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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߤߌߖߙߌ߫ ߖߡߊ߬ߣߊ   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:

अल्-ह़िज्र

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توعد المستهزئين بالقرآن، والوعد بحفظه تأييدًا للنبي وتثبيتًا له.
क़ुरआन का उपहास करने वालों को धमकी देना, तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के समर्थन और आपको सुदृढ़ करने के लिए उसे संरक्षित करने का वादा।

الٓرٰ ۫— تِلْكَ اٰیٰتُ الْكِتٰبِ وَقُرْاٰنٍ مُّبِیْنٍ ۟
{अलिफ़, लाम, रा।} इन जैसे अक्षरों के संबंध में सूरतुल बक़रा के आरंभ में बात हो चुकी है। ये उच्चस्तरीय आयतें जो इस बात को दर्शाती हैं कि वे अल्लाह की ओर से अवतरित हैं, ये उस क़ुरआन की आयतें हैं, जो तौह़ीद (एकेश्वरवाद) और धर्म के विधानों को स्पष्ट करता है।
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رُبَمَا یَوَدُّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَوْ كَانُوْا مُسْلِمِیْنَ ۟
क़ियामत के दिन जब काफ़िरों के लिए मामला स्पष्ट हो जाएगा और वे दुनिया में जिस अविश्वास के रास्ते पर चल रहे थे, उसकी अमान्यता उनके सामने उजागर हो जाएगी, तो वे कामना करेंगे कि काश! वे मुसलमान होते।
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ذَرْهُمْ یَاْكُلُوْا وَیَتَمَتَّعُوْا وَیُلْهِهِمُ الْاَمَلُ فَسَوْفَ یَعْلَمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) इन झुठलाने वालों को छोड़ दें कि वे पशुओं की तरह खाते रहें और दुनिया के नश्वर सुखों का आनंद लेते रहें तथा लंबी आशा उन्हें ईमान और अच्छे कार्य से गाफ़िल किए रखे। जब वे क़ियामत के दिन अल्लाह के सामने उपस्थित होंगे, तो उन्हें पता चल जाएगा कि वे कितने घाटे में हैं।
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وَمَاۤ اَهْلَكْنَا مِنْ قَرْیَةٍ اِلَّا وَلَهَا كِتَابٌ مَّعْلُوْمٌ ۟
और अत्याचारी बस्तियों में से जिस बस्ती पर भी हमने विनाश उतारा, उसका अल्लाह के ज्ञान में एक निर्धारित समय था, जिससे वह न आगे बढ़ सकती और न पीछे हट सकती थी।
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مَا تَسْبِقُ مِنْ اُمَّةٍ اَجَلَهَا وَمَا یَسْتَاْخِرُوْنَ ۟
किसी भी समुदाय पर उसका विनाश उसके नियत समय से पहले नहीं आता। तथा जब उसका नियत समय आ जाए, तो उसका विनाश उससे पीछे नहीं रहता। इसलिए अत्याचारियों को, अल्लाह के उन्हें ढील देने से, धोखे में नहीं पड़ना चाहिए।
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وَقَالُوْا یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْ نُزِّلَ عَلَیْهِ الذِّكْرُ اِنَّكَ لَمَجْنُوْنٌ ۟ؕ
मक्का के काफ़िरों ने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कहा : ऐ वह व्यक्ति जिसपर स्मरण (क़ुरआन) उतारा गया है (जैसा कि वह दावा करता है), निश्चित रूप से तू अपने इस दावे से पागल लगता है, जो पागलों की तरह व्यवहार करता है।
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لَوْ مَا تَاْتِیْنَا بِالْمَلٰٓىِٕكَةِ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
तुम हमारे पास फ़रिश्तों को क्यों नहीं ले आते, जो तुम्हारे हक़ में गवाही दें, यदि तुम सच्चे हो कि तुम एक भेजे गए रसूल हो और यह कि हमपर यातना उतरने वाली है।
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مَا نُنَزِّلُ الْمَلٰٓىِٕكَةَ اِلَّا بِالْحَقِّ وَمَا كَانُوْۤا اِذًا مُّنْظَرِیْنَ ۟
अल्लाह तआला ने उनके फ़रिश्तों के आने के सुझाव के जवाब में कहा : हम फ़रिश्तों को उसी समय उतारते हैं, जब हमारी हिकमत के अनुसार उन्हें अज़ाब के द्वारा विनष्ट करने का समय आ जाए। और - अगर हम फ़रिश्तों को ले आएँ और वे ईमान न लाएँ, तो - उन्हें मोहलत नहीं दी जाएगी, बल्कि उन्हें तुरंत दंडित किया जाएगा।
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اِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا الذِّكْرَ وَاِنَّا لَهٗ لَحٰفِظُوْنَ ۟
निःसंदेह हमने ही इस क़ुरआन को मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दिल पर लोगों के अनुस्मरण (याद-दहानी) के लिए उतारा है, और निःसंदेह हम ही क़ुरआन को वृद्धि और कमी, परिवर्तन और विकृति से सुरक्षित रखने वाले हैं।
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وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ فِیْ شِیَعِ الْاَوَّلِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) हमने आपसे पहले पिछले काफ़िर समुदायों में (भी) रसूल भेजे थे, तो उन्होंने उन रसूलों को झुठला दिया था। इसलिए, आपके समुदाय के आपको झुठलाने के मामले में, आप अनूठे रसूल नहीं हैं।
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وَمَا یَاْتِیْهِمْ مِّنْ رَّسُوْلٍ اِلَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟
पिछले काफ़िर समुदायों के पास जो भी रसूल आता था, वे उसे झुठला देते और उसका मज़ाक उड़ाया करते थे।
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كَذٰلِكَ نَسْلُكُهٗ فِیْ قُلُوْبِ الْمُجْرِمِیْنَ ۟ۙ
जिस तरह हमने उन (विगत) समुदायों के दिलों में झुठलाने की प्रवृत्ति डाल दी थी, उसी तरह हम उसे मक्का के मुश्रिकों के दिलों में डाल देंगे, उनकी विमुखता और हठ के कारण।
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لَا یُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَقَدْ خَلَتْ سُنَّةُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
ये लोग मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित इस क़ुरआन पर ईमान नहीं लाएँगे। और अल्लाह की यह परंपरा रही है कि वह अपने रसूलों के लाए हुए संदेश को झुठलाने वालों को विनष्ट कर देता है। इसलिए आपको झुठलाने वाले लोगों को इससे सीख लेनी चाहिए।
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وَلَوْ فَتَحْنَا عَلَیْهِمْ بَابًا مِّنَ السَّمَآءِ فَظَلُّوْا فِیْهِ یَعْرُجُوْنَ ۟ۙ
ये झुठलाने वाले लोग हठी हैं, भले ही स्पष्ट प्रमाणों के साथ सत्य उनके सामने उजागर हो जाए। चुनाँचे यदि हम उनके लिए आसमान का कोई द्वार खोल दें और वे उसमें चढ़ते चले जाएँ।
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لَقَالُوْۤا اِنَّمَا سُكِّرَتْ اَبْصَارُنَا بَلْ نَحْنُ قَوْمٌ مَّسْحُوْرُوْنَ ۟۠
तब भी वे सत्य को नहीं मानते और कहते : हमारी दृष्टि को देखने से अवरुद्ध कर दिया गया है, बल्कि हम जो कुछ देख रहे हैं, वह जादू का प्रभाव है। क्योंकि हम मंत्रमुग्ध हैं।
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ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• القرآن الكريم جامع بين صفة الكمال في كل شيء، والوضوح والبيان.
• पवित्र क़ुरआन हर चीज़ में पूर्णता के गुण और स्पष्टता से सुसज्जित है।

