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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߟߞߌߛߍ ߟߎ߬   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
وَاَلْقٰی فِی الْاَرْضِ رَوَاسِیَ اَنْ تَمِیْدَ بِكُمْ وَاَنْهٰرًا وَّسُبُلًا لَّعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَ ۟ۙ
और उसने धरती की मज़बूती के लिए उसमें पर्वत रख दिए, ताकि वह तुम्हें लेकर हिले और झुके नहीं, और उसमें नदियाँ बहा दीं ताकि तुम खुद उनका पानी पियो, तथा अपने पशुओं और अपनी फसलों को सैराब करो, और उसमें रास्ते निकाल दिए, ताकि तुम उन पर चलो और इधर-उधर भटके बिना अपने गंतव्य तक पहुँच सको।
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وَعَلٰمٰتٍ ؕ— وَبِالنَّجْمِ هُمْ یَهْتَدُوْنَ ۟
और उसने तुम्हारे लिए धरती में बहुत-से स्पष्ट चिह्न बनाए, जिनसे दिन में चलते समय तुम्हें मार्गदर्शन मिलता है, और तुम्हारे लिए आकाश में तारे बनाए, ताकि रात में तुम्हें उनसे मार्गदर्शन प्राप्त हो।
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اَفَمَنْ یَّخْلُقُ كَمَنْ لَّا یَخْلُقُ ؕ— اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ ۟
तो क्या जो इन चीज़ों और इनके अलावा को पैदा करता है, उसके समान हो सकता है, जो कुछ भी पैदा नहीं करता? तो क्या तुम्हें उस अल्लाह की महानता याद नहीं करते, जो हर चीज़ को पैदा करता है, कि अकेले उसी की इबादत करो और उसके साथ ऐसी चीज़ को साझी न बनाओ जो कुछ भी पैदा नहीं करती?
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وَاِنْ تَعُدُّوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ لَا تُحْصُوْهَا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَغَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
और (ऐ लोगो!) यदि तुम अल्लाह की दी हुई बहुल नेमतों को गिनने की कोशिश करो, तो तुम उनकी बहुतायत और विविधता के कारण, ऐसा नहीं कर सकते। निःसंदेह अल्लाह अत्यंत क्षमाशील है कि उसने इन नेमतों का शुक्रिया अदा करने में होने वाली लापरवाही पर तुम्हारी पकड़ नहीं की। बहुत दयावान् है कि उसने पापों और अपने शुक्र में कोताही के कारण तुम्हें उन नेमतों से वंचित नहीं किया।
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وَاللّٰهُ یَعْلَمُ مَا تُسِرُّوْنَ وَمَا تُعْلِنُوْنَ ۟
और (ऐ बंदो!) अल्लाह तुम्हारे उन कार्यों को जानता है, जिन्हें तुम छिपाते हो और उन्हें भी जानता है, जिन्हें तुम प्रकट करते हो। तुम्हारा कोई कार्य उससे नहीं छिपता। और वह तुम्हें उनका बदला देगा।
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وَالَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ لَا یَخْلُقُوْنَ شَیْـًٔا وَّهُمْ یُخْلَقُوْنَ ۟ؕ
बहुदेववादी अल्लाह के सिवा जिनकी पूजा करते हैं, वे कोई मामूली से मामूली चीज़ भी पैदा नहीं कर सकते। बल्कि वे अल्लाह के सिवा जिनकी पूजा करते हैं, उन्हें खुद ही बनाते हैं। फिर वे अल्लाह के सिवा उन मूर्तियों कि पूजा कैसे करते हैं, जिन्हें वे खुद अपने हाथों से बनाते हैं?!
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اَمْوَاتٌ غَیْرُ اَحْیَآءٍ ؕۚ— وَمَا یَشْعُرُوْنَ ۙ— اَیَّانَ یُبْعَثُوْنَ ۟۠
यद्यपि उनके उपासकों ने उन्हें अपने हाथों से बनाया है, वे निर्जीव भी हैं, जिनमें कोई जीवन या ज्ञान नहीं है। चुनाँचे वे नहीं जानते कि वे अपने उपासकों के साथ क़ियामत के दिन कब पुनः जीवित किए जाएँगे, ताकि उन के साथ जहन्नम की आग में फेंके जाएँ।
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اِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ ۚ— فَالَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ قُلُوْبُهُمْ مُّنْكِرَةٌ وَّهُمْ مُّسْتَكْبِرُوْنَ ۟
तुम्हारा सत्य पूज्य केवल एक है, जिसका कोई साझी नहीं और वह अल्लाह है। वे लोग जो बदले के लिए दोबारा जीवितकर उठाए जाने पर ईमान नहीं रखते, उनके दिल अल्लाह के भय से खाली होने के कारण अल्लाह के एकत्व का इनकार करते हैं। अतः वे हिसाब या दंड पर ईमान नहीं रखते हैं। तथा वे अभिमानी हैं, जो सत्य को स्वीकार नहीं करते हैं और न ही उसके आगे झुकते हैं।
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لَا جَرَمَ اَنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ مَا یُسِرُّوْنَ وَمَا یُعْلِنُوْنَ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الْمُسْتَكْبِرِیْنَ ۟
इसमें कोई संदेह नहीं कि अल्लाह इनके उन कार्यों को जानता है, जो वे छिपाते हैं और जो वे प्रकट करते हैं। उससे कोई चीज़ छिपी नहीं रहती और वह उन्हें उनके कार्यों का बदला देगा। निश्चय अल्लाह पाक उन लोगों से प्रेम नहीं करता, जो उसकी इबादत करने और उसके आगे झुकने से अभिमान करते हैं। बल्कि उनसे सख़्त घृणा करता है।
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وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ مَّاذَاۤ اَنْزَلَ رَبُّكُمْ ۙ— قَالُوْۤا اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟ۙ
और जब इन लोगों से कहा जाता है, जो अल्लाह के एकेश्वरवाद का इनकार करते और पुनर्जीवन को झुठलाते हैं : अल्लाह ने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर क्या उतारा है? तो वे कहते हैं : उसने उनपर कुछ नहीं उतारा है। बल्कि वह खुद अपनी ओर से पिछले लोगों की कहानियों और उनकी झूठी बातों को ले आए हैं।
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لِیَحْمِلُوْۤا اَوْزَارَهُمْ كَامِلَةً یَّوْمَ الْقِیٰمَةِ ۙ— وَمِنْ اَوْزَارِ الَّذِیْنَ یُضِلُّوْنَهُمْ بِغَیْرِ عِلْمٍ ؕ— اَلَا سَآءَ مَا یَزِرُوْنَ ۟۠
ताकि उनका अंजाम यह हो कि वे बिना किसी कमी के अपने गुनाहों का बोझ उठाएँ और उन लोगों के गुनाहों का भी कुछ बोझ उठाएँ, जिन्हें उन्होंने अज्ञानता और पूर्वजों के अनुकरण में इस्लाम से भटकाया है। तो उनका अपने पापों और अपने अनुयायियों के पापों का बोझ उठाना कितना बुरा है।
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قَدْ مَكَرَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَاَتَی اللّٰهُ بُنْیَانَهُمْ مِّنَ الْقَوَاعِدِ فَخَرَّ عَلَیْهِمُ السَّقْفُ مِنْ فَوْقِهِمْ وَاَتٰىهُمُ الْعَذَابُ مِنْ حَیْثُ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟
इनसे पहले भी काफ़िरों ने अपने रसूलों के विरुद्ध साज़िशें कीं, तो अल्लाह ने उनके घरों को उनकी नींव से ध्वस्त कर दिया। इसलिए उनकी छतें उनके ऊपर से उनपर गिर पड़ीं और उनपर वहाँ से यातना आई, जहाँ से उन्हें उम्मीद नहीं थी। क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि उनके घर उनकी रक्षा करेंगे, लेकिन वे उनके द्वारा ही नष्ट कर दिए गए।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• في الآيات من أصناف نعم الله على العباد شيء عظيم، مجمل ومفصل، يدعو الله به العباد إلى القيام بشكره وذكره ودعائه.
• इन आयतों में बंदों पर अल्लाह की बहुत सारी नेमतों का ज़िक्र हुआ है। कुछ सार रूप से और कुछ विस्तार के साथ। जिसके द्वारा अल्लाह बंदों को उसका शुक्रिया अदा करने, उसका स्मरण करने और उसी को पुकारने के लिए आमंत्रित करता है।

