاۤ اَنْ هَدٰىنَا اللّٰهُ ۚ— لَقَدْ جَآءَتْ رُسُلُ رَبِّنَا بِالْحَقِّ ؕ— وَنُوْدُوْۤا اَنْ تِلْكُمُ الْجَنَّةُ اُوْرِثْتُمُوْهَا بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
तथा उनके सीनों में जो भी द्वेष होगा, हम उसे निकाल देंगे।[18] उनके नीचे से नहरें बहती होंगी। तथा वे कहेंगे : सब प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है, जिसने इसके लिए हमारा मार्गदर्शन किया। और यदि अल्लाह हमारा मार्गदर्शन न किया होता, तो हम कभी भी मार्ग न पाते। निश्चय ही हमारे पालनहार के रसूल सत्य लेकर आए। तथा उन्हें पुकार कर कहा जाएगा : यही वह जन्नत है, जिसके वारिस तुम उसके कारण बनाए गए हो, जो तुम किया करते थे।
18. स्वर्गियों को सभी प्रकार की सुख-सुविधा के साथ यह भी बड़ी नेमत मिलेगी कि उनके दिलों का बैर निकाल दिया जाएगा, ताकि स्वर्ग में मित्र बनकर रहें। क्योंकि आपस के बैर से सब सुख किरकिरा हो जाता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَنَادٰۤی اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ اَصْحٰبَ النَّارِ اَنْ قَدْ وَجَدْنَا مَا وَعَدَنَا رَبُّنَا حَقًّا فَهَلْ وَجَدْتُّمْ مَّا وَعَدَ رَبُّكُمْ حَقًّا ؕ— قَالُوْا نَعَمْ ۚ— فَاَذَّنَ مُؤَذِّنٌ بَیْنَهُمْ اَنْ لَّعْنَةُ اللّٰهِ عَلَی الظّٰلِمِیْنَ ۟ۙ
तथा स्वर्गवासी नरकवासियों को पुकारकर कहेंगे कि हमें, हमारे पालनहार ने जो वचन दिया था, उसे हमने सच पाया, तो क्या तुम्हारे पानलहार ने तुम्हें जो वचन दिया था, उसे तुमने सच पाया? वे कहेंगे कि हाँ! फिर उनके बीच एक पुकारने वाला पुकारेगा कि अत्याचारियों पर अल्लाह की लानत है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
الَّذِیْنَ یَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَیَبْغُوْنَهَا عِوَجًا ۚ— وَهُمْ بِالْاٰخِرَةِ كٰفِرُوْنَ ۟ۘ
जो अल्लाह के मार्ग से रोकते हैं और उसमें टेढ़ापन ढूँढ़ते हैं तथा वे आख़िरत का इनकार करने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَبَیْنَهُمَا حِجَابٌ ۚ— وَعَلَی الْاَعْرَافِ رِجَالٌ یَّعْرِفُوْنَ كُلًّا بِسِیْمٰىهُمْ ۚ— وَنَادَوْا اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ اَنْ سَلٰمٌ عَلَیْكُمْ ۫— لَمْ یَدْخُلُوْهَا وَهُمْ یَطْمَعُوْنَ ۟
और दोनों के बीच एक परदा होगा। और उसकी ऊँचाइयों (आराफ़)[19] पर कुछ आदमी होंगे, जो सभी को उनके लक्षणों से पहचानें गे। और वे जन्नत वालों को पुकारकर कहेंगे : तुमपर सलाम हो। वे उसमें दाखिल न हुए होंगे, जबकि उसकी आशा रखते होंगे।
19. आराफ़ नरक तथा स्वर्ग के मध्य एक दीवार है, जिसपर वे लोग रहेंगे जिनके सुकर्म और कुकर्म बराबर होंगे। और वे अल्लाह की दया से स्वर्ग में प्रवेश की आशा रखते होंगे। (इब्ने कसीर)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذَا صُرِفَتْ اَبْصَارُهُمْ تِلْقَآءَ اَصْحٰبِ النَّارِ ۙ— قَالُوْا رَبَّنَا لَا تَجْعَلْنَا مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ ۟۠
और जब उनकी आँखें जहन्नम वालों की ओर फेरी जाएँगी, तो कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! हमें अत्याचारी लोगों में सम्मिलित न करना।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَنَادٰۤی اَصْحٰبُ الْاَعْرَافِ رِجَالًا یَّعْرِفُوْنَهُمْ بِسِیْمٰىهُمْ قَالُوْا مَاۤ اَغْنٰی عَنْكُمْ جَمْعُكُمْ وَمَا كُنْتُمْ تَسْتَكْبِرُوْنَ ۟
तथा आराफ़ (ऊँचाइयों) वाले कुछ लोगों को पुकारेंगे, जिन्हें वे उनके लक्षणों से पहचानते होंगे[20], कहेंगे : तुम्हारे काम न तुम्हारे जत्थे आए और न जो तुम बड़े बनते थे।
20. जिनको संसार में पहचानते थे और याद दिलाएँगे कि जिसपर तुम्हें घमंड था आज तुम्हारे काम नहीं आया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَهٰۤؤُلَآءِ الَّذِیْنَ اَقْسَمْتُمْ لَا یَنَالُهُمُ اللّٰهُ بِرَحْمَةٍ ؕ— اُدْخُلُوا الْجَنَّةَ لَا خَوْفٌ عَلَیْكُمْ وَلَاۤ اَنْتُمْ تَحْزَنُوْنَ ۟
(और अल्लाह काफ़िरों को फटकारते हुए कहेगा :) क्या ये वही लोग हैं, जिनके बारे में तुमने क़सम खाई थी कि अल्लाह उन्हें कोई दया प्रदान नहीं करेगा? (तथा अल्लाह मोमिनों से कहेगा :) जन्नत में प्रवेश कर जाओ। न तुम्हें कोई डर है और न तुम्हें शोक होगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَنَادٰۤی اَصْحٰبُ النَّارِ اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ اَنْ اَفِیْضُوْا عَلَیْنَا مِنَ الْمَآءِ اَوْ مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ ؕ— قَالُوْۤا اِنَّ اللّٰهَ حَرَّمَهُمَا عَلَی الْكٰفِرِیْنَ ۟ۙ
तथा जहन्नम वाले जन्नत वालों को पुकारेंगे कि हमपर कुछ पानी डाल दो, या उसमें से कुछ जो अल्लाह ने तुम्हें प्रदान किया है। वे कहेंगे : निःसंदेह अल्लाह ने ये दोनों चीज़ें काफ़िरों पर हराम कर दी हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
الَّذِیْنَ اتَّخَذُوْا دِیْنَهُمْ لَهْوًا وَّلَعِبًا وَّغَرَّتْهُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا ۚ— فَالْیَوْمَ نَنْسٰىهُمْ كَمَا نَسُوْا لِقَآءَ یَوْمِهِمْ هٰذَا ۙ— وَمَا كَانُوْا بِاٰیٰتِنَا یَجْحَدُوْنَ ۟
जिन्होंने अपने धर्म को तमाशा और खेल बना लिया तथा उन्हें सांसारिक जीवन ने धोखे में डाल रखा था। अतः आज हम उन्हें वैसे ही भुला देंगे, जैसे वे आज के दिन की मुलाकात को भूल गए[21] और जैसे वे हमारे प्रमाणों का इनकार किया करते थे।
21. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा : प्रलय के दिन अल्लाह ऐसे बंदों से कहेगा : क्या मैंने तुम्हें बीवी-बच्चे नहीं दिए, आदर-मान नहीं दिया? क्या ऊँट-घोड़े तेरे अधीन नहीं किए, क्या तू मुखिया बनकर चुंगी नहीं लेता था? वह कहेगा : ऐ अल्लाह! सब सह़ीह़ है। अल्लाह प्रश्न करेगा : क्या मुझसे मिलने की आशा रखता था? वह कहेगा : नहीं। अल्लाह कहेगा : जैसे तू मुझे भूला रहा, आज मैं तुझे भूल जाता हूँ। (सह़ीह़ मुस्लिम : 2968)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَقَدْ جِئْنٰهُمْ بِكِتٰبٍ فَصَّلْنٰهُ عَلٰی عِلْمٍ هُدًی وَّرَحْمَةً لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟
निःसंदेह हम उनके पास एक ऐसी पुस्तक लाए हैं, जिसे हमने ज्ञान के आधार पर सविस्तार बयान कर दिया है, उन लोगों के लिए मार्गदर्शन और दया बनाकर, जो ईमान रखते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
هَلْ یَنْظُرُوْنَ اِلَّا تَاْوِیْلَهٗ ؕ— یَوْمَ یَاْتِیْ تَاْوِیْلُهٗ یَقُوْلُ الَّذِیْنَ نَسُوْهُ مِنْ قَبْلُ قَدْ جَآءَتْ رُسُلُ رَبِّنَا بِالْحَقِّ ۚ— فَهَلْ لَّنَا مِنْ شُفَعَآءَ فَیَشْفَعُوْا لَنَاۤ اَوْ نُرَدُّ فَنَعْمَلَ غَیْرَ الَّذِیْ كُنَّا نَعْمَلُ ؕ— قَدْ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟۠
वे इसके परिणाम के सिवा किस चीज़ की प्रतीक्षा कर रहे हैं? जिस दिन इसका परिणाम आ पहुँचेगा, तो वे लोग, जिन्होंने इससे पहले इसे भुला दिया था, कहेंगे कि निश्चय हमारे पालनहार के रसूल सच लेकर आए। तो क्या हमारे लिए कोई सिफ़ारिशी हैं कि वे हमारे लिए सिफ़ारिश करें? या हमें वापस भेज दिया जाए, तो जो कुछ हम करते थे उसके विपरीत कार्य करें? निःसंदेह उन्होंने स्वयं को घाटे में डाल दिया और उनसे वह गुम हो गया, जो वे झूठ गढ़ा करते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ رَبَّكُمُ اللّٰهُ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ فِیْ سِتَّةِ اَیَّامٍ ثُمَّ اسْتَوٰی عَلَی الْعَرْشِ ۫— یُغْشِی الَّیْلَ النَّهَارَ یَطْلُبُهٗ حَثِیْثًا ۙ— وَّالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ وَالنُّجُوْمَ مُسَخَّرٰتٍ بِاَمْرِهٖ ؕ— اَلَا لَهُ الْخَلْقُ وَالْاَمْرُ ؕ— تَبٰرَكَ اللّٰهُ رَبُّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
निःसंदेह तुम्हारा पालनहार वह अल्लाह है, जिसने आकाशों तथा धरती को छह दिनों[22] में बनाया। फिर अर्श (सिंहासन) पर बुलंद हुआ। वह रात से दिन को ढाँप देता है, जो उसके पीछे दौड़ता हुआ चला आता है। तथा सूर्य और चाँद और तारे (बनाए), इस हाल में कि वे उसके आदेश के अधीन किए हुए हैं। सुन लो! सृष्टि करना और आदेश देना उसी का काम[23] है। बहुत बरकत वाला है अल्लाह, जो सारे संसारों का पालनहार है।
22. ये छह दिन शनिवार, रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार हैं। पहले दो दिन में धरती को, फिर आकाश को बनाया, फिर आकाश को दो दिन में बराबर किया, फिर धरती को फैलाया और उसमें पर्वत, पानी और उपज की व्यवस्था दो दिन में की। इस प्रकार यह कुल छह दिन हुए। (देखिए सूरतुस-सजदह, आयत : 9-10) 23. अर्थात इस विश्व की व्यवस्था का अधिकार उसके सिवा किसी को नहीं है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اُدْعُوْا رَبَّكُمْ تَضَرُّعًا وَّخُفْیَةً ؕ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الْمُعْتَدِیْنَ ۟ۚ
तुम अपने पालनहर को गिड़गिड़ाकर और चुपके-चुपके पुकारो। निःसंदेह वह हद से बढ़ने वालों से प्रेम नहीं करता।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَا تُفْسِدُوْا فِی الْاَرْضِ بَعْدَ اِصْلَاحِهَا وَادْعُوْهُ خَوْفًا وَّطَمَعًا ؕ— اِنَّ رَحْمَتَ اللّٰهِ قَرِیْبٌ مِّنَ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
तथा धरती में उसके सुधार के पश्चात्[24] बिगाड़ न पैदा करो, और उसे भय और लोभ के साथ[25] पुकारो। निःसंदेह अल्लाह की दया अच्छे कर्म करने वालों के क़रीब है।
24. अर्थात सत्धर्म और रसूलों द्वारा सुधार किए जाने के पश्चात। 25. अर्थात पापाचार से डरते और उस की दया की आशा रखते हुए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُوَ الَّذِیْ یُرْسِلُ الرِّیٰحَ بُشْرًاۢ بَیْنَ یَدَیْ رَحْمَتِهٖ ؕ— حَتّٰۤی اِذَاۤ اَقَلَّتْ سَحَابًا ثِقَالًا سُقْنٰهُ لِبَلَدٍ مَّیِّتٍ فَاَنْزَلْنَا بِهِ الْمَآءَ فَاَخْرَجْنَا بِهٖ مِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ ؕ— كَذٰلِكَ نُخْرِجُ الْمَوْتٰی لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ ۟
और वही है, जो अपनी दया (वर्षा) से पहले हवाओं को (वर्षा) की शुभ सूचना देने के लिए भेजता है। यहाँ तक कि जब वे भारी बादल
उठाती हैं, तो हम उसे एक मृत शहर की ओर ले जाते हैं। फिर हम उससे पानी उतारते हैं, फिर उसके साथ सभी प्रकार के कुछ फल पैदा करते हैं। इसी तरह हम मरे हुए लोगों को निकालेंगे। ताकि तुम उपदेश ग्रहण करो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالْبَلَدُ الطَّیِّبُ یَخْرُجُ نَبَاتُهٗ بِاِذْنِ رَبِّهٖ ۚ— وَالَّذِیْ خَبُثَ لَا یَخْرُجُ اِلَّا نَكِدًا ؕ— كَذٰلِكَ نُصَرِّفُ الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّشْكُرُوْنَ ۟۠
और अच्छी भूमि के पौधे उसके रब के आदेश से (भरपूर) निकलते हैं, और जो (भूमि) ख़राब है उससे आधी-अधूरी पैदावार के सिवा कुछ नहीं निकलता। इसी प्रकार हम निशानियों[26] को उन लोगों के लिए फेर-फेरकर बयान करते हैं, जो शुक्र अदा करते हैं।
26. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : मुझे अल्लाह ने जिस मार्गदर्शन और ज्ञान के साथ भेजा है, वह उस वर्षा के समान है, जो किसी भूमि में हुई। तो उसका कुछ भाग अच्छा था जिसने पानी लिया और उससे बहुत सी घास और चारा उगाया। और कुछ कड़ा था जिसने पानी रोक लिया, तो लोगों को लाभ हुआ और उससे पिया और सींचा। और कुछ चिकना था, जिसने न पानी रोका न घास उपजाई। तो यही उसकी दशा है जिसने अल्लाह के धर्म को समझा और उसे सीखा तथा सिखाया। और उसकी जिस ने उसपर ध्यान ही नहीं दिया और न अल्लाह के मार्गदर्शन को स्वीकार किया, जिसके साथ मुझे भेजा गया है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 79)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لَقَدْ اَرْسَلْنَا نُوْحًا اِلٰی قَوْمِهٖ فَقَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— اِنِّیْۤ اَخَافُ عَلَیْكُمْ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟
निःसंदेह हमने नूह़[27] को उसकी जाति की ओर भेजा, तो उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! अल्लाह की इबादत करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। निःसंदेह मैं तुमपर एक बड़े दिन की यातना से डरता हूँ।
27. बताया जाता है कि नूह़ अलैहिस्सलाम प्रथम मनुष्य आदम (अलैहिस्स्लाम) के दसवें वंश में थे। उनके कुछ पहले तक लोग इस्लाम पर चले आ रहे थे। फिर अपने धर्म से फिर गए और अपने पुनीत पूर्वजों की मूर्तियाँ बनाकर पूजने लगे। तब अल्लाह ने नूह़ को भेजा। किंतु कुछ के सिवा किसी ने उनकी बात नहीं मानी। अंततः सब डुबो दिए गए। फिर नूह़ के तीन पुत्रों से मानव वंश चला। इसीलिए उनको दूसरा आदम भी कहा जाता है। (देखिए : सूरत नूह़, आयत : 71)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِهٖۤ اِنَّا لَنَرٰىكَ فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
उसकी जाति के प्रमुखों ने कहा : निःसंदेह हम निश्चय तुझे खुली गुमराही में देख रहे हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ یٰقَوْمِ لَیْسَ بِیْ ضَلٰلَةٌ وَّلٰكِنِّیْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! मुझमें कोई गुमराही नहीं है, बल्कि मैं सारे संसारों के पालनहार की ओर से एक रसूल हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّیْ وَاَنْصَحُ لَكُمْ وَاَعْلَمُ مِنَ اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
मैं तुम्हें अपने पालनहार के संदेश पहुँचाता हूँ और तुम्हारी भलाई चाहता हूँ और अल्लाह की ओर से वे बातें जानता हूँ, जो तुम नहीं जानते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوَعَجِبْتُمْ اَنْ جَآءَكُمْ ذِكْرٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَلٰی رَجُلٍ مِّنْكُمْ لِیُنْذِرَكُمْ وَلِتَتَّقُوْا وَلَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟
क्या तुम्हें इस पार आश्चर्य हुआ कि तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से तुम्हीं में से एक आदमी पर नसीहत आई, ताकि वह तुम्हें डराए और ताकि तुम बच जाओ और ताकि तुमपर दया की जाए?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَكَذَّبُوْهُ فَاَنْجَیْنٰهُ وَالَّذِیْنَ مَعَهٗ فِی الْفُلْكِ وَاَغْرَقْنَا الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمًا عَمِیْنَ ۟۠
फिर उन्होंने उसे झुठला दिया, तो हमने उसे और उन लोगों को, जो नाव में उसके साथ थे, बचा लिया और उन लोगों को डुबो दिया, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया। निश्चय ही वे अंधे लोग थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِلٰی عَادٍ اَخَاهُمْ هُوْدًا ؕ— قَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ۟
और 'आद'[28] (जाति) की ओर उनके भाई हूद को (भेजा)। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! अल्लाह की इबादत करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। तो क्या तुम नहीं डरते?
