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Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Eggo e haala Hindi - Ajiij Elhggi Al-umari. * - Tippudi firooji ɗii

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Firo maanaaji Simoore: Simoore Jinneeji (Baralli)   Aaya:
وَّاَنَّا مِنَّا الْمُسْلِمُوْنَ وَمِنَّا الْقٰسِطُوْنَ ؕ— فَمَنْ اَسْلَمَ فَاُولٰٓىِٕكَ تَحَرَّوْا رَشَدًا ۟
और यह कि हममें से कुछ आज्ञाकारी हैं और हममें से कुछ अत्याचारी हैं। फिर जो आज्ञाकारी हो गया, तो वही लोग हैं जिन्होंने सीधा रास्ता खोजा।
Faccirooji aarabeeji:
وَاَمَّا الْقٰسِطُوْنَ فَكَانُوْا لِجَهَنَّمَ حَطَبًا ۟ۙ
तथा जो अत्याचारी हैं, तो वे जहन्नम का ईंधन होंगे।
Faccirooji aarabeeji:
وَّاَنْ لَّوِ اسْتَقَامُوْا عَلَی الطَّرِیْقَةِ لَاَسْقَیْنٰهُمْ مَّآءً غَدَقًا ۟ۙ
और यह (वह़्य की गई है) कि यदि वे सीधी राह पर क़ायम रहते, तो हम उन्हें अवश्य भरपूर जल से सैराब करते।
Faccirooji aarabeeji:
لِّنَفْتِنَهُمْ فِیْهِ ؕ— وَمَنْ یُّعْرِضْ عَنْ ذِكْرِ رَبِّهٖ یَسْلُكْهُ عَذَابًا صَعَدًا ۟ۙ
ताकि हम उसमें उनका परीक्षण करें। और जो अपने पालनहार की याद से विमुख होगा, वह उसे कड़ी यातना में दाख़िल करेगा।
Faccirooji aarabeeji:
وَّاَنَّ الْمَسٰجِدَ لِلّٰهِ فَلَا تَدْعُوْا مَعَ اللّٰهِ اَحَدًا ۟ۙ
और यह कि मस्जिदें[2] केवल अल्लाह के लिए हैं। अतः अल्लाह के साथ किसी को भी मत पुकारो।
2. मस्जिद का अर्थ सज्दा करने का स्थान है। भावार्थ यह है कि अल्लाह के सिवा किसी अन्य की इबादत तथा उसके सिवा किसी से प्रार्थना तथा विनय करना अवैध है।
Faccirooji aarabeeji:
وَّاَنَّهٗ لَمَّا قَامَ عَبْدُ اللّٰهِ یَدْعُوْهُ كَادُوْا یَكُوْنُوْنَ عَلَیْهِ لِبَدًا ۟ؕ۠
और यह कि जब अल्लाह का बंदा[3] उसे पुकारता हुआ खड़ा हुआ, तो निकट था कि वे उनपर जत्थे बनकर टूट पड़ते।
3. अल्लाह के भक्त से अभिप्राय मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हैं। तथा भावार्थ यह है कि जिन्न तथा मनुष्य मिल कर क़ुर्आन तथा इस्लाम की राह से रोकना चाहते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ اِنَّمَاۤ اَدْعُوْا رَبِّیْ وَلَاۤ اُشْرِكُ بِهٖۤ اَحَدًا ۟
आप कह दें : मैं तो केवल अपने पालनहार को पुकारता हूँ और उसके साथ किसी को साझी नहीं ठहराता।
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ اِنِّیْ لَاۤ اَمْلِكُ لَكُمْ ضَرًّا وَّلَا رَشَدًا ۟
आप कह दें : निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए न किसी हानि का अधिकार रखता हूँ और न किसी भलाई का।
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ اِنِّیْ لَنْ یُّجِیْرَنِیْ مِنَ اللّٰهِ اَحَدٌ ۙ۬— وَّلَنْ اَجِدَ مِنْ دُوْنِهٖ مُلْتَحَدًا ۟ۙ
आप कह दें : निश्चय मुझे कदापि कोई अल्लाह से नहीं बचा सकेगा[4] और न मैं उसके सिवा कभी कोई शरण का स्थान पाऊँगा।
4. अर्थात यदि मैं उसकी अवज्ञा करूँ और वह मुझे यातना देना चाहे।
Faccirooji aarabeeji:
