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ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߡߣߍߡߣߍ   ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫:
اِنِّیْ وَجَدْتُّ امْرَاَةً تَمْلِكُهُمْ وَاُوْتِیَتْ مِنْ كُلِّ شَیْءٍ وَّلَهَا عَرْشٌ عَظِیْمٌ ۟
मैंने एक स्त्री को उनपर शासन करते पाया है और उस स्त्री को शक्ति एवं शासन के सारे साधन प्राप्त हैं और उसके पास एक बड़ा सिंहासन भी है, जिसपर बैठकर वह अपने लोगों के मामलों का प्रबंधन करती है।
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وَجَدْتُّهَا وَقَوْمَهَا یَسْجُدُوْنَ لِلشَّمْسِ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَزَیَّنَ لَهُمُ الشَّیْطٰنُ اَعْمَالَهُمْ فَصَدَّهُمْ عَنِ السَّبِیْلِ فَهُمْ لَا یَهْتَدُوْنَ ۟ۙ
मैंने उस स्त्री तथा उसकी जाति को पाया है कि वे पवित्र एवं सर्वशक्तिमान अल्लाह को छोड़कर सूरज को सजदा करते हैं। तथा शैतान ने उनके शिर्क एवं पाप के कार्यों को उनके लिए शोभनीय बना दिया है और उन्हें सत्य के मार्ग से हटा दिया है। अतः वे उसकी ओर मार्गदर्शन नहीं पाते।
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اَلَّا یَسْجُدُوْا لِلّٰهِ الَّذِیْ یُخْرِجُ الْخَبْءَ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَیَعْلَمُ مَا تُخْفُوْنَ وَمَا تُعْلِنُوْنَ ۟
शैतान ने उनके शिर्क एवं पाप के कार्यों को उनके लिए सुंदर बना दिया है; ताकि वे अकेले अल्लाह को सजदा न करें, जो आकाश में छिपी वर्षा तथा धरती में छिपे पौधों को निकालता है, तथा वह उन कार्यों को जानता है, जो तुम छिपाते हो और जो तुम ज़ाहिर तरते हो। उनमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है।
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اَللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِیْمِ ۟
अल्लाह वह है जिसके अतिरिक्त कोई सत्य पूज्य नहीं, जो महान सिंहासन का रब है।
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قَالَ سَنَنْظُرُ اَصَدَقْتَ اَمْ كُنْتَ مِنَ الْكٰذِبِیْنَ ۟
सुलैमान अलैहिस्सलाम ने हुदहुद से कहा : हम देखेंगे कि तू अपने दावे में सच्चा है अथवा तू झूठों में से है?
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اِذْهَبْ بِّكِتٰبِیْ هٰذَا فَاَلْقِهْ اِلَیْهِمْ ثُمَّ تَوَلَّ عَنْهُمْ فَانْظُرْ مَاذَا یَرْجِعُوْنَ ۟
सुलैमान अलैहिस्सलाम ने एक पत्र लिखा और उसे हुदहुद के हवाले करते हुए कहा : मेरा यह पात्र लेकर जाओ और इसे "सबा" वालों को पहुँचा देना और उनसे एक तरफ हटकर सुनते रहना कि वे इसके बारे में क्या जवाब देते हैं।
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قَالَتْ یٰۤاَیُّهَا الْمَلَؤُا اِنِّیْۤ اُلْقِیَ اِلَیَّ كِتٰبٌ كَرِیْمٌ ۟
रानी ने पत्र प्राप्त किया और कहा : ऐ सरदारो! मेरी ओर एक बहुत प्रतिष्ठित पत्र फेंका गया है।
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اِنَّهٗ مِنْ سُلَیْمٰنَ وَاِنَّهٗ بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ ۟ۙ
सुलैमान की ओर से भेजे गए और "बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम" से प्रारंभ होने वाले इस पत्र का मज़मून यह है :
