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Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Eggo e haala Hindi - Ajiij Elhggi Al-umari. * - Tippudi firooji ɗii

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Firo maanaaji Simoore: Simoore ñaaki   Aaya:
وَلَا تَتَّخِذُوْۤا اَیْمَانَكُمْ دَخَلًا بَیْنَكُمْ فَتَزِلَّ قَدَمٌ بَعْدَ ثُبُوْتِهَا وَتَذُوْقُوا السُّوْٓءَ بِمَا صَدَدْتُّمْ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ۚ— وَلَكُمْ عَذَابٌ عَظِیْمٌ ۟
और अपनी क़समों को आपस में धोखे का साधन न बनाओ। कहीं ऐसा न हो कि कोई क़दम जमने के बाद फिसल[42] जाए और तुम्हें अल्लाह के मार्ग से रोकने के कारण बुरा परिणाम चखना पड़े और तुम्हारे लिए (परलोक में) बड़ी यातना हो।
42. अर्थात ऐसा न हो कि कोई व्यक्ति इस्लाम की सत्यता को स्वीकार करने के पश्चात् केवल तुम्हारे दुराचार को देखकर इस्लाम से फिर जाए। और तुम्हारे समुदाय में सम्मिलित होने से रुक जाए। अन्यथा तुम्हारा व्यवहार भी दूसरों से कुछ भिन्न नहीं है।
Faccirooji aarabeeji:
وَلَا تَشْتَرُوْا بِعَهْدِ اللّٰهِ ثَمَنًا قَلِیْلًا ؕ— اِنَّمَا عِنْدَ اللّٰهِ هُوَ خَیْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
और अल्लाह की प्रतिज्ञा को थोड़ी सी कीमत के लिए न बेचो।[43] निःसंदेह जो अल्लाह के पास है, वही तुम्हारे लिए उत्तम है, यदि तुम जानते हो।
43. अर्थात सांसारिक लाभ के लिए वचन भंग न करो। (देखिए : सूरतुल आराफ़, आयत : 172)
Faccirooji aarabeeji:
مَا عِنْدَكُمْ یَنْفَدُ وَمَا عِنْدَ اللّٰهِ بَاقٍ ؕ— وَلَنَجْزِیَنَّ الَّذِیْنَ صَبَرُوْۤا اَجْرَهُمْ بِاَحْسَنِ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
जो तुम्हारे पास है, वह ख़त्म हो जाएगा, और जो अल्लाह के पास है, वह बाकी रहने वाला है। और निश्चय हम धैर्य से काम लेने वालों को उनका बदला उन उत्तम कार्यों के अनुसार प्रदान करेंगे जो वे किया करते थे।
Faccirooji aarabeeji:
مَنْ عَمِلَ صَالِحًا مِّنْ ذَكَرٍ اَوْ اُ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَنُحْیِیَنَّهٗ حَیٰوةً طَیِّبَةً ۚ— وَلَنَجْزِیَنَّهُمْ اَجْرَهُمْ بِاَحْسَنِ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
जो भी अच्छा कार्य करे, नर हो अथवा नारी, जबकि वह ईमान वाला हो, तो हम उसे अच्छा जीवन व्यतीत कराएँगे। और निश्चय हम उन्हें उनका बदला उन उत्तम कार्यों के अनुसार प्रदान करेंगे जो वे किया करते थे।
Faccirooji aarabeeji:
فَاِذَا قَرَاْتَ الْقُرْاٰنَ فَاسْتَعِذْ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْمِ ۟
अतः जब तुम क़ुरआन पढ़ने लगो, तो धिक्कारे हुए शैतान से अल्लाह की शरण[44] माँग लिया करो।
44. अर्थात "अऊज़ुबिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम" पढ़ लिया करो।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّهٗ لَیْسَ لَهٗ سُلْطٰنٌ عَلَی الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَلٰی رَبِّهِمْ یَتَوَكَّلُوْنَ ۟
निःसंदेह तथ्य यह है कि उसका उन लोगों पर कोई प्रभुत्व नहीं, जो ईमान लाए और केवल अपने पालनहार पर भरोसा रखते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّمَا سُلْطٰنُهٗ عَلَی الَّذِیْنَ یَتَوَلَّوْنَهٗ وَالَّذِیْنَ هُمْ بِهٖ مُشْرِكُوْنَ ۟۠
उसका वश तो केवल उन लोगों पर है, जो उससे दोस्ती रखते हैं और जो उसके कारण शिर्क करने वाले हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِذَا بَدَّلْنَاۤ اٰیَةً مَّكَانَ اٰیَةٍ ۙ— وَّاللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا یُنَزِّلُ قَالُوْۤا اِنَّمَاۤ اَنْتَ مُفْتَرٍ ؕ— بَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
और जब हम किसी आयत के स्थान पर कोई आयत बदलकर लाते हैं, और अल्लाह अधिक जानने वाला है, जो वह उतारता है, तो वे कहते हैं : तू तो गढ़कर लाने वाला है, बल्कि उनके अधिकतर लोग नहीं जानते।
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ نَزَّلَهٗ رُوْحُ الْقُدُسِ مِنْ رَّبِّكَ بِالْحَقِّ لِیُثَبِّتَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَهُدًی وَّبُشْرٰی لِلْمُسْلِمِیْنَ ۟
आप कह दें कि इसे रूह़ुल क़ुदुस[45] ने आपके पालनहार की ओर से सत्य के साथ थोड़ा-थोड़ा करके उतारा है। ताकि उन लोगों के पाँव जमा दे, जो ईमान लाए। तथा आज्ञाकारियों के लिए मार्गदर्शन और शुभ सूचना हो।
45. इसका अर्थ पवित्रात्मा है। जो जिब्रील अलैहिस्सलाम की उपाधि है। यही वह फ़रिश्ता है जो वह़्य लाता था।
Faccirooji aarabeeji:
 
Firo maanaaji Simoore: Simoore ñaaki
Tippudi cimooje Tonngoode hello ngoo
 
Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Eggo e haala Hindi - Ajiij Elhggi Al-umari. - Tippudi firooji ɗii

Eggo mum: Azizul Haq Al-Umari.

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