اِلَّا بَلٰغًا مِّنَ اللّٰهِ وَرِسٰلٰتِهٖ ؕ— وَمَنْ یَّعْصِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَاِنَّ لَهٗ نَارَ جَهَنَّمَ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اَبَدًا ۟ؕ
परंतु (मैं तो केवल) अल्लाह के आदेश पहुँचाने और उसके संदेशों का (अधिकार रखता हूँ)। और जो अल्लाह तथा उसके रसूल की अवज्ञा करेगा, तो निश्चय उसी के लिए जहन्नम की आग है, जिसमें वे हमेशा के लिए रहने वाले हैं।
Faccirooji aarabeeji:
حَتّٰۤی اِذَا رَاَوْا مَا یُوْعَدُوْنَ فَسَیَعْلَمُوْنَ مَنْ اَضْعَفُ نَاصِرًا وَّاَقَلُّ عَدَدًا ۟
यहाँ तक कि जब वे उस चीज़ को देख लेंगे, जिसका उनसे वादा किया जाता है, तो अवश्य जान लेंगे कि कौन है जो सहायक की दृष्टि से अधिक कमज़ोर है और जो संख्या में अधिक कम है?
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ اِنْ اَدْرِیْۤ اَقَرِیْبٌ مَّا تُوْعَدُوْنَ اَمْ یَجْعَلُ لَهٗ رَبِّیْۤ اَمَدًا ۟
आप कह दें : मैं नहीं जानता कि जिस चीज़ का तुमसे वादा किया जाता है, वह निकट है अथवा मेरा पालनहार उसके लिए कोई अवधि निर्धारित करेगा?
Faccirooji aarabeeji:
عٰلِمُ الْغَیْبِ فَلَا یُظْهِرُ عَلٰی غَیْبِهٖۤ اَحَدًا ۟ۙ
वही ग़ैब (प्रोक्ष) का जानने वाला है। वह अपने ग़ैब (प्रोक्ष) को किसी पर प्रकट नहीं करता।
Faccirooji aarabeeji:
اِلَّا مَنِ ارْتَضٰی مِنْ رَّسُوْلٍ فَاِنَّهٗ یَسْلُكُ مِنْ بَیْنِ یَدَیْهِ وَمِنْ خَلْفِهٖ رَصَدًا ۟ۙ
सिवाय किसी रसूल के, जिसे वह पसंद कर ले। तो निःसंदेह वह उसके आगे तथा उसके पीछे पहरेदार नियुक्त कर देता है।[5]
5. अर्थात ग़ैब (परोक्ष) का ज्ञान तो अल्लाह ही को है। किंतु यदि धर्म के विषय में कुछ परोक्ष की बातों की वह़्य अपने किसी रसूल की ओर करता है, तो फ़रिश्तों द्वारा उसकी रक्षा की व्यवस्था भी करता है ताकि उसमें कुछ मिलाया न जा सके। रसूल को जितना ग़ैब का ज्ञान दिया जाता है, वह इस आयत से उजागर हो जाता है। फिर भी कुछ लोग आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को पूरे ग़ैब का ज्ञानी मानते हैं। और आप को गुहारते और सब जगह उपस्थित कहते हैं। और तौह़ीद को आघात पहुँचा कर शिर्क करते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
لِّیَعْلَمَ اَنْ قَدْ اَبْلَغُوْا رِسٰلٰتِ رَبِّهِمْ وَاَحَاطَ بِمَا لَدَیْهِمْ وَاَحْصٰی كُلَّ شَیْءٍ عَدَدًا ۟۠
ताकि वह जान ले कि उन्होंने वास्तव में अपने पालनहार के संदेश[6] पहुँचा दिए हैं। और उसने उन सभी चीज़ों को घेर रखा है, जो उनके पास हैं और प्रत्येक वस्तु को गिन रखा है।
6. अर्थात वह रसूलों की दशा को जानता है। उसने प्रत्येक चीज़ को गिन रखा है, ताकि रसूलों के संदेश पहुँचाने में कोई कमी-बेशी न हो। इसलिए लोगों को रसूलों की बातें मान लेनी चाहिए।
Faccirooji aarabeeji:
 
Firo maanaaji Simoore: Simoore Jinneeji (Baralli)
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Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Eggo e haala Hindi - Ajiij Elhggi Al-umari. - Tippudi firooji ɗii

Eggo mum: Azizul Haq Al-Umari.

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