28. नूह़ की जाति के पश्चात अरब में 'आद' जाति का उत्थान हुआ। जिसका निवास स्थान अह़क़ाफ़ का क्षेत्र था। जो ह़िजाज तथा यमामा के बीच स्थित है। उनकी आबादियाँ उमान से ह़ज़रमौत और इराक़ तक फैली हुई थीं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ الْمَلَاُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖۤ اِنَّا لَنَرٰىكَ فِیْ سَفَاهَةٍ وَّاِنَّا لَنَظُنُّكَ مِنَ الْكٰذِبِیْنَ ۟
उसकी जाति में से उन सरदारों ने, जिन्होंने कुफ़्र किया, कहा : निःसंदेह हम निश्चय तुझे एक प्रकार की मूर्खता में (पीड़ित) देख रहे हैं और निःसंदेह हम निश्चय तुझे झूठे लोगों में से समझते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ یٰقَوْمِ لَیْسَ بِیْ سَفَاهَةٌ وَّلٰكِنِّیْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! मुझमें कोई मूर्खता नहीं है, बल्कि मैं सारे संसारों के पालनहार की ओर से एक रसूल हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّیْ وَاَنَا لَكُمْ نَاصِحٌ اَمِیْنٌ ۟
मैं तुम्हें अपने पालनहार के संदेश पहुँचाता हूँ और मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार हितैषी हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوَعَجِبْتُمْ اَنْ جَآءَكُمْ ذِكْرٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَلٰی رَجُلٍ مِّنْكُمْ لِیُنْذِرَكُمْ ؕ— وَاذْكُرُوْۤا اِذْ جَعَلَكُمْ خُلَفَآءَ مِنْ بَعْدِ قَوْمِ نُوْحٍ وَّزَادَكُمْ فِی الْخَلْقِ بَصْۜطَةً ۚ— فَاذْكُرُوْۤا اٰلَآءَ اللّٰهِ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ۟
क्या तुम्हें इस पार आश्चर्य हुआ कि तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से तुम्हीं में से एक आदमी पर नसीहत आई, ताकि वह तुम्हें डराए तथा याद करो, जब उसने तुम्हें नूह़ की जाति के बाद उत्तराधिकारी बनाया और तुम्हें डील-डौल में भारी-भरकम बनाया। अतः अल्लाह की नेमतों को याद[29] करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।
29. अर्थात उसके आज्ञाकारी तथा कृतज्ञ बनो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالُوْۤا اَجِئْتَنَا لِنَعْبُدَ اللّٰهَ وَحْدَهٗ وَنَذَرَ مَا كَانَ یَعْبُدُ اٰبَآؤُنَا ۚ— فَاْتِنَا بِمَا تَعِدُنَاۤ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : क्या तू हमारे पास इसलिए आया है कि हम अकेले अल्लाह की इबादत करें और उन्हें छोड़ दें जिनकी पूजा हमारे बाप-दादा करते थे? तो जिसकी तू हमें धमकी देता है, वह हमारे ऊपर ले आ, यदि तू सच्चों में से है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ قَدْ وَقَعَ عَلَیْكُمْ مِّنْ رَّبِّكُمْ رِجْسٌ وَّغَضَبٌ ؕ— اَتُجَادِلُوْنَنِیْ فِیْۤ اَسْمَآءٍ سَمَّیْتُمُوْهَاۤ اَنْتُمْ وَاٰبَآؤُكُمْ مَّا نَزَّلَ اللّٰهُ بِهَا مِنْ سُلْطٰنٍ ؕ— فَانْتَظِرُوْۤا اِنِّیْ مَعَكُمْ مِّنَ الْمُنْتَظِرِیْنَ ۟
उसने कहा : निश्चय तुमपर तुम्हारे पालनहार की ओर से यातना और प्रकोप आ पड़ा है। क्या तुम मुझसे उन नामों के विषय में झगड़ते हो, जो तुमने तथा तुम्हारे बाप-दादा ने रख लिए हैं, जिनका अल्लाह ने कोई प्रमाण नहीं उतारा है? तो तुम प्रतीक्षा करो, निःसंदेह मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करने वालों में से हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَاَنْجَیْنٰهُ وَالَّذِیْنَ مَعَهٗ بِرَحْمَةٍ مِّنَّا وَقَطَعْنَا دَابِرَ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَمَا كَانُوْا مُؤْمِنِیْنَ ۟۠
अंततः हमने उसे और उन लोगों को जो उसके साथ थे, अपनी रहमत से बचा लिया तथा उन लोगों की जड़ काट दी, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और वे ईमान लाने वाले न थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِلٰی ثَمُوْدَ اَخَاهُمْ صٰلِحًا ۘ— قَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— قَدْ جَآءَتْكُمْ بَیِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ ؕ— هٰذِهٖ نَاقَةُ اللّٰهِ لَكُمْ اٰیَةً فَذَرُوْهَا تَاْكُلْ فِیْۤ اَرْضِ اللّٰهِ وَلَا تَمَسُّوْهَا بِسُوْٓءٍ فَیَاْخُذَكُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
और समूद[30] की ओर उनके भाई सालेह़ को (भेजा)। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! अल्लाह की इबादत करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। निःसंदेह तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण आ चुका है। यह अल्लाह की ऊँटनी तुम्हारे लिए एक निशानी[31] के रूप में है। अतः इसे छोड़ दो कि अल्लाह की धरती में खाती फिरे और इसे बुरे इरादे से हाथ न लगाना, अन्यथा तुम्हें एक दुःखदायी यातना घेर लेगी।
30. समूद जाति अरब के उस क्षेत्र में रहती थी, जो ह़िजाज़ तथा शाम के बीच "वादिये क़ुर" तक चला गया है। जिसको आज "अल-उला" कहते हैं। इसी को दूसरे स्थान पर "अलहिज्र" भी कहा गया है। 31. समूद जाति ने अपने नबी सालेह़ अलैहिस्सलाम से यह माँग की थी कि पर्वत से एक ऊँटनी निकाल दें। और सालेह़ अलैहिस्सलाम की प्रार्थना से अल्लाह ने उनकी यह माँग पूरी कर दी। (इब्ने कसीर)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاذْكُرُوْۤا اِذْ جَعَلَكُمْ خُلَفَآءَ مِنْ بَعْدِ عَادٍ وَّبَوَّاَكُمْ فِی الْاَرْضِ تَتَّخِذُوْنَ مِنْ سُهُوْلِهَا قُصُوْرًا وَّتَنْحِتُوْنَ الْجِبَالَ بُیُوْتًا ۚ— فَاذْكُرُوْۤا اٰلَآءَ اللّٰهِ وَلَا تَعْثَوْا فِی الْاَرْضِ مُفْسِدِیْنَ ۟
तथा याद करो जब उसने तुम्हें आद जाति के पश्चात् उत्तराधिकारी बनाया और तुम्हें धरती में बसाया, तुम उसके समतल भागों में भवन बनाते हो और पहाड़ों को घरों के रूप में तराशते हो। अतः अल्लाह की नेमतों को याद करो और धरती में बिगाड़ पैदा करते न फिरो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ الْمَلَاُ الَّذِیْنَ اسْتَكْبَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لِلَّذِیْنَ اسْتُضْعِفُوْا لِمَنْ اٰمَنَ مِنْهُمْ اَتَعْلَمُوْنَ اَنَّ صٰلِحًا مُّرْسَلٌ مِّنْ رَّبِّهٖ ؕ— قَالُوْۤا اِنَّا بِمَاۤ اُرْسِلَ بِهٖ مُؤْمِنُوْنَ ۟
उसकी जाति के उन सरदारों ने जो बड़े बने हुए थे, उन लोगों से जो निर्बल समझे जाते थे, जो उनमें से ईमान लाए थे, कहा : क्या तुम जानते हो कि सचमुच सालेह़ अपने रब की ओर से भेजा हुआ है? उन्होंने कहा : निःसंदेह हम जो कुछ उसे देकर भेजा गया है उसपर ईमान लाने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ الَّذِیْنَ اسْتَكْبَرُوْۤا اِنَّا بِالَّذِیْۤ اٰمَنْتُمْ بِهٖ كٰفِرُوْنَ ۟
जो लोग बड़े बने हुए थे[32], उन्होंने कहा : निःसंदेह हम उसका इनकार करने वाले हैं, जिसपर तुम ईमान लाए हो।
32. अर्तथात अपने सांसारिक सुखों के कारण अपने बड़े होने का गर्व था।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَعَقَرُوا النَّاقَةَ وَعَتَوْا عَنْ اَمْرِ رَبِّهِمْ وَقَالُوْا یٰصٰلِحُ ائْتِنَا بِمَا تَعِدُنَاۤ اِنْ كُنْتَ مِنَ الْمُرْسَلِیْنَ ۟
फिर उन्होंने ऊँटनी की हत्या कर दी और अपने पालनहार की आज्ञा का उल्लंघन किया, और उन्होंने कहा : ऐ सालेह! तू हमें जिसकी धमकी देता है, वह हमपर ले आ, यदि तू रसूलों में से है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَاَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ فَاَصْبَحُوْا فِیْ دَارِهِمْ جٰثِمِیْنَ ۟
तो उन्हें भूकंप ने पकड़ लिया, तो वे अपने घरों में औंधे पड़े रह गए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَتَوَلّٰی عَنْهُمْ وَقَالَ یٰقَوْمِ لَقَدْ اَبْلَغْتُكُمْ رِسَالَةَ رَبِّیْ وَنَصَحْتُ لَكُمْ وَلٰكِنْ لَّا تُحِبُّوْنَ النّٰصِحِیْنَ ۟
तो सालेह़ ने उनसे मुँह मोड़ लिया और कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! मैंने तुम्हें अपने पालनहार का संदेश पहुँचा दिया और मैंने तुम्हारे लिए मंगलकामना की, लेकिन तुम शुभचिंतकों को पसंद नहीं करते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلُوْطًا اِذْ قَالَ لِقَوْمِهٖۤ اَتَاْتُوْنَ الْفَاحِشَةَ مَا سَبَقَكُمْ بِهَا مِنْ اَحَدٍ مِّنَ الْعٰلَمِیْنَ ۟
तथा लूत[33] को (भेजा), जब उसने अपनी जाति से कहा : क्या तुम ऐसी निर्लज्जता का कार्य करते हो, जिसे तुमसे पहले दुनिया में किसी ने नहीं किया?
