Check out the new design

Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Eggo e haala Hindi - Ajiij Elhggi Al-umari. * - Tippudi firooji ɗii

XML CSV Excel API
Please review the Terms and Policies

Firo maanaaji Simoore: Simoore maa'ida   Aaya:
اِنَّمَا یُرِیْدُ الشَّیْطٰنُ اَنْ یُّوْقِعَ بَیْنَكُمُ الْعَدَاوَةَ وَالْبَغْضَآءَ فِی الْخَمْرِ وَالْمَیْسِرِ وَیَصُدَّكُمْ عَنْ ذِكْرِ اللّٰهِ وَعَنِ الصَّلٰوةِ ۚ— فَهَلْ اَنْتُمْ مُّنْتَهُوْنَ ۟
शैतान तो यही चाहता है कि शराब तथा जुए के द्वारा तुम्हारे बीच बैर तथा द्वेष डाल दे और तुम्हें अल्लाह के स्मरण तथा नमाज़ से रोक दे, तो क्या तुम रुकने वाले हो?
Faccirooji aarabeeji:
وَاَطِیْعُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوا الرَّسُوْلَ وَاحْذَرُوْا ۚ— فَاِنْ تَوَلَّیْتُمْ فَاعْلَمُوْۤا اَنَّمَا عَلٰی رَسُوْلِنَا الْبَلٰغُ الْمُبِیْنُ ۟
तथा अल्लाह का आज्ञापालन करो और रसूल का आज्ञापालन करो और (अवज्ञा से) सावधान रहो। फिर यदि तुम विमुख हुए, तो जान लो कि हमारे रसूल पर केवल स्पष्ट रूप से (संदेश) पहुँचा देना है।
Faccirooji aarabeeji:
لَیْسَ عَلَی الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جُنَاحٌ فِیْمَا طَعِمُوْۤا اِذَا مَا اتَّقَوْا وَّاٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ ثُمَّ اتَّقَوْا وَّاٰمَنُوْا ثُمَّ اتَّقَوْا وَّاَحْسَنُوْا ؕ— وَاللّٰهُ یُحِبُّ الْمُحْسِنِیْنَ ۟۠
उन लोगों पर जो ईमान लाए तथा उन्होंने अच्छे कर्म किए, उसमें कोई पाप नहीं जो वे खा चुके, जबकि वे अल्लाह से डरे तथा ईमान लाए और सत्कर्म किए, फिर वे डरते रहे और ईमान पर स्थिर रहे, फिर वे अल्लाह से डरे और उन्होंने अच्छे कार्य किए और अल्लाह अच्छे कार्य करने वालों से प्रेम करता[62] है।
62. आयत का भावार्थ यह है कि जिन्होंने वर्जित चीज़ों का निषेधाज्ञा से पहले प्रयोग किया, फिर जब भी उनको निषिद्ध किया गया तो उनसे रुक गए, उनपर कोई दोष नहीं। सह़ीह़ ह़दीस में है कि जब शराब वर्जित की गई, तो कुछ लोगों ने कहा कि कुछ लोग इस स्थिति में मर गए कि वे शराब पीते थे। उसी पर यह आयत उतरी। (बुख़ारी : 4620) आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा : जो भी नशा लाए, वह मदिरा और अवैध है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 2003) और इस्लाम में उसका दंड अस्सी कोड़े हैं। (बुख़ारी : 6779)
Faccirooji aarabeeji:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَیَبْلُوَنَّكُمُ اللّٰهُ بِشَیْءٍ مِّنَ الصَّیْدِ تَنَالُهٗۤ اَیْدِیْكُمْ وَرِمَاحُكُمْ لِیَعْلَمَ اللّٰهُ مَنْ یَّخَافُهٗ بِالْغَیْبِ ۚ— فَمَنِ اعْتَدٰی بَعْدَ ذٰلِكَ فَلَهٗ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
ऐ ईमान वालो! निश्चय अल्लाह शिकार में से किसी चीज़ के साथ तुम्हारी अवश्य परीक्षा लेगा, जिसपर तुम्हारे हाथ तथा भाले पहुँचते होंगे, ताकि अल्लाह जान ले कि कौन उससे बिन देखे डरता है। फिर जो उसके पश्चात सीमा से बढ़े, तो उसके लिए दर्दनाक यातना है।
Faccirooji aarabeeji:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَقْتُلُوا الصَّیْدَ وَاَنْتُمْ حُرُمٌ ؕ— وَمَنْ قَتَلَهٗ مِنْكُمْ مُّتَعَمِّدًا فَجَزَآءٌ مِّثْلُ مَا قَتَلَ مِنَ النَّعَمِ یَحْكُمُ بِهٖ ذَوَا عَدْلٍ مِّنْكُمْ هَدْیًا بٰلِغَ الْكَعْبَةِ اَوْ كَفَّارَةٌ طَعَامُ مَسٰكِیْنَ اَوْ عَدْلُ ذٰلِكَ صِیَامًا لِّیَذُوْقَ وَبَالَ اَمْرِهٖ ؕ— عَفَا اللّٰهُ عَمَّا سَلَفَ ؕ— وَمَنْ عَادَ فَیَنْتَقِمُ اللّٰهُ مِنْهُ ؕ— وَاللّٰهُ عَزِیْزٌ ذُو انْتِقَامٍ ۟
ऐ ईमान वालो! शिकार को न मारो[63], जबकि तुम एहराम की स्थिति में हो। तथा तुममें से जो उसे जान-बूझकर मारे, तो चौपायों में से उसी जैसा बदला है जो उसने मारा है, जिसका निर्णय तुममें से दो न्यायप्रिय व्यक्ति करेंगे, जो क़ुर्बानी के रूप में काबा पहुँचने वाली है, या प्रायश्चित[64] के रूप में निर्धनों को खाना खिलाना है, या उसके बराबर रोज़े रखने हैं, ताकि वह अपने किए का कष्ट चखे। अल्लाह ने क्षमा कर दिया जो कुछ हो चुका और जो फिर करे, तो अल्लाह उससे बदला लेगा और अल्लाह सबपर प्रभुत्वशाली, बदला लेने वाला है।
63. इससे अभिप्राय थल का शिकार है। 64. अर्थात यदि शिकार के पशु के समान पालतू पशु न हो, तो उसका मूल्य ह़रम के निर्धनों को खाने के लिए भेजा जाए अथवा उसके मूल्य से जितने निर्धनों को खिलाया जा सकता हो, उतने रोज़े रखे जाएँ।
Faccirooji aarabeeji:
 
Firo maanaaji Simoore: Simoore maa'ida
Tippudi cimooje Tonngoode hello ngoo
 
Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Eggo e haala Hindi - Ajiij Elhggi Al-umari. - Tippudi firooji ɗii

Eggo mum: Azizul Haq Al-Umari.

Uddude