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اَلَّا تَعْلُوْا عَلَیَّ وَاْتُوْنِیْ مُسْلِمِیْنَ ۟۠
यह कि तुम अभिमान न करो तथा अल्लाह को एकमात्र पूज्य मानने और उसके साथ शिर्क को परित्याग करने के मेरे आह्वान को स्वीकार करते हुए, आज्ञाकारी बनकर, मेरे पास आ जाओ। क्योंकि तुमने अल्लाह के साथ सूर्य की पूजा की है।
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قَالَتْ یٰۤاَیُّهَا الْمَلَؤُا اَفْتُوْنِیْ فِیْۤ اَمْرِیْ ۚ— مَا كُنْتُ قَاطِعَةً اَمْرًا حَتّٰی تَشْهَدُوْنِ ۟
रानी ने कहा : ऐ प्रमुखो एवं सज्जनो! मुझे मेरे मामले में सही हल बताओ। मैं किसी मामले का फ़ैसला करने वाली नहीं, यहाँ तक तुम मेरे पास उपस्थित हो और उसके बारे में अपनी राय व्यक्त करो।
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قَالُوْا نَحْنُ اُولُوْا قُوَّةٍ وَّاُولُوْا بَاْسٍ شَدِیْدٍ ۙ۬— وَّالْاَمْرُ اِلَیْكِ فَانْظُرِیْ مَاذَا تَاْمُرِیْنَ ۟
उसकी जाति के सरदारों ने उससे कहा : हम बड़ी ताकत के मालिक हैं तथा युद्ध में प्रबल शक्ति रखते हैं। और राय वही है जो आप देखती हैं। इसलिए देखें कि आप हमें क्या करने का आदेश देती हैं। क्योंकि हम उसे लागू करने में सक्षम हैं।
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قَالَتْ اِنَّ الْمُلُوْكَ اِذَا دَخَلُوْا قَرْیَةً اَفْسَدُوْهَا وَجَعَلُوْۤا اَعِزَّةَ اَهْلِهَاۤ اَذِلَّةً ۚ— وَكَذٰلِكَ یَفْعَلُوْنَ ۟
रानी ने कहा : राजा जब किसी बस्ती में प्रवेश करते हैं, तो क़त्ल तथा लूट-पाट का बाज़ार गर्म करके उसे ख़राब कर देते हैं और उसके सरदारों और अशराफिया को अपमानित करते हैं, जबकि वे पहले उसमें प्रतिष्ठा और शक्ति वाले थे। तथा राजा हमेशा ऐसा ही करते हैं, जब वे किसी बस्ती को पराजित करते हैं; ताकि लोगों के दिलों में आतंक और दहशत पैदा कर सकें।
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وَاِنِّیْ مُرْسِلَةٌ اِلَیْهِمْ بِهَدِیَّةٍ فَنٰظِرَةٌ بِمَ یَرْجِعُ الْمُرْسَلُوْنَ ۟
मैं यह पत्र भेजने वाले तथा उसके लोगों के पास एक उपहार भेजने वाली हूँ और देखती हूँ कि दूत इस उपहार को भेजने के बाद क्या उत्तर लाते हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• إنكار الهدهد على قوم سبأ ما هم عليه من الشرك والكفر دليل على أن الإيمان فطري عند الخلائق.
• हुदहुद का "सबा" जाति के शिर्क एवं कुफ़्र को नकारना, इस बात का प्रमाण है कि सृष्टि के अंदर ईमान जन्मजात है।

• التحقيق مع المتهم والتثبت من حججه.
• आरोपी से पूछताछ और उसके तर्कों का सत्यापन।

• مشروعية الكشف عن أخبار الأعداء.
• शत्रुओं के समाचारों को प्रकट करने की वैधता।

• من آداب الرسائل افتتاحها بالبسملة.
• पत्रों के शिष्टाचार में से एक उसे बिस्मिल्लाह से शुरू करना है।

• إظهار عزة المؤمن أمام أهل الباطل أمر مطلوب.
• बातिल परस्तों के सामने मोमिन की प्रतिष्ठा का इज़हार अपेक्षित है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߡߣߍߡߣߍ
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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