33. लूत अलैहिस्सलाम इबराहीम अलैहिस्सलाम के भतीजे थे। और वह जिस जाति के मार्गदर्शन के लिए भेजे गए थे, वह उस क्षेत्र में रहती थी जहाँ अब "मृत सागर" स्थित है। उसका नाम भाष्यकारों ने सदूम बताया है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّكُمْ لَتَاْتُوْنَ الرِّجَالَ شَهْوَةً مِّنْ دُوْنِ النِّسَآءِ ؕ— بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ مُّسْرِفُوْنَ ۟
निःसंदेह तुम स्त्रियों को छोड़कर काम-वासना की पूर्ति के लिए पुरुषों के पास आते हो। बल्कि तुम सीमा का उल्लंघन[34] करने वाले हो।
34. लूत अलैहिस्सलाम की जाति ने निर्लज्जता और बालमैथुन की कुरीति बनाई थी जो मनुष्य के स्वभाव के विरुद्ध था। आज रिसर्च से पता चला कि यह विभिन्न प्रकार के रोगों का कारण है, जिसमें विशेषकर "एड्स" के रोगों का वर्णन करते हैं। परंतु आज पश्चिमी देश दुबारा उस अंधकार युग की ओर जा रहे हैं और इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का नाम दे रखा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهٖۤ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوْۤا اَخْرِجُوْهُمْ مِّنْ قَرْیَتِكُمْ ۚ— اِنَّهُمْ اُنَاسٌ یَّتَطَهَّرُوْنَ ۟
और उसकी जाति का उत्तर इसके सिवा कुछ न था कि उन्होंने कहा : इन्हें अपनी बस्ती से बाहर निकालो। निःसंदेह ये ऐसे लोग हैं जो बड़े पाक बनते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَاَنْجَیْنٰهُ وَاَهْلَهٗۤ اِلَّا امْرَاَتَهٗ ۖؗ— كَانَتْ مِنَ الْغٰبِرِیْنَ ۟
तो हमने उसे तथा उसके घर वालों को बचा लिया, उसकी पत्नी को छोड़कर, वह पीछे रहने वालों में से थी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَمْطَرْنَا عَلَیْهِمْ مَّطَرًا ؕ— فَانْظُرْ كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُجْرِمِیْنَ ۟۠
और हमने उनपर (पत्थरों की) भारी बारिश बरसाई। तो देखो अपराधियों का परिणाम कैसा हुआ?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِلٰی مَدْیَنَ اَخَاهُمْ شُعَیْبًا ؕ— قَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— قَدْ جَآءَتْكُمْ بَیِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَوْفُوا الْكَیْلَ وَالْمِیْزَانَ وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ اَشْیَآءَهُمْ وَلَا تُفْسِدُوْا فِی الْاَرْضِ بَعْدَ اِصْلَاحِهَا ؕ— ذٰلِكُمْ خَیْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟ۚ
तथा मद्यन[35] की ओर उनके भाई शुऐब को (भेजा)। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! अल्लाह की इबादत करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। निःसंदेह तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण आ चुका है। अतः पूरा-पूरा नाप और तौलकर दो और लोगों की चीज़ों में कमी न करो। तथा धरती में उसके सुधार के पश्चात बिगाड़ न फैलाओ। यही तुम्हारे लिए बेहतर है, यदि तुम ईमानवाले हो।
35. मद्यन एक क़बीले का नाम था। और उसी के नाम पर एक नगर बस गया, जो ह़िजाज़ के उत्तर-पश्चिम तथा फ़लस्तीन के दक्षिण में लाल सागर और अक़्बा खाड़ी के किनारे पर था। ये लोग व्यापार करते थे। प्राचीन व्यापार राजपथ, लाल सागर के किनारे यमन से मक्का तथा यंबू' होते हुए सीरिया तक जाता था।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَا تَقْعُدُوْا بِكُلِّ صِرَاطٍ تُوْعِدُوْنَ وَتَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ مَنْ اٰمَنَ بِهٖ وَتَبْغُوْنَهَا عِوَجًا ۚ— وَاذْكُرُوْۤا اِذْ كُنْتُمْ قَلِیْلًا فَكَثَّرَكُمْ ۪— وَانْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُفْسِدِیْنَ ۟
तथा प्रत्येक मार्ग पर न बैठो कि (लोगों को) धमकाते हो और उसको अल्लाह के रास्ते रोकते हो, जो उसपर ईमान लाए[36], और उसमें टेढ़ापन खोजते हो। तथा याद करो जब तुम थोड़े थे, तो उसने तुम्हें अधिक कर दिया। तथा देखो बिगाड़ पैदा करने वालों का परिणाम कैसा हुआ?
36. जैसे मक्का वाले मक्का के बाहर से आने वालों को क़ुरआन सुनने से रोका करते थे। और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को जादूगर कहकर आपके पास जाने से रोकते थे। परंतु उनकी एक न चली और क़ुरआन लोगों के दिलों में उतरता और इस्लाम फैलता चला गया। इससे पता चलता है कि नबियों की शिक्षाओं के साथ उनकी जातियों ने एक-जैसा व्यवहार किया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِنْ كَانَ طَآىِٕفَةٌ مِّنْكُمْ اٰمَنُوْا بِالَّذِیْۤ اُرْسِلْتُ بِهٖ وَطَآىِٕفَةٌ لَّمْ یُؤْمِنُوْا فَاصْبِرُوْا حَتّٰی یَحْكُمَ اللّٰهُ بَیْنَنَا ۚ— وَهُوَ خَیْرُ الْحٰكِمِیْنَ ۟
और यदि तुममें से एक समूह उसपर ईमान लाया है, जिसके साथ मैं भेजा गया हूँ और दूसरा समूह ईमान नहीं लाया, तो तुम धैर्य रखो, यहाँ तक कि अल्लाह हमारे बीच निर्णय कर दे और वह सब निर्णय करने वालों से बेहतर है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ الْمَلَاُ الَّذِیْنَ اسْتَكْبَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لَنُخْرِجَنَّكَ یٰشُعَیْبُ وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مَعَكَ مِنْ قَرْیَتِنَاۤ اَوْ لَتَعُوْدُنَّ فِیْ مِلَّتِنَا ؕ— قَالَ اَوَلَوْ كُنَّا كٰرِهِیْنَ ۟ۚ
उसकी जाति के उन प्रमुखों ने कहा जो बड़े बने हुए थे कि ऐ शुऐब! हम तुझे तथा उन लोगों को जो तेरे साथ ईमान लाए हैं, अपने नगर से अवश्य ही निकाल देंगे, या हर हाल में तुम हमारे धर्म में वापस आओगे। (शुऐब ने) कहा : क्या अगरचे हम नापसंद करने वाले हों?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَدِ افْتَرَیْنَا عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا اِنْ عُدْنَا فِیْ مِلَّتِكُمْ بَعْدَ اِذْ نَجّٰىنَا اللّٰهُ مِنْهَا ؕ— وَمَا یَكُوْنُ لَنَاۤ اَنْ نَّعُوْدَ فِیْهَاۤ اِلَّاۤ اَنْ یَّشَآءَ اللّٰهُ رَبُّنَا ؕ— وَسِعَ رَبُّنَا كُلَّ شَیْءٍ عِلْمًا ؕ— عَلَی اللّٰهِ تَوَكَّلْنَا ؕ— رَبَّنَا افْتَحْ بَیْنَنَا وَبَیْنَ قَوْمِنَا بِالْحَقِّ وَاَنْتَ خَیْرُ الْفٰتِحِیْنَ ۟
निश्चय हमने अल्लाह पर झूठ गढ़ा यदि हम तुम्हारे धर्म में फिर आ जाएँ, इसके बाद कि अल्लाह ने हमें उससे बचा लिया। और हमारे लिए संभव नहीं कि हम उसमें फिर आ जाएँ, परंतु यह कि हमारा पालनहार अल्लाह ही ऐसा चाहे। हमारा पालनहार प्रत्येक वस्तु को अपने ज्ञान के घेरे में लिए हुए है। हमने अल्लाह ही पर भरोसा किया। ऐ हमारे पालनहार! हमारे और हमारी जाति के बीच न्याय के साथ निर्णय कर दे। और तू सब निर्णय करने वालों से बेहतर है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَ الْمَلَاُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لَىِٕنِ اتَّبَعْتُمْ شُعَیْبًا اِنَّكُمْ اِذًا لَّخٰسِرُوْنَ ۟
तथा उसकी जाति के काफ़िर प्रमुखों ने कहा कि यदि तुम शुऐब के पीछे चले, तो निःसंदेह तुम उस समय अवश्य घाटा उठाने वाले हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَاَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ فَاَصْبَحُوْا فِیْ دَارِهِمْ جٰثِمِیْنَ ۟
तो उन्हें भूकंप ने पकड़ लिया, तो वे अपने घरों में औंधे पड़े रह गए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا شُعَیْبًا كَاَنْ لَّمْ یَغْنَوْا فِیْهَا ۛۚ— اَلَّذِیْنَ كَذَّبُوْا شُعَیْبًا كَانُوْا هُمُ الْخٰسِرِیْنَ ۟
जिन लोगों ने शुऐब को झुठलाया (वे ऐसे हो गए कि) मानो कभी वे उन (घरों) में बसे ही न थे। जिन लोगों ने शुऐब को झुठलाया, वही लोग घाटा उठाने वाले थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَتَوَلّٰی عَنْهُمْ وَقَالَ یٰقَوْمِ لَقَدْ اَبْلَغْتُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّیْ وَنَصَحْتُ لَكُمْ ۚ— فَكَیْفَ اٰسٰی عَلٰی قَوْمٍ كٰفِرِیْنَ ۟۠
तो शुऐब उनसे विमुख हो गए और कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! मैंने तुम्हें अपने पालनहार के संदेश पहुँचा दिए, तथा मैं तुम्हारा हितकारी रहा। तो फिर मैं काफ़िर जाति (के विनाश) पर कैसे शोक करूँ?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَاۤ اَرْسَلْنَا فِیْ قَرْیَةٍ مِّنْ نَّبِیٍّ اِلَّاۤ اَخَذْنَاۤ اَهْلَهَا بِالْبَاْسَآءِ وَالضَّرَّآءِ لَعَلَّهُمْ یَضَّرَّعُوْنَ ۟
तथा हमने जिस बस्ती में भी कोई नबी भेजा, तो उसके वासियों को तंगी और कष्ट से ग्रस्त कर दिया ताकि वे गिड़गिड़ाएँ।[37]
37. आयत का भावार्थ यह है कि सभी नबी अपनी जाति में पैदा हुए। सब अकेले धर्म का प्रचार करने के लिए आए। और सबका उपदेश एक था कि अल्लाह की इबादत करो, उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। सबने सत्कर्म की प्रेर्णा दी, और कुकर्म के दुष्परिणाम से सावधान किया। सबका साथ निर्धनों तथा निर्बलों ने दिया। प्रमुखों और बड़ों ने उनका विरोध किया। नबियों का विरोध भी उन्हें धमकी तथा दुःख देकर किया गया। और सबका परिणाम भी एक प्रकार हुआ, अर्थात उनको अल्लाह की यातना ने घेर लिया। और यही सदा इस संसार में अल्लाह का नियम रहा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ثُمَّ بَدَّلْنَا مَكَانَ السَّیِّئَةِ الْحَسَنَةَ حَتّٰی عَفَوْا وَّقَالُوْا قَدْ مَسَّ اٰبَآءَنَا الضَّرَّآءُ وَالسَّرَّآءُ فَاَخَذْنٰهُمْ بَغْتَةً وَّهُمْ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟
फिर हमने उस खराब स्थिति को अच्छी स्थिति में बदल दिया, यहाँ तक कि वे (संख्या और धन में) बहुत बढ़ गए और उन्होंने कहा यह दुख और सुख हमारे बाप-दादा को भी पहुँचा था। तो हमने उन्हें अचानक इस हाल में पकड़ लिया कि वे सोचते न थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَوْ اَنَّ اَهْلَ الْقُرٰۤی اٰمَنُوْا وَاتَّقَوْا لَفَتَحْنَا عَلَیْهِمْ بَرَكٰتٍ مِّنَ السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ وَلٰكِنْ كَذَّبُوْا فَاَخَذْنٰهُمْ بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟
और यदि इन बस्तियों के वासी ईमान ले आते और डरते, तो हम अवश्य ही उनपर आकाश और धरती की बरकतों के द्वार खोल देते, परन्तु उन्होंने झुठला दिया। अतः हमने उनकी करतूतों के कारण उन्हें पकड़ लिया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَفَاَمِنَ اَهْلُ الْقُرٰۤی اَنْ یَّاْتِیَهُمْ بَاْسُنَا بَیَاتًا وَّهُمْ نَآىِٕمُوْنَ ۟ؕ
क्या फिर इन बस्तियों के वासी इस बात से निश्चिंत हो गए हैं कि उनपर हमारी यातना रात के समय आ जाए, जबकि वे सोए हुए हों?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوَاَمِنَ اَهْلُ الْقُرٰۤی اَنْ یَّاْتِیَهُمْ بَاْسُنَا ضُحًی وَّهُمْ یَلْعَبُوْنَ ۟
और क्या नगर वासी इस बात से निश्चिंत हो गए हैं कि उनपर हमारी यातना दिन चढ़े आ जाए और वे खेल रहे हों?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَفَاَمِنُوْا مَكْرَ اللّٰهِ ۚ— فَلَا یَاْمَنُ مَكْرَ اللّٰهِ اِلَّا الْقَوْمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟۠
तो क्या वे अल्लाह के गुप्त उपाय से निश्चिंत हो गए हैं? तो (याद रखो!) अल्लाह के गुप्त उपाय से वही लोग निश्चिंत होते हैं, जो घाटा उठाने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوَلَمْ یَهْدِ لِلَّذِیْنَ یَرِثُوْنَ الْاَرْضَ مِنْ بَعْدِ اَهْلِهَاۤ اَنْ لَّوْ نَشَآءُ اَصَبْنٰهُمْ بِذُنُوْبِهِمْ ۚ— وَنَطْبَعُ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ فَهُمْ لَا یَسْمَعُوْنَ ۟
तो क्या उन लोगों के लिए यह तथ्य स्पष्ट नहीं हुआ, जो धरती के अगले वासियों के बाद उसके वारिस हुए कि यदि हम चाहें, तो उन्हें उनके पापों के कारण पकड़ लें और उनके दिलों पर मुहर लगा दें, फिर वे कोई बात न सुन सकें?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
تِلْكَ الْقُرٰی نَقُصُّ عَلَیْكَ مِنْ اَنْۢبَآىِٕهَا ۚ— وَلَقَدْ جَآءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ ۚ— فَمَا كَانُوْا لِیُؤْمِنُوْا بِمَا كَذَّبُوْا مِنْ قَبْلُ ؕ— كَذٰلِكَ یَطْبَعُ اللّٰهُ عَلٰی قُلُوْبِ الْكٰفِرِیْنَ ۟
ये बस्तियाँ हैं, हम (ऐ नबी!) आपसे उनके कुछ वृत्तान्त सुना रहे हैं। निःसंदेह उनके पास उनके रसूल खुले प्रमाण लेकर आए, तो वे ऐसे न थे कि उस चीज़ पर ईमान ले आते, जिसे वे इससे पहले झुठला[38] चुके थे। इसी प्रकार अल्लाह काफ़िरों के दिलों पर मुहर लगा देता है।
38. अर्थात् सत्य का प्रमाण आने से पहले झुठला दिया था, उसके पश्चात् भी अपनी हठधर्मी से उसी पर अड़े रहे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَا وَجَدْنَا لِاَكْثَرِهِمْ مِّنْ عَهْدٍ ۚ— وَاِنْ وَّجَدْنَاۤ اَكْثَرَهُمْ لَفٰسِقِیْنَ ۟
और हमने उनमें से अधिकतर लोगों में प्रतिज्ञा पालन नहीं पाया[39] तथा निःसंदेह हमने उनमें अधिकतर लोगों को अवज्ञाकारी ही पाया।
39. इससे उस प्रण (वचन) की ओर संकेत है, जो अल्लाह ने सबसे "आदि काल" में लिया था कि क्या मैं तुम्हारा पालनहार (पूज्य) नहीं हूँ? तो सबने इसे स्वीकार किया था। (देखिए : सूरतुल-आराफ़, आयत : 172)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ثُمَّ بَعَثْنَا مِنْ بَعْدِهِمْ مُّوْسٰی بِاٰیٰتِنَاۤ اِلٰی فِرْعَوْنَ وَمَلَاۡىِٕهٖ فَظَلَمُوْا بِهَا ۚ— فَانْظُرْ كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُفْسِدِیْنَ ۟
फिर उन (रसूलों) के बाद, हमने मूसा को अपनी आयतों (चमत्कारों) के साथ फ़िरऔन[40] और उसके प्रमुखों के पास भेजा। तो उन्होंने उन (आयतों) के साथ अन्याय किया। तो देख लो कि बिगाड़ पैदा करने वालों का परिणाम कैसा हुआ?
