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قَالَا رَبَّنَا ظَلَمْنَاۤ اَنْفُسَنَا ٚ— وَاِنْ لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الْخٰسِرِیْنَ ۟
आदम और हव्वा ने कहा : ऐ हमारे रब! जो तूने हमें पेड़ से खाने से मना किया था उसका इर्तिकाब करके हमने अपने आप पर अत्याचार किया है। यदि तूने हमारे पापों को क्षमा नहीं किया और अपनी दयालुता से हमपर दया नहीं की, तो निश्चय हम दुनिया एवं आख़िरत में अपना भाग्य खोकर घाटा उठाने वालों में से हो जाएँगे।
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قَالَ اهْبِطُوْا بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ ۚ— وَلَكُمْ فِی الْاَرْضِ مُسْتَقَرٌّ وَّمَتَاعٌ اِلٰی حِیْنٍ ۟
अल्लाह ने आदम, हव्वा और इबलीस से कहा : जन्नत से पृथ्वी पर उतरो, तुम एक-दूसरे के दुश्मन होगे। तथा तुम्हारे लिए एक ज्ञात समय तक पृथ्वी पर ठहरने का स्थान और एक निर्धारित अवधि के लिए उसमें जो कुछ है उससे लाभ उठाने का अवसर है।
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قَالَ فِیْهَا تَحْیَوْنَ وَفِیْهَا تَمُوْتُوْنَ وَمِنْهَا تُخْرَجُوْنَ ۟۠
अल्लाह ने आदम, हव्वा तथा उनकी संतान को संबोधित करते हुए कहा : तुम इसी धरती में उस अवधि तक जीवित रहोगे जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए निर्धारित की है, तथा इसी में मरोगे और दफ़न किए जाओगे, और अपनी क़ब्रों ही से क़ियामत (महा प्रलय) के लिए निकाले जाओगे।
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یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ قَدْ اَنْزَلْنَا عَلَیْكُمْ لِبَاسًا یُّوَارِیْ سَوْاٰتِكُمْ وَرِیْشًا ؕ— وَلِبَاسُ التَّقْوٰی ۙ— ذٰلِكَ خَیْرٌ ؕ— ذٰلِكَ مِنْ اٰیٰتِ اللّٰهِ لَعَلَّهُمْ یَذَّكَّرُوْنَ ۟
ऐ आदम की संतान! हमने तुम्हारे लिए तुम्हारे गुप्तांगों को ढकने के लिए एक आवश्यक वस्त्र बनाया है, तथा हमने तुम्हारे लिए एक विलासिता का वस्त्र बनाया है, जिससे तुम लोगों के बीच अपने आपको सुशोभित करते हो। तथा तक़्वा (अर्थात् अल्लाह के आदेशों का पालन करने और उसके निषेधों से बचने) का पोशाक, इस संवेदी पोशाक से बेहतर है। यह उपर्युक्त वस्त्र अल्लाह की उन निशानियों में से है जो उसकी शक्ति को इंगित करने वाली है। ताकि तुम अपने ऊपर अल्लाह कि नेमतों को याद करो और उनका शुक्र अदा करो।
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یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ لَا یَفْتِنَنَّكُمُ الشَّیْطٰنُ كَمَاۤ اَخْرَجَ اَبَوَیْكُمْ مِّنَ الْجَنَّةِ یَنْزِعُ عَنْهُمَا لِبَاسَهُمَا لِیُرِیَهُمَا سَوْاٰتِهِمَا ؕ— اِنَّهٗ یَرٰىكُمْ هُوَ وَقَبِیْلُهٗ مِنْ حَیْثُ لَا تَرَوْنَهُمْ ؕ— اِنَّا جَعَلْنَا الشَّیٰطِیْنَ اَوْلِیَآءَ لِلَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
ऐ आदम की संतान! शैतान तुम्हारे लिए, गुप्त अंगों को ढकने के लिए संवेदी वस्त्र को त्यागने या तक़्वा (धर्मपरायणता) की पोशाक को त्यागने की अवज्ञा को सुशोभित करके तुम्हें हरगिज़ धोखे में न डाले। क्योंकि उसने तुम्हारे माता-पिता को पेड़ से खाने को सुसज्जित करके धोखा दिया था, यहाँ तक कि उसका परिणाम यह हुआ कि उसने उन्हें जन्नत से निकाल दिया और उनके लिए उनके गुप्तांग प्रकट हो गए। निःसंदेह शैतान और उसका वंश तुम्हें देखते हैं, लेकिन तुम उन्हें नहीं देखते। अतः तुम्हें उससे और उसके वंश से सावधान रहना होगा। हमने शैतानों को ऐसे लोगों का मित्र बना दिया है, जो अल्लाह पर ईमान नहीं रखते। रहे ईमान वाले, जो अच्छे कर्म करते हैं, तो उनपर उन (शैतानों) का कोई रास्ता नहीं है।
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وَاِذَا فَعَلُوْا فَاحِشَةً قَالُوْا وَجَدْنَا عَلَیْهَاۤ اٰبَآءَنَا وَاللّٰهُ اَمَرَنَا بِهَا ؕ— قُلْ اِنَّ اللّٰهَ لَا یَاْمُرُ بِالْفَحْشَآءِ ؕ— اَتَقُوْلُوْنَ عَلَی اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
और जब मुश्रिक लोग कोई अति घृणित काम करते हैं, जैसे शिर्क तथा निर्वस्त्र होकर काबा का तवाफ़ करना आदि, तो वे यह बहाना पेश करते हैं कि उन्होंने अपने बाप-दादा को ऐसा करते पाया है और यह कि अल्लाह ने उन्हें ऐसा करने का आदेश दिया है। (ऐ मुहम्मद!) आप उनके जवाब में कह दें : अल्लाह गुनाहों का आदेश नहीं देता, बल्कि वह उनसे मना करता है। तो फिर तुम अल्लाह पर कैसे इसका दावा करते हो? क्या (ऐ मुश्रिको!) तुम झूठ बोलते हुए और झूठा आरोप लगाते हुए अल्लाह के बारे में ऐसी बात कहते हो, जो तुम नहीं जानते?!
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قُلْ اَمَرَ رَبِّیْ بِالْقِسْطِ ۫— وَاَقِیْمُوْا وُجُوْهَكُمْ عِنْدَ كُلِّ مَسْجِدٍ وَّادْعُوْهُ مُخْلِصِیْنَ لَهُ الدِّیْنَ ؕ۬— كَمَا بَدَاَكُمْ تَعُوْدُوْنَ ۟ؕ
(ऐ मुहम्मद!) इन मुश्रिकों से कह दें : अल्लाह ने न्याय का आदेश दिया है, अश्लीलता और बुराई का आदेश नहीं दिया है। तथा उसने आदेश दिया है कि तुम इबादत को सामान्य रूप से और विशेष रूप से मस्जिदों में उसी के लिए ख़ालिस करो, और यह कि तुम केवल उसे ही पुकारो आज्ञाकारिता को उसी के लिए विशिष्ट करते हुए। जिस तरह उसने तुम्हें पहली बार अनस्तित्व से पैदा किया, उसी तरह वह तुम्हें दोबारा जीवित करेगा। क्योंकि जो तुम्हें पहली बार पैदा करने में सक्षम है, वह तुम्हें वापस लौटाने और तुम्हें पुनर्जीवित करने में भी सक्षम है।
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فَرِیْقًا هَدٰی وَفَرِیْقًا حَقَّ عَلَیْهِمُ الضَّلٰلَةُ ؕ— اِنَّهُمُ اتَّخَذُوا الشَّیٰطِیْنَ اَوْلِیَآءَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَیَحْسَبُوْنَ اَنَّهُمْ مُّهْتَدُوْنَ ۟
अल्लाह ने लोगों के दो समूह बनाए हैं : तुममें से एक समूह को उसने सीधी राह दिखाई, उसके लिए मार्गदर्शन के कारणों को आसान बनाया और उसकी बाधाओं को दूर कर दिया, जबकि दूसरे समूह पर सच्चाई के मार्ग से भटकना अनिवार्य (सिद्ध) हो चुका है।क्योंकि उन्होंने अल्लाह को छोड़कर शैतानों को दोस्त बना लिया, और अज्ञानता में उनका पालन किया, हालाँकि वे यह समझते हैं कि वे सीधे रास्ते पर चल रहे हैं।
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ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• من أَشْبَهَ آدم بالاعتراف وسؤال المغفرة والندم والإقلاع - إذا صدرت منه الذنوب - اجتباه ربه وهداه. ومن أَشْبَهَ إبليس - إذا صدر منه الذنب بالإصرار والعناد - فإنه لا يزداد من الله إلا بُعْدًا.
• जो व्यक्ति - कोई गुनाह हो जाने पर - आदम अलैहिस्सलाम की तरह अपने गुनाह को स्वीकारता, क्षमा मांँगता, पछताता और उसे छोड़ देता है, तो अल्लाह उसे चुन लेगा और उसका मार्गदर्शन करेगा। और जो व्यक्ति - पाप कर बैठने पर - इबलीस की तरह उसपर अड़ा रहता और हठ करता है, तो वह अल्लाह से दूरी ही में वृद्धि करेगा।