• طبيعة الإنسان الظلم والتجرُّؤ على المعاصي والتقصير في حقوق ربه، كَفَّار لنعم الله، لا يشكرها ولا يعترف بها إلا من هداه الله.
• इनसान का स्वभाव अत्याचार करना, पाप करने का साहस दिखाना और अपने रब के अधिकारों को अदा करने में कोताही करना है। वह अल्लाह की नेमतों का बहुत इनकार करने वाला है। वह न उनका शुक्रिया अदा करता है और न ही उन्हें स्वीकार करता है, सिवाय उसके जिसे अल्लाह मार्गदर्शन प्रदान कर दे।

• مساواة المُضِلِّ للضال في جريمة الضلال؛ إذ لولا إضلاله إياه لاهتدى بنظره أو بسؤال الناصحين.
• गुमराही के जुर्म में, गुमराह करने वाले को गुमराह होने वाले के बराबर रखा गया है; क्योंकि यदि वह उसे गुमराह न करता, तो वह खुद सोच-विचार करके या सदुपदेशकों से पूछकर सही रास्ता पा जाता।

• أَخْذ الله للمجرمين فجأة أشد نكاية؛ لما يصحبه من الرعب الشديد، بخلاف الشيء الوارد تدريجيًّا.
• अल्लाह का अपराधियों को अचानक पकड़ना, अधिक गंभीर सज़ा है। क्योंकि धीरे-धीरे आने वाली चीज़ के विपरीत, इसमें अधिक दहशत और डर पाया जाता है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߟߞߌߛߍ ߟߎ߬
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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