40. मिस्र के शासकों की उपाधि फ़िरऔन होती थी। यह ईसा पूर्व डेढ़ हज़ार वर्ष की बात है। उनका राज्य शाम से लीबिया तथा ह़बशा तक था। फ़िरऔन अपने को सबसे बड़ा पूज्य मानता था और लोग भी उसकी पूजा करते थे। उसकी ओर अल्लाह ने मूसा (अलैहिस्सलाम) को एक अल्लाह की इबादत का संदेश देकर भेजा कि पूज्य तो केवल अल्लाह है, उसके अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَ مُوْسٰی یٰفِرْعَوْنُ اِنِّیْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
तथा मूसा ने कहा : ऐ फ़िरऔन! निःसंदेह मैं सर्व संसार के पालनहार की ओर से भेजा हुआ (रसूल) हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
حَقِیْقٌ عَلٰۤی اَنْ لَّاۤ اَقُوْلَ عَلَی اللّٰهِ اِلَّا الْحَقَّ ؕ— قَدْ جِئْتُكُمْ بِبَیِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَرْسِلْ مَعِیَ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ؕ
मेरे लिए यही योग्य है कि अल्लाह पर सत्य के अतिरिक्त कोई बात न कहूँ। मैं तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से एक खुला प्रमाण लाया हूँ। इसलिए बनी इसराई[41] को मेरे साथ भेज दे।
41. बनी इसराईल यूसुफ़ अलैहिस्सलाम के युग में मिस्र आए थे। चार सौ वर्ष का युग बड़े आदर के साथ व्यतीत किया। फिर उनके कुकर्मों के कारण फ़िरऔन और उसकी जाति ने उनको अपना दास बना लिया। जिसके कारण मूसा (अलैहिस्सलाम) ने बनी इसराईल को मुक्त करने की माँग की। (इब्ने कसीर)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ اِنْ كُنْتَ جِئْتَ بِاٰیَةٍ فَاْتِ بِهَاۤ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
उसने कहा : यदि तुम कोई प्रमाण (चमत्कार) लाए हो, तो प्रस्तुत करो, यदि तुम सच्चों में से हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَاَلْقٰی عَصَاهُ فَاِذَا هِیَ ثُعْبَانٌ مُّبِیْنٌ ۟ۚۖ
फिर उसने अपनी लाठी फेंकी, तो अचानक वह एक प्रत्यक्ष अजगर बन गई।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّنَزَعَ یَدَهٗ فَاِذَا هِیَ بَیْضَآءُ لِلنّٰظِرِیْنَ ۟۠
तथा अपना हाथ निकाला, तो अचानक वह देखने वालों के लिए चमक रहा था।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِ فِرْعَوْنَ اِنَّ هٰذَا لَسٰحِرٌ عَلِیْمٌ ۟ۙ
फ़िरऔन की जाति के प्रमुखों ने कहा : निश्चय यह तो एक दक्ष जादूगर है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یُّرِیْدُ اَنْ یُّخْرِجَكُمْ مِّنْ اَرْضِكُمْ ۚ— فَمَاذَا تَاْمُرُوْنَ ۟
वह चाहता है कि तुम्हें तुम्हारी धरती से निकाल दे, तो तुम क्या आदेश देते हो?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالُوْۤا اَرْجِهْ وَاَخَاهُ وَاَرْسِلْ فِی الْمَدَآىِٕنِ حٰشِرِیْنَ ۟ۙ
उन्होंने कहा : इसे और इसके भाई के मामले को स्थगित कर दो और नगरों में जमा करने वाले भेज दो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یَاْتُوْكَ بِكُلِّ سٰحِرٍ عَلِیْمٍ ۟
वे तेरे पास हर कुशल जादूगर ले आएँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَجَآءَ السَّحَرَةُ فِرْعَوْنَ قَالُوْۤا اِنَّ لَنَا لَاَجْرًا اِنْ كُنَّا نَحْنُ الْغٰلِبِیْنَ ۟
और जादूगर फ़िरऔन के पास आए। उन्होंने कहा : यदि हम ही विजयी हुए, तो निश्चय हमें अवश्य कुछ पुरस्कार मिलेगा?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ نَعَمْ وَاِنَّكُمْ لَمِنَ الْمُقَرَّبِیْنَ ۟
उसने कहा : हाँ! और निश्चय तुम अवश्य निकटवर्तियों में से हो जाओगे ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالُوْا یٰمُوْسٰۤی اِمَّاۤ اَنْ تُلْقِیَ وَاِمَّاۤ اَنْ نَّكُوْنَ نَحْنُ الْمُلْقِیْنَ ۟
उन्होंने कहा : ऐ मूसा! या तो तुम (पहले) फेंको, या हम ही फेंकने वाले हों?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ اَلْقُوْا ۚ— فَلَمَّاۤ اَلْقَوْا سَحَرُوْۤا اَعْیُنَ النَّاسِ وَاسْتَرْهَبُوْهُمْ وَجَآءُوْ بِسِحْرٍ عَظِیْمٍ ۟
मूसा ने कहा : तुम्हीं फेंको। चुनाँचे जब उन्होंने (रस्सियाँ) फेंकीं, तो लोंगों की आँखों पर जादू कर दिया, और उन्हें सख़्त भयभीत कर दिया, और वे बहुत बड़ा जादू लेकर आए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَوْحَیْنَاۤ اِلٰی مُوْسٰۤی اَنْ اَلْقِ عَصَاكَ ۚ— فَاِذَا هِیَ تَلْقَفُ مَا یَاْفِكُوْنَ ۟ۚ
और हमने मूसा को वह़्य की कि अपनी लाठी फेंको, तो अचानक वह उन चीज़ों को निगलने लगी, जो वे झूठ-मूठ बना रहे थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَوَقَعَ الْحَقُّ وَبَطَلَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟ۚ
अतः सत्य सामने आ गया और जो कुछ वे कर रहे थे, असत्य[42] होकर रह गया।
42. क़ुरआन ने अब से तेरह सौ वर्ष पहले यह घोषणा कर दी थी कि जादू तथा मंत्र-तंत्र निर्मूल हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَغُلِبُوْا هُنَالِكَ وَانْقَلَبُوْا صٰغِرِیْنَ ۟ۚ
अंततः वे उस जगह पराजित हो गए और अपमानित होकर लौटे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاُلْقِیَ السَّحَرَةُ سٰجِدِیْنَ ۟ۙ
और जादूगर सजदे में गिर गए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالُوْۤا اٰمَنَّا بِرَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
उन्होंने कहा : हम सर्व संसार के पालनहार पर ईमान लाए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
رَبِّ مُوْسٰی وَهٰرُوْنَ ۟
मूसा तथा हारून के पालनहार पर।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ فِرْعَوْنُ اٰمَنْتُمْ بِهٖ قَبْلَ اَنْ اٰذَنَ لَكُمْ ۚ— اِنَّ هٰذَا لَمَكْرٌ مَّكَرْتُمُوْهُ فِی الْمَدِیْنَةِ لِتُخْرِجُوْا مِنْهَاۤ اَهْلَهَا ۚ— فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ۟
फ़िरऔन ने कहा : इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति दूँ, तुम उसपर ईमान ले आए? निःसंदेह यह एक चाल है, जो तुमने इस नगर में चली है, ताकि उसके निवासियों को उससे निकाल दो! तो शीघ्र ही तुम (इसका परिणाम) जान लोगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لَاُقَطِّعَنَّ اَیْدِیَكُمْ وَاَرْجُلَكُمْ مِّنْ خِلَافٍ ثُمَّ لَاُصَلِّبَنَّكُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟
निश्चय मैं अवश्य तुम्हारे हाथ और तुम्हारे पाँव विपरीत दिशाओं से बुरी तरह काटूँगा, फिर तुम सभी को अवश्य सूली चढ़ा दूँगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالُوْۤا اِنَّاۤ اِلٰی رَبِّنَا مُنْقَلِبُوْنَ ۟ۚ
उन्होंने कहा : निश्चय हम अपने पालनहार ही की ओर लौटने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَا تَنْقِمُ مِنَّاۤ اِلَّاۤ اَنْ اٰمَنَّا بِاٰیٰتِ رَبِّنَا لَمَّا جَآءَتْنَا ؕ— رَبَّنَاۤ اَفْرِغْ عَلَیْنَا صَبْرًا وَّتَوَفَّنَا مُسْلِمِیْنَ ۟۠
और तू हमसे केवल इस बात का बदला ले रहा है कि हम अपने पालनहार की निशानियों पर ईमान ले आए, जब वे हमारे पास आईं? ऐ हमारे पालनहार! हमपर धैर्य उड़ेल दे और हमें इस दशा में (संसार से) उठा कि तेरे आज्ञाकारी हों।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِ فِرْعَوْنَ اَتَذَرُ مُوْسٰی وَقَوْمَهٗ لِیُفْسِدُوْا فِی الْاَرْضِ وَیَذَرَكَ وَاٰلِهَتَكَ ؕ— قَالَ سَنُقَتِّلُ اَبْنَآءَهُمْ وَنَسْتَحْیٖ نِسَآءَهُمْ ۚ— وَاِنَّا فَوْقَهُمْ قٰهِرُوْنَ ۟
और फ़िरऔन की जाति के प्रमुखों ने (उससे) कहा : क्या तुम मूसा और उसकी जाति को छोड़े रखोगे कि वे देश में बिगाड़ फैलाएँ तथा तुम्हें और तुम्हारे पूज्यों[43] को छोड़ दें? उसने कहा : हम उनके बेटों को बुरी तरह क़त्ल करेंगे और उनकी स्त्रियों को जीवित रखेंगे। निश्चय हम उनपर पूर्ण नियंत्रण रखने वाले हैं।
43. कुछ भाष्यकारों ने लिखा है कि मिस्री अनेक देवताओं की पूजा करते थे, जिनमें सबसे बड़ा देवता सूर्य था, जिसे "रूअ" कहते थे। और राजा को उसी का अवतार मानते थे, और उसकी पूजा और उसके लिए सजदा करते थे, जिस प्रकार अल्लाह के लिए सजदा किया जाता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ مُوْسٰی لِقَوْمِهِ اسْتَعِیْنُوْا بِاللّٰهِ وَاصْبِرُوْا ۚ— اِنَّ الْاَرْضَ لِلّٰهِ ۙ۫— یُوْرِثُهَا مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖ ؕ— وَالْعَاقِبَةُ لِلْمُتَّقِیْنَ ۟
मूसा ने अपनी जाति से कहा : अल्लाह से सहायता माँगो और धैर्य से काम लो। निःसंदेह धरती अल्लाह की है। वह अपने बंदों में जिसे चाहता है, उसका वारिस (उत्तराधिकारी) बनाता है। और अच्छा परिणाम परहेज़गारों के लिए है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالُوْۤا اُوْذِیْنَا مِنْ قَبْلِ اَنْ تَاْتِیَنَا وَمِنْ بَعْدِ مَا جِئْتَنَا ؕ— قَالَ عَسٰی رَبُّكُمْ اَنْ یُّهْلِكَ عَدُوَّكُمْ وَیَسْتَخْلِفَكُمْ فِی الْاَرْضِ فَیَنْظُرَ كَیْفَ تَعْمَلُوْنَ ۟۠
उन्होंने कहा : हम तुम्हारे आने से पहले भी सताए गए और तुम्हारे आने के बाद भी (सताए जा रहे हैं)! (मूसा ने) कहा : निकट है कि तुम्हारा पालनहार तुम्हारे शत्रु को विनष्ट कर दे और तुम्हें देश में ख़लीफ़ा बना दे। फिर देखे कि तुम कैसे कर्म करते हो?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَقَدْ اَخَذْنَاۤ اٰلَ فِرْعَوْنَ بِالسِّنِیْنَ وَنَقْصٍ مِّنَ الثَّمَرٰتِ لَعَلَّهُمْ یَذَّكَّرُوْنَ ۟
और निःसंदेह हमने फ़िरऔन की जाति को अकालों तथा फलों की कमी से ग्रस्त कर दिया, ताकि वे शिक्षा ग्रहण करें।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَاِذَا جَآءَتْهُمُ الْحَسَنَةُ قَالُوْا لَنَا هٰذِهٖ ۚ— وَاِنْ تُصِبْهُمْ سَیِّئَةٌ یَّطَّیَّرُوْا بِمُوْسٰی وَمَنْ مَّعَهٗ ؕ— اَلَاۤ اِنَّمَا طٰٓىِٕرُهُمْ عِنْدَ اللّٰهِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
फिर जब उन्हें संपन्नता प्राप्त होती, तो कहते कि यह तो हमारा हक़ है और यदि उन्हें कोई विपत्ति पहुँचती, तो मूसा और उसके साथियों से अपशकुन लेते। सुन लो! उनका अपशकुन तो अल्लाह ही के पास[44] है, परंतु उनमें से अधिकतर लोग नहीं जानते।
44. अर्थात अल्लाह ने प्रत्येक दशा के लिए एक नियम बना दिया है, जिसके अनुसार कर्मों के परिणाम सामने आते हैं, चाहे वह अशुभ हों या न हों, सब अल्लाह के निर्धारित नियमानुसार होते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالُوْا مَهْمَا تَاْتِنَا بِهٖ مِنْ اٰیَةٍ لِّتَسْحَرَنَا بِهَا ۙ— فَمَا نَحْنُ لَكَ بِمُؤْمِنِیْنَ ۟
और उन्होंने कहा : तू हमपर जादू करने के लिए हमारे पास जो निशानी भी ले आए, हम तेरा विश्वास करने वाले नहीं हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَاَرْسَلْنَا عَلَیْهِمُ الطُّوْفَانَ وَالْجَرَادَ وَالْقُمَّلَ وَالضَّفَادِعَ وَالدَّمَ اٰیٰتٍ مُّفَصَّلٰتٍ ۫— فَاسْتَكْبَرُوْا وَكَانُوْا قَوْمًا مُّجْرِمِیْنَ ۟
फिर हमने उनपर तूफ़ान भेजा और टिड्डियाँ और जुएँ और मेंढक और रक्त, जो अलग-अलग निशानियाँ थीं। फिर भी उन्होंने अभिमान किया और वे अपराधी लोग थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَمَّا وَقَعَ عَلَیْهِمُ الرِّجْزُ قَالُوْا یٰمُوْسَی ادْعُ لَنَا رَبَّكَ بِمَا عَهِدَ عِنْدَكَ ۚ— لَىِٕنْ كَشَفْتَ عَنَّا الرِّجْزَ لَنُؤْمِنَنَّ لَكَ وَلَنُرْسِلَنَّ مَعَكَ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ۚ
और जब उनपर यातना आती, तो कहते : ऐ मूसा! तुम अपने पालनहार से हमारे लिए उस प्रतिज्ञा के आधार पर दुआ करो, जो उसने तुमसे कर रखी है। यदि तुम (अपनी दुआ से) हमसे यह यातना दूर कर दो, तो हम अवश्य ही तुमपर ईमान ले आएँगे और तुम्हारे साथ बनी इसराईल को अवश्य भेज देंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُمُ الرِّجْزَ اِلٰۤی اَجَلٍ هُمْ بٰلِغُوْهُ اِذَا هُمْ یَنْكُثُوْنَ ۟
फिर जब हम उनसे यातना को उस समय तक दूर कर देते, जिसे वे पहुँचने वाले होते, तो अचानक वे वचन भंग कर देते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَانْتَقَمْنَا مِنْهُمْ فَاَغْرَقْنٰهُمْ فِی الْیَمِّ بِاَنَّهُمْ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَكَانُوْا عَنْهَا غٰفِلِیْنَ ۟
