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7 : 6

وَلَوْ نَزَّلْنَا عَلَیْكَ كِتٰبًا فِیْ قِرْطَاسٍ فَلَمَسُوْهُ بِاَیْدِیْهِمْ لَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ هٰذَاۤ اِلَّا سِحْرٌ مُّبِیْنٌ ۟

(ऐ रसूल!) यदि हम आपपर काग़ज़ में लिखी हुई कोई पुस्तक उतार दें और वे उसे अपनी आँखों से देख लें तथा पुस्तक को अपने हाथों से छूकर उसके बार में सुनिश्चित कर लें; तो भी वे अपने इनकार और हठ (दुराग्रह) के कारण उसपर हरगिज़ ईमान नहीं लाएँगे, और निश्चय यही कहेंगे : जो कुछ तुम लाए हो वह तो जादू के सिवा कुछ नहीं है। अतः हम उसपर कदापि ईमान नहीं लाएँगे। info
التفاسير:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• شدة عناد الكافرين، وبيان إصرارهم على الكفر على الرغم من قيام الحجة عليهم بالأدلة الحسية.
• काफ़िरों का अत्यधिक हठ, तथा भौतिक प्रमाणों के साथ उनपर तर्क स्थापित हो जाने के बावजूद उनके अपने कुफ़्र पर अड़े रहने का वर्णन। info

• التأمل في سنن الله تعالى في السابقين لمعرفة أسباب هلاكهم والحذر منها.
• विगत लोगों के संबंध में अल्लाह के नियमों पर विचार करना, उनके विनाश के कारणों को जानने और उनसे सावधान रहने के लिए। info

• من رحمة الله بعباده أن لم ينزل لهم رسولًا من الملائكة لأنهم لا يمهلون للتوبة إذا نزل.
• अल्लाह की अपने बंदों पर यह दया है कि उसने उनके लिए फरिश्तों में से कोई रसूल नहीं उतारा, क्योंकि उसके उतरने के बाद उन्हें तौबा का अवसर नहीं दिया जाता। info