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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߛߊ߲ߜߊߟߌߡߊ   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
لَهٗ دَعْوَةُ الْحَقِّ ؕ— وَالَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا یَسْتَجِیْبُوْنَ لَهُمْ بِشَیْءٍ اِلَّا كَبَاسِطِ كَفَّیْهِ اِلَی الْمَآءِ لِیَبْلُغَ فَاهُ وَمَا هُوَ بِبَالِغِهٖ ؕ— وَمَا دُعَآءُ الْكٰفِرِیْنَ اِلَّا فِیْ ضَلٰلٍ ۟
केवल अल्लाह ही के लिए तौह़ीद (एकेश्वरवाद) की पुकार है, जिसमें उसका कोई साझी नहीं है। और जिन मूर्तियों को मुश्रिक लोग अल्लाह को छोड़कर पुकारते हैं, वे किसी भी मामले में उन्हें पुकारने वाले की पुकार का जवाब नहीं देतीं। उनका उन मूर्तियों को पुकारना एक प्यासे की तरह है, जो पानी की ओर अपना हाथ फैलाता है, ताकि वह उसके मुँह तक पहुँच जाए और वह उसे पी ले। हालाँकि पानी उसके मुँह तक कभी भी पहुँचने वाला नहीं। दरअसल काफ़िरों का अपनी मूर्तियों को पुकारना व्यर्थ है और सही से दूर है। क्योंकि वे उन्हें न कोई लाभ पहुँचा सकती हैं और न कोई हानि दूर कर सकती हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
وَلِلّٰهِ یَسْجُدُ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ طَوْعًا وَّكَرْهًا وَّظِلٰلُهُمْ بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ ۟
आकाशों और धरती में जो भी हैं, सब अकेले अल्लाह ही को सजदा करते हैं। इसमें मोमिन और काफ़िर बराबर हैं। सिवाय इसके कि मोमिन उसके सामने स्वेच्छा से झुकता और सजदा करता है। जबकि काफ़िर न चाहते हुए भी उसके सामने झुकने पर मजबूर होता है। तथा उसकी प्रकृति उसे उसके सामने स्वेच्छा से झुकने के लिए निर्देश देती है। और प्राणियों में से जिसकी भी परछाई है, उसकी परछाई दिन की शुरुआत और उसके अंत में उसी के अधीन होती है।
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قُلْ مَنْ رَّبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— قُلِ اللّٰهُ ؕ— قُلْ اَفَاتَّخَذْتُمْ مِّنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءَ لَا یَمْلِكُوْنَ لِاَنْفُسِهِمْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّا ؕ— قُلْ هَلْ یَسْتَوِی الْاَعْمٰی وَالْبَصِیْرُ ۙ۬— اَمْ هَلْ تَسْتَوِی الظُّلُمٰتُ وَالنُّوْرُ ۚ۬— اَمْ جَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَآءَ خَلَقُوْا كَخَلْقِهٖ فَتَشَابَهَ الْخَلْقُ عَلَیْهِمْ ؕ— قُلِ اللّٰهُ خَالِقُ كُلِّ شَیْءٍ وَّهُوَ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ ۟
(ऐ रसूल!) अल्लाह के साथ दूसरों की पूजा करने वाले काफ़िरों से कह दें : आकाशों और धरती को पैदा करने वाला और उनके मामलों का व्यवस्थापक कौन है? (ऐ रसूल!) कह दें : अल्लाह ही उनका पैदा करने वाला और उनके मामले का प्रबंध करने वाला है और तुम इस बात को स्वीकार करते हो। (ऐ रसूल!) उनसे कह दें : क्या तुमने अल्लाह को छोड़कर अपने लिए ऐसे विवश सहायक बना रखे हैं, जो खुद अपने लिए न कोई लाभ ला सकते हैं और न कोई नुक़सान दूर सर सकते हैं, तो वे दूसरों के लिए ऐसा कहाँ से कर सकते हैं? (ऐ रसूल!) उनसे कह दीजिए : क्या काफ़िर जो दृष्टि से अंधा है और मोमिन जो द्रष्टा और मार्गदर्शित है, दोनों बराबर हो सकते हैं? या क्या कुफ़्र जो अंधकार है और ईमान जो रोशनी है, दोनों बराबर हो सकते हैं? क्या उन लोगों ने पैदा करने के मामले में कुछ ऐसे लोगों को अल्लाह का साझी बना रखा है, जिन्होंने अल्लाह के पैदा करने की तरह कुछ पैदा किया है, जिसके कारण उनके लिए अल्लाह की रचना उनके साझियों की रचना के साथ गडमड हो गई है? (ऐ रसूल!) उनसे कह दीजिए : केवल अल्लाह ही हर चीज़ का पैदा करने वाला है। पैदा करने में उसका कोई साझी नहीं है। और वही अकेला पूज्य है, जो एकमात्र इबादत किए जाने का हक़दार है, हर चीज़ पर प्रभुत्वशाली है।