अंततः हमने उनसे बदला लिया और उन्हें सागर में डुबो दिया, इस कारण कि उन्होंने हमारी आयतों (निशानियों) को झुठलाया और वे उनसे ग़ाफ़िल थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَوْرَثْنَا الْقَوْمَ الَّذِیْنَ كَانُوْا یُسْتَضْعَفُوْنَ مَشَارِقَ الْاَرْضِ وَمَغَارِبَهَا الَّتِیْ بٰرَكْنَا فِیْهَا ؕ— وَتَمَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ الْحُسْنٰی عَلٰی بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۙ۬— بِمَا صَبَرُوْا ؕ— وَدَمَّرْنَا مَا كَانَ یَصْنَعُ فِرْعَوْنُ وَقَوْمُهٗ وَمَا كَانُوْا یَعْرِشُوْنَ ۟
और हमने उन लोगों को जो कमज़ोर समझे जाते थे, उस धरती के पूर्व और पश्चिम के भूभागों का वारिस बना दिया, जिसमें हमने बरकत रखी है। और (इस प्रकार) बनी इसराईल के हक़ में (ऐ नबी!) आपके पालनहार का शुभ वचन पूरा हो गया, इस कारण कि उन्होंने धैर्य से काम लिया। तथा फ़िरऔन और उसकी जाति के लोग जो कुछ बनाते थे और वे जो इमारते ऊँची करते थे, हमने उन्हें नष्ट कर दिया।[45]
45. अर्थात उनके ऊँचे-ऊँचे भवन तथा सुंदर बाग़-बग़ीचे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَجٰوَزْنَا بِبَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ الْبَحْرَ فَاَتَوْا عَلٰی قَوْمٍ یَّعْكُفُوْنَ عَلٰۤی اَصْنَامٍ لَّهُمْ ۚ— قَالُوْا یٰمُوْسَی اجْعَلْ لَّنَاۤ اِلٰهًا كَمَا لَهُمْ اٰلِهَةٌ ؕ— قَالَ اِنَّكُمْ قَوْمٌ تَجْهَلُوْنَ ۟
और हमने बनी इसराईल को सागर के पार उतार दिया। तो वे एक ऐसी जाति पर आए, जो अपनी कुछ मूर्तियों पर जमी बैठी थी। उन्होंने कहा : ऐ मूसा! हमारे लिए कोई पूज्य बना दीजिए, जैसे इनके कुछ पूज्य हैं। (मूसा ने) कहा : निःसंदेह तुम ऐसे लोग हो जो नादानी करते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ هٰۤؤُلَآءِ مُتَبَّرٌ مَّا هُمْ فِیْهِ وَبٰطِلٌ مَّا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
ये लोग जिस काम में लगे हुए हैं, निश्चय ही वह नष्ट किया जाने वाला है और वे जो कुछ करते चले आ रहे हैं, बिलकुल असत्य है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ اَغَیْرَ اللّٰهِ اَبْغِیْكُمْ اِلٰهًا وَّهُوَ فَضَّلَكُمْ عَلَی الْعٰلَمِیْنَ ۟
(मूसा ने) कहा : क्या मैं अल्लाह के सिवा तुम्हारे लिए कोई पूज्य तलाश करूँ? हालाँकि उसने तुम्हें सारे संसार वालों पर श्रेष्ठता प्रदान की है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذْ اَنْجَیْنٰكُمْ مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ یَسُوْمُوْنَكُمْ سُوْٓءَ الْعَذَابِ ۚ— یُقَتِّلُوْنَ اَبْنَآءَكُمْ وَیَسْتَحْیُوْنَ نِسَآءَكُمْ ؕ— وَفِیْ ذٰلِكُمْ بَلَآءٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَظِیْمٌ ۟۠
तथा (वह समय याद करो) जब हमने तुम्हें फ़िरऔनियों से मुक्ति दिलाई, जो तुम्हें बुरी यातना देते थे; तुम्हारे पुत्रों को बुरी तरह मार डालते थे तथा तुम्हारी नारियों को जीवित रहने देते थे। इसमें तुम्हारे पालनहार की ओर से बहुत बड़ी परीक्षा थी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَوٰعَدْنَا مُوْسٰی ثَلٰثِیْنَ لَیْلَةً وَّاَتْمَمْنٰهَا بِعَشْرٍ فَتَمَّ مِیْقَاتُ رَبِّهٖۤ اَرْبَعِیْنَ لَیْلَةً ۚ— وَقَالَ مُوْسٰی لِاَخِیْهِ هٰرُوْنَ اخْلُفْنِیْ فِیْ قَوْمِیْ وَاَصْلِحْ وَلَا تَتَّبِعْ سَبِیْلَ الْمُفْسِدِیْنَ ۟
और हमने मूसा से तीस रातों का वादा[46] किया और उसकी पूर्ति दस रातों से कर दी। तो तेरे पालनहार की निर्धारित अवधि चालीस रातें पूरी हो गई। तथा मूसा ने अपने भाई हारून से कहा : तुम मेरी जाति में मेरा उत्तराधिकारी बनकर रहना, और सुधार करते रहना तथा उपद्रवकारियों की नीति न अपनाना।
46. अर्थात तूर पर्वत पर आकर अल्लाह की इबादत करने और धर्म विधान प्रदान करने के लिए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَمَّا جَآءَ مُوْسٰی لِمِیْقَاتِنَا وَكَلَّمَهٗ رَبُّهٗ ۙ— قَالَ رَبِّ اَرِنِیْۤ اَنْظُرْ اِلَیْكَ ؕ— قَالَ لَنْ تَرٰىنِیْ وَلٰكِنِ انْظُرْ اِلَی الْجَبَلِ فَاِنِ اسْتَقَرَّ مَكَانَهٗ فَسَوْفَ تَرٰىنِیْ ۚ— فَلَمَّا تَجَلّٰی رَبُّهٗ لِلْجَبَلِ جَعَلَهٗ دَكًّا وَّخَرَّ مُوْسٰی صَعِقًا ۚ— فَلَمَّاۤ اَفَاقَ قَالَ سُبْحٰنَكَ تُبْتُ اِلَیْكَ وَاَنَا اَوَّلُ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
और जब मूसा हमारे निर्धारित समय पर आ गया और उसके पालनहार ने उससे बात की, तो उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मुझे दिखा कि मैं तुझे देखूँ। (अल्लाह ने) फरमाया : तू मुझे कदापि नहीं देख सकेगा। लेकिन इस पर्वत की ओर देख! यदि वह अपने स्थान पर स्थिर रहा, तो तू मुझे देख लेगा। फिर जब उसका पालनहार पर्वत के समक्ष प्रकट हुआ, तो उसे चूर-चूर कर दिया और मूसा बेहोश होकर गिर गया। फिर जब उसे होश आया, तो उसने कहा : तू पवित्र है! मैंने तेरी ओर तौबा की और मैं ईमान लाने वालों में सबसे पहला[47] हूँ।
47. इससे प्रत्यक्ष हुआ कि कोई व्यक्ति इस संसार में रहते हुए अल्लाह को नहीं देख सकता और जो ऐसा कहते हैं वे शैतान के बहकावे में हैं। परंतु सह़ीह़ ह़दीस से सिद्ध होता है कि आख़िरत में ईमानवाले अल्लाह का दर्शन करेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ یٰمُوْسٰۤی اِنِّی اصْطَفَیْتُكَ عَلَی النَّاسِ بِرِسٰلٰتِیْ وَبِكَلَامِیْ ۖؗ— فَخُذْ مَاۤ اٰتَیْتُكَ وَكُنْ مِّنَ الشّٰكِرِیْنَ ۟
अल्लाह ने कहा : ऐ मूसा! निःसंदेह मैंने तुम्हें अपने संदेशों तथा अपने वार्तालाप के साथ लोगों पर चुन लिया है। अतः जो कुछ मैंने तुम्हें प्रदान किया है, उसे ले लो और आभार प्रकट करने वालों में से हो जाओ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَكَتَبْنَا لَهٗ فِی الْاَلْوَاحِ مِنْ كُلِّ شَیْءٍ مَّوْعِظَةً وَّتَفْصِیْلًا لِّكُلِّ شَیْءٍ ۚ— فَخُذْهَا بِقُوَّةٍ وَّاْمُرْ قَوْمَكَ یَاْخُذُوْا بِاَحْسَنِهَا ؕ— سَاُورِیْكُمْ دَارَ الْفٰسِقِیْنَ ۟
और हमने उसके लिए तख़्तियों पर हर चीज़ से संबंधित निर्देश और हर चीज़ का विवरण लिख दिया। (तथा कह दिया कि) इसे मज़बूती से पकड़ लो और अपनी जाति को आदेश दो कि वे उसके उत्तम निर्देशों का पालन करें। शीघ्र ही मैं तुम्हें अवज्ञाकारियों का घर दिखाऊँगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
سَاَصْرِفُ عَنْ اٰیٰتِیَ الَّذِیْنَ یَتَكَبَّرُوْنَ فِی الْاَرْضِ بِغَیْرِ الْحَقِّ ؕ— وَاِنْ یَّرَوْا كُلَّ اٰیَةٍ لَّا یُؤْمِنُوْا بِهَا ۚ— وَاِنْ یَّرَوْا سَبِیْلَ الرُّشْدِ لَا یَتَّخِذُوْهُ سَبِیْلًا ۚ— وَاِنْ یَّرَوْا سَبِیْلَ الْغَیِّ یَتَّخِذُوْهُ سَبِیْلًا ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَكَانُوْا عَنْهَا غٰفِلِیْنَ ۟
मैं अपनी आयतों (निशानियों) से उन लोगों[48] को फेर दूँगा, जो धरती में नाहक़ बड़े बनते[49] हैं। और यदि वे प्रत्येक निशानी देख लें, तब भी उसपर ईमान नहीं लाते। और यदि वे भलाई का मार्ग देख लें, तो उसे मार्ग नहीं बनाते और यदि गुमराही का मार्ग देखें, तो उसे मार्ग बना लेते हैं। यह इस कारण कि उन्होंने हमारी आयतों (निशानियों) को झुठलाया और वे उनसे ग़ाफ़िल थे।
48. अर्थात तुम्हें उनपर विजय दूँगा जो अवज्ञाकारी हैं, जैसे उस समय की अमालिक़ा इत्यादि जातियों पर। 49. अर्थात जो जान-बूझकर अवज्ञा करेगा, अल्लाह का नियम यही है कि वह तर्कों तथा प्रकाशों से प्रभावित होने की योग्यता खो देगा। इस का यह अर्थ नहीं कि अल्लाह किसी को अकारण कुपथ पर बाध्य कर देता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَلِقَآءِ الْاٰخِرَةِ حَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْ ؕ— هَلْ یُجْزَوْنَ اِلَّا مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟۠
और जिन लोगों ने हमारी आयतों तथा परलोक (में हमसे) मिलने को झुठलाया, उनके कर्म व्यर्थ हो गए और उन्हें उसी का बदला मिलेगा, जो वे किया करते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاتَّخَذَ قَوْمُ مُوْسٰی مِنْ بَعْدِهٖ مِنْ حُلِیِّهِمْ عِجْلًا جَسَدًا لَّهٗ خُوَارٌ ؕ— اَلَمْ یَرَوْا اَنَّهٗ لَا یُكَلِّمُهُمْ وَلَا یَهْدِیْهِمْ سَبِیْلًا ۘ— اِتَّخَذُوْهُ وَكَانُوْا ظٰلِمِیْنَ ۟
और मूसा की जाति ने उसके (पर्वत पर जाने के) पश्चात् अपने ज़ेवरों से एक बछड़ा बना लिया, जो एक शरीर था, जिसकी गाय जैसी आवाज़ थी। क्या उन्होंने यह नहीं देखा कि वह न तो उनसे बात करता[50] है और न उन्हें कोई राह दिखाता है? उन्होंने उसे (पूज्य) बना लिया तथा वे अत्याचारी थे।
50. अर्थात उससे एक ही प्रकार की ध्वनि क्यों निकलती है। बाबिल और मिस्र में भी प्राचीन युग में गाय-बैल की पूजा हो रही थी। और यदि बाबिल की सभ्यता को प्राचीन मान लिया जाए तो यह विचार दूसरे देशों में वहीं से फैला होगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَمَّا سُقِطَ فِیْۤ اَیْدِیْهِمْ وَرَاَوْا اَنَّهُمْ قَدْ ضَلُّوْا ۙ— قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ یَرْحَمْنَا رَبُّنَا وَیَغْفِرْ لَنَا لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الْخٰسِرِیْنَ ۟
और जब वे (अपने किए पर) लज्जित हुए और उन्होंने देखा कि निःसंदेह वे तो पथभ्रष्ट हो गए हैं। तो कहने लगे : यदि हमारे पालनहार ने हमपर दया नहीं की और हमें क्षमा नहीं किया, तो हम अवश्य घाटा उठाने वालों में से हो जाएँगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَمَّا رَجَعَ مُوْسٰۤی اِلٰی قَوْمِهٖ غَضْبَانَ اَسِفًا ۙ— قَالَ بِئْسَمَا خَلَفْتُمُوْنِیْ مِنْ بَعْدِیْ ۚ— اَعَجِلْتُمْ اَمْرَ رَبِّكُمْ ۚ— وَاَلْقَی الْاَلْوَاحَ وَاَخَذَ بِرَاْسِ اَخِیْهِ یَجُرُّهٗۤ اِلَیْهِ ؕ— قَالَ ابْنَ اُمَّ اِنَّ الْقَوْمَ اسْتَضْعَفُوْنِیْ وَكَادُوْا یَقْتُلُوْنَنِیْ ۖؗ— فَلَا تُشْمِتْ بِیَ الْاَعْدَآءَ وَلَا تَجْعَلْنِیْ مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ ۟
और जब मूसा अपनी जाति की ओर क्रोध तथा दुःख से भरा हुआ वापस आया, तो उसने कहा : तुमने मेरे बाद मेरा बहुत बुरा प्रतिनिधित्व किया। क्या तुम अपने पालनहार की आज्ञा से पहले ही जल्दी कर[51] गए? तथा उसने तख़्तियाँ डाल दीं और अपने भाई (हारून) का सिर पकड़कर अपनी ओर खींचने लगा। उसने कहा : ऐ मेरे माँ जाये भाई! लोगों ने मुझे कमज़ोर समझ लिया और निकट था कि वे मुझे मार डालें। अतः तू शत्रुओं को मुझपर हँसने का अवसर न दे और मुझे अत्याचारियों का साथी न बना।
51. अर्थात मेरे आने की प्रतीक्षा नहीं की।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ رَبِّ اغْفِرْ لِیْ وَلِاَخِیْ وَاَدْخِلْنَا فِیْ رَحْمَتِكَ ۖؗ— وَاَنْتَ اَرْحَمُ الرّٰحِمِیْنَ ۟۠
उसने कहा[52] : ऐ मेरे पालनहार! मुझे तथा मेरे भाई को क्षमा कर दे और हमें अपनी दया में प्रवेश प्रदान कर दे और तू सब दया करने वालों से अधिक दयावान् है।
52. अर्थात जब यह सिद्ध हो गया कि मेरा भाई निर्दोष है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ الَّذِیْنَ اتَّخَذُوا الْعِجْلَ سَیَنَالُهُمْ غَضَبٌ مِّنْ رَّبِّهِمْ وَذِلَّةٌ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ؕ— وَكَذٰلِكَ نَجْزِی الْمُفْتَرِیْنَ ۟
निःसंदेह जिन लोगों ने बछड़े को पूज्य बनाया, उन्हें उनके पालनहार की ओर से बड़ा प्रकोप और सांसारिक जीवन में अपमान पहुँचेगा और हम झूठ गढ़ने वालों को इसी प्रकार दंड देते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالَّذِیْنَ عَمِلُوا السَّیِّاٰتِ ثُمَّ تَابُوْا مِنْ بَعْدِهَا وَاٰمَنُوْۤا ؗ— اِنَّ رَبَّكَ مِنْ بَعْدِهَا لَغَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