• اللباس نوعان: ظاهري يستر العورةَ، وباطني وهو التقوى الذي يستمر مع العبد، وهو جمال القلب والروح.
• वस्त्र दो प्रकार के होते हैं : एक ज़ाहिरी (बाहरी), जो गुप्तांग को ढकता है और दूसरा बातिनी (भीतरी), इससे अभिप्राय तक़्वा है, जो निरंतर बंदे के साथ रहता है। और यह हृदय और आत्मा की सुंदरता है।

• كثير من أعوان الشيطان يدعون إلى نزع اللباس الظاهري؛ لتنكشف العورات، فيهون على الناس فعل المنكرات وارتكاب الفواحش.
• बहुत-से शैतान के समर्थक बाहरी वस्त्र को उतारने का आह्वान करते हैं; ताकि गुप्तांग प्रकट हो जाएँ। फिर लोगों के लिए बुराई करना और अनैतिक कार्य करना आसान हो जाए।

• أن الهداية بفضل الله ومَنِّه، وأن الضلالة بخذلانه للعبد إذا تولَّى -بجهله وظلمه- الشيطانَ، وتسبَّب لنفسه بالضلال.
• हिदायत अल्लाह की कृपा और अनुग्रह से मिलती है, तथा गुमराही अल्लाह की ओर से बंदे को असहाय छोड़ देने का परिणाम है, जब वह - अपनी अज्ञानता और अन्याय से - शैतान को दोस्त बना लेता है और खुद के भटकने का कारण बनता है।

 
ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌ߬ߘߊ߬ߟߌ ߝߐߘߊ ߘߏ߫: ߕߓߊߞߘߐߣߍ߲߫
ߝߐߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ ߞߐߜߍ ߝߙߍߕߍ
 
ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫ - ߘߟߊߡߌߘߊ ߟߎ߫ ߦߌ߬ߘߊ߬ߥߟߊ

ߡߍ߲ ߝߘߊߣߍ߲߫ ߞߎ߬ߙߊ߬ߣߊ ߞߘߐߦߌߘߊ ߕߌߙߌ߲ߠߌ߲ ߝߊ߲ߓߊ ߟߊ߫

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