• يهتم الكفار عادة بالماديات، فتراهم مُنْغَمِسين في الشهوات والأهواء، مغترين بالأماني الزائفة، منشغلين بالدنيا عن الآخرة.
• काफ़िर लोग आमतौर पर भौतिक चीज़ों पर ध्यान आकर्षित करते हैं। यही कारण है कि आप उन्हें इच्छाओं और वासनाओं में डूबे हुए, झूठी आकांक्षाओं के धोखे में पड़े हुए और आख़िरत से उपेक्षा कर दुनिया में व्यस्त देखेंगे।

• هلاك الأمم مُقَدَّر بتاريخ معين، ومقرر في أجل محدد، لا تأخير فيه ولا تقديم، وإن الله لا يَعْجَلُ لعجلة أحد.
• समुदायों के विनाश की एक नियत तिथि निर्धारित होती और एक निश्चित समय तय होता है, जो आगे-पीछे नहीं हो सकता। तथा अल्लाह किसी के जल्दी मचाने के कारण उसमें जल्दी नहीं करता।

• تكفل الله تعالى بحفظ القرآن الكريم من التغيير والتبديل، والزيادة والنقص، إلى يوم القيامة.
• अल्लाह सर्वशक्तिमान ने क़ियामत के दिन तक पवित्र क़ुरआन को हर तरह की विकृति और परिवर्तन, वृद्धि और कमी से सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी ली है।

 
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ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
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