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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫: (84) ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߛߎ߬ߡߊ߲߬ߝߍ
وَمَا لَنَا لَا نُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَمَا جَآءَنَا مِنَ الْحَقِّ ۙ— وَنَطْمَعُ اَنْ یُّدْخِلَنَا رَبُّنَا مَعَ الْقَوْمِ الصّٰلِحِیْنَ ۟
वह कौन-सा कारण है जो हमें अल्लाह पर तथा उस सत्य पर ईमान लाने से रोकता है, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए हैं?! हालाँकि हम नबियों तथा उनके अनुयायियों के साथ जन्नत में प्रवेश करने की आशा करते हैं, जो अल्लाह के आज्ञाकारी हैं और उसकी सज़ा से डरने वाले हैं।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• الأمر بتوخي الطيب من الأرزاق وترك الخبيث.
• अच्छी जीविका तलाशने तथा बुरी जीविका त्यागने का आदेश।

• عدم المؤاخذة على الحلف عن غير عزم للقلب، والمؤاخذة على ما كان عن عزم القلب ليفعلنّ أو لا يفعلنّ.
• दिल के संकल्प के बिना क़सम खाने पर पकड़ न करना, तथा उस क़सम पर पकड़ करना जो दिल के संकल्प से हो कि वह ऐसा अवश्य करेगा या नहीं करेगा।

• بيان أن كفارة اليمين: إطعام عشرة مساكين، أو كسوتهم، أو عتق رقبة مؤمنة، فإذا لم يستطع المكفِّر عن يمينه الإتيان بواحد من الأمور السابقة، فليكفِّر عن يمينه بصيام ثلاثة أيام.
• इस बात का वर्णन कि क़सम का प्रायश्चित : दस निर्धनों को भोजन कराना, या उन्हें कपड़े पहनाना, या एक मोमिन दास मुक्त करना है। यदि अपनी क़सम का प्रायश्चित करने वाला उक्त चीज़ों में से कोई एक भी चीज़ न कर सके, तो वह तीन दिन के रोज़े रखकर अपनी क़सम का प्रायश्चित करे।

• قوله تعالى: ﴿... إنَّمَا الْخَمْرُ ...﴾ هي آخر آية نزلت في الخمر، وهي نص في تحريمه.
• अल्लाह का कथन : ﴾...إنَّمَا الْخَمْرُ ...﴿ शराब के संबंध में उतरने वाली अंतिम आयत है, तथा यह शराब को स्पष्ट रूप से निषिद्ध ठहराती है।

 
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