और जिन लोगों ने बुरे कर्म किए, फिर उसके पश्चात् क्षमा माँग ली और ईमान ले आए, तो निःसंदेह तेरा पालनहार इसके बाद अवश्य अति क्षमाशील, अत्यंत दयावान् है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَمَّا سَكَتَ عَنْ مُّوْسَی الْغَضَبُ اَخَذَ الْاَلْوَاحَ ۖۚ— وَفِیْ نُسْخَتِهَا هُدًی وَّرَحْمَةٌ لِّلَّذِیْنَ هُمْ لِرَبِّهِمْ یَرْهَبُوْنَ ۟
फिर जब मूसा का क्रोध शांत हो गया, तो उसने तख़्तियाँ उठा लीं, और उनके लेख में उन लोगों के लिए मार्गदर्शन तथा दया थी, जो केवल अपने पालनहार से डरते हों।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاخْتَارَ مُوْسٰی قَوْمَهٗ سَبْعِیْنَ رَجُلًا لِّمِیْقَاتِنَا ۚ— فَلَمَّاۤ اَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ قَالَ رَبِّ لَوْ شِئْتَ اَهْلَكْتَهُمْ مِّنْ قَبْلُ وَاِیَّایَ ؕ— اَتُهْلِكُنَا بِمَا فَعَلَ السُّفَهَآءُ مِنَّا ۚ— اِنْ هِیَ اِلَّا فِتْنَتُكَ ؕ— تُضِلُّ بِهَا مَنْ تَشَآءُ وَتَهْدِیْ مَنْ تَشَآءُ ؕ— اَنْتَ وَلِیُّنَا فَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا وَاَنْتَ خَیْرُ الْغٰفِرِیْنَ ۟
और मूसा ने हमारे निर्धारित[53] समय के लिए अपनी जाति के सत्तर व्यक्तियों को चुन लिया। फिर जब उन्हें भूकंप ने पकड़[54] लिया, तो उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! यदि तू चाहता तो इससे पहले ही इन सबका और मेरा विनाश कर देता। क्या तू उसके कारण हमारा विनाश करता है, जो हममें से मूर्खों ने किया है? यह[55] तो केवल तेरी ओर से एक परीक्षा है। जिसके द्वारा तू जिसे चाहता है, गुमराह करता है और जिसे चाहता है, सीधा मार्ग दिखाता है। तू ही हमारा संरक्षक है। अतः हमारे पापों को क्षमा कर दे और हमपर दया कर। तू क्षमा करने वालों में सबसे बेहतर है।
53. अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम को आदेश दिया था कि वह तूर पर्वत के पास बछड़े की पूजा से क्षमा याचना के लिए कुछ लोगों को लाएँ। (इब्ने कसीर) 54. जब वह उस स्थान पर पहुँचे तो उन्होंने यह माँग की कि हम को हमारी आँखों से अल्लाह को दिखा दे। अन्यथा हम तेरा विश्वास नहीं करेंगे। उस समय उनपर भूकंप आया। (इब्ने कसीर) 55. अर्थात बछड़े की पूजा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاكْتُبْ لَنَا فِیْ هٰذِهِ الدُّنْیَا حَسَنَةً وَّفِی الْاٰخِرَةِ اِنَّا هُدْنَاۤ اِلَیْكَ ؕ— قَالَ عَذَابِیْۤ اُصِیْبُ بِهٖ مَنْ اَشَآءُ ۚ— وَرَحْمَتِیْ وَسِعَتْ كُلَّ شَیْءٍ ؕ— فَسَاَكْتُبُهَا لِلَّذِیْنَ یَتَّقُوْنَ وَیُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَالَّذِیْنَ هُمْ بِاٰیٰتِنَا یُؤْمِنُوْنَ ۟ۚ
और हमारे लिए इस संसार में भलाई लिख दे तथा परलोक (आख़िरत) में भी। निःसंदेह हम तेरी ओर लौट आए। अल्लाह ने कहा : मैं अपनी यातना से जिसे चाहता हूँ, ग्रस्त करता हूँ। और मेरी दया प्रत्येक चीज़ को घेरे हुए है। अतः मैं उसे उन लोगों के लिए अवश्य लिख दूँगा, जो डरते हैं और ज़कात देते है और जो हमारी आयतों पर ईमान लाते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَلَّذِیْنَ یَتَّبِعُوْنَ الرَّسُوْلَ النَّبِیَّ الْاُمِّیَّ الَّذِیْ یَجِدُوْنَهٗ مَكْتُوْبًا عِنْدَهُمْ فِی التَّوْرٰىةِ وَالْاِنْجِیْلِ ؗ— یَاْمُرُهُمْ بِالْمَعْرُوْفِ وَیَنْهٰىهُمْ عَنِ الْمُنْكَرِ وَیُحِلُّ لَهُمُ الطَّیِّبٰتِ وَیُحَرِّمُ عَلَیْهِمُ الْخَبٰٓىِٕثَ وَیَضَعُ عَنْهُمْ اِصْرَهُمْ وَالْاَغْلٰلَ الَّتِیْ كَانَتْ عَلَیْهِمْ ؕ— فَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا بِهٖ وَعَزَّرُوْهُ وَنَصَرُوْهُ وَاتَّبَعُوا النُّوْرَ الَّذِیْۤ اُنْزِلَ مَعَهٗۤ ۙ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟۠
जो लोग उस रसूल का अनुसरण करते हैं, जो उम्मी नबी[56] है, जिसे वे अपने पास तौरात तथा इंजील में लिखा हुआ पाते हैं, जो उन्हें नेकी का आदेश देता है और बुराई से रोकता है, तथा उनके लिए पाकीज़ा चीज़ों को हलाल (वैध) करता और उनपर अपवित्र चीज़ों को हराम (अवैध) ठहराता है और उनसे उनका बोझ और वह तौक़ उतारता है, जो उनपर पड़े हुए थे। अतः जो लोग उसपर ईमान लाए, उसका समर्थन किया, उसकी सहायता की और उस प्रकाश (क़ुरआन) का अनुसरण किया, जो उसके साथ उतारा गया, वही लोग सफलता प्राप्त करने वाले हैं।
56. अर्थात बनी इसराईल से नहीं। इससे अभिप्राय अंतिम नबी मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं, जिनके आगमन की भविष्यवाणी तौरात, इंजील तथा दूसरे धर्म शास्त्रों में पाई जाती है। यहाँ पर आपकी तीन विशेषताओं की चर्चा की गयी है : 1. आप सदाचार का आदेश देते तथा दुराचार से रोकते हैं। 2. स्वच्छ चीज़ों के प्रयोग को उचित तथा मलिन चीज़ों के प्रयोग को अनुचित ठहराते हैं। 3. अह्ले किताब जिन कड़े धार्मिक नियमों के बोझ तले दबे हुए थे, उन्हें उनसे मुक्त करते हैं। और रसूल इस्लामी धर्म विधान प्रस्तुत करते हैं, और उनके आगमन के पश्चात् लोक-परलोक की सफलता आप ही के धर्म विधान के अनुसरण में सीमित है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنِّیْ رَسُوْلُ اللّٰهِ اِلَیْكُمْ جَمِیْعَا ١لَّذِیْ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۚ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ یُحْیٖ وَیُمِیْتُ ۪— فَاٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهِ النَّبِیِّ الْاُمِّیِّ الَّذِیْ یُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَكَلِمٰتِهٖ وَاتَّبِعُوْهُ لَعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दें कि ऐ मानव जाति के लोगो! निःसंदेह मैं तुम सब की ओर उस अल्लाह का रसूल हूँ, जिसके लिए आकाशों तथा धरती का राज्य है। उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। वही जीवन देता और मारता है। अतः तुम अल्लाह पर और उसके रसूल उम्मी नबी पर ईमान लाओ, जो अल्लाह पर और उसकी सभी वाणियों (पुस्तकों) पर ईमान रखता है और उसका अनुसरण करो, ताकि तुम सीधा मार्ग पाओ।[57]
57. इस आयत का भावार्थ यह है कि इस्लाम के नबी किसी विशेष जाति तथा देश के नबी नहीं हैं, प्रलय तक के लिए पूरी मानव जाति के नबी हैं। यह सबको एक अल्लाह की वंदना कराने के लिए आए हैं, जिसके सिवा कोई पूज्य नहीं। आपका चिह्न अल्लाह पर तथा सब प्राचीन पुस्तकों और नबियों पर ईमान है। आपका अनुसरण करने का अर्थ यह है कि अब उसी प्रकार अल्लाह की उपासना करो, जैसे आपने की और बताई है। और आपके लाए हुए धर्म विधान का पालन करो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمِنْ قَوْمِ مُوْسٰۤی اُمَّةٌ یَّهْدُوْنَ بِالْحَقِّ وَبِهٖ یَعْدِلُوْنَ ۟
और मूसा की जाति के अंदर एक गिरोह ऐसा है, जो सत्य के साथ मार्गदर्शन करता है और उसी के अनुसार न्याय करता है।[58]
58. इससे अभिप्राय वे लोग हैं जो मूसा (अलैहिस्सलाम) के लाए हुए धर्म पर क़ायम थे और आने वाले नबी की प्रतीक्षा कर रहे थे और जब वह आए तो तुरंत आपपर ईमान लाए, जैसे अबदुल्लाह बिन सलाम इत्यादि।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَطَّعْنٰهُمُ اثْنَتَیْ عَشْرَةَ اَسْبَاطًا اُمَمًا ؕ— وَاَوْحَیْنَاۤ اِلٰی مُوْسٰۤی اِذِ اسْتَسْقٰىهُ قَوْمُهٗۤ اَنِ اضْرِبْ بِّعَصَاكَ الْحَجَرَ ۚ— فَانْۢبَجَسَتْ مِنْهُ اثْنَتَا عَشْرَةَ عَیْنًا ؕ— قَدْ عَلِمَ كُلُّ اُنَاسٍ مَّشْرَبَهُمْ ؕ— وَظَلَّلْنَا عَلَیْهِمُ الْغَمَامَ وَاَنْزَلْنَا عَلَیْهِمُ الْمَنَّ وَالسَّلْوٰی ؕ— كُلُوْا مِنْ طَیِّبٰتِ مَا رَزَقْنٰكُمْ ؕ— وَمَا ظَلَمُوْنَا وَلٰكِنْ كَانُوْۤا اَنْفُسَهُمْ یَظْلِمُوْنَ ۟
और हमने उन्हें बारह गोत्रों में विभाजित करके अलग-अलग समूह बना दिया। और जब मूसा की जाति ने उनसे पानी माँगा, तो हमने उनकी ओर वह़्य भेजी कि अपनी लाठी पत्थर पर मारो। तो उससे बारह स्रोत फूट निकले। निःसंदेह सब लोगों ने अपने पानी पीने का स्थान जान लिया। तथा हमने उनपर बादल की छाया की और उनपर मन्न और सलवा उतारा। (हमने कहा :) इन पाकीज़ा चीज़ों में से, जो हमने तुम्हें प्रदान की हैं, खाओ। और उन्होंने हमपर अत्याचार नहीं किया, परंतु वे अपने आप ही पर अत्याचार करते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذْ قِیْلَ لَهُمُ اسْكُنُوْا هٰذِهِ الْقَرْیَةَ وَكُلُوْا مِنْهَا حَیْثُ شِئْتُمْ وَقُوْلُوْا حِطَّةٌ وَّادْخُلُوا الْبَابَ سُجَّدًا نَّغْفِرْ لَكُمْ خَطِیْٓـٰٔتِكُمْ ؕ— سَنَزِیْدُ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
और जब उनसे कहा गया कि इस नगर (बैतुल मक़्दिस) में बस जाओ और उसमें से जहाँ से इच्छा हो खाओ और कहो कि हमें क्षमा कर दे तथा द्वार में सज्दा करते हुए प्रवेश करो, हम तुम्हारे लिए तुम्हारे पाप क्षमा कर देंगे। हम सत्कर्मियों को और अधिक देंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَبَدَّلَ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا مِنْهُمْ قَوْلًا غَیْرَ الَّذِیْ قِیْلَ لَهُمْ فَاَرْسَلْنَا عَلَیْهِمْ رِجْزًا مِّنَ السَّمَآءِ بِمَا كَانُوْا یَظْلِمُوْنَ ۟۠
तो उनमें से जो अत्याचारी थे, उन्होंने उस बात को जो उनसे कही गई थी, दूसरी बात से बदल[59] दिया। तो हमने उनपर, उनके अत्याचार के कारण, आकाश से अज़ाब भेजा।
59. और चूतड़ों के बल खिसकते और यह कहते हुए प्रवेश किया कि हमें बालियों में दाना चाहिए। (सह़ीह़ बुख़ारीः4641)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَسْـَٔلْهُمْ عَنِ الْقَرْیَةِ الَّتِیْ كَانَتْ حَاضِرَةَ الْبَحْرِ ۘ— اِذْ یَعْدُوْنَ فِی السَّبْتِ اِذْ تَاْتِیْهِمْ حِیْتَانُهُمْ یَوْمَ سَبْتِهِمْ شُرَّعًا وَّیَوْمَ لَا یَسْبِتُوْنَ ۙ— لَا تَاْتِیْهِمْ ۛۚ— كَذٰلِكَ ۛۚ— نَبْلُوْهُمْ بِمَا كَانُوْا یَفْسُقُوْنَ ۟
तथा (ऐ नबी!) उनसे उस बस्ती के संबंध में पूछें, जो समुद्र (लाल सागर) के किनारे पर थी, जब वे शनिवार के दिन के विषय में सीमा का उल्लंघन[60] करते थे, जब उनके पास उनकी मछलियाँ उनके शनिवार के दिन पानी की सतह पर प्रत्यक्ष होकर आती थीं और जिस दिन उनका शनिवार न होता, वे उनके पास नहीं आती थीं। इस प्रकार हम उनका परीक्षण करते थे, इस कारण कि वे अवज्ञा करते थे।
60. क्योंकि उनके लिए यह आदेश था कि शनिवार को मछलियों का शिकार नहीं करेंगे। अधिकांश भाष्यकारों ने उस नगरी का नाम ईला (ईलात) बताया है, जो क़ुल्ज़ुम सागर के किनारे पर आबाद थी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذْ قَالَتْ اُمَّةٌ مِّنْهُمْ لِمَ تَعِظُوْنَ قَوْمَا ۙ— ١للّٰهُ مُهْلِكُهُمْ اَوْ مُعَذِّبُهُمْ عَذَابًا شَدِیْدًا ؕ— قَالُوْا مَعْذِرَةً اِلٰی رَبِّكُمْ وَلَعَلَّهُمْ یَتَّقُوْنَ ۟
तथा जब उनमें से एक समूह ने कहा कि तुम ऐसे लोगों को क्यों समझा रहे हो, जिन्हें अल्लाह (उनकी अवज्ञा के कारण) विनष्ट करने वाला है, या उन्हें बहुत सख़्त यातना देने वाला है? उन्होंने कहा : तुम्हारे पालनहार के समक्ष उज़्र करने के लिए और इसलिए कि शायद वे डर जाएँ।[61]
61. आयत में यह संकेत है कि बुराई को रोकने से निराश नहीं होना चाहिये, क्योंकि हो सकता है कि किसी के दिल में बात लग ही जाए, और यदि न भी लगे तो अपना कर्तव्य पूरा हो जाएगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَمَّا نَسُوْا مَا ذُكِّرُوْا بِهٖۤ اَنْجَیْنَا الَّذِیْنَ یَنْهَوْنَ عَنِ السُّوْٓءِ وَاَخَذْنَا الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا بِعَذَابٍۭ بَىِٕیْسٍ بِمَا كَانُوْا یَفْسُقُوْنَ ۟
फिर जब वे उस बात को भूल गए, जिसकी उन्हें नसीहत की गई थी, तो हमने उन लोगों को बचा लिया, जो बुराई से रोक रहे थे, और उन लोगों को जिन्होंने अत्याचार किया, उनकी अवज्ञा के कारण कठोर यातना में पकड़ लिया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَمَّا عَتَوْا عَنْ مَّا نُهُوْا عَنْهُ قُلْنَا لَهُمْ كُوْنُوْا قِرَدَةً خٰسِىِٕیْنَ ۟
फिर जब वे उस काम में सीमा से आगे बढ़ गए, जिससे वे रोके गए थे, तो हमने उनसे कहा कि अपमानित बंदर बन जाओ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذْ تَاَذَّنَ رَبُّكَ لَیَبْعَثَنَّ عَلَیْهِمْ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ مَنْ یَّسُوْمُهُمْ سُوْٓءَ الْعَذَابِ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ لَسَرِیْعُ الْعِقَابِ ۖۚ— وَاِنَّهٗ لَغَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