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اَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً فَسَالَتْ اَوْدِیَةٌ بِقَدَرِهَا فَاحْتَمَلَ السَّیْلُ زَبَدًا رَّابِیًا ؕ— وَمِمَّا یُوْقِدُوْنَ عَلَیْهِ فِی النَّارِ ابْتِغَآءَ حِلْیَةٍ اَوْ مَتَاعٍ زَبَدٌ مِّثْلُهٗ ؕ— كَذٰلِكَ یَضْرِبُ اللّٰهُ الْحَقَّ وَالْبَاطِلَ ؕ۬— فَاَمَّا الزَّبَدُ فَیَذْهَبُ جُفَآءً ۚ— وَاَمَّا مَا یَنْفَعُ النَّاسَ فَیَمْكُثُ فِی الْاَرْضِ ؕ— كَذٰلِكَ یَضْرِبُ اللّٰهُ الْاَمْثَالَ ۟ؕ
अल्लाह ने असत्य के मिटने और सत्य के बाक़ी रहने का एक उदाहरण आकाश से उतरने वाली बारिश के पानी के साथ दिया है, जिसके साथ घाटियाँ, अपने-अपने छोटे या बड़े आकार के अनुसार, बह निकलीं। फिर इस रेले ने झाग और कूड़ा पानी के ऊपर उठा लिया। अल्लाह ने सत्य और असत्य का एक दूसरा उदाहरण कुछ क़ीमती धातुओं के साथ दिया है, जिन्हें लोग पिघलाकर ज़ेवर बनाने के लिए तपाते हैं। तो इसका झाग इसके ऊपर आ जाता है, जिस तरह कि उसका झाग उसके ऊपर होता है। इन दो उदाहरणों के साथ, अल्लाह सत्य और असत्य के उदाहरण प्रस्तुत करता है। चुनाँचे असत्य जल पर तैरते हुए मैल और झाग की तरह तथा उस ज़ंग (मोरचे) के समान है, जो धातु को तपाने से अलग हो जाता है। जबकि सत्य शुद्ध जल के समान है जिसमें से पिया जाता है, और वह फल, चारा और घास उगाता है, तथा उस धातु के समान है जो पिघलाने के बाद बचता है, जिससे लोग लाभान्वित होते हैं। जिस तरह अल्लाह ने ये दो उदाहरण दिए हैं, वैसे ही अल्लाह लोगों के लिए उदाहरणों को प्रस्तुत करता रहता है, ताकि असत्य से सत्य स्पष्ट हो जाए।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
لِلَّذِیْنَ اسْتَجَابُوْا لِرَبِّهِمُ الْحُسْنٰی ؔؕ— وَالَّذِیْنَ لَمْ یَسْتَجِیْبُوْا لَهٗ لَوْ اَنَّ لَهُمْ مَّا فِی الْاَرْضِ جَمِیْعًا وَّمِثْلَهٗ مَعَهٗ لَافْتَدَوْا بِهٖ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ سُوْٓءُ الْحِسَابِ ۙ۬— وَمَاْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ؕ— وَبِئْسَ الْمِهَادُ ۟۠
जिन लोगों ने अपने पालनहार की बात मान ली, जो उसने उन्हें अपने एकत्व (एकेश्वरवाद) और आज्ञापालन के लिए आमंत्रित किया, उनके लिए सबसे अच्छा बदला है और वह जन्नत है। और काफ़िर लोग जिन्होंने अपने पालनहार की तौहीद तथा आज्ञापालन के आमंत्रण को स्वीकार नहीं किया, यदि ऐसा हो जाए कि दुनिया का सारा धन उनके पास आ जाए और इसके साथ उनके पास इसके बराबर और भी धन आ जाए, तो वे अपने आपको अज़ाब से छुड़ाने के लिए वह सारा धन अवश्य खर्च कर देंगे। अल्लाह के आमंत्रण को स्वीकार न करने वाले इन लोगों से उनके सभी पापों का हिसाब लिया जाएगा। और उनका निवास जिसमें वे रहेंगे, जहन्नम है। और उनका बिस्तर तथा ठिकाना जो कि आग है, बहुत बुरा है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• بيان ضلال المشركين في دعوتهم واستغاثتهم بغير الله تعالى، وتشبيه حالهم بحال من يريد الشرب فيبسط يده للماء بلا تناول له، وليس بشارب مع هذه الحالة؛ لكونه لم يتخذ وسيلة صحيحة لذلك.
• अल्लाह के सिवा दूसरों को पुकारने और उनसे सहायता के लिए याचना करने में मुश्रिकों की गुमराही का बयान, और उनकी स्थिति की तुलना ऐसे व्यक्ति की स्थिति से करना, जो पानी पीना चाहता है, इसलिए वह पानी की ओर केवल अपना हाथ बढ़ाता है, लेकिन वह उसे लेता नहीं है। इस स्थिति में वह कभी पानी पीने वाला नहीं है। क्योंकि इसके लिए उसने सही माध्यम नहीं अपनाया है।

• أن من وسائل الإيضاح في القرآن: ضرب الأمثال وهي تقرب المعقول من المحسوس، وتعطي صورة ذهنية تعين على فهم المراد.
• क़ुरआन में बात को स्पष्ट करने का एक तरीक़ा : उदाहरण प्रस्तुत करना है। और यह एक बोधगम्य चीज़ को इन्द्रियगोचर के क़रीब कर देता है और एक मानसिक चित्र प्रदान करता है, जो अर्थ को समझने में मदद करता है।

• إثبات سجود جميع الكائنات لله تعالى طوعًا، أو كرهًا بما تمليه الفطرة من الخضوع له سبحانه.
• सभी प्राणियों के अल्लाह तआला को स्वेच्छा से, या अनिच्छा से सजदा करने का प्रमाण, क्योंकि उसकी प्रकृति उसे अल्लाह के सामने झुकने पर बाध्य करती है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߛߊ߲ߜߊߟߌߡߊ
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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