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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫: (5) ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߘߊߘߐߝߙߊߢߐ߲߯ߦߟߊ
اِنَّ الَّذِیْنَ یُحَآدُّوْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ كُبِتُوْا كَمَا كُبِتَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ وَقَدْ اَنْزَلْنَاۤ اٰیٰتٍۢ بَیِّنٰتٍ ؕ— وَلِلْكٰفِرِیْنَ عَذَابٌ مُّهِیْنٌ ۟ۚ
निश्चय जो लोग अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करते हैं, वे उसी तरह अपमानित और तिरस्कृत किए जाएँगे, जैसा कि पिछले समुदायों में से उसका विरोध करने वालों को अपमानित और तिरस्कृत किया गया। हमने स्पष्ट निशानियाँ उतार दी हैं। और अल्लाह का तथा उसके रसूलों और उसकी निशानियों का इनकार करने वालों के लिए अपमानजनक यातना है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• لُطْف الله بالمستضعفين من عباده من حيث إجابة دعائهم ونصرتهم.
• अल्लाह की अपने कमज़ोर बंदों पर दया कि वह उनकी दुआ स्वीकार करता तथा उनकी सहायता करता है।

• من رحمة الله بعباده تنوع كفارة الظهار حسب الاستطاعة ليخرج العبد من الحرج.
• अल्लाह की अपने बंदों पर दया का एक प्रतीक यह है कि उसने 'ज़िहार' के 'कफ़्फ़ारा' में क्षमता के अनुसार विविधता रखी है। ताकि बंदा तंगी से बच जाए।

• في ختم آيات الظهار بذكر الكافرين؛ إشارة إلى أنه من أعمالهم، ثم ناسب أن يورد بعض أحوال الكافرين.
• 'ज़िहार' की आयतों का काफिरों के उल्लेख पर समापन करने में; यह संकेत है कि यह उनके कार्यों में से है। फिर उचित था कि काफ़िरों के कुछ हालात का उल्लेख किया जाए।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫: (5) ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߘߊߘߐߝߙߊߢߐ߲߯ߦߟߊ
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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