और याद करो, जब आपके पालनहार ने घोषणा कर दी कि वह क़ियामत के दिन तक, उन (यहूदियों) पर, ऐसा व्यक्ति अवश्य भेजता रहेगा, जो उन्हें घोर यातना दे।[62] निःसंदेह आपका पालनहार शीघ्र दंड देने वाला है और निःसंदेह वह अति क्षमाशील, अत्यंत दयावान है।
62. यह चेतावनी बनी इसराईल को बहुत पहले से दी जा रही थी। ईसा (अलैहिस्सलाम) से पूर्व आने वाले नबियों ने बनी इसराईल को डराया कि अल्लाह की अवज्ञा से बचो। और स्वयं ईसा ने भी उनको डराया, परंतु वे अपनी अवज्ञा पर बाक़ी रहे, जिसके कारण अल्लाह की यातना ने उन्हें घेर लिया और कई बार बैतुल मक़्दिस को उजाड़ा गया, और तौरात जलाई गई।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَطَّعْنٰهُمْ فِی الْاَرْضِ اُمَمًا ۚ— مِنْهُمُ الصّٰلِحُوْنَ وَمِنْهُمْ دُوْنَ ذٰلِكَ ؗ— وَبَلَوْنٰهُمْ بِالْحَسَنٰتِ وَالسَّیِّاٰتِ لَعَلَّهُمْ یَرْجِعُوْنَ ۟
और हमने उन्हें धरती में कई समूहों में टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उनमें से कुछ लोग सदाचारी थे और उनमें से कुछ इसके अलावा थे। तथा हमने अच्छी परिस्थितियों और बुरी परिस्थितियों के साथ उनका परीक्षण किया, ताकि वे बाज़ आ जाएँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَخَلَفَ مِنْ بَعْدِهِمْ خَلْفٌ وَّرِثُوا الْكِتٰبَ یَاْخُذُوْنَ عَرَضَ هٰذَا الْاَدْنٰی وَیَقُوْلُوْنَ سَیُغْفَرُ لَنَا ۚ— وَاِنْ یَّاْتِهِمْ عَرَضٌ مِّثْلُهٗ یَاْخُذُوْهُ ؕ— اَلَمْ یُؤْخَذْ عَلَیْهِمْ مِّیْثَاقُ الْكِتٰبِ اَنْ لَّا یَقُوْلُوْا عَلَی اللّٰهِ اِلَّا الْحَقَّ وَدَرَسُوْا مَا فِیْهِ ؕ— وَالدَّارُ الْاٰخِرَةُ خَیْرٌ لِّلَّذِیْنَ یَتَّقُوْنَ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟
फिर उनके बाद उनकी जगह नालायक़ उत्तराधिकारी आए, जो पुस्तक के वारिस बने, वे इस तुच्छ संसार का सामान लेते हैं और कहते हैं कि हमें क्षमा कर दिया जाएगा। और यदि उनके पास इस जैसा और सामान भी आ जाए, तो उसे भी ले लेते हैं। क्या उनसे पुस्तक का दृढ़ वचन नहीं लिया गया था कि अल्लाह पर सत्य के सिवा कुछ नहीं कहेंगे, और उन्होंने जो कुछ उसमें था, पढ़ भी लिया था। और आख़िरत का घर (जन्नत) उन लोगों के लिए उत्तम है, जो अल्लाह से डरते हैं। तो क्या तुम नहीं[63] समझते?
63. इस आयत में यहूदी विद्वानों की दुर्दशा बताई गई है कि वे तुच्छ सांसारिक लाभ के लिए धर्म में परिवर्तन कर देते थे और अवैध को वैध बना लेते थे। फिर भी उन्हें यह गर्व था कि अल्लाह उन्हें अवश्य क्षमा कर देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالَّذِیْنَ یُمَسِّكُوْنَ بِالْكِتٰبِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ ؕ— اِنَّا لَا نُضِیْعُ اَجْرَ الْمُصْلِحِیْنَ ۟
और जो लोग पुस्तक को दृढ़ता से पकड़ते हैं और उन्होंने नमाज़ क़ायम की, निश्चय हम सुधार करने वालों का प्रतिफल अकारथ नहीं करते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذْ نَتَقْنَا الْجَبَلَ فَوْقَهُمْ كَاَنَّهٗ ظُلَّةٌ وَّظَنُّوْۤا اَنَّهٗ وَاقِعٌ بِهِمْ ۚ— خُذُوْا مَاۤ اٰتَیْنٰكُمْ بِقُوَّةٍ وَّاذْكُرُوْا مَا فِیْهِ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ۟۠
और जब हमने उनके ऊपर पर्वत को इस तरह उठा लिया, जैसे वह एक छतरी हो, और उन्हें विश्वास हो गया कि वह उनपर गिरने वाला है। (तथा यह आदेश दिया कि) जो (पुस्तक) हमने तुम्हें प्रदान की है, उसे मज़बूती से थाम लो तथा उसमें जो कुछ है, उसे याद रखो, ताकि तुम परहेज़गार हो जाओ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذْ اَخَذَ رَبُّكَ مِنْ بَنِیْۤ اٰدَمَ مِنْ ظُهُوْرِهِمْ ذُرِّیَّتَهُمْ وَاَشْهَدَهُمْ عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ ۚ— اَلَسْتُ بِرَبِّكُمْ ؕ— قَالُوْا بَلٰی ۛۚ— شَهِدْنَا ۛۚ— اَنْ تَقُوْلُوْا یَوْمَ الْقِیٰمَةِ اِنَّا كُنَّا عَنْ هٰذَا غٰفِلِیْنَ ۟ۙ
तथा (वह समय याद करें) जब आपके पालनहार ने आदम के बेटों की पीठों से उनकी संतति को निकाला और उन्हें स्वयं उनपर गवाह बनाते हुए कहा : क्या मैं तुम्हारा पालनहार नहीं हूँ? उन्होंने कहा : क्यों नहीं, हम (इसके) गवाह[64] हैं। (ऐसा न हो) कि तुम क़ियामत के दिन कहो निःसंदेह हम इससे ग़ाफ़िल थे।
64. यह उस समय की बात है जब आदम अलैहिस्सलाम की उत्पत्ति के पश्चात् उनकी सभी संतान को जो प्रलय तक होगी, उनकी आत्माओं से अल्लाह ने अपने पालनहार होने की गवाही ली थी। (इब्ने कसीर)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوْ تَقُوْلُوْۤا اِنَّمَاۤ اَشْرَكَ اٰبَآؤُنَا مِنْ قَبْلُ وَكُنَّا ذُرِّیَّةً مِّنْ بَعْدِهِمْ ۚ— اَفَتُهْلِكُنَا بِمَا فَعَلَ الْمُبْطِلُوْنَ ۟
अथवा यह कहो कि शिर्क तो हमसे पहले हमारे बाप-दादा ही ने किया था और हम तो उनके बाद उनकी संतान थे। तो क्या तू गुमराहों के कर्म के कारण हमें विनष्ट करता है?[65]
65. आयत का भावार्थ यह है कि अल्लाह के अस्तित्व तथा एकेश्वर्वाद की आस्था सभी मानव का स्वभाविक धर्म है। कोई यह नहीं कह सकता कि मैं अपने पूर्वजों की गुमराही से गुमराह हो गया। यह स्वभाविक आंतरिक आवाज़ है जो कभी दब नहीं सकती।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَكَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ وَلَعَلَّهُمْ یَرْجِعُوْنَ ۟
और इसी प्रकार, हम आयतों को खोल-खोल कर बयान करते हैं, और ताकि वे (सत्य की ओर) पलट आएँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاتْلُ عَلَیْهِمْ نَبَاَ الَّذِیْۤ اٰتَیْنٰهُ اٰیٰتِنَا فَانْسَلَخَ مِنْهَا فَاَتْبَعَهُ الشَّیْطٰنُ فَكَانَ مِنَ الْغٰوِیْنَ ۟
और उन्हें उस व्यक्ति का हाल पढ़कर सुनाएँ, जिसे हमने अपनी आयतें प्रदान कीं, तो वह उनसे निकल गया। फिर शैतान उसके पीछे लग गया, तो वह गुमराहों में से हो गया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَوْ شِئْنَا لَرَفَعْنٰهُ بِهَا وَلٰكِنَّهٗۤ اَخْلَدَ اِلَی الْاَرْضِ وَاتَّبَعَ هَوٰىهُ ۚ— فَمَثَلُهٗ كَمَثَلِ الْكَلْبِ ۚ— اِنْ تَحْمِلْ عَلَیْهِ یَلْهَثْ اَوْ تَتْرُكْهُ یَلْهَثْ ؕ— ذٰلِكَ مَثَلُ الْقَوْمِ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا ۚ— فَاقْصُصِ الْقَصَصَ لَعَلَّهُمْ یَتَفَكَّرُوْنَ ۟
और यदि हम चाहते, तो उन (आयतों) के द्वारा उसका पद ऊँचा कर देते, परंतु वह धरती से चिमट गया और अपनी इच्छा के पीछे लग गया। अतः उसकी दशा उस कुत्ते के समान हो गई, जिसे हाँको, तब भी जीभ निकाले हाँफता रहे और छोड़ दो, तब भी जीभ निकाले हाँफता है। यह उन लोगों की मिसाल है, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया। तो आप ये कथाएँ (उन्हें) सुना दें, ताकि वे सोच-विचार करें।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
سَآءَ مَثَلَا ١لْقَوْمُ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَاَنْفُسَهُمْ كَانُوْا یَظْلِمُوْنَ ۟
उन लोगों की मिसाल बहुत बुरी है, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और वे अपने ही ऊपर अत्याचार करते रहे।[66]
66. भाष्यकारों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के युग और प्राचीन युग के कई ऐसे व्यक्तियों का नाम लिया है, जिनका यह उदाहरण हो सकता है। परंतु आयत का भावार्थ बस इतना है कि प्रत्येक व्यक्ति जिसमें ये अवगुण पाए जाते हों, उसकी दशा यही होती है, जिसकी जीभ से माया-मोह के कारण राल टपकती रहती है, और उसकी लोभाग्नि कभी नहीं बुझती।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مَنْ یَّهْدِ اللّٰهُ فَهُوَ الْمُهْتَدِیْ ۚ— وَمَنْ یُّضْلِلْ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟
जिसे अल्लाह मार्गदर्शन प्रदान कर दे, तो वही मार्गदर्शन पाने वाला है और जिसे वह गुमराह[67] कर दे, तो वही घाटा उठाने वाले हैं।
67. क़ुरआन ने बार-बार इस तथ्य को दुहराया है कि मार्गदर्शन के लिए सोच-विचार की आवश्यकता है। और जो लोग अल्लाह की दी हुई विचार शक्ति से काम नहीं लेते, वही सीधी राह नहीं पाते। यही अल्लाह के सुपथ और कुपथ करने का अर्थ है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَقَدْ ذَرَاْنَا لِجَهَنَّمَ كَثِیْرًا مِّنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ ۖؗ— لَهُمْ قُلُوْبٌ لَّا یَفْقَهُوْنَ بِهَا ؗ— وَلَهُمْ اَعْیُنٌ لَّا یُبْصِرُوْنَ بِهَا ؗ— وَلَهُمْ اٰذَانٌ لَّا یَسْمَعُوْنَ بِهَا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ كَالْاَنْعَامِ بَلْ هُمْ اَضَلُّ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْغٰفِلُوْنَ ۟
और निःसंदेह हमने बहुत-से जिन्न और इनसान जहन्नम ही के लिए पैदा किए हैं। उनके दिल हैं, जिनसे वे समझते नहीं, उनकी आँखें हैं, जिनसे वे देखते नहीं और उनके कान हैं, जिनसे वे सुनते नहीं। ये लोग पशुओं के समान हैं; बल्कि ये उनसे भी अधिक गुमराह हैं। यही लोग हैं जो ग़फ़लत में पड़े हुए हैं।[68]
68. आयत का भावार्थ यह है कि सत्य को प्राप्त करने के दो ही साधन है : ध्यान और ज्ञान। ध्यान यह है कि अल्लाह की दी हुई विचार शक्ति से काम लिया जाए। और ज्ञान यह है कि इस विश्व की व्यवस्था को देखा जाए और नबियों द्वारा प्रस्तुत किए हुए सत्य को सुना जाए, और जो इन दोनों से वंचित हो वह अंधा-बहरा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلِلّٰهِ الْاَسْمَآءُ الْحُسْنٰی فَادْعُوْهُ بِهَا ۪— وَذَرُوا الَّذِیْنَ یُلْحِدُوْنَ فِیْۤ اَسْمَآىِٕهٖ ؕ— سَیُجْزَوْنَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
और सबसे अच्छे नाम अल्लाह ही के हैं। अतः उसे उन्हीं के द्वारा पुकारो और उन लोगों को छोड़ दो, जो उसके नामों के बारे में सीधे रास्ते से हटते[69] हैं। उन्हें शीघ्र ही उसका बदला दिया जाएगा, जो वे किया करते थे।
69. अर्थात उसके गौणिक नामों से अपनी मूर्तियों को पुकारते हैं। जैसे अज़ीज़ से "उज़्ज़ा" और इलाह से "लात" इत्यादि।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمِمَّنْ خَلَقْنَاۤ اُمَّةٌ یَّهْدُوْنَ بِالْحَقِّ وَبِهٖ یَعْدِلُوْنَ ۟۠
और उन लोगों में से जिन्हें हमने पैदा किया कुछ लोग ऐसे हैं, जो सत्य के साथ मार्गदर्शन करते और उसी के अनुसार न्याय करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا سَنَسْتَدْرِجُهُمْ مِّنْ حَیْثُ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟ۚ
और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया, हम उन्हें धीरे-धीरे (विनाश तक) ऐसे खींच कर ले जाएँगे कि उन्हें इसका ज्ञान नहीं होगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاُمْلِیْ لَهُمْ ؕ— اِنَّ كَیْدِیْ مَتِیْنٌ ۟
और मैं उन्हें मोहलत दूँगा। निःसंदेह मेरा गुप्त उपाय बहुत मज़बूत है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوَلَمْ یَتَفَكَّرُوْا ٚ— مَا بِصَاحِبِهِمْ مِّنْ جِنَّةٍ ؕ— اِنْ هُوَ اِلَّا نَذِیْرٌ مُّبِیْنٌ ۟
और क्या उन्होंने विचार नहीं किया कि उनके साथी[70] में कोई पागलपन नहीं है? वह तो केवल खुले रूप से सचेत करने वाला है।
70. साथी से अभिप्राय मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं, जिनको नबी होने से पहले वही लोग "अमीन" कहते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوَلَمْ یَنْظُرُوْا فِیْ مَلَكُوْتِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا خَلَقَ اللّٰهُ مِنْ شَیْءٍ ۙ— وَّاَنْ عَسٰۤی اَنْ یَّكُوْنَ قَدِ اقْتَرَبَ اَجَلُهُمْ ۚ— فَبِاَیِّ حَدِیْثٍ بَعْدَهٗ یُؤْمِنُوْنَ ۟
क्या उन्होंने आकाशों तथा धरती के विशाल राज्य पर और जो चीज़ भी अल्लाह ने पैदा की है, उसपर दृष्टि नहीं डाली[71], और इस बात पर कि हो सकता है कि उनका (निर्धारित) समय बहुत निकट आ गया हो? तो फिर इस (क़ुरआन) के बाद वे किस बात पर ईमान लाएँगे?
71. अर्थात यदि ये विचार करें, तो इस पूरे विश्व की व्यवस्था और उसका एक-एक कण अल्लाह के अस्तित्व और उसके गुणों का प्रमाण है। और उसी ने मानव जीवन की व्यवस्था के लिए नबियों को भेजा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مَنْ یُّضْلِلِ اللّٰهُ فَلَا هَادِیَ لَهٗ ؕ— وَیَذَرُهُمْ فِیْ طُغْیَانِهِمْ یَعْمَهُوْنَ ۟
जिसे अल्लाह पथभ्रष्ट कर दे, उसे कोई मार्गदर्शन करने वाला नहीं और वह उन्हें उनकी सरकशी में भटकते हुए छोड़ देता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ السَّاعَةِ اَیَّانَ مُرْسٰىهَا ؕ— قُلْ اِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ رَبِّیْ ۚ— لَا یُجَلِّیْهَا لِوَقْتِهَاۤ اِلَّا هُوَ ؔؕۘ— ثَقُلَتْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— لَا تَاْتِیْكُمْ اِلَّا بَغْتَةً ؕ— یَسْـَٔلُوْنَكَ كَاَنَّكَ حَفِیٌّ عَنْهَا ؕ— قُلْ اِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ اللّٰهِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) वे आपसे क़ियामत के विषय में पूछते हैं कि वह कब घटित होगी? कह दें कि उसका ज्ञान तो मेरे पालनहार ही के पास है। उसे उसके समय पर वही प्रकट करेगा। वह आकाशों तथा धरती में बहुत भारी है। तुमपर अचानक ही आएगी। वे आपसे ऐसे पूछ रहे हैं, जैसे कि आप उसी की खोज में लगे हुए हों। आप कह दें कि उसका ज्ञान तो अल्लाह ही के पास है। परंतु[72] अधिकांश लोग (इस तथ्य को) नहीं जानते।
72. मक्का के मिश्रणवादी आपसे उपहास स्वरूप प्रश्न करते थे कि यदि प्रलय होना सत्य है, तो बताओ बह कब होगी?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ لَّاۤ اَمْلِكُ لِنَفْسِیْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّا اِلَّا مَا شَآءَ اللّٰهُ ؕ— وَلَوْ كُنْتُ اَعْلَمُ الْغَیْبَ لَاسْتَكْثَرْتُ مِنَ الْخَیْرِ ۛۚ— وَمَا مَسَّنِیَ السُّوْٓءُ ۛۚ— اِنْ اَنَا اِلَّا نَذِیْرٌ وَّبَشِیْرٌ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟۠
आप कह दें कि मैं अपने लिए किसी लाभ और हानि का मालिक नहीं हूँ, परंतु जो अल्लाह चाहे। और यदि मैं ग़ैब (परोक्ष) का ज्ञान रखता होता, तो अवश्य बहुत अधिक भलाइयाँ प्राप्त कर लेता और मुझे कोई कष्ट नहीं पहुँचता। मैं तो केवल उन लोगों को सावधान करने वाला तथा शुभ सूचना देने वाला हूँ, जो ईमान (विश्वास) रखते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
هُوَ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ مِّنْ نَّفْسٍ وَّاحِدَةٍ وَّجَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا لِیَسْكُنَ اِلَیْهَا ۚ— فَلَمَّا تَغَشّٰىهَا حَمَلَتْ حَمْلًا خَفِیْفًا فَمَرَّتْ بِهٖ ۚ— فَلَمَّاۤ اَثْقَلَتْ دَّعَوَا اللّٰهَ رَبَّهُمَا لَىِٕنْ اٰتَیْتَنَا صَالِحًا لَّنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِیْنَ ۟
वही (अल्लाह) है, जिसने तुम्हें एक जान[73] से पैदा किया और उसी से उसका जोड़ा बनाया, ताकि वह उसके पास सुकून हासिल करे। फिर जब उस (पति) ने उस (पत्नी) से सहवास किया, तो उसको हल्का सा गर्भ रह गया। तो वह उसे लेकर चलती फिरती रही, फिर जब वह बोझल हो गई, तो दोनों (पति-पत्नी) ने अपने पालनहार अल्लाह से दुआ की : निःसंदेह यदि तूने हमें अच्छा स्वस्थ बच्चा प्रदान किया, तो हम अवश्य ही आभार प्रकट करने वालों में से होंगे।
73. अर्थात आदम अलैहिस्सलाम से।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَمَّاۤ اٰتٰىهُمَا صَالِحًا جَعَلَا لَهٗ شُرَكَآءَ فِیْمَاۤ اٰتٰىهُمَا ۚ— فَتَعٰلَی اللّٰهُ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
फिर जब उस (अल्लाह) ने उन्हें एक स्वस्थ बच्चा प्रदान कर दिया, तो दोनों ने उस (अल्लाह) के लिए उसमें साझी बना लिए, जो उसने उन्हें प्रदान किया था। तो अल्लाह उससे बहुत ऊँचा है जो वे साझी बनाते हैं।[74]
74. इन आयतों में यह बताया गया है कि मिश्रणवादी स्वस्थ बच्चे अथवा किसी भी आवश्यकता अथवा आपदा निवारण के लिए अल्लाह ही से प्रार्थना करते हैं। और जब स्वस्थ सुंदर बच्चा पैदा हो जाता है, तो देवी-देवताओं और पीरों के नाम चढ़ावे चढ़ाने लगते हैं और इसे उन्हीं की दया समझते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَیُشْرِكُوْنَ مَا لَا یَخْلُقُ شَیْـًٔا وَّهُمْ یُخْلَقُوْنَ ۟ۚ
क्या वे उन्हें (अल्लाह का) साझी बनाते हैं, जो कोई चीज़ पैदा नहीं करते और वे स्वयं पैदा किए जाते हैं?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَا یَسْتَطِیْعُوْنَ لَهُمْ نَصْرًا وَّلَاۤ اَنْفُسَهُمْ یَنْصُرُوْنَ ۟
तथा वे न उनकी कोई सहायता कर सकते हैं और न स्वयं अपनी सहायता करते हैं?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِنْ تَدْعُوْهُمْ اِلَی الْهُدٰی لَا یَتَّبِعُوْكُمْ ؕ— سَوَآءٌ عَلَیْكُمْ اَدَعَوْتُمُوْهُمْ اَمْ اَنْتُمْ صَامِتُوْنَ ۟
और यदि तुम उन्हें सीधी राह की ओर बुलाओ, तो वे तुम्हारे पीछे नहीं आएँगे। तुम्हारे लिए बराबर है, चाहे उन्हें पुकारो अथवा तुम चुप रहो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ الَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ عِبَادٌ اَمْثَالُكُمْ فَادْعُوْهُمْ فَلْیَسْتَجِیْبُوْا لَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
निःसंदेह जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, वे तुम्हारे ही जैसे (अल्लाह के) बंदे हैं। अतः तुम उन्हें पुकारो, तो वे तुम्हारी दुआ क़बूल करें, यदि तुम सच्चे हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَلَهُمْ اَرْجُلٌ یَّمْشُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اَیْدٍ یَّبْطِشُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اَعْیُنٌ یُّبْصِرُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اٰذَانٌ یَّسْمَعُوْنَ بِهَا ؕ— قُلِ ادْعُوْا شُرَكَآءَكُمْ ثُمَّ كِیْدُوْنِ فَلَا تُنْظِرُوْنِ ۟
क्या इन (पत्थर की मूर्तियों) के पाँव हैं, जिनसे वे चलती हैं? या उनके हाथ हैं, जिनसे वे पकड़ती हैं? या उनकी आँखें हैं, जिनसे वे देखती हैं? या उनके कान हैं, जिनसे वे सुनती हैं? आप कह दें कि अपने साझियों को बुला लो, फिर मेरे विरुद्ध उपाय करो और मुझे कोई अवसर न दो!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ وَلِیِّ اللّٰهُ الَّذِیْ نَزَّلَ الْكِتٰبَ ۖؗ— وَهُوَ یَتَوَلَّی الصّٰلِحِیْنَ ۟
निःसंदेह मेरा संरक्षक अल्लाह है, जिसने यह पुस्तक (क़ुरआन) उतारी है और वही सदाचारियों का संरक्षण करता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا یَسْتَطِیْعُوْنَ نَصْرَكُمْ وَلَاۤ اَنْفُسَهُمْ یَنْصُرُوْنَ ۟
और जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, वे न तुम्हारी सहायता कर सकते हैं और न स्वयं अपनी सहायता करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِنْ تَدْعُوْهُمْ اِلَی الْهُدٰی لَا یَسْمَعُوْا ؕ— وَتَرٰىهُمْ یَنْظُرُوْنَ اِلَیْكَ وَهُمْ لَا یُبْصِرُوْنَ ۟
और यदि तुम उन्हें सीधी राह की ओर बुलाओ, तो वे नहीं सुनेंगे और (ऐ नबी!) आप उन्हें देखेंगे कि वे आपकी ओर देख रहे हैं, हालाँकि वे कुछ नहीं देखते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
خُذِ الْعَفْوَ وَاْمُرْ بِالْعُرْفِ وَاَعْرِضْ عَنِ الْجٰهِلِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप क्षमा से काम लें, भलाई का आदेश दें तथा अज्ञानियों की ओर ध्यान न दें।[75]
75. ह़दीस में है कि अल्लाह ने इसे लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करने के बारे में उतारा है। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 4643)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِمَّا یَنْزَغَنَّكَ مِنَ الشَّیْطٰنِ نَزْغٌ فَاسْتَعِذْ بِاللّٰهِ ؕ— اِنَّهٗ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟
और यदि शैतान आपको उकसाए, तो अल्लाह से शरण माँगिए। निःसंदेह वह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ الَّذِیْنَ اتَّقَوْا اِذَا مَسَّهُمْ طٰٓىِٕفٌ مِّنَ الشَّیْطٰنِ تَذَكَّرُوْا فَاِذَا هُمْ مُّبْصِرُوْنَ ۟ۚ
निश्चय जो लोग (अल्लाह का) डर रखते हैं, यदि शैतान की ओर से उन्हें कोई बुरा विचार आ भी जाए, तो तत्काल संभल जाते हैं, फिर अचानक वे साफ़ देखने लगते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِخْوَانُهُمْ یَمُدُّوْنَهُمْ فِی الْغَیِّ ثُمَّ لَا یُقْصِرُوْنَ ۟
और जो उन (शैतानों) के भाई हैं, वे उन्हें गुमराही में बढ़ाते रहते हैं, फिर वे (उन्हें गुमराह करने में) तनिक भी कमी नहीं करते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذَا لَمْ تَاْتِهِمْ بِاٰیَةٍ قَالُوْا لَوْلَا اجْتَبَیْتَهَا ؕ— قُلْ اِنَّمَاۤ اَتَّبِعُ مَا یُوْحٰۤی اِلَیَّ مِنْ رَّبِّیْ ۚ— هٰذَا بَصَآىِٕرُ مِنْ رَّبِّكُمْ وَهُدًی وَّرَحْمَةٌ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟
और जब आप इन (बहुदेववादियों) के पास कोई आयत (निशानी) नहीं लाते, तो कहते हैं कि तुमने स्वयं कोई आयत क्यों न बना ली? आप कह दें कि मैं केवल उसी का अनुसरण करता हूँ, जो मेरे पालनहार के पास से मेरी ओर वह़्य की जाती है। यह (क़ुरआन) तुम्हारे पालनहार की ओर से सूझ की बातें (प्रमाण) है, तथा ईमान वालों के लिए मार्गदर्शन और दया है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذَا قُرِئَ الْقُرْاٰنُ فَاسْتَمِعُوْا لَهٗ وَاَنْصِتُوْا لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟
और जब क़ुरआन पढ़ा जाए, तो उसे ध्यानपूर्वक सुनो तथा मौन साध लो। ताकि तुमपर दया[76] की जाए।
76. यह क़ुरआन की एक विशेषता है कि जब भी उसे पढ़ा जाए, तो मुसलमान पर अनिवार्य है कि वह ध्यान लगाकर अल्लाह का कलाम सुने। हो सकता है कि उसपर अल्लाह की दया हो जाए। काफ़िर कहते थे कि जब क़ुरआन पढ़ा जाए तो सुनो नहीं, बल्कि शोर-गुल करो। (देखिए : सूरत ह़ा-मीम सज्दा : 26)
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاذْكُرْ رَّبَّكَ فِیْ نَفْسِكَ تَضَرُّعًا وَّخِیْفَةً وَّدُوْنَ الْجَهْرِ مِنَ الْقَوْلِ بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ وَلَا تَكُنْ مِّنَ الْغٰفِلِیْنَ ۟
और (ऐ नबी!) अपने पालनहार का स्मरण अपने दिल में विनयपूर्वक तथा डरते हुए और धीमे स्वर में प्रातः तथा संध्या करते रहो और ग़ाफ़िलों में से न हो जाओ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ الَّذِیْنَ عِنْدَ رَبِّكَ لَا یَسْتَكْبِرُوْنَ عَنْ عِبَادَتِهٖ وَیُسَبِّحُوْنَهٗ وَلَهٗ یَسْجُدُوْنَ ۟
निःसंदेह जो (फ़रिश्ते) आपके पालनहार के पास हैं, वे उसकी इबादत से अभिमान नहीं करते और उसकी पवित्रता का वर्णन करते हैं और उसी को सजदा करते हैं।[77]
77. इस आयत के पढ़ने तथा सुनने वाले को चाहिए कि सजदा-ए-तिलावत करे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
 
Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Al-A‘râf
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Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - Indische Übersetzung - Übersetzungen

die indische Übersetzung der Quran-Bedeutung von Maulana Azizul-Haqq Al-Umary , veröffentlicht von König Fahd Complex für den Druck des Heiligen Qur'an in Medina, gedruckt in 1433 H.

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