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ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ * - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ


ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߟߝߊߙߌ ߘߏ߫: (25) ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߞߟߏߝߋ߲ ߠߎ߬
وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّسْتَمِعُ اِلَیْكَ ۚ— وَجَعَلْنَا عَلٰی قُلُوْبِهِمْ اَكِنَّةً اَنْ یَّفْقَهُوْهُ وَفِیْۤ اٰذَانِهِمْ وَقْرًا ؕ— وَاِنْ یَّرَوْا كُلَّ اٰیَةٍ لَّا یُؤْمِنُوْا بِهَا ؕ— حَتّٰۤی اِذَا جَآءُوْكَ یُجَادِلُوْنَكَ یَقُوْلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ هٰذَاۤ اِلَّاۤ اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
ऐ रसूल! जब आप क़ुरआन पढ़ते हैं, तो मुश्रिकों में से कुछ लोग आपकी तरफ़ कान लगाकर सुनते हैं, लेकिन वे जो कुछ सुनते हैं उससे लाभ नहीं उठाते; क्योंकि हमने उनके दिलों पर, उनके हठ और उनके मुँह फेरने के कारण, परदे डाल दिए हैं, ताकि वे क़ुरआन को ना समझ सकें और हमने उनके कानों में लाभप्रद सुनवाई से बहरापन रखा है। वे चाहे कितने ही स्पष्ट प्रमाण और स्पष्ट तर्क देख लें, उनपर ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि जब वे आपके पास आते हैं, आपसे झूठ के साथ सत्य के बारे में झगड़ते हैं। वे कहते हैं : जो कुछ आप लेकर आए हैं, वह पहले लोगों की किताबों से लिया गया है।
ߊߙߊߓߎߞߊ߲ߡߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߟߎ߬:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• بيان الحكمة في إرسال النبي عليه الصلاة والسلام بالقرآن، من أجل البلاغ والبيان، وأعظم ذلك الدعوة لتوحيد الله.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को क़ुरआन के साथ भेजने की हिकमत का वर्णन, जो कि उसे पूर्ण रूप से लोगों को पहुँचाना और उसका स्पष्टीकरण एवं व्याख्या करना है, और उनमें से सबसे बड़ा अल्लाह के एकेश्वरवाद की ओर बुलाना है।

• نفي الشريك عن الله تعالى، ودحض افتراءات المشركين في هذا الخصوص.
• अल्लाह तआला से साझी का इनकार करना, और इस संबंध में बहुदेववादियों की झूठ गढ़ी हुई बातों का खंडन करना।

• بيان معرفة اليهود والنصارى للنبي عليه الصلاة والسلام، برغم جحودهم وكفرهم.
• यहूदियों और ईसाइयों के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को पहचानने का वर्णन, इसके बावजूद कि उन्होंने इनकार किया और ईमान नहीं लाए।

 
